#नवरात्रि सप्तमी
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आरसी स्कूल मे सजी माता के नौ रूपों की झांकी
आरसी स्कूल मे सजी माता के नौ रूपों की झांकी बांधवभूमि न्यूज मध्यप्रदेश उमरिया शारदेय नवरात्रि की सप्तमी पर आरसी स्कूल मे विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस अवसर पर विद्यालय की कन्याओं ने मां दुर्गा के नौ रूपों की जीवंत झांकी प्रस्तुत की। मातेश्वरी के विभिन्न रूपों के लिये विद्यालय मे अध्ययनरत नर्सरी से कक्षा 2 तक की छात्राओं को कला एवं शिल्प विभाग के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने तैयार किया। विशिष्ट…
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🔔 नवरात्रि के सप्तमी रात्री में माँ कालरात्रि का स्वागत करें!
🔔 नवरात्रि के सप्तमी रात्री में माँ कालरात्रि का स्वागत करें! 🙏✨ उनके आशीर्वाद से सभी बाधाएँ दूर हों और जीवन में सुख-शांति बनी रहे। जय माता दी! 🌼🌙
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मां अंबिका के 9 रूप : कौन सा रूप देता है क्या वरदान!
शैल पुत्री- मां दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।
ब्रह्मचारिणी- मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
चंद्रघंटा- मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है।
कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन मांं कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।
स्कं��माता- नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।
कात्यायनी- मां का छठवां रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।
कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन मांं काली रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।
महागौरी- देवी का आठवांं रूप मांं गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। महागौरी की पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर चेहरे की कांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है। शत्रु-शमन होता है।
सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है।
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🐅 शारदीय नवरात्रि : सप्तमी: माँ कालरात्रि [Saturday, 21 October 2023]
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध लिए तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है।
तिथि: आश्विन शुक्ल सप्तमी
अन्य नाम: देवी शुभंकरी
सवारी: गधा
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - अभय, वरद मुद्रा, तलवार, घातक लोहे का हुक।
मुद्रा: देवी का सबसे क्रूर रूप
ग्रह: शनि
शुभ रंग: स्लेटी
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🐅 दुर्गा पूजा - Durga Puja
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🐅 दुर्गा चालीसा - Durga Chalisa
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Jharkhand kshatriya sangh - झारखंड क्षत्रिय संघ ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर लिया संकल्प, उनके इतिहास को करेंगे गौरांवित
जमशेदपुर : हिन्दूओं के पावन पर्व रामनवमी और नवरात्रि की सप्तमी को महाराजा महाराणा प्रताप की जमशेदपुर के मैरिन ड्राइव के पास स्थापित प्रतिमा पर झारखण्ड क्षत्रिय संघ सोनारी इकाई द्वारा माल्यार्पण एवं श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए महाराणा प्रताप की इतिहास को गौरांवित करने का संकल्प लिया गया. कार्यक्रम में मनोज सिंह, रामचन्द्र सिंह, जयप्रकाश सिंह, रामनाथ सिंह, हरिन्द्र सिंह, एसएन सिंह, कल्याण चन्द्र…
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नवरात्रि के छठे दिन की देवी हैं मां कात्यायनी, जानें इनकी पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र और भोग
असुरों का नाश करने वाली मां कात्यायनी देवी भगवती का छठा स्वरूप हैं। माता का यह स्वरूप अत्यंत फलदायी है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता की विधिवत आराधना करने से भक्तों का हर कार्य आसान हो जाता है। समस्त कष्टों का नाश होता है। मां कात्यायनी बृज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। चार भुजाओं वाली माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला और अत्यंत दिव्य है। उनकी भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र और कमल का फूल विराजमान है। शास्त्रों के मुताबिक, कात्यायनी माता की पूजा करने से विवाह का शीघ्र योग बनता है और मनचाहा वर मिलता है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा।
मां कात्यायनी पूजा विधि -
• इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
• इसके बाद कलश की पूजा करके माता को पंचामृत से स्नान कराएं।
• स्नान के बाद माता का श्रंगार कर उन्हें फल, फूल, सिंदूर, रोली, अक्षत, नारियल, पान, सुपारी, कुमकुम और चुन्नी अर्पित करें।
• अब दीप प्रज्वलित करके माता के मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा का पाठ करें।
• पूजा के बाद मां कात्यायनी को शहद और मिठाई का भोग लगाएं।
• अंत में आरती करके प्रसाद बांटें।
मां कात्यायनी व्रत कथा –
पौराणिक कथानुसार, एक वनमीकथ नामक महर्षि थे। उनका एक पुत्र कात्य था। इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया, उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने मां भगवती को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तप की थी। मां भगवती ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें साक्षात दर्शन दिए।तब कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मनसा बताई। इसपर देवी भगवती ने वचन दिया कि वह उनके घर में पुत्री के रूप में अवश्य जन्म लेंगी।
फिर, एक बार तीनों लोकों पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ गया। देवी और देवता उसके कृत्य से परेशान हो गए। उसी समय ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के प्रभाव से माता का महर्षि कात्यायन के घर जन्म हुआ। इसलिए मां के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।कात्यायन ऋषि ने माता के जन्म के बाद सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिनों तक माता की पूजा की। तत्पश्चात दशमी के दिन मां कात्यायनी ने महिषासुर नामक दैत्य का वध कर तीनों लोकों को उसके अत्याचार से बचा लिया।
मां कात्यायनी के विशेष मंत्र -
1. कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
2. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
3. या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Pandit Gopal Shastri Ji
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*"शारदीय नवरात्रि" पर विशेष*
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*सप्तमम् कालरात्रीति*
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इस सृ्ष्टि में काल अजेय है इससे कोई भी बच नहीं पाया है परंतु अपने भक्तों को काल से भी बचाने में सक्षम हैं आदिशक्ति "कालरात्रि" ! नवरात्र की सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की उपासना का विधान है। पौराणिक मतानुसार देवी कालरात्रि ही महामाया हैं और भगवान विष्णु की योगनिद्रा भी हैं। काल का अर्थ है (कालिमा यां मृत्यु) रात्रि का अर्थ है निशा, रात व अस्त हो जाना। कालरात्रि का अर्थ हुआ काली रात जैसा अथवा काल का अस्त होना। अर्थात प्रलय की रात्रि को भी जीत लेना। एक नारी को कालरात्रि की संज्ञा इसलिए दी जा सकती है क्योंकि वह अपनी सेवा, त्याग, पातिव्रतधर्म का पालन करके काल को भी जीतने की क्षमता रखती है। हमारे भारतीय वांग��मय में ऐसी महान नारियों की गाथायें देखने को मिलती हैं। सती सावित्री ने किस प्रकार पतिसेवा के ही बल पर अपने पति के प्राण यमराज से वापस ले लिया, अर्थात उस प्रलय की रात्रि पर विजय प्राप्त की। सती नर्मदा ने सूर्य की गति को रोक दिया। और सबसे आश्चर्यजनक एवं ज्वलंत उदाहरण सती सुलोचना का है, जिसके पातिव्रतधर्म में इतना बल था कि पति का कटा हुआ सर भी रामादल में हंसने लगता है। सतियों में सर्वश्रेष्ठ माता अनुसुइया को कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने ॐ पति परमेश्वराय का जप करके त्रिदेवों को भी बालक बना दिया।
आज पुरातन मान्यतायें क्षीण होती दिख रही हैं ! आज के परिप्रेक्ष्य में यदि देखा जाय तो नारी अपने बल को भूलती हुई दिख रही है क्योंकि वह पति सेवा व पति व्रत धर्म को वह किनारे पर करके तमाम सुख, ऐश्वर्य व परिवार की सुखकामना के लिए स्वयं में विश्वसनीय न होकर अनेक प्रकार के पूजा-पाठ, यंत्र-मंत्र-तंत्र के चक्कर में पड़कर स्वयं व परिवार को भी अंधकार की ओर ही ले जा रही है। आज नारियां अपना स्वाभाविक धर्म कर्म भूल सी गई हैं जबकि नारियों के धर्म के विषय में गोस्वामी तुलसीदास जी मानस में बताते हैं--
एकइ धर्म एक व्रत नेमा।
कायं वचन मन पति पद प्रेमा।। नारियों का एक धर्म एक ही नियम एवं एक ही पूजा होनी चाहिए कि मन, वचन, कर्म से केवल पति की सेवा करें तो समझ लो कि तैंतीस कोटि देवताओं का पूजन हो गया। ऐसा करने पर आज की नारी भी काल को जीतने वाली "कालरात्रि" बन सकती है एवं एक बार यमराज से भी लड़कर पति को जीवित करा सकती है। परंतु आज की चकाचौंध में नारियाँ अपना धर्म निभाना भूल गई हैं आज तो नारियाँ पति एवं परिवार का वशीकरण करने - कराने के लिए ओझाओं के चक्कर लगाती दिख रही हैं। विचार कीजिए कि नारियां सदैव से महान रही हैं। सृष्टि के सम्पूर्ण गुण एवं अवगुण नारी में विद्यमान हैं , आवश्यकता है अवगुणों को छोड़कर सद्गुणों को अपनाने की। परंतु दुर्भाग्य है पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में आज नारी भ्रमित होकर अपने आदर्शों, कर्तव्यों को भूलती दिख रही है। वह पति की सेवा करने के बजाय मन्दिरों,मठों एवं संतो-महन्थों के चक्कर लगा रही है। और ऐसा करके वह स्वयं के साथ-साथ पूरे परिवार को संकट
की ओर ले जा रही है।
आज नारियों को आवश्यकता है स्वयं को पहचानने की। अपने अन्दर काल को भी जीतने की क्षमता को पुनर्स्थापित करने की। ऐसा करके वह परिवार क�� ऊपर छायी "प्रलय की रात्रि" को भी हरा करके "कालरात्रि" बन सकती है।
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रजत आभूषणों से शोभित हुई मां बिरासिन
रजत आभूषणों से शोभित हुई मां बिरासिन रोचक है बिरसिंहपुर मे विराजमान मैया के उद्भ��� की कथा, पूरी होती है हर मनोकामना बांधवभूमि न्यूज, तपस गुप्ता मध्यप्रदेश उमरिया बिरसिंहपुर पाली। शारदेय नवरात्रि की सप्तमी पर बुधवार को पाली नगर मे विराजमान मां बिरासनी का रजत आभूषणों से श्रृंगार किया गया। कालरात्रि के स्वरूप मे माता की छवि देखते ही बनती थी। श्रृंगार के उपरांत जैसे ही मंदिर के कपाट खुले,…
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जाने नवरात्रि की पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi), कलश स्थापना व महत्व
Navratri Puja Vidhi : नवरात्रि मे देवी के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है । हिन्दुओ मे नवरात्रि (Navratri) की बहुत मान्यता है नवरात्रि साल मे दो बार मनाया जाते है जिन्हे चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है । उत्तर भारत मे नवरात्र को बहुत ही खुशी और धूम धाम से मनाया जाता है । इस दिन माँ के भक्त नौ दिन के व्रतो का सकल्प लेते है और देवी माँ की चौकी की स्थापना करते है । नवरात्रि मे घर की साफ सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है ।
ऐसा कहा जाता है की इन नौ दिन देवी माँ धरती पर अपने भक्तो के साथ रहने आती है । इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर 2019 से शुरु हो रहे है । (Navratri Puja Vidhi)नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है फिर देवी माँ की मूर्ति स्थापित की जाती है और अंठवे दिन हवन किया जाता है तथा नवे व दसवे दिन कन्या खिलाया जाता है और पूरे विधि विधान (Navratri Puja Vidhi)से देवी माँ की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है ।
नवरात्रि पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi)
भारत त्योहारो का देश माना जाता है यहाँ साल के शुरू से ही त्योहार शुरू हो जाते है और अंत तक चलते है । इन मे एक नवरात्रि का त्योहार है जिसे पूरे नौ दिनो तक मनाया जाता है । नवरात्रि मे लोग दुर्गा माँ के नो रूप की पूजा करते हैं । वैसे तो देवी माँ के पूजा कभी भी की जा सकती है परंतु नवरात्र मे पूजा (Navratri Puja) का अलग ही मान्यता है । नवरात्र की पूजा, कलश स्थापना से शुरू होती है इसमे कलश पूजा का बहुत महत्व होता है । कलश को सुख समृद्धि ऐश्वर्या देने वाला मंगलकारी माना गया है । कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का कलश में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है। नवरात्र मे शुभ मुहूरत मे कलश स्थापना की जाती है कुछ लोग स्थापना करने के लिए किसी पंडित को बुलवाते है तो कुछ अपने आप ही कर लेते है ।( Navratri Puja Vidhi )
कलश स्थापना से पहले देवी की माँ की चौकी रखे उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाये और देवी की मूर्ति रखे माँ को चुनरी उढ़ाये । देवी का माँ का तिलक करे और उन्हे सुहाग का समान चढ़ाये । स्थापना के बाद अज्ञारी करे । अज्ञारी के लिए गोबर का उबला ले उसे जलाए और मिट्टी के पात्र मे रखे फिर अज्ञारी मे घी या कपूर डाले और जलाए हवन सामीग्री चढ़ाये लॉन्ग के दो जोड़े व बताशा चढ़ाये देवी माँ को भोग लगाए घर मे जो भी व्रत वाली सामाग्री हो उससे बनाकर और दुर्गा कवच का पाठ करे दुर्गा चालीसा पढे उसके बाद देवी माँ की आरती करे । भोग का प्रसाद घर मे सबको बाँट दे ।
कलश स्थापना की सामाग्री – मिट्टी का चौड़ा बर्तन,कलश, मिट्टी, जौ, जल, कलावा, इत्र, सुपारी, सिक्के, आम के पत्ते, चावल, नारियल, लाल कपड़ा, फूल, फूल माला, दूर्वा ।
नवरात्रि मे कलश स्थापना विधि (Navratri Kalash Sthapna Vidhi)
सबसे पहले गणेश जी का आवाहन करे और देवी माँ का ध्यान करे फिर कलश स्थापना शुरू करे । सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन ले उसमे मिट्टी डाले और उसको बर्तन मे चारो तरफ अच्छे से दाल दे, ताकि जब हम जौ डाले तो वो अच्छे से मिल सके फिर मिट्टी मे जौ डाले और मिला दे अगर पानी की जरूरत हो तो थोड़ा डाल दे उसके बाद कलश ले । कलश मिट्टी ताँबे या पीतल किसी का भी हो सकता है । कलश पर स्वस्तिक बनाए फिर कलश मे जल भरे, जल मे कुछ बूंदे गंगा जल की डाल दे और कलश पर कलावा बांधे और एक सिक्का, सुपारी और फूल डाल दे । इसके बाद कलश के ऊपर आम के पत्ते रखे पत्ते ऐसे रखे की आधे वह कलश के भीतर हो व आधे बाहर की ओर हो । उसके बाद कलश को मीठी से बनी कलश के आकार की प्लेट से ढक दे फिर उसके ऊपर कुछ चावल के दाने रखे और उसके ऊपर नारियल । नारियल को लाल कपड़े से लपेट दे और उस पर कलावा बांध ले । यह सब होने के बाद दिया जलाएँ नौ दिन तक कलश को वैसा ही रखा रहने दे । माँ के सामने ज्योत जलाए जो नौ दिन तक लगातार जलती रहनी चाहिए इसे अखंड ज्योत भी कहते है ज्योत के नीचे थोड़े से अक्षत रख दे ।
नवरात्रि मे कंजक पूजा विधि(Kanjak Puja Vidhi)
(Navratri Puja Vidhi) नवरात्रि के नौवे दिन कन्या खिलाई जाती है जिनहे हम कंजक भी कहते है 3 साल से 9 साल के बीच की कन्याओ को खिलाया जाता है । नौ कन्या और एक लांगुर को न्योता दिया जाता है । नवमी के दिन जब वे आते है तो सबसे पहले उनके पैर धुलाये जाते है उसके बाद उन्हे जमीन मे कुछ बिछाकर एक लाइन मे बैठाया जाता है । फिर इन्हे हलवा, पूरी, चने, खीर, सब्जी परोसा जाता है खाना परोसने की शुरुआत लांगुर से करते है जब सभी कन्याएँ व लांगुर खाना खा लेते है तब, उसके बाद उनका तिलक किया जाता है व उनके हाथ मे कलावा बंधा जाता है उन्हे दक्षणा या फल या कोई गिफ्ट देते है फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है और उनको विदा किया जाता है ।
नवरात्रि व्रत का महत्व
Navratri Puja Vidhi नवरात्रि का अलग अलग शहरो मे अलग-अलग महत्व है कुछ जगह अष्टमी को कन्या पूजी जाती है तो कुछ जगह नवमी को कन्या पूजने का विधान है । दुर्गा पंडालो मे अष्टमी के दिन हवन होता है और नवरात्र समापन की पूजा भी होती है जिसे महा��्टमी कहते है | कुछ लोग पूरे नवरात्र न रखकर पहला नवरात्र और अष्टमी को व्रत रखते है । बंगाल मे इस दिन विशेष पूजा होती है और देवी माँ को दुर्गा पूजा के समय सिंदूर छड़ते है और एक दूसरे को लगाते भी है । सप्तमी से अष्टमी तक पूरा बंगाल दुर्गा पूजा मे डूबा रहता है नवमी के दिन पुसपंजंजलीकुछ लोग अष्टमी की रात को जा��रण कराते है और नवमी की सुब��� व्रत खोलने के बाद भंडारे का आयोजन करते है और भर पेट लोगो को खाना खिलते है । कई जगह व मंदिरो मे पूरे नवरात्र मेला लगा रहता है । कई जगह नवमी वाले दिन रामलीला का कार्यक्रम होता है जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है । देवी माँ अपने भक्तो पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती है । माँ का अटूट प्यार, दुलार और स्नेह आशीर्वाद के रूप मे मिलता रहता है । जिससे भक्तो को किसी अन्य सहायता की जरुरत नहीं पढ़ती और वह सर्वशक्तिमान हो जाता है । माँ की करुणा अपार है जिसका न कोई मोल है न ही कोई अंत है ।
देवी के 9 रूपों के नाम
शैलपुत्री – नवरात्रि के पहले दिन माता के प्रथम रूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इसी कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा ।
ब्रह्मचारिणी – माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या-साधना की थी, उसी रूप के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा ।
चंद्रघंटा – माता के इस रूप में उनके मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र अंकित है। इसी वजह से माँ दुर्गा का नाम चंद्रघण्टा भी है ।
कूष्माण्डा – माता के इस रूप में उनके मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र अंकित है। इसी वजह से माँ दुर्गा का नाम चंद्रघण्टा भी है ।
स्कंदमाता – भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का एक अन्य नाम स्कन्द भी है। अतः भगवान स्कन्द अर्थात कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस रूप को स्कन्दमाता के नाम से भी लोग जानते हैं ।
कात्यायनी – माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माता को अपनी तपस्या से प्रसन्न करने के बाद उनके यहां माता ने पुत्री रूप में जन्म लिया, इसी कारण वे कात्यायनी कहलाईं ।
कालरात्रि – माता काल अर्थात बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं इसलिए इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है |
महागौरी – माँ दुर्गा का यह आठवां रूप उनके सभी नौ रूपों में सबसे सुंदर है। इनका यह रूप बहुत ही कोमल, करुणा से परिपूर्ण और आशीर्वाद देता हुआ रूप है, जो हर एक इच्छा पूरी करता है
सिद्धिदात्री – माँ दुर्गा का यह नौंवा और आखिरी रूप मनुष्य को समस्त सिद्धियों से परिपूर्ण करता है।
नवरात्रि मे इन खास बातों का रखे ध्यान (Navratri Puja Vidhi)
नवरात्रि में सूर्योदय से पहले उठें और नहा लें। शांत रहने की कोशिश करें। झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें।
नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करें। यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन नहीं करना चाहिए।
नवरात्रि के व्रत-उपवास बीमार, बच्चों और बूढ़ों को नहीं करना चाहिए। क्योंकि इनसे नियम पालन नहीं हो पाते हैं।
मन में किसी के लिए गलत भावनाएं न आने दें। अपनी इंद्रियों का काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें।
नवरात्रि मे ��ाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं। नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं।
पूजा के संपूर्ण होने के बाद दुर्गा मां से अपनी गलतियों की माफी मांग कर पूजा संपन्न करें |
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Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: आज ये राशियां रहेंगी भाग्यशाली, होगा बड़ा लाभ, जानें अपना राशि फल
Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: आज ये राशियां रहेंगी भाग्यशाली, होगा बड़ा लाभ, जानें अपना राशि फल Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: ये राशियां रहेंगी भाग्यशाली, भगवान शिव की बरसेगी कृपा, होगा बड़ा लाभ, जानें अपनी राशि का हाल 15 अप्रैल को नवरात्रि की सप्तमी तिथि भी पड़ रही है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा-उपासना का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: मेष राशि : आज का दिन नई शुरुआत के लिए उत्तम रहेगा। राइटर्स और एडिटर्स को करियर ग्रोथ के कई सुनहरे अवसर मिलेंगे। लेकिन अपने खर्च पर नियंत्रण रखें। जल्दबाजी में किसी भी वस्तु की खरीदारी न करें। आज आप सुख-सुविधाओं में जीवन व्यतीत करेंगे। धन-संपदा में वृद्धि होगी। प्रोफेशनल लाइफ में चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी रहेगी, हालांकि धैर्य बनाएं रखें और शांत दिमाग से फैसले लें। इसके अलावा आपकी रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी और साथी संग रिश्ता मजबूत होगा। वृषभ राशि : आज आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। पारिवारिक जीवन में खुशनुमा माहौल रहेगा। परिजनों के साथ फैमिली फंक्शन में शामिल होंगे। लेकिन काम के सिलसिले में यात्रा के भी योग बनेंगे। मन में नकारात्मक विचारों को ज्यादा बढ़ने न दें। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ चुनौतियों को हैंडल करें। आज आपको दोस्तों की मदद से धन कमाने के कई सुनहरे अवस�� मिलेंगे। रोजाना योग और एक्सरसाइज करें। इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। मिथुन राशि : आज आय के नए साधनों से धन लाभ होगी। घर की जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए आपके पास पर्याप्त धन होगा। लेकिन पारिवारिक जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आज फ्रेंड्स या पार्टनर के साथ वेकेशन का प्लान बना सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। बुरी आदतों से दूर रहें। ऑफिस में कार्यों का ज्यादा स्ट्रेस न लें। साथी से व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां ही खुशियां आएंगी। कर्क राशि : पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाए रखें। रोजाना योग और मेडिटेशन करें। फिट रहने के लिए हेल्दी डाइट लें। स्ट्रैस मैनेजमेंट एक्टिविटी में शामिल हों। आज ज्यादा ट्रैवल करने से ��चें। वाहन चलाते समय ट्रैफिक के नियमों का कड़ाई से पालन करें। कुछ जातक आज सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशियों और उत्साह का माहौल रहेगा। रोमांटिक लाइफ बढ़िया रहेगी। सिंह राशि : आज आपके सभी कार्य सफल होंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। व्यापार में बढ़ोत्तरी के नए अवसर मिलेंगे। ऑफिस में मनचाहे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी मिलेगी। दोस्तों के साथ ट्रिप का प्लान बना सकते हैं। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। आज अचानक से आपके खर्चे बढ़ेंगे। बड़े अमाउंट में धन खर्च करने से बचें। इनवेस्टमेंट से जुड़े डिसीजन होशियारी से लें। कन्या राशि : आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। धन के मामले में आंख मूंदकर किसी पर भरोसा न करें। इनवेस्टमेंट से जुड़े डिसीजन सोच-समझकर लें। पारिवारिक जीवन में टेंशन बनी रहेगी। यात्रा से लाभ होगा। लेकिन छोटी-मोटी दिक्कतें भी महसूस होंगी। कुछ लोगों को प्रॉपर्टी के मामलों में किसी अनुभवी व्यक्ति की एडवाइस लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। रिश्तों में नजदीकियां बढ़ेंगी। तुला राशि : ऑफिस में कार्यों का दबाव बढ़ेगा। कार्यों की अतिरिक्त जिम्मेदारियां मिलेंगी। निवेशों से उतना प्रॉफिट नहीं होगा, जितना आपको उम्मीद था। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ लाइफ में आगे बढ़ें। नेगेटिविटी से दूर रहें। फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। इससे स्ट्रेस कम होगा और मानसिक तनाव से राहत मिलेगा।
Akshay Jamdagni: Expert in Astrology, Vastu, Numerology, Horoscope Reading, Education, Business, Health, Festivals, and Puja, provide you with the best solutions and suggestions for your life’s betterment. 9837376839
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🐅 चैत्र नवरात्रि : सप्तमी: माँ कालरात्रि [28 March 2023]
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध लिए तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है।
तिथि: चैत्र शुक्ल सप्तमी अन्य नाम: देवी शुभंकरी सवारी: गधा अत्र-शस्त्र: चार हाथ - अभय, वरद मुद्रा, तलवार, घातक लोहे का हुक। मुद्रा: देवी का सबसे क्रूर रूप ग्रह: शनि शुभ रंग: हरा 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/navratri#7matakalratri
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🐅 जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी: आरती - Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/gangaur-vrat-katha
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ऋतिक रोशन और फाल्गुनी पाठक ने मंच पर गरबा करते हुए धमाल मचा दिया। तस्वीरें देखें।
ऋतिक रोशन और फाल्गुनी पाठक ने मंच पर गरबा करते हुए धमाल मचा दिया। तस्वीरें देखें।
ऋतिक रोशन की हालिया फिल्म विक्रम वेधा की सफलता का जश्न इन दिनों मनाया जा रहा है। एक्शन थ्रिलर में सैफ अली खान और राधिका आप्टे भी हैं। ऋतिक और विक्रम वेधा की टीम ने इस समय मुंबई में फाल्गुनी पाठक ��े साथ नवरात्रि महा सप्तमी मनाई। उन्हें उनके साथ गरबा डांस करते और मशहूर एक पल का जीना डांस मूव्स करने का तरीका दिखाते हुए देखा गया। “ऋतिक रोशन द्वारा वसाल्दी संस्करण। नवरात्रि में गरबा तो बनता है।”…
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