Tumgik
#पीला पेशाब का घरेलू इलाज
sehatgyantips · 10 months
Text
पेशाब के रंग से जानिए सेहत 😱
0 notes
sundartatips · 1 month
Text
पीला पेशाब का घरेलू इलाज - कारण, लक्षण और इलाज
पीला पेशाब का घरेलू इलाज – कारण, लक्षण और इलाज – पेशाब के द्वारा हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। पेशाब का रंग शरीर का बदलना आम बात नहीं हैं। अगर आपके पेशाब का रंग बदल गया हैं तो थोड़ा सावधान रहने की जरूरत हैं। रंग का बदलना किसी बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं। हालांकि यह जरुरी नहीं पीला पेशाब किसी बीमारी के ही संकेत हो। गर्मी के मौसम में यह सबसे आम समस्या हैं। दरसल शरीर में पानी की…
0 notes
abhay121996-blog · 4 years
Text
अगर आप भी हैं पेशाब के समय दर्द और जलन की समस्या से परेशान तो अपनाएं घरेलू उपाय, मिलेगा आराम Divya Sandesh
#Divyasandesh
अगर आप भी हैं पेशाब के समय दर्द और जलन की समस्या से परेशान तो अपनाएं घरेलू उपाय, मिलेगा आराम
डेस्क। यूरिन में दर्द और जलन होना एक आम समस्या है। यूरिन में जलन की समस्या 50 प्रतिशत महिलाओं को होती है। फीमेल हो या मेल सभी को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कभी-कभी ये समस्या अधिक बढ़ जाती है। जिसके कारण आपको एक मिनट बैठना भी असंभव हो जाता है। इसे मेडिकल भाषा में डिस्यूरिया कहते हैं। पेशाब के समय दर्द और जलन मूत्राशय या मूत्रमार्ग में हो सकती है। महिलाओं और पुरुषों में इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
पेशाब में जलन और दर्द के कारण
पेशाब में जलन क्यों होती है-पेशाब में जलन और दर्द के कई कारण हैं और महिलाओं व पुरुषों में इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं। मुख्यतः इसके कारणों में यूटीआई (पेशाब से जुड़ी समस्या), एसटीआई (यौन संबंधित रोग), प्रोस्टेटाइटिस (प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन), सिस्टाइटिस, किडनी की पथरी, पेल्विक डिजीज, कुछ दवाएं और हाजीन का ख्याल नहीं रखना आदि शामिल हैं।
पेशाब में जलन और दर्द के लक्षण
पेशाब के समय दर्द होना।  लगातार पेशाब आना।   मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं होना।  पेशाब में बदबू आना या खून आना।  पेशाब करने की तीव्र इच्छा।  मूत्राशय या जननांग में दर्द।  पेशाब में कठिनाई।  उलटी अथवा मितली और ठंड लगने के साथ बुखार, इसके लक्षण हैं।
पेशाब में जलन का इलाज
खूब पानी पियें:  शरीर में पानी की कमी के कारण यह समस्या हो जाती है। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो यूरिन का रंग पीला हो जाता है। जब आप अधिक पानी पीते हैं, तो आपका शरीर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम होता है। इससे पेशाब का दर्द कम होता है। हर दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं। डिहाइड्रेशन से विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं, जिसके कारण आपको पेशाब करते समय दर्द होगा।
ये खबर भी पढ़े: सेब के छिलके में भी पाए जाते हैं कई ��ुण, Skin Problem से दिला सकता हैं छुटकारा, ऐसे करें इस्तेमाल
पेशाब में जलन होने पर क्या खाना चाहिए
प्रोबायोटिक्स: यह समस्या कभी-कभी बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण का परिणाम होता है। प्रोबायोटिक्स में स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं जो आपके शरीर को ऐसे संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह आपको एंटीबायोटिक दवाओं जैसी दवाओं के दुष्प्रभावों से बचने में भी मदद कर सकता है। इसके लिए अपनी डाइट में दही, केफिर, सौकरकूट और किमची शामिल करें।
पेशाब में जलन उपाय
लौंग का तेल: यह आंतों के परजीवी और कैंडिडा के लिए एक बेहतर घरेलू उपाय है। यह आपके इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करता है। इस तेल में यौगिक यूजेनॉल होता है, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह प्रभावी रूप से आपको फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
पेशाब में जलन का घरेलू उपाय
इलायची: यह पाचन में सहायता करता है और परिसंचरण में सुधार करता है। यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, जो विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और पानी को बनाए रखता है। इलायची कई बैक्टीरिया जैसे स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंट, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, कैंडिडा अल्बिकन्स और सैच्रोमाइसेस सेरेविसिया को भी मार सकती है। बस एक कप गर्म दूध में एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाएं और रात को सोने से पहले इसे पी लें।
अनार: अनार विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरा होता है, जो मूत्र पथ के संक्रमण के उपचार और रोकथाम में मदद करता है। इम्युनिटी सिस्टम बढ़ाने वाले विटामिन सी से भरपूर ये फल बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और यूटीआई मरीज की जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
विटामिन सी: अधिक से अधिक विटामिन सी का सेवन करना चाहिए। इसके लिए ऐसे फल का सेव करना चाहिए। जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी हो। यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देगा और आपके शरीर को सभी संक्रमणों से लड़ने में मदद करेगा। खट्टे फलों के अलावा, आप अन्य विटामिन सी से भरपूर फलों और सब्जियों को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी, कीवी, पपीता, अमरूद, अनानास, आम, ब्रोकोली, केल और ब्रसेल्स स्प्राउट्स विटमैन सी के अच्छे स्रोत हैं।
नारियल पानी: नारियल के पानी में थोडा सा गुड और धनिया पाउडर को मिक्स करके पीये इससे जलन और दर्द की समस्या में लाभ मिलेगा। 
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
gethealthy18-blog · 5 years
Text
हरीतकी (हरड़) के फायदे और नुकसान – Haritaki (Harad) Benefits and Side Effects in Hindi
New Post has been published on https://healingawerness.com/getting-healthy/getting-healthy-women/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%a4%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%a1%e0%a4%bc-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a5%81/
हरीतकी (हरड़) के फायदे और नुकसान – Haritaki (Harad) Benefits and Side Effects in Hindi
हरीतकी (हरड़) के फायदे और नुकसान – Haritaki (Harad) Benefits and Side Effects in Hindi Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 December 20, 2019
आयुर्वेद में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए तरह-तरह की जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। इन जड़ी-बूटियों का निर्माण औषधीय गुण वाले पेड़-पौधों के विभिन्न भागों से होता है। इन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक है हरड़, जो हरीतकी के नाम से भी प्रचलित है। मुख्य तौर पर इसका उपयोग त्रिफला चूर्ण बनाने में किया जाता है। माना जाता है कि इसमें इतने गुण मौजूद हैं कि यह अकेले ही कई समस्याओं से राहत दिलाने में कारगर साबित हो सकती है। यही कारण है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम हरड़ के फायदे के साथ-साथ इसे इस्तेमाल करने के तरीके भी बता रहे हैं। बेशक, लेख में बताई जाने वाली समस्याओं में हरड़ फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन यह उन समस्याओं को जड़ से खत्म कर दे, ऐसा हर स्थिति में संभव नहीं है। ऐसे में पूर्ण उपचार के लिए डॉक्टरी सलाह लेना ही बेहतर होगा, ताकि हरड़ के व्यापक लाभ उठा सकें।
तो आइए, हरड़ से संबंधित अन्य जरूरी बातों को जानने से पहले हम हरड़ के फायदे से जुड़ी जानकारियां हासिल कर लेते हैं।
विषय सूची
हरीतकी (हरड़) के फायदे – Benefits of Haritaki (Harad) in Hindi
1. अस्थमा में दिलाए राहत
अस्थमा की समस्या में हरड़ के फायदे लाभदायक साबित हो सकते हैं। दरअसल, अस्थमा ऐसी समस्या है, जो श्वसन अंग में सूजन के कारण होती है (1)। वहीं हरीतकी में एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस कारण यह माना जा सकता है कि यह अस्थमा की समस्या में सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित कर सकती है। वहीं, एशियन पेसिफिक जर्नल द्वारा एक शोध में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि इसका उपयोग अस्थमा की समस्या में फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन यह इस समस्या में काम कैसे करती है, इस बात का कोई पुष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है (2)। इस कारण अस्थमा की समस्या में राहत दिलाने वाले गुण को लेकर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
2. बवासीर में फायदेमंद
बवासीर की समस्या में भी हरीतकी का उपयोग लाभकारी परिणाम दे सकता है। दरअसल, बवासीर ऐसी समस्या है, जो मुख्य रूप से पाचन क्रिया के सही से काम न करने के कारण होती है (3)। वहीं, हरीतकी में लैक्सेटिव (मल को पतला करने वाला) प्रभाव पाया जाता है, जो पेट संबंधी कई समस्याओं को दूर कर बवासीर की समस्या में राहत दिलाने का काम कर सकता है (2)। इस कारण यह कहा जा सकता है कि बवासीर की समस्या में गर्म पानी के साथ हरीतकी चूर्ण का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
3. खांसी से दिलाए छुटकारा
खांसी की समस्या से राहत पाने के लिए भी हरीतकी का सेवन किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें एंटीट्यूसिव प्रभाव (बलगम और खां���ी को दूर करने वाला प्रभाव) पाया जाता है, जो खांसी की समस्या में काफी हद तक राहत पहुंचा सकता है (4)। इस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि हरीतकी का उपयोग खांसी की समस्या से छुटकारा दिलाने में उपयोगी साबित हो सकता है।
4. पाचन के लिए लाभदायक
जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि हरीतकी में कई ऐसे औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो संयुक्त रूप से पाचन से संबंधित विकारों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। वहीं, इसमें भूख बढ़ाने वाले और पाचक रसों की सक्रियता बढ़ाने वाले गुण भी मौजूद होते हैं। यही कारण है कि इसे पेट के लिए बेहतरीन औषधि माना जाता है (2)। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि हरड़ के फायदे में पाचन शक्ति में सुधार भी शामिल है।
5. अल्सर से बचाने में करता है मदद
हरीतकी का उपयोग मुंह और पेट के अल्सर को होने से रोक सकता है। बताया जाता है कि इसमें साइटोप्रोटेक्टिव (कोशिकाओं को नुकसान से बचाने वाला), एंटीबैक्टीरियल (बैक्टीरिया के प्रभाव को नष्ट करने वाला) के साथ ही एंटी-अल्सर (अल्सर को दूर करने वाला) प्रभाव मौजूद होते हैं। ये तीनों प्रभाव संयुक्त रूप से अल्सर की समस्या को दूर करने में सहयोगात्मक परिणाम प्रदर्शित कर सकते हैं (2)। इस कारण यह कहा जा सकता है कि हरीतकी अल्सर की समस्या से राहत पाने का एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है।
6. कब्ज को रखे दूर
कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में भी हरीतकी का उपयोग लाभकारी परिणाम प्रदर्शित कर सकता है। जैसा कि हम लेख में पहले ही बता चुके हैं कि यह पेट के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है और पेट से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होता है। वहीं, इस संबंध में एशियन पैसेफिक जर्नल द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि कब्ज की समस्या में हरड़ खाने के फायदे हो सकते हैं (2)। इस कारण यह माना जा सकता है कि कब्ज की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को हरीतकी के सेवन से लाभ मिल सकता है।
7. उल्टी में दिलाए राहत
उल्टी की समस्या में भी हरड़ खाने के फायदे सिद्ध हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, हरीतकी में मौजूद औषधीय गुणों के कारण इसे बुखार, खांसी और खराश जैसी समस्या के साथ उल्टी आने की परेशानी में भी कुछ हद तक फायदेमंद माना गया है। हालांकि, यह किस प्रकार से इस समस्या में काम करती है और इसका कौन सा प्रभाव उल्टी की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है, इस बारे में अभी और शोध की आवश्यकता है (4)।
8. त्वचा से जुड़ी समस्याओं से बचाए
हरड़ खाने के फायदे में त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत भी शामिल हैं। दरअसल, हरीतकी में एंटीबैक्टीरियल (बैक्टीरिया के प्रभाव को नष्ट करने वाला) और एंटीफंगल (फंगस को नष्ट करने वाला) प्रभाव के साथ-साथ शरीर को प्यूरीफाई यानी शुद्ध करने की क्षमता पाई जाती हैं, जो खून में मौजूद अशुद्धियों को दूर करने में मदद कर सकती है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि ये तीनों प्रभाव संयुक्त रूप से त्वचा संबंधित कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक साबित हो सकते हैं (2)।
हरीतकी के फायदे जानने के बाद अब हम लेख के अगले भाग में बताएंगे कि औषधि के रूप में हरीतकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
हरीतकी का उपयोग – How to Use Haritaki in Hindi
हरीतकी का उपयोग दो प्रकार से किया जा सकता है।
काढ़े के रूप में– काढ़े के रूप में हरीतकी को 20 से 30 मिली तक सुबह और शाम लिया जा सकता है।
चूर्ण के रूप में– चूर्ण के रूप में इसकी करीब पांच से छह ग्राम तक मात्रा का उपयोग किया जा सकता है।
हरीतकी का उपयोग जानने के बाद अब हम हरीतकी के नुकसान से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं।
हरीतकी (हरड़) के नुकसान – Side Effects of Haritaki in Hindi
जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि हरीतकी को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। जल्दी फायदे के चक्कर में हरीतकी के नुकसान भी हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
इसमें मौजूद लैक्सेटिव प्रभाव (मल को पतला करने वाला) के कारण इसकी अधिक मात्रा दस्त की समस्या पैदा कर सकती है (2)।
वहीं, कुछ मामलों में इसकी अधिकता के कारण पेट में जलन और एसिडिटी की स्थिति पैदा हो सकती है (5)।
हालांकि, इस बात की वजह स्पष्ट नहीं है, लेकिन गर्भवती महिलाओं और पित्त की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों को हरीतकी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।
आयुर्वेद में हरीतकी को औषधीय गुणों का भंडार क्यों माना जाता है, इस बात को तो अब आप अच्छे से समझ ही गए होंगे। साथ ही आपको लेख के माध्यम से उन सभी समस्याओं के बारे में भी जानकारी मिल गई होगी, जिनमें हरीतकी का उपयोग लाभकारी परिणाम दे सकता है। ऐसे में अगर आप भी हरड़ खाने के फायदे पाना चाहते हैं, तो लेख में बताए गए तरीकों के अनुकूल ही इसे इस्तेमाल करें, लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि यह बताई गई समस्या में केवल राहत पहुंचा सकती है, उसे जड़ से खत्म नहीं कर सकती। वहीं, स्वस्थ व्यक्ति को बीमार होने से बचा सकती है। इसलिए, किसी भी समस्या के पूर्ण इलाज के लिए डॉक्टरी परामर्श जरूर लें। साथ ही हरड़ के नुकसान पर ध्यान देना भी जरूरी है, ताकि हरीतकी का व्यापक लाभ मिल सके। इस संबंध में कोई अन्य सवाल हो, तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें। हम वैज्ञानिक प्रमाण के साथ उसका जवाब देने का प्रयास करेंगे।
The following two tabs change content below.
Latest posts by Ankit Rastogi (see all)
Ankit Rastogi
अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
संबंधित आलेख
सफेद मूसली के फायदे, उपयोग और नुकसान – Safed Musli Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
सफेद मुस्ली (क्लोरोफिटम बोरेवियायनम) एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो गुणों से भरा हुआ है। सफेद मुस्ली के फायदे और नुकसानों को जानने के लिए पढ़े ये लेख। वज़न बढ़ाना , मधुमेह और भी बोहोत कुछ…
दाद के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Ringworm Symptoms and Home Remedies in Hindi
जानें दाद के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज के बारे में। दाद एक फंगल इन्फेक्शन है। अगर आप भी दाद का उपचार करने के तरीके जानना चाहते हैं, तो इस लेख में हम आपको दाद के घरेलू उपाय बताएंगे।
पीलिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Jaundice (Piliya) Home Remedies in Hindi
जानिए पीलिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज के बारे में। पीलिया में त्वचा, आंखें और पेशाब का रंग पीला हो जाता है। पीलिया के कारण तथा इसके लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में विस्‍तार जानने के लिए पढ़े ये लेख…
नीम फेस पैक के फायदे और बनाने की विधि – 10 Neem Face Packs for Skin in Hindi
जानिए नीम फेस पैक के फायदे और बनाने की विधि के बारे में। नीम में विटामिन ई और फैटी एसिड्स होते है। इसलिए यह त्वचा के लिए बोहोत फायदेमंद साबित हो सकता है। नीम फेस पैक के इस्तेमाल के बारे में विस्तारित जानने के लिए पढ़े ये लेख…
मूंगफली के फायदे, उपयोग और नुकसान – Peanut (Mungfali) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
जानें मूंगफली के फायदे, उपयोग और नुकसान के बारे में। ये एनर्जी और पौष्टिक तत्वों से भरी होती है। मूंगफली खाने से हृदय स्वास्थ्य, कैंसर, डायबिटीज के साथ साथ और भी बोहोत कुछ बीमारियां कम हो जाते है। मूंगफली का उपयोग और पौष्टिक तत्वों के बारे में विस्तारित जानने के लिए ज़रूर पढ़े ये लेख..
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/haritaki-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
0 notes
gethealthy18-blog · 5 years
Text
आंवला चूर्ण के फायदे, उपयोग और नुकसान – Amla Powder Benefits and Side Effects in Hindi
New Post has been published on https://healingawerness.com/getting-healthy/getting-healthy-women/%e0%a4%86%e0%a4%82%e0%a4%b5%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%89%e0%a4%aa%e0%a4%af%e0%a5%8b/
आंवला चूर्ण के फायदे, उपयोग और नुकसान – Amla Powder Benefits and Side Effects in Hindi
Saral Jain Hyderabd040-395603080 September 18, 2019
घर की रसोई में आंवले का एक विशेष स्थान होता है। इससे बने अचार और मुरब्बे को लोग बड़े चाव से खाते हैं। इसके कई औषधीय गुण भी हैं, खासकर आंवले से बनाया जाने वाला आंवला पाउडर का इस्तेमाल शरीर की कई परेशानियों से निजात पाने के लिए किया जाता है। आंवला पाउडर के फायदे न सिर्फ आपकी सेहत, बल्कि बालों और त्वचा के लिए भी उपयोगी माने जाते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बात करेंगे आंवला चूर्ण के फायदे, उपयोग और इससे होने वाले नुकसान के बारे में।
 आइए, सबसे पहले जानते हैं आंवला चूर्ण के फायदे के बारे में।
विषय सूची
आंवला चूर्ण के फायदे – Benefits of Amla Powder in Hindi
आंवले के साथ-साथ आंवला पाउडर भी शरीर के लिए लाभकारी माना जाता है। यहां हम बता रहे हैं कि शरीर के  लिए आवंला चूर्ण किस प्रकार फायदेमंद है।
1. वजन कम करने के लिए
Shutterstock
आंवले के अंदर एथेनॉलिक (Ethanolic) नाम का यौगिक पाया जाता है। इस यौगिक में एंटीहाइपरलिपिडेमिक (फैट को कम करने वाला) और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके इन्हीं गुणों के कारण आंवले के सेवन से बढ़ता हुए वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही आंवला अतिरिक्त फैट को बर्न करने का काम भी कर सकता है (1)। इसके अलावा, आंवला चयापचय को बढ़ावा देने का काम भी करता है, जिससे वजन को नियंत्रित रखा जा सकता है (2)।
2. पाचन के लिए फायदेमंद 
आंवला एक आदर्श फल है, जो कई सारे फायदों को अपने आप में समेटे हुए है। यह पाचन के लिए प्रभावकारी माना जाता है। दरअसल, इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है (3)। फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और कब्ज जैसी पेट संबंधी परेशानियों को ठीक करने का काम करता है (4)।
3. लीवर को स्वस्थ रखे 
दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक और शराब का सेवन लिवर में टॉक्सिक पदार्थों का निर्माण करते हैं। नियमित आंवला का सेवन इन विषाक्त पदार्थों को शरीर से छुटकारा दिलाकर लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है (2)।
4. मधुमेह को करे नियंत्रित
Shutterstock
आंवले में एंटी-हाइपोग्लाइसेमिक और लिपिड को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। आंवला में पाए जाने वाले ये गुण मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार हो सकते हैं। रोजाना आंवला पाउडर का सेवन रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में कारगर हो सकता है। इससे न सिर्फ मधुमेह को रोका जा सकता है, बल्कि इसके सेवन से मधुमेह को नियंत्रित भी किया जा सकता है (5)।
5. कैंसर की रोकथाम के लिए
आंवला में रेडियोमॉडुलेटरी (Radiomodulatory), केमोमोडायलेटरी (Chemomodulatory), केमप्रोवेन्टिव इफेक्ट (Chemopreventive effects), एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। आंवला में पाए जाने वाले ये गुण कैंसर का उपचार और रोकथाम करने में मददगार हो सकते हैं (6)।
6. स्वस्थ हृदय के लिए आंवला चूर्ण के फायदे
शोध के अनुसार, आंवला हृदय को स्वस्थ रखने का काम कर सकता है। इसके अलावा, इसका उपयोग हाइपोलिपिडेमिक एजेंट के रूप में किया जाता है, जो रक्तचाप को रोकने के साथ ही कोरोनरी आर्टरी डिजीज (धमनी रोग) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है (7)।
7. मजबूत हड्डियों के लिए
Shutterstock
आंवला कैल्शियम का एक ��च्छा प्राकृतिक स्रोत है (3)। कैल्शियम हड्डियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। कैल्शियम की कमी आपकी हड्डियों को कमजोर कर सकती है, जिससे हड्डियाें के टूटने का डर रहता है। कैल्शियम हड्डियाें को मजबूत करने के साथ ही हड्डियों के विकास का काम करता है (8)।
8. रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए 
रोज एक आंवले का सेवन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर हो सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट के साथ इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण भी मौजूद होते हैं, जिस कारण आंवला रोग प्रतिरक्षा को बूस्ट करने का काम करता है (9)।
9. आंखों के लिए आंवला चूर्ण के फायदे 
आंवले में पाया जाने वाला विटामिन-सी आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही आंवले में मौजूद आयरन और कई सारे खनिज आंखों की कई समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसका उपयोग मोतियाबिंद के उपचार में भी किया जा सकता है (2)।
10. त्वचा के लिए आंवला पाउडर
Shutterstock
आंवला में सबसे बेहतरीन प्राकृतिक एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को बूढ़ा होने से रोकने में मदद करता है। इसका उपयोग मुंहासे और अन्य त्वचा समस्याओं के उपचार में भी किया जा सकता है (10)।
11. बालों के लिए 
आंवले में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो बालों को पोषण देने कि लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आंवले का उपयोग बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकने के लिए, उन्हें मजबूत और रूसी से मुक्त बनाने के लिए किया जा सकता है। यह बालों के स्वास्थ्य और बेहतर विकास के अच्छा फल माना जा सकता है (10)।
 आंवला चूर्ण के फायदों के बाद जानते हैं इसके पोषक तत्वों के बारे में।
आंवला पाउडर के पौष्टिक तत्व – Amla Powder Nutritional Value in Hindi
आंवला चूर्ण का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें काफी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। आइए आंवला के चूर्ण में पाये जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानते हैं (3)। 
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम मॉइस्चर 81.2% कैलोरी 60 ग्राम फाइबर 3.4 ग्राम प्रोटीन 0.4 ग्राम फैट 0.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 14 ग्राम विटामिन बी1 28 माइक्रोग्राम विटामिन बी3  0.4 ग्राम विटामिन सी 720 मिलीग्राम कैल्शियम 15 मिलीग्राम आयरन 1 मिलीग्राम फास्फोरस 21 मिलीग्राम
पोषक तत्वों को जानने के बाद आगे हम जानेंगे कि आंवला चूर्ण का उपयोग कब, कैसे और कितनी मात्रा में करना चाहिए।
आंवला चूर्ण का उपयोग – How to Use Amla Powder in Hindi
कब करें आंवला चूर्ण का उपयोग : 
आंवला पाउडर का उपयोग आप कभी भी कर सकते हैं।
कितनी मात्रा में आंवला पाउडर का उपयोग करना चाहिए : 
किसी भी नकारात्मक परिणामों से बचने के लिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए। साथ ही अगर आप दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, तो आंवला चूर्ण का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें (10)।
आंवला चूर्ण के फायदे हैं, तो इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जानते हैं इसके नुकसान के बारे में।
आंवला पाउडर के नुकसान – Side Effects of Amla Powder in Hindi
कहते हैं किसी भी चीज का ज्यादा उपयोग उसे नुकसानदायक बना सकता है। ठीक वैसे ही आंवला पाउडर के ज्यादा उपयोग से इसके नुकसान हो सकते हैं। ये नुकसान कौन-कौन से हैं, आइए जानते हैं।
आंवला पाउडर का इस्तेमाल रक्त में मौजूद ग्लूकोज को कम करने के लिए किया जाता है। इसलिए, हाइपोग्लाइसीमिया (Low Blood Sugar) के मरीजों को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए (5)।
आंवले का सेवन तेजी से वजन कम कर सकता है। जिनका वजन पहले से ही कम है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन करना चाहिए (2)।
गर्भावस्था के दौरान इसका अधिक सेवन कब्ज, दस्त, अपच और निर्जलीकरण का कारण बन सकता है (11)।
इस आर्टिकल से यह तो साफ हो गया है कि आंवला चूर्ण के फायदे एक नहीं, बल्कि अनेक हैं। इसका प्रयोग स्वास्थ्य को ठीक रखने के साथ-साथ त्वचा और बालों के लिए भी किया जा सकता है। साथ ही ध्यान रहे कि इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में ही करें, वरना अधिक सेवन फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। आपको यह लेख कैसा लगा, हमें नीचे कमेंट बॉक्स के जरिए जरूर बताएं। इसके अलावा, लेख में बताए गए घरेलू नुस्खों से आपको किस प्रकार लाभ हुआ, आप इसे भी हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
The following two tabs change content below.
Latest posts by Saral Jain (see all)
आंवला चूर्ण के फायदे, उपयोग और नुकसान – Amla Powder Benefits and Side Effects in Hindi – September 18, 2019
बालों के लिए करी पत्ते के फायदे और उपयोग – Benefits of Curry Leaves For Hair Growth in Hindi – September 18, 2019
काजू खाने के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Cashew Nuts Benefits and Side Effects in Hindi – September 18, 2019
पान के पत्ते के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान – Betel Leaf Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – September 17, 2019
स्टैमिना कैसे बढ़ाएं? व्यायाम, डाइट और अन्य उपाय – Tips To Increase Stamina in Hindi – September 6, 2019
Saral Jain
संबंधित आलेख
कूटू के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – BuckWheat (Kuttu) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
भारत के विभिन्न राज्यों में कई प्रकार के उत्सव मनाए जाते हैं और इनका आनंद उठाने के लिए बनते हैं विभिन्न प्रकार के पकवान। इन पकवानों का अपना अलग स्वाद और महत्व होता है।
डार्क चॉकलेट के फायदे और नुकसान – Dark Chocolate Benefits and Side Effects in Hindi
‘चॉकलेट’ यह शब्द सुनते ही हर किसी के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है। बच्चे हों या बूढ़े चॉकलेट भला किसे पसंद नहीं होती हैं।
रामबुतान के 11 अद्भुत स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits Of Rambutan in Hindi
दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुतायत पाया जाने वाला रामब���तान स्वादिष्ट और गुणकारी फल है। अकेले ऑस्ट्रेलिया में इसकी 50 से ज्यादा प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें से 15 की व्यापारिक रूप से खेती की जाती है
मौसंबी और इसके जूस के 26 फायदे, उपयोग और नुकसान – Sweet Lime (Mosambi) Benefits in Hindi
बात की जाए फलों के रस की, तो हर किसी की पहली पसंद मौसंबी (स्वीट लाइम) का जूस ही होता है। हो भी क्यों न, स्वाद और पौष्टिक तत्वों से भरपूर मौसम्बी के फायदे अनेक हैं।
पीलिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Jaundice (Piliya) Home Remedies in Hindi
जानिए पीलिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज के बारे में। पीलिया में त्वचा, आंखें और पेशाब का रंग पीला हो जाता है। पीलिया के कारण तथा इसके लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में विस्‍तार जानने के लिए पढ़े ये लेख…
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/amla-churna-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
0 notes
gethealthy18-blog · 5 years
Text
फंगल इन्फेक्शन के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fungal Infection Symptoms and Home Remedies in Hindi
New Post has been published on https://healingawerness.com/getting-healthy/getting-healthy-women/%e0%a4%ab%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%b2-%e0%a4%87%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%ab%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b6%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b2%e0%a4%95/
फंगल इन्फेक्शन के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fungal Infection Symptoms and Home Remedies in Hindi
Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 August 22, 2019
फंगल इन्फेक्शन शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जैसे उंगलियों के बीच में, सिर पर, हाथों पर, बालों में, मुंह में या शरीर के अन्य भागों में। यह संक्रामक होता है और आसानी से संक्रमित वस्तु या व्यक्ति के जरिए फैल सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि फंगस हवा, पानी, मिट्टी कहीं भी पाया जा सकता है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बात करेंगे फंगल इन्फेक्शन के बारे में। इसके कारण जानने के साथ हम यह भी पता करेंगे कि इसके लक्षण क्या हैं और फंगल इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जा सकता है।
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि फंगल इन्फेक्शन क्या है।
विषय सूची
फंगल इन्फेक्शन क्या है – What is Fungal Infection in Hindi
फंगल इन्फेक्शन एक प्रकार का संक्रमण है, जो तब होता है जब शरीर के किसी भाग पर फंगस आक्रमण करता है। यह संक्रमण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर कर सकता है (1)। फंगल इन्फेक्शन एक छोटे-से दाद से लेकर जानलेवा संक्रमण जितना बड़ा हो सकता है (2)। यह आपके शरीर पर, बालों में, नाखून पर, गुप्तागों, मुंह या गले पर कहीं भी हो सकता है (3)।
यह जानने के बाद कि फंगल इन्फेक्शन क्या है, आइए आपको फंगल इन्फेक्शन के लक्षण और प्रकार के बारे में बता दें।
फंगल इन्फेक्शन के प्रकार और उनके लक्षण
फंगल इन्फेक्शन चार तरह के होते हैं, जिनके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं। इन चार प्रकार के फंगल इन्फेक्शन के लक्षण भी अलग होते हैं।
1. नेल फंगल इन्फेक्शन
Shutterstock
इस प्रकार का फंगल संक्रमण नाखूनों में देखने को मिलता है, जिसे ओनिकोमाइकोसिस (onychomycosis) के नाम से भी जाना जाता है। यह अक्सर, हाथ के नाखूनों की जगह पैर के नाखूनों में होता है। साथ ही, यह दो उंगलियों के बीच में भी हो सकता है, जिसे एथलीट फुट भी कहा जाता है (4)। इनकी पहचान करना आसान है। यहां हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप जान सकते हैं कि आपको नेल फंगल इंफेक्शन है।
नाखून फंगल संक्रमण के लक्षण:
नाखून का रंग बदलना (पीला, भूरा या सफेद)
मोटे नाखून
टूटे या फटे हुए नाखून
2. फंगल स्किन इन्फेक्शन
Shutterstock
फंगल स्किन इन्फेक्शन, जिन्हें दाद भी कहा जाता है, अक्सर गोलाकार में होते हैं। यही वजह है कि इन्हें रिंगवर्म भी कहा जाता है। इस फंगल संक्रमण के होने पर त्वचा पर लाल और खुजलीदार चकत्ते पड़ जाते हैं। यह फंगल स्किन इन्फेक्शन आपके हाथों-पैरों, गुप्तांग या स्कैल्प में हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि 40 प्रकार की फंगस होती हैं, जो फंगल स्किन इन्फेक्शन का कारण बन सकती हैं (5)। आइए, अब इसके लक्षण भी जान लेते हैं, जो इस प्रकार हैं :
फंगल स्किन इन्फेक्शन के लक्षण (6):
त्वचा में खुजली
लाल और गोल चकत्ते
लाल, पपड़ीदार और फटी त्वचा
बाल झड़ना
3. यीस्ट इन्फेक्शन
Shutterstock
यह एक प्रकार के फंगस की वजह से होता है, जिसे कैंडिडा कहा जाता है। कैंडिडा हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों जैसे मुंह, गला, आंत और योनि में बिना कोई नुकसान किए रहता है। कभी-कभी योनि के अंदर कैंडिडा की संख्या बढ़ने लगती है और यह संक्रमण का कारण बन सकता है (7)। इस अवस्था में पीड़ित महिला को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस इंफेक्शन की पहचान कुछ इस प्रकार की जा सकती है :
यीस्ट फंगल इन्फेक्शन के लक्षण :
गुप्तांग में खुजली या दर्द
संभोग के दौरान दर्द
पेशाब करते समय दर्द या तकलीफ
गुप्तांग से असामान्य स्राव
4. मुंह, गले या अन्न प्रणाली में कैंडिडा संक्रमण
Shutterstock
यह संक्रमण भी कैंडिडा फंगस की वजह से होता है। जब मुंह, गले या अन्नप्रणाली में कैंडिडा की संख्या बढ़ जाती है, तो यह संक्रमण में बदल सकता है। मुंह और गले के कैंडिडा संक्रमण को थ्रश या ऑरोफरीन्जियल कैंडिडिआसिस (oropharyngeal candidiasis) भी कहा जाता है। एड्स या एचआईवी से संक्रमित लोगों में यह समस्या आम देखी जाती है (8)। इसमें मरीज को कष्टदायक पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है।
कैंडिडा संक्रमण के लक्षण:
मुंह में लालपन या खटास
मुंह में सूजन (रुई जैसा अहसास)
किसी भी चीज के स्वाद का पता न चलाना
भोजन करते समय या उसे निगलते समय दर्द होना
मुंह के कोनों पर रेश और लालपन
आंतरिक गाल, जीभ, मुंह की छत और गले पर सफेद चक्क्त्ते
लेख के अगले भाग में जानिये फंगल इन्फेक्शन के कारण।
फंगल इन्फेक्शन के कारण और जोखिम कारक
अलग-अलग तरह से फंगल इन्फेक्शन के कारण भी अलग-अलग भी हो सकते हैं। इनमें कुछ कारण सामान्य भी हो सकते हैं। आइए, आपको इन कारणों से परिचित करवाते हैं।
1. नाखून फंगल इन्फेक्शन के कारण
कई बार नाखून में दरार होने की वजह से फंगस आपके नाखून में प्रवेश कर जाता है। इसकी वजह से संक्रमण हो सकता है। यह किसी को भी हो सकता है (4)। नीचे जानिए इसके होने के कुछ कारण –
नाखून में चोट या सर्जरी
मधुमेह
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
रक्त संचार की समस्या
एथलीट फुट (पैर में दाद)
2. फंगल स्किन इन्फेक्शन के कारण
फंगल स्किन इन्फेक्शन के कीटाणु अलग-अलग तरीकों से फैल सकते हैं। नीचे बताए गए बिंदु फंगल स्किन इन्फेक्शन का कारण हो सकते हैं (9) :
यह ऐसे सामान से फैल सकता है, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के अवशेष हों, जैसे कंघा, बिना धुले कपड़े आदि।
फंगस से प्रभावित पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, बकरी, घोड़े या सूअर के संपर्क में आने से भी ऐसा हो सकता है।
जिन लोगों को ज्यादा पसीना आता है, उनसे भी यह फंगल संक्रमण फैल सकता है।
3. यीस्ट इन्फेक्शन के कारण
एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 70 प्रतिशत महिलाओं को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार तो यह संक्रमण होता ही है (10)। यहां हम बता दें कि यीस्ट हर महिला के शरीर में होता है। जब इसके स्तर असंतुलित होता है, तो यह इंफेक्शन का रूप ले सकता है। नीचे बताए गए बिंदु इसके कारण हो सकते हैं (11) :
एंटीबायोटिक का उपयोग
मौखिक गर्भनिरोधक का उपयोग
मधुमेह
गर्भावस्था
मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन
सामान्य बीमारियां, जैसे आयरन की कमी और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
एक्जिमा
4. मुंह, गले या अन्न प्रणाली में कैंडिडा संक्रमण
यह नवजात, खासकर एक महीने या उससे छोटे शिशु में होना आम है। इसके अलावा, यह कुछ और निम्न कारणों से भी हो सकता है – (8) :
अगर आप डेन्चर (कृत्रिम दांत) पहनते हैं।
मधुमेह
कैंसर
एचआईवी/एड्स
अगर आप किसी प्रकार की एंटीबायोटिक या दवा ले रहे हैं, जिससे आपका मुंह सूखता हो।
धूम्रपान करने से
फंगल इन्फेक्शन के कारण बताने के बाद, अब जानते हैं कि फंगल इन्फेक्शन का इलाज आप घर में कैसे कर सकते हैं।
दाद के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Fungal Infection in Hindi
यहां हम कुछ ऐसे उपचार बता रहे हैं, जिनकी मदद से फंगल इंफेक्शन को आसानी से दूर किया जा सकता है। ये उपचार न सिर्फ कारगर हैं, बल्कि महंगे भी नहीं हैं। आइए, जानते हैं कि ये घरेलू उपचार किस प्रकार कार्य करते हैं।
1. लहसुन
Shutterstock
सामग्री:
दो से तीन लहसुन की कलियां
दो से तीन चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल
विधि:
लहसुन की कलियों को कद्दूकस कर लें।
कद्दूकस किए हुए लसहुन को नारियल तेल में मिला लें।
फिर इस तेल को चार से पांच मिनट के लिए गैस पर रख कर गर्म करें।
इसके बाद गैस से उतार कर ठंडा कर लें और तेल को छान लें।
अब संक्रमित क्षेत्र पर तेल अच्छी तरह लगाकर छोड़ दें।
जल्द राहत पाने के लिए इस प्रक्रिया को रोज दोहराएं।
कैसे काम करता है:
फंगल इन्फेक्शन के उपाय की बात करें, तो लहसुन बहुत लाभदायक है। इसमें एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फंगस से लड़कर संक्रमण से आराम दिलाने में मदद कर सकते हैं (12)।
2. टी ट्री ऑयल
सामग्री:
टी-ट्री ऑयल की दो से तीन बूंदें
एक बड़ा चम्मच नारियल तेल
विधि:
सबसे पहले किसी साफ सूती कपड़े या रुई से प्रभावित त्वचा को सूखा लें।
फिर एक बड़े चम्मच नारियल तेल में टी ट्री ऑयल की दो से तीन बूंदें मिला लें।
अब इस मिश्रण को संक्रमित त्वचा पर लगाकर छोड़ दें।
इस उपाय को रोजाना एक से दो बार दोहराया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
टी-ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक, एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने का काम कर सकते हैं (13)।
3. नारियल का तेल
सामग्री:
एक से दो चम्मच आर्गेनिक नारियल तेल
कॉटल बॉल
विधि:
सबसे पहले प्रभावित त्वचा को कॉटल बॉल की मदद से सूखा लें।
अब एक दूसरी कॉटल बॉल की मदद से तेल को फंगल से संक्रमित त्वचा पर लगाएं।
जल्द परिणाम पाने के लिए तेल को रोजाना दो से तीन बार लगाएं।
कैसे काम करता है:
एक शोध के अनुसार, नारियल तेल एंटी-फंगल गुणों से समृद्ध होता है, ��ो फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने में फायदे���ंद हो सकता है (14)।
4. दही:
Shutterstock
सामग्री:
दही के दो बड़ा चम्मच
एक बड़ा चम्मच शहद
विधि:
एक बाउल में दही और शहद मिला लें।
अब इस लेप को संक्रमित त्वचा पर लगाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराया जा सकता है।
इसके अलावा, रोजाना एक बाउल दही का सेवन करें।
कैसे काम करता है:
एक शोध के अनुसार, फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए दही और शहद प्रभावी रूप से काम करते हैं। ये फंगल इन्फेक्शन के कारण हो रही खुजली, दर्द और लालपन को कम करते हैं (15)। इसके अलावा, दही में लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) पाया जाता है, जिसके एंटी-फंगल गुण फंगल इन्फेक्शन से लड़ने का काम कर सकते हैं (16)। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
5. सेब का सिरका
सामग्री:
एक चम्मच सेब का सिरका
आधा कप पानी
रुई
विधि:
आधे कप पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिला लें।
रुई की मदद से इस घोल को संक्रमित जगह पर लगाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
सेब के सरके को फंगल इन्फेक्शन के उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसमें एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो सभी प्रकार से फंगल संक्रमण से राहत दिलवाने का काम कर सकते हैं (17)। इसे खासकर यीस्ट इन्फेक्शन के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है और इसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में किया जा सकता है (18)।
6. एलोवेरा
सामग्री:
ताजा एलोवेरा जेल (आवश्यकतानुसार)
विधि:
ताजे एलोवेरा जेल को संक्रमित क्षेत्र पर लगाएं।
20 से 30 मिनट रखने के बाद इसे साफ पानी से धोकर त्वचा को सूखा लें।
कैसे काम करता है:
एलोवेरा में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज करने में कारगर भूमिका निभा सकते हैं (19)। साथ ही, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक और क्लींजिंग गुण भी होते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन के लक्षण जैसे खुजली और रैशेज पर प्रभावी असर दिखा सकते हैं (20)।
7. क्रेनबेरी जूस
Shutterstock
सामग्री:
एक गिलास क्रैनबेरी जूस
विधि:
हर रोज एक गिलास क्रैनबेरी जूस का सेवन करें।
कैसे काम करता है:
शोध के अनुसार, क्रैनबेरी जूस में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले फंगस को दूर कर फंगल इन्फेक्शन से निजात दिलवाने का काम कर सकते हैं। इसे खासकर फंगल स्किन इन्फेक्शन के लिए उपयोगी पाया गया है (21)।
8. अदरक
सामग्री:
अदरक के दो-तीन टुकड़े
एक कप पानी
रुई
विधि:
एक कप पानी में अदरक को कूटकर डालें और थोड़ी देर अच्छी तरह उबाल लें।
अब अदरक के इस पानी को थोड़ी देर ठंडा होने के लिए रख दें।
अब रुई की मदद से अदरक के इस पानी को संक्रमित त्वचा पर लगाएं।
पूरी तरह से आराम न आने तक इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।
आप चाहें तो अदरक वाली चाय भी पी सकते हैं।
कैसे काम करता है:
अदरक फंगल इन्फेक्शन की दवा के रूप में काम कर सकता है। इसके एंटी-फंगल गुण संक्रमण फैलाने वाले फंगस को खत्म करने का काम करते हैं (22)। आप अदरक को भोजन बनाने में इस्तेमाल में ला सकते हैं।
9. जैतून का तेल
सामग्री:
जैतून तेल की कुछ बूंदें
रुई
विधि:
रुई की मदद से जैतून तेल को प्रभावित त्वचा पर अच्छी तरह लगाएं।
इस बात का ध्यान रखें कि आपको तेल आराम से लगाना है।
जब तक पूरी तरह आराम न हो जाए, दिन में दो बार इस उपाय को करें।
कैसे काम करता है:
शोध के अनुसार, जैतून के तेल में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन का इलाज आसानी से कर सकते हैं (23)।
10. ग्रीन टी
Shutterstock
सामग्री:
एक या दो ग्रीन टी-बैग
एक कप गर्म पानी
स्वाद के लिए चीनी (स्वादानुसार)
विधि:
एक कप गर्म पानी में थोड़ी देर ग्रीन टी-बैग को डालकर रखें।
फिर टी-बैग को निकाल कर चाय का सेवन करें।
स्वाद के लिए आप इसमें थोड़ी चीनी मिला सकते हैं।
कैसे काम करता है:
ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन (Catechin) में भी एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट में मदद कर सकते हैं (24)। इसके अलावा, ग्रीन टी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन के लक्षण जैसे सूजन को दूर करने का काम कर सकते हैं (25)।
11. हल्दी
सामग्री:
एक चम्मच हल्दी
आधा चम्मच पानी
विधि:
एक चम्मच हल्दी पाउडर में आधा चम्मच पानी मिला कर उसका पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को संक्रमित त्वचा पर लगाएं।
15 मिनट लगे रहने के बाद त्वचा को गुनगुने पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
हल्दी को फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण के साथ-साथ एंटी-फंगल गुण भी पाए जाते हैं, जो फंगल संक्रमण को दूर करने का काम कर सकते हैं (26)।
12. बेकिंग सोडा
स���मग्री:
आधा कप बेकिंग सोडा
एक बाल्टी नहाने योग्य गर्म पानी
विधि:
पानी में आधा कप बेकिंग सोडा डालें।
जब बेकिंग सोडा पानी में अच्छी तरह घुल जाए, तो उसमें 15-20 मिनट के लिए पैर डाल कर बैठ जाएं।
आप चाहें तो इस इस पानी में साफ कपड़ा भिगोकर अन्य प्रभावित जगहों पर भी लगा सकते हैं।
इस प्रक्रिया को रोजाना एक बार किया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट की बात करें, तो बेकिंग सोडा एक कारगर इलाज हो सकता है। दरअसल, यह एंटी-फंगल गुण से समृद्ध होता है, जो आपको जल्द आराम देने का काम कर सकता है (27)। हालांकि, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
13. एप्सम सॉल्ट बाथ
Shutterstock
सामग्री:
एक कप एप्सम सॉल्ट
नहाने के लिए एक टब गुनगुना पानी
विधि:
नहाने के पानी में एक कप एप्सम सॉल्ट मिला लें।
अच्छी तरह घुल जाने पर इस पानी से 15-20 मिनट तक नहाएं।
अच्छे परिणाम के लिए इस प्रक्रिया को हर दूसरे दिन दोहराएं।
कैसे काम करता है:
एप्सम सॉल्ट को मैग्नीशियम सॉल्ट भी कहा जाता है। इस पर हुए शोध बताते हैं, कि इसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। खासकर, एथलीट फुट के लिए (28)। मैग्नीशियम सॉल्ट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन के लक्षण जैसे खुजली, सूजन व जलन से राहत दिला सकते हैं (29)।
14. कोलाइडयन सिल्वर
सामग्री:
कोलाइडयन सिल्वर सलूशन की दो बूंदें
एक गिलास जूस/स्मूदी
विधि:
अपने पसंद के जूस/स्मूदी में कोलाइडयन सिल्वर सलूशन की दो बूंदें मिला लें।
आप चाहें तो एक गिलास पानी में भी इसकी दो बूंदें मिलाकर पी सकते हैं।
कैसे काम करता है:
कोलाइडयन सिल्वर एक औषधीय सलूशन जिसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो फंगल संक्रमण से बचाव का काम कर सकता है (30)।
15. अमरूद की पत्तियां
Shutterstock
सामग्री:
10-12 अमरूद की पत्तियां
पानी
विधि:
एक पैन पानी में अमरूद की पत्तियां डालकर 15-20 तक उबालें।
समय पूरा होने पर पानी को छान लें और थोड़ी देर ठंडा होने के लिए रख दें।
अब साफ कपड़े की मदद से इस पानी से संक्रमित त्वचा को अच्छी तरह साफ करें।
आप चाहें तो इस पानी की मात्रा बढ़ाकर नहाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
रोजाना एक बार यह उपाय किया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
अमरूद कि पत्तियां फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज कर सकती हैं। इसमें एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले फंगस से लड़कर फंगल इन्फेक्शन का इलाज करते हैं (31)।
16. नीम की पत्तियां
सामग्री:
10-12 नीम की पत्तियां
पानी
विधि:
एक पैन में पानी गर्म करने रखें और उसमे नीम की पत्तियां डाल दें।
जब पत्तियां पानी में अच्छी तरह उबल जाएं, तो गैस बन कर दें।
पानी को छान कर पत्तियां अलग कर दें और पानी को ठंडा होने के लिए रख दें।
ठंडा हो जाने के बाद रुई की मदद से नीम के पानी को संक्रमित त्वचा पर लगाएं।
रोजाना एक से दो बार यह उपाय किया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
नीम के गुणों से आप अच्छी तरह परिचित होंगे। इसके एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक गुण फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज करने के काम आसानी से कर सकते हैं (32)।
फंगल इन्फेक्शन का इलाज जानने के बाद, आइये जानते हैं कि इस दौरान किस प्रकार के परहेज रखने चाहिए।
फंगल इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?
बीमारी या संक्रमण से आराम पाने के लिए जरूरी है कि आप कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करें और कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से बचें। आइए, आपको बताते हैं कि फंगल इन्फेक्शन का इलाज कराते समय आपको किन-किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
क्या खाना चाहिए:
फैटी एसिड : अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जिनमे फैटी एसिड भरपूर मात्रा में हो। इनमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले फंगस से लड़ने का काम कर सकते हैं (33)। फैटी एसिड के लिए आप नीचे दिए गए खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हैं-
अखरोट
सालमन
पत्तेदार सब्जियां
ब्लूबेरी
सोयाबीन
नारियल का तेल : किसी और तेल की जगह खाना पकाने के लिए नारियल के तेल का उपयोग करें। फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में इसके गुणों के बारे में हम बता चुके हैं। अपने आहार में इसे शामिल करने से यह आपको फंगल स्किन इन्फेक्शन से जल्दी राहत पाने में मदद कर सकता है (14)।
प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स : आहार में प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स शामिल करने से आपको फंगल स्किन इन्फेक्शन से जल्दी आराम मिल सकता है (34)। इसके अलावा, प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स क्रोनिक इंफ्लेमेटरी और रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़े रोगों में आराम दिलवाने में लाभदायक साबित हुआ है (35)। निम्नलिखित खाद्य पदार्थ से आपको प्रोबियोटिक की भरपूर मात्रा मिल सकती है:
दही
छाछ
किससे बचना चाहिए:
शक्कर वाला आहार : शोध के अनुसार, फंगल इन्फेक्शन का इलाज कराते समय अधिक शक्कर वाला आहार लेना सुरक्षित नहीं माना गया है। खून में शक्कर की मात्रा अधिक होने से फंगस की मात्रा बढ़ती है और संक्रमण का खतरा बना रहता है (36)।
कार्बोहाइड्रेट्स : आहार में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होने से भी नुकसान हो सकता है। शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा ज्यादा होने से कैंडिडा फंगस बढ़ सकता है (38)।
ग्लूटेन : ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से बचें, जिनमें ग्लूटेन की मात्रा अधिक हो। आहार में ग्लूटेन की मात्रा अधिक होने से फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है (39)।
लेख के अगले भाग में जानिए कि आप फंगल इन्फेक्शन से कैसे बच सकते हैं।
फंगल इन्फेक्शन से बचाव – Prevention Tips for Fungal Infection in Hindi
कुछ बातों को ध्यान में रख कर, आप फंगल इन्फेक्शन से बच सकते हैं। आइए, आपको फंगल इन्फेक्शन से बचने के उपाय बताते हैं (40)।
रोज नहाएं और साफ कपड़े पहनें। फंगस को दूर रखने के लिए खुद को साफ रखना बहुत जरूरी है।
ज्यादा देर पसीने वाले कपड़ों में न रहें। हर दिन साफ और सूखे इनर वियर पहनें और व्यायाम करने के बाद भी कपड़े बदलें।
पैरों को साफ और सूखा रखें और पसीने वाले जूतों और मोजों से दूर रहें।
तैराकी के तुरंत बाद अपने कपड़े बदलें। ज्यादा देर गीले कपड़ों में रहने से फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
सार्वजनिक बाथरूम या टॉयलेट में हमेशा चप्पल पहन कर जाएं।
संतुलित आहार लें और रोज व्यायाम करें। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी और आपके शरीर को फंगस से लड़ने की ताकत मिलेगी।
इन बचाव के उपायों को ध्यान में रखकर आप बहुत हद तक फंगल इन्फेक्शन से बच सकते हैं।
अब आप समझ गए होंगे कि फंगल इन्फेक्शन का इलाज और इससे बचने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। इसके अलावा, फंगल इन्फेक्शन के लक्षण को कभी नजरअंदाज न करें, क्योंकि लापरवाही की स्थिति में फंगल संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। अगर बताए गए उपाय और सावधानियों से यह संक्रमण ठीक नहीं हो रहा है, तो आप फंगल इन्फेक्शन का इलाज कराने के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाएं। अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर हमें बता सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
फंगल त्वचा संक्रमण को साफ होने में कितना समय लगता है?
फंगल इन्फेक्शन का साफ होना आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है। कहा जाता है कि अगर संक्रमण सिर्फ त्वचा की सतह तक हो, तो कुछ दिन या हफ्तों में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर संक्रमण गहरा है, तो पूरी तरह ठीक होने में ज्यादा वक्त लग सकता हैं। अच्छा होगा आप इस विषय में त्वचा विशेषज्ञ से बात करें।
फंगल इन्फेक्शन के लिए सबसे मजबूत दवा क्या है?
फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के लिए निम्नलिखित ओटीसी (over the counter medicine) दवाइयां ली जा सकती (41):
क्लोट्रिमेजोल
माइकोनाजोल
टेरबिनाफाइन
केटोकोनाजोल
नोट: ध्यान रखें कि फंगल इन्फेक्शन की दवा का सेवन डॉक्टर से परामर्श किए बिना न करें।
क्या मुझे स्नान न करने से फंगल संक्रमण हो सकता है?
जी हां, फंगल इन्फेक्शन का एक बहुत बड़ा कारण स्वयं की सफाई न रखना होता है। अगर आप रोज नहीं नहाते हैं, तो इससे आपको फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि आप अपने बाथरूम को भी साफ रखें। गंदे बाथरूम में फंगस पनपता है, जिससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है (40)।
फंगल साइनस संक्रमण के लिए परीक्षण कैसे करें?
एक शोध के अनुसार, फंगल इन्फेक्शन का परीक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है (42):
टाइप 1 हाइपरसेंसिटिविटी (Type 1 hypersensitivity)
नेजल पोलिपोसिस (Nasal polyposis)
सीटी स्कैन (CT scan)
माइक्रोस्कोपी (Microscopy)
फंगल संक्रमण के लिए डॉक्टर से कब परामर्श करें?
ऊपर बताए गए घरेलू उपचार से जल्द फायदा न दिखने पर, फंगल संक्रमण की गंभीर स्थिति होने पर या संक्रमण के साथ शरीर में अन्य लक्षण दिखने पर आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। साथ ही इस संक्रमण से जुड़ी सभी जानकारी डॉक्टर से लें।
The following two tabs change content below.
Latest posts by Soumya Vyas (see all)
फंगल इन्फेक्शन के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fungal Infection Symptoms and Home Remedies in Hindi – August 22, 2019
ब्राउन राइस खाने के 27 फायदे, उपयोग और नुकसान – Brown Rice Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – August 19, 2019
जीभ के छाले होने के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Home Remedies for Tongue Ulcer in Hindi – August 19, 2019
ग्लिसरीन के फायदे और नुकसान – Glycerin Benefits in Hindi – August 13, 2019
काला नमक के 19 फायदे, उपयोग और नुकसान – Black Salt Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – August 6, 2019
Soumya Vyas
संबंधित आलेख
बिच्छू बूटी (बिछुआ पत्ती) के 10 फायदे, उपयोग और नुकसान – Nettle Leaf Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम जिस चीज के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं, उसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा।
अनानास के 24 फायदे, उपयोग और नुकसान – Pineapple Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
जानिए अनानास के महत्वपूर्ण फायदे (Health benefits of Pineapple in Hindi) और नुकसान।अनानास खाने से और इसका जूस पीने से कई तरह के रोगों से राहत मिल सकती है। अनानास के बारे में विस्तारित जानने के लिए पढ़े ये लेख…
स्वाइन फ्लू के लक्षण और घरेलू इलाज – Home Remedies for Swine Flu in Hindi
स्वाइन फ्लू एक संक्रामक बीमारी है जिसे एच1एन1 वायरस भी बोला जाता है। यहाँ इस लेख में बता रहे है स्वाइन फ्लू के कुछ घरेलु उपाय (Swine flu remedies in hindi), साथ में इस बीमारी के कारण और लक्षणों के बारेमे भी। जानने के लिए ज़रूर पढ़े…
कैलामाइन लोशन के 21 अद्भुत फायदे – Amazing Benefits Of Calamine Lotion in Hindi
त्वचा संबंधी बिभिन्न रोग या समस्या के लिए कैलामाइन लोशन बोहो�� हे फायदेमंद है। कैलामाइन लोशन के कुछ ऐसे ही अनोखे फायदों (Calamine lotion benefits in hindi) को जानने के लिए पढ़े ये लेख। खुजली, सनबर्न, मुहासे जैसे और भी बोहोत कुछ…
दांतों के पीलापन को हटाने के 16 घरेलू उपाय – Home Remedies for Teeth Whitening in Hindi
सुन्दर, चमकदार और सफेद दांत हर किसी के चेहरे पर बिखरी मुस्कान को चार चांद लगा देते हैं। वहीं, दूसरी ओर पीले, कमजोर और गंदे दांत इसी खूबसूरती पर दाग लगा देते हैं।
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/fungal-infection-ke-karan-lakshan-gharelu-ilaj-in-hindi/
0 notes