#प्रदेशों का दुरुपयोग
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रायपुर/नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आज नई दिल्ली में रिमोट वोटिंग पर चर्चा के लिए मान्यता प्राप्त सभी राजनैतिक दलों की मुख्य चुनाव आयुक्त की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। छत्तीसगढ़ के एकमात्र मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मुख्य प्रवक्ता भगवानु नायक ने बताया कि इस बैठक में 8 राष्ट्रीय पार्टियों और 57 स्टेट पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। जेसीसीजे की तरफ से पार्टी महासचिव महेश देवांगन ने अपने विचार रखे।बैठक में महेश देवांगन ने कहा कि निर्वाचन आयोग का हर व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार दिलाने के उद्देश्य से माइग्रेंट (प्रवासी) लोगों को रिमोट वोटिंग की सुविधा उपलब्ध करवाना एक बहुत अच्छी पहल है । लेकिन इसके कुछ तकनीकी और लोजिस्टिक्स पहलुओं पर पहले विचार किया जाना जरूरी है।सर्वप्रथम माइग्रेंट की परिभाषा स्थापित करना और वोटर लिस्ट की तर्ज पर ही माइग्रेंट लोगों का एक डेटाबेस होना जरूरी है जिससे इस सुविधा का दुरुपयोग रोका जा सके। इसके न होने से कोई भी व्यक्ति वोटिंग के दिन छुट्टियां मनाने जाकर स्वयं को माइग्रेंट श्रेणी में रजिस्टर करके रिमोट वोटिंग की सुविधा मांग सकता है। श्री देवांगन ने कहा कि छत्तीसगढ़ के संदर्भ में बहुत से लोग अन्य प्रदेशों में पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं। ऐसे में कितन�� जगह रिमोट वोटिंग की मशीन उपलब्ध करवाएंगे और वोटिंग के बाद कैसे उन्हें भारत के विभिन्न हिस्सों से सुरक्षित तरीके से छत्तीसगढ़ के स्ट्रांग रूम में मतगणना के लिए भेजेंगे इस समस्या का भी हल पहले निकला जाना जरूरी है। बैठक में कुछ राजनैतिक दलों ने चुनाव आयोग द्वारा 30 करोड़ माइग्रेंट की संख्या बताए जाने पर आपत्ति की। इस पर श्री देवांगन ने सभी के सामने स्थिति स्पष्ठ की कि निर्वाचन आयोग के नोट में यह कहा गया है कि मतदान का औसत 67% है मतलब लगभग 30 करोड़ पंजीकृत मतदाता अपना वोट नहीं डाल पाते। इन 30 करोड़ लोगों की संख्या में काफी लोग माइग्रेंट हैं। मतदान प्रतिशत के विषय पर राज्यसभा सदस्य श्री दिग्विजय सिंह और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रतिनिधि द्वारा उठाई गई बातों का समर्थन करते हुए श्री देवांगन ने कहा कि मतदान का कम प्रतिशत का मुख्य कारण शहरी क्षेत्रों में कम मतदान होना है जबकि उन क्षेत्रों में माइग्रेंट लोगों की संख्या काफी कम है। इसलिए निर्वाचन आयोग को शहरी मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए।ईवीएम के हैक हो सकने के विषय पर श्री देवांगन ने कहा कि सोशल मीडिया में कई बार इस तरह की अफवाहें उड़ाई जाती हैं और फ़र्ज़ी वीडियो भी पोस्ट किये जाते हैं। निर्वाचन आयोग को ऐसे लोगों पर कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।राजनैतिक दलों द्वारा जारी किए जाने वाले चुनावी घोषणापत्रों पर श्री देवांगन ने निर्वाचन आयोग को सुझाव दिया कि आयोग द्वारा घोषणा पत्र की जगह शपथ पत्र को अनिवार्य किया जाना चाहिए क्योंकि शपथ पत्र देने से पार्टी उसमें किये गए वादों को पूरा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होती है। इस शपथ पत्र को पार्टी अध्यक्ष या अध्यक्ष द्वारा अधिकृत कोई वरिष्ठ पदाधिकारी द्वारा दिया जाना चाहिए। श्री देवांगन ने आयोग के संज्ञान में लाया कि जेसीसीजे के संस्थापक अध्यक्ष स्व. श्री अजीत जोगी जी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में शपथ पत्र दिया था।
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भारत-नेपाल अपने क्षेत्रों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सहमत हैं, तीसरे राष्ट्र के नागरिकों द्वारा अवैध सीमा पार करना
भारत-नेपाल अपने क्षेत्रों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सहमत हैं, तीसरे राष्ट्र के नागरिकों द्वारा अवैध सीमा पार करना
एक्सप्रेस समाचार सेवा नई दिल्ली: भारत और नेपाल तीसरे राष्ट्र के नागरिकों की अवैध सीमा पार करने से रोकने के लिए एक तंत्र विकसित करने पर सहमत हुए हैं। भारत और नेपाल के सीमा रक्षक बलों के प्रमुखों ने काठमांडू में 27 सितंबर से 29 सितंबर, 2022 तक छठी वार्षिक समन्वय बैठक के दौरान मुलाकात की। बैठक महानिदेशक, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), भारत और महानिरीक्षक, सशस्त्र पुलिस बल एपीएफ, नेपाल के बीच आयोजित की गई…
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NCRB के आंकडों का गलत विश्लेषण कर राजस्थान को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है
NCRB 2021 की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के बाद राजस्थान को बदनाम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सामान्य वर्षों 2019 व 2021 के बीच आंकड़ों की तुलना करना उचित होगा क्योंकि 2020 में लॉकडाउन रहा। राजस्थान में FIR के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5% अपराध कम दर्ज हुए हैं जबकि MP, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड समेत 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अपराध अधिक दर्ज हुए हैं। गुजरात में अपराधों में करीब 69%, हरियाणा में 24% एवं MP में करीब 20% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। हत्या, महिलाओं के विरुद्ध अपराध एवं अपहरण में उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है। सबसे अधिक कस्टोडियल डेथ्स गुजरात में हुईं हैं। नाबालिगों से बलात्कार यानी पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है।
अनिवार्य पंजीकरण नीति का ही परिणाम है कि 2017-18 में 33% FIR कोर्ट के माध्यम से CrPC 156(3) के तहत इस्तगासे द्वारा दर्ज होती थीं परन्तु अब यह संख्या सिर्फ 13% रह गई है। इनमें भी अधिकांश सीधे कोर्ट में जाने वाले मुकदमों की शिकायतें ही होती हैं। यह हमारी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का नतीजा है कि 2017-18 में बलात्कार के मामलों में अनुसंधान समय 274 दिन था जो अब केवल 68 दिन रह गया है। पॉक्सो के मामलों में अनुसंधान का औसत समय 2018 में 232 दिन था जो अब 66 दिन रह गया है। राजस्थान में पुलिस द्वारा हर अपराध के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की जा रही है एवं सरकार पूरी तरह पीड़ित पक्ष के साथ खड़ी रहती है। 2015 में SC-ST एक्ट के करीब 51% मामले अदालत के माध्यम से CrPC 156(3) से दर्ज होते थे। अब यह महज 10% रह गया है। यह FIR के अनिवार्य पंजीकरण नीति की सफलता है।
यह चिंता का विषय है कि कुछ लोगों ने हमारी सरकार की FIR के अनिवार्य पंजीकरण की नीति का दुरुपयोग किया है एवं झूठी FIR भी दर्ज करवाईं। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में 2019 में महिला अपराधों की 45.28%, 2020 में 44.77% एवं 2021 में 45.26% FIR जांच में झूठी निकली। झूठी FIR करवाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है एवं आगे भी की जाएगी। जनवरी, 2022 में अलवर में नाबालिग विमंदित बालिका से गैंगरेप का मामला बताकर पूरे देश के मीडिया ने राजस्थान को बदनाम करने का प्रयास किया परन्तु उस मामले की जांच में सामने आया है कि यह एक सड़क दुर्घटना का मामला था। यह मामला CBI को भी जांच के लिए भेजा था परन्तु CBI ने इस केस की जांच तक अपने पास नहीं ली। हमारी सरकार की राय है कि चाहे कुछ झूठी FIR भी क्यों नहीं हो रही हों परन्तु अनिवार्य पंजीकरण की नीति से पीड़ितों एवं फरियादियों को एक संबल मिला है एवं वो बिना किसी भय के थाने में अपनी शिकायत देकर न्याय के लिए आगे आ रहे हैं।
बलात्कार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिश करीब 48% है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये मात्र 28.6% है। महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत 45.2% है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5% है। महिला अत्याचार के प्रकरणों की पेंडिंग प्रतिशत 9.6% है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 31.7% है। IPC के प्रकरणों में राजस्थान में पेंडिंग प्रतिशत करीब 10% है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 35.1% है।
एक अन्य चिंता का विषय यह भी है कि यौन अपराधों के करीब 90% मामलों में आरोपी एवं पीड़ित दोनों एक दूसरे के पूर्व परिचित (पारिवारिक सदस्य, रिश्तेदार, मित्र, सहकर्मी इत्यादि) होते हैं यानी यौन अपराधों में परिचित लोग ही भरोसे का नाजायज फायदा उठाकर कुकृत्य करते हैं। हम सभी को इस बिन्दु पर गंभीर चिंतन करना चाहिए कि इस सामाजिक पतन को किस प्रकार रोका जाए।
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70 साल से ज्यादा उम्र के कैदियों को रिहा कर दीजिए, मेधा पाटकर की सुप्रीम कोर्ट से गुहार Divya Sandesh
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70 साल से ज्यादा उम्र के कैदियों को रिहा कर दीजिए, मेधा पाटकर की सुप्रीम कोर्ट से गुहार
नई दिल्ली सामाजिक कार्यकर्��ा मेधा पाटकर चाहती हैं कि 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों को रिहा कर दिया जाए। उन्होंने उच्चतम न्यायालय किया है। पाटकर ने अदालत से कैदियों को अंतरिम जमानत या आपात परोल पर रिहाई के लिए तत्काल कदम उठाने को लेकर केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया है। पाटकर ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों की रिहाई से देश की जेलों में भीड़ भाड़ कम हो।
अधिवक्ता विपिन नैयर के जरिए दाखिल अपनी याचिका में पाटकर ने कहा, ‘‘नेल्सन मंडेला ने टिप्पणी की थी कि कोई भी किसी राष्ट्र को तब तक सही मायने में नहीं जानता जब तक कि वह वहां की जेलों के भीतर की हकीकत ना जान ले। लगभग 27 वर्षों तक जेल में बंद रहे इस महान नेता का दृढ़ विश्वास था कि किसी राष्ट्र का मूल्यांकन इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिए कि वह अपने शीर्ष नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है, बल्कि अपने निम्नतम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है।’’
NCRB के आंकड़ों का दिया हवालापाटकर ने अपनी याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित जेल आंकड़ों को हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि भारत में जेलों में सजा प्राप्त कुल कैदियों में 19.1 प्रतिशत की उम्र 50 साल और उससे अधिक है। याचिका में कहा गया, ‘‘इसी तरह 50 साल या इससे अधिक उम्र के 10.7 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं। पचास या इससे अधिक उम्र के के कुल 63,336 कैदी (जेल में बंद कुल कैदियों का 13.2 प्रतिशत) हैं।’’ याचिकामें कहा गया कि 16 मई को राष्ट्रीय कारागार सूचना पोर्टल के मुताबिक 70 और इससे अधिक उम्र के 5,163 कैदी हैं। इनमें महाराष्ट्र, मणिपुर और लक्षद्वीप के आंकड़ें नहीं हैं।
‘आकलन के बाद कुछ कैदियों को छोड़ें’मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 23 मार्च 2020 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कैदियों की श्रेणी निर्धारित करने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करने को कहा था जिन्हें आपात परोल या अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सके। याचिका में कहा गया कि 13 अप्रैल 2020 को न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जेलों से कैदियों की अनिवार्य रिहाई का निर्देश नहीं दिया था और पूर्व के निर्देश का मतलब यह सुनिश्चित करना था कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश, देश में मौजूदा महामारी के संबंध में अपने यहां की जेलों में हालात का आकलन करें और कुछ कैदियों को छोड़ें तथा रिहा किए जाने वाले कैदियों की श्रेणी बनाएं।
‘बुजुर्गों के संक्रमित होने का खतरा’याचिका में कहा गया कि निर्देश के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने समितियों का गठन किया और अधिकतर समितियों ने अपराध की गंभीरता और क��दियों को जमानत मिलने पर इसका दुरुपयोग होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए श्रेणी बनायी। ज्यादातर वर्गीकरण कैदियों की सामाजिक स्थिति और प्रशासनिक सहूलियत के आधार पर हुआ और संक्रमण के ज्यादा खतरे की आशंका को ध्यान में नहीं रखा गया। याचिका में कहा गया कि सबसे ज्यादा उम्रदराज या बुजुर्ग कैदियों खासकर 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। हालांकि, उच्चाधिकार प्राप्त कुछ समितियों ने ही उम्रदराज कैदियों को छोड़ने के लिए कदम उठाए।
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के बारे में यह 10 बातें भी जान लें, फायदे में रहेंगे घर रेंट पर दिया है तो किरायेदारी अधिनियम
अकसर लोगों को शिक्षा या रोजगार के मकसद से अपने टीयर-2 और टीयर-3 शहरों के खूबसूरत और बड़े घरों से निकलकर मेट्रो शहरों में किराये पर आकर रहना पड़ता है। इतना ही नहीं, उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा घर किराये पर लेने में खर्च होता है, क्योंकि मेट्रो शहरों के मकान मालिकों की किराये की मांग काफी ज्यादा होती है। सुरक्षा कारणों के मद्देनजर मकान मालिक भी अनजान लोगों को घर किराये पर देने में हिचकते हैं। साथ ही वह इस बात का भी फैसला नहीं कर पाते कि वह जो प्रॉपर्टी किराये पर दे रहे हैं, उसका उन्हें सही दाम मिल रहा है या नहीं।
शहरीकरण और भारत में किराए के मकान की बढ़ती रफ्तार के बीच यह जरूरी था कि सरकार रेंटल हाउजिंग इकनॉमी को विनियमित करने की नीति पर दोबारा गौर करे। किराये पर नियंत्रण रखने वाले नियम भारत में आजादी से पहले साल 1914 और 1945 में लागू हुए थे, जो वक्त से साथ काफी पुराने हो चुके हैं। इसलिए 2 साल पहले केंद्र सरकार ने किरायेदारी अधिनियम, 2015 का एक ड्राफ्ट मॉडल पेश किया था। प्रॉपटाइगर इसी ड्राफ्ट की कुछ अहम बातें आपको बता रहा है, जिससे देश में घर किराये पर देने के तरीकों में बदलाव दिख सकता है।
सिक्योरिटी डिपॉजिट की वापसी: इस ड्राफ्ट के मुताबिक किराए का तीन गुना सिक्योरिटी डिपॉजिट लेना तब तक गैर-कानूनी होगा, जब तक इसका अग्रीमेंट न बनवाया गया हो। किरायेदार के घर खाली करने पर मकानमालिक को एक महीने के भीतर यह रकम लौटानी होगी।
रेनोवेशन के बाद किराया बढ़ाना: ड्राफ्ट में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे। अगर मकानमालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है लिए किरायेदार की सलाह भी ली जाएगी। दूसरी ओर, रेंट अग्रीमेंट लागू होने के बाद अगर बिल्डिंग का ढांचा खराब हो रहा है और मकानमालिक रेनोवेट कराने की स्थिति में नहीं है तो किरायेदार किराया कम करने को कह सकता है। किसी भी झगड़े की स्थिति में किरायेदार रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है।
बिना बताए नहीं आ सकता मकानमालिक: परिसर के मुआयने, रिपेयर से जुड़े काम या किसी दूसरे मकसद से आने के लिए भी मकानमालिक को 24 घंटों का लिखित नोटिस एडवांस में देना होगा।
किराया न देने पर निकालना: रेंट अग्रीमेंट में लिखी अवधि से पहले किरायेदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक उसने लगातार कई महीनों तक किराया न दिया हो या वह प्रॉपर्टी का दुरुपयोग कर रहा हो। अगर रेंट अग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी वह मकान खाली नहीं कर रहा है तो मकानमालिक को दुगना मासिक किराया मांगने का अधिकार है।
नोटिस पीरियड: किरायेदार के लिए यह जरूरी है कि वह घर छोड़ने से पहले मकान मालिक को एक महीने का नोटिस दे।
इसका भी रखें ध्यान: बतौर किरायेदार आप किराये के मकान को बिना अपने मकानमालिक की इजाजत के किराये पर किसी और को नहीं दे सकते।
किरायेदार की मौत होने पर: रेंट अग्रीमेंट के दौरान अगर किरायेदार की मौत हो जाए तो? इसके लिए ड्राफ्ट में कहा गया है कि अग्रीमेंट उसकी मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा। लेकिन अगर उसके साथ परिवार भी है तो किरायेदार के अधिकार उसकी पत्नी या बच्चों के पास चले जाएंगे।
सिविल कोर्ट नहीं करेगा सुनवाई: ड्राफ्ट में केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा गया है कि वह किराया विवाद निपटाने वाली अदालतों, प्राधिकरण या अधिकरण का गठन करें। यह संस्थाएं सिर्फ मकानमालिक और किरायेदारों के विवादों का निपटारा करेंगी। इसका मतलब है कि आप किराये से संबंधित विवाद निपटाने के लिए सिविल अदालतों का रुख नहीं कर सकते।
तार्किक सलाहों के लिए खुला: इस ड्राफ्ट का मकसद किराये के नियमन के लिए ढांचा, मकानमालिकों एवं किरायेदारों के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि यह न तो केंद्रीय कानून है और न ही संसद द्वारा लागू किए जाने वाला केंद्रीय विधेयक। इसका मतलब है कि ड्राफ्ट सिर्फ एक प्रस्ताव है, जो बाध्यकारी नहीं है। इसके अलावा यह तार्किक सलाहों के लिए खुला है।
ये नहीं हैं शामिल: ड्राफ्ट के प्रावधान सरकारी, शैक्षिक, कंपनियों, धार्मिक और चैरिटेबल संस्थाओं की इमारतों पर लागू नहीं होंगे।
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जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को गणतंत्र दिवस का तोहफा, आज से 2जी इंटरनेट सेवाएं बहाल, सोशल साइट्स पर रहेगी पाबंदी
चैतन्य भारत न्यूज श्रीनगर. गणतंत्र दिवस से पहले सरकार ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को तोहफा दिया है। पांच महीने से ज्यादा समय तक बंद रहने के बाद राज्य प्रशासन ने 20 जिलों में शनिवार से पोस्टपेड और प्रीपेड पर 2जी मोबाइल इंटरनेट सेवा शुरू करने की घोषणा कर दी है। इस संबंध में एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); बता दें जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के साथ पांच अगस्त को घाटी में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं रोक दी गई थीं। जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के हर शहर और कस्बे में ब्राडबैंड सेवा भी उपलब्ध होगी, लेकिन सशर्त और पाबंदियों के साथ। शर्त यह है कि कोई भी सोशल मीडिया एप्लीकेशन को नहीं चला सकेगा। लोग केवल 301 वेबसाइट्स का इस्तेमाल ही कर सकेंगे। जिन साइट्स को मंजूरी दी गई है, उनमें सर्च इंजन और बैंकिंग, शिक्षा, समाचार, यात्रा, सुविधाएं और रोजगार आदि से संबंधित हैं। बता दें यह सुविधा 25 से 31 जनवरी 2020 तक रहेगी। इसके बाद समीक्षा की जाएगी और तब ही इसे विस्तार देने पर फैसला लिया जा सकता है। राज्य प्रशासन ने आदेश में कहा है कि, 'मोबाइल पर 2जी इंटरनेट सेवा 31 जनवरी तक बहाल रहेगी। इसके बाद समीक्षा कर इसे जारी रखने पर विचार किया जाएगा।' यह भी कहा गया कि, कोई भी इंटरनेट सेवा का दुरुपयोग न कर सके, इसलिए उन्हीं पोस्टपेड और प्रीपेड मोबाइल सिम धारकों के नंबरों ��र ��ाटा इंटरनेट सेवा उपलब्ध होगी, जिनके बारे में निर्धारित नियमों के तहत जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी। बता दें जम्मू संभाग के सभी 10 जिलों तथा कश्मीर संभाग के दो जिलों कुपवाड़ा व बांदीपोरा में 18 जनवरी को 2जी मोबाइल इंटरनेट सुविधा बहाल कर दी गई थी। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की घोषणा से पहले राज्य प्रशासन ने पूरे जम्मू कश्मीर में इंटरनेट और टेलीफोन सेवाओं को बंद कर दिया था। अगले दो दिन में जम्मू में टेलीफोन सेवाएं सामान्य हो गई थी, लेकिन मोबाइल सेवाओं को बंद रखा गया था। जम्मू में ब्राडबैंड सेवा भी शुरू से बहाल रखी गई है। ये भी पढ़े... जम्मू कश्मीर : श्रीनगर में आतंकी हमला, 1 की मौत, 25 लोग घायल जम्मू कश्मीर में ईडी की बड़ी कार्रवाईः आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों की 13 संपत्तियां जब्त पाकिस्तान ने किया सीजफायर का उल्लंघन, जम्मू कश्मीर सीमा पर गोलीबारी Read the full article
#article370#JammuKashmir#jammukashmirarticle370#jammukashmirinternetban#Modigovernment#Supremecourt#अनुच्छेद370जम्मूकश्मीर#आर्टिकल370#जम्मूकश्मीर#जम्मूकश्मीरइंटरनेटपरपाबंदी#जम्मूकश्मीरधारा144#जम्मूकश्मीरमेंधारा144#धारा144#मोदीसरकार#सुप्रीमकोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को दिया निर्देश, कहीं भी एक्टिंग DGP की नियु्क्ति न करें खास बातेंसुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैंकहा- केंद्र और राज्य कहीं भी एक्टिंग DGP नियुक्त नहीं करेंगेउसी अफसर को DGP बनाएं जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होनई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे कहीं भी एक्टिंग DGP नियुक्त नहीं करेंगे. ये कदम उठाना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य पद रिक्त होने से तीन महीने पहले UPSC को टॉप IPS अफसरों की सूची भेजेंगे. राज्य उसी अफसर को DGP बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं. दरअसल वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल होगा. सुनवाई के दौरान AG के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को एक्टिंग DGP नियुक्त करते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित DGP बना देते हैं, क्योंकि इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं. सिर्फ पांच राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक DGP की नियुक्ति के लिए UPSC से अनुमति ली है, जबकि 25 राज्यों ने ये नहीं किया. जब IG ने फरियादी बनकर लगाया कई जिलों के SP को फोन, तो मिले चौंकाने वाले जवाब... आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पुलिस सुधार पर दिया गया आदेश लागू नहीं ��रने पर दायर की गई अवमानना याचिका की सुनवाई कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए अदालत के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है. अदालत ने डीजीपी और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश की थी. साल 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में अदालत द्वारा दिए गए आदेश को लागू नहीं किया गया है. दूसरी तरफ, अश्विनी उपाध्याय ने मॉडल पुलिस बिल 2006 को भी लागू करने की मांग की. पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बिल का मसौदा तैयार किया था. उपाध्याय के अलावा पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी 2014 में अवमानना याचिका दायर की थी. पूर्व डीजीपी ने 1996 में जनहित याचिका दायर की थी। जिसके कारण पुलिस सुधार बिल को तैयार किया गया था. अदालत ने प्रकाश सिंह और दूसरे डीजीपी एनके सिंह की याचिका पर 2006 में निर्देश दिया था. इसमें राज्य सुरक्षा अयोग का गठन किया जाना भी शामिल था. टिप्पणियां
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मायावती दलितों को भूलकर माया के चक्कर में पडी़ रही-डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय फूलपुर/लखनऊ, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सांसद डा0 महेंद्र नाथ पांडेय ने इलाहाबाद भाजपा मीडिया संेटर पर इलाहाबाद के छात्रों एवं छात्र संघ पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संवाद किया। डा0 पाण्डेय ने कहा कि जिन दलितों ने मायावती जी को कई बार मुख्यमंत्री बनाया, वह उन्हें ही भूल कर माया के चक्कर में पड़ी रही। माया के फेर ने ही मायावती के दिन फेर दिए। त्रिपुरा का वांमपथी किला दो-तिहाई बहुमत से ढहा दिया गया। डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि छात्र ही देश का भविष्य है और देश के राजनीति की दिशा तय करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में छात्र राजनीति में सक्रिय रहने वाले लोग आज किसी न किसी पद पर गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराते हुए उन पदों को सुशोभित कर रहे हैं। छात्र जीवन के संघर्ष से आगे का मार्ग और वैचारिक दर्शन से राजनीति की दिशा तय होती है। आप विचारों से अपने को सशक्त बनाए, जिससे राजनीति करने वालों को दिशा प्रदान कर सकें। इलाहाबाद को स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख स्थान, क्रांतिकारियों की जननी राष्ट्रीय राजनीति को अनेक प्रतिभाएं देने वाला शहर बताया। उन्होंने आगे कहा कि आप इलाहाबाद में शिक्षा ग्रहण करने आए हैं, अपने को गौरवान्वित महसूस कीजिए, शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति भी अपना चिंतन करिए। पूर्वोत्तर में सरकार बनने पर बेचैन कांग्रेस और विपक्ष को अपने गिरेबान में झांकने का सुझाव दिया और कहा कि हमें जनादेश प्राप्त हुआ है। कांग्रेस तो संवैधान���क अधिकार का दुरुपयोग कर धारा 356 लगाकर ज्यादातर प्रदेशों में अपनी चैधराहट करती थी। त्रिपुरा का वामपंथी किला दो तिहाई बहुमत से ढहा दिया गया। डा0 पाण्डेय ने कहा कि मायावती जिन दलितों के दम पर उत्तर प्रदेश की कई बार मुख्यमंत्री बनी, वह उन्हें भूल कर माया के चक्कर में ही पड़ी रही। उन्होंने आगे कहा कि जिन्हें माया से प्रेम होता है वह विकास नहीं कर सकते। देश का विकास मोदी और प्रदेश का विकास योगी जी जैसे लोग करते हैं, उनके पास कोई संपत्ति नहीं होती। लूट-खसोट वाले लोग जिनके पास आलीशान बंगले होते हैं वह देश के उन्नयन के विषय में कदापि नहीं सोचा करते, मोदी जी और योगी जी देश के विकास और प्रगति का चिंतन करते हैं। डा0 पाण्डेय ने भारतीय जनता पार्टी सरकारों को लोक कल्याण एवं गरीबों की सरकार बताते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी समाज के बीच रहकर कार्य करने वालों को ही चुनाव में प्रत्याशी बनाती है। उन्होंने मोदी जी और योगी जी के विकास रथ की भी चर्चा की। उन्होंने कहा हम लोग भारतीय संस्कृति के पोषक हैं और योगी आदित्यनाथ जी स्वयं जीती जागती भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं। सपा के पाप का जवाब इलाहाबाद और गोरखपुर के उपचुनाव में युवा देगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश को संभावनाओं का प्रदेश बताते हुए कहा कि रोजगारों के लिए प्रदेश के युवा को अन्य किसी प्रदेश में नहीं जाना पड़ेगा, उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को राष्ट्रवादी संगठन बताया। मंच पर उपस्थित विधायक एवं प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य, उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी, प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला, विधायक भूपेश चैबे, विधायक डॉक्टर अजय भारती, प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला एवं इलाहाबाद महानगर अध्यक्ष अवधेश गुप्ता ने भी विचार व्यक्त किए।
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सोनिया-राहुल तय करेंगे कांग्रेस का नेता : दिग्विजय has been published on PRAGATI TIMES
सोनिया-राहुल तय करेंगे कांग्रेस का नेता : दिग्विजय
रायपुर, (आईएएनएस/वीएनएस)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस का नेता कौन होगा, इसका निर्णय नेतृत्व ही तय करता है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी जिसे तय करेंगे, हम उसका समर्थन करेंगे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बुधवार को रायपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस भवन में पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता था, हूं और रहूंगा। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से कभी समझौता नहीं करूंगा। मेरी प्रतिबद्धता नेहरू-गांधी परिवार के प्रति है और रहेगी। उनके अलावा हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं है।” उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, विधायक सत्यनारायण शर्मा, सांसद छाया वर्मा, मोहम्मद अकबर सहित अन्य कांग्रेसी नेता मौजूद थे। दिग्विजय ने कहा, “भाजपा सरकार ने विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक नहीं लाया गया। सरकार ने बिना नोट छापे नोटबंदी की और बिना रिटर्न तैयार किए एक अव्यवहारिक जीएसटी लाई गई। जीएसटी के लिए हमने सभी प्रदेशों में सर्वर बनाने का सुझाव दिया था, जिस पर ��मल नहीं किया गया।” पार्टी में गुटब��जी के सवाल पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस में हमारे नेता एकजुट हैं। समन्वय और सामंजस्य से संगठन मजबूत होता है।” छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने के सवाल पर दिग्विजय ने कहा कि अजीत जोगी को कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया, पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने कांग्रेस से अपने को अलग कर लिया। उनका निर्णय सही नहीं था। उन्होंने कहा, “उन्होंने मुख्यमंत्री बनाने वाली सोनिया गांधी का विरोध किया। पार्टी के नेताओं में समन्वय बनाकर मुख्यमंत्री बनने के लिए 47 में से 37 वोट हमने दिलवाए थे।” तुष्टिकरण के सवाल पर उन्होंने कहा, “देश सभी का है। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम ने भारत को सोशलिस्ट और सेक्युलर देश बनाया। जनसंघ के लोगों ने बाबा साहेब का विरोध किया था। आरएसएस की बिल्डिंग पर तिरंगा नहीं लहराता था। कांग्रेस पार्टी कभी धर्म का दुरुपयोग नहीं करती। इन्होंने भगवान के नाम पर नमक और ईंट बेची। 1993 में कांग्रेस की सरकार थी तब पहले गौ सेवा आयोग का गठन किया गया था।”
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राजस्थान के आठ शहरों में नाइट कफ्र्यू, अब सभी प्रदेशों से आने वालों को दिखानी होगी नेगेटिव रिपोर्ट Divya Sandesh
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राजस्थान के आठ शहरों में नाइट कफ्र्यू, अब सभी प्रदेशों से आने वालों को दिखानी होगी नेगेटिव रिपोर्ट
जयपुर। राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के आठ शहरों में नाइट कफ्र्यू लगा दिया है। जबकि, सभी नगरीय निकायों में 22 मार्च से रात 10 बजे बाजार बंद रखने के निर्देश दिए हैं। राज्य के अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, सागवाड़ा एवं कुशलगढ़ में रात्रि 11 से प्रात: 5 बजे तक नाइट कफ्र्यू लागू ��रने के साथ ही अन्य किसी भी प्रदेश से राजस्थान आने वालों के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट की अनिर्वायता लागू कर दी गई है।
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मुख्यमंत्री ने संक्रमण की रोकथाम के लिए कोविड प्रोटोकॉल की सख्ती से पालना करवाने तथा विभिन्न समारोह एवं कार्यक्रमों में लोगों की संख्या सीमित रूप से अनुमत करने के साथ ही कोरोना उपचार एवं जांच व्यवस्था को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार, चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया, चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन सहित अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा करने के बाद कई सख्त कदम उठाने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण दुनिया के कई देशों के साथ ही देश के कई राज्यों में भी तेजी से बढ़ रहा है। राजस्थान में भी गत कुछ दिनों में पॉजिटिव केस की वृद्धि दर अचानक बढ़ी है। ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर से लोगों का जीवन बचाने तथा आजीविका को सुचारू रखने के लिए कुछ सख्त कदम उठाना जरूरी है, अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती है।
इसके तहत 25 मार्च से राजस्थान में बाहर से आने वाले सभी यात्रियों के लिए 72 घंटे के भीतर की आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। पूर्व में केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश के लिए इसकी अनिवार्यता थी। अब सभी राज्यों के लिए इसे अनिवार्य किया गया है। एयरपोर्ट, बस स्टैण्ड तथा रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की जांच भी की जायेगी। जो यात्री नेगेटिव रिपोर्ट बिना आएंगे उन्हें 15 दिन के लिए एकांतवास में रहना होगा। सभी जिला कलक्टर अपने जिलों में संस्थागत एकांतवास की व्यवस्था दोबारा शुरू करेंगे। कार्यालयों में कार्मिकों को कार्य की आवश्यकता के अनुरूप ही कार्यालय अध्यक्ष द्वारा कार्मिकों को बुलाया जाएगा। इस संबंध में कार्यालय अध्यक्ष निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे।
नाइट कफ्र्यू की बाध्यता उन फैक्ट्रियों पर लागू नहीं होगी, जिनमें निरंतर उत्पादन होता है तथा रात्रिकालीन शिफ्ट की व्यवस्था है। साथ ही, आईटी कंपनियां, रेस्टोरेंट, कैमिस्ट शॉप, अनिवार्य एवं आपातकालीन सेवाओं से संबंधित कार्यालय, विवाह संबंधी समारोह, चिकित्सा संस्थान, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट से आने-जाने वाले यात्री, माल परिवहन करने वाले वाहन तथा लोडिंग एवं अनलोडिंग के नियोजित व्यक्ति नाइट कफ्र्यू की व्यवस्था से मुक्त होंगे। सभी संस्थानों में मास्किंग, सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजिंग की अनिवार्य पालना सुनिश्चित करनी होगी। अन्यथा इन्हें सीज किया जा सकेगा। मिनी कंटेंनमेंट जोन की व्यवस्था पुन: लागू होगी।
जहां भी पांच से अधिक पॉजिटिव केस सामने आएंगे वहां उस क्लस्टर या अपार्टमेंट को कंटेंनमेंट जोन घोषित किया जाएगा। बीट कांस्टेबल की निगरानी में कंटेनमेंट की सख्ती से पालना कराई जाएगी। प्राथमिक स्कूल आगामी आदेश तक बंद रहेंगे। इससे ऊपर की कक्षाओं एवं कॉलेजों में कोविड प्रोटोकॉल की पालना के साथ शैक्षणिक गतिविधियां संचालित होंगी। इनमें स्क्रीनिंग एवं रेंडम टेस्टिंग अनिवार्य होगी। अभिभावकों की लिखित सहमति से ही बच्चे शिक्षण संस्थानों में आ सकेंगे।
कक्षा में 50 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी उपस्थित नहीं हो सकेंगे। विवाह समारोह में 200 एवं अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोगों को ही अनुमत किया जाएगा। विवाह की सूचना संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट को ई-मेल से भी दी जा सकेगी। प्रशासन के मांगने पर विवाह समारोह से संबंधित वीडियोग्राफी उपलब्ध करानी होगी। साथ ही बंद स्थानों पर होने वाले अन्य समारोह में भी हॉल क्षमता की 50 प्रतिशत क्षमता तक अधिकतम 200 लोगों के लिए ही अनुमति होगी। इसके लिए प्रशासन को पूर्व सूचना देना अनिवार्य होगा।
एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में खुल�� स्थानों पर होने वाले सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि सार्वजनिक कार्यक्रमों में अधिकतम 200 व्यक्तियों की सीलिंग रहेगी। धार्मिक स्थलों पर आयोजित होने वाले उत्सवों, त्यौहारों, मेलों आदि के संदर्भ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपील की है कि प्रबंध समितियां ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था कराएं। आमजन भी परिवार सहित स्वयं के घर में दर्शन करें।
मुख्यमंत्री ने गत एक वर्ष में विभिन्न त्यौहारों पर आमजन द्वारा बरती गई सावधानी एवं सहयोग की सराहना करते हुए कहा है कि वे संक्रमण का फैलाव रोकने की दृष्टि से होली-धुलण्डी सहित आगामी सभी त्यौहारों पर भीड़-भाड़ से बचें। परिवार सहित त्यौहार घर पर ही मनाएं और कोविड प्रोटोकॉल की पालना निरंतर करें। गहलोत ने धार्मिक ट्रस्टों, प्रबंध समितियों एवं स्वयंसेवी संगठनों से अपील की है कि वे दर्शन करने वालों को के लिए मास्क एवं सेनेटाइजिंग आदि की समुचित व्यवस्था करें।
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वैक्सीन से जुड़े डेटा शेयर करने से पहले अनुमति लें राज्य, जानें केंद्र ने क्यों दी ये सलाह Divya Sandesh
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वैक्सीन से जुड़े डेटा शेयर करने से पहले अनुमति लें राज्य, जानें केंद्र ने क्यों दी ये सलाह
नई दिल्ली सरकार ने गुरुवार को कोरोना वैक्सीन से जुड़े स्टॉक, स्टोरेज टेंपरेचर से जुड़े ई-विन (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क) के डेटा शेयर करने से पहले केंद्र से अनुमति लेने को कहा। केंद्र ने कहा कि इस सलाह का मकसद विभिन्न एजेंसियों द्वारा इस सूचना का वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग किए जाने को रोकना है।
मीडिया में आई खबरों पर दिया स्पष्टीकरण स्वास्थ्य मंत्रालय का यह स्पष्टीकरण मीडिया में आयी उन खबरों पर आया है जिनमें कहा गया कि केंद्र राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उन्हें वैक्सीन के भंडार और वैक्सीन के भंडारण के तापमान पर इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क (ई-विन) के आंकड़े बिना मंजूरी के सार्वजनिक तौर पर साझा न करने की सलाह दे रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि यह ”संवेदनशील सूचना है और इसका इस्तेमाल केवल इस कार्यक्रम की बेहतरी के लिए होना चाहिए।”
आंकड़ों के इस्तेमाल में हेरफेर की जताई आशंका मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ”वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) में इस्तेमाल विभिन्न वैक्सीन के लिए, वैक्सीन के इस्तेमाल की प्रवृत्तियों से जुड़ी अहम जानकारी और ऐसे वैक्सीन के संबंध में तापमान संबंधी आंकड़ों का इस्तेमाल बाजार में हेरफेर करने के लिए किया जा सकता है।” इसमें कहा गया है, ”यह गौर करने वाली बात है कि स्वास्थ्य मंत्रालय अब छह से अधिक वर्षों के लिए यूआईपी के तहत इस्तेमाल सभी वैक्सीन के लिए ई-विन इलेक्ट्रॉनिक मंच का इस्तेमाल कर रहा है। भंडार और भंडारण तापमान पर संवेदनशील ई-विन आंकड़े साझा करने से पहले स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी की आवश्यकता होगी।”
कोविन प्लेटफॉर्म पर दिखाई देता है डेटा कोविड-19 वैक्सीन के भंडार, उनकी खपत और शेष वैक्सीन पर आंकड़े कोविन प्लेटफॉर्म पर दिखाई देते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलनों और नियमित प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए नियमित तौर पर इसे साझा करता है। मंत्रालय ने कहा, ”राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे स्वास्थ्य मंत्रालय के पत्र का उद्देश्य ऐसे संवेदनशील आंकड़ों का अनधिकृत वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने से रोकना है।���
वैक्सीनेशन प्रोग्राम में पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्धता इस��ें आगे कहा गया है कि कि भारत सरकार कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है और यही वजह है कि वह कोविन के जरिए वैक्सीन संबंधी निगरानी के लिए रियल टाइम सूचना प्रौद्योगिक पर आधारित व्यवस्था लेकर आयी। बयान में कहा गया है कि इस कदम का मकसद आम जनता के साथ नियमित तौर पर सूचना साझा करना है।
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जरा हटके, जरा बचके: अनलॉक में कहीं न हो जाए पहली लहर के बाद वाली गलती! Divya Sandesh
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जरा हटके, जरा बचके: अनलॉक में कहीं न हो जाए पहली लहर के बाद वाली गलती!
अनलॉक की तरफ बढ़ चले राज्यों के लोग आज से थोड़ी राहत की सांस ले सकते हैं। दिल्ली, जम्मू और कश्मीर ने 31 मई से ही लॉकडाउन के नियमों में ढील देनी शुरू कर दी थी। यूपी, एमपी, हिमाचल प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों में 1 जून से रियायतें दी जानी हैं। कहीं दुकानों के खुलने का वक्त बढ़ाया गया है तो कहीं दफ्तर पूरी क्षमता से खुल रहे हैं। कुछ जगह अलग-अलग पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी शुरू किया गया है।कहां आज से रियायतें दी जा रही हैं, जानने के लिए क्लिक करेंअगर अनलॉक की प्रक्रिया को जारी रखना है तो जनता को भी सहयोग करना होगा। रियायत मिलने का मतलब यह नहीं कि उनका दुरुपयोग शुरू कर दिया जाए। कुछ सावधानियों का पालन करके ही हम कोविड-19 की तीसरी लहर को आने से रोक पाएंगे। जरूरी यह है कि हम पिछले लॉकडाउन में की गईं गलतियों से सबक लें और उन्हें न दोहराएं।Guidelines And Precautions Of Unlock In States: कोविड-19 की रफ्तार धीमी पड़ती देख मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लॉकडाउन में ढील देनी शुरू कर दी है। ऐसे वक्त में जरूरत और ज्यादा सावधान रहने की है ताकि हम महामारी की तीसरी लहर से बच सकें।अनलॉक की तरफ बढ़ चले राज्यों के लोग आज से थोड़ी राहत की सांस ले सकते हैं। दिल्ली, जम्मू और कश्मीर ने 31 मई से ही लॉकडाउन के नियमों में ढील देनी शुरू कर दी थी। यूपी, एमपी, हिमाचल प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों में 1 जून से रियायतें दी जानी हैं। कहीं दुकानों के खुलने का वक्त बढ़ाया गया है तो कहीं दफ्तर पूरी क्षमता से खुल रहे हैं। कुछ जगह अलग-अलग पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी शुरू किया गया है।कहां आज से रियायतें दी जा रही हैं, जानने के लिए क्लिक करेंअगर अनलॉक की प्रक्रिया को जारी रखना है तो जनता को भी सहयोग करना होगा। रियायत मिलने का मतलब यह नहीं कि उनका दुरुपयोग शुरू कर दिया जाए। कुछ सावधानियों का पालन करके ही हम कोविड-19 की तीसरी लहर को आने से रोक पाएंगे। जरूरी यह है कि हम पिछले लॉकडाउन में की गईं गलतियों से सबक लें और उन्हें न दोहराएं।घर से निकलकर सड़क पर न लगाएं जामपिछले साल जब लॉकडाउन खुला था तो लोग जैसे सड़कों पर टूट से पड़े थे। इससे बाज आएं। वायरस अभी हमारे बीच लंबे समय तक रहने वाला है। ऐसे में भीड़-भाड़ से बचना होगा। हमने सोमवार को दिल्ली में भी देखा कि अनलॉक के पहले दिन आईटीओ समेत कई जगहों पर भारी ट्रैफिक जाम लग गया। अगर जरूरी हो तो ही घर से बाहर निकलें वर्ना भीतर ही रहें।बाहर निकले हैं तो मास्क जरूर पहनेंऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं, पुणे की है। पिछले साल जब लॉकडाउन हटा था तो बहुतों ने यह गलती की थी। मास्क कोरोना वायरस के प्रति आपके सुरक्षा कवच की तरह काम करता है इसलिए अभी इसे बिल्कुल न त्यागें। कहीं बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें। संभव हो अच्छी क्वालिटी के दो मास्क पहनें जैसा कि एक्सपर्ट्स सलाह देते आ रहे हैं।अनलॉक की खुशी में कहीं भूल न जाएं सामाजिक दूरीपिछले साल कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने से लेकर हमने ये दो शब्द बार-बार सुने हैं- सोशल डिस्टेंसिंग। इनका महत्व हर महामारी में सबसे ज्यादा होता है। अभी वायरस खत्म नहीं हुआ है, अब भी रोज एक लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं, इसलिए बिल्कुल कोताही न करें। बाहर निकलें या वर्कप्लेस पर हों तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करें। याद रखिए, वैक्सीन के अलावा मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही वायरस के खिलाफ हमार��� सबसे ��ड़े हथियार हैं। फिलहाल टाल दें घूमने-फिरने का प्लानसमर वेकेशन या यूं ही कहीं घूमने जानें से बचें। पिछले साल हम में से बहुतों ने यह गलती की थी। लॉकडाउन खुला और घूमने के लिए हिल स्टेशंस या समंदर किनारे निकल गए। नतीजा क्या रहा, वह दूसरी लहर के रूप में पूरे देश ने देखा। इसलिए अभी अपने भीतर के घुमक्कड़ को जरा काबू में रखें। जान रहेगी तो घूमने के लिए वक्त भी मिलेगा और जगहें भी। घर पर रहकर खुद को सेफ रखना ज्यादा बेहतर है।शॉपिंग के लिए कतार लगाने से बचिएकई जगह बाजार खुल रहे हैं, ऐसे में सलाह यही है कि एकदम से शॉपिंग करने मत निकल पड़िए। रोजमर्रा की जरूरत के लिए दुकानें लॉकडाउन में भी खुलती रही हैं। कपड़े, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स व अन्य सामान आप ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं। पिछले लॉकडाउन के बाद जब रियायतें दी गई थीं तो कई एक्सपर्ट्स ने बाजारों को ‘सुपर स्प्रेडर’ करार दिया था। इसकी वजह भी थी। लोग बाजारों में बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के उमड़ पड़ते थे। खासतौर से स्थानीय बाजारों में तो हाल बेहद खराब थे। ऐसे में जरूरी शॉपिंग के अलावा बाकी सब अभी टाल दें तो ही बेहतर। बार-बार हाथ धोते रहें, लापरवाही न करेंसैनिटाइजर से तौबा न करें। बाहर निकलें तो पॉकेट में सैनिटाइजर की शीशी जरूर रख लें। हाथों को बार-बार साबुन से धोते रहें। किसी ऐसी चीज को छुएं जिसे बहुतों ने छुआ हो तो हाथों को सैनिटाइज जरूर करें जैसे कि लिफ्ट, दरवाजे, रेलिंग आदि। लोगों से हाथ मिलाने से परहेज करें क्योंकि आपको नहीं पता कि अगला संक्रमित है या नहीं। शादियों में मजमा न लगाएं, पार्टी से बचेंअधिकतर जगह शादियों में मेहमानों की अधिकतम संख्या तय है, इसलिए उसका ध्यान रखें। बार-क्लब्स में जानें से बचें और दोस्तों के साथ मस्ती करने से भी। घर में भी बर्थडे, एनिवर्सरी या किसी और मौके पर बड़ी पार्टी से बचें। कम से कम लोगों को इनवाइट करें।
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सोनिया-राहुल तय करेंगे कांग्रेस का नेता : दिग्विजय has been published on PRAGATI TIMES
सोनिया-राहुल तय करेंगे कांग्रेस का नेता : दिग्विजय
रायपुर, (आईएएनएस/वीएनएस)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस का नेता कौन होगा, इसका निर्णय नेतृत्व ही तय करता है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी जिसे तय करेंगे, हम उसका समर्थन करेंगे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बुधवार को रायपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस भवन में पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता था, हूं और रहूंगा। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से कभी समझौता नहीं करूंगा। मेरी प्रतिबद्धता नेहरू-गांधी परिवार के प्रति है और रहेगी। उनके अलावा हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं है।” उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, विधायक सत्यनारायण शर्मा, सांसद छाया वर्मा, मोहम्मद अकबर सहित अन्य कांग्रेसी नेता मौजूद थे। दिग्विजय ने कहा, “भाजपा सरकार ने विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक नहीं लाया गया। सरकार ने बिना नोट छापे नोटबंदी की और बिना रिटर्न तैयार किए एक अव्यवहारिक जीएसटी लाई गई। जीएसटी के लिए हमने सभी प्रदेशों में सर्वर बनाने का सुझाव दिया था, जिस पर अमल नहीं किया गया।” पार्टी में गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस में हमारे नेता एकजुट हैं। समन्वय और सामंजस्य से संगठन मजबूत होता है।” छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने के सवाल पर दिग्विजय ने कहा कि अजीत जोगी को कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया, पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने कांग्रेस से अपने को अलग कर लिया। उनका निर्णय सही नहीं था। उन्होंने कहा, “उन्होंने मुख्यमंत्री बनाने वाली सोनिया गांधी का विरोध किया। पार्टी के नेताओं में समन्वय बनाकर मुख्यमंत्री बनने के लिए 47 में से 37 वोट हमने दिलवाए थे।” तुष्टिकरण के सवाल पर उन्होंने कहा, “देश सभी का है। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम ने भारत को सोशलिस्ट और सेक्युलर देश बनाया। जनसंघ के लोगों ने बाबा साहेब का विरोध किया था। आरएसएस की बिल्डिंग पर तिरंगा नहीं लहराता था। कांग्रेस पार्टी कभी धर्म का दुरुपयोग नहीं करती। इन्होंने भगवान के नाम पर नमक और ईंट बेची। 1993 में कांग्रेस की सरकार थी तब पहले गौ सेवा आयोग का गठन किया गया था।”
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