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#नफ्ताली बेनेट का भारत यात्रा
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इजरायल
नफ्ताली बेनेट कोरोना पॉजिटिव: प्रेग्नेंसी में खतरनाक है। आज सुबह नफ्ताली बेनिट में भी आए थे। नफ्ताली बैननेट से ऐसा ही व्यवहार करता है, जब वह सक्रिय होता है। I बेनेट भारत में डाइटिंग करने वाले बैनेट की आदतें भारत में हैं। जलवायु के साथ संवाद करने के लिए ऐसा करने के लिए। इस तरह के व्यवहार कर रहे हैं। प्रेगनेंसी में मोनिटर ने सही समय पर बैटर के साथ संचार किया, जब वे बैटर में बदलते थे। भारत और . इस…
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divyabhashkar · 3 years
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क्या भारत बनेगा शांति का दूत? रूसी विदेश मंत्रालय और इस्राइली प्रधानमंत्री इसी सप्ताह दिल्ली पहुंचेंगे
क्या भारत बनेगा शांति का दूत? रूसी विदेश मंत्रालय और इस्राइली प्रधानमंत्री इसी सप्ताह दिल्ली पहुंचेंगे
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (रूस-यूक्रेन युद्ध) जारी है। इसमें भारत की भूमिका खास होने वाली है। गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में भारत एक बार फिर शांति का दूत बन सकता है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव) की भारत यात्रा एक दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लावरोव इसी हफ्ते दिल्ली पहुंचेंगे, लेकिन दिन ठीक नहीं है। इस बीच, इजरायल से नफ्ताली बेनेट 2 अप्रैल की शाम…
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'दोस्त' नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आएंगे इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
‘दोस्त’ नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आएंगे इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: इजराइल रविवार को घोषणा की कि PM नफ्ताली बेनेट अपना पहला भुगतान करेंगे अधिकारिक यात्रा 2 अप्रैल को अपने समकक्ष के निमंत्रण पर भारत के लिए नरेंद्र मोदी. तीन दिवसीय यात्रा दोनों देशों के बीच 30 साल के राजनयिक संबंधों की स्थापना का प्रतीक होगी। यह यात्रा यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में भी होगी जिसमें बेनेट कथित तौर पर एक शांतिदूत की भूमिका निभा रहे हैं और जिसमें मोदी के दोनों राष्ट्रपति के…
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abhay121996-blog · 3 years
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भारत ने कबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले की कड़ी निंदा की Divya Sandesh
#Divyasandesh
भारत ने कबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले की कड़ी निंदा की
नई दिल्ली। भारत ने काबुल हवाई इड्डे पर गुरुवार को हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस हमले से यह तथ्य और जाहिर हो गया है कि आतंकवाद और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देने वाले लोगों के खिलाफ दुनिया को संगठित होकर कार्रवाई करनी होगी।
विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बम धामके में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्ति की। साथ ही घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
यह खबर भी पढ़ें: जमाइयों के नाम से मशहूर हैं ये गांव, यहां पर नहीं होती दुल्हन की विदाई
काबुल हवाई अड्डे और उसके पास एक होटल में गुरुवार शाम को दो बम विस्फोट हुए, जिसमें कम से कम 40 लोग मारे गए और 120 से अधिक लोग घायल हो गए। काबुल में अमेरिकी दूतावास के प्रभारी ने एक ट्वीट में कहा कि इस आतंकवादी हमले में चार अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं औऱ तीन घायल हैं। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने सुरक्षा सलाहकारों के साथ व्हाइट हाउस में विचार विमर्श किया। अमेरिका यात्रा पर गए इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडन के मुलाकात का कार्यक्रम कुछ समय के लिए टाल दिया गया।
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divyabhashkar · 3 years
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इजराइली पीएम का कोविड+ ve टेस्ट, 3 अप्रैल को भारत का दौरा अब संदिग्ध भारत समाचार
इजराइली पीएम का कोविड+ ve टेस्ट, 3 अप्रैल को भारत का दौरा अब संदिग्ध भारत समाचार
नई दिल्ली: इजरायल के पीएम नफ्ताली बेनेटउनकी भारत यात्रा संतुलित है क्योंकि उन्होंने कोविड -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। बेनेट वह 3 अप्रैल को भारत दौरे पर जा रहे हैं। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि यात्रा प्रभावित होगी या नहीं। उनके कार्यालय से एक बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री स्वस्थ हैं और घर से काम करना जारी रखेंगे।” ऐसी अटकलें थीं कि उन्हें भारत की यात्रा करने…
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'दोस्त' नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आएंगे इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
‘दोस्त’ नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आएंगे इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: इजराइल रविवार को घोषणा की कि PM नफ्ताली बेनेट अपना पहला भुगतान करेंगे अधिकारिक यात्रा 2 अप्रैल को अपने समकक्ष के निमंत्रण पर भारत के लिए नरेंद्र मोदी. तीन दिवसीय यात्रा दोनों देशों के बीच 30 साल के राजनयिक संबंधों की स्थापना का प्रतीक होगी। यह यात्रा यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में भी होगी जिसमें बेनेट कथित तौर पर एक शांतिदूत की भूमिका निभा रहे हैं और जिसमें मोदी के दोनों राष्ट्रपति के…
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abhay121996-blog · 3 years
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इजराइल में सत्ता परिवर्तन के बाद भी भारत से संबंध मजबूत बने रहेंगे Divya Sandesh
#Divyasandesh
इजराइल में सत्ता परिवर्तन के बाद भी भारत से संबंध मजबूत बने रहेंगे
आर.के. सिन्हा
इजराइल में सत्ता में परिवर्तन तो हो गया है। वहां पर प्रधानमंत्री पद को नफ्ताली बेनेत ने संभाल लिया है। पर इससे भारत-इजराइल के संबंधों पर किसी तरह का असर नहीं होगा। दोनों देशों के रिश्ते चट्टान से भी ज्यादा मजबूत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मित्र देश के नए प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि “अगले वर्ष हमारे राजनयिक रिश्तों को 30 वर्ष हो जायेंगे, जिसे मद्देनजर रखते हुये मैं आपसे मुलाकात करने का इच्छुक हूं और चाहता हूं कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और गहरी हो।” दरअसल दोनों देशों के रिश्तों को ठोस आधार देने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी और इजराइल के निवर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू लगातार सक्रिय थे। इन नेताओं के व्यक्तिगत संबंधों से भारत-इजराइल रणनीतिक साझेदारी को बल मिला और उन्होंने इस मुद्दे पर निजी दिलचस्पी ली। भारत- इजराइल संबंधों को गति मिलने में भारत के हजारों यहूदी नागरिकों का भी अपना खास योगदान रहा है। भारत में यहूदी नागरिक महाराष्ट्र, केरल,पूर्वोत्तर और राजधानी दिल्ली आदि में रहते हैं। इजराइल में नफ्ताली बेनेट के नए प्रधानमंत्री बनने के साथ ही राजधानी के एकमात्र सिनोगॉग में उनके यहां आने का इंतजार भी शुरू हो गया है। इसकी वजह यह है कि हुमायूं रोड की जूदेह हयम सिनग़ॉग में बेनेट के पूर्ववर्ती बेंजामिन नेतन्याहू और उनसे पहले इजराईल के शिखर नेता सिमोन पेरेज स्थानीय यहूदी समाज से मिलने और प्रार्थना के लिए आ चुके हैं। वे जब भारत के सरकारी दौरे पर आए तो जूदेह हयम सिनग़ॉग में आना नहीं भूले।
इसी सिनग़ॉग से सटी हुमायूँ रोड की कोठी में सांसद के तौर पर 6 वर्ष रहा था I अत: मैं इनकी गतिविधियों से थोड़ा बहुत परिचित तो हूँ ही I नफ्ताली बेनेट को अपने देश के आम चुनाव में बहुमत हासिल हुआ जिसके बाद इन्होंने अपना कार्यभार संभाल लिया है। बेनेट के बारे में पता चला कि वे पहले कभी भारत नहीं आए हैं। चूंकि भारत-इजराईल के संबंध बहुत घनिष्ठ हैं इसलिए उनका आने वाले समय में नई दिल्ली आना तय है। देखिए इजराइल कहीं न कहीं भारत के प्रति बहुत आदर का भाव रखता है। इसकी दो वजहें हैं। पहली, भारत में कभी भी यहुदियों के साथ किसी भी तरह के कोई जुल्म नहीं हुए। उन्हें इस देश ने सारे अधिकार और सम्मान भी दिए। इस तथ्य को सारी दुनिया के यहूदी सहर्ष स्वीकार करते हैं। उन्हें पता है कि भारत में कोई यहूदी सेना के शिखर पद पर भी पहुंच सकता ह��। गवर्नर भी बन सकता है I उन्हें इस बाबत लेफ्टिनेंट जनरल जे.एफ.आर जैकब के संबंध में विस्तार से जानकारी है। राजधानी के जूदेह हयम सिनगॉग के एक हिस्से में यहुदियों का कब्रिस्तान भी है। इसमें पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में लड़ी गई जंग के नायक जे.एफ.आर जैकब की भी कब्र है। वे पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए युद्ध के महानायक थे। अगर उस जंग में जैकब की योजना और युद्ध रणनीति पर अमल न होता तो बांग्लादेश को आज़ादी आसानी से नहीं मिलती और लगभग एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों का शर्मनाक आत्म समर्पण भी नहीं होता । पूर्वी पाकिस्तन (अब बांग्लादेश) में अन्दर घुसकर पाकिस्तानी फौजों पर भयानक आक्रमण करवाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल जैकब की वीरता की गाथा प्रेरक है। उनका आक्रमण युद्ध कौशल का ही परिणाम था कि नब्बे हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों ने अपने हथियारों समेत भारत की सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, जो कि अभी तक का विश्व भर का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण है।
दूसरी, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने बहादुरी का परिचय देते हुए इजरायल के हाइफा शहर को आजाद कराया था। भारतीय सैनिकों की टुकड़ी ने तुर्क साम्राज्य और जर्मनी के सैनिकों से जमकर भयानक मुकाबला किया था। माना जाता है कि इजरायल की आजादी का रास्ता हाइफा की लड़ाई से ही खुला था, जब भारतीय सैनिकों ने सिर्फ भाले, तलवारों और घोड़ों के सहारे ही जर्मनी-तुर्की की मशीनगन से लैस सेना को धूल चटा दी थी। इस युद्ध में भारत के बहुत सारे सैनिक शहीद हुए थे। राजधानी दिल्ली में आने वाले इजरायल  के शिखर नेता से लेकर सामान्य टुरिस्ट अब तीन मूर्ति स्मारक में जाने लगे हैं। इसमें साल 2018 से इजरायल के ऐतिहासिक शहर हाइफा का नाम जोड़ दिया गया है। तब से इस चौक का नाम ‘तीन मूर्ति हाइफा’ हो गया है।
वास्तव में मोदी और नेतन्याहू के संबंध आत्मीय और मित्रवत हो गए थे। इसके चलते दोनों देशों के आपसी संबंधों में सहयोग और तालमेल निरंतर बढ़ता रहा। महत्वपूर्ण यह है कि भारत-इजरायल की संस्कृति में भी समानता है। हमारे त्योहारों में भी समानता है। भारत में होली मनाई जाती है तो इजराइल में हनुका मनाया जाता है।
भारत ने साल 1992 में इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थपित किए थे। साल 2003 में तत्कालीन इजराइली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भारत की यात्रा पर आए थे। ऐसा करने वाले वह पहले इजराइली प्रधानमंत्री थे। भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को रक्षा और व्यापार सहयोग से लेकर रणनीतिक संबंधों तक विस्तार देने का श्रेय काफी हद तक उनको ही जाता है। इस बीच, केन्द्र में  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2014 में सत्तासीन होने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में नई इबारत लिखी जाने लगी है। इजराइल साल 1948 में जन्म के बाद से ही  फ़लस्तीनियों और पड़ोसी अरब देशों के साथ ज़मीन के स्वामित्व के प्रश्न पर निरंतर लड़ रहा है। भारत ने 1949 में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल को शामिल करने के ख़िलाफ़ वोट दिया था। यह पंडित नेहरु की अदूरदर्शिता थी पर फिर भी उसे संयुक्त राष्ट्र में शामिल कर लिया गया। अगले साल ही भारत ने भी इजराइल के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया था। याद रखें कि यही भारत और इजराइल के संबंधों का श्रीगणेश था।
भारत ने 15 सितंबर 1950 को इजराइल को मान्यता दे दी। अगले साल अब मुंबई में इजराइल ने अपना वाणिज्य दूतावास खोला। पर भारत अपना वाणिज्य दूतावास इजराइल में नहीं खोल सका। भारत और इजराइल को एक दूसरे के यहां आधिकारिक तौर पर दूतावास खोलने में चार दशकों से भी लंबा वक्त लग गया। मतलब नई दिल्ली और तेल अवीव में इजराइल और भारत के एक-दूसरे के दूतावास सन 1992 में खुले।
इजराइल भारत के सच्चे मित्र के रूप में लगातार सामने आ रहा है। हालांकि फिलस्तीन मसले के सवाल पर भारत आंखें मूंद कर अरब संसार के साथ विगत दशकों में खड़ा रहा, पर बदले में भारत को वहां से कभी भी अपेक्षित सहयोग  नहीं मिला। कश्मीर के सवाल पर अरब देशों ने  सदैव पाकिस्तान का ही साथ दिया। लेकिन, इजराइल ने हमेशा भारत को हर तरह से मदद की और साथ खड़ा रहा I
खैर, अब इजराइल में नए प्रधानमंत्री आ गए हैं। पर जैसे क�� कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र की विदेश नीति तो स्थिर और स्थायी ही होती है। वह सत्ता परिवर्तन से नहीं बदलती। इसलिए मानकर चलें कि भारत- इजराइल के बीच  मैत्री और आपसी सहयोग सघन और गहरा ही होता रहेगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)
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