#प्रबंधन के सिंगापुर संस्थान
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अंतर-उद्योग और अंतर-सांस्कृतिक प्रशिक्षण से स्थानीय बाजार को बढ़ावा मिलेगा - टाइम्स ऑफ इंडिया
अंतर-उद्योग और अंतर-सांस्कृतिक प्रशिक्षण से स्थानीय बाजार को बढ़ावा मिलेगा – टाइम्स ऑफ इंडिया
कोविड -19 के प्रभाव के कारण पिछले दो वर्षों में व्यवसाय बदल गए हैं और इससे प्रबंधन शिक्षा और शिक्षार्थियों का उद्देश्य बदल गया है। प्रबंधन के सिंगापुर संस्थान (सिम), जो लगभग 800 भारतीय छात्रों को नामांकित करता है, पाठ्यक्रम को बदलकर सीखने के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सिम प्रबंधन सामाजिक प्रभाव पैदा करने के उद्देश्य से शिक्षा मॉडल पेश करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। गेराल्ड लुम,…
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प्रियंका से फातिमा...चंद्रकला को बनाया कनीज! दिल्ली से लखनऊ तक फैला है धर्मांतरण रैकेट का जाल Divya Sandesh
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प्रियंका से फातिमा...चंद्रकला को बनाया कनीज! दिल्ली से लखनऊ तक फैला है धर्मांतरण रैकेट का जाल
लखनऊ देशभर में धर्मांतरण का रेकैट फैलाने वाले उमर गौतम और जहांगीर का लखनऊ कनेक्शन भी बेनकाब हुआ है। पता चला है कि लखनऊ की प्रियंका सेन और चंद्रकला यादव का भी धर्म परिवर्तन इसी रैकेट ने करवाया था। इसके बाद वे अब धर्म बदलकर परिवार से अलग रह रही हैं। इनमें से प्रियंका अलीगंज के मेंहदी टोला की रहने वाली है, जबकि चंद्रकला का परिवार तेलीबाग में रहता है।
2010 तक दिल्ली रहता था प्रियंका का परिवार प्रियंका मुस्लिम बनने के बाद फातिमा मोहम्मद फारूक के नाम से जानी जाती है। जहांगीर के यहां से एटीएस ने जो दस्तावेज बरामद किए हैं, उसमें प्रियंका का पता 532 केएनए….336 मेंहदी टोला अलीगंज लिखा हुआ है। प्रियंका के मेंहदी टोला स्थित घर में उसकी मां माया सेन और भाई रहता है। प्रियंका अब कहां और किस हाल में है इस बात का पता प्रियंका के परिवार वालों को नहीं है। मां माया सेन ने बताया कि वर्ष 2010 तक वह लोग दिल्ली में पूरे परिवार संग रहते थे। उनके पति भगवती सेन की करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद वह अपने बेटे नितिन और बेटी प्रियंका के साथ अलीगंज के मेहंदी टोला में अपने पुश्तैनी मकान में आकर रहने लगी। बेटी प्रियंका ने सॉफ्टवेयर से डिप्लोमा किया था।
चंद्रकला अब कनीज फातिमा, परिवार ने तोड़ा नाता तेलीबाग के राजीव नगर घोसियाना में रहने वाली चंद्रकला अब कनीज फातिमा के नाम से जानी जाती है। चंद्रकला के पिता ओपी यादव सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हैं। परिवार में चंद्रकला समेत तीन बेटियां है। चंद्रकला दूसरे नंबर की बेटी है। करीब 33 वर्षीय चंद्रकला ने बी फार्मेसी की पढ़ाई की है। वह जयपुर में निजी संस्थान में पढ़ाने का काम करती है। घरवालों का कहना है कि अब उससे हमारा कोई संबंध नहीं है।
मलिहाबाद की एक संस्था में पदाधिकारी है उमर गौतम धर्मांतरण का मुख्य आरोपी मोहम्मद उमर गौतम लखनऊ से संचालित अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन में भी पदाधिकारी है। एटीएस को आशंका है कि इस संस्था से भी फंडिंग की जा रही थी। उमर इस संस्था में उपाध्यक्ष के पद पर है। अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन लखनऊ के मलिहाबाद के रहमानखेड़ा में एक स्कूल संचालित कर रहा है। दसवीं तक के सीब���एसई बोर्ड के इस स्कूल में 500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की भी बात कही जाती है।
18 बार इंग्लैंड, 4 बार अमेरिका गया था उमर अवैध धर्मांतरण का कथित नेटवर्क चलाने वाले मोहम्मद उमर गौतम ने धर्म परिवर्तन के कार्यक्रमों के लिए 18 बार इंग्लैंड, 4 बार अमेरिका, सिंगापुर, पोलैंड व अफ्रीका के कई देशों की यात्राएं की। उसने विदेश में भी कई लोगों का धर्मांतरण करवाया था। उमर के सामने आए दो वीडियो से यह खुलासा हुआ है। उधर, उमर और जहांगीर के पास से बरामद दस्तावेज से लखनऊ के अलीगंज के मेंहदी टोला व तेलीबाग की दो लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाए जाने की बात सामने आई है।
वीडियो में उमर कह रहा है कि वह 18 बार इंग्लैंड जा चुका है, जिस यूनिवर्सिटी में वह पढ़ता था, वहां भी उसने सात लोगों का धर्मांतरण करवाया था, इनमें उसका गोरखपुर का एक यादव मित्र भी है। वह कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी की एक हिंदू छात्रा का भी धर्मांतरण करवाए जाने का दावा कर रहा है। वीडियो में वह स्वीकार कर रहा है कि उसके दिल्ली के इस्लामिक दावाह सेंटर से धर्मांतरण के करीब एक हजार से ज्यादा सर्टिफिकेट जारी किए हैं। सेंटर से हर माह करीब 15 सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे। इसी तरह उसने पोलैंड, पुर्तगाल, जर्मनी, सिंगापुर, अमेरिका से इंग्लैंड में भी धर्मांतरण करवाने के बाद उन्हें विधिक भी मजबूती दिलवाई। विडियों में वह कई शादियां करवाने और धर्मांतरण करवाने वालों की मदद करने की अपील भी कर रहा है।
साइन लैंग्वेज के जानकार भी शामिल यूपी एटीएस ने उमर और जहांगीर को बुधवार को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी। हालांकि दोनों ने एटीएस के सवालों के जवाब में कहा कि धर्मांतरण अल्लाह का काम है और इसका आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। जांच टीम में दो अलग-अलग साइन लैंग्वेज के जानकारों को भी जोड़ा गया है। ताकि उन मूक-बधिरों से भी पूछताछ हो सके जिनका धर्मांतरण करवाया गया।
एटीएस ने मांगा पिछले 5 साल का रेकॉर्ड कथित धर्म परिवर्तन गैंग के पर्दाफाश के बाद एटीएस लगातार कानपुर में अलग-अलग जगहों पर पहुंच कर तफ्तीश कर रही है। बुधवार को एक टीम बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय पहुंची। टीम ने स्कूल मैनेजर और प्रिंसिपल से पिछले 5 साल का रेकॉर्ड मांगा है। स्कूल प्रबंधन ने गुरुवार सुबह तक सारे दस्तावेज देने का आश्वासन दिया है।
कानपुर के आदित्य उर्फ अब्दुल से पूछताछ में एटीएस को पता चला था कि धर्म परिवर्तन के लिए सबसे पहले उससे बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में संपर्क किया गया था। इसके बाद बुधवार सुबह कुछ पुलिसकर्मी स्कूल पहुंचे। प्रिंसिपल रामदास पाल से पिछले साल में यहां प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों और शिक्षकों की ��ूरी जानकारी मांगी। कोविड के कारण स्कूल बंद होने का हवाला देते हुए प्रिंसिपल ने बताया कि सारी जानकारियां स्कूल प्रबंधक कमलेश के पास हैं। मैनेजर ने फोन पर एटीएस को आश्वासन दिया है कि गुरुवार सुबह तक सारी जानकारियां उपलब्ध करवा दी जाएंगी। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सारे मौजूदा शिक्षकों को बुलाकर जानकारियां इकट्ठा करना शुरू कर दिया है।
नोएडा से आए ट्रेनर पर शक सूत्रों के अनुसार एटीएस को मिली कुछ जानकारियों को केंद्र में रखकर काम किया जा रहा है। मसलन अप्रैल-2019 से मार्च-2020 के बीच नोएडा डेफ सोसायटी का एक शिक्षक ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ाने के लिए आया था। पासआउट होने के बावजूद आदित्य उर्फ अब्दुल उनसे मिलना आता था। बताया जा रहा है कि क्लास के बाद भी वह बच्चों को अलग से समय देता था। शुरुआत में माना गया कि वह बच्चों को कौशल विकास के बारे में कुछ सिखाता है, लेकिन बाद में पता चला कि वह धर्म प्रचार कर रहा था। वह ट्रेनर विद्यालय प्रबंधन ने बुलाया था।
हाई कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर सरकार से जवाब मांगा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी। यह आदेश चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। दाखिल याचिकाओं में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग की आशंका जताई गई थी। साथ ही कोर्ट ने धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं को खारिज भी किया है। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है।
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एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी हिंदी में || ApJ Abdul kalam biography in Hindi
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया
अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की। राष्ट्रपति कलाम ने, खुद अपने से धन्यवाद कार्ड लिखा! एक बार एक व्यक्ति ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का स्कैच बना कर उन्हें भेजा। उन्हें यह जान कर बहुत आश्चर्य हुआ कि डॉ कलाम ने खुद अपने हाथों से उनके लिए एक संदेश और अपना हस्ताक्षर करके एक थैंक यू कार्ड भेजा है। 1969 में उन्हें ISRO भेज दिया गया जहाँ उन्होंने परियोजना निदेशक (Project Director) के पद पर काम किया।उन्होंने पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान (Satellite Launch Vehicle – SLV III) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle -PSLV) को बनाने में अपना अहम् योगदान दिया जिनका प्रक्षेपण बाद में सफल हुआ। 1980 में भारत सरकार ने एक आधुनिक मिसाइल प्रोग्राम(Advanced missile program) अब्दुल कलाम जी डायरेक्शन से शुरू करने का सोचा इसलिए उन्होंने दोबारा DRDO में भेजा। उसके बाद एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program -IGMDP) कलाम जी के मुख्य कार्यकारी के रू�� में शुरू किया गया। अब्दुल कलाम जी के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे मिसाइल का बनाना सफल हुआ। डॉ. कलाम जानते थे कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र के समर्थ भविष्य के निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है. उन्होंने हमेशा देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने की बात कही. उनके पास भविष्य का एक स्पष्ट खाका था, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक 'इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलिनियम' में प्रस्तुत किया. इंडिया 2020 पुस्तक में उन्होंने लिखा कि भारत को वर्ष 2020 तक एक विकसित देश और नॉलेज सुपरपॉवर बनाना होगा. उनका कहना था कि देश की तरक्की में मीडिया को गंभीर भूमिका निभाने की जरूरत है. नकारात्मक खबरें किसी को कुछ नहीं दे सकती, लेकिन सकारात्मक और विकास से जुड़ी खबरें उम्मीदें जगाती हैं. डॉ. कलाम एक प्रख्यात वैज्ञानिक, प्रशासक, शिक्षाविद् और लेखक के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे और देश की वर्तमान एवं आने वाली कई पीढ़ियां उनके प्रेरक व्यक्तित्व एवं महान कार्यों से प्रेरणा लेती रहेंगी. पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम यूं ही अचानक सबको छोड़कर अनंत यात्रा पर विदा हो गए. दिल का दौरा पड़ने से 83 साल के डॉ. कलाम का सोमवार शाम निधन हो गया. इस ख़बर ने पूरे देश को गम में डूबो दिया तो साथ ही आम लोगों के बेहद करीब इस शख्स से जुड़ी हर याद ताजा हो गई. एक ऐसा ही वाकया पिछले साल का है, जब फ्लाइट से इंदौर आने के दौरान दो साल की एक बच्ची ने डॉ. कलाम का दिल जीत लिया. पिछले साल जून में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम इंदौर की एक फ्लाइट में दो साल की उस बच्ची की प्रशंसा करने से बच नहीं सके जो सभी को शेयरिंग सीखा रही थी. दो साल की इस बच्ची का नाम मानवी था और ये बेहद मासूमियत से फ्लाइट में मौजूद सभी यात्रियों को अपने चिप्स के पैकेट से चिप्स ऑफर कर रही थी. कई यात्रियों को चिप्स ऑफर करने के बाद वह डॉ. कलाम के पास भी पहुंच गई थी. दो साल की इस मासूम के लिए वो कोई पूर्व राष्ट्रपति नहीं बल्कि सभी की तरह ही एक यात्री थे. बच्ची ने बड़े ही प्यार से उन्हें भी चिप्स ऑफर किए तो डॉ. कलाम बेहद भावुक हो गए. उन्होंने बच्ची को गले लगा लिया और उसके साथ फोटो भी खिंचवाई. वे उस बच्ची की उदारता के कायल हो गए और उसकी तारीफ भी की. इतना ही नहीं, उसकी शेयरिंग की ये बात कलाम को इतनी पंसद आ गई कि उन्होंने मानवी के साथ फोटो भी खिंचवाया और ट्वीट भी किया था. कलाम जानते थे कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र के समर्थ भविष्य के निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है. उन्होंने हमेशा देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने की बात कही. उनके पास भविष्य का एक स्पष्ट खाका था, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक 'इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलिनियम' में प्रस्तुत किया. इंडिया 2020 पुस्तक में उन्होंने लिखा कि भारत को वर्ष 2020 तक एक विकसित देश और नॉलेज सुपरपॉवर बनाना होगा. उनका कहना था कि देश की तरक्की में मीडिया को गंभीर भूमिका निभाने की जरूरत है. नकारात्मक खबरें किसी को कुछ नहीं दे सकती, लेकिन सकारात्मक और विकास से जुड़ी खबरें उम्मीदें जगाती हैं. डॉ. कलाम एक प्रख्यात वैज्ञानिक, प्रशासक, शिक्षाविद् और लेखक के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे और देश की वर्तमान एवं आने वाली कई पीढ़ियां उनके प्रेरक व्यक्तित्व एवं महान कार्यों से प्रेरणा लेती रहेंगी. अपनी आत्म-कथा कृति ‘ माई जर्नी ‘ में कलाम साहब ने लिखा है – जीवन के वे दिन काफी कसमसाहट भरे थे ��� एक तरफ विदेशों में शानदार कैरियर था तो दूसरी तरफ देश-सेवा का आदर्श । बचपन के सपनों को सच करने का अवसर का चुनाव करना कठिन था कि आदर्शों की ओर चला जाये या मालामाल होने के अवसर को गले लगाया जाये । लेकिन अन्तत: मैंने तय किया कि पैसों के लिए विदेश नहीं जाऊंगा । कैरियर की परवाह के लिए देश-सेवा का अवसर नहीं गवारूँगा । इस तरह 1958 में मैं डी. आर. डी. औ. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर्गनाइजेशन ) से जुड़ गया । डॉ. कलाम की पहली तैनाती डी. आर. डी. ओ. के हैदराबाद केन्द्र में हुई । पाँच सालों तक वे यहाँ पर महत्त्वपूर्ण अनुसंधानों में सहायक रहे । उन्हीं दिनों चीन ने भारत पर हमला कर दिया । 1962 के इस युद्ध में भारत को करारी हार की शिकस्त झेलनी पड़ी। युद्ध के तुरन्त बाद निर्णय लिया गया कि देश की सामरिक शक्ति को नये हथियारों से सुसज्जित किया जाय । अनेक योजनाएँ बनी, जिनके जनक डा. कलाम थे । लेकिन 1963 में उनका हैदराबाद से त्रिवेन्द्रम तबादला कर दिया गया । उनका यह तबादला विक्रम स्पेस रिसर्च सेन्टर में हुआ, जो कि दूसरों ( इन्डियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनेइाजेशन ) का सहयोगी संस्थान था । डा. कलाम ने 1980 तक इस केंद्रे में काम किया । अपने इस लम्बे सेवाकाल में उन्होंने देश को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण मुकाम तक पहुंचाया । पुरस्कार और सम्मान देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
वर्षसम्मानसंगठन2014डॉक्टर ऑफ साइंसएडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन2012डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद )साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय2011आईईईई मानद सदस्यताआईईईई2010डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंगवाटरलू विश्वविद्यालय2009मानद डॉक्टरेटऑकलैंड विश्वविद्यालय2009हूवर मेडलASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका2009अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कारकैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका2008डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंगनानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर2007चार्ल्स द्वितीय पदकरॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन2007साइंस की मानद डाक्टरेटवॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन2000रामानुजन पुरस्कारअल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई1998वी�� सावरकर पुरस्कारभारत सरकार1997राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कारभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस1997भारत रत्नभारत सरकार1994विशिष्ट फेलोइंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)1990पद्म विभूषणभारत सरकार1981पद्म भूषणभारत सरकार
राष्ट्रपति कार्यकाल ख़त्म होने पर Abdul Kalam जी IIM शिलोंग, IIM अहमदाबाद, IIM इंदौर, IIS बंगलौर और अन्य कॉलेज से गेस्ट प्रोफेसर के तौर पर जुड़ गये. साल 2012 में भारतीय युवायों के लिए एक कार्यक्रम “What Can I Give Movement” शुरू किया, जिसका उद्देश्य भारत में भ्रष्टाचार को हराना है. डॉ. कलाम के विचार : 1. प्रशन पूछना, विधार्थियों की सभी प्रमुख विशेषताओ में से एक है। इसलिए छात्रों सवाल पूछों। 2. ��ेरे लिए नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज़ नहीं है। 3. जिंदगी और समय, विशव के दो सबसे बड़े अध्यापक है। ज़िंदगी हमे समय का सही उपयोग करना सिखाती है जबकि समय हमे ज़िंदगी की उपयोगिता बताता है। 4. जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है। 5. इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है। 6. मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता। 7. जो लोग आधे अधूरे मन से कोई काम करते है उन्हें आधी अधूरी, खोकली सफलता मिलती है जो चारो और कड़वाहट भर देती है। 8. हमे प्रयत्न करना नहीं छोड़ना चाहिए और समस्याओ से नहीं हारना चाहिए। डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को बहुत सारे पुस्तकों में समाहित किया है, जिसमें से कुछ : Wings Of Fire, India 2020 – ‘इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’, तथा ‘इग्नाटिड माइंड्स– अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए। यह भी पढे:
कबीर दास जीवनी हिंदी में || Kabir das biography in Hindi
महात्मा गांधी की जीवनी हिंदी में || Mahatma Gandhi biography in Hindi
भगत सिंह का जीवन परिचय , शिक्षा, आन्दोलन और मृत्यु का कारण
Mr. Faisu (फैसल शेख) जीवनी 2020, विकी, आयु, ऊंचाई, प्रेमिका
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पृष्ठभूमि
मेकांग, गंगा सहयोग (एमजीसी) 6 देशों की एक पहल है, जिसमें भारत और 5 आसियान देश, अर्थात कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं, जो पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा, परिवहन और संचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए संगठित हुए हैं।
इसकी शुरुआत 10 नवंबर, 2000 को लाओस की राजधानी वियनतियाने में की गई थी। गंगा और मेकांग दोनों सभ्यतामूलक नदियां हैं। एमजीसी का उद्देश्य इन दो प्रमुख नदी घाटियों के बीच रहने वाले लोगों को करीब लाना है। यह सदस्य देशों के बीच सदियों से चले आ रहे सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंधों को भी जोड़ना चाहता है। एमजीसी की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक वियनतियाने में 9-13 नवंबर, 2000 के मध्य आयोजित की गई थी। जिसमें चार क्षेत्रों अर्थात पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा और परिवहन में सहयोग पर सहमति बनी ।
वर्तमान परिदृश्य
मेकांग-गंगा सहयोग की दसवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बैंकॉक, थाईलैंड में 1 अगस्त, 2019 को आयोजित की गई। इस बैठक में वर्ष 2016-2018 की एमजीसी योजना में हुई प्रगति की समीक्षा की गई तथा सहयोग के तीन नए क्षेत्रों अर्थात जल संसाधन प्रबंधन, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर परियोजना आधारित सहयोग के साथ नई एमजीसी योजना, 2019-2022 को अपनाया गया।
प्रमुख समझौते
1. सांस्कृतिक सहयोग
राष्ट्रीय हथकरघा संवर्धन विकास एजेंसियों को शामिल कर एमजीसी एशियाई पारंपरिक वस्त्र संग्रहालय (एटीटीएम), सिएम रिज, कंबोडिया में एमजीसी में शामिल देशों के हाथ से बुने हुए विभिन्न कपड़ों का प्रदर्शन करने के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ कपड़ा प्रदर्शनी का आयोजन करना। प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान तथा कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मारकों के संरक्षण में क्षमता निर्माण और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना। è नालंद�� विश्वविद्यालय में एक साझा अभिलेखीय संसाधन केंद्र (सीएआरसी) की स्थापना करना, जिसमें शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों के उपयोग के लिए पुरातत्व स्थलों, विश्व विरासत, व्यापार के इतिहास, जनसंख्या और धार्मिक वितरण डेटा तथा भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संपर्क जैसे क्षेत्रों पर जानकारी का भंडार हो। हरियाणा के सूरजकुंड मेले, राजस्थान के पुष्कर मेले, मणिपुर के संगोई महोत्सव, नगालैंड के हॉर्नविल महोत्सव और ओडिशा के बाली जात्रा जैसे भारत के प्रमुख सांस्कृतिक मेलों और उत्सवों में शिल्पकारों और सांस्कृतिक मंडलों को आमंत्रित करना तथा एमजीसी देशों के सांस्कृतिक मेलों और समारोहों में भारतीय शिल्पकारों और कलाकारों की उत्साहपूर्ण भागीदारी को प्रोत्साहित करना। सूचना प्रसार और प्रचार के लिए मेकांग देशों में महत्वपूर्ण यात्रा, मेलों और सांस्कृतिक समारोहों का एक संयुक्त कैलेंडर विकसित करना। वर्ष 2020 में एमजीसी की 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
2. पर्यटन सहयोग
एमजीसी देशों के प्रमुख बौद्ध स्थलों के लिए ट्रैवल एजेंसियों और मीडिया परिचय यात���राओं का आयोजन करना तथा बौद्ध सर्किट के लिए टूर पैकेज को प्रोत्साहित करना।
एमजीसी देशों की समृद्ध पाक परंपराओं को प्रदर्शित करना तथा उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए खाद्य उत्सवों का आयोजन करना।
पर्यटन और यात्रा प्रबंधन, आतिथ्य प्रबंधन आदि में डिप्लोमा और प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति के प्रस्ताव के माध्यम से छात्रों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
3. शिक्षा में सहयोग
एमजीसी में शामिल देशों के छात्रों द्वारा उपयोग को बढ़ाने के लिए भारतीय सांस्कृतिक परिषद (आईसीसीआर) द्वारा दी गई 50 एमजीसी छात्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करना।
राष्ट्रीय संस्थानों के बीच संकायों और छात्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों में प्रशिक्षण को बढ़ावा देना। इसके लिए आयुष मंत्रालय, भारत सरकार आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और योग में स्नातक/स्नातकोत्तर/पीएचडी करने के इच्छुक छात्रों के लिए एमजीसी देशों को प्रतिवर्ष 10 छात्रवृत्तियां प्रदान करेगा।
एमजीसी को समर्पित एक वेबसाइट लांच करना, जो क्षेत्रीय समूह की ब्रांडिंग में योगदान करेगी और विभिन्न संयुक्त कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करेगी।
4. सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग
भारत में नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च में अधिक प्रकोप वाले संचारी और गैर-संचारी रोगों के उन्मूलन पर एमजीसी देशों के अधिकारियों के लिए दूसरी कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन करना।
अनुरोध करने पर मेकांग देशों में भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ भेजना।
पारंपरिक और पूरक चिकित्सा पर एक क���षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन करना।
5. कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के फसल विज्ञान प्रभाग द्वारा मशीनीकरण के माध्यम से चावल जर्मप्लाज्म के संरक्षण और उत्पादकता बढ़ाने पर एक कार्यशाला का आयोजन करना।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मत्स्य विज्ञान विभाग/पशु विज्ञान प्रभाग द्वारा स्थायी मत्स्य पालन और डेयरी पर कार्यशाला आयोजित करना।
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद में एमजीसी देशों के पेशेवरों के लिए ‘एकीकृत ग्रामीण विकास एवं स्थायी विकास लक्ष्यों’ (एसीडीजीएस) पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
6. जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग
भारत सामुदायिक खेती और जल संसाधन में अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करेगा।
सतत जल प्रबंधन, जल संचयन, जल डेटा संग्रह, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन, एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, भूजल प्रबंधन, सीमा पार बेसिन प्रबंधन, जल गुणवत्ता निगरानी, बाढ़ और सूखा प्रबंधन तथा आपदा में कमी इत्यादि क्षेत्रों में सहयोगात्मक परियोजनाएं आरंभ करना।
7. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग
कृषि, परिवहन, संचार, औद्योगिक ज्ञान हस्तांतरण, ई-कॉमर्स, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT), स्वास्थ्य, ऊर्जा और पर्यावरण, भोजन इत्यादि में सामाजिक नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए किसी एक एमजीसी देश में एक नवाचार मंच आयोजित करना।
8. परिवहन और संचार में सहयोग
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक विस्तारित करने की व्यवहार्यता की जांच करना और आर्थिक विकास के गलियारे के रूप में इसका विकास करना। भारत-म्यांमार-थाईलैंड मोटरवाहन समझौते के समापन के तरीकों और साधनों का अन्वेषण करना, जिससे सीमाओं के पार माल और यात्रियों की निर्बाध आवाजाही तथा अधिक से अधिक व्यापार और पर्यटन हो सके। एमजीसी देशों के लिए भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी, नोएडा में व्यवहार्यता अध्ययन की तैयारी और राजमार्ग परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तथा राजमार्गों के निर्माण और रख-रखाव के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। आईसीटी उद्योग के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा और अन्य संबंधित ई-सेवाओं के अनुभवों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
9. कौशल विकास और क्षमता निर्माण
एमजीसी देशों के लिए राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी और बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक नमूना सर्वेक्षण के क्षेत्रों में प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति कार्यक्रम आयोजित करना।
व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और कौशल विकास प्राधिकरणों के विशेषज्ञों द्वारा विनिमय यात्राओं के माध्यम से ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करना।
थाईलैंड के वार्षिक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एआईटीसी के अंतर्गत एमजीसी क्षेत्रों से संबंधित विषयों पर सहयोग के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक मुद्दों पर ��सडीजी के अनुरूप वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
अन्य प्रमुख तथ्य
1. भारत या किसी अन्य एमजीसी देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों पर केंद्रित एक व्यापार प्रदर्शनी के साथ एमजीसी व्यापार मेले का आयोजन करना।
2. आसियान और पूर्वी एशिया के लिए जकार्ता स्थित आर्थिक अनुसंधान संस्थान (ERIA) द्वारा ‘क्षेत्रीय उत्पादन शृंखला में एमजीसी एमएसएमई के एकीकरण : संभावनाओं और चुनौतियों’ पर अनुसंधान अध्ययन करने का कार्य सौंपना।
3. वर्ष 2020 में वियतनाम द्वारा आयोजित किए जाने वाले आसियान भारत बिजनेस एक्सपो और शिखर सम्मेलन के अवसर पर एमजीसी बिजनेस मंच का आयोजन करना।
विशिष्ट तथ्य
आसियान अर्थात दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकाक, थाईलैंड में हुई थी। थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और फिलीपींस इसके संस्थापक सदस्य देश हैं। ब्रुनोई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया इसमें बाद में शामिल हुए। भारत अपनी लुक ईस्ट नीति, अब एक्ट ईस्ट नीति के तहत इस संगठन में शामिल होना चाहता है। जिसमें एमजीसी मंच एक ब्रिज के रूप में काम करेगा।
निष्कर्ष
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि एमजीसी सहयोग के माध्यम से भारत अपनी क्षेत्रीय, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा कर सकेगा। साथ ही आसियान जैसे क्षेत्रीय मंच के सहयोग में भागीदारी बढ़ेगी।
सं. अनिल दुबे
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प्रियंका से फातिमा...चंद्रकला को बनाया कनीज! दिल्ली से लखनऊ तक फैला है धर्मांतरण रैकेट का जाल Divya Sandesh
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प्रियंका से फातिमा...चंद्रकला को बनाया कनीज! दिल्ली से लखनऊ तक फैला है धर्मांतरण रैकेट का जाल
लखनऊ देशभर में धर्मांतरण का रेकैट फैलाने वाले उमर गौतम और जहांगीर का लखनऊ कनेक्शन भी बेनकाब हुआ है। पता चला है कि लखनऊ की प्रियंका सेन और चंद्रकला यादव का भी धर्म परिवर्तन इसी रैकेट ने करवाया था। इसके बाद वे अब धर्म बदलकर परिवार से अलग रह रही हैं। इनमें से प्रियंका अलीगंज के मेंहदी टोला की रहने वाली है, जबकि चंद्रकला का परिवार तेलीबाग में रहता है।
2010 तक दिल्ली रहता था प्रियंका का परिवार प्रियंका मुस्लिम बनने के बाद फातिमा मोहम्मद फारूक के नाम से जानी जाती है। जहांगीर के यहां से एटीएस ने जो दस्तावेज बरामद किए हैं, उसमें प्रियंका का पता 532 केएनए….336 मेंहदी टोला अलीगंज लिखा हुआ है। प्रियंका के मेंहदी टोला स्थित घर में उसकी मां माया सेन और भाई रहता है। प्रियंका अब कहां और किस हाल में है इस बात का पता प्रियंका के परिवार वालों को नहीं है। मां माया सेन ने बताया कि वर्ष 2010 तक वह लोग दिल्ली में पूरे परिवार संग रहते थे। उनके पति भगवती सेन की करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद वह अपने बेटे नितिन और बेटी प्रियंका के साथ अलीगंज के मेहंदी टोला में अपने पुश्तैनी मकान में आकर रहने लगी। बेटी प्रियंका ने सॉफ्टवेयर से डिप्लोमा किया था।
चंद्रकला अब कनीज फातिमा, परिवार ने तोड़ा नाता तेलीबाग के राजीव नगर घोसियाना में रहने वाली चंद्रकला अब कनीज फातिमा के नाम से जानी जाती है। चंद्रकला के पिता ओपी यादव सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हैं। परिवार में चंद्रकला समेत तीन बेटियां है। चंद्रकला दूसरे नंबर की बेटी है। करीब 33 वर्षीय चंद्रकला ने बी फार्मेसी की पढ़ाई की है। वह जयपुर में निजी संस्थान में पढ़ाने का काम करती है। घरवालों का कहना है कि अब उससे हमारा कोई संबंध नहीं है।
मलिहाबाद की एक संस्था में पदाधिकारी है उमर गौतम धर्मांतरण का मुख्य आरोपी मोहम्मद उमर गौतम लखनऊ से संचालित अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन में भी पदाधिकारी है। एटीएस को आशंका है कि इस संस्था से भी फंडिंग की जा रही थी। उमर इस संस्था में उपाध्यक्ष के पद पर है। अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन लखनऊ के मलिहाबाद के रहमानखेड़ा में एक स्कूल संचालित कर रहा है। दसवीं तक के सीबीएसई बोर्ड के इस स्कूल में 500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की भी बात कही जाती है।
18 बार इंग्लैंड, 4 बार अमेरिका गया था उमर अवैध धर्मांतरण का कथित नेटवर्क चलाने वाले मोहम्मद उमर गौतम ने धर्म परिवर्तन के कार्यक्रमों के लिए 18 बार इंग्लैंड, 4 बार अमेरिका, सिंगापुर, पोलैंड व अफ्रीका के कई देशों की यात्राएं की। उसने विदेश में भी कई लोगों का धर्मांतरण करवाया था। उमर के सामने आए दो वीडियो से यह खुलासा हुआ है। उधर, उमर और जहांगीर के पास से बरामद दस्तावेज से लखनऊ के अलीगंज के मेंहदी टोला व तेलीबाग की दो लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाए जाने की बात सामने आई है।
वीडियो में उमर कह रहा है कि वह 18 बार इंग्लैंड जा चुका है, जिस यूनिवर्सिटी में वह पढ़ता था, वहां भी उसने सात लोगों का धर्मांतरण करवाया था, इनमें उसका गोरखपुर का एक यादव मित्र भी है। वह कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी की एक हिंदू छात्रा का भी धर्मांतरण करवाए जाने का दावा कर रहा है। वीडियो में वह स्वीकार कर रहा है कि उसके दिल्ली के इस्लामिक दावाह सेंटर से धर्मांतरण के करीब एक हजार से ज्यादा सर्टिफिकेट जारी किए हैं। सेंटर से हर माह करीब 15 सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे। इसी तरह उसने पोलैंड, पुर्तगाल, जर्मनी, सिंगापुर, अमेरिका से इंग्लैंड में भी धर्मांतरण करवाने के बाद उन्हें विधिक भी मजबूती दिलवाई। विडियों में वह कई शादियां करवाने और धर्मांतरण करवाने वालों की मदद करने की अपील भी कर रहा है।
साइन लैंग्वेज के जानकार भी शामिल यूपी एटीएस ने उमर और जहांगीर को बुधवार को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी। हालांकि दोनों ने एटीएस के सवालों के जवाब में कहा कि धर्मांतरण अल्लाह का काम है और इसका आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। जांच टीम में दो अलग-अलग साइन लैंग्वेज के जानकारों को भी जोड़ा गया है। ताकि उन मूक-बधिरों से भी पूछताछ हो सके जिनका धर्मांतरण करवाया गया।
एटीएस ने मांगा पिछले 5 साल का रेकॉर्ड कथित धर्म परिवर्तन गैंग के पर्दाफाश के बाद एटीएस लगातार कानपुर में अलग-अलग जगहों पर पहुंच कर तफ्तीश कर रही है। बुधवार को एक टीम बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय पहुंची। टीम ने स्कूल मैनेजर और प्रिंसिपल से पिछले 5 साल का रेकॉर्ड मांगा है। स्कूल प्रबंधन ने गुरुवार सुबह तक सारे दस्तावेज देने का आश्वासन दिया है।
कानपुर के आदित्य उर्फ अब्दुल से पूछताछ में एटीएस को पता चला था कि धर्म परिवर्तन के लिए सबसे पहले उससे बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में संपर्क किया गया था। इसके बाद बुधवार सुबह कुछ पुलिसकर्मी स्कूल पहुंचे। प्रिंसिपल रामदास पाल से पिछले साल में यहां प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों और शिक्षकों की पूरी जानकारी मांगी। कोविड के कारण स्कूल बंद होने का हवाला देते हुए प्रिंसिपल ने बताया कि सारी जानकारियां स्कूल प्रबंधक कमलेश के पास हैं। मैनेजर ने फोन पर एटीएस को आश्वासन दिया है कि गुरुवार सुबह तक सारी जानकारियां उपलब्ध करवा दी जाएंगी। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सारे मौजूदा शिक्षकों को बुलाकर जानकारियां इकट्ठा करना शुरू कर दिया है।
नोएडा से आए ट्रेनर पर शक सूत्रों के अनुसार एटीएस को मिली कुछ जानकारियों को केंद्र में रखकर काम किया जा रहा है। मसलन अप्रैल-2019 से मार्च-2020 के बीच नोएडा डेफ सोसायटी का एक शिक्षक ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ाने के लिए आया था। पासआउट होने के बावजूद आदित्य उर्फ अब्दुल उनसे मिलना आता था। बताया जा रहा है कि क्लास के बाद भी वह बच्चों को अलग से समय देता था। शुरुआत में माना गया कि वह बच्चों को कौशल विकास के बारे में कुछ सिखाता है, लेकिन बाद में पता चला कि वह धर्म प्रचार कर रहा था। वह ट्रेनर विद्यालय प्रबंधन ने बुलाया था।
हाई कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर सरकार से जवाब मांगा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी। यह आदेश चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ��े दिया है। दाखिल याचिकाओं में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग की आशंका जताई गई थी। साथ ही कोर्ट ने धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं को खारिज भी किया है। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है।
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