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#फेसिअलएक्सप्रेशन
allgyan · 4 years
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तांडव मूवी-राजशाही कोई रिश्तेदारी नहीं जानता-
तांडव वेब सीरीज़ आज ही अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ हुई है |हमारी कोशिश यही रहेगी की आपको कम से कम ऐसी चीजें बताया की मूवी को देखने से पहले आप समझ सके की मूवी आपके देखने लायक है या केवल समय की बर्बादी है |तांडव मूवी एक राजनीति ड्रामा है | इसको डायरेक्ट करने वाले अली अब्बास ज़फर अच्छी डायरेक्टर माने जाते है | इन्होने पहली मूवी जो डायरेक्ट की वो कटरीना अभिनीत 'मेरे ब्रदर की दुल्हन थी ' उसके बाद इन्होने सुल्तान और गुंडे भी डायरेक्ट की |इस मूवी की पटकथा भी पुराने मूवी जैसे -राजनीति के सामान ही प्रतीत होती है |तांडव मूवी आप एक कोटेशन में भी परिभाषित कर सकते है वो कोटेशन है - kingship knows no kinship -जिसका अर्थ है -राजशाही कोई रिश्तेदारी नहीं जानता|
तांडव मूवी और किरदारों के काम -
इस मूवी में कई बेहतरीन अभिनेता और अभिनेत्री ने काम किया है | सैफ अली खान ने समर प्रताप का किरदार निभाया है और उनके पिता देवकी का किरदार तिग्मांशु दुलिया ने निभाया है और उनके तथाकथित महिला मित्र का किरदार डिम्पल कपाड़िया ने अनुराधा के रूप में बनाया |डिम्पल ने अपने किरदार के साथ न्याय दिखाती हुई प्रतीत हुई और कई सीन में वो अपना छाप छोड़ती पायी गयी |तिग्मांशु का रोल छोटा था लेकिन तिग्मांशु ने गैंग ऑफ़ वास्सेपुर वाला जलवा बरक़रार रखा है | सुनील ग्रोवर ने गुरपाल के रूप में सबको चौकाया है | सुनील की पहचान वैसे तो कॉमेडी के लिए जानी जाती है |
लेकिन तांडव में वो हर एक सीन में दिखाई दिए | वो इस मूवी में समर के बाये हाथ का रोल किया है |गौहर खान ने अनुराधा के पर्सनल सेक्रटरी मैथली का किरदार निभाया है |जिनका रोल केवल फ़ोन उठाने से लेकर फ़ोन टैप करने तक ही था |और एक संक्षिप्त रोल था|दलित नेता का किरदार निभाते हुए अनूप सोनी अच्छे लगे है | शिवा का किरदार निभाने वाले ज़ीशान अयूब ने अपनी मजबूत उपस्थति दिखाई है |
तांडव मूवी की कहानी एक संक्षेप में -
यह कहानी समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) की है। समर की पार्टी तीन बार से देश की संसद में काबिज है और उनके पिता देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) भारत के प्रधानमंत्री हैं। समर को पूरी उम्मीद है कि अब आने वाले समय में देवकी नंदन अपनी कुर्सी और पार्टी उनके हवाले कर देंगे लेकिन यह इतना आसान नहीं होता क्योंकि समर के पिता(तिग्मांशु दुलिया )ने समर को एक तानशाह मानते थे और वो उसको इतनी आसानी से सत्ता की चाभी समर को न देने वाले थे।और समर को सत्ता को पाने की लालसा की बहुत ही जल्दी पड़ी थी | जब समर को अपना रास्ता साफ होते नहीं दिखता है तो वह अपने पिता देवकी नंदन की हत्या कर देता है। लेकिन इसके बाद भी समर को कुर्सी नहीं मिल पाती और कुर्सी पर देवकी नंदन की नजदीकी नेता अनुराधा किशोर (डिंपल कपाड़िया) काबिज हो जाती है। हालांकि समर की मदद के लिए उसका नजदीकी मददगार गुरपाल (सुनील ग्रोवर) हमेशा मौजूद रहता है। इसी बीच राजनीति कि रस्साकशी में वीएनयू (मतलब जेएनयू मान लीजिए) का एक यंग और डायनैमिक लीडर शिवा (मोहम्मद जीशान अयूब) भी मैदान में कूद पड़ता है। अब समर कैसे इस बीच अपना रास्ता बनाता है, बस यही इस पूरी वेब सीरीज की कहानी है।कहानी को अली अब्बास ज़फर ने अच्छे से पिरोया है |
समीक्षा -
इस पोलिटिकल ड्रामा में आपको शुरवात में तो लगेगा की कई तरह के इसमें पैतरेबाजी दिखेगी लेकिन जो भी दर्शक कुछ नयापन खोजने के लिए इसको देखेंगे उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी | अली अब्बास साहब ने लगता है पुरानी राजनीति पर मूवी से ही प्रेरणा ली है | हमेशा की ही तरह सैफ अली खान स्टाइलिश लगे है और कुछ प्रभाव छोड़ते हुए नज़र आये है लेकिन प्रभावहिन डायलॉग कहानी को कमजोर करते है | डिम्पल कपाड़िया ने बेहतरीन एक्टिंग की है और एक एक सीन खुद को स्थापित किया है | एक बात गौर करने वाली है की अली अब्बास ज़फर ने सभी किरदारों के फेसिअल एक्सप्रेशन पर बेहतरीन काम किया है | हर डायलॉग पर कहानी के अंदर लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है ये उनके फेसिअल एक्सप्रेशन उनका बेखूबी साथ देते दिख रहे है |इसके लिए अली अब्बास की तारीफ जितनी भी की जाये कम है |
तांडव मूवी क्यों देखे -
इधर जब आप कहानी या ये मूवी देखेंगे तो आप को भारत में इन दिनों जो भी घटनाये घटी है उसको भी जोड़ते हुए दिखाई देती है |स्टूडेंट पॉलिटिक्स या आज़ादी के नारे या देशद्रोह कानून , किसानों का आंदोलन, आईटी सेल का प्रोपेगैंडा सबकुछ देखने को मिलेगा।लेकिन एक टाइम वाच इस मूवी को कह सकते है क्योकि अभिनय की दृष्टि से सबने अच्छा काम किया है लेकिन कहानी स्लो प्रतीत होती है | मेरे हिसाब से मैं इसे 5 में से 2 रेटिंग दे सकता हूँ |
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allgyan · 4 years
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तांडव मूवी : फिल्म समीक्षा -
तांडव मूवी-राजशाही कोई रिश्तेदारी नहीं जानता-
तांडव वेब सीरीज़ आज ही अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ हुई है |हमारी कोशिश यही रहेगी की आपको कम से कम ऐसी चीजें बताया की मूवी को देखने से पहले आप समझ सके की मूवी आपके देखने लायक है या केवल समय की बर्बादी है |तांडव मूवी एक राजनीति ड्रामा है | इसको डायरेक्ट करने वाले अली अब्बास ज़फर अच्छी डायरेक्टर माने जाते है | इन्होने पहली मूवी जो डायरेक्ट की वो कटरीना अभिनीत 'मेरे ब्रदर की दुल्हन थी ' उसके बाद इन्होने सुल्तान और गुंडे भी डायरेक्ट की |इस मूवी की पटकथा भी पुराने मूवी जैसे -राजनीति के सामान ही प्रतीत होती है |तांडव मूवी आप एक कोटेशन में भी परिभाषित कर सकते है वो कोटेशन है - kingship knows no kinship -जिसका अर्थ है -राजशाही कोई रिश्तेदारी नहीं जानता|
तांडव मूवी और किरदारों के काम -
इस मूवी में कई बेहतरीन अभिनेता और अभिनेत्री ने काम किया है | सैफ अली खान ने समर प्रताप का किरदार निभाया है और उनके पिता देवकी का किरदार तिग्मांशु दुलिया ने निभाया है और उनके तथाकथित महिला मित्र का किरदार डिम्पल कपाड़िया ने अनुराधा के रूप में बनाया |डिम्पल ने अपने किरदार के साथ न्याय दिखाती हुई प्रतीत हुई और कई सीन में वो अपना छाप छोड़ती पायी गयी |तिग्मांशु का रोल छोटा था लेकिन तिग्मांशु ने गैंग ऑफ़ वास्सेपुर वाला जलवा बरक़रार रखा है | सुनील ग्रोवर ने गुरपाल के रूप में सबको चौकाया है | सुनील की पहचान वैसे तो कॉमेडी के लिए जानी जाती है |
लेकिन तांडव में वो हर एक सीन में दिखाई दिए | वो इस मूवी में समर के बाये हाथ का रोल किया है |गौहर खान ने अनुराधा के पर्सनल सेक्रटरी मैथली का किरदार निभाया है |जिनका रोल केवल फ़ोन उठाने से लेकर फ़ोन टैप करने तक ही था |और एक संक्षिप्त रोल था|दलित नेता का किरदार निभाते हुए अनूप सोनी अच्छे लगे है | शिवा का किरदार निभाने वाले ज़ीशान अयूब ने अपनी मजबूत उपस्थति दिखाई है |
तांडव मूवी की कहानी एक संक्षेप में -
यह कहानी समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) की है। समर की पार्टी तीन बार से देश की संसद में काबिज है और उनके पिता देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) भारत के प्रधानमंत्री हैं। समर को पूरी उम्मीद है कि अब आने वाले समय में देवकी नंदन अपनी कुर्सी और पार्टी उनके हवाले कर देंगे लेकिन यह इतना आसान नहीं होता क्योंकि समर के पिता(तिग्मांशु दुलिया )ने समर को एक तानशाह मानते थे और वो उसको इतनी आसानी से सत्ता की चाभी समर को न देने वाले थे।और समर को सत्ता को पाने की लालसा की बहुत ही जल्दी पड़ी थी | जब समर को अपना रास्ता साफ होते नहीं दिखता है तो वह अपने पिता देवकी नंदन की हत्या कर देता है। लेकिन इसके बाद भी समर को कुर्सी नहीं मिल पाती और कुर्सी पर देवकी नंदन की नजदीकी नेता अनुराधा किशोर (डिंपल कपाड़िया) काबिज हो जाती है। हालांकि समर की मदद के लिए उसका नजदीकी मददगार गुरपाल (सुनील ग्रोवर) हमेशा मौजूद रहता है। इसी बीच राजनीति कि रस्साकशी में वीएनयू (मतलब जेएनयू मान लीजिए) का एक यंग और डायनैमिक लीडर शिवा (मोहम्मद जीशान अयूब) भी मैदान में कूद पड़ता है। अब समर कैसे इस बीच अपना रास्ता बनाता है, बस यही इस पूरी वेब सीरीज की कहानी है।कहानी को अली अब्बास ज़फर ने अच्छे से पिरोया है |
समीक्षा -
इस पोलिटिकल ड्रामा में आपको शुरवात में तो लगेगा की कई तरह के इसमें पैतरेबाजी दिखेगी लेकिन जो भी दर्शक कुछ नयापन खोजने के लिए इसको देखेंगे उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी | अली अब्बास साहब ने लगता है पुरानी राजनीति पर मूवी से ही प्रेरणा ली है | हमेशा की ही तरह सैफ अली खान स्टाइलिश लगे है और कुछ प्रभाव छोड़ते हुए नज़र आये है लेकिन प्रभावहिन डायलॉग कहानी को कमजोर करते है | डिम्पल कपाड़िया ने बेहतरीन एक्टिंग की है और एक एक सीन खुद को स्थापित किया है | एक बात गौर करने वाली है की अली अब्बास ज़फर ने सभी किरदारों के फेसिअल एक्सप्रेशन पर बेहतरीन काम किया है | हर डायलॉग पर कहानी के अंदर लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है ये उनके फेसिअल एक्सप्रेशन उनका बेखूबी साथ देते दिख रहे है |इसके लिए अली अब्बास की तारीफ जितनी भी की जाये कम है |
तांडव मूवी क्यों देखे -
इधर जब आप कहानी या ये मूवी देखेंगे तो आप को भारत में इन दिनों जो भी घटनाये घटी है उसको भी जोड़ते हुए दिखाई देती है |स्टूडेंट पॉलिटिक्स या आज़ादी के नारे या देशद्रोह कानून , किसानों का आंदोलन, आईटी सेल का प्रोपेगैंडा सबकुछ देखने को मिलेगा।लेकिन एक टाइम वाच इस मूवी को कह सकते है क्योकि अभिनय की दृष्टि से सबने अच्छा काम किया है लेकिन कहानी स्लो प्रतीत होती है | मेरे हिसाब से मैं इसे 5 में से 2 रेटिंग दे सकता हूँ | पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3inPtfR
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