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Alia Bhatt Pregnant: पैरेंट बनने जा रहे रणबीर कपूर-आलिया भट्ट की बेहद दिलचस्प है लव स्टोरी
Alia Bhatt Pregnant: पैरेंट बनने जा रहे रणबीर कपूर-आलिया भट्ट की बेहद दिलचस्प है लव स्टोरी
बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और एक्टर रणबीर कपूर ( Ranbir Kapoor) अपनी शादी के लगगभ दो महीने बाद अपने पहले बच्चे का स्वागत करने के लिए तैयार हैं. आलिया ने अपने इंस्टाग्राम पर अपनी प्रेग्नेंसी की गुड न्यूज (Alia Bhatt announce pregnancy) फैंस के साथ शेयर की हैं. आपको बता दें कि कपल ने इसी साल 14 अप्रैल 2022 को पांच सालों की डेटिंग के बाद शादी रचाई थी. बता दें कि आलिया की प्रेग्नेंसी को…
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रणबीर कपूर-आलिया भट्ट की टली शादी, दिसंबर में लेंगे सात फेरे
बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर और एक्ट्रेस आलिया भट्ट के रिलेशनशिप की चर्चा पूरी इंडस्ट्री में है। रणबीर कपूर और आलिया भट्टकी लव स्टोरी किसी से छिपी नहीं हैं।आपको बता दें कि रणबीर और आलिया करीब 2 साल से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं। हाल ही में दोनों के ब्रेकअप की खबरें भी आई थीं लेकिन वो भी सिर्फ अफवाह निकलीं। रणबीर और आलिया के बीच सब ठीक है।इससे पहले रणबीर और आलिया की शादी की और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी
जिसमें दोनों एक दूसरे वरमाला पहनाते नजर आ रहे थे। हालांकि वो फोटो स्कैचिंग नहीं थी, फोटोशॉप थी। इसके अलावा दोनों की शादी के कार्ड भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है| वहीं एक रिपोर्ट्स क�� मानें तो खबर के मुताबिक दोनों जल्द ही शादी भी करने वाले हैं। लेकिन इनकी शादी को लेकर एक नई अपडेट सामने आई है। कोरोना लॉकडाउन की वजह से दोनों की शादी टाल दी गई है और अब यह दिसंबर के महीने में मुंबई में होनी तय हुई है। आपको बता दे लॉकडाउन के बीच रणबीर कपूर और आलिया भट्ट साथ में रह रहे हैं।
इसी बीच एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें रणबीर और आलिया नजर आ रहे थे| वीडियो में रणबीर कपूर का डॉग भी दिख रहा था|वीडियो देखकर फैन्स काफी खुश हुए थे और उन्हें वे क्यूट लव बर्ड्स बता रहे थे। रणबीर और आलिया भट्ट के इस वीडियो को खूब पसंद किया गया था। पिछले काफी समय से इस कपल की शादी की खबरें भी जोरो से हैं। बीते दिनों खबर थी कि ये कपल अपनी शादी विदेशी में नहीं बल्कि इंडिया में ही करेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ये दोनों कश्मीर की हसीं वादियों में एक दूसरे के जीवन साथी बनने की प्लानिंग कर रहे हैं। वहीं अब ताजा रिपोर्ट्स की मानें तो आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की शादी के लिए मुंबई को फाइनल वेन्यू के तौर पर लॉक किया गया है। इस कपल की शादी कश्मीर की हसीं वादियों में नहीं बल्कि मुंबई में ही होगी। कहा जा रहा है कि इसी साल दिसंबर में शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं। शादी का फंक्शन 21 दिसबंर को शुरू होगा और 4 दिनों तक चलेगा। लेकिन यह तारीख भी अभी पक्के तौर पर तय नहीं की गई है|बदला भी जा सकता है |
वर्कफ्रंट की बात करें तो आलिया भट्ट और रणबीर कपूर फिल्म ब्रह्मास्त्र में नजर आने वाले हैं। फिल्म में इनके साथ अमिताभ बच्चन, डिपंल कपाड़िया, नागार्जुन और मौनी रॉय भी हैं। आलिया भट्ट के पास इसके अलावा करण जौहर की पीरियड फिल्म तख्त, पापा महेश भट्ट की सड़क 2, संजय लीला भंसाली की गुगूबाई और राजामैली की आरआरआर जैसी फिल्में हैं। वहीं रणबीर कपूर के पास यशराज फिल्म्स के अलावा लव रंजन की अगली फिल्म है। इन सब फिल्मों की शूटिंग कोरोना वायरस के वजह से कुछ दिन पहले ही बंद कर दी गई हैं।
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इश्क़ और इशिता
इश्क़ किस चिड़िया का नाम है ये तो खुद-ब-खुद सबको पता चल ही जाता है. बचपन के पार होते ही कुछ रसायन सक्रिय होते हैं और मन में प्रेम हिलोर लेने लगता है, और ये रोग तब आक्रमण करता है जब आप एकदम निहत्थे होते हैं. बस अनजाने ही दिल आ जाता है इस लाइलाज रोग की गिरफ्त में. हल्का-हल्का सुरूर, मीठा-मीठा दर्द और एक अजब सी खुमारी, ये हैं इस रोग के लक्षण. इश्क़ के रोग की बारीकियों को समझाना वाला मैं कोई डॉक्टर नहीं बल्कि खुद इसका एक मरीज़ हूँ. मैं कब और कैसे इस रोग की गिरफ्त में आ गया और इसने कैसे मेरी सुस्त रफ़्तार ज़िन्दगी में क्या-क्या गुल खिलाये उसका हर किस्सा मुझको मुँह-ज़बानी याद है!
तब मैं बारहवीं कक्षा में था और ये हमारे करियर की सबसे ज़रूरी सीढ़ी थी, इसलिए क्लास का हर लड़का पूरे ज़ोरों से पढाई में लगा हुआ था. लड़कियों की तो बात ही अलग थी, वो तो आदतन पढ़ाकू और सिन्सेयर होती ही हैं तो फिर बोर्ड की परीक्षाओं का खौफ उनमें लड़कों से कहीं अधिक था, यानि सब के सब पढाई में डूबे हुए थे. टीचर्स भी हर बच्चे पर अलग से ध्यान दे रहे थे और खूब मेहनत कर रहे थे, आखिर स्कूल के रिजल्ट का सवाल था. सत्र की शुरुआत में ही सबको सिखा दिया गया था की ज़िन्दगी में कुछ करना हो, अगर कोई मुकाम हासिल करना हो तो यही एक साल है, जी भर के मेहनत करलो, सभी छात्र छात्राओं ने इस बात को गाँठ बाँध ली. मगर मैं एक अपवाद साबित हुआ. मैंने अपने भविष्य को दाँव पर लगाकर इश्क़ का जूनून पाल लिया था. मैं दीवाना हो गया था किसीका. लड़कपन का इश्क़ बड़ा विकट होता है, इसमें लड़के या तो हद से ज़्यादा सुधर जाते हैं और किताबी कीड़ा बनकर लड़कियों की गुडबुक्स में रहना चाहते हैं, या तो एकदम निठल्ले, जिन्हें खुली आँखों से सपने देखने के सिवा कुछ नहीं भाता. मैं दूसरी केटेगरी में आता था. यानी मुझे पढाई से कोई वास्ता ना रहा. मैं तो बस उसकी एक झलक पाने के लिए ही स्कूल जाता था. हेयर जेल लगा-लगाकर, अपने कपड़ों में इस्त्री करते और किस्म-किस्म के इत्र छिडकते कई बार तो इतनी देर हो जाती थी की मैं अपना स्कूल बैग ही घर भूल जाता था. क्लास में भी बस ऐसी जगह हड़पने की कोशिश करता की मुझे बस उसकी झलक दिखती रहे.
कासी हुई चोटियों में गुथे हुए लंबे काले बाल, जिन्हें वो रोज़ अलग-अलग रंगों के फूलों वाले रबर बंद से सजाकर आती थी. उसकी बारीक काजल से सजी बड़ी-बड़ी आँखें, होंठ गुलाब की पँखुडियों जैसे मुलायम दिखाई पड़ते थे, सुबह की ओस जैसी ताज़गी दिखाई पड़ती थी मेरी माशूका में…इशिता नाम था उसका. थोड़ा फ़िल्मी ज़रूर है, मगर थी भी तो वो ऐसी ही, हंसती थी तो मानो लगता था अ��र्फियों की पोटली खुल कर फर्श पर बिखर गयी हो जैसे. इश्क़ तो आखिर होना ही था!
इशिता यानी मेरी माशूका, जिससे मुझे एकतरफा लेकिन बेपनाह मोहब्बत हो गयी थी, अभी पिछले ही साल स्कूल में आयी थी. स्कूल के पहले ही दिन जब उसने सहमते हुए अपने फैंसी स्कूल बैग को सुरक्षा कवच की तरह अपने सीने से चिपकाकर क्लास में कदम रखा था, तभी उसकी सलोनी सूरत देखकर मेरे मन में कुछ गुदगुदी सी हुई थी. वो पहली नज़र का प्यार था ये मैंने काफी बाद में जाना. उसके क्लास में आते ही मनो कमरे की सारी आबो-हवा ताज़ी हो गयी थी. मेरे सिवा बाकी सब के सब बारी-बरी से उसके पास जाकर अपना परिचय दे आये थे. मैं पता नहीं किस मौके की तलाश में अपनी सीट पर ही बैठा हुआ था. क्लास का हर लड़का मुस्तैदी से तैनात हो गया था उसकी मदद करने के लिए. सब अपनी-अपनी कॉपियां ये कहते उसे ज़बरदस्ती था आये की पिचले एक महीने में जो जो मिस हुआ है वो नोट करलो, और आराम से करो, लौटाने की कोई जल्दी नहीं है. मुझे अचानक याद आया की पिछले हफ्ते बुखार की वजह से जो मेरी पढाई छूटी है वो मैं अभी तक रिकवर नहीं कर पाया हूँ, क्योंकि कोई मुझे अपनी कॉपी देने को तैयार ही नहीं था. इशिता क्लास में सबसे ख़ूबसूरत लड़की थी, और मैं साधारण सा दिखने वाला, ज़रुरत से ज़्यादा पतला और कद में भी काम था. इतना पतला की आते-जाते मोहल्ले-पड़ोस वाले शुभचिंतक भी मुफ्त में मुझे वज़न बढ़ने और चर्बी चढ़ाने के नुस्खे चिपका जाया करते थे. मगर मैं अपना अक्स आईने में देख कर खुद को ‘रॉकस्टार’ फिल्म का 'रणबीर कपूर’ समझा करता था. शायद इसी आत्मविश्वास के कारण मैं इशिता से इश्क़ करने की हिम्मत भी कर बैठा था. इश्क़ करने की हिम्मत थी इसलिए मैंने एक रोज़ हिमाकत भी कर डाली. स्कूल में इशिता का कोई चौथा-पांचवा दिन ही रहा होगा और मैंने एक कागज़ पर 'आई लव यू’ लिखा और उसे तोड़-मड़ोड़ कर एक बॉल बनाकर उसकी ओर उछाल दिया. मगर मेरा वो पहला प्रेम सन्देश इशिता के पास पहुँचने के बजाये, क्लास के मॉनिटर के हाथों लग गया. उसने इस तुड़े-मुड़े कागज़ को पहले तो डेस्क पर रखकर सीधा किया, फिर मुझको घूरकर खा जाने वाली नज़रों से देखा, मैंने भी ढिठई से अपना मुँह फेर लिया, 'हाँ नै तो’!
मैंने अपनी जीवन में इतनी सुन्दर और समझदार लड़की नहीं देखी थी. कहने को जलतरंग जैसी आवाज़ में बात करने वाली लड़की की ओर मैं खिंचा चला जा रहा था. धीरे-धीरे इश्क़ की गिरफ्त में मैं इस कदर ��ता जा रहा था की मुझे पूरे क्लास में किसी से ��ोई मतलब ही नहीं रहा था. यार-दोस्त तो दूर, मुझे टीचर क्या पढ़ा रही है वो भी समझ आना बंद हो गया था. मुझे तो बस लगता था की पृथ्वी घूम रही है, मौसम बदल रहे हैं, वक़्त गुज़र रहा है, तो मुझे क्या! मेरे लिए तो इशिता ही पृथ्वी थी और मैं उसका चाँद बनने की तमन्ना अपने भीतर पाल रहा था. जल्द ही पहले टर्म के नतीजे आ गए, इशिता ने क्लास में फर्स्ट किया था, और मेरे नंबर अबतक के सबसे बुरे थे. मुझे तो फ़ैल होने तक का ग़म नहीं था, अल्बत्ता पापा ने मुझे पूरे दिन कमरे में बंद रखा, माँ ने तो चार दिन बात ही नहीं की थी. मगर मेरा एट्टीट्यूड वही रहा, 'मुझे क्या’! इशिता के इश्क़ में मैं बर्बाद हुआ जा रहा था, क्लास मे दिनभर उसको ताकते रहने के अलावा मैं कुछ भी नहीं करता था. मेरी आँखें उसको देखते रहती और उंगलियां कॉपी के पिछले पन्ने में किस्म-किस्म की ऑब्स्टेकट डिजाईन बनाती रहती.
मुझे उसकी हर हरकत अच्छी लगती थी…उसका पेन पकड़ने का अंदाज़, अटेंडेंस के दौरान उसका हड़बड़ाकर उसका 'प्रेजेंट मैम’ बोलने का अंदाज़, किताब के पीछे चेहरा छुपाके सहेलियों से बतियाना और बात बेबात हँसना..मैं दीवाना हुआ जा रहा था उसका. अपने से छोटे बच्चों की मदद करना, स्कूल के माली, चपरासी, चौकीदार, ड्राइवर सबसे पूरी तहज़ीब से बात करना ऐसी ही लाखों क़ुअलिटीज़ थी उसमें. और इश्क़ की इसी दीवानगी के कारण मेरा मन पढ़ने में ज़रा भी नहीं लगता था. इशिता को देखने से पहले मैं बारहवीं पास करके मेडिकल में एडमिशन लेना चाहता था और एक बेहतरीन डॉक्टर बन समाज की सेवा करना चाहता था, लेकिन ये लड़की मुझको लगातार आने वाले ए ग्रेड से बी..सी..और डी की तरह धकेल रही थी. मेरे सुनहरे करियर का बर्बाद होना लगभग तय था. लेकिन मुझे ये भी मंज़ूर था, इशिता से इश्क़ की एवज में मुझे मेरा भविष्य, मेरा करियर सबका बर्बाद होना मंज़ूर था. फ़िक्र थी तो बस मुझे मेरे और उसके भविष्य की! हालाँकि मुझे अब लगता है की करियर बनाने वाले दिन और पहली पहली आशिक़ी वाले दिन कम्भख्त एक ही साथ क्यों आते हैं?
कई दिनों तक एक तरफ़ा इश्क़ पालने के बाद मुझे लगने लगा की अब ये भी पता लगाना ज़रूरी है की इशिता के मन में मेरे लिए क्या है. चलिए इश्क़ ना ही सही, लेकिन ज़रा सा कोई नाज़ुक का एहसास तो हो जिसे भले वक़्ती तौर पे वो उसे दोस्ती का नाम ही दे दे. मगर ये पता लगता भी तोह कैसे, इशिता से सीधे बात करने की हिम्मत मुझमे तो थी नहीं, और वो मुझसे बात करती नहीं थी. हाँ, कभी-कभार ��मारी नज़रें मिल जाया करती थी और मुझे लगता था की वो हौले से मुस्कुरायी हो, हालाँकि मैं पक्के तौर से ये कह नहीं सकता हाँ वो क्लास के उस मॉनिटर को देखकर अक्सर मुस्कुराते हुए दिखाई दे जाती थी लेकिन मैंने कोशिश की, की मैं इस बात को दिल पे ना लूँ. इशिता और मेरी लाइफस्टाइल में ज़मीन आसमान का फर्क था. वो महंगी वाली लक्ज़री कार में आती थी, और मैं रिक्शा से. स्कूल से निकलने के बाद मैं तबतक उसकी गाडी को देखता रहता जबतक या तो वो मेरी नज़रों से ओझल ना हो जाए. मुझे पूरा यकीन था की कार के रियर व्यू मिरर में वो मुझको ज़रूर देखती होगी, मेरा यकीन उस रोज़ कुछ और पक्का ही गया जब एक बार हम स्कूल के बहार टकराये, वो रोड के उस पर थी, मैं इस पर. चैराहे पे लगी बत्तियां हरी…पीली…लाल होती रही. ना उसने सड़क पर की, न मैंने, ना वो इस तरफ आयी, ना मैं उस तरफ गया, मगर कितना कुछ चलता रहा होगा उन कुछ लम्हों में हम दोनों के बीच. उस रात मैं पूरी रात नहीं सो पाया बस अपने तसव्वुर में इशिता और अपने इश्क़ को ख्याल को सींचता रहा. बीच-बीच में पिताजी आते और मेरी आँखों को और उनके सामने खुली किताब को देखकर चले जाते. इस इश्क़ ने मुझे पिताजी को धोखा देना भी सिख दिया था. उन दिनों पन्द्रह-सोलह साल की सभी लडकियां जॉन ग्रीन और रविंदर सिंह जैसे लेखकों की रूमानी उपन्यास पढ़ा करती थी, लेकिन इशिता के हाथ हमेशा कोर्स और इनके साइड-बुक्स से ही भरे रहते थे. वो अपने भविष्य को लेकर बहुत संजीदा थी. संजीदा तो मैं भी बहुत था, लेकिन उसके और मेरे रिश्ते को लेकर. स्कूल में रहता तो उसके करीब होने का एहसास होता रहता, घर आते ही मेरी परेशानियां बढ़ने लगती थी.
तभी उन दिनों एक और एग्जाम का रिजल्ट आया, मेरे नंबर और भी ख़राब हो गए थे. मैं घबरा गया, और इस बार तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई की मैं मार्कशीट लेजाकर पिताजी को दिखाऊं. उस रोज़ मैंने एक बड़ी शर्मनाक हरकत की, मार्कशीट पे पिताजी के जाली हस्ताक्षर कर दिए.ज़रा सी आत्मग्लानि हुई थी, थोड़ी शर्म भी आयी होगी, लेकिन एक बार फिर इश्क़ हावी हो गया था, ये इश्क़ मुझे बदलता जा रहा था. इस बार के वाहियाद रिजल्ट के बाद मैंने ठान लिए की मुझे इशिता के मन की बात जाननी ही होगी वरना मैं तो इसी तरह बर्बाद होता चला जाऊंगा और उसके दिल पर किसी और का कब्ज़ा हो जायेगा. अचानक उस क्लास मॉनिटर की शक्ल मेरे ज़ेहन में कौंध गयी, इस ख्याल से ही मेरा दिल बैठने लगा. इशिता के लिए मेरी मोहब्बत अब मुझे तकलीफ देने लगी थी. अब मुझे मरहम चाहिए था, अपने लिए उसके ��श्क़ का मरहम. उस रोज़ मैं सुबह से ही आईने के सामने खड़ा होकर खुदको तैयार करने लगा की कैसे मैं इज़हार करूँगा अपनी मोहब्बत का, कैसे जानूँगा उसके मन की बात. जहाँ तक मुझे याद है उस दिन भी मैं अपना स्कूल बैग लेजाना भूल गया था. क्लास के बाद सब लड़के-लडकियां सैलाब की तरह बहार निकलते थे. मैंने अक्सर देखा था की इशिता सब्र के साथ अपनी बेंच अर बैठे रहती थी और सबके निकल जाने के बाद आराम से निकलती थी. उस दिन मैं भी अपनी बेंच पर बैठा रहा और सबके निकलते ही उसके सामने जाकर धमक पड़ा. वो मुझे यूँ अपने सामने, इतने करीब देखकर बुरी तरह चौंक गयी, उसके हाथ से किताब गिर गयी, और उसी किताब में से सूखी, सुर्ख लाल गुलाब की पंखुड़ियां भी निकल के बिखर गयी. मैं उसका चेहरा ताकने लगा वो मुझे देख रही थी, बिना पनके झपकाए, कुछ घबराई सी. किसी फिल्म के सीने की तरह हम एक दूसरे को देख रहे थे, उसकी आँखें कुछ कहती सी लग रही थी. मुझे उसके मोहब्बत का ज़रा यकीन सा होने लगा था! की तभी क्लास मॉनिटर की आवाज़ सुनाई दी : “क्या हुआ इशिता? जल्दी चलो.” मेरा खून खौल उठा, मैंने बिना कुछ कहे सुने चुप-चाप पंखुड़ियां बीनकर उसके हाथ में दीं और क्लास से बहार निकल गया.
मेरे रतजगे वाली रातों में एक और रात का इज़ाफ़ा हो गया था. पूरी रात मैं बस ये सोच रहा था की आखिर उसको किसने दी होंगी सुर्ख लाल गुलाब का फूल जिसकी सूखी पंखुड़ियों को वो इस तरह सहेजे घूम रही है! मेरा दिल टूट गया था, मेरे इश्क़ का सफ़र अपनी मंज़िल नहीं पा सका था, मुझे दुःख भी हो रहा था की मैंने इतनी देर क्यों लगायी मोहब्बत का इज़हार करने में, खुद पर गुस्सा आ रहा था की मैंने मोहब्बत ही क्यों की? मुझे शर्म आ रही थ�� अपने ऊपर की बारहवीं कक्षा में पढ़ते हुए अपनी पढाई लिखाई को छोड़कर इन प्यार-मोहब्बत के चक्करों में पड़ा ही क्यों? और मुझे हंसी भी आ रही थी इस बचकाने इश्क़ पे. शायद इस एक नाकाम इश्क़ ने मुझमें समझदारी ला दी थी, शायद वो चंद सूखी पंखुड़ियां मेरे डूबते करियर को तिनके का सहारा देकर बचा ले गयी थी. कुछ दिन तक इशिता याद आती रही फिर धीरे-धीरे मेरा उदास दिल और भटकता हुआ दिमाग अपने रास्ते पर आ गया. फिर कभी बिना स्कूल बैग के मैं स्कूल नही गया. क्लास में इशिता का होना या ना होना मुझे बेचैन नहीं करता था. दरअसल, उस वाकये के बाद मैंने उसे ठीक से देखा भी नहीं था. मेरा मन फिर से पढाई में लगने लगा था. देर रात जब पापा कमरे में झाँकते तोह मैं सचमुच पढाई में लगा रहता था, वो मेरे सर पे हाथ फेरकर चले जाते. मेरे सर से इश्क़ का भूत उतर गया था और तो और मन ही मन अब इशिता से इश्क़ की जगह उससे पढाई में कम्पटीशन करने लगा था. मन बस इतना चाहता था की बस बोर्ड एग्जाम में मेरे नंबर उससे ���्यादा आ जाए. किसी और से गुलाब कुबूल फर्मा के मेरे साथ अच्छा नहीं किया था उसने.
स्कूल के बस अब आखिरी ढेड़ महीने बचे हुए थे. जब स्कूल लाइफ ख़तम हो जाए तो ऐसा लगता है मानो अचानक किसीने बचपन छीन लिया हो, किसीने एक बड़ा भारी सा लोहे का बक्सा रख दिया हो सिरपे और कहे इसी बक्से को ढोते हुए अपनी पूरी ज़िन्दगी जीनी हो तुम्हें, उफ़! वो दर्द!! खैर, ग्यारहवी कक्षा के बच्चों ने मिलकर एक शानदार सा फेयरवेल का आयोजन किया था. सभी दोस्तों ने औपचारिक विदाई ली. कुछ करीबी दोस्तों ने अपने स्लैम बुक भी भरने को दिए, हमने अपने अपने शुभकामनाएं और मेस्सजस लिख दिए. लेकिन मैं हैरान तब रह गया जब इशिता अपनी गुलाबी रंग के फूलों वाली स्लैम बुक लेकर मेरे सामने आ गयी. मुझे समझ नहीं आया की मैं आखिर क्या लिखूं? सिर्फ 17 साल का तो था ही मैं, शेरो-शायरी की ज़्यादा समझ नहीं थी वरना लिख देता:
अबकी बार बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले!
लेकिन मैंने बस एक मुस्कुराता हुआ चेहरा बनाकर औपचारिकता पूरी कर दी.
एग्ज़ाम्स को बस अब 15 -20 दीं बाकी थे और क्लासेज़ खत्म हो चुकी थी. मैंने खुदको पूरी तरह पढाई में डूबा लिया और खूब मेहनत करने लगा. मन के भटकने का कोई कारण नहीं था इसलिए जब नतीजा आया तो मैं ख़ुशी से उछाल पड़ा. मैंने अपनी क्लास के सभी दोस्तों से ज़्यादा नंबर लाये थे. उस रोज़ हमसब स्कूल पहुचे थे, एक-दुसरे से रिजल्ट पूछते हुए. इशिता के नंबर काफी कम आये थे, वो बमुश्किल पास हो पायी थी. उसका उदास चेहरा देखकर मेरी ख़ुशी को जैसे लगाम लग गयी हो. ना जाने क्यों उससे ज़्यादा नंबर पाकर भी मैं बिलकुल खुश नहीं था. सभी टीचर्स भी हैरान थे की आखिर के दिनों में ऐसा क्या हो गया था इशिता को. बस दो महीने में इशिता के नतीजों में इतना उतार कैसे आ गया था? मैं भी हैरान था. मैंने इशिता की ओर देखा, उसकी पलकों के किनारे भीगे हुए थे. मेरा मन भी भीग गया. जिस इश्क़ से मैं खुदको अलग कर चूका था वो फिरसे मुझको अपने शिकंजे में ले रहा था. मैं इशिता का उदास चेहरा नहीं देख पा रहा था, मैं उसका रिजल्ट बदलना चाहता था, मैं उसका रिजल्ट टॉप पर देखना चाहता था, मैं उसके रिजल्ट से अपना रिजल्ट बदलना चाहता था.
मैं पहली बार उससे सीधे बात करने पहुच गया. “इशिता तुम्हारा रिजल्ट इतना ख़राब? क्यों? कैसे?” “मन ही नहीं लगता था पढ़ने में” उसने कहा. “ और तुम्हारा रिजल्ट इतना शानदार?” पूछते हुए वो हल्का सा मुस्कुरायी थी! “हाँ वो..आखिरी दिनों में काफी डटकर पढाई की थी मैंने” मैंने डरते-डरते जवाब दिया, जैसे मन लगाकर पढ़ना कोई गुनाह हो! “तुम्हारा मन पढ़ने में क्यों नही लगता था?” मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया. उसने ��वाब नहीं देकर एक सवाल किया: “जिस दिन वो गुलाब की बिखरी हुई पंखुड़ियां तुमने मुझे बीनकर दीं थी उस दीं तुम क्या कहना चाहते थे?” “वो पंखुड़ियां मैंने तुम्हें नहीं दी थी, वो तुम्हारी किताब से गिरी थी” मैंने भी मौका देखकर उलाहना दे ही डाला, “और उस सूखे गुलाब ने मेरी लव-लाइफ चौपट कर दी थी.” मैंने कहा, मेरी हिम्मत फिर बढ़ने लगी थी. “लेकिन तुम्हारा रिजल्ट तो सुधार दिया.” बड़ी संजीदगी से उसने कहा. “हाँ लेकिन तुम्हारा किसने बिगाड़ दिया?” मैंने कहा. बोली: “उन पंखुड़ियों ने जिन्हें मैंने कबसे तुम्हारे लिए सहेजकर रखा था. हाँ, लेकिन मुझे अफ़सोस नहीं है.” “किस बात का? रिजल्ट बिगड़ने का?” मैंने हैरानी से पूछा. “ नहीं तुमसे कम मार्क्स लाने का.” वो फिरसे मुस्कुरा रही थी.
उन सूखी पंखुड़ियों पर मेरा ही हक़ था, इस ख्याल से ही मेरा दिल ज़ोरों से धड़क गया. मैं भी मुस्कुरा दिया. मुझे इशिता से एक बार फिर इश्क़ हो चला था, और किस्मत से मेरा रिजल्ट, मेरा करियर दांव पर नहीं लगा था. मैंने मन में सोंच लिया था की मैं इशिता की अब मदद करूँगा की वो भी अब पढाई में पहले से भी बेहतर कर सके. क्योंकि अब इश्क़ एकतरफा कहा था!
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Shamshera: रणबीर कपूर जमकर देते थे निर्देशक को गालियां, शूटिंग के बाद 2-4 बार नहीं 20 बार नहाते थे RK
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रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) इन दिनों टॉक ऑफ द टाउन बने हुए हैं. पहली एक के बाद एक अपनी आने वाली फिल्मों के लिए और दूसरा जल्द पापा बनने को लेकर. रणबीर भी लंबे समय के बाद अपनी वापसी को लेकर काफी एक्साइटेड हैं. जल्द रणबीर की फिल्म ‘शमशेरा’ (Shamshera) रिलीज होने वाली है, जिसमें वह डबल रोल में नजर आने वाले हैं. फिल्म के प्रमोशन में बिजी रणबीर ने हाल ही में फिल्म की शूटिंग के लेकर कुछ मजेदार खुलासे…
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रणबीर कपूर अपने बच्चों को दिखाएंगे अपनी फ्लॉप फिल्में, बताई इस प्लानिंग की वजह
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मुंबईः रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) जल्दी ही पापा बनने वाले हैं. आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने हाल ही में फैंस के साथ अपनी प्रेग्नेंसी की खबर साझा की थी, जिसके बाद से बॉलीवुड के पावर कपल काफी खुश हैं. रणबीर कपूर को बॉलीवुड में 15 साल पूरे हो चुके हैं. अपने करियर में उन्होंने कई हिट तो कई फ्लॉप फिल्में भी दीं. लेकिन, अभिनेता साफ कर चुके हैं कि उन्हें इन फ्लॉप फिल्मों से कोई फर्क नहीं पड़ता. यही नहीं,…
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News in 5 Minutes: टप्पू के TMKOC छोड़ने से रणधीर के बयान तक, फटाफट पढ़िए एंटरटेनमेंट की ये 5 बड़ी खबरें
News in 5 Minutes: टप्पू के TMKOC छोड़ने से रणधीर के बयान तक, फटाफट पढ़िए एंटरटेनमेंट की ये 5 बड़ी खबरें
रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) और आलिया भट्ट (Alia Bhatt) मम्मी-पापा बनने के लिए तैयार हैं, इसलिए फैंस के साथ परि��ार का हर सदस्य सातवें आसमान पर है. दादा बनने वाले रणबीर के ताऊ यानी रणधीर कपूर (Randhir Kapoor) भी इस खबर से काफी खुश हैं. उन्होंने पहली बार इस खबर पर अपना रिएक्शन दिया है. यहां पढ़िए पूरी खबर 1994 में सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का ताज पहना और उसके बाद 1996 में महेश भट्ट की फिल्म…
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Video: रणबीर कपूर के बेडरूम में आपको मिलेगी ये अजीब-ओ-गरीब चीज, 2 मिनिट में खोले खुद से जुड़े 20 राज
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मुंबईः रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) जल्दी ही पापा बनने वाले हैं. आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने सोमवार को ही अपनी प्रेग्नेंसी की खबर दी है. दोनों अब अपने आने वाले बच्चे के स्वागत की तैयारी में जुट गए हैं. इस बीच रणबीर कपूर के कई वीडियो चर्चा में हैं, जिनमें से एक यशराज फिल्म्स की ओर से शेयर किया गया वीडियो भी है. इस वीडियो में, रणबीर कपूर खुद से जुड़े कई राज खोलते नजर आ रहे हैं. अभिनेता का यह वीडियो…
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Alia Bhatt Pregnant: पापा बनने वाले हैं रणबीर कपूर, आलिया भट्ट ने अल्ट्रासाउंड की तस्वीर शेयर कर दी गुड न्यूज
Alia Bhatt Pregnant: पापा बनने वाले हैं रणबीर कपूर, आलिया भट्ट ने अल्ट्रासाउंड की तस्वीर शेयर कर दी गुड न्यूज
Alia Bhatt Pregnant News Update Today in Hindi: आलिया भट्ट ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की खुशखबरी शेयर की. उन्होंने अपने अल्ट्रासाउंड अपॉइंटमेंट करवाते हुए एक तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है, “हमारा बच्चा ….. जल्द ही आ रहा है.” इस तस्वीर में आलिया को अस्पताल के एक बेड पर लेटे हुए देखा जा सकता है. उनके बेड के बगल में कोई बैठा है, जिसकी बैक साइड दिख रही है.…
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