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#बचपन का प्यार
bharatlivenewsmedia · 2 years
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शाळेत पाहताक्षणी पडले प्रेमात, मराठमोळ्या अजिंक्य राहणे आणि राधिकाची 'बचपन का प्यार' वाली लव्हस्टोरी
शाळेत पाहताक्षणी पडले प्रेमात, मराठमोळ्या अजिंक्य राहणे आणि राधिकाची ‘बचपन का प्यार’ वाली लव्हस्टोरी
शाळेत पाहताक्षणी पडले प्रेमात, मराठमोळ्या अजिंक्य राहणे आणि राधिकाची ‘बचपन का प्यार’ वाली लव्हस्टोरी आपल्या आवडत्या क्रिकेटपटूच्या आयुष्यात काय चालू आहे हे जाणून घेण्यासाठी सर्वच जण उत्साही असतात. अशात सध्या चर्चेत असणारे नाव म्हणजे अजिंक्य राहणे. अजिंक्यआणि राधिका धोपावकर यांची प्रेमकहाणी खूपच गोड आहे. दोघेही एकाच शाळेत होते. शाळेत सुरु झालेली ही लव्हस्टोरीचा खुपच छान एन्ड झालेला पाहायला मिळत…
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scribblesbyavi · 4 months
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आज कल किसीसे बातें नहीं होती
पता नहीं, बस मन नहीं करता ।
हा, पहले होती थी किसीसे बात
पर अब नहीं ।
आख़िर क्यों करें हम बात किसीसे ?
क्यों पूछे हम किसीसे उनकी पसंदीदा रंग, पसंदीदा खाना और गानों के नाम ?
क्यों लें दिलसस्पी उनकी बातों में ?
क्यों सुनें उनके बचपन की कहानियाँ और दिन भर के क़िस्से ?
क्यों ताकें उनकी आँखें दिन भर ?
भई कौन करे फिरसे उतनी मेहनत ?
अब बस और नहीं ।
पर क्यों तब ये मेहनत नहीं लगती थी ?
क्यों बातों के साथ हंसी का साथ और सुरीली सी एक धुन थी ?
क्यों एक बात से दूसरी और फिर तीसरी सुरू हो जाती थी ?
जैसे उस एक पल में पूरा मेरा आसमान था ।
हा, शायद वो प्यार था ।
avis
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rush2crush · 1 year
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पिंजरे का परिंदा
मेरे घर बचपन में एक पंछी आया था जिसे घर के सभी लोग प्यार से मिठ्ठू तोता कहकर बुलाते थे। मेरी दीदी को तोता देते हुए पिता जी उससे बोले "देखो बेटा! काफ़ी मोल भाव करने के बाद बाज़ार से यह तोता खरीद कर लाया हूं। इस बार अगर यह तोता पिंजरे से उड़ा तो मैं फिर कभी भी नहीं लाऊंगा। भला गुड़िया दीदी को इन सब बातों से क्या लेना देना था । वह तो सिर्फ मिठ्ठू के साथ खेलने में व्यस्त थी,लेकिन मां और घर के सभी सदस्य पिता जी की बातों को समझ रहे थे इसलिए इस बार एक नया पिंजरा भी मंगवा कर रख लिया गया था। तोता का पिंजरा इतना प्यारा और अनोखा लग रहा था जिसे दे��कर मेरी आंखें भी खुशी से चमक रही थी। घर के सभी लोग उसे स्नेह से पालने लगे और उसका ख्याल भी रखा जाने लगा । मिठ्ठू को समय पर पानी,फल,मिर्च और खाना देना घर के सभी लोगों की जिम्मेवारी बन गई थी। गुड़िया दीदी हर रोज मिठ्ठू को देखकर सोती थी और उसे जागने के बाद दिन भर निहारा करती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि मिठ्ठू तोता अब गुड़िया कटोरे कटोरे बोलने लगा था। हर रोज मिठ्ठू तोता को पिंजरा में खाना मिलता और उसे खाकर दिन भर वो गुड़िया कटोरे कटोरे बोलता रहता था। कुछ सालों तक यह सिलसिला चलता रहा,लेकिन एक दिन अचानक सुबह सुबह गुड़िया दीदी जोर जोर से रोने लगी उसकी आवाज़ को सुनकर घर के सभी लोग बाहर आंगन में आकर देखा तो वे सब लोग हतप्रभ रह गए। गुड़िया उस पिंजरे को अपने सीने से लगाकर जोर जोर से रो रही थी। उसकी आवाज़ में इतनी करुणा और ममता भरी हुई थी कि आस पास के लोग भी कारण जानने के लिए मेरे आंगन में पहुंच गए। अब घर व बाहर के लोग यह जान गए थे कि बात उस पिंजरे वाले तोते की है जो कल रात पिंजरे को तोड़कर कहीं उड़ गया। सब लोग मेरी दीदी को समझा रहे थे तभी पिता जी को आंगन में आता हुआ देखकर उनके पास जाकर मै लिपट कर रोते हुए कहा "पापा यह तोता हर बार क्यूं भाग जाता है, तब उन्होंने हम दोनों भाई बहन को गोद में बैठकर एक कविता सुनाया: हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे।
नीड़ न दो चाहे टहनी का, आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो, आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।”
शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित उस कविता का अर्थ उस वक्त नहीं बल्कि ज्ञान होने पर समझ में आया लेकिन साथ ही साथ मेरे हृदय में एक भाव भी जागा कि आख़िर क्यूं? कोई पंछी गुलामी के पिंजरों में बंधकर नहीं रहना चाहता है। इस भाव को सार्थकता प्रदान करने के लिए मैंने भी एक तोता पाला। जिसकी तस्वीर आज देखकर मुझे मेरे बचपन के तोते की कहानी याद आ गई।संभवतः इस तोते से एक ऐसा लगाओ बन गया था जो मेरी कदमों की आहट सुनकर जोर जोर से मेरा नाम पुकारने लगता था। लोगों को आश्चर्य तब होता था जब वह पूरे आसमान को छूने के बाद भी मेरे छत पर आकर बैठ जाता और मैं खुशी से फूलते हुए पिता जी से कहता था "देखिए मेरा तोता कहीं नहीं भागता है", लेकिन एक दिन ऐसा आया जब वह पिंजरा से बाहर तो निकल जाता था लेकिन उसके उड़ने की जिज्ञासा शांत हो गई थी,कारण जानने के बाद मालूम चला एक दिन मिठ्ठू घायल होकर आसमान से मेरे ही छत पर आ गिरा था। यह सुनकर उस वक्त अपनी पीड़ा से मैं खुद मुक्त नहीं हो पा रहा था ऐसा लग रहा था मानो मेरी जिद्द ने एक आजाद परिंदे को गुलाम बना लिए हों। मेरे लाख कोशिशों के बाद भी वह तोता आसमान की ओर फिर कभी नहीं देखा और अंततः उसने उसी पिंजरे में अपना दम तोड दिया जिसमें उसे कैद करके कई बरसों तक मैंने रखा था। ये सोचकर कि अगर प्यार और स्नेह मिले तो गुलामी की जंजीरें से बंधकर भी पंछी और आदमी जी सकता है,लेकिन शायद मैं गलत था बिल्कुल गलत था।
@अनजान मुसाफ़िर
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achintyarealstories · 2 years
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आयुषमन डायरी -आयुषमन - पहली खतरनाक अग्नि परीक्षा -
पहला प्यार
आयुष्मान की पूजा -
आयुषमन की पत्नी सोनाली आयुषमन से बोली मैंने आपकी इतनी कहानी सुनी पर मुझे तो हमेशा यह लगा की लड़कियों को तो प्यार हो जाता था पर आपको बस होते होते रह जाता था | चलिए मैंने मान लिया  की कोई शक्ति आपको प्यार में आगे बढ़ने  से रोकती थी | फिर भी आपको सबसे पहले कब प्यार होने का अनुभव हुआ |
 आयुषमन ने सोचा और फिर बोला चलो मै तुम्हें 2001 में ले चलता हू |वैसे तो मेरे माता पिता खुले स्वभाव के थे | मेरे पिता अपने माता पिता को बहुत प्यार करते थे |वोह श्रवण कुमार की तरह उनकी निस्वार्थ सेवा करते थे |पर मेरा ताऊ  और मेरी तीनों बुआ  बहुत स्वार्थी और धूर्त थे |वैसे ही उनके जीवन साथी और उनके बच्चे |केवल बीच वाली बुआ के पति और बेटे बाकियों  से बेहतर थे | इन लोगों की  सोच बहुत खराब थी |वोह इस तरह की बातें आपस में करते थे “की अगर उससे मकान या रूपया  मांग लो तो देखना नहीं देंगें,मेरा ताऊ  और  उसका परिवार और तीनों बुआएँ इस तरह की बातें कर के बहुत खुश होते थे ,खास कर जगदीश और संगीता  “|
 घर में इन सब की ही चलती थी | उन सब के लिए अपने लिए कुछ और कानून थे और दूसरों के लिए कुछ और |पर मेरे माता पिता बहुत मेहनती और अपने कर्तव्यय को निभाने वाले लोग थे | उनकी इस शराफत का फायदा मेरे ताऊ और बुआ के परिवार उठाते थे | खासकर ताऊ और ताई जो प्यार के बारे में बड़ी गंदी सोच रखते थे | उनके लड़के भी  उन दोनों की तरह चरित्रहीन थे | वोह सब हर अच्छी लड़की को भी चरित्रहीन साबित करने लग जाते थे |मेरे दादा की वजह से हम लोग उन लोगों को कुछ भी कह नहीं सकते थे |मुझे यह सब बातें अच्छी नहीं लगती थी | इसलिए जब भी कोई लड़की अच्छी लगती तो मुझे उसे अच्छा कहने में भी डर  लगता था | इसलिए  न लड़कियों को देखने की आदत लगी और न ही उनके बारे में बात करने की |
मैंने न ही कभी कोई प्रेम शस्त्र का साहित्य पढ़ा |मै एक अच्छा लड़का था वोह भी गुड लूकिंग |बचपन में तो मुझसे खूबसूरत कम ही लोग होते थे |मेरे पिता बहुत अच्छे चरित्र के थे |वोह हर लड़की को अपनी बहन की नजर से देखते थे |उन्होंने मुझे हर लड़की की इज्जत करना सिखाया  |मेरे ददिहाल की लड़कियां तो अच्छे चरित्र  की  नहीं थे |पर ननिहाल में सारी लड़कियां अच्छी थी |
मेरे पिता की हैन्ड  राइटिंग  बहुत अच्छी थी | मेरे पिता बहुत अच्छे चरित्र के थे | मेरे  माता पिता बहुत ही आदर्श पति पत्नी थे और एक दूसरे के  सच्चे प्रेमी प्रेमिका थे | मेरे पिता बेहूद संस्कारी थे वोह हर बड़े के पैर छूते थे |
यह आदत उन्होंने मेरे भी डाली | पर बचपन में जयादातार  बाबा के बच्चों के साथ रहना पड़ा | वोह सब बड़े निर्दयी, दिखावा करने वाले , घर में राजनीति करने वाले ,झूठे ,लालची और  घर में मार पीट करने वाले थे | वोह घर में शेर और बाहर ढेर थे |
उन सब के सामने प्यार की बात करना सबसे बड़ी मूर्खता थी |वोह मुझसे बहुत ईर्ष्या करते थे |क्योंकि मै हर चीज में अच्छा था |
२००१ में मैंने पोस्ट ग्रैजूइट की डिग्री पूरी की |मै दिल्ली में था एक इंटरव्यू देने मै अपने एक मलयाली दोस्त के साथ फरीदाबाद में एक जगह कॉलेज में टीचिंग का इंटरव्यू देने गया ,मेरा वहा सिलेक्शन भी हो गया | वोह मेरा नौकरी का पहला ऑफर थे ,उन लोगों ने मुझे रोहतक में जॉइनिंग देनी थी |
पर मै वहा नौकरी करने नहीं गया |मेरे पिता बहुत जबरदस्त शिक्षक थे |सारे शहर में वोह एक बहुत सख्त टीचर के रूप में मशहूर थे |वोह बदमाश लड़कों में डॉन  के रूप में मशहूर थे |इनके पढ़ाए छात्र  जीवन भर उनकी इज्जत करते रहे  | उनके छात्र आज भी हम लोगों का ख्याल रखते  है |उन्हे अपने विषय पर सख्त पकड़ थी |मै जब १० में था तब एक बार उनकी कोचिंग में पड़ाने गया था |तब बच्चों ने काफी तारीफ की थी |इसलिए मेरे पिता चाहते थे की मै उन्ही की तरह प्रोफेसर बानू | मेरी मा बहुत विद्वान महिला थी |मेरे पिता ने शादी के बाद उनकी पढाई कारवाई थी |
मेरे पिता को मेरी मा की पड़ाई करवाने में अपने ही भाई बहनों और अपनी माता के बड़े जुल्म झेलने पड़ें |पर उन दोनों ने ठान रखी थी की वोह पढ़ाई कर के रहेंगे | मेरी मा ने प्राइवेट पड़ाई करके बहुत अच्छे नंबर पाएँ साथ ही  उन्होंने डाक्टरिट की उपाधि प्राप्त की | मेरे पिता ने भी नौकरी के साथ प्रमोशन पाने के लिए प्राइवेट पढ़ाई कर के डिग्री प्राप्त की |मेरे माता पिता दोनों ही हिन्दी और संस्कृत के विद्वान बन गायें |मेरी मा ने ज्योतिषी भी सीख ली |मेरे गृह नगर में विस्व विद्यालय में कंप्युटर का पोस्ट ग्रैजूइट डिग्री कोर्स खुलने वाला  था |मेरी मा जो कॉलेज में प्रोफेसर थी उन्हें इसकी जानकारी मिली उन्होंने मुझसे कहा की वहा कोशिश करो |
मै  अपनी माँ के कहने पर यूनिवर्सिटी गया और बायोडाटा दे आया | इंटरव्यू के लिए एक दिन तिवारी मैडम जो वहा  की विभागाध्यक्ष थी उनका फ़ोन आया और उन्होंने अगले दिन सुबह एक टॉपिक तैयार  कर लाने  को कहा | मैंने रात भर नेटवर्क का एक बेसिक टॉपिक तयार किया | मेरी अंग्रेजी इधर तंग हो गई थी साथ में मैंने बहुत दिन से कुछ पढ़ाया नहीं था |मै नवजोत सिद्धू की कामन्टेरी सुनता था |मैंने सोच कल जा कर सिद्धू जी की  ही तरह इंग्लिश बोल आऊँगा और किया भी ऐसा |वोह अच्छा समझ में आने वाला छोटा स लेक्चर थt और मुझे नौकरी मिल गई | यह नौकरी ऐड हाक की थी |
मैंने तिवारी मैडम से कार्मिक रिसते का अनुभव किया | उसी समय एक युवा और मुझसे कम उम्र के बहुत बुद्धिमान और जोशीले शरद कटियार को भी वहा  नौकरी मिली | वोह बहुत खूबसूरत व्यक्ति थे | उसके दिल में कुछ अच्छा करने की तमन्ना थी | हम दोनों में तुरंत  बहुत खूबसूरत दोस्ती हो गई |वोह मेरी तरह ही साफ दिल और खुले दिमाग का था |हम लोगों को पोस्ट ग्रैजूइट की क्लास मिली | वहा के कुछ  छात्र मुझसे उम्र में बड़े थे |शरद से लगभग तिहाई छात्र बड़े थे | मुझे आसान विषय कंप्युटर की बुनियादी बातें पड़ने को मिला |मेरी एक सुरू से एक बुरी बात थी मुझे काभी आसान विषय में मन लगता था |जब भी मुझे कठिन विषय या जिंदगी में कठिन परिस्थतियाँ मिलती तभी मै अपना बेस्ट  देता था | शरद को सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मिली |वोह संपुरता के साथ बड़ी मेहनत से पढ़ाते  थे | वोह आईआईटी रुड़की के पढ़ें थे और वहा के एक लेजन्ड प्रोफेसर के प्रशंसक थे | उन्होंने एक बार मुझे सी प्रोग्रामिंग के विषय पॉइंटर्स को बड़े आसान तरीके से पढ़ाया था |मै उनसे काफी प्रभावित हुआ |तिवारी मैडम बहुत सिद्धांत वादी और कुशल प्रशासक  थी |
उन्हें देश की बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी  में पढ़ाने का अनुभव था |वोह बहुत बड़े ई -गवर्नन्स  के प्रोजेक्ट्स में शुरुआती दौर में काम कर चुकी थी |वोह संपुरता ,मेहनत ,ईमानदारी और अच्छे व्यवहार की प्रतीक थी |शरद जी और मै ईमानदारी से काम करने लगें | शरद जी क्लास में राजा की तरह पढ़ाते थे |मुझे उनकी तारीफ सुन कर बहुत अच्छा लगता था |पर मेरे पास बहुत आसान विषय था | इसलिए मुझे इंतजार था अगले सिमेस्टर का |
तिवारी मैडम हम दोनों को सिखाती थी की छात्रों से उचित दूरी तो रखना पर कभी  भी इतने  दूर मत जाना की वोह आपसे अपनी विषय की समस्या न बता सकें |वोह एक महान मार्ग दर्शक थी |छात्रों की सच्ची हितैषी | वोह यह भी कहती थी की हर छात्र को पढ़ाया भी नहीं जा सकता सिर्फ कोशिश की जा सकती थी |
मेरे और शरद के आदर्श इलेक्ट्रानिक्स विभाग के हम लोगों से थोड़े बाड़ें हर हीरो से खूबसूरत श्री अनुज कठियार  थे | जो बहुत मेहनत से पढ़ाते  थे |आज वोह सरकारी कंपनी में सीनियर पज़िशन पर है |
शरद क्रिकेट खेलते थे |मैंने भी कॉलेज  से निकलने के बाद से क्रिकेट  नहीं खेले था | हम दोनों को क्रिकेट खेलने का मन करता था |मै पोस्ट ग्रैजूइट क्लास के साथ ग्रैजूइट की क्लास  में भी जाता था पढ़ाने |मै दिलीप कुमार साब की ऐक्टिंग में समर्पण  से प्रभावित था और मुझे लगता था की किसी भी करिअर  में  नाम कमाने  के लिए उनके जैसे ही लग्न चाहिए
|मैंने अपने माता पिता से सिखा था की जिदगी में काबलियत पर भरोषा  करो कामयाबी पर नहीं | इसलिए  मेरी कोशिश हम���शा से काबिल बनने की थी |
मुझे कॉलेज के जमाने से गाने का शौक था |मैंने गाने की काभी ट्रैननग नहीं ली |वास्तव  में बड़ी आसानी से मिमिक्री कर लेता था |मै पुराने कलकरों के अलवाव आस पास के लोगों की नकल भी उतार लेता था |ऐसे ही मै किसि भी गायक और गायिका की नकल उतार कर उनके गए गाने गया लेता था |मै कॉलेज में अपने गाने से लोकप्रोय था |
यहा  भी मै  छात्रों को कभी कभी   क्लास में गाने  सुनाता था |मुझे अपने पिता से विरासत में दूसरे की मदद करने का स्वभाव मिला था |यहा मै अपने स्टूडेंट्स की मदद करता था |वहाँ से स्टूडेंट्स मेरे मददगार स्वभाव की वजह  से  पसंद करने लगे  | मेरे गाने से मैंने पोस्ट ग्रैजूइट क्लास की बेहद प्रतिभासली छात्रा अंजली जैन को गाने में डूबते हुए  देखा |अंजली एक छोटे से सहर से पड़ने आई थी और हॉस्टल में रहती थी | वोह बड़ी मासूम थी |वोह कुछ कुछ होता है की नायिका अंजली की तरह के कपड़े ही पहनती थी | उसकी रूम पार्टनर ग्रैजवैशन की बॉबी गुप्ता थी |बॉबी वास्तव में फिल्म बॉबी की डिम्पल कपाड़िया जैसी लगती थी वोह वैसे ही कपड़े पहनती थी |बाबी की पसनदीदा फिल्म कुछ कुछ होता है  थी | दोनों रूम पार्टनर मुझसे यानि आयुष्मान से बड़ी प्रभावित थी |वोह दोनों आयुष्मान के गाने ,पढ़ाने और स्वभाव की आपस में तारीफ करती थी |
अंजली प्यार के मामले में शर्मीली थी | वोह क्लास के बाद आयुष्मान से टॉपिक में संदेह डिस्कस करने भी जाती थी | अंजली शर्मीली थी पर बॉबी बेहूद मासूम होने के बाद भी अपने मन की बात सबसे कह देती थी | वोह आयुष्मान के पास जाती थी और उसे बताती थी की  वोह और अंजली मैडम उसकी बात हॉस्टल में खूब करते थे | बॉबी भी बेहद  मेधावी छात्रा थी और एक बेहूद रसूख वाले अफसर की लड़की थी | उसको देख कर ही लगता था की वोह एक शाही  परिवार से है |
वोह आयुष्मान को अक्सर बताती की अंजली उसकी पीछे कितनी तारीफ करती है |आयुषमन एक चरित्रवान और उसूल वाला व्यक्ति था |वोह लड़कियों की बातों को हमेशा अपने तक ही रखता था यह भी उसने अपने पिता से ही सिखा था |
बॉबी उससे बोलती की उसे कुछ कुछ होता है फिल्म पसंद है वोह जब उसे देखती है तो शरुख खान में आयूहमन को,काजोल में अंजली को और रानी में खुद को देखती है |उसे वास्तविक जिदगी में रानी मुखर्जी का उस फिल्म जैसा चरित्र करना है |
बॉबी कहती थी की वोह चाहती है की हम तीनों जिंदगी भर एक दूसरे  के करीब रहें |वोह मुझे वहा का सबसे अच्छा व्यक्ति कहती थी ,उसकी नजर में वैसे ही अंजलि सबसे अच्छी लड़की थी |
अंजली की क्लास में एक बेहद संस्कारी,पढ़ाकू और अच्छी लड़की अर्चना अगर्वल भी थी | जो इतनी आज्ञाकारी थी की बिना आयुष्मान  से पूछे लाइब्रेरी या क्लास के बाहर नहीं जाती थी |
यह बात आयुषमन समझ नहीं पता था की वोह ऐसा क्यों करती थी |आयुष्मान की आवाज क्लास में पीछे बैठे छात्रों को नहीं सुनाई देती थी | लेकिन जल्दी ही उसकी आवाज़ पीछे छात्रों तक पहुंच गयी |अगले सिमेस्टर में आयुषमन को डाटा संरचना पढ़ाने का मन था |
अंजलि के दो दोस्त दीपिका सलवानी और ऐषा अरोरा थी और दो दोस्त जिसमें एक ६ फुट ३  इंच लंबा बेहूद हैन्सम सिख जोशीला शेरदिल हरभजन और दूसरा संस्कारी लड़का निखिल श्रीवास्तव था |
पोस्ट ग्रैजूइट के छात्र  आयुषमन और शरद जी के साथ बड़े खुश थे |पर एक दिन एक दुखद  घटना घट  गई |हुआ यह की आयुष्मान  मजाक में हरभजन से बोल गया की तुम्हारे तो हमेशा १२ बजे रहते है |हरभबजन सिख पंथ का सच्चा अनुयायाई था |उसे बहुत गुस्सा आया और उसने आयुषमन पर गुसा निकाल भी दिया |आयुषमन को अपनी गलती समझ नहीं आई पर शरद जी ने बाद में उसे उसकी गलती बताई |
फिर भी अंजलि ने उलट हरभजन से कहा की जाओ आयुष्मान सर से माफी मांगों वोह बहुत  अच्छे है उन्होंने जान कर कुछ किया नहीं होगा |अगले दिन हरभजन ने माफी मांगी भी |मामला खत्म सा  होने लगा |हर भजन अंजलि का सच्चा मित्र था |
आइए उस क्लास के प्रमुख चरित्र से मिलते है :बेहूद ससकारी मनीष और अयन  की मित्रता मशहूर थी | विनय ,अंबिकेश ,संदीप ,देविका ,शुभाशीष की खूबसूरत मित्र मंडली ,अर्चना की दोस्त दीपाली ,ईमानदार और बुद्धिमान नवीन कुमार,पारिजात,महेन्द्रा,रितेश,अतींन,अमित ,शैलेश  साथ  में श्री निष्काम ,नितिन,देवेश मिश्र ,पंकज ,आशीष ,अभिषेक ,ज्ञानेन्द्र और क्रिकेटर  अदनान इत्यादि |
एक दिन आयुष्मान ने देख की लड़के क्रिकेट खेल रहे है उसको भी क्रिकेट खेलने का  मन हुआ |वोह लड़कों से बोल की वोह बल्लेबाजी  करना चाहता है |लकड़े राजी हो गायें | उसने बल्लेबाजी करनी सुरू की |लड़कों ने बाल यूनिवर्सिटी के सबसे तेज और शानदार  बोलर विनय मिश्र को दे दी | साथ में उसके दोस्त संदीप ने चुटकी ले कर कहा की सर के सर पर गेंद मारना |आयुष्मान कुशल क्रिकेटर  था उसने यह बात सुन ली | वोह जान गया  की गेंद कभी ना कभी शरीर पर आएगी उसने इधर उधर जाती गेंदों को छोड़ दिया |उसे इंतजार था शरीर पर आने वाली गेंद का और अंत में वोह तेज गेंद आ भी गई |आयुषमन हुक खेलना का शानदार खिलाड़ी था और उसने वोह गेंद स्टेडियम के बाहर हिट कर दी ६ रन के लिए |लड़के खुश हो गायें,खूबह ताली बजी  और उसकी शॉट सब के लिए यादगार बन गई |
एक दिन लड़कों ने शरद जी और आयुष्मान से मैच खेलने के लिए कहा | मैच तय  हो गया और मैच खेला  गया | लड़के ज्यादा  चुस्त थे और शानदार क्रिकेट खेलते थे | उन्होंने खूब रन बनाए सुरू कर दिए |वोह बड़े स्कोर की ओर थे तभी आयुष्मान बल्लेबाज के पास पावर शॉट लेग पर  जा लार फील्ड करने लगा  |दरअसल वोह बहुत चुस्त फील्डर था उसे उसकी यूनिवर्सिटी में जोनती रोह्डस  कहते थे |उसने दो बल्लेबाजों को अपनी चुस्ती और अचूक निशों से रन आउट कर दिया |फिर उसकी गेंदबाजी दे गई |उसको स्वर्गीय शान वार्न की तरह गेंद फेकने और वॉर्न की तरह की लेग स्टम्प से ऑफ स्टम्प की ओर जाती गेंद फेकने में महारत थी |उसकी गेंदों से उसकी टीम को कुछ विकेट मिली खासकर छात्रों का सबसे अच्छा बल्लेबाज अदनान बोल्ड हो गया | छात्रों के टीम विशाल स्कोर की ओर नहीं बढ़ पाएँ |
अब स्टाफ के टीम खेलेने  आई छात्रों की बोलिंग बहुत तेज और अचूक थी |फील्ड भी उच्च दर्जे की|केवल आयुष्मान ही टिक पाया | आयुषमन अकेले राहुल द्रविड की तरह टिका  रहा उसकी शॉट्स सौरव गांगुली की तरह अच्छी टाइमिंग से भरी  थी | पर दूसरी ओर से उसे साथ नहीं मिला |उसकी बल्लेबाजी का सबने आनंद लिया |वोह सबसे आखिर में आउट हुआ तब कुछ ही रन दूर थीं जीत |
मैच छात्रों ने जीता पर दिल आयुष्मान ने | आयुष्मान अपनी स्टूडेंट लाइफ की तरह यहा  भी टीचर, गायक  के बाद क्रिकेटेर  के रूप में हर जगह मशहूर हो गया |
शरद जी की  कॉलेज टाइम से ही विप्रो में नौकरी  लग चुकी थी | वोह  बस जॉइनिंग का इंटेजर कर रहे थे | नए सिमेस्टर में आयुष्मान को डाटा  संरचना पढ़ाने को कह दिया गया  | उस विस्व विद्यालय में बहुत से टीचर छात्रों से ग्रैड और सेससीऑनल मार्क्स देने के पैसे लेते थे |
आयुषमन का अपना एक दुखद अनुभव था |जब वोह अपने कंप्युटर प्रोग्रामिंग के अंतिम वर्ष था |तब एक दुर्घटना उसके जीवन में हुई थी | वोह अपने कॉलेज के सिर्फ दूसरे बैच का छात्र था | उसकी यूनिवर्सिटी का नाम पूर्वाञ्चल था | उस बैच से पहले केवल एक बैच वोह भी ६ महीने पुराना था |
आयुषमन कभी रसायन विभाग  में कमजोर होने के कारण इंजीनियरिंग की तयारी कभी ठंग  से कारण नहीं पाया था |वोह १२ वी कक्ष में जब उसके स्कूल में मैथ  के भी टीचर पहली बार १२ वी में पड़ा रहे थे |वोह हमेशा  १०० में १०० पूरे  २ साल नंबर लाता  रहा |
बोर्ड की परीक्षा में एक ५ नंबर का प्रश्न मयट्रिक्स ट्रैन्स्पज़िशन का आयाया था जिसे आयुषमन ने नहीं पड़ा था |उसके मार्क्स ९५ रह गए थे | उसके गढ़वाली शिक्षक राम प्रवेश जी को यह बात अच्छी नहीं लगी थी |पर उसके पिता जी के मित्र  सुरेश आचार्य जी आज भी इस बात पर फक्र  करते है |
पर रसायन के शिक्षक श्री नारायण क्लास में बिल्कुल पड़ाने में रुचि नहीं दिखते थे |
आयुषमन को कोचिंग करना पसंद नहीं था |इसका उसे नुकसान हुआ और वोह इंजीनियर नहीं बन पाया | उसके घर में दादा के बड़े बेटे और उसके बेटों ने आयुष्मान को पान मसाला के लत लगा दी | उसने मास्टर ऑफ कंप्युटर ऐप्लकैशन प्रोग्राम की तयारी कुछ समय बाद सुरू की |उसकी प्रेरणा उनसे अपने रिसते के बड़े भाई  सत्यवान गुप्ता से मिला |उसने तयारी की |उस वक्त बहुत कम सीट होती थी | पर वोह कई जगह सिलेक्ट हुआ पर अपने गृह प्रदेश में  नामी कॉलेज में सीट पाने से रह गया | पड़ोसी राज्य में वोह गया नहीं सीट लेने |
वोह अपने टीचर श्री कनहिया लाल  सलवानी से पास गया था जिन्होंने उसकी त्यारी कारवाई थी |वोह एक सरकारी बैंक के ऑफिसर थे और बहुत महान गड़ितज्ञ थे | उन्हें हर टॉपिक की जबरदस्त पकड़ थी |वोह एक संस्कारी सिन्धी परिवार से थे | उन्होंने आयुषमन से कहा की तुम्हारा कई जगह सिलेक्शन हुआ है और बड़े हीनहार हो इसलिए तुम अच्छा कॉलेज चाहते हो तो एक बार और तयारी कर सकते हो |क्योंकि नए खुले कॉलेज में अच्छे लेक्चरर नहीं होते |
आयुष्मान उनकी बात न मान  सका और पूर्वाञ्चल चल गया |वह वाकई में कोई पढ़ाई नहीं होती थी |श्री रजनीश ,आमोद,आनंद ,शमीम कुछ भी नहीं पड़ते थे |बल्कि नकल कर के छात्रों को पास होने को कहते थे |उनके खिलाफ सीनियर  संजय मिश्र आवाज उठाते थे | सीनियर में स्व नीरज,संजय दुबे,राजीव श्रीवास्तव ,राजीव ,पंकज उपाध्याय ,प्रदीप और सबसे अच्छे श्री विकास वर्मा थे | श्री विकास वर्मा आयूहमन की बहुत मदद करते थे | आयुषमन उसका कर्ज कभी चुका नहीं सकता था |राजेन्द्र चौधरी ,ललित पालीवाल,विवेक छोककेर,दीपक त्यागी ,विपिन गुप्ता ,चंदन श्रीवास्तव ,नितिन महेश ,मधुकर सक्सेना, उदय भान  जैसे छात्र चापलुषी  करके नंबर लाते  थे | अनुराग अवस्थी ,निलेश और आलोक जैसे लड़के पीछे रह जाते थे | यह टीचर छात्रों से कहते थे की इग्ज़ैम में कुछ भी लिख दो और आपस में नकल कर लो |वोह सब बिल्कुल पढ़ाते  नहीं थे |
आपस में यह राजनीति करते थे | उनकी नकल के बढ़ावे से अक्सर लड़के फस जाते थे |ऐसा ही मेरे साथ हुआ अंतिम सिमेस्टर में | उन लोगों के जाल में मै फस गया | एक डायरेक्टर यादव से इन लगो ने मुझे और दो लड़कों को पकड़वा दिया | मेरे पिता बहुत उसूलवादी टीचर थे जब उन्हें यह पता चल तो वोह बहुत दुखी हूएं |यह सब मुलायम सिंह की सह पुस्तक वाला समय था | मेरे पिता ने मुझे इस परेशानी से नियम के तहत  निकलवाया | मुझे बहुत पछतावा हुआ और मैंने तय किया की मै प्रोफेसर बनूँगा और वोह भी ऐसा की मेरे किसी छात्र को ऐसी किसी परेशानी न उठानी पड़ी |
हम सब को कुछ भी पढ़ाया नहीं जाता था |बिल्कुल प्राइवेट पढ़ाई  की तरह रेगुलर कोर्स किया था |इसलिए आगे चल कर पढ़ाने  में भी बहुत  तकलीफ होने  वाली थी |
मै शुरू  में वहा  की लैब में भी जाता था | वहा  इंजीनियरिंग २००० के छात्र लव चोपड़ा जो बहुत संकरी पञ्जाबी थे और एक दक्षिण भारतीय अनिल अंडे से मेरी मूलकत होती थी |उनसे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी |
मैंने डाटा संरचना ले तो लिया पर उसकी विदेसी किताब से मुझे पढ़ाना सही नहीं लगा |मैंने एक देशी किताब जो एक अच्छे प्रोफेसर  के नोट्स थे सलरिया से पढ़ाने  का फैसला किया |
उसी वक्त शरद जी का काल लेटर आ गया |वोह अपनी जगह एक टीचर अरुण चतुर्वेदी की सिफारिश कर गायें | अरुण चतुर्वेदी कॉलेज से पास हो कर चार साल से एक स्कूल में पड़ा रहे थे | वोह महाराष्ट्र से पढे थे और बड़ी मुश्किल से ७ साल में पास हुए थे | वोह एक चलते पुर्जे थे | वोह महान खलनायक श्री प्रेम चोपड़ा के खलनायक वाले चरित्रों से प्रभावित थे और असल जिंदगी में भी मीठे बोल बोलने वाले खलनायक जैसे शातिर इंसान थे |उन्हें शरद जी के कहने पर तिवारी मैडम ने रख लिया |दूसरा विलन विपिन कुमार गुप्ता जो रंजीत जैसा था उसे भी वह मौका मिल गया |उसे पिछले कॉलेज  से हटाया गया था |वोह मेरे साथ पढ़  भी चुका था | वोह भी रंजीत जैसे खलनायक से प्रभावित था |विपिन कुमार गुप्ता के पिता मर चुके थे और उसकी बहन की शादी होनी थी |तो वोह मुझसे गिड़गिड़ाता था | मैंने दया खा  कर उसकी मदद कर दी |उसकी मा और बड़ी बहन अच्छी थी |मेरे कहने पर उसे रख लिया गया | हालांकि मुझे पता था की वोह चरित्र का अच्छा नहीं है |उसे कुछ आता भी नहीं था | फिर भी वोह और उसका दोस्त प्रभात अगर्वल इतने चालाक थे की किसी के सामने सीधा  बन कर काम निकाल लेते थे |
शरद जी गएँ  और शरद जी के जाते ही अरुण चतुर्वेदी और विपिन कुमार गुप्ता कॉलेज आने लगें |आगे मै अरुण चतुर्वेदी को  मै प्रेम चोपड़ा कहूँगा और विपिन गुप्ता को रंजीत कहूँगा |अरुण चतुर्वेदी को आप कह सकते हो वोह बिल्कुल थ्री ईडियट के बूमन ईरानी की तरह लगते थे | यानि जवानी में गंजे  और उम्र से १५ साल बड़े लगते थे | वोह बड़े अहसान फ़रामोश थे शरद जी के जाते ही उन्हें भूल गायें थे |बल्कि सबसे अपने पिता को आईएएस ऑफिसर बताने लगें | और कहने लगें की उनके पिता के विस्वविद्यालय के उपकुलपति से दोस्ती है |जबकी वास्तविकता थी की उनके पिता एक सरकारी चीनी मिल के कर्मचारी थे |रंजीत के पिता एक घूस खाने वाले सनकी सरकारी अभियंता थे |
रंजीत खुद भी हर तरफ  से चरित्र का बुरा था वैसा ही प्रेम चोपड़ा भी | दोनों चरित्र के बहुत बुरे थे |
उनके आने से लैब के स्टाफ  भी लैब में लड़कियों को इन्स्ट्रक्ट करने के बहाने छेड़ छाड़ करने लगें| उस जमाने में मेरे गृह नगर की अधिकांश लड़कियां बहुत सीधी होती थी |वोह इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त कर लेती थी |
प्रवेश चंद्र एक बेहद प्रतिभाशाली  टीचर भी आयें वोह अच्छे इंसान थे और धीर धीरे छात्रों में लोकपरीय हो गायें |वोह सबसे लोक प्रिय थें | प्रेम चोपड़ा ने मेरी और प्रवेश जी के बीच में गलतफहमी पैदा करी |और हम  दोनों गलतफहमी में आयें भी पर तिवारी मैडम ने गलफहमी दूर कर दी |और हम दोनों भाइयों की तरह दोस्त बन गायें |
बाद में एक संस्कारी हेमवती जी ने वह पर्मानेनेट जॉब में जॉइन की |वोह अच्छे थे पर रंजीत के साथ रह कर बाद में वोह मेरे घर के पास रहने वाली एक बहुत खूबसूरत अनूर संकरी बंगाली छात्रा ममता से सच्चा  प्यार करने लगें और उसे अपने पास ले कर आने वाले शातिर छात्र निकुंज शर्मा के करीब आ गायें | ममता की शक्ल शमिता शेट्टी जैसी  खूबसूरत थी |इससे उन्हें आज तक नहीं पत्ता की उनकी असलैयात में अच्छे लड़के लड़कियों में क्या छवि थी |
उस विस्वविद्यालय में ब्राह्मणों  का वर्चस्व था | हालांकि मेरे माता पिता पेशे से शिक्षक थे और मै बचपन से ही ब्राह्मणों  के बच्चों के साथ ही पला  बढ़ा | हमारा मोहल्ला भी ब्राह्मणों का था | इसलिए मेरा परिवार ब्राह्मणों  का बहुत सम्मान करता था | मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी उस वक्त  अनुराग अवस्थी थे | पर निकुंज शर्मा जैसे लोग अपने फायदे के लिया वाद का इस्तमल करते हैं |वाद गलत ही होता है चाहें वोह ब्रहमीन ,ठाकुर ,विशेष वर्ग ,विशेष जाती ,धरम हमेशा गलत होता है | निकुंज शर्मा एक नीच  छोटी पोस्ट का  बाबू अतुल दीक्षित की चमचागीरी कर के अपनी क्लास के तीन विशेष वर्ग के संस्कारी और पढ़ाकू छात्र श्री राहुल जी ,दिनेश जी और सचिन जी को जाती सूचक शब्द बोल कर लगातार अपमानित करता था |उन्होंने हेमवती जी से शिकायत भी की पर हेमवती जी के पास निकुंज ममता को लाता  था |वोह युवा थे  और उन्हें सच्चा प्यार था |इसलिए वोह निकुंज को कुछ नहीं बोलते थे | उनकी इस हरकत से छात्र दुखी हुए थे |वोह मेरे पास आयें मैंने निकुंज से बात की पर वोह महा शातिर था | उसने उलट चालें  चलनी सुरू कर दी |वोह पढ़ाई में ठीक था और दूसरों को जल्दी ही भांप लेता था |हेमवती की कमजोरी जान कर वोह ममता को उनके पास बहाने  ले कर चला जाता था |और फिर हेमवती का मजाक उड़ाता  था |मैंने उन्हें बताना  चाहा पर प्यार में अँधेन वोह नहीं समझें | आज तक उनके प्यार के किस्से यह मशहूर  है |
पहले सत्र में मेरे पुराने प्रोफेसर की पुत्री यादें  अवस्थी भी आईं |वोह सीधी और भोली थी |अगले सत्र में वोह नहीं आईं |पर वोह सच्ची इंसान थी |तीसरे सत्र में एक हीरो जैसे लगने वाले लंबे संस्कारी पञ्जाबी श्रवण आयें |वोह मेहनती शानदार और सच्चे पञ्जाबी थे | वोह सच्चे पेसेवर थे और जिदगी में उन्होंने बहुत अच्छा किया |
वोह सच्चे थे उन्होंने मुझे बताया  की छात्र  मेरी कड़ी मेहनत की तारीफ करते है |पर उन्होंने यह भी कहा की आप दो विषय पढ कर पढ़ा रहे है पर बच्चों को पाँच विषय पढ़ने पढ रहे है |
इसलिए उन पर दबाव नहीं डालिए |वोह सच्चे इंसान थे |प्रवेश जी भी उनकी तरह हीरो जैसे दिखते थे और मन से भी अच्छे थे | इन दोनों को सब पसनद करते थे |
मैंने सिमेस्टर सुरू होने से पहले ही पोस्ट ग्रैजूइट  स्टूडेंट्स को बुलाकर डट संरचना की क्लास लेना सुरू कर दिया |मै’बहुत मेहनत और मन से पढ़ाता था |मेरी कोशिश थी की मै इतना अच्छा लेक्चर लू की उन लोगों को एक एक शब्द समझ में आयें और मै कामयाब भी था | हा मैंने किसी को नहीं बताया था की मै सलरिया की किताब से पड़ा रहा हु |मैंने उनसे यही कहाः की वोह टनेनबाउंम से पड़ें | मुझे लगा अगर मै बता भी दूंगा तो उस बूक की कॉपी उन लोगों को नहीं मिलेगी |
प्रेम चोपड़ा ने पोस्टग्रैजूइट के लड़कों से दोस्ती कर ली |प्रेम चोपड़ा के घर इंदिरा नगर के पास वोह लोग रहते थे |प्रेम चोपड़ा  ने उनसे घूस ली और उन लड़कों के मेरे घर भेज दिया |वोह लड़के मेरे घर आयें और सत्र के  मार्क्स बढ़ाने को कहने लगें | मेरे माता पिता दोनों बहुत ईमानदार शिक्षक थे तो मुझे  यह बात बहुत बुरी लगी | उन लड़कों का नाम अभिषेक , ज्ञानेन्द्र ,आशीष और एक ओर था | मुझे अपनी खुद की पढ़ाई के समय का ध्यान आ गया |जब टीचर नकल करवाते थे और उसको पकड़वा दिया गया था । फिर मेरे  पिता को बड़ी  शरमंदगी उठानी पड़ी थी  |
मैंने सोचा  छात्र छात्राओं को बोलू की इन सब बातों पर मत ध्यान दो | मैंने उनकी क्लास सत्र होने से पहले ही बुला ली |उस समय इंजीनियरिंग वालों के इग्ज़ैम चल रहे थे |मेरी वह ड्यूटी थी पर मुझे स्टूडेंट्स को समझाना था |मैंने ड्यूटी नहीं की और पहुच गया क्लास लेने |मैंने बिना नाम लिए सब छात्रों को पूरा प्रकरण बताना सुरू किया |मैंने सारी बातें दिल से कहनी सुरू की |मैंने उन्हें बताया की इस तरह शॉर्ट कट  ठीक नहीं है जिदगी के लिए |
मैंने फिर देखा अनजली,मनीष ,अयन,अर्चना ,अतींन ,नवीन,हरभजन ,अंबिकेश ,अमित ,महेंद्र ,कणिका ,शुभाशीष ,विनय ,संदीप दीपाली ,ईशा,नितिन  और दीपिका को मेरी बात सच लगते देखा |मै उन सब का हीरो था |मेरे दोस्त प्रवेश आज भी कहते है की ऐसी इमेज उन्होंने आज तक किसी टीचर की नहीं देखी है |
अंजलि को मैंने फिर अपने गानों की तरह मेरी दिल से बोली गई सच्ची बातों में डूबते देखा |वोह बहुत मासूम  और सच्ची थी |उसे सच्चे लोग पसंद थे | मैंने कहा की क्लास में अगर किसी को भी मेरी पाड़ाई नहीं समझ में आ रही हो तो मै यह सब्जेक्ट छोड़ दूँ | आप लोग चाहे तो मेर शिकायत तेवारी मैडम से कर सकते है | मै उनसे आप लोगों में किसी के बारे में कुछ नहीं  कहूँगा |
मेरी बात सुन कर क्लास मेरे सामने ही विभाजित हो गई | प्रेम चोपड़ा के चार छात्र खुलकर विरोध में आ  गायें |  मै चल आया |बाद में उन लोगों ने सब लड़कों के साथ खुलकर मेरी शिकायत करने की बात की |मेरे जाने के बाद मेरे पक्ष  के लड़के चुप से हो गयें और प्रेम चोपड़ा गैंग के लड़के मेरे खिलाफ पत्र  बना कर सब के हस्ताक्षर करवाना सुरू कर रहे थे |तभी अंजलि ने अपने दोस्त महान हरभजन  के साथ मिल कर सब को ऐसा करने से रोक लिया | उसके जबरदस्त  विरोध को देखते हूएं सब लड़कों लड़कियों में हिम्मत आ गई और उन लोगों ने प्रेम चोपड़ा गैंग की हालत खराब  कर दी | कुछ दिन बाद मनीष ने मुझे  आ कर यह बात बताई भी | बॉबी को  यह सब अंजलि से  पता चला तो वोह मुझसे मिलने आई और उन लड़कों  पर बहुत गुस्सा हुई | वोह मासूम थी और कॉलेज के टीचर  को भी अपने घर के लोगों के तरह ही प्यार करती थी और मै उसका हीरो था |
 मै यह मानता हु की कुछ मामलों में मै अपरिपक्व था | पर मै ईमानदारी से पढ़ाता था और सब को पूरी तरह सहयोग करता था | ऑटोमेटा सिद्धांत भी मुझे उन लोगों को पढ़ाना था | जिसको पड़ने वाले या जानने वाले भी काम होते थे |मैंने उसमें अच्छा प्रयास किया |मैंने दोनों विषय में ७५ प्रतिशत ही पढ़ाया |पर सारे टॉपिक ऐसे की जिन्हें क्लास में बैठ हर एक स्टूडेंट एक एक शब्द समझ जाएँ | मै हर क्लास की काफी दिन प्रैक्टिस करता था |की एक भी शब्द क्लास में गलत न बोलूँ |
फिर भी डाटा  संरचना में एक गलती हो गई नोट्स से पढ़ाने में पहले चौड़ाई खोजो कलन विधि  पढ़ाने में मुझसे गलती हो गई | नवीन जो एक ईमानदार  छात्र थे उन्होंने मुझे बताया भी फिर भी मैंने तब नहीं माना |बाद में मुझे अपनी गलती पता चलीं |
नवीन ग्रैजवैशन में  कंप्युटर से पड़े थे |जहा उनको नगर के सबसे अच्छे टीचर जुगल सर पड़ते थे यह विषय |लेकिन वोह ए वी एल  ट्री नहीं पदाय था |मैंने नवीन जी से वादा किया की मै पाड़ाऊँगा |मेरे मित्र दीपक त्रिपाठी ने मेरी मदद की |सारे लड़के लड़कियों को ए वी एल  ट्री समझ में आ गया |मेरी परतिष्ठा लगातार बढ़  गई |मेरी इज्जत सब स्टूडेंट्स करते थे |मुझे अच्छे छात्र अतींन  और अंबिकेश से कुछ यादगार कमेन्ट मिलें |आतीं ने कहाः की आपने बहुत आसानी से सब पढ़ाया |हम लोगों को एक एक चीज समझ में आई है |ऐसा कोई आईआईटी का प्रोफेसर ही पड़ा सकत��� है |अंबिकेश ने कहा की हम लोग इस सरल विधि के पड़ने से काफी तेज हो गायें है |अब हम सब बहुत अच्छे प्रग्राममेर बन गायें है |ऐसा ही औटोमाता के लिए भी कहा गया | मेरी इस सफलता में तेवरी मैडम का हाथ था |उन्होंने मुझे गुरु मंत्र दिया था की कभी न सोचो की तुम पहली बार पड़ा रहे हो जो विषय में रुचि लेगा वोह सबसे अच्छा पढ़ाएगा |
मै आज भी उस २ k १  पोस्ट ग्रैजूइट बैच का आभारी हूँ |की उन्होंने मुझे पर विश्वास किया |आज मै जो भी हूँ उनकी बदौलत हूँ |यह उन सब की महानता है |
पर विपिन गुप्ता उर्फ रंजीत मुझे  लगातार पोस्ट ग्रैजूइट छात्रों के खियाफ़ भड़काता रहता  था | दरअसल उसकी नजर कुछ लड़कियों पर थी वह खासहकर अनजली,दीपाली,कनिका  ,दीपिका  पर |
रंजीत और प्रेम चोपड़ा खुले आम लड़कियों को फ़साने के बारे में बात करते थे |उनके साथ  दीपक वर्मा जी ,आलोक यादव जी ,अनुराग तेवरी जी भी यह बातें करते  थे |
हुआ यह की शरद जी बहुत मासूम थे |उस कॉलेज में यूनिवर्सिटी स्टाफ और टीचर मिल कर रूपये  ले कर छात्रों के मार्क्स बढ़ाते थे | शरद जी से डायरेक्टर ने कहा की छात्रों को सत्र के अंक
जो सत्रीय परीक्षा में आयें हो वही दीजिएगा |शरद जी भोले थे उन्होंने वही किया |जब प्रथम सिमेस्टर का रिजल्ट आया तो प्रेम चोपड़ा और रंजीत  ने छात्रों को ��ॉलेज  से जा चुके शरद जी के  खिलाफ  छात्रों को भड़काना  सुरू कर दिया था | यूनिवर्सिटी के स्टाफ नाटा  अतुल दीक्षित और लंगड़े अवदेश भी छात्रों से रूपये लेते थे तो उन्होंने भी यही काम करना सुरू कर दिया |कुछ छात्रों ने शरद जी को गंदा बोलना शुरू किया | छात्रों के साथ लैब के भी लोग जैसे आलोक,राजेश। कपिल भी वैसे ही शब्द बोल रहे थे |मुझे बहुत बुरा लगा |सबसे बुरा यह लगा  की बाकी लोग इसमें घी डाल रहे थें | प्रेम चोपड़ा और रंजीत छात्रों को पीठ पीछे बहुत गंदा बोलते थे |पर सामने खुल कर राजनीति खेलते थे | इन बातों से मेरा मन  उस क्लास के लड़कों से उचाट गया |मैंने सोचा आगे से मै इन्हें न ही पढ़ाऊ | मै  गलती कर बैठा रंजीत ने हरभजन के खिलाफ मुझे भड़काया और मै बातों में आ गया और मैंने उसको सत्र की परीक्षा में अंक के मामले में न्याय नहीं दिया  |यह मेरी बहुत बड़ी गलती थी |इसके बाद भी खुद पर विस्वास करने वाले हरभजन ने कभी मुझसे इस बात का जिक्र नहीं किया |उसने मुझे माफ कर दिया या जाने दिया |यह उसकी महनता थी | दूसरी गलती अगले सत्र में मै उसके और अंजलि के संस्कारी दोस्त निखिल नारायण  के साथ अभद्रता कर गया था | मैंने सोचा की कभी माफी माँगूँगा |पर ऐसा कर नहीं पाया |
मुझे अगले सत्र में उस बैच की क्लास नहीं मिली बल्कि मेरे दोस्त बन चुके लव चोपड़ा की क्लास मिली |
आज सोचता हूँ की कुछ लोगों की वजह से मुझे उन लोगों की क्लास नहीं छोड़नी चाहिए  थी क्योंकि पोस्ट ग्रैजूइट के २००१  के छात्रों का ही अहसान है की जो मै आज इतना बड़ा अधिकारी हूँ |
अंजलि को मेरी वोह दो बातें अच्छी नहीं लगी |क्योंकि वोह मुझे बहुत अच्छा इंसान मानती थी और इन बातों से उसे बहुत दुख हुआ था |
अगला सत्र सुरू हुआ मैंने खूब ज्यादा ही मेहनत कर डाली | जो ग्रैजूइट छात्रों को पास्कल के एक दो टोपिक्स अचानक मिलें मुझे |मुझे नहीं आता था | मैंने  अच्छा नहीं पद्या |पर छात्रों ने कुछ भी शिकायांत नहीं की |मैंने उनसे वादा किया की मै उन्हें अगले सिमेस्टर में सी  प्रोग्रामिंग पढ़ाऊँगा |और ऐसा पढ़ाऊँगा  की ऐसा उन्हें किसी ने इतनी मेहनत से  नहीं पढ़ाया  होगा | मुझे खुद कभी कंप्यूटर के पोस्ट ग्रेजुएशन में अच्छे सेशनल मार्क्स नहीं मिले थे | सेशनल मार्क्स पाने के लिए मैंने कभी कोई चाप्लूशी भी नहीं की | अपने दम पर अकेले कठिन विषयों  में अच्छे मार्क्स लाएं | इसलिए मुझे  भी यह पसंद नहीं था की कोई छात्र मेरे पीछे आएं इन नंबर्स के लिए | मै युवा था जोश में था यह समझ नहीं पाता  था की पढ़ाने  के आलावा टीचर एक सलहकार भी हमेशा  होता है | मैंने उस वक़्त इस बारे में कभी किसी से राय भी नहीं ली  |विपिन चंद एक झूठा व्यक्ति था वैसा ही अरुण चतुर्वेदी |२००० के दशक में झूठी पेशवरता देश में छायी थी | जिसमें गुणवत्ता की  अपेक्षा दूसरों को पछाड़ने को और जयादा पैसा किसी भी तरह कामने की धुन लोगो में थी | लम्बी दौड़ का घोड़ा बनने की जगह लोग मौका मिलते ही पैसा कमाने में लग जाते थे |लेकिन मुझे अपने माता पिता से लम्बी दूर तक चलने वाले  सस्कार मिले थे की सफलता से ज्यादा क़ाबलियत लाने  पर विश्वास करो | अगले सत्र के लिए विषय आवंटित हो रहे थे | मै इंजीनियरिंग के २००० बैच के छात्रों  से मिलता था मैंने ऑटोमेटा मशीन सिद्धांत का कुछ पोरशन पोस्ट ग्रेजुएट की क्लास में पढ़ाया  था इसलिए मै  चाहता था की मै  इंजीनियरिंग में पूरा विषय पढ़ाऊँ | इससे पहले यह विषय यहाँ किसी ने नहीं पढ़ाया था बल्कि मेहमान बन कर देश के महँ कॉलेज  के एक महँ प्रोफेसर श्री  रघुराज यहाँ आ कर क्लास लेते थे | श्री रघुराज सब छात्रों के पसंदीदा  थे | लेकिन हमेशा व्यस्तता के कारण उनका आना संभव नहीं होता था |मै उनके पढ़ाने  के बारे में सुन कर रोमांचित होता था और सोचता था की काश मेरा नाम भी छात्रों की जुबान पर इतने सम्मान के साथ कभी ऐसे ही आएं | मैंने जैन मैडम से अनुरोध किया की यह सब्जेक्ट मुझे दे दिया जाएँ | पर नए प्रवक्ता होने की वजह से उन्हें मुझे पर विश्वास नहीं था | लेकिन तिवारी  मैडम ने उनसे कहा की इसने पोस्ट ग्रेजुएशन में इस विषय को पढ़ाया है | और वहा  से कभी कोई शिकायत नहीं आयी है ,इसलिए आप इसे दे सकते हो | खैर जैन मैडम इस बात पर राजी हुई की बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाइये | 
सत्र शुरू हुआ मैंने इस विषय की बहुत सी किताबें अलग अलग दुकानों से खरीद ली | मैंने उसकी प्रोब्लेम्स लगानी  सुरु कर दी | क्योंकि मुझे जैन मैडम की बात याद आती थी की छात्रों को कोई परेशानी   नहीं होनी चाहिए  | वोह छात्रों के लिए बहुत ईमानदार थी | वैसा ही हाल तिवारी  मैडम का भी था | दोनों अपने पेशे में पूरी तरह ईमानदार थी | इंजीनियरिंग के छात्र शरारती थे हालाँकि वोह सब दिमाग से बहुत तेज और मन से बहुत अच्छे थे | लव ,अनिल एंडी ,मनीष सिंह ,मयंक ,प्रशांत ,निधि ,शालिनी ,सुप्रिया ,सौरभ ,आशीष ,अनुकश इत्यादि थे | वोह शोर मचाते हुए पढ़ते थे | उन्हें यह विषय जो गणित के करीब थे पढ़ने में बहुत अच्छा लगता था | पर  जब वोह शोर मचाते थे तो मानते ही नहीं थे | मुझे लगा की उन्हें मेरा विषय समझ में नहीं आ रहा है | मैंने वहा  के सीनियर श्री दीपक से कहा पर वोह बड़े राजनैतिक व्यक्ति थे उन्होंने मेरी बात  शिकायत के रूप में  तिवारी  मैडम से कर दी | तिवारी  मैडम ने कुछ अच्छे छात्रों जैसे लव ,मयंक,प्रशांत  को बुला कर पुछा तो उन्होंने बताये की सबसे अच्छा मै ही पढ़ा रहा हूँ | उन्होंने अरुण चतुर्वेदी के परिचालन व्यवस्था की भी तारीफ की |पर  कहा की मेरी सीधे होने  का फायदा कुछ शरारती बच्चे ले रहे है| मुझे यह बात   बताई गयी अगली बार एक दिन छात्रों ने शोर मचैया तो मैंने उनको आवाज़  ऊँची   कर के डाट लगाते  हुए   डाटना चाहा  पर मेरे मुझ से अपशब्द निकल गायें | लेकिन वोह सब मासूम  थे उन्होंने न कुछ कहा और न ही मेरी कोई शिकायत की | बल्कि इसके बाद मेरे मन की भवनाएं समझ कर अच्छे से पढ़ने  लगें | क्लास के कमजोर से कमजोर  छात्र को भी विषय समझ में आया | और एक लड़के ने आगे चल कर इस विषय के दम पर गेट भी क्वालीफाई किया है | इंजीनियरिंग में भी श्री दीपक ,अनुराग,राजीव ,राजेश जैसे शिक्षक की वजह से ग्रेड सिस्टम की वजह से टीचर घूस  ले कर लड़कों की ग्रेड आगे पीछे करते थे | उसी वजह से एक अच्छा लड़का सरूभ भी अपने सरकारी इंजीनियर पिता के साथ मेरे घर आया और ग्रेड बढ़ने की विनती के |पर  मैंने मिठाई  भी लेने से मना  कर दिया उसने मेरी  हर जगह  जा कर तारीफ की | और मेरी ईमानदार छवि इंजीनियरिंग में भी बन गयी | बाद में सौरभ कुछ अंकों से टॉप ग्रेड लेने से रह गया |वोह बेचारा पैर छु कर चला गया | अरुण चतुर्वेदी यहा भी पोस्ट ग्रेजुएट की चाल चल गायें और एक लड़के मनीषा नाथ चौधरी को मेरे पीछे ले दे कर अच्छी ग्रेड देना का ऑफर दिया |पर  मैंने उसे मना  कर दिया | ग्रेड का इतना गोरख धधा था की एक अच्छा लड़का केवल १ नंबर से टॉप ग्रेड पाने से रह गया | मुझे कहा गया की मै ग्रेड बदल सकता हूँ |पर  मैंने नहीं की मुझे लग्गा  इससे दोस्सरे छत्र गलत सोचेंगे | उस छात्र का  नाम विश्वनाथ था का नुक्सान हुआ | पर उस महान ने उल्टा मेरी ईमनदारी की हर जगह तारीफ कर दी | छात्र चाहते थे की मै आगे भी पढाऊ | पर तिवारी मैडम चाहती थी की मै संगणक के पोस्ट ग्रैजूइट और ग्रैजूइट  की ही क्लास लूँ |पिछले साल लव से मिला तो पुराने दिन याद आयें | उसकी क्लास से अपशब्द कहने की एक गलती की माफी सब से चाहता हूँ | २००५ जनवरी में यह बैच पास आउट हो चुका था तो वह मुझे एक होटल में उस बैच का सबसे  संस्कारी छात्रों में से एक श्री मनीष यादव मिला | उसने मुझे पहचान लिया और मेरा नंबर ले लिया उसने  बताया नोएडा में बहुत से  बैच क�� लड़के है काफी की नौकरी लग गई और कुछ ढूंढ रहे है |
उसने मेरा नंबर लिया और अगली शाम शनिवार थी मेरे पास पहले लव का फोन आया फिर संतोष और कुछ ,देखते ही देखते २०  -२५ छात्र मेरे कमरे में आ गायें |मै अपने बचपन के दोस्त बेहूद शरीफ श्री अमित श्रीवास्तव के पास रुका  हुआ था | सभी छात्र आ कर मेरे पास एक घंटे से ज्यादा  रुकें | उनसे मिल कर बड़ी खुशी हुई वोह सब जिंदा  दिल थे | लव के संस्कार के कहने ही क्या | मेरे पिता सदैव पञ्जाबी परिवारों की खूब तारीफ करते थे और उनके संस्कारों की दिल खोल कर तारीफ करते थे |लव वैसा ही था उसने आज भी सिंगापूर   में वर्षों रह कर भी अपने बच्चे को संस्कृत ,गीता  और भारतीय  संस्कृति का खूब ज्ञान दिया है | मेरे दोस्त को बहुत खुशी हुई उनसे मिल कर | उसने बाद में मुझसे कहा  की तुमने दिल से इन छात्रों को पढ़ाया  होगा इसलिए यह लोग यहाँ  तक आयें |सब के सब बेहूद पढ़ाकू  और संस्कारी उसके लगें |श्री अमित बहुत काबिल व्यक्ति है वर्षों से  लंदन में सेटल है |वोह मेरे बचपन के दोस्त है |
मेरा आज भी यही मानना  है की शायद यह बैच उस समय का वहा का सबसे पढ़ाकू  बैच था | मुझे आज भी फक्र है की ऐसा बैच उस वक्त  मेरी तारीफ करता था | एक मैनिज्मन्ट के प्रोफेसर ने उस व्यक्त मुझे इस क्लास का फीडबैक दिया था की छात्र कहते है की मै अपनी जान की बाजी लगा कर उनको पढ़ाता  हूँ |
लव यूनिवर्सिटी का सबसे अच्छा छात्र था और उसके समकक्ष केवल संगणक  ग्रैजूइट के टापर लड़की पूजा ही थी | इन दोनों की काबलियत का मै शुरू से बड़ा प्रशंसक  था |बाद में दोनों को ही गोल्ड मेडल मिला |मै  दोनों का पसनदीदा टीचर  था |
पर  उधर ग्रेजुएशन की क्लास में कुछ और हो रहा था|
पोस्ट ग्रैजवैशन में विपिन उर्फ राँजीत पढ़ाने जाने लग्गा उसे थोड़ी बहुत संरचित की पूछ ताछ भाषा आती थी | वोह जान कर ज्यादातर लैब में रहता था उसकी नजर अंजलि जैन  और उसकी दोनों दोस्त , दीपाली और कणिका पर थी |यह बात वोह खुल कर बोलता  था |
मै ,श्रवण और प्रवेश चुप रह जाते थे |क्योंकि बाकी सब भी उसकी तरह की ही बातें करने लगे थे | यह सब तब हो रहा था जब विभाग में सबसे सीनियर जैन मैडम और तिवारी  मैडम थी |वहा के डायरेक्टर श्री  शरण भी अपने खराब चरित्र के लिए बदनाम थे |
इसलिए किस्से शिकायत करें यह बात समझ नहीं आती थी |अतुल दीक्षित और लंगड़ा अवदेश मुझे  टारगेट करने लगें | मुझ में उस समय एक दिक्कत थी की मुझसे गलत बात उस समय बर्दाश्त नहीं होती थी | क्योंकि मै कुछ गलत करता  नहीं था | वोह लोग मिल कर छात्रों से मेरी झूठी  शिकायत करने लगें |बात शरण जी के पास पहुंची मैंने उनसे सच बताना चाहा |पर वोह नहीं मानें | हालंकी मेरे एक छात्र निटेश के पिता जी ने मुझसे आ कर मेरी तारीफ करते हुए बस यह कहा की अपने छात्रों को प्यार इसी तरह करती राहिएगा |
एक दिन मैंने विपिन चंद्र को अंजलि को खुले आम छेड़ते देखा |मैंने देखा वोह असहाय थी आउट लैब के सारे लोग कुछ भी नहीं बोल रहे है |क्योंकि वोह सब ऐसे ही थे | श्री दीपक भी आनंद उठा रहे थे |मुझे यह बरदशत नहीं होता था |मुझे बहुत गुस्सा आई अंजलि ने मेरे भाव भी देख लिए थें |पर मै मजबूर था और चुप रहा गया |बाकी छात्रों को भी चुप  देखा मैंने |मैंने अपने आप को हताश पेय क्योंकि मै जनता था की कुछ महीने पहले इसी लड़की ने मेरी झूठी शिकायत होने से रोक था |और इस महान लड़की ने  कभी मुझसे उस बात का जिक्र भी नहीं किया था | मैंने बाहर आ कर विपिन चंद्र को समझाया  पर वोह नीच कहा मानने  वाला | मै कॉलेज के जमाने से उसे जनता था वह भी उसकी वजह से ट्रेन में मार पीट हुई थी |वोह पिछले कॉलेज में पीटा भी गया था |यह बात मुझे  बरसों  बाद पत्ता चली थी |
मै मजबूर हो कर आ गया | विपिन की शिकायत किसी ने नहीं की |वोह और अरुण चतुर्वेदी  छात्रों को नंबर का लालच देते थे |
अंजलि की रूम में रहने वाली  बॉबी अगले दिन आईं और मुझसे बोली “सर ,अंजलि मैडम आपकी अब तारीफ नहीं करती है |कल जो कुछ हुआ वोह आपसे उम्मीद करती है की आप उनकी इज्जत की रक्षा करोगे | मेरे आँसू  आ गायें और मैंने उससे कहा की मै मजबूर हूँ याहह के लोग अच्छे नहीं है ,मुझे  भी परेशान करते है | मै भी समय काट रहा हूँ | बॉबी बोली की सर कोई बात नहीं आप यहाँ  सबसे अच्छे है ,यह सारे अच्छे लड़के लड़कियां बोलते है | मैंने बहुत खूबसूरत बॉबी के आँखों में अपने लिए दीवानगी देख ली थी |मै समझ गया की अंजलि के बाद यह भी यानि अब प्रेम  त्रिकोण बन चुका है |पर मुझे अभी बहुत दूर  जाना था यह सोच कर मै कोई पहल नहीं करता था |बल्कि किसी को यह बात नहीं बताई | पर मन ही मन यह बात सोच कर मै यूनिवर्सिटी आता था की  यहा भी हर जगह  की तरह अच्छी,खूबसूरत और बुद्धिमान लड़कियां मुझे पसंद करती है |
सबसे अच्छी बात थी की मुझे हर क्लास की सबसे तेज छात्राएँ पसंद करती थी |जबकी मै कभी किसी को नंबर में फायदा नहीं देता था |
बॉबी की बातों से मुझ में जोश आया  और अब जब भी विपिन और अरुण चतुर्वेदी किसी लड़की को बुलाते छेड़ छाड़ के लिए तो मै चालाकी  से उन लड़कियों को बचा  लेता था |
विपिन से मैंने अंजलि की दोस्त दीपिका ,ईशा ,दीपाली  और कणिका को बचाया |और उनसे यह भी कहा की चिंता मत करना पर मुझसे कभी कही बोलना नहीं वरना मै तुम लोगों की मदद नहीं कर पाऊँगा |
मैंने अपने माता पिता से सीखा था की किसी लड़की  की अगर इज्जत की रक्षा करना तो इज्जत की रक्षा करके तुरंत भूल जाना | मै समझ गया की मै यहाँ  सबसे पंगे ले रहा हूँ |पर मै तो मै  आज भी मै हूँ |
लेकिन मामला और भी खराब हो चुका था स्नातक के छात्र सारांश कनौजिया ,विकास ,रोहित कलर, शिवानशू ,अंशुमान  और एक और  विकास की शिकायतें उनकी जूनियर लड़कियों के साथ उनके साथ की अच्छी लकड़ियों  ने भी  की |की वोह विपिन ,हेमवती ,अरुण चतुर्वेदी और लैब के स्टाफ को देख कर उन लोगों को खुले आम छेड़ रहे हैं |
मैंने लड़कों को बुलाया समझाया पर वोह समझने वाले नहीं लगें |वहा के निदेशक भी अपने चरित्र के लिए बदनाम थे |इसलिए  मुझे किसी पर विश्वास नहीं था मैंने खुद ही  अमिताभ बच्चन की तरह  उन लोगों की बुरी हालत कर दी |
अब उलट वोह लड़के जा कर अतुल दीक्षित और लंगड़े अवदेश से मिल कर मेरे खिलाफ साजिश रचने लगें | अरुण चतुर्वेदी खुलेआम मुझे कहने लगें की लड़कियों के चक्कर में हीरो मत बनो |मै चुप रहा |ग्रैजवैशन और इंजीनियरिंग में मेरा इतना आदाब था की कोई भी बदमाश लड़के किसी भी लड़की को छेड़ने से डरने  लगें |
एक दिन बॉबी मुझे अकेला देखा कर आईं और उसने बताया की हर जगह लड़कियां आपकी तारीफ कर रही है की आप सबसे जायदआ   मेहनत करने के अलावा अच्छे चरित्र के भी है | सब लोग आपको दुआएँ दे रही है |
मैंने सोचा अब अगर काले बंदर की तरह लगने वाला विपिन चंद अगर अनजली को छेड़ेगा तो मै नौकरी की परवाह नहीं करूंगा |और उसकी हालत कहरब करूंगा |दुबारा फिर हुआ मै त्यार था पर मैंने पाया की अनजली तो मेरी ऐसी दीवानी हो चुकी है की वोह खुद तयार थी ऐसे मौके का | उसने मुझे जो इशारा किया उसे मै यह समझ गया की वोह खुद विपिन चंद को इलसिए यह मौका दे रही थी ताकि मै उसके करीब आउन |मै प्यार में पड़ना नहीं चाहता था इसलिए थोड़ी दूरी बना ली |
वोह एक छोटे से सहर की बड़ी पढ़ाकू लड़की थी |उसके लिया बॉबी की तरह प्यार का मतलब प्यार ही था |
मुझे लगा यहा  तक ठीक है लेकिन अब पढ़ाने पर ध्यान दो |जिदगी में वैसे भी काफी पीछे रह गये हूँ | मै ग्रैजूइट वालों को c भाषा की संगनकन में कार्यक्रम निर्माण पदाता था |
मै उनको बहुत मेहनत से पदाता था |मै उनको डाट भी देता था |मुझे  लगता था की उन्हें अच्छे से पढ़ूँ |अच्छे लड़के लड़कियां खूब अच्छे से पड़ते थे पर बाकी सब धीरे धीरे बिगनदने लगें तहें  | उनमें बहुत सारे विश्वविद्यालय के रशुख वाले लोगों के परिवार से थे |मुझे ,श्रवण और प्रवेश जी को छोड़ दें तो बाकी सारे जूनियर टीचर और लैब वालें उनकी चमचागीरी करते थे और उन्हें मुफ़्त के नंबर देते थे  | जिन लड़कों को मैंने छेड़ छाड़ पर डाटा था वोह मेरे सबसे बड़े दुश्मन बन चुके थे |
अच्छे लड़के लड़कियों  की उम्मीद मै ही था |जो किसी भी तरह की तरफदारी करना नहीं चाहता था |
एक दिन मैंने कुछ स्नातक के लड़कों को मुझे गाली  देते सुना |मुझे दुख हुआ मै अपने पुराने टीचर महान श्री सुरेश शुक्ल जी से मिला |तो उन्होंने कहह की सिर्फ कर्म करो सालों बाद जब वोह तुम्हारी काही तारीफ करेंगे तो तुम्हें खुशी होगी |
मेरे अंदर एक बहुत बुरी लत मेरे ताऊ  के लड़कों ने डलवा  दी थी |पान मसाला खाने की |इसकी वजह से मेरी काफी बदनामी होती थी |
मेरे पिता बहुत चिंतित रहते थे |वोह उसूल वालें व्यक्ति थे |और बहुत अच्छे चरित्र के थे मैंने उनसे अच्छा चरित्र शिखा था | उनके  संस्कार की वजह से मुझे आज भी एक चरित्र वां व्यक्ति माना जाता है |वोह लोगों को पान मसला या नशा छोड़ने के विज्ञानिक तारीकें बताते थे |
पर मुझसे ही परेशान  हो गए थे | वोह ��िस्व विद्यालय आते थे |एक दिन जब वोह ��ेरे कमरे में आयें तो वह उन्होंने देखा की मै पान मसाला कहा रहा हूँ | उनको बड़ा दुख हुआ उन्होंने बाहर देखा की ग्रैजवैशन दूसरे साल  की छात्राएँ खड़ी थी | उनमें बॉबी भी थी |उन्होंने सब के सामने कहा की तुम लोगों में जो भी अपने सर की पान मसाला की लत छुड़वाएगा |मै उससे उनकी शादी करवा दूंगा | खुद मेरे पिता के शब्द सारी लड़कियां बहुत खूबसूरत थी | बॉबी यह सुन कर बोली की अंकल मै सर की यह आदत छुड़वा दूँगी ,क्या आप मेरी शादी इनसे करवा देंगें |
मेरे पिता बोलें हा जरूर वोह बोली  मै रोज इनके पास आऊँगी |और इन्हें याद दिलवाऊँगी |उसकी सबसे अच्छी बंगाली लड़की ममता थी जो मेरी पड़ोसी थी |मै युवा था मै सोचता था की मै यहाँ  अच्छा चरित्र राखू यहाँ ताकि मेरी मोहलें की लड़की कभी मेरी शिकायत मोहलें में न करें | इलसिए मै उसका विशेष कहयाल रखता था |बॉबी रोज उसके साथ आती थी |वैसे ममता शांत थी पर एक दिन मुस्कुरा कर बोल दी की सर बॉबी आपको देखने  के लिए ही कॉलेज  आती है और मुझे आपके पास बहाने से लाती है |मै बहुत ज्यादा  शर्मिला था इसलिए शर्मा गया  |
बॉबी के पिता एक रसूख वाले सरकारी अधिकारी थे |वोह लोग वैश्य थे |उसके माता पिता आ कर मुझसे मिल चले भी गायें है |
बॉबी की क्लास में वोह मेर गर्ल फ्रेंड के रूप में जानी जाने लगी और वोह बहुत खुश थी |यह बात टेयचर्स को  भी पता चलने लगी |की बॉबी मुझे  पसंद करती है और ममता मेरे पास उसे बहाने  से लाती थी |
अच्छे लोग इसे बॉबी की अच्छाई मानते थे |क्योंकि वोह सबकी दुलारी थी और सब को घर वालों की तरह जो  प्यार करती थी |
मेरे  लिए कोई भी फैसला करना आसान नहीं था क्योंकि एक दिन मुझे  पत्ता चला  की कोई तीसरी दीवानी भी है |वोह भी यूनिवर्सिटी की सबसे संस्कारी अच्छी पढ़ाकू अरचना अगरवाल जो अंजलि के क्लास की थी |उसे जो भी जनता होगा वोह उसे अच्छी लड़की ही कहेगा |वोह इतनी आज्ञाकारी थी की अगर लाइब्रेरी भी जाती थी तो बता कर जाती थी |
एक लड़का देवेश मिश्र था जो अपने दोस्तों के साथ मेरे कॉलेज के सीनियर अभिषेक गुबरेलाए  के पास ट्यूशन पड़ने जाता था |देवेश की दोस्ती दीपाली के साथ थी जो अर्चना की दोस्त थी  | विपिन चंद दीपाली को अपने पास बहाने से बुलाता था |मैंने दीपाली को उससे बचाया भी था |
विपिन चंद देवेश को तंग करता था दीपाली की वजह से | एक दिन देवेश उससे लड़ गया |मैंने विपिन चंद को शांत किया क्योंकि मुझे लगा की विपिन की गलती है |विपिन चंद ने बाद में उसके नंबर भी काटें | उसी वक्त दीप त्रिपाठी नाम का लड़का मेरे पीचले साल के पेपर  में बैक दे रहा था | उसके पिता ने डायरेक्टर शरण से सिफारिश की |शरण जी मुझसे बोलें की देख लेना |दीप के पिता यूनिवर्सिटी में स्पोर्ट्स ऑफिसर थे |वोह मेरे पास आयें और बोलें की देख लीजिएगा मेरा बेटा कह रहा था की आप बहुत उसूल वाले व्यक्ति है आपसे इस तरह की बात मत करना पर मै बाप हूँ इसलिए आया हूँ ,वोह बड़े थे मैंने खुद उनसे हाथ जोड़ें और कहा की देखता हु क्या हो सकता है |
मै अपने कमरे में आया की देखा अर्चना मेरे कमरे में आई हालांकि मै उसे पढ़ाता नहीं था तब |उसने मुजहें प्रपोज करते हूएं कहा की सर क्या आप मुझसे शादी करेंगे ,मैंने यह महसूस किया की उस समय कोई नकारात्मक शक्ति भी आस पास थी |
मै चौक गया था क्योंकि इस तरह का प्रस्ताव किसी लड़की से मुझे पहली बार सामने मिला था |वोह भी सबसे अच्छी लड़की से | पर मैंने उससे कहा की अभी मेरे करिअर की बस सुरुआत है और आप पढ रहे है ,आप सबसे अच्छे है |अभी हम सब यही है आगे देखते है |यह कहा कर मैंने उससे सम्मनजनक  तरीके से समझाया |
उसके जाते ही मै मन ही मन खुश था की ऐसि अच्छी लड़की ने मुझे प्रपोज किया था |पर मै जैसे ही कमरे से बाहर निकला देखा की देवेश अपने दोस्तों पंकज के साथ आया और बोल की सर देखोइए आपको एक लड़की से प्रपोज करवा दिया |अभिषेक सर ने हम लोगों को बताया था की आप इस मामले में बेकार है |देखिए आप कुछ कर नहीं पाएँ | अब आप दीप का काम कर दिएगा |वरना आपके सब लोग  आजकल खिलाफ है |
मै इस धमकी से सन्न रह गया |मै समझ गये की अर्चना को देवेश ने बेवकूफ बनाया है क्योंकि मै क्लास में खुले आम अर्चना और ईशा की खुलेआम तारीफ कर देता था |
लेकिन अर्चना का प्रपोज करना वास्तविक था क्योंकि वोह अच्छी लड़की थी | मैं अर्चना की वजह से चुप था मैंने उसे कुछ नहीं कहा बल्कि अर्चना से कहा की अब वोह मेरे कमरे  में मत आयें वरना यह उसको बदनाम करनेगे | मै आते जाते उसके हाल पूछ लेता था |तब से मैंने किसी लड़की की आज तक खुले आम तारीफ करना छोड़ दिया था |
बाद में मुझे यह पत्ता चल की देवेश दीपाली को भी बेवकूफ बनाता था |मैंने तय कर लिया की दीप के जबरदस्ती नंबर नहीं मै बढ़ाऊँगा |और वोह पास नहीं हुआ |इसका खामियाजा यह था की जब मै फसाय गया  तो  सरन साब ने मुझे फसने दिया |
अरुण चतुर्वेदी महान चरित्र थे एक बार अर्चना उनसे कह कर गईं की सर १० मिनट बाद आऊँगी लाइब्रेरी जा रही हूँ |तो चतुर्वेदी बोले १० मिनटुए तो क्लास होगी |चतुर्वेदी की क्लास जोक्स से भारी होती थी |एक बार उन्होंने हाथ की घड़ी ब्लैक बोर्ड  में रखी और बोलें मै देख रहा हूँ की कौन क्या कर रहा है तो बच्चों के चॉक मार दी  उन्हें | वोह छात्रों के लिए एक आइटम थे |वोह और विपिन  बेशर्म थे  |
मैंने स्नातक कोर्स के दूसरे  साल के छात्रों को c पढ़ानी    सुरू की |मै उन्हें बहुत दिल से पढ़ाता था |धीरे धीरे मैंने उन्हें ३ घंटे की क्लास ले कर पढ़ाना सुरु कर दिया |अच्छे विद्यार्थियों के लिए यह सुनहर्र अवसर था |मै कहता था की आप मुझे  मेहनत करने दें |आप लोग सिर्फ क्लास अटेन्ड करें |मै इतनी मेहनत करूंगा की २० साल बाद भी आप याद रखोगे |पर क्लास के आधे लोगों को पढ़ाई में कोई रुचि नहीं रह गई थी |उन्हें हवा लग गई थी | उनमें से कुछ को मैंने छेड़ छाड़ पर बेइज्जत भी किया था | उन्हें अतुल दीक्षित और अवदेश का समर्थन था |वोह लोग कॉलेज में नंबर बढ़ाने का धंधा करते थे | वोह मुझसे बहुत छिड़ते थे | लेकिन अच्छे लड़के लड़कियां इसका  फायदा उठाते थे |  खास कर क्लास की टापर पूजा जो बहुत संस्कार वाली हर चीज में तेज और निपुण लड़की थी |वोह विसविद्यले की उस समय की सबसे होशियार लड़की थी |वोह हमेशा टापर बनी और गोल्ड मेडल भी पाई |
बॉबी मेरे पान मसाला छुड़वाना चाहती थी पर मुझे नहीं छोड़ना था |इस बात पर धीरे मै उससे चिद गया |मैंने  उस पर गुस्सा भी किया कई बार |यह देख कर ममता को भी बुरा लगा | बॉबी का दिल टूट गया |एक दिन राहुल जी ने मुजहें सब के सामने बुरी तरह धो दिया की सर आपको पत्ता है की यह क्लास की सबसे दुलारी लड़की है और यह हम लोगों को नहीं आपके पास गर्ल फ्रेंड की तरह जाती है |
और आप उसके साथ बदसलूकी करते हो |पर मुझे यह समझ नहीं आया |पूजा भी मेरी मेहनत देख कर धीरे धीरे मुझे घर के सदस्यों की तरह ही इज्जत करने लगी |पर जब मैंने देखा की अच्छा रिजल्ट नहीं दिख रहा है तो मै बुरा महसूस करने लगा |उस समय  एक बार फिर अपरिपक्वता दर्शी |मुझे कुछ टॉपिक फिर से पढ़ाने चाहिए  थे |पर मै ऐसा नहीं कर सका |
मुझे अरुण और विपिन ने पूजा के खिलाफ कुछ बोल दिया |मैंने उसकों बेइज्जत करना सुरू कर दिया यह तक की एक दिन  उससे बोल दिया की मेरे चेहरे की ओर क्यों देख रही हो ,मुझसे  दूरी बना कर खड़ी हो |
पर उसने सब बर्दाश्त किया |क्योंकि वोह मेरी पढ़ाने  के अंदाज की सबसे बड़ी प्रशांशक बन  चुकी थी | मैंने उस सत्र  में उसकी प्रतिभा के हिसाब से नंबर नहीं दिए |कई साल बाद उसने मुझे बताया की मेरी वजह से वोह कई बार परेशान  हो जाती थी लेकिन फिर यह सोच कर भूल जाती थी की मै बहुत मेहनत कर के पढ़ाता हूँ |यह उसकी महंत थी की उसने मुझे  माफ कर दिया |
मेरी मेहनत के बाद भी  छात्रों ने अच्छे नंबर नहीं लाएँ |हा अच्छे छात्रों की विषय में मजबूत पकड़ जरूर बन गईं |मैंने कहा  की अगली बार जब तथ्य संरचना आप लोगों को पड़ूँगा |तब कम  समय की ही क्लास लूँगा क्योंकि आप लोग अभी हर विषय के विस्तार में मत जाइए |
मुझे उस क्लास की कुछ लड़कियों को डाटने की गलती की  थी | मैंने वादा किया की अगली बार से मै किसी को भी नहीं डाटूँगा |मेरे मना  करने पर भी अंशुमान रैकवार  नाम के छात्र ने नंबर के लिए आईआईटी से आयें इग्ज़ैमनर से जुगाड़ लगवाई |
इधर इसी क्लास से विपिन चंद चिद गया था |एक बार लड़कों ने परबेश चंद्र से जबरदस्ती उसके उलझने पर उसकी शिकीयत कर दी थी |वोह इन लोगों  से बदला  लेना चाहता था |वही निकुंज शर्मा बॉबी को एक तरफा  चाहने लगा  यह सब जगह जाहीर  होने लगा |अगली बार मुझे चार विषय दे दिए गायें |बहुत बिजी था अगला सत्र |
मै पर स्नातक के प्रथम वर्ष में तथ्य सरनाचना और स्वतः चलन मशीन पढ़ाने गया था  |अब मै उनमें बहुत परिपक्व था |छात्र पूरी तरह अनुशाहित थे | मै तीन घंटे उन्हें पढ़ाता था |उन्हें मेरी क्लास एक क्लैसिकल मूवी की तरह लगती थी | एक एक शब्द उन्हें समझ में आता था |मैंने उन्हें  दोनों विषय बहुत विस्तार से पढ़ाये थे | मेरे कॉलेज के सुपर जूनियर जो एक प्रसिद्ध सरकारी कॉलेज के निदेशक के पुत्र थे ने एक बार जब मुजहें मिलें तो बताया की उस क्लास के छात्र उन्हें  मिलते हैं और कहते है की आप बहुत ज्यादा  मेहनत करके पड़ते हो और बहुत ही अच्छा पड़ते हो |
आपकी हर क्लास ३ घंटे की होती है |एक अनुराग तिवारी थे जो हमेशा मेरी क्लास के बाद क्लास लगवाते थे |  ताकि उन्हें कोई क्लास न लेनी पड़ें | मुझे लोगों ने बता दिया था की मेरी लोकप्रियता दूर दूर तक है | एक बार मै एक पुराने कॉलेज के बड़े नामी टीचर जुगल जी से मिल तो उन्होंने मुझे  बताया की बच्चें आपकी बहुत तारीफ करते है | आप कम उम्र में ज्ञान के अलावा पढ़ाने की आढ़भूत योग्यता रखते  हैँ | लेकिन अरुण चतुर्वेदी  ,विपिन और अनुराग  मुझसे ईर्ष्या रखते  थे |
विपिन चंद अपनी छोटी बहन की शादी भी मुझसे करना चाहता था पर मुझे पत्ता था की वोह भी इसकी तरह अच्छे चरित्र की नहीं है |इसलिए यह नहीं होना था |
विपिन चंद स्नातक की दूसरे साल की  क्लास में जा कर सब के साथ बदतमीजी करने लगा |वोह मेरा नाम भी जबरदस्ती लग्गा देता था |उसकी पढ़ाने की शिकायत हर जगह से होने लगी थी |उस क्लास के अच्छे लड़के लड़की  परेशान रहने लगें क्योंकि उनकी क्लास के ही और लड़के लड़की उनको तंग करते थे | निकुंज बॉबी को पाने की चाल चलता था |और हेमवती जी को उलट बदनाम करता था | मैंने सोचा अब बहुत हो चुका इस क्लास में पढ़ाना आगे से नहीं पढ़ूँगा |मैंने पूजा ,ममता और बॉबी के सामने यह बोल दिया |यह सुन कर पूजा ने कहाः की सर आपका बहुत धन्यवाद |मैंने कहाः की क्यों उसने कहा  की इतना अच्छा और मेहनत करके पढ़ाने का | वोह सबसे पाड़ाई में अव्वल थी उसकी यह तारीफ मेरे लिए किसी पुरुस्कार से काम नहीं थी |मै खुश हो गया उसने यह सब भावुक हो कर कहा था |
वोह विश्वानीय व्यक्ति थी |जो बोलती थी वैसे ही करती थी | वोह बुद्धिमान के साथ बड़ी खूबसूरत थी शक्ल प्रियंका चोपड़ा की तरह |पर यह देख कर बॉबी को बड़ा धकखा पहुच क्योंकि उसे लग्गा की अब मै पूजा का हो गया हूँ |ममता उसकी सच्ची दोस्त थी |उसे भी दुख हुआ |क्योंकि वोह भी मेरी शादी उसके साथ हो जाएँ यह चाहती थी |पर मै तो बस अपनी ड्यूटी कर रहा था |
निकुंज शर्मा इन सब बाताओं का फायदा उठा रहा था वोह मेरे पीछे सब को खूबह भड़कता था | उसे अरुण चटरूवेदी का साथ था | आलोक यादव नाम का लैब का व्यक्ति भी अरुण के गैंग  में आ चुका था |
क्लास के अच्छे लड़के लड़कियां  मेरी सिर्फ तारीफ करते थे ,वोह मेरी बुराई सुन नहीं सकते थे और बुराई करने वालों से बोलना बंद कर देते थे |
उसी क्लास में एक रिटाइर बड़े अधिकारी का लड़का राहुल शुक्ल भी पड़ता था | उसकी हर टीचर चमचागीरी करते थे सिवाय मेरे |मैंने उसको अपना भाई समझ कर बताया की वोह भी अपना मन लगाएँ पाड़ाई में |पर निकुंज,शिवंशऊ ,विकास ,रोहित ,अतुल,अवदेश, फ़ौजिया उसको बेवकूफ बनाते थे  |धीरे धीरे वोह मेरी क्लास में भी नहीं आता था |
वोह मेरी तारीफ करता था ऐसा उसने इलेक्ट्रानिक्स के विशाल अवस्थी  जी से भी की |उसका चाचा हरीशंकर अच्छा आदमी नहीं था | वोह किसी  लड़की के प्यार में पड़ गया था |स्नातक के प्रथम वर्ष के छात्र कम  थे |मै उनको पास्कल पदाता था |अबकी बार मै उसे बहुत अच्छे से पढ़ाता था |छात्रों को प्रोग्रामिंग बहुत अच्छे से आ गईं|बहुत साल बाद भी उन्होंने  ईमेल के जरिए यह बात साझा की थी | मै इतना गंभीर था की क्लास में १५ मिनट पहले पहुच जाता था |इसकी एक महान आईआईटी के प्रोफेसर दिवाकर शर्मा खूबह तारीफ करते थे |वोह मेरे जीवन भर के प्रसंसक है |
अगले साल के लिए नए टीचर आने थे | मेरे साथ पढ़ी एक पञ्जाबी लड़की अंतरा भी नौकरी के लिए आती थी |उसे अरुण चतुर्वेदी लाते थे | वोह ऐश्वर्या राय जैसी दिखती थी |उसका चरित्र  साफ जल  की तरह था  | मैंने उसकी हर तरफ तारीफ ही सुनी थी | हम लोग सलवानी सर की कोचिंग में पड़ते थे |वोह इतनी सुंदर  थी की मेरी तो उससे खुद से बात करने की हिम्मत नहीं होती थी |
मेरे एक दोस्त जो अब मेरे रिस्तेदार भी है श्री आशीष वोह भी उसी कोचिंग में पढ़ते थे |मेरे गृह नगर में उस वक्त बहुत बुरा माहौल था |एक दिन एक मनचले कोचिंग में पढ़ने वाले ने अंतरा  पर फब्तियाँ कसनी  सुरू कर दी | अंतरा ने बड़ी शालीनता से उसे ऐसा सबक सिखाया की वोह चुप हो गया |आशीष भाई को उनसे प्यार हो गया |उन्होंने अंतरा  से शादी करने का फैसला किया |वोह उसके दोस्त बन गायें |और कॉलेज खतम होते ही उससे मिल कर पाने मन की बात काही |अंतरा एक महान चरित्र ���र अच्छे खयालों की लड़की थी |वोह प्यार में नहीं सिर्फ शादी में विश्वास रखती थी |उसने कहा  की आप बहुत अच्छे हो मेरे घर रिश्ता  ले कर आओ | आशीष भाई को दुर्भाग्य से नौकरी समय पर नहीं मिली |
इसलिए उनका प्यार अधूरा रह गया |वोह भी सच्चे प्रेमी थे |उन्होंने मुझे यह बात बता  दी थी |वोह गजब के सुंदर थे | मैंने इसका खयाल रखा |अंतर जब भी आती थी मै उनका खयाल रखता था पर कभी किसी को यह बात नहीं बताई | अरुण चतुर्वेदी उनके पीछे उनको अपनी गर्ल फ्रेंड बताते थे | वोह खुद शादी शुदा थे |पर अंतरा के दम पर सब पर रौब डालते थे |वोह बहुत सस्ते ख्यालों के थे |धीर धीरे उन्हें अंतर से सच्चा प्यार हो गया |इसकी वजह से उनकी और उनकी पत्नी में कभी नहीं बनी |वोह मरते दम तक अन्तरा  से प्यार करते रहे |
मै अपने करिअर के दूसरे साल में ही उचाइयों पर था | कुछ साल बाद मुझे २००५ में बंगलोरे में जब मै नौकरी में नहीं था तो पोस्ट ग्रैजूइट के दोनों साल के छात्र मिले तो एक हिन दिन में मुझे १० लोगों की कल आ गई उन सबने मुझे अच्छे बर्ताव और मेहनत कर के  पढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया था | मेरे दोस्त अंबिकेश मुझे घर ले गए और उन्होंने मुझे जो प्यार दिया वोह आज भी यादगार है |
उसी वक्त विपिन ,अरुण ने और खेल खेलने सुरूर कर दिए |विपिन पढ़ाता कम और प्रेज़न्टैशन  ज्यादा लेता था |उन लोगों ने प्रोजेक्ट के बहाने टीम बनानी सुरू कर दी |हेमवती भी शामिल हो गायें लैब वालों के साथ और फिर लड़कियां बाटने लगें | उनके इरादे पढ़ाने के नहीं थे |
उसी वक्त स्नातक के दूसरे  साल के लड़के विकास त्रिवेदी और रोहित कालरा लैब में मन माने तरीके  से आते थे |मैंने उन्हें टोका | उन सब को चाचा हरी शंकर, अतुल दीक्षित और अवदेश का हाथ था |वोह मुझसे अकड़ने लगें |
और फिर आया एक काला  दिन जब सुबह सुबह पता चला की राहुल शुक्ल ने आत्म हत्या कर ली है | विपिन बहुत चालाक था |निकुंज मुझे यह बताने आया |तो मैंने पूछा क्यों ऐसा किया तो वोह बोल पता नहीं |विपिन जाते ही उसके बोल की आयुष्मान तुम्हें यह लोग आसानी से फसा सकते है क्योंकि तुम आज कल इन लोगों  के निसने पर हो |
विपिन को पत्ता था की निकुंज बॉबी को किसिस भी कीमत पर चाहता है |और इसलिए निकुंज मेरा दुश्मन था |निकुंज ने यही किया वाहह जा कर मेरा नाम डाल दिया |हरीशंकर को लगा की इससे उसके परिवरे की इज्जत बच जाएगी |तो उसने सब के सामने मेरा नाम डाल दिया | राहुल जी ,दिनेश जी और सचिन जी भीड़ गायें वाहह निकुंज से पर वोह अकेलेल क्या करते | वोह मेरे पास आयें और मुझे बतेय सब मै समझ गेय की अब यहा की साजिश मेरे बस के बहहर है मैंने उनसे कहा की शायद  अब मै तुम लोगों से न मिल पाउन | तुम लोग शांत रहना और अपना खयाल रखना |वोह दोनों दुखी हूएं |फिर भी मै अगले दिन आय्या तो देखा की अरुण चतुर्वेदी मेरे रूम में दो बद्धमाश राजीव द्विवेदी और एक पहलवान ले कर आया है | उसने विपिन को भी पकड़ लिया |वोह मुझसे कहने लगे की लड़के कह रहे थे की आप पहले बहुत अच्छे थे पर इस विपिन ने आ कर आपकों खराब कर दिया  | उन लोगों ने विपिन को गाली देना और मारना सुरू कर दिया यह देख कर जैसे ही मैंने उसे बचाना  सुरू किया |उन लगो ने चप्पल डंडों से मुझे पीट दिया |मेरा चसमा  तोड़ दिया मेर पीठ में महीनों निशान रहे | मुझे जैन मैडम ने आकर बचाया |मै समझ गया की सब के सब मिले है |मेरे दोस्त प्रवेश बहुत दुखी हुआ बस | अगले दिन उन लोगों ने उलट मुझे ब्लैक्मैल कर के अखबारों में झूठी खबर मेरे विरोध में डाल दी | ऐसा कर के वोह लोग मुझे पुलिस में शिकायत करने  से रोक रहे थे | मैंने शरण जी से बात करने की कोशिश की पर वोह  राजनीति करने लगे | केवल तिवारी मैडम जैन मैडम के साथ तयार हुई थी|विपिन चंद उलट जा कर अंशुमान राइक्वार से मिल कर और लड़कों को मेरे खिलाफ कर गया |इलसिए अखबार में उसका नाम नहीं आया |मै टूट गेय |क्योंकि मै सच्चा था ,सच की लड़ाई लड़ रहा  था  | मेरे लिए यह गलत सबक था |क्योंकि मै बहुत अच्छा और सच्चा इंसान था |मेरे रिस्तेदार भी मेरे साथ नहीं थे | मै टूट  गया था |मेरे खिलाफ कॉमिटी बनी |पर मै बेकसूर था  इसलिए कुछ हो न सका |मैंने इस्तीफा दिया और चल गेय दिल्ली के आसपास एक छोटे से कस्बे में पढ़ाने |
मेरे जाने के बाद मुझे बॉबी का सदेश ममता के जरिए मिला की मै उससे संपर्क करून |पर मै लड़कियों के मामले में कच्चा था  मुझे किसी से मदद लेना भी नहीं आता था | मेरे जाने के बाद बॉबी की खूबह खिचाई लड़कों ने की |वोह अकेले रह   गईं |निकुंज ने उसे पाने के लिए मेरे खिलाफ खूब कोशिश की |बॉबी की वजह से अंजलि भी मेरे विरुद्ध  हो गई | ममता को भी निकुंज ने बर्गल दिया |हेमवती भी मेरी मदद करने की जगह मुझे हतोत्साहित करने लगें |
अंतरा ने वहाँ जॉइन किया उसे मेरे खिलाफ की बातें सही नहीं लगी |उसने पर स्नातक के लड़के लड़कियों से मेरे ब��रे में जाना तो उन्होंने मेरी खूबह तारीफ की |लड़कियों ने कहा की वोह बहुत अच्छा पदाते थे साथ ही अच्छे चरतिर के थे और हम सब के चरित्र की रक्षा जान की बाजी लगा के करते थे |लड़के लड़की बहुत निराश थे |वोह आयुष्मान को मन से प्यार करते थे | अंतर बड़े दिल की बहादुर लड़की थी |उसने आयुष्मान के दोस्तों पञ्जाबी लड़कों अमित विरमानी और मोहित खन्ना को स्नातक में पत्ता करने को बोला |वह के अच्छे लड़के लड़कियों ने  भी  यही बताया | अंतर जान गई आयुष्मान की सच्चाई को उसने तिवारी  मैडम से कहा की आसयूहमन तो हीरा है ऐसे लड़के आज कल नहीं होते मै उससे शादी करूंगी | वोह अपने मन की बातें मोहित और अमित को बताती |वोह उससे कहते की तुम तो उसके लिए त्रिदेव की माधुरी की तरह दीवानी हो गई हो और गया रही हो की मै तेरी मोहब्बत में पागल हो जाओगी | मोहित और अमित  ने मुझे यह बात बहुत दिन बाद बताई | वोह दोनों सब हीरो से सुंदर लगते थे ,वोह कहते थे की पञ्जाबी अंतरा जो उस समय शहर की सबसे सुंदर लड़की थी |उसने हम दोनों पुंजाबियों की जगह तुम्हें पसंद किया था |
यह तुम्हारे लिए सुनहरा अवसर था |उधर गर्ल्स होटल में दो गैंग  बन गायें |पुरानी दीवाणियाँ अंजलि और बॉबी मेरे विरोध में थे और कणिका ,दीपाली,अर्चना  और स्नातक की लड़कियां जिनकी इज्जत मैंने बचाई थी वोह मेरे समर्थन में थी |मेरी वजह से वह खूबह लड़ाईयां होती थी | पूजा और उसके क्लास के अच्छे लड़के लड़कियों ने अपने क्लास के और लड़कों से दूरी बना  ली | वोह जूनियर लड़के लड़कियों  के साथ रहने लगें |वह की दुश्मनी आज तक उन सब की बनी हुई है | २०११ में आयुष्मान को पत्ता चल की निकुंज ने बॉबी से शादी कर ली |बॉबी आज तक निकुंज के अलावा किसिस के संपर्क में नहीं थी |
मेरे जाने के बाद वह स्थायी सरकारी नौकरी पाने का ख्वाब देख राहे प्रेम चोपड़ा और रंजीत को भी वाहा से हटा दिया गया | दोनों लेकिन फिर भी दिल्ली से अंतरा के चक्कर  में शनिवार को आते रहते थे | रंजीत अंतरा  से शादी करना  चाहता था तो प्रेम अपनी पत्नी को तलाक दे कर उससे शादी करना चाहते थे |वही अंतरा  आयुष्मान की दीवानी हो चुकी थी |
पर आयुष्मान के सबसे बड़े दोस्त बन चुके राहुल ,सचिन ,दिनेश और पूजा ने आयुष्मान से समपर्क कर लिया |पूजा की भावुक ईमेल ने आयुष्मान को मजबूती दी |राहुल,दिनेश और सचिन आयुष्मान के परिवार से जा कर भी मिलें | दीपिका ,आँकी,आकांक्षा सब ने आयुष्मान के समर्थन में बोला  |ममता पहले ही आयुष्मान के घर वालों से उसके समर्थन में बोल चुकी थी |लेकिन निकुंज उससे चाल  चल गया |
अंतरा ने अरुण चतुर्वेदी से आयुष्मान की तारीफ की और कहा की उससे आप मेरी शादी की बात करो |पर वोह क्यों करता वोह तो खुद शादी करना चाहता था |विपिन ने जब अंतरा  से ऐसी कोशिश की तो उसने विपिन की शिकायत कर दी |
वोह निर्भीक थी |अरुण चतुर्वेदी सतर्क  हो गायें और आयुष्मान की अब तारीफ करने लगें और आयुष्मान के दोस्त बन गायें |वोह चुपछाप यह पत्ता करने में लग गएँ की अंतरा  और आयुष्मान आपस में न मिलें |अरुण चतुर्वेदी को अंतरा अपने बड़े भाई जैसा मानती थी |पर वोह उससे मन ही मन प्यार करते थे | आगे कई साल अंतरा ने जब भी अरुण चतुर्वेदी से आयुष्मान का नंबर मांगा तो उसने अंतरा को नंबर नहीं दिया |बल्कि आयुष्मान से बहाने से पूछते रहते थे की काही अंतरा ने उससे संपर्क तो नहीं किया |खैर २०२२ में वोह दोनों कुछ दोस्तों के प्रयास से एक दूसरे के फिर करीब आयें |विपिन आज भी अंतरा की वजह से आयुष्मान से दुश्मनी मानता है | अरुण चतुर्वेदी वैसे तो बड़े फरेबी थे पर अंतरा से मन ही मन सच्चा प्यार करते थे |इसका फायदा उनको यह हुआ की उन्होंने बाद में अपने पढ़ाने का स्तर सुधारा |पर अपनी सीधी सादी  पत्नी को वोह कभी प्यार नहीं कर पाएँ | और उनसे दूर ही दूर रहे |लोगों में उनको पागल साबित करने में लग गए |इसका खमियाजआ  उन्हे भुगतना पड़ा |वोह अकेले ही रहे और बाहर का खाना खा कर बीमार रहने लगें और हृदय की बीमारी से एक दिन मर गएँ |उनकी पत्नी उनके मरने पर भी उनकी बेवफाई को माफ न  कर सकी |
हुआ यह था २००४ में आयुष्मान तेवरी मैडम से मिलने आया |वोह परेशान था क्योंकि उसकी बहन की सगाई टूट गई थी | तिवारी मैडम ने अंतरा के बारे में उससे कहा की उससे शादी करनी हो तो घर में पूछ कर बतलाऊँ |आयुषमन को विश्वास नहीं हुआ क्योंकि एक तो अंतरा बेहद खूबसूरत  थी ,उसे विस्वास नहीं हुआ की उसे ऐसा मौका मिल रहा है  |उसने कहा की मै घर में बात करता हूँ |मैडम ने कहा देखो वोह बहुत अच्छे चरित्र की लड़की है वोह सिर्फ शादी करेगी |
आयुष्मान उनके यह से बाहर निकाल  उसे एक रास्ते में भीख मांगती बूढ़ी  औरत ने रोक और उसके अंदर एक आत्मा ने उसे धमकाया की अंतरा के रिसते की बात मतब घर में बोलना वरना तुम्हारी बहन की जिंदगी बरब्बाड कर देंगे |आयुषमन सहमा  और जैसे ही घर के पास पहुच एक शक्ति ने उसे सब भूला  दिया की उसको अपनी जिदगी का सबसे अच्छा रिसता मिला था |वोह भूला कुछ भी नहीं याद कर पाया | जब भी आयुष्मान को अपने आस आस कोई नकरतं शक्ति तो उसे कुछ रहस्यमय आवाज सुनाई देती थी |तिवारी मैडम को बुरा लग्गा क्योंकि वोह अंतर को बेटी मानती थी |अंतरा की शादी हो गई जल्दी | आयुषमन अंतरा से शादी को अपनी खसुकिस्मती मानता |पर ऐसा किसी रहस्यमय शक्ति की वजह से न हो सका था |
कुछ वर्षों बाद आयुष्मान के पिता को यह बात पत्ता चली तो उन्हें भी बड़ा दुख होता था |वोह खुद अंतरा के अलावा बॉबी की घटना को भूला नहीं पाते थे  |वोह अपनी अंतिम सांस तक उसे दोनों के बारे में याद दिलाते रहते थे |
 प्रवेश वहा के सबसे अच्छे इंसान थे |श्रवण सबसे अच्छे टीचर ,अमित विरमानी सबसे खूबसूरत टीचर और मोहित हीरो जैसे लगते थे |
मैंने घूसह खोरी ,बेमानी ,चरित्र हीनता ,बड़े घर के छात्रों का पक्ष लेना , छेड़ छाड़ के खिलाफ जंग लड़ने के लिए इनाम मिलन चाहिए था पर उलट चरित्र हीन  लोग ही मुजहें ज्ञान देने लगें |मै छात्रों से प्यार करता था इसलिए उनके पास कभी मदद मांगने नहीं गया |मैंने जो राहुल,सचिन से कहा उसे निभाया |
मै आज भी आत्म हत्या करने वाले छात्र राहुल शुक्ल को हमेशा अपना पित्र  मानते हूएं जल देता हूँ |उसके चाचा हरिशंकेर ने घमंड में आ कर निकुंज की झूठी बात को सही कहलवा दिया था |
हेमवती जी एक बार आयें और बोले की ममता का जनमदिन ८ ऑक्टोबर का है उसके घर जा कर गिफ्ट दे आना |उसने तुम्हारी मदद की थी |मुझे उसकी बात बिल्कुल अच्छी  नहीं लगी |क्योंकि वोह मेरे बहहने उसके घर जाना  चाहता था |
वह से जाने पर तिवारी मैडम ने मुझसे कहा की तुम्हारा  इक्स्प्रेशन बहुत ही कमाल का है ,तुम टीचिंग मत छोड़ना |कुछ साल बाद वहा  के अच्छे  छात्र छात्राओ ने मुझसे सामाजिक तत्र से दोस्ती स्थापित कर ली | सबसे ज्यादा बार मुझसे  से इंजीनियरिंग का मनीष मिला | मुझे  बहुत खुशी हुई | राहुल जी कुछ साल बाद मेरे विभाग में ही ऑफिसर बन गायें |
राहुल जी,सचिन जी और दिनेश जी जैसे सच्चे हमदर्द दोस्त किसी भाग्यशाली टीचर को ही मिल सकते थे |पूजा मेर चैट फ्रेंड बन गईं |वोह मुझे चैट सिखाती थी |और परस्नातक पढ़ने वोह राजस्थान के नामी  लड़कियों के कॉलेज में गई और वहा से भी मुझसे परामर्श लेती थी |वोह बहुत संस्कारी और सब से प्यार करने वाली थी | उसकी वजह से बहुत से छात्र छात्राएँ मेरे करीब आ गायें | उसने खुले आम शरण जी से सब के सामने यह बोल दिया था की आयुष्मान सर की कोई गलती नहीं थी |उसने कभी किसी की परवाह नहीं की थी | थोड़े साल बाद ऑर्कुट सुरू हुआ तो वोह खुल कर मेरे लिए अच्छा टेस्टीमोनियल लिखती थी |वोह खुले दिल की लड़की थी |उसके घर में सब उस पर फक्र करते थे |आयुषमन से  विभाग में कई लड़कियां शादी करना चाहती थी  |वोह सब उसके बारे में पत्ता करती की कौन है अपने टीचर की इतनी बड़ी प्रशांशक |और वोह उसके विभाग में भी लोकप्रिय  हो गईं |आयुष्मान और पूजा अब एक दूसरे  के सच्चे दोस्त बन चुके थे |  पूरे नगर में  में आयुष्मान और उसके परिवार की इज्जत तो चली गई थी पर वोह अच्छे लोगों की नजर में हमेशा का हीरो  बन चुका था | अच्छी लड़की अर्चना फिर कभी नहीं मिली उसको बस  फेस्बूक दोस्त बन कर रह गई |दिवनियाँ अंजलि और बॉबी उससे नफरत करने लगी | नगर  की सबसे सुंदर लड़की अंतरा जो उसे शादी करना चाहती थी की भी शादी हो गई थी |मगर उसके पास थी आज तक की उसकी सबसे बड़ी दोस्त पूजा जो विसविद्यले की सबसे पढ़ने में तेज लड़की थी |पूजा उसकी सबसे बड़ी प्रशहक बन चुकी थी |क्योंकि ऐसा हीरो वाहह आज तक नहीं आया था | आयुष्मान ने जिन लकड़ियों की इज्जत बचाई थी उन लोगों के बारे में कभी कुछ नहीं बोला |यह जान कर अच्छे लोग बाद में उसकी महानता को आज भी सलाम करते है |वोह अपनी प्रश्नसक पूजा का सबसे बड़ा हीरो था |जिसे आयुष्मान के साथ हुए हादसे का सबसे ज्यादा दुख था | दुबला पतला आयुष्मान कम उम्र में बहुत बड़ा काम करने की हिम्मत कर गया | पूजा उसकी जिदगी भर की हर परिस्थितही में साथ देने वाली दोस्त बनी रही  |
२०२१ में रंजीत ने उसे बताया की अनजली इंग्लैंड में बस चुकी है और उसने जिदगी में बहुत अच्छा किया है |आयुष्मान समझ गेय की अनजली रंजीत से कभी नहीं मिलन चाहेगी |वोह समझ गया की वोह उसके लिए ही रंजीत से मिली होगी |उसे पूरी कहानी याद आई और अपने हैन्सम प्रोफेसर दोस्त प्रवेश जी को यह बात बताई तो वोह तुरंत बोलें और भूले ,तू भी बड़ा भोला है हम सब जानते थे की वोह दोनों तुम्हारी वाहह की सबसे बड़ी फैन  थी |
"अरे भूले इंसान सब भूल जाता है यह बातें भूलने वाली होती है क्या “
कुछ दिन बाद हरभजन भी उसके संपर्क में आया वोह समझ गेय की अंजलि को वोह मेरी खबर  आज भी देता है |दोनों आज भी बेमिसाल दोस्त है |
आयुष्मान को धीरे धीरे अब वाहह की बातें याद  आने लगी | वोह अब बड़ा रसूख वाला अधिकारी था | पर अपने छात्रों को किया गया उसका प्यार उसे याद आता था |शायद घर के बहहर मैंने तब पहली बार किसी को सच्चा प्यार किया था |मेरा पहला सच्चा प्यार था मेरा जुनून टीचिंग और मेरे छात्र छात्राएँ | उन लोगों के प्यार में मैंने एक सच्चे आशिक की तरह सारे परेशानियाँ झेल लिए थे |मेरा करिअर और  जीवन खत्म  भी हो सकता था |
आँखों में आँशु के साथ  भावुक हो कर मै अपने अच्छे स��टूडेंट्स के लिए बोल पड़ा “ साला  भाव बढ़ा कर रख दिए थे इन साले  सब ने  मेरे तब “
मै तब पुराने ख्याल का था किसी छात्रा  के साथ विवाह करना मुझे  सही नहीं लगता था |
पर पूजा के गुण असंख्य थे |मुझे यह पत्ता चला की वोह मेरे लिए किसी चीज की परवाह नहीं करती |तो मुझे उससे मन ही मन प्यार हो गया |पर मैंने किसि को कुछ नहीं बोला |
वोह ईमेल और फोन के जरिए मुझे संपर्क में रहती |शायद उस उम्र में हर एक को एक हौसला बढ़ाने वाली गर्लफ्रेंड चाहिए होती है |बाद में मुझे पत्ता चल की उसका कोई और भी दोस्त था पर इसके बाद भी वोह मुझ पर पूरी तरह समर्पित दोस्त थी |वोह मेरी हर अच्छाई समझती थी |उसे मुझ पर विश्वास था वोह मुझे करिअर में अच्छा करने की प्रेरणा देती थी |पूजा मेरी बिरादरी की थी मेरे गृह नगर की भी |पर मुझे किसि से अपने प्यार के बारे में बात करना नहीं आया कभी |मेरे हर दोस्त मुझे अपने प्यार के बारे में बाते थे |न मै उसे कभी कह पाया न किसी को यह बात बता पाया’|
बाद में मै बहुतों के हीरो बना |आयुष्मान की दिक्कत थी की वोह लड़कियों के संकेत नहीं समझ पत्ता था |अच्छी लड़कियां हमेशा आयुष्मान जैसे सच्चे और अच्छे लड़कों को ही पसंद करती थी |पर उनके पास अच्छे लड़कों को खुद जानना पड़ता है |आयुष्मानन को बुरे लोग यानि  लड़के लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं करते थे |
उसकी ममेरी बड़ी बहन बाबली दी ने उसको एक बार बोल था की किसी भी लड़की के लिए उसकी इज्जत ही सब कुछ होती है इसलिए जब भी हो सके अच्छी लड़कियों की इज्जत रखना मत भूलना | अपनी  बड़ी बहन की इस बात को वोह हमेशा गांठ बाँधें रखता है |
अंजलि ने उसकी वहा  नौकरी बचाई थी ,बॉबी उसका पान मसाला की लत छुड़ाने के लिए आती थी और उससे शादी करना चाहती थी और उसकी गर्ल फ्रेंड कहलाती थी |अर्चना जैसे अच्छी लड़की उसे शादी करने के लिए प्रपोज कर बैठी |
सोनाली ने पूछा की वोह इन तीनों के बारे में अब क्या सोचता है तो वोह बोला
“वोह इन तीनों को शादी शुदा हो कर भी प्यार  करता है और उन सब को अपनी दुआओं में हमेशा शामिल रखता है ”|
उसे बॉबी से विशेष प्यार है क्योंकि उसका पति निकुंज बहुत खराब इंसान है विपिन की तरह|उसे लगता है की वोह खुश नहीं होगी और आयुष्मान को बॉबी का ही दिया गया श्राप लगा है |वोह उस व्यक्त बॉबी का प्यार समझ नहीं पाया था |उसके पिता बॉबी की मासूमियत को अंत तक उसे याद दिलाते थे |
पत्नी सोनाली  ने कहा और अंतरा के बारे में क्या सोचते है  |
“ काश बरसों पहले उस दिन किसी नकारात्मक शक्ति ने मुझे अंतरा  के शादी का प्रस्ताव न भुलाया होता तो उसकी ज़िंदगी बहुत पहले से ही खूबसूरत होती “|
वोह पंजाबन मेरे  साथ पढ़ती थी इसलिए मै उसके लिए दिल से बोलता है “ए पंजाबन तुझ से मिलने के वास्ते हमें तो आना पड़ेगा इस दुनिया में दोबारा “
वोह मेरे साथ पढ़ती थी इसलिए बहुत अफसोस  होता है |मै जानता था वोह संस्कारी,पढ़ाकू  और वाहा की सबसे अच्छी लड़की  थी |अंतरा के पहले तिवारी मैडम मुझे अच्छा मेहनती लड़का कहती थी |पर अंतरा के बाद वोह मेरे लिए यही कहती है की “लड़कियां मेरी हर जगह यहाँ तारीफ करती थी “|मेरे उस विश्व विद्यालय छोड़ने के बाद अरुण चतुर्वेदी उर्फ प्रेम चोपड़ा गैंग के लड़के मेरी छवि तिवारी मैडम की नजर में खराब करने के लिए मेरी झूठी शिकायत ले कर उनके पास प्रेम चोपड़ा के कहने पर जाते थे |पर यह अंतरा थी जिसने यह सच वाहा की लड़कियों से निकलवाया की मै जान की बाजी लगा कर उनकी इज्जत बचाता था | मैंने उन सब लड़कियों से अपने से मिलने और इस बारे में किसी को बोलने से मना कर रखा था | मुझे यह सब बरसों बाद धीरे धीरे पत्ता चला |
अंतरा का यह अहसान मै भूल नहीं पाता की उसने निस्वार्थ रूप से मेरे चरित्र की सफाई वहा  की थी | जहा अधिकंश लोग गलत थे और मेरी अच्छाई के खिलाफ थे | एक सच्चे पञ्जाबी दोस्त के प्रयास से हम दोनों संपर्क में आयें है |
सोनाली बोली आप इतना बड़े और रसूख वाले अधिकारी है जिदगी में अंतरा या उसके परिवार के लिए अगर कुछ कर सक्ने का मौका मिले तो जरूर करिएगा  |
सोनाली बोली लड़कियां तो आप की इस उम्र में भी खूबह तारीफ करती है ,यानि लड़कियों के पसंदीदा स्कूल में साथ पड़ने वाली से ले कर  देश की सबसे काबिल अधिकारियाँ सब के पसनदीदा |
पत्नी ने कहा और पूजा के बारे में क्या सोचते है  |
आयुष्मान बोला उसने तो” मुझे रुतबे, जलवे,शराफत  ,बड़प्पन और अच्छाई सब में पछाड़ दिया था उस  उम्र में | कही कोई अपने टीचर से इतना सच्चा प्यार करता है” |
तो आयुषमन की पत्नी सोनाली  ने कहा की तों फिर आप दोनों ने एक दूसरे से कभी कहा की  नहीं | आयुषमन ने कहा कभी नहीं |
आयुष्मान ने सोचा और बोला की “ हम दोनो इतने अच्छे दोस्त है अगर हम दोनों शादी शुदा होते तो और बात होती  पर हम दोनों आज भी  किसी भी शादी शुदा जोड़े से ज्यादा  एक दूसरे  को प्यार करते है  और करते रहेंगे” |
हम लोग एक दूसरे से वर्षों से नहीं मिलें | यह एक अनकहा  प्यार है |पत्नी ने कहा यह तो आप के मन की बात है आप कैसे कह सकते हो की वोह भी |आयुष्मान ने उसे याद दिलाया  की २००७ में गीत ने उसको जागो के सर पर हाथ फेरने को कहह था तब उसने जागो को अपने ऊपर दीवाना होते देखा था |फिर गीत ने ऐसे ही बॉस के जरिए मुझसे करवाया  |दीवानी गीत ने अमेरिका जाने  से पहले सब को यह बात भावुक हो कर  बताई  थी |
फिर कब  मेरी आदत पड गईं थी  |मै पूजा से २०१५ में मिला तब वोह अमेरिका से आई थी |उसके दो बच्चियाँ भी थी |उसने मुझे बच्चों से  मिलने बुलाया  |मैंने जाते वक्त पहले उसकी बेटियों के सर पर हाथ रखा फिर उसके | यह मैंने आदतावस  किया था |पर मै जान गेय था की वर्षों पहले का यह आकर्षण दो तरफ था |
उसके  पति और ससुराल वाले उसकी तरह महान है |उसके घर वाले भी मेरी इज्जत करते है |उसने परिवार के लिए करिअर पर थोड़ा संतोष किया और अपने बच्चियों जो अमेरिका में पैदा हुई थी उनको भारत में  गुरुकुल भेज कर एक बहुत अच्छी मिसाल बनाई | मेरा उससे रिसता कार्मिक और जन्म जन्मांतर का है |
हम दोनों का रिसता मूक था कभी किसी ने इजहार नहीं किया |यह अनकहा प्यार है |वास्तव में हम दोनों जय वीरू जैसे दोस्त है |जब मैंने आप से शादी का फैसला किया तो आप में मेरे इस अनकहा प्यार पूजा की झलक सबसे पहले दिखी  थी |
अंजलि मेरे गाने और ईमानदारी से पढ़ाने की तारीफ करती थी |वही बाद में अंतरा मेरे बहुत अच्छे चरित्र की प्रशंसा करती थी |मुझे प्यार का एहसास अंजलि से विपिन को छेड़ छाड़ करते वक्त देखते हुआ था पर हुआ पूजा के साथ जब मुझे यह पत्ता चला की वोह मेरे जाने के बाद भी मेरे लिए खुल कर बोलती है | इससे पहले मै प्यार के बारे में सोचता भी नहीं था |  मेरी दीवानी बॉबी पूरे विश्व विद्यालय  में मेरी अच्छाइयों की  तारीफ करती थी |पर पूजा मेरे पढ़ाने ,मेहनत और मेरे लूकस की तारीफ करती थी |
पूजा से मुझे प्यार कैसे न होता | जब आपके खिलाफ आपके ही गृह नगर के सारे बुरे लोग आपके खिलाफ खड़े   हो और अच्छे लोग खामोश हो |तब विश्व विद्यालय में पढ़ाई, खूबसूरती और संस्कार में अकेले सब पर भारी  लड़की आपके लिए अकेले आपकी दोस्त बन कर सामने खड़ी हो  तो प्यार तो होना ही ���ा | उसकी क्लास के आधे  लड़के जो मेरे जाने के बाद  विस्व विद्यालय के  डॉन बन चुके थे की भी उसने पर्वाह नहीं की थी |
पूजा के लिए यही कहा  जा सकता है की “एक पूजा सब पर भारी ”|पूजा कब मेरी तीयचेर बन गई मुझे पत्ता ही नहीं चला |
मैंने उस के साथ कई बार गलत बर्ताव भी किया था |वोह तब मेरे लिए बोली जब उसकी क्लास में उस क्लास  की मेरी सबसे बड़ी दीवानी  बॉबी भी  धीरे धीरे मुझसे हमेशा के लिए दूर हो रही थी |
यह मेरा स्वभाव है की मुझे सिर्फ और सिर्फ अच्छे लोग ही पसंद करते है और बुरे लोग हमेशा नफरत ही करते है |शायद मै अच्छाई का प्रतीक हूँ |
मुझे हमेशा यह लग्गा की वोह मुझसे बेहतर है जैसा आपके लिए लगता है |लड़क लड़की के बीच में ७५ प्रतिशत सिर्फ प्यार का रिसता होता है ,२० प्रतिशत मुह बोले भाई बहन और ५ प्रतिशत वोह केवल दोस्त बनते है |
सोनाली ने कहा की मेरी पूजा से दोस्ती करवाइए ,ऐसे दोस्त कहा  मिलते है | मुझे उससे दोस्ती करनी है | वोह सबसे अच्छी इंसान है |
सोनाली ने कहा की मुझे लगता है भगवान फिर से आप को अंजलि और फिर उसके  जरिए बॉबी से मिलवाएंगे |सच काहू ऐसा प्यार करने वाला बहादुर टीचर मैंने आज तक नहीं सुना  |
मैंने छात्राओं  के साथ गलत छेड  छाड़ ,छात्र छात्राओं के साथ सत्र के अंक देने में भेदभाव ,केवल अंक दे देना और पढ़ाना नहीं ,बड़े सरकारी अधिकारियों के बच्चों की चापलुषी करना ,चापलुषी करने वालों को ज्यादा अंक देना ,किसी वर्ग विशेष के छात्रों को नीच दिखाना , नकल कराने  वाले और रूपये ले कर पास कर देने की सामाजिक प्रथाओ के खिलाफ अकेले जंग लड़ी |
मै हार तो गया ,पीटा  भी  गया ,बहुत साल परेसनी में रहा ,अखबार के जरिए पूरे शहर में बदनाम भी किया गया |पर मैंने दिल जीता  था जिदगी भर के लिए  दुनिया भर में नाम काम चुके गुणी लड़के लड़कियों  का ,जो बने मेरे सबसे पहले मरते दम तक प्रशंसा करने वाले प्रसंसक |
और मै बना अपने छात्र राहुल गौतम,सचिन गौतम,दिनेश कुमार और शुभक्षीस का सबसे बड़ा प्रसंसक |ऐसे छात्र सबसे भगीशाली को ही मिलते है जो मै हूँ |जिन्होंने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा और मेरी जान बचाने की कोशिश की |
जिंदगी बहुत बड़ी होती है ,अगर जिंदगी रही तो सोचता था की  सच कभी न कभी जरूर सामने आएगा | ऐसा मै तब सोचता था पर पुराने लोग बाद में कहा  मिलते है इसलिए अब खुद अपनी लड़ाई लड़नी  है |
मैंने सोचा इतनी बड़ी अग्नि परीक्षा के बाद शायद भगवान ने आगे कुछ अच्छा सोच रखा होगा |पर ऐसा कुछ नहीं था आगे वक्त  में एक जन्म जन्मनतार की दुश्मन एक खुरदुरी औरत मुझे खत्म करने के लिए तुरंत मिलने वाली थी |  अगली कहानी में पहले मिलेगी खराब कार्मिक सम्बन्ध वाली खुरदुरे चेहरे को मेकअप से छुपाने  वाली शिवली जो मुझे खत्म करने के लिए कारेगी चालाकी से फ्लर्ट  करेगी फिर बचाने आएगी पूजा की तरह अच्छे कार्मिक संबंध वाली रीतिका जो मुझे पूजा की तरह आगे चल कर हर  मुसीबत से निकलेगी |
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Love story in Hindi
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देसिकहानियाँ में हम हर दिन एक से बढ़कर एक अजब गजब प्यार की कहानी प्रकाशित करते हैं। इसी कड़ी में हम आज “love story in hindi ” प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है ये आपको अच्छी लगेगी।
short stories in Hindi
लेखक – खुश्बू
श्रेया बहुत खुश थी. क्योंकि उसकी हाल ही में शादी होने वाली थी. लड़का पढ़ा लिखा पढ़ा लिखा और सुंदर सुशील था. और अमेरिका में नौकरी करता था. और वहां श्रेया से बहुत प्यार करता था. श्रेया की शादी उसके पिताजी ने बड़ी धूमधाम से की. क्योंकि वह उनके एकलौती संतान थी. श्रेया घर में सबकी लाडली थी. उसकी विदाई हो चुकी थी, श्रेया को विदाई का इतना रोना नहीं आ रहा था, जितनी खुशी उसे आशीष के साथ जाने में हो रही थी. ऐसे बता दें, कि आशीष और श्रेया बचपन के दोस्त है, साथी स्कूल पड़े, साथी कॉलेज गए. शादी पूरी तरीके से हो चुकी थी. और शादी के अगले दिन उन्हें हनीमून पर निकलना था. श्रेया और आशीष दोनों अपनी कार में बैठकर जा रहे थे. और श्रेया से बात करने के चक्कर में कार का ट्रक से भीषण एक्सीडेंट हो गया. और आशीष की वही मौके पर ही मौत हो गई. और श्रेया को मामूली खरोच आई. श्रेया के तो जैसे प्राणी निकल गए 1 दिन पहले ही शादी हुई और विधवा हो गई, श्रेया के लिए सब कुछ टूट चुका था. वह अंदर से ही मर चुकी थी. और ऊपर से रोज उसके साथ ससुर उसे ताने देते. फिर एक दिन स्वर्गीय आशीष की बुआ आई. और उसे मथुरा ले जाने की जिद करने लगी. और श्रेया और आशीष के मां बाप मान गए. और उसे वहां मथुरा विधवा आश्रम में भेज दिया. वहां जाते से ही उसके बाल कटवा दिए गए, सुंदर सी दिखने वाली श्रेया. जो कि अपने बालों से बहुत अत्यधिक प्यार करती थी. उसके भी बाल कटवा ���िए गए. अब श्रेया का जीवन नर्क से कम नहीं था, श्रेया रोज आशीष को याद करते करते घुट-घुट कर मरते और सोचती कि मेरी ही गलती थी. ना में बात करती, ना आशीष की मौत होती. मैं ही जिम्मेदार हूं, और फिर एक दिन विधवा आश्रम में मुंबई का एक छात्र विक्रांत आया. विक्रांत दिखने में बहुत ही खूबसूरत था. और फोटोग्राफी का कोर्स कर रहा था. वह एक प्रोजेक्ट के तहत विधवा आश्रम आया था. वहां पर उसे विधवा आश्रम मैं जीवन के विषय का टॉपिक मिला था. उसने विधवा आश्रम के पंडित जी से बात कर ली थी. कि वह वही रहेगा, 1 महीने तक, पंडित जी मान चुके थे. विक्रांत बहुत ही खुशमिजाज इंसान था. जहां भी जाता, खुशियां फैला देता विधवा आश्रम में जाते से ही उसने दुखी विधवाओं के चेहरे पर मुस्कान सी ला दी. पंडित जी भी उसे बहुत खुश थे. वह बहुत शरारती था. तो सारी महिला उसके साथ हास-परिहास करती थी. फिर एक दिन उसने श्रेया को देखा और उसे भी हंसाने की कोशिश की पर वह नाकामयाब रहा. फिर एक महीने के अंदर उसे श्रेया से प्यार हो गया. उसने श्रेया से कहा, कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं.
और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं. श्रेया ने मानने से मना कर दिया, और कहां की वह कभी शादी नहीं करेगी. क्योंकि उसके कारण आशीष की जान गई थी. विक्रांत के लाख समझाने पर भी श्रेया नहीं मानी. पर श्रेया फिर भी विक्रांत ने जिद नहीं छोड़ी. फिर एक दिन विक्रांत ने इस विषय में पंडित जी से बात की पंडित जी उसकी बात सुनकर आग बबूला हो गए. और उसे बुरी तरीके से पीटा गया. फिर भी विक्रांत के हौसले और प्यार कम नहीं हुआ. फिर विक्रांत श्रेया को लेने के लिए आया. विक्रांत को उसे देखकर श्रेया को रोना आ गया.श्रेया ने कहा, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं. पर तुम भी मर जाओगे. विक्रांत ने समझाया जीवन मरण, भगवान के हाथ में है. इंसान के हाथ में कुछ नहीं होता. पर फिर भी श्रेया संकोच में थी और फिर पंडित जी ने दोनों को बात करते हुए देख लिया. पंडित जी का क्रोध सातवें आसमान पर था उन्होंने बाहर से अखाड़े के आदमियों को बुलाया. और विक्रांत की पिटाई करना शुरु की इतना देख कर श्रेया से रहा नहीं गया, और श्रेया ने विक्रांत को बचा लिया. दोनों की अब शादी हो चुकी है, दोनों बहुत खुश है, और साल में तीन से चार बार विधवा आश्रम में जाकर सेवा देते हैं.
मैं आशा करता हूँ की आपको ये ” hindi stories for reading” कहानी आपको अच्छी लगी होगी। कृपया इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ फेसबुक और व्हाट्स ऍप पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। धन्यवाद्। ऐसी ही और कहानियों के "Short story in Hindi with moral" लिए देसिकहानियाँ वेबसाइट पर घंटी का चिन्ह दबा कर सब्सक्राइब करें। इस कहानी का सर्वाधिकार मेरे पास सुरक्छित है। इसे किसी भी प्रकार से कॉपी करना दंडनीय होगा।
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imranjalna · 5 days
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हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम: एक विस्तृत दृष्टिकोण
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम: एक विस्तृत दृष्टिकोण जन्म और बचपन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म अरब के मक्का शहर में एक ऐसे समय में हुआ था जब समाज में अज्ञानता, अत्याचार और बुतपरस्ती का बोलबाला था। आपके पिता का देहांत आपके जन्म से पहले ही हो गया था और आपकी माता का भी आपके बचपन में ही इंतकाल हो गया। इसके बावजूद, आपके दादा और चाचा ने आपका पालन-पोषण बड़ी ही नेकनीयती और प्यार से किया।…
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shayarikitab · 11 days
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New 80+ Desh Bhakti Shayari in Hindi 2024 | देश भक्ति शायरी
Desh Bhakti Shayari in Hindi - प्रिय दोस्तों, आज हम अपने देश की आजादी का उत्सव धूमधाम से मना रहे हैं। इस विशेष अवसर पर, हमें उन वीर योद्धाओं की अदम्य देशभक्ति को याद करना चाहिए जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बलि दी। आइए, इस पावन दिन पर उनके बलिदानों को सलाम करें और देशभक्ति की शायरी, प्रेरणादायक छवियों, और सेना की शायरी के माध्यम से अपना सम्मान प्रकट करें। हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए की गई उनकी असीम कुर्बानियों की कद्र करते हुए, चलिए हम सब मिलकर इस दिन को खास बनाएं.
Desh Bhakti Shayari
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वतन की मोहब्बत में खुद को तपायेंगे, जहां जरूरत होगी अपनी जान लुटायेंगे, क्योंकि भारत हमारा देश है प्यारा, इसे हम नहीं मिटने देंगे, दुश्मनों से बचायेंगे।
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इन रंगों में बलिदानों का रंग तुम्हे मिल जायेगा, ओढ़ तिरंगा निकलोगे तो अहसास तुम्हे हो जाएगा। कितनो ने इसके खातिर खुद को सूली चढ़ा दिया, इतिहास के पन्नो में पढने को मिल जायेगा ।।
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जिनका फौलादी भुज बल था हर संकट में सदा अटल मर्यादा पूर्ण तेजस्वी जीवन सगर समर्पित था हर पल हो निर्भय तो करें गर्जना जिनके के है हम भक्त मगन वही प्रेरणा पुंज हमारे स्वामी पूज्य विवेकानंद जननी जन्मभूमिश्च़ स्वर्गादपि ग़रीयसी माँ ओर जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है लहू मेरे जिगर का कुछ काम तो आया शहीदों में सही लवों पर नाम तो आया। जाँ से प्यार वतन इस की शान के खातिर जब मर तो इस दिल को आराम तो आया।।
Army Desh Bhakti Shayari
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तन की मोहब्बत में, खुद को तपाये बैठे हैं, मरेंगे वतन के लिए, शर्त मौत से लगाये बैठे हैं
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हमारी रक्षा के लिए सिमा पर खड़े है ये ढाल बनकर ये रण में ऐसे लड़ते है जैसे दुश्मनों का काल बनकर
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बस ये बात हवाओं को बताये रखना, रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना, लहू देकर जिसकी हिफाज़त की शहीदों ने, उस तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना। मिलते नही जो हक वो लिए जाते हैं, है आजाद हम पर गुलाम किये जाते हैं, उन सिपाहियों को रात-दिन नमन करो, मौत के साए में जो जिए जाते हैं आतंकवादियों को माफ करना ईश्वर का काम है, लेकिन उनकी ईश्वर से मुलाकात करवाना हमारा काम है।
15 August Desh Bhakti Shayari
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काले गोरे का भेद नहीं, इस दिल से हमारा नाता है, कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है। स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सुन्दर है जग में सबसे, नाम भी न्यारा है जहां जाति-भाषा से बढ़कर, देश-प्रेम की धारा है जहां हर जुबां पर सर्वधर्म समभाव और जय हिंद का नारा है निश्‍छल, पावन, प्रेम पुराना, वो भारत देश हमारा है !!! स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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जब आंख खुले तो धरती हिंदुस्तान की हो, जब आंख बंद हो तो धरती हिंदुस्तान की हो; हम मर भी जाए तो कोई गम नही लेकिन मरते वक्त मिट्टी भी हिंदुस्तान की हो। तिरंगे की आन का भी नशा है, तो कुछ मातृभूमि के प्रेम का नशा है; हम लहरायेंगे हर जगह शान से तिरंगा ये नशा हिंदुस्तान के तिरंगे का है। क्यों करते हो दंगो और धमाको की ये जिद्द, खण्डित नही होगा,, अखण्ड है ये हिन्द !!
Dard Desh Bhakti Shayari
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मर मिटेंगे हम अपने वतन के लिए जान कुर्बान है प्यारे चमन के लिए हमसे हमारी अब हसरत न पूछो बाँध रखा सर पे तिरंगा कफ़न के लिए ! जश्न आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को
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न पूछो ज़माने को क्या हमारी कहानी है हमारी पहचान तो सिर्फ ये है कि हम सिर्फ हिन्दुस्तानी हैं ! तिरंगा है आन मेरी तिरंगा ही है शान मेरी तिरंगा रहे सदा ऊँचा हमारा तिरंगे से है धरती महान मेरी !
Desh Bhakti Shayari 2 Line
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जमानें भर में मिलतें हैं आंशिक कई मगर वतन से सुनदर कोईं सनम नही होतां क्यूं जाए 'नज्म' ऐसी फ़ज़ा छोड़ कर कहीं, रहने को जिस के गुलशन-ए-हिन्दोस्तां मिले।
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चीर के बहा दूं लहू दुश्मन के सीने का यही तो मजा है फौजी होकर जीने का !
Desh Bhakti Shayari in Hindi
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देश के लिए मर मिटना कुबूल है हमें अखंड भारत के सपने का जूनून है हमें।। तिरंगा है आन मेरी तिरंगा ही है शान मेरी तिरंगा रहे सदा ऊँचा हमारा तिरंगे से है धरती महान मेरी।। सो गया अपनी भारत माँ के लिए ,माँ मुझे अपने आंचल में तुम भी छुपा लो ! हाथ अपना फेर कर मेरे बालों में , फिर से बचपन की लोरिया सुना दो !! ?? I love my india देश की हिफाजत मरते दम तक करेंगे , दुश्मन की हर गोली का हम सामना करेंगे आजाद हैं आजाद ही रहेंगे , जय हिंद सरफरोशी की तम्मना अब हमारे दिल में है” -रामप्रसाद बिस्मिल “हम आजादी तभी पाते हैं, जब अपने जीवित रहने का पूरा मूल्य चुका देते हैं” रविन्द्रनाथ टैगोर
Emotional Attitude Desh Bhakti Shayari in Hindi
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आज के दिन उस मंज़र को याद करे शहीदो की देश भक्ति को याद करे जब मिली थी आजादी हमको खून के बदले आओ उन देश प्रेमियो को याद करे ! इसकी शान निराली है इसकी पहचान निराली है इसपर जाँ जो मिट जाए ऐसी जाँ फिर किस्मत वाली है।। ना जियो धर्म के नाम पर ना मरो धर्म के नाम पर इंसानियत ही है धर्म वतन का बस जियो वतन के नाम पर ! अनेकता में एकता ही इस देश की शान है इसीलिए मेरा भारत महान है !
Desh Bhakti Par Shayari
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भारत माँ की जय कहना, अपना सौभाग्य समझता हूँ अपना जीना मरना अब सब तेरे नाम ऐ “तिरंगा” करता हूँ भारत माता की जय !! लड़े जंग वीरों की तरह, जब खून खौल फौलाद हुआ | मरते दम तक डटे रहे वो, तब ही तो देश आजाद हुआ || चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा, यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में। मैं भारतवर्ष का हरदम अमिट सम्मान करता हूँ यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ।  Read Also Read the full article
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गरीब भाई का रक्षाबंधन
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Narration : अमित की दो बहने थी जिनकी शादी वह बहुत ही अच्छे से करना चाहता था इसी सिलसिले में अमित की पत्नी मीरा उससे  कहती है ।
मीरा :  आपको नही लता अब आपकी बहनों की शादी करवा देना चाहिए ।
अमीत : हां मीरा मैं भी यही सोच रहा था, उनकी पढ़ाई भी पूरी हो गई हैं ।
मीरा :  आप कहो तो मैं कुछ जगह उनके लिए लड़के तलाशना शुरू करू ??
अमीत: हां तुम देखना शुरू कर दो !
मीरा : अजी क्या मैं एक बार आपकी बहनों से भी इस बारे में बात करू ?
अमीत : अगर ऐसा है तो मैं खुद बात करके देखता हूं ।
मीरा : ठीक हैं जी ।
Narration :  तभी वहां पर अमीत की दोनों बहने आ जाती हैं और कहती हैं !
कोमल : अरे क्या बात हो रही है कोई हमें भी तो बताये ??
अमीत : कुछ ख़ास नहीं ये बताओ तुम दोनों का आज कॉलेज में लास्ट डे था तो सब कैसा रहा ??
सुनीता : सब कुछ बिलकुल ठीक रहा भैया !
अमीत : चलो ये तो बहुत ही अछि बात है की मेरी दोनों बहनों की पढाई पूरी हो गई हैं !
कोमल : भैया हमें ना कुछ पैसे चाहिए थे !
अमीत : पैसे किसलिए ?
कोमल : भैया रक्षा बंधन आ रहा हैं इसलिए हमें शौपिंग करनी हैं !
सुनीता : हां भैया दे दीजिये ना !
अमीत : ठीक हैं मेरा इन्हें जितने पैसे चाहिए दे देना और तुम भी इनके साथ चली जाना शूपिंग पर !
सुनीता : अरे भैया हम अपने दोस्तों के साथ जा रहे हैं और अगर भाभी हमारे साथ जाएगी तो खामखा परेशान हो जाएगी !
मीरा : हां जाने दीजिये इन्हें अपने दोस्तों के साथ मैं आपके साथ जा कर शोपिंग करने चली जाउंगी !
अमीत : ना बाबा ना तुम्हारे साथ शौपिंग पर जाना मतलब अपना दिमाग ख़राब करना उम एक घंटा लगा देती हो एक ही कपडे को खरीदने के लिए !
मीरा : ज्यादा मत कहिये वरना आज रात आपको खाना नहीं मिलेगा !
कोमल : अरे भाभी भैया मजाक कर रहे हैं !
Narration : अमीत का परिवार एक हस्त खेलता परिवार था जहाँ सब के मन में एक दुसरे के लिए बहुत प्यार था !अमित की दोनों बहने जब शोपिंग के लिए जाती हैं तो उनके साथ दो लड़के होते हैं जिन्हें मीरा देख लेती हैं लेकिन उस वक्त मीरा उन दोनों से कुछ नहीं कहती अगले दिन रक्षाबंधन के दिन अमीत की बहने उसे राखी बांधती हैं !
कोमल : चलो भैया जल्दी से मेरा नेक निकालिए !
सुनीता : हां भैया मेरा भी गिफ्ट दीजिये !
अमित: हां हां क्यों नहीं मेरी प्यारी बहन यह लो तुम दोनों के लिए शगुन के ₹10 रुपए
मीरा : सच में मैने  आज के जमाने में आज तक ऐसी बहनें  नहीं देखी जो आज भी अपने भाई से रक्षाबंधन पर शगुन की सिर्फ और सिर्फ ₹10 लेती  हैं भगवान ऐसी बहनें सबको दे.
कोमल  : भाभी आप तो जानती हैं हमारे माता-पिता के निधन के बाद अमित भैया ने ही हमें दुनिया की हर खुशी दी मां बाप का प्यार दिया हमारे लिए तो रक्षाबंधन का सबसे बड़ा तोहफा हमारे भाई ही है।
सुनीता : हां भाभी हमें हमारे भैया के अलावा उनसे कुछ नहीं चाहिए वो बस  जिंदगी भर हमसे ऐसे ही प्यार करते रहें।
अमित : मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे तुम जैसी बहनें मिली है और हां मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी थी मैंने तुम्हारे लिए लड़के देखे हैं और मैं चाहता हूं कि तुम उनसे  शादी करके अपना खुशहाल जीवन व्यतीत करो। करो तो तुम्हें मेरे इस फैसले से कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना??
मीरा : सुनिए जी मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
अमित : अभी रुको थोड़ी देर में बात करते हैं।
मीरा : लेकिन यह बात कोमल और सुनीता से जुड़ी हुई है ।
अमित :  अच्छा ठीक है ।
 Narration - मेरा और अमित दोनों कमरे से बाहर आते हैं और मेरा एक दिन पहले कोई घटना के बारे में अमित को बताती है और कहती है।
मीरा : सुनिए जी अच्छा होगा कि हम एक बार सुनीता और कोमल से उनकी पसंद के बारे में पूछ ले कहीं ऐसा ना हो आप अपनी मर्जी से उनकी शादी करवा दो और वह जिंदगी भर अफसोस करती रहे.
अमित : शायद तुम ठीक कहती  हो वैसे भी जिंदगी उन दोनों को गुजारनी है और वह किसके साथ अपनी जिंदगी गुजारना चाहती है इसका फैसला भी उन्हें करना चाहिए चलो उनसे बात करते हैं.
Narration;- अमित जब अपनी दोनों बहनों से उनकी पसंद के बारे में पूछता है तो दोनों ही अपनी पसंद के बारे में अमित को बताती है और अमित अपनी बहनों का रिश्ता लेकर उन दोनों लड़कों के घर जाता है जो की बहुत ही अमीर थे लड़का  और लड़की की रजामंदी की वजह से दोनों के घरवाले इस शादी के लिए मान जाते हैं। और कुछ दिनों बाद अमित की दोनों  बहनों की शादी हो जाती है । शादी के कुछ महीनो बाद अमित की बहन कोमल और सुमन उसके घर आती है।
सुनिता: ये घर कितना छोटा लग रहा है ना ??
कोमल : हा सच कह रही हो असल में भाभी हमारा रूम इस घर से भी बहुत बड़ा है न इसलीये हमे आदत नही है इतने छोटे घर की ।
सुनीता : भैया आपको अब एक बड़ा घर ले लेना चाहिए इतने से घर में कैसे गुजारा कर लेते हो ।
अमित : हमे बचपन  से इतने छोटे घर की ही आदत हैं और हमारे लिए इतना ही काफी है ।
Narration:- कुछ देर बाद रात हो जाती है और रात के वक्त कोमल और सुनीता को गर्मी लगती है और वह कहती है।
कोमल: हे भगवान कितनी गर्मी लग रही है।
सुनीता : हां सच में यहां पर बहुत गर्मी है भैया भी न  क्या  एक ऐसी नहीं लगवा सकते थे इस घर में।
कोमल : हा  उन्हे पता है की  हमारे घर के हर एक रूम में ऐसी लगी हुई है हमें गर्मी की बिल्कुल भी आदत नहीं है फिर भी वो  इस कमरे में ऐसी नहीं लगवा सकते मुझसे  गर्मी और नहीं झेली जा रही तुम देवर जी को कॉल करो वो हमें यहां से आकर ले जाएंगे।
मीरा : क्या हुआ कोमल सुनीता ये  शोर कैसा था??
सुनीता : भाभी जब आपको पता है कि हमारी ससुराल में हर कमरे में ऐसी लगी हुई है हमें गर्मी की बिल्कुल भी आदत नहीं है फिर आप एक कमरे में ऐसी नहीं लगवा सकते थे क्या गर्मी से हमारा हाल बेहाल हुआ जा रहा है।
मीरा : लेकिन सुनीता शादी से पहले भी तुम इसी घर में रहती थी और वो  भी बिना एक के तब तो तुम्हें कभी गर्मी नहीं लगी.
सुनीता ; तब की बात अलग थी भाभी अबकी बात अलग है अब हमारी एक बड़े अमीर खानदान में शादी हुई है और हमारा एक महल जैसा ससुराल है तो भला हमें ऐसी के बिना नींद कैसे आएगी इतना तो भैया को भी सोचना चाहिए ना ।
मीरा ; तुम्हारे ससुराल वाले  जरूर अमीर होंगे लेकिन मेरा पति गरीब है इसलिए हमारी इतनी हैसियत नहीं है कि हम ऐसी लगवा सके।
कोमल : तो क्या आप हमें ताने  दे रही हैं भाभी ठीक है तो हम और एक मिनट भी इस घर में नहीं रह  सकते चलो सुनीता।
अमित: अरे क्या बात है मीरा  इतना शोर क्यों हो रहा है और तुम दोनो कहा जा रही हो ।
सुनीता : अब हम इस घर में एक मिनट भी नहीं रुकना चाहते आप अपनी पत्नी से ही पूछ लीजिए हम जा रहे है ।
Narration :- इतना कह कर सुनीता और कोमल अपने ससुराल चली जाती है और ये देख अमित को बहुत दुख होता हैं। अगले साल रक्षाबंधन के दिन उसकी दोनो बहने अपने भाई के घर आती है जहां दोनो ही उसके लिए सोने की राखी लाती है और नेक में अमित उन्हे वही 10 रुपए देता है ।
कोमल : ये क्या भैया हमने आपको सोने की राखी बांधी है और आप हमे बस दस रूपय दे रहे है ??
मीरा: ये तुम क्या कह रही हो कोमल तुम इन सगुन के रूपयो की तुलना इस सोने से कर रही हो पहले तो तुम्हे ये दस रुपए बेमोल लगते थे अब क्या हुआ ??
सुनीता : आप भी क्या बात कर रही है भाभी ये अब तो बकवास बाते है आप ही बताइए अगर हमारे ससुराल में हमारे पति और सास हमसे पूछेगी की हमे नेक में क्या मिला है तो हम उन्हे क्या जवाब देंगे ??
अमित: अच्छा तो अब मेरी बहनों को अपने गरीब भाई के नेक की वजह से शर्म आयेगी ठीक हैं मैं तुम्हारा सर झुकाने नही दूंगा ।मीरा जाओ घर में जो पैसे रखे है वो लेकर आओ ।
मीरा : लेकिन वो पैसे तो ।
अमित : लेकर आओ ।
Narration;- अमित अपनी बहनों को दस दस हजार रूपए दे देता है और कहता है ।
अमित: अब शायद तुम्हारा तुम्हारे ससुराल में मेरी वजह से सर ना झुके ।
कोमल: भैया आप तो बस हमेशा हमे नीचा दिखाने के बारे में ही सोचते  रहते हो ।
सुनीता ; हा और आप हमेशा ही अपनी गरीबी का ढोंग करते जो सच  बात तो ये है की आप दोनो से हमारी खुशी और अमीरी देखी नही जाती ।
कोमल : आज के बाद हम इस घर में कदम भी नही रखिए और चाहे जो हो जाए आपसे बात नही करेगे ।
Narration;- कोमल और सुनीता पर अब भी इन चीजों का कोई असर नहीं पड़ता कुछ दिन बाद अमित को लॉटरी लगाने का शोक था और एक दिन उसकी लॉटरी खुल जाती है जिसमे उसे 50 लाख का इनाम मिलता है और वह अमीर हो जाता है वही दूसरी और   कोमल और सुनीता के पति को बिजनेस में बहुत बड़ा नुकसान होता है और सारे पैसे जाने के बाद उनके परिवार वाले भी उन्हें घर से निकाल देते है और अमित की दोनो बहने सर झुकाए अपने भाई के घर अपने पतियों के साथ आती हैं ।
अमित: और क्या हुआ तुम दोनो को तुम इस हालत में यहां कैसे ??
Narration:- अमित के पूछने पर दोनो बहने सब उसे पूरी बात बताती है और ये सब सुनने के बाद अमित कहता है ।
अमित: पैसा तो हाथ की धूल होता है उसके आने या जाने से किसी को फर्क नही पढ़ना चाहिए  और तुम तो मेरी बहन हो ये सब तुम्हारा ही तो हैं जब तक सब ठीक नही होता तब तक  तुम यही रहोगे ।
कोमल।: हमे माफ कर दीजिए भैया हमने पैसों के लालच में आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया ।
सुनीता : हा भैया और जब वो पैसा चला गया आप तब भी हमारी सारी गलतियों को माफ करके हमारा सहारा बन रहे हो हम आपके बहुत आभारी है।
अमित:  अरे पगली ऐसा कुछ नही है तुम दोनो मेरी बहन हो और तुम्हारी हर जरूरत पूरी करना मेरा फर्ज है ।
Narration;-  अमित की दोनो बहने फिर से अपने भाई के साथ खुशी खुशी रहती है और अमित उन दोनो के पति को आपके ही साथ काम पर रख लेता है और सभी खुशी खुशी अपना जीवन बिताते है ।
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quotelust · 1 month
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Hindi Positive Quotes for Professionals
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इस दुनिया में शीशा ही एक ऐसा दोस्त है, जो कभी नहीं हँसेगा, अगर आप रो रहे हो तो !
दाम से ज्यादा कीमत लगाना सीखिये !
आपको बचपन में हर कोई प्यार करेगा, आपके मरने के बाद आपको हर कोई प्यार करेगा, रही बात बीच की तो उसमे आपको खुद खुश रहना सीखना पड़ेगा!
अगर आपको अपने जीवन का कोई लक्ष्य नज़र नहीं आता, तो आप केवल खुश रहना सीखिये !
परेशानी में किसी को सलाह की नहीं बल्कि साथ की आवश्यकता होती है! अगर आप उनका साथ नहीं दे सकते, तो बिन मांगी सलाह भी मत दीजिये !
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ashfaqqahmad · 2 months
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A Damsel in Distress / ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस
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क्राईम फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत यह डेविड फ्रांसिस सीरीज का तीसरा, लेकिन इस सीरीज के क्रम के अनुसार यह दूसरा उपन्यास है, जिसमें डेविड अपने शाहकार बनने की प्रक्रिया से गुज़र रहा है। इस शृंखला में पहला उपन्यास ‘डेढ़ सयानी’ प्रकाशित हुआ था जो क्रमानुसार तब की कहानी है, जब यह किरदार पूरी तरह स्थापित हो चुका था। कायदे से सीरीज में उसका क्रम दसवां आयेगा। डेविड का ‘डेढ़ सयानी’ तक का सफ़र नौ अलग-अलग कहानियों का है, ‘ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ जिसमें से दूसरे नंबर पर है।
कुछ बातें डेविड के बारे में… यह एक मिश्रित नस्ल का युवक है, जिसके पिता आइसलैंड से थे और माँ महाराष्ट्रियन थीं। बचपन से ही जासूसी कहानियां पढ़ने और जासूसी फिल्में देखने का ऐसा चस्का लगा कि फिर सर पर वैसा ही कैरेक्टर हो जाने का खब्त ही सवार हो गया और इस बात के पीछे उसने बचपन से ही हर तरह का प्रशिक्षण लिया और स्वंय को मानसिक रूप से तैयार किया। कुदरत ने भी उसका साथ दिया और ऐसे ख़तरनाक रास्ते पर चलने के लिये उसे जो आज़ादी चाहिये थी, वह माता-पिता के एक रोड एक्सीडेंट में मारे जाने के बाद मिल गई— और वह जेम्स बाॅण्ड बनने निकल खड़ा हुआ।
अब डेविड फ्रांसिस नाम का यह शख़्स अपने को आज़माने चल पड़ा है, जो हर बंधन से मुक्त है, और पागलपन की हद तक जिसके तीन ही शौक हैं— भ्रमण, लड़की और अपराधियों से पंगे… जिसे दुनिया के हर हिस्से को देखना है, और जिसे वर्स्ट से वर्स्ट लोकेशन में भी प्राकृतिक सौंदर्य ढूंढ लेने की ज़िद रहती है। जो दुनिया की हर रंग, हर नस्ल और हर हिस्से में पाई जाने वाली लड़की को भोग लेने की तमन्ना रखता है— ठरकी है, मगर किसी को भी प्यार से जीतना पसंद करता है। हर कहीं दूसरों के फटे में टांग अड़ाना और अपराधियों की ओखली ढूंढ कर अपना सर दे देने की सनक ख़तरनाक स्तर तक सवार रहती है।
इसके व्यक्तित्व का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि इसने अपने मन में ही अपने एक प्रतिरूप को स्��ापित कर रखा है, जिसे यह ‘अंदर वाले डेविड’ या ‘मिनी मी’ कह कर सम्बोधित करता है और न सिर्फ़ उससे विचार-विमर्श करता रहता है, बल्कि जो वह सीधे नहीं हो पाता— वह मिनी मी के रूप में हो जाना चाहता है और अपनी हर फीलिंग को उसके मुंह से हर तरह के शब्दों में बयान कर लेता है। दोनों में अक्सर नोक-झोंक भी होती है। एक तरह से यह मेंटल डिसऑर्डर लग सकता है, लेकिन डेविड के लिये यह संबल का एक कारक है।
अब बात इस कहानी की— डेविड की कहानी बिना लड़की के नहीं पनपती, न फलती-फूलती है। तो डेविड की कहानी में लड़की भी होनी है और उसका संकट में फंसना भी तय होता है। डेविड को असल किक इसी बात से मिलती है और यहीं से वह कहानी पनपती है, जो जेम्स, शरलाॅक, नीरो, सैक्सटन के मिश्रण से बने डेविड फ्रांसिस की क्षमताओं का सख़्त इम्तिहान लेती है।
प्रस्तुत कहानी में यह डैमसेल जूही नाम की एक लड़की है, जो एक रहस्य की तरह उससे मिलती है और फिर उसकी आँखों के सामने ही जूही को अगवा कर लिया जाता है। जिसके बाद जब वह अपनी खोजबीन शुरू करता है, तो इस डिस्ट्रेस से जुड़े राज़ धीरे-धीरे सामने आते हैं और पता चलता है कि वह एक ऐसे नेटवर्क का शिकार हुई थी, जो न सिर्फ ड्रग ट्रैफिकिंग से जुड़ा था, बल्कि जिसकी संलिप्तता टेररिज्म में भी थी।
अब सवाल यह था कि किसने उठाया था जूही को? क्या हासिल करना चाहता था वह उसकी किडनैपिंग से? डेविड अपनी जान पर खेलते, बार-बार ख़तरे में पड़ते इस घटना की तह तक तो पहुंचता है लेकिन क्या वह जूही को सुरक्षित निकाल भी पाता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिये पढ़िये… ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस!
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maakavita · 4 months
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माँ की निशानी (maa ki nishani ) : हमारा घर
इस घर से है मुझे प्यार बहुत, ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani) है, इस घर में मेरा बचपन गुजरा, इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है, *       *       *        *        * ये घर नहीं है हमारा , ये एक प्यार का मंदिर है, यहाँ सर झुकते हैं माँ के चरणों में, माँ की मूरत बस्ती थी हर दिल के अंदर है, छोटे-बड़े का लिहाज करना, माँ ने हम-सब में ऐसे डाले हैं संस्कार, गरीब हो या अमीर कोई, संत हो या फकीर…
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scprabhakar · 4 months
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::एक होमवर्क ऐसा भी::
चेन्नई के एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है। कारण बस इतना कि उसे बड़े सोच समझकर बनाया गया है। इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं।
अन्नाई वायलेट मैट्रीकुलेशन एंड हायर सेकेंडरी स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे हर एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए।
उन्होंने लिखा:-
◆ पिछले 10 महीने आपके बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा। आपने गौर किया होगा कि उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टिय���ं बिताएंगे। हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो।
◆- अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं। उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं। और उन्हें बताएं कि उपना खाना बेकार न करें।
◆- खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें। इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे।
◆- उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें। उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दें।
◆- तीन पड़ोसियों के घर जाएं. उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाएं।
◆- दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दें। उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत आवश्यक है। उनके साथ फ़ोटो लेवें।
◆- उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझ सकें कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
◆- किसी भी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाजार को मिस न करें।
◆- अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए बीज बोने के लिए प्रेरित करें। पेड़ पौधों के बारे में जानकारी होना भी आपके बच्चे के विकास के लिए जरूरी है।
◆- अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं।
◆- अपने बच्चों का बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें। कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है। सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी।
◆- उन्हें कोई पालतू जावनर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें।
◆- उन्हें कुछ लोक गीत सुनाएं।
◆- अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानी की किताबें लेकर आएं।
◆- अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखें। इन सबके लिए तो उनका पूरा जीवन पड़ा है।
◆- उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें।
◆- अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा उपहार आपको दिया। अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचाइयों पर होंगे।
माता-पिता होने के नाते ये जरूरी है कि आप अपना समय बच्चों को दें।
★ अगर आप माता-पिता हैं तो इसे पढ़कर आपकी आंखें नम अवश्य हुई होंगी और आखें अगर नम हैं तो कारण स्पष्ट है कि आपके बच्चे वास्तव में इन सब चीजों से दूर हैं।
*इस एसाइनमेंट में लिखा एक-एक शब्द ये बता रहा है कि जब हम छोटे थे तो ये सब बातें हमारी जीवन शैली का हिस्सा थीं, जिसके साथ हम बड़े हुए हैं, लेकिन आज हमारे ही बच्चे इन सब चीजों से दूर हैं, जिसकी वजह हम खुद हैं।*
*आज के कठिन समय में बच्चों के साथ ऐसे कार्य करे जिससे उनके अंदर त्याग, समर्पण, सेवा परोपकार की भावना जागृत हो।*
🙏🙏
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iammanhar · 4 months
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Day☛1294✍️+91/CG10☛In Home☛12/05/24 (Sun) ☛ 22:06
उन्होंने मुझे अपना income statement का proof screen shot भेज दिया, शेयर बाजार से income कर रही है शायद, हालाकि उसे उनके बारे में रंचमात्र की ज्ञान नही है फिर भी income बढ़िया कर रही है। उनकी पढ़ाई भी 12 तक हुई है, फिर भी वो आज सफल व्यक्ति की श्रेणी में गिनी जाती है, कारण स्पष्ट है कि उनकी संगत बढ़िया है, समय उनके अनुकूल है, उनमें साहस है, जोखिम उठाने की हिम्मत है। एक सफल इंसान में ये गुणों का होना वांछनीय है..... आज बात कर रहा हूं मेरी बचपन की एक महिला मित्र की, जिनका नाम सुशीला है, वो बहुत ही खुशमिजाज महिला है। अन्य पुरुष मित्र को टक्कर देती है और मात भी...👍👍
आज आफिस नही गया था, शायद कल जाऊ या नहीं भी, कार्य के हिसाब से ऑफिस जाते है, बेकार ऑफीस जाकर समय waste करने का कोई मतलब नही है, हां अगर स्थाई job होता तो एक बार सोच सकते थे। किंतु अपना कार्य तो अलग type का है।
आज mothers day है, आज मां को याद करते हुए उन्हे कोटि कोटि नमन करते हैं, प्रणाम करते हैं। दुनिया की सारी दौलत मां बाप के प्यार और उसकी कमी को पूरा नहीं कर सकता है, अतः मेरे नज़र में माता पिता दोनों पूजनीय हैं, देव तुल्य है। मेरे मां बाप जैसे माता पिता मुझे हर जनम में हर योनि में मिले, ऐसे मां बाप पाकर मैं धन्य हो गया और हो जाऊंगा भी।
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कोटि कोटि प्रणाम मां 🙏🙏
Miss you mom 😭
Good night 🌃
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abhinews1 · 5 months
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जीएलबीयन्स ने पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह की धुनों पर नृत्य किया
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जीएलबीयन्स ने पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह की धुनों पर नृत्य किया
अपनी जादुई आवाज से करोड़ों भारतीयों के दिलों में जगह बनाने वाले पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने शुक्रवार की शाम जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में ऐसा माहौल बनाया कि हर कोई झूमने पर मजबूर हो गया। एक के बाद एक जय हो, अज्जा अज्जा गुल्लक फोड़े, होले होले हो जाएगा प्यार, बीड़ी जलाए जिगर से पिया जैसे गाने बजाकर विद्यार्थियों को जोश से भर दिया। जीएल बजाज के सालाना कार्यक्रम 'टूनव-2024' में शुक्रवार शाम संगीत की ऐसी महफिल सजी कि मंच के सामने मौजूद हजारों छात्र-छात्राएं सुपरहिट गायक सुखविंदर सिंह के साथ मस्ती में नाचते-गाते नजर आए. इस संगीत सभा में पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने एक के बाद एक हिंदी गानों की दमदार प्रस्तुतियां दीं. जैसे ही थिएटर के सुरों के जादूगर सिंह ने रीमिक्स म्यूजिक के साथ 1998 की सुपरहिट फिल्म दिल से का गाना चल छैयां-छैयां और फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर का गाना जय हो बजाया तो छात्र खुशी से नाचने लगे।हिंदी गानों के बाद सुखविंदर सिंह ने पंजाबी गानों की ओर रुख किया और चोरी-चोरी मेरा दिल ले गया…गाकर माहौल को मस्ती से भर दिया। दर्शक हर जगह नाचते रहे और 'वन्स मोर, वन्स मोर' का शोर संगीतमय माहौल में घुल गया। हालात ऐसे थे कि कोई बैठकर डांस कर रहा था तो वहीं हजारों छात्र-छात्राएं खड़े होकर डांस कर रहे थे. पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने मथुरा नगरी और जीएल बजाज ने रंगमंच के विद्यार्थियों की सराहना की। मंचीय कार्यक्रम के बाद संक्षिप्त बातचीत में पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने कहा कि संगीत की कोई जाति या धर्म नहीं होता. जब कोई गाना लिखा जाता है तो वह कलाकार या गायक को ध्यान में रखकर नहीं लिखा जाता, बल्कि फिल्म की कहानी और कलाकारों की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर गाना तैयार किया ��ाता है। उन्होंने कहा कि गाना चुनते समय वह इस बात का बहुत गंभीरता से ख्याल रखते हैं कि गाने के बोल में कोई गाली-गलौज न हो. हिंदी गानों के बाद सुखविंदर सिंह ने पंजाबी गानों की ओर रुख किया और चोरी-चोरी मेरा दिल ले गया…गाकर माहौल को मस्ती से भर दिया। दर्शक हर जगह नाचते रहे और 'वन्स मोर, वन्स मोर' का शोर संगीतमय माहौल में घुल गया। हालात ऐसे थे कि कोई बैठकर डांस कर रहा था तो वहीं हजारों छात्र-छात्राएं खड़े होकर डांस कर रहे थे. पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने मथुरा नगरी और जीएल बजाज ने रंगमंच के विद्यार्थियों की सराहना की। मंचीय कार्यक्रम के बाद संक्षिप्त बातचीत में पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने कहा कि संगीत की कोई जाति या धर्म नहीं होता. जब कोई गाना लिखा जाता है तो वह कलाकार या गायक को ध्यान में रखकर नहीं लिखा जाता, बल्कि फिल्म की कहानी और कलाकारों की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर गाना तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि गाना चुनते समय वह इस बात का बहुत गंभीरता से ख्याल रखते हैं कि गाने के बोल में कोई गाली-गलौज न हो. जहां तक ​​सुखविंदर सिंह की बात है तो उन्हें बचपन से ही गाने का शौक रहा है. उन्होंने आठ साल की उम्र में स्टेज परफॉर्मेंस देना शुरू कर दिया था. जब वह 13 साल के हुए तो उन्होंने गायक मलकीत सिंह के लिए तूतक तूतक तूतिया गाना बनाया। सुखविंदर सिंह न केवल एक बेहतरीन गायक हैं बल्कि एक शानदार संगीतकार भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों में अपना संगीत दिया है। सुखविंदर सिंह ने बॉलीवुड में फिल्म कर्मा से डेब्यू किया था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज वह सफलता के शिखर पर हैं। सुखविंदर सिंह स्टेज शो करने में भी माहिर हैं.हली बार उन्होंने स्टेज पर लता मंगेशकर के साथ जुगलबंदी की थी। सुखविंदर ने अपने करियर में कई दिग्गज संगीत निर्देशकों के साथ भी काम किया है, जिनमें देश के जाने-माने संगीतकार एआर रहमान भी शामिल हैं। दोनों ने अपने फैंस को कई सुपरहिट गाने दिए, जिसमें फिल्म दिल से का गाना चल छइयां-छइयां भी शामिल है. सुखविंदर सिंह और एआर रहमान की जोड़ी ने फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर का गाना जय हो बनाया था, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था. इस गाने को ऑस्कर अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. सुखविंदर सिंह न केवल एक अच्छे गायक हैं बल्कि एक दयालु इंसान भी हैं। उन्होंने मंच से नीचे आकर एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और उनकी पत्नी श्रीमती विनय अग्रवाल से आशीर्वाद लिया। इस मौके पर डॉ. अग्रवाल ने उनकी जमकर तारीफ की. कार्यक्रम में आर.के. एजुकेशनल ग्रुप के उपाध्यक्ष श्री पंकज अग्रवाल, उनकी पत्नी श्रीमती अंशू अग्रवाल, प्रबंध निदेशक श्रीमती मनोज अग्रवाल, जीएल बजाज के सीईओ श्री कार्तिकेय अग्रवाल, महाप्रबंधक श्री अरुण अग्रवाल, जीएल बजाज मथुरा की निदेशक प्रोफेसर नीता अवस्थी, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च स���ंटर के डीन एवं प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोक, के.डी. डेंटल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के डीन डॉ. मनेश लाहौरी, बड़ी संख्या में प्रोफेसर, डॉक्टर, कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित थे। गायक सुखविंदर सिंह का स्वागत आर.के. ने किया। एजुकेशनल ग्रुप के उपाध्यक्ष श्री पंकज अग्रवाल एवं प्रबंध निदेशक श्री मनोज अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
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publickart · 6 months
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16 साल बाद दो चोटी बांधने वाली 'उतरन' की छोटी इच्छा नहीं हैं पहले जैसी, 22 वर्षीय स्पर्श की तस्वीरें देख तप्पू भी खा जाएंगी धोखा
साल 2008 में एक सीरियल आया था उतरन. इस सीरियल की कहानी सास-बहू की कहानी से काफी अलग थी जिसकी वजह से इसे काफी पसंद किया गया था. इस शो से रश्मि देसाई और टीना दत्ता को पहचान मिली थी. इस शो से ही दोनों एक्ट्रेस घर-घर में पहचानी जाने लगी थीं. बड़ी तप्पू और बड़ी इच्छा के साथ इनके बचपन का किरदार जिसने निभाया था उन्हें भी लोगों ने बहुत प्यार दिया था. शो में छोटी इच्छा का किरदार स्पर्श खानचंदानी ने निभाया…
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shayarikitab · 17 days
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Best 100+ प्रेरणादायक सुविचार इन हिंदी | Prernadayak Suvichar
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प्रेरणादायक विचार हमारे जीवन को सही दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें अपने लक्ष्यों की ओर लगातार आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाते हैं, कड़ी मेहनत करने और सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक दृढ़ संकल्प को बढ़ावा देते हैं। हमें प्रेरित करने के अलावा, ये विचार हमारी मानसिकता में सकारात्मक बदलावों को प्रोत्साहित करके हमारे जीवन को बदलने में मदद करते हैं। जब हम अच्छे विचारों को अपनाते हैं, तो वे न केवल हमारे दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा भरते हैं बल्कि हमारी सोच को भी शुद्ध करते हैं, जिससे व्यक्तिगत विकास होता है।. प्रेरणादायक विचार हमें दूसरों के साथ हमारे व्यवहार में दयालुता और सम्मान का महत्व सिखाते हैं और हमें बताते हैं कि हमें किस तरह के लोगों के साथ रहना चाहिए। अगर आप इस लेख को पढ़ रहे हैं, तो आप भी प्रेरणा की तलाश में हैं। यहाँ, हमने कुछ शक्तिशाली और उत्थानशील विचार साझा किए हैं जो जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण को बदलने की क्षमता रखते हैं। आप इ�� उद्धरणों को अपने WhatsApp स्टेटस के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि सकारात्मकता फैल सके और अपने आस-पास के लोगों को प्रेरित कर सकें। इन विचारों को प्रेरणा का स्रोत बनने दें जो आपके जीवन में सार्थक बदलाव लाएँ!.
आज का प्रेरणादायक सुविचार इन हिंदी
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अँधेरे से मत ड़रो, सितारे अँधेरे में ही चमकते हैं
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“जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते पर है।”
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जीवन ना तो भविष्य में है, ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल वर्तमान में है।
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“आपका खुश रहना ही आपका बुरा चाहने वालो के लिए सबसे बडी सजा हैं.”
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“अगर ख्वाईश कुछ अलग करने की है तो दिल और दिमाग के बीच बगावत लाजमी है।”
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“कोशिश करना न छोड़े, गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल सकती हैं.”
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“जिस काम में काम करने की हद पार ना फिर वो काम किसी काम का नहीं।”
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“इंतजार करना बंद करो, क्योकिं सही समय कभी नही आता.”
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डूबकर मेहनत करो अपने सपनों के लिए क्योंकि कल जब उभरोगे सबसे अलग ही निखरोगे।
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“मुनाफा का तो पता नहीं लेकिन बेचने वाले तो यादों को भी कारोबार बना कर बेच देते है।” हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन हमारे पास समान अवसर हैं, अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए – रतन टाटा अभी तो असली मंज़िल पाना बाक़ी है अभी तो इरादों का Exam बाक़ी है अभी तो तोली है मुट्ठी भर ज़मीन, अभी तो तोलना आसमान बाक़ी है। श्रेष्ठ वही है जिसमे, दृढ़ता हो, जिद नहीं, बहादुरी हो, जल्दबाज़ी नहीं, दया हो, कमजोरी नहीं। हमारे पास बचपन से ही दो रास्ते होते हैं या तो हम सही रास्ता चुन लें, नही तो कठिनाइयाँ हमारा रास्ता चुन लेंगी। अपनी उर्जा को चिंता करने में खत्म करने से बेहतर है, इसका उपयोग समाधान ढूंढने में किया जाए। बहते अश्कों की ज़ुबान नहीं होती लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयां नहीं होती मिले जो प्यार तो कदर करना किस्मत हर किसी पर मेहरबान नहीं होती “कल को आसान बनाने के लिए आज आपको कड़ी मेहनत करनी ही पड़ेगी।” मित्र बनाने में धीमे रहिये, और बदलने में और भी। “यदि लोग आपके लक्ष्य पर हंस नहीं रहे हैं तो समझो आपका लक्ष्य बहुत छोटा हैं.” दिल भी झुकना चाहिए सजदे में सर के साथ, दिल कहीं, सर कहीं, ये बंदगी अच्छी नहीं। “सपनों को सच करने से पहले सपनों को ध्यान से देखना होता है।” सर उठाकर फक्र से चलने की हसरत हो अगर तो सीखिये गर्दन कहाँ कितनी झुकानी चाहिए
प्रेरणादायक सुविचार इन हिंदी 2 line
अगर जीवन में कुछ पाना है तो, अपने तरीके बदलो, इरादे नहीं। “भीड़ हौंसला तो देती हैं लेकिन पहचान छिन लेती हैं.” “जमाने में वही लोग हम पर उंगली उठाते हैं जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।” कल की चिंता नहीं, कल की उत्सुकता होनी चाहिए। नई शुरुआत के लिए हर दिन एक बेहतरीन दिन होता है! सबसे बड़ी समस्या हमारा दिमाग ही होता है, उन बातों को भी पकड़ कर रखता है जो बेवजह होती हैं। एक कतरा ही सही, मुझे ऐसी नीयत दे मौला, किसी को प्यासा जो देखूँ, तो दरिया हो जाऊँ। जो व्यक्ति अपने वर्तमान को बिगाड़ लेता है उसका भविष्य स्वयं ही धुंधला हो जाता है दो बातें इंसान को अपनो से दूर कर देती है, एक उसका “अहम” और दूसरा उसका “वहम” ज़िद्द एक ऐसी दीवार है जो तोड़े नही टूटती लेकिन इस से रिश्ते जरूर टूट जातें हैं खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है… स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है….. स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना अगर पाना है मंजिल तो अपना रहनुमा खुद बनो, वो अक्सर भटक जाते हैं, जिन्हें सहारा मिल जाता है।
Success प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स
अगर किसी को कुछ देना पड़े तो उसको अच्छी शिक्षा दो जो उसके जीवन भर काम आयेगी “चीजों की कीमत मिलने से पहले होती है और इंसानों की कीमत खोने के बाद होती है।” कभी पीठ पीछे आपकी बात चले, तो घबराना मत क्योंकि बात तो उन की होती है जिनमे कोई बात होती है सफाई देने में अपना समय व्यर्थ ना करें लोगों वही सुनते हैं जो वह सुनना चाहते हैं असाधारण चीजें हमेशा वहां छुपी होती है जहां लोग सोच भी नहीं पाते। कल के लिए सबसे अच्छी तैयारी यही है कि आज अच्छा करो। चाहे आप कितने भी बड़े ज्ञानी क्यों न हों, तजुर्बा आपको बेवक़ूफ़ बनने के बाद ही मिलता है। उसकी कदर करने में देर मत करना, जो इस दौर में भी तुम्हे वक़्त देता है। वो नज़र सबसे अच्छी होती है जो खुद की कमियों को देख सकती है। सब से कठिन काम है, सब को खुश रखना, सब से आसान काम है, सब से खुश रहना। आंधियाँ सदा चलती नहीं, मुश्किलें सदा रहती नहीं! मिलेगी तुझे मंजिल तेरी, बस तू ज़रा कोशिश तो कर। कौन कहता है ईश्वर नजर नही आता, सिर्फ वही तो नजर आता है जब कोई नजर नही आता। जीवन में हारते वो नही जो असफल हो जाते है, बल्कि असफल तो वो हो जाते है जो दोबारा प्रयास ही नही करते है। धन दौलत बटाई जा सकती है लेकिन बुद्धि कभी नहीं बटाई जा सकती है महान लक्ष्य के रास्ते पर सिर्फ खुद पर भरोसा रखना क्यों कि आपसे बेहतर उस पर चलना कोई नही जानता । जब आप फ़िक्र में होते है तो आप जलते है, जब आप बेफिक्र होते है तो दुनिया जलती है। हम तो छोटे है अदब से सर झुका लेंगे जनाब, बड़े ये तय कर ले कि उन में बड़प्पन कितना है रातों को कोशिशों में गंवा देते हैं, वहीं सपनों की चिंगारी को और हवा देते हैं। लक्ष्य छोटा हो या बड़ा हो मेहनत सब के लिए करनी पड़ती है चोरी, निंदा और झूठ, ये तीन बातें चरित्र को नष्ट करती हैं संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती और ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं होती जितना और हारना यह तो आपकी सोच पर निर्भर करता है मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी। कौन कहता है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है दुनिया को जलाने के लिए एक चिंगारी काफी होती है “जो हम दूसरों को देंगे वही लौटकर हमारे पास आएगा चाहे वह इज्जत हो, सम्मान हो या फिर धोखा।” “जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की.”
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जीवन में कभी किसी से सम्बन्ध ख़राब नहीं करने चाहीये क्योंकि गंधा पानी प्यास नहीं तो आग भुजाने के काम जरुर आता है बलवान और धनवान नहीं बुद्धिमान बनो क्योंकि बुद्धि होगी तो धन और बल दोनों आ जायेंगे “बरसात में भीगने से लिबास बदल जाते है, और पसीने में भीगने से इतिहास रचे जाते है।” “मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है।” “सोच अच्छी होनी चाहिए क्योंकि नजर का, इलाज तो मुमकिन है लेकिन नजरिए का नहीं।” इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है क्योंकि,, सफलता का आनंद उठाने के लिए यह जरूरी है… साहस आगे बढ़ने की शक्ति होना नहीं है-यह शक्ति ना होने पर भी आगे बढ़ते जाना है हमारी समस्याओं का समाधान तो केवल हमारे पास ही है दूसरों के पास तो केवल सुझाव है। जब दर्द और कडवी बोली, दोनों मीठी लगने लगे, तब समज लीजिये की जीना आ गया. जहाँ प्रयत्नों की ऊंचाई अधिक होती है, वहाँ नसीबों को भी झुकना पड़ता है। “अगर आप सफल होना चाहते हो तो आपको अपने काम में एकाग्रता लानी होगी।” देखा हुआ सपना सपना ही रह जाता है, जब तक व्यक्ति अपना पसीना नही बहाता है। Read Also Read the full article
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