#नाद
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#KabirIsGodसत् भक्ति संदेशवास्तविक भक्तिकहाँ नाद कहाँ बिन्द ने भाई। नाम भक्ति बिन लोक न जाई ।जगतगुरु
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#GodNightSaturdayकबीर परमात्मा हर युग में आते है जीव उद्धार करनेगरीब#नौ लख नानक नाद में#दस लख गोरख तीर। लाख दत्त संगी सदा#चरणों चर��च कब
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#GodMorningSunday सारनाम की शक्ति गरीब#न्यौलि नाद सुभान गति#लरै भवंग हमेश । जड़ी जानि जगदीश है#बिष नहीं व्यापै शेष ।।
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ज्ञान प्रकाश पृष्ठ 62 पर- पुरूष नाद सुत षोडश आही। नाद पुत्र शिष्य शब्द जो लैही।। भावार्थरू- सत्यनाम का सुमिरण करना है। गुरू जी द्वारा पद यानि पद्धति के अनुसार स्मरण करना है। जैसे परमेश्वर ने वचन (नाद) से 16 पुत्र उत्पन्न किए तो वे नाद पुत्र कहलाए। इसी प्रकार गुरू का नाद पुत्र वह कहा जाता है जो उपदेश लेकर शिष्य बनता है।
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#GodMorningThursday
@SaintRampaljiM
ज्ञान प्रकाश पृष्ठ 62 पर:-
पुरूष नाद सुत षोडश आही।
नाद पुत्र शिष्य शब्द जो लैही।।
भावार्थ:- सत्यनाम का सुमिरण करना है। गुरू जी द्वारा पद यानि पद्धति के अनुसार स्मरण करना है। गुरू का नाद पुत्र वह कहा जाता है जो उपदेश लेकर शिष्य बनता है।
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#GodMorningWednesday
वास्तविक भक्ति
कहाँ नाद कहाँ बिन्द ने भाई।
नाम भक्ति बिन लोक न जाई।।
भावार्थ :- चाहे कोई नाद वाला है, चाहे बिन्द वाला है। यदि नाम की वास्तविक भक्ति है तो सतलोक जा सकेगा।
#SantRampaljiQuotes
#santrampaljiquotes#santrampalji is trueguru#santrampaljimaharaj#across the spiderverse#succession#satlokashram
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#हरि_आये_हरियाणे_नू
#धरती_पर_अवतार
#TheFinalAvatar
#Haryana
#God
#SantRampalJi_AvataranDiwas
परमेश्वर कबीर जी ने लगभग ६०० वर्ष पूर्व कहा था कि काल निरंजन मेरे (कबीर) नाम से १२ पंथ तथा बहुत से पंथ चलायेगा। उनमें जो बारहवाँ पंथ गरीबदास द्वारा चलाया जाएगा। उसमें मेरी महि��ा की वाणी पुनः प्रकट होगी। यह मेरे द्वारा ही किया जायेगा।
उसी पंथ में आगे चलकर नाद धारा में हम स्वयं ही आऐंगे। सर्व पंथों को मिटा कर एक पंथ चलाऐंगे।
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कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
चारों युग देखो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।
कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
उपरोक्त वाणी में परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को समझाते हुए कहते हैं कि हे धर्मदास! मैंने चारों युगों में अपने नाद के पुत्रों से ही पंथ चलाए हैं।
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"Sant Rampal Ji Maharaj"
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कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
चारों युग दे���ो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।
कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
उपरोक्त वाणी में परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को समझाते हुए कहते हैं कि हे धर्मदास! मैंने चारों युगों में अपने नाद के पुत्रों से ही पंथ चलाए हैं।
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कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
चारों युग देखो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।
कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
उपरोक्त वाणी में परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को समझाते हुए कहते हैं कि हे धर्मदास! मैंने चारों युगों में अपने नाद के पुत्रों से ही पंथ चलाए हैं।
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कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
*चारों युग देखो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।*
*कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।*
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
#FridayMotivation
#FridayThoughts
#परमात्माका_चारोंयुगों_मेंआना
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📚पूर्ण परमात्मा चारों युगों में आते हैं, अच्छी आत्माओं को मिलते हैं।
"सतयुग में सत्यसुकृत नाम से, त्रेता में मुनीन्द्र नाम से आये, द्वापर में करुणामय नाम से तथा कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर नाम से प्रकट हुए।"
📚जिस कविर्देव/कबीर साहेब/हक्का कबीर/कबीरन/खबीरा के प्रमाण शास्त्रों (वेद, गीता, क़ुरान, बाइबल, गुरुग्रंथ साहिब) में मिलते हैं वह कोई और नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही हैं जो 600 वर्ष पहले काशी ��ें आये थे। जिन्होंने सद्भक्ति व समाज सुधार का मार्ग बताया।
📚त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर "मुनीन्द्र ऋषि" के रूप में आए थे। उस समय नल-नील तथा हनुमान जी को अपना सत्य ज्ञान बताकर अपनी शरण में लिया और अपने आशीर्वाद मात्र से नल-नील के शारीरिक तथा मानसिक रोग को ठीक किया था।
📚चारों युगों में अपनी प्यारी आत्माओं को पार करने आते हैं परमेश्वर कबीर जी
परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया और अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
📚त्रेता युग में परमात्मा कबीर जी मुनींद्र नाम से आए थे। उस समय लीलामय तरीके से बंके नाम की एक प्यारी आत्मा को अपनी शरण में लिया, सत्य ज्ञान समझाया और पार किया।
📚ज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा।
तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।।
इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया।
शरण लेवो अविगत राया।।
सतयुग में विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को कबीर साहेब जी ने उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई और गरूड़ जी मुक्ति के अधिकारी हुए।
📚द्वापर युग में परमात्मा कबीर जी करुणामय नाम से आए थे और पंथ प्रचार के लिए चतुर्भुज नाम की एक प्यारी आत्मा को चुना। लाखों जीवों तक ज्ञान पहुंचाया और इस प्यारी आत्मा को पार किया।
���कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
*चारों युग देखो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।*
*कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।*
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
उपरोक्त वाणी में परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को समझाते हुए कहते हैं कि हे धर्मदास! मैंने चारों युगों में अपने नाद के पुत्रों से ही पंथ चलाए है
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#GodmorningFriday
#NOIDAGBNUP16
कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
*चारों युग देखो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।*
*कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।*
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
उपरोक्त वाणी में परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को समझाते हुए कहते हैं कि हे धर्मदास! मैंने चारों युगों में अपने नाद के पुत्रों से ही पंथ चलाए हैं।
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