#नेशनल भाई दिवस पर निबंध
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santoshkukreti04-blog · 1 year ago
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नेशनल भाई दिवस एक विशेष अवसर है जो भाइयों के बीच साझा किए गए अनमोल संबंध को मान्यता देने के लिए समर्पित है। यह एक दिन है जब हम उन्हें सम्मानित करते हैं, उनके बीच जीवनभर के साथीपन, समर्थन और प्यार को महसूस करते हैं। यह निबंध इस अद्वितीय संबंध की महत्त्वपूर्णता को विश्लेषित करने का उद्देश्य रखता है, जो भाइयों को हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाता है।
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sahu4you · 5 years ago
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शहीद दिवस पर भाषण - Shaheed Diwas Speech in Hindi
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पंजाब के लायलपुर के एक गाँव बंगा में, एक शिशु का जन्म हुआ। दादी ने बड़े प्यार से उस बच्चे का नाम भगत सिंह रखा। सब भगत सिंह को खूब प्यार करते। घर में दादा-दादी, माता-पिता, बडे़ भाई-बहन और चाचा-चाची साथ रहते। सबके बीच खेलकर भगत सिंह बड़ा होने लगा।
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Bhagat Singh Quotes and BIography in Hindi Bhagat Singh के जन्म के समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। भगत सिंह के दादा, पिता और चाचा सब देश को आजाद कराने की कोशिश में जी-जान से जुटे हुए थे। घर के लोगों की बातचीत का भगत सिंह के मन पर गहरा असर पड़ा। वह बचपन से ही भारत की आजादी के सपने देखने लगा। सॅंझले चाचा की मृत्यु पर उसकी चाची रो रही थीं। धोखेबाज दोस्त पर शायरी in Hindi भाई बहन पर अनमोल विचार चाची को तसल्ली देते हुए बालक भगत सिंह ने कहा- "चाची जी, रोइए मत। जब मैं बड़ा हो जाऊंगा, अंग्रेजों को भारत से भगा। दूंगा और चाचा जी को वापस लाऊंगा।" चाची ने भगत को सीने से चिपका लिया।
शहीद भगत सिंह पर निबंध
पढ़ने लायक उम्र होने पर भगत सिंह को गाँव के प्राइमरी स्कूल में भर्ती करा दिया गया। वे पढ़ाई में बहुत तेज थे। भगत सिंह अपने गुरू का बहुत आदर करते थे। जब वे चौथी कक्षा में थे उनके मास्टर जी ने बच्चों से पूछा- "बच्चों, तुम बड़े होकर क्या करना चाहोगे?" एक बच्चे ने कहा- "मैं बड़ा होकर खेती-बाड़ी करूँगा और फिर शादी करूँगा।" सब हॅंस पड़े, भगत सिंह ने अकड़कर कहा- ये सब बड़े काम नहीं हैं। मैं हरगिज शादी नहीं करूँगा। मैं तो अंग्रेजों को देश से निकाल बाहर करूँगा। सब भगत सिंह की तेजी देखते रह गए। मास्टर जी ने उन्हें शाबाशी देकर कहा- भगत सिंह जरूर अपना वादा पूरा करेगा। पंजाब के जलियाँवाला बाग में एक सभा हो रही थी। अंग्रेजों ने बेकसूर हिंदुस्तानियों पर गोलियाँ बरसा दीं। सैकड़ों देशवासियों की जानें चली गई। उस वक्त भगत सिंह सिर्फ बारह बर्ष के थे। उनके मन में आग धधक उठी। निहत्थों पर गोलियाँ चलाना अन्याय है। भगत सिंह जलियाँवाला बाग में अकेले चले गए। चारों ओर सिपाही थे। वे जरा भी नहीं डरे। बाग की मिट्टी एक शीशी में भरकर ले आए। घर में आम आए हुए थे। भगत सिंह को आम बहुत पसंद थे। उनकी बहन ने उन्हें आम खाने को बुलाया। भगत सिंह ने आम खाने से ��नकार कर दिया। बहन को अकेले में ले जाकर शीशी में बंद मिट्टी दिखाकर कहा- अंग्रेजों ने हमारे सैकड़ों लोग मार दिए। ये खून उन्हीं शहीदों का है। मुझे अंग्रेजों से इस खून का बदला लेना है। भगत सिंह कई वर्षो तक उस शीशी को अपने पास रखे रहे और उस पर फूल चढ़ाते रहे। कॅलेज पहुंचने पर गाँधी जी की बातों का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। वे ।कॉलेज में भी मित्रों के साथ भारत की आजादी की बातें करते। नेशनल कॉलेज में उन्होंने महाराणा प्रताप, सम्राट चंद्रगुप्त, भारत दुर्दशा जैसे नाटकों में भाग लिया। इन सभी नाटकों में देश-भक्ति की भावना थी। भगत सिंह की तरह उनके मित्र सुखदेव और राजगुरू भी आजादी के दीवाने थे। तीनों मिलकर गाते- "मेरा रंग दे बसंती चोला, माँ रंग दे बसंती चोला।" भगत सिंह के माता-पिता उनका विवाह कर देना चाहते थे, पर भगत सिंह को तो देश को आज़ाद कराना था। उन्होंने माता-पिता से कह दिया- "गुलाम देश में सिर्फ़ मौत ही मेरी पत्नी हो सकती है। मैं देश को आजादी दिलाए बिना शादी नहीं कर सकता।" अपने देश को आजाद कराने के लिए भगत सिंह अपने मित्रों के साथ जी जान से जुट गए। उन्हें लगा बम के धमाकों से अंग्रेजों को डराया जा सकता है। अपने एक साथी के साथ उन्होंने असेंबली में बम फेंका और खुद गिरफ्तारी दी। भगत सिंह और उनके मित्रों के खिलाफ़ मुकदमा चलाया गया। उन पर बम फेंककर अंग्रेजों को मारने का दोष लगाया गया। कोर्ट ने भगत सिंह और उनके मित्र सुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सजा सुनाई। सजा सुनकर तीनों मित्र हॅंस पड़े और नारा लगाया, "वंदे मातरम्! इंकलाब जिंदाबाद।" भगत सिंह ने अपने माता-पिता को समझाया- "आपका बेटा देश के लिए शहीद होगा। आप लोग दुख मत कीजिएगा।" भगत सिंह से कहा गया कि अगर वे वायसरायय से माफी माँग लें तो उनकी फाँसी की सज़ा माफ़ की जा सकती है। भगत सिंह ने माफ़ी माँगना स्वीकार नहीं किया। भगत सिंह से फाँसी के पहले उनकी अंतिम इच्छा पूछी गई। उन्होंने जोरदार शब्दों में कहा- "मैं चाहता हूँ, मैं फिर भारत में जन्म लूं और अपने देश की सेवा करूँ।" फाँसी लगने के पहले तीनों मित्र एक-दूसरे के गले मिले। मनपसंद रसगुल्ले खाए। मित्रों के साथ भगत सिंह फाँसी के फंदे के पास जा पहुंचे। अपने हाथ से गले में फाँसी का फंदा लगाया और हॅंसते-हॅंसते फाँसी चढ़ गए। अंत तक वे नारे लगाते रहे- इंकलाब जिंदाबाद। शहीद दिवस पर भाषण भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे भारतीय इतिहास के लिए एक काला दिन माना जाता है, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले ��न वीर सपूतों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। हिंदी में शहीद दिवस पर भाषण हमारे देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले शहीदों के लिए शहीद दिवस के उपलक्ष्य पर मैं कुछ शब्द बोलने जा रहा हूं। कुछ गलत कह बैठूं तो माफ़ कर देना। आओ, झुक कर सलाम करें उनको, जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है, खुशनसीब होते हैं वो लोग, जिनका खून देश के काम आता है। भारतीय सैनिक हमारी जान है, हमारी शान है। देश की सीमा और सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा सेना का निर्माण किया जाता है। इस सेना पर देश की सीमाओं में आने वाले सभी जल, थल और आकाश की रक्षा का भार होता है। इस सेना में देश के नौजवान युवाओं को भर्ती किया जाता है। यह ऐसे नौजवान युवक होते हैं जिनमें देश के लिए मरने का जज्बा होता है। जब एक नौजवान देश की रक्षा के लिए बॉर्डर पर जाता है तो केवल एक परिवार ही तैयार नहीं होता है, तैयार होते हैं बूढ़े मां बाप के कई सपने, चूड़ी, मंगलसूत्र और तैयार होती कई हसरतें और जब कभी उनका खून आतंकी हमलों में वो जवान शहीद होता है तो पता है क्या होता है। इस धरती मां का सीना फट जाता है, रूह कांप जाती है उनके बूढ़े मां बाप की, चकनाचूर हो जाते हैं उनके सारे सपने, वो चूड़ी वो बिंदी, वो मुस्कान एक सफेद कागज की तरह खामोश हो जाती है। जब एक जवान शहीद होता है तो केवल एक परिवार ही नहीं रोता, बल्कि पूरा देश रोता है। वो हर इंसान रोता है जो शहादत के मायने समझता है, वो हर नागरिक रोता है जो अपने देश के प्रति प्यार रखता है। तिरंगे से लिपटे जवान को जब एक मां आखरी बार अपने सीने से लगाती हैं तो देश की 133 करोड़ आंखों में, लबों पर एक ही बात होती है की मेरी ख्वाहिश है कि फिर से फरिश्ता हो जाऊं, मां से इस कदर लिपटू कि बच्चा हो जाऊं। ऐसे ही हमारे देश में ना जाने कितने क्रांतिकारी हुए हैं जिन्होंने जाने से पहले अपनी मां को वचन दिया। उन्हीं में से एक है शहीद भगत सिंह। जिन्होंने जाने से पहले अपनी मां को वचन दिया की मां जब मैं इस दुनिया से जाऊं तो तुम रोना मत वरना यह दुनिया कहेगी कि देखो आज वीर भगत सिंह की मां रो रही है। माँ मुझे अच्छा नहीं लगेगा तू रोना मत। एक बात आज तक मुझे समझ में नहीं आई की लोगों में माता, बालाजी, भुत-प्रेत आते है, मरे हुए इंसान बोलते है। अरे, मैं पूछता हूं इन लोगों में भगत सिंह क्यों नहीं आते, चंद्रशेखर आजाद क्यों नहीं आते, लक्ष्मीबाई क्यों नहीं आती। यकीन मानिए जिस दिन वे लोग मेरे देश के लोगों में अंग लग गए उस दिन मेरे देश, मेरी भारत मां की तरफ कोई आंख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं करेगा। मंजिलें मिल ही जाती है भटकते ही सही, गु��राह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं। एक आखरी बात में आप सभी से कहना चाहता हूं, अगर पीठ पीछे कभी आपकी बात चले तो घबराना मत क्योंकि बात उन्हीं की होती है जिनमें कोई बात होती और बात भी वही मनवाता है जिसमें कोई बात होती है। शहीद दिवस पर शायरी हर तूफान को मोड़ दूंगा, जो मेरे देश से टकराएगा, चाहे मेरा सीना हो छलनी, मेरे देश के तिरंगे को कभी झुकने नहीं दूंगा। धन्य है वे माता-पिता जिन्होंने ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया जिन्होंने युवावस्था में ही अपनी जिंदगी देश के लिए न्योछावर कर दी और अपने देश के प्रति देश भक्ति की मिसाल पेश की। कभी तपती हुई धूप में जलकर देख लेना, कभी कड़ाके की ठंड में ठिठुर कर देख लेना, कैसे होती है हिफाज़त अपने देश की, जरा सरहद पर जाकर देख लेना। अगर यह शहीद दिवस भाषण आपमें अपने देश के लिए मर मिटने का जज्बा पैदा करे तो मुझे गर्व महसूस होगा। मैं अपने देश के लिए कुर्बान हुए शहीदों को सलाम करता हूँ। जय हिन्द जय भारत। शहीद दिवस उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस दिन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए भाषण और वार्ता आदि का आयोजन किया जाता है। यहाँ हम उनके लिए शहीद दिवस पर भाषण शेयर कर रहे है जो शहादत के मायने समझता है और जिन्हें देश के प्रति प्यार है धन्य हैं वीर भगत सिंह। उन जैसे शहीदों के त्याग से ही भारत को आज़ादी मिल सकी। मरने के बाद भी वे अमर हैं। हम उन्हें सदैव याद करते रहेंगे। भगत सिंह ने देश के लिए अपनी जान दे दी। इसीलिए उन्हें शहीद भगत सिंह कहा जाता है। Read the full article
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