#पुष्पांजलि
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भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी की जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित
टिहरी/दिनांक 10 सितम्बर 2024: भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी की 137वीं जयंती के अवसर पर जनपद के समस्त कार्यालयों में अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा पं. गोविन्द बल्लभ पन्त जी की चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित की गई। इस मौके पर जिला सभागार नई टिहरी में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसएसपी आयुष अग्रवाल, एडीएम के.के. मिश्रा, एसडीएम अपूर्वा सिंह, व्यैक्तिक अधिकारी चंदन शाह सहित जिला…
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मुख्यमंत्री योगी आंबेडकर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हजरतगंज, लखनऊ में बाबा साहब डाॅ0 बी0आर0 आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए।
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लखनऊ, 03.02.2025 | बसंत पंचमी के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “श्रद्धामय पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने मां सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की तथा मां सरस्वती जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी ज्ञान रूपी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को बसंत पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, "बसंत पंचमी" हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है । इस दिन पीले वस्त्र धारण करने की परंपरा है, क्योंकि पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक माना जाता है । इस समय प्रकृति नवजीवन से भर जाती है—खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं, आम के वृक्षों पर नई कोंपलें आती हैं और वातावरण सुगंधित एवं उल्लासमय हो जाता है । इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है, जो हमें विद्या, बुद्धि और संगीत का आशीर्वाद प्रदान करती हैं । विद्यार्थीगण इस दिन अपनी पुस्तकों और कलम की पूजा करते हैं और मां सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । यह पर्व हमें ज्ञान और शिक्षा के महत्व की याद दिलाता है, क्योंकि बिना ज्ञान के जीवन अधूरा है । बसंत पंचमी का सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व भी अत्यधिक है । इस दिन पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है, जो उमंग और आनंद का प्रतीक है । भारत के विभिन्न राज्यों में यह पर्व अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है । पंजाब में इसे "सज्जन दिवस", बिहार में "सरस्वती पूजा" और बंगाल में "श्री पंचमी" के रूप में जाना जाता है । अतः हमें इस पावन पर्व पर मां सरस्वती से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें सद्बुद्धि, ज्ञान और विवेक का आशीर्वाद दें ताकि हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें और समाज की सेवा कर सकें ।“
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री यश पाल यश
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना ��लग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनक�� ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
��ॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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जयंती समारोह में बनवारी सिंह यादव के संस्मरण सुनाते हुये भावुक हुये लोग
बदायूं जिले में समाजवादी पार्टी की आधारशिला रखने वाले दिवंगत बनवारी सिंह यादव की जयंती धूमधाम से मनाई गई। नौसेरा स्थित फॉर्म हाउस पर जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हजारों चाहने वालों ने बनवारी सिंह यादव के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। तमाम लोगों ने बनवारी सिंह यादव से जुड़े संस्मरण सुनाये और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प भी दोहराया। संस्मरण सुनते समय कई लोग…
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शहीद दिवस पर गांधी पार्क में आयोजित हुआ कार्यक्रम
शहीद दिवस पर गांधी पार्क में आयोजित हुआ कार्यक्रम बीकानेर, 30 जनवरी। शहीद दिवस के अवसर पर गुरुवार को जिला प्रशासन द्वारा गांधी पार्क में जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस दौरान जिला कलेक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रामधुनी और बापू के प्रिय भजनों की प्रस्तुतियां राजस्थान राज्य…
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बलिदान दिवस पर बापू प्रवास स्मृति कक्ष संस्था करेगी होनहार छात्र-छात्राओं का सम्मान
मुख्य अतिथि विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा एवं आईपीएस शशांक गर्ग होंगे इटारसी। सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला ट्रस्ट इटारसी द्वारा स्थापित बापू प्रवास स्मृतिकक्ष की ओर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी बलिदान दिवस पर सुबह 11 बजे पूज्य बापू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं इटारसी शहर के शासकीय अशासकीय स्कूलों के कक्षा दसवीं के मेधावी छात्र-छात्राएं जो उत्कृष्ट अंक लेकर हाईस्कूल परीक्षा में…
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भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी की जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित
टिहरी/दिनांक 10 सितम्बर 2024: भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी की 137वीं जयंती के अवसर पर जनपद के समस्त कार्यालयों में अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा पं. गोविन्द बल्लभ पन्त जी की चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित की गई। इस मौके पर जिला सभागार नई टिहरी में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसएसपी आयुष अग्रवाल, एडीएम के.के. मिश्रा, एसडीएम अपूर्वा सिंह, व्यैक्तिक अधिकारी चंदन शाह सहित जिला…
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राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मनाई गई सुभाष चंद्र बोस की जयंती
गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में प्रज्ञा रेंजर टीम द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अनिता कुमारी, पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जिला आयुक्त (रोवर) डॉ. शिव कुमार, डॉ. अकबरे आज़म, रेंजर लीडर डॉ. शिखा सिंह, और रेंजर्स छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर पुष्पांजलि…
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लखनऊ, 30.01.2025 | पूरे संसार को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 77वीं पुण्यतिथि (शहीद दिवस) के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “महात्मा गांधी जी का जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणा है । उन्होंने अपने विचारों, कर्मों और संघर्षों से यह सिद्ध कर दिया कि सत्य, अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलकर भी महान परिवर्तन लाए जा सकते हैं । गांधी जी ने अपना संपूर्ण जीवन देश की स्वतंत्रता, समाज सुधार और समानता के सिद्धांतों के लिए समर्पित कर दिया । "सत्य ही ईश्वर है" और "अहिंसा परम धर्म है" जैसे उनके विचार न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आदर्श बन गए । उनकी सादगी, त्याग और सेवा भावना आज भी हमें प्रेरित करती है । उनका मानना था कि किसी भी समाज की सच्ची शक्ति वहां के गरीब, दलित, वंचित और महिलाओं के उत्थान में निहित होती है । उनके नेतृत्व में भारत ने असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अनेक सत्याग्रह किए, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी और हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई । 30 जनवरी 1948 को एक कट्टरपंथी द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी जीवंत हैं । गांधी जी के दिखाए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाकर हम न केवल अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं, बल्कि समाज और देश की उन्नति में भी योगदान दे सकते हैं । आइए, हम सभी महात्मा गांधी जी के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लें |”
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Jamshedpur kshatriya mahasabha rajput samaj - पुण्यतिथि पर याद किए गए महाराणा प्रताप, मरीन ड्राइव गोलचक्कर पर क्षत्रिय महासभा राजपूत समाज अखंड भारत ने किया नमन
जमशेदपुर : क्षत्रिय महासभा राजपूत समाज अखंड भारत की ओर से मरीन ड्राइव गोलचक्कर पर महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गयी. इस अवसर पर समाज की ओर से उन्हें माल्य��र्पण कर ,एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके महान शौर्य और पराक्रम को नमन किया गया. संगठन मंत्री मधु सिंह ने उन्हें वीर योद्धा के रूप में स्मरण किया और उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी. कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष रूपम सिंह, महामंत्री लाल…
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री यश पाल यश
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं क�� गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. ���्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री यश पाल यश
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्��� तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath
#UttarPradeshSahityaSabha
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#MilanPrabhatGunjan #PallavNeeraj
#UdayPratapSingh #DrVishnuSaxena #BalramShrivastava
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#AkhileshMishra #SuryapalGangwar #AlokRaj #RajeevVatsal #Sneha
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री यश पाल यश
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने ज��वन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (��ॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री यश पाल यश
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
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कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा मे�� अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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