#नकली खाते
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manharannishad · 2 years ago
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♦️04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें अद्भुत बातें♦️
कबीर परमेश्वर जी का मानव समाज को विशेष संदेश
हम सभी जानते हैं कि कबीर साहेब आज से लगभग 600 वर्ष पहले इतिहास के भक्तियुग में जुलाहे की भूमिका निभाकर गये। जिनको हम सभी संत कबीर के नाम से जानते हैं परन्तु वास्तव में कौन हैं? इससे आज भी हम अपरिचित है इन सब से परिचित होने के लिए हमे हमारे धर्म ग्रन्थों को देखना होगा और इस सच को स्वीकार करना होगा कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा है जिनका प्रमाण हमारे धर्मग्रंथों में है।
परमात्मा कबीर स्वयं ही पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक बनकर आते हैं और अपना तत्वज्ञान सुनाते हैं।
600 साल पहले कबीर साहेब जी ने भोली-भाली जनता को नकली पाखंडी, गुरुओं, पंडितों व संतों के बारे में बताया कि-
लाडू लावन लापसी, पूजा चढ़े अपार। पूजी पुजारी ले गया, मूरत के मुह छार।।
भावार्थ: कबीर साहेब ने सदियों पहले दुनिया के इस सबसे बड़े घोटाले के बारे में बताया था कि आपका यह सारा माल ब्राह्मण-पुजारी ले जाता है और भगवान को कुछ नहीं मिलता, इसलिए मंदिरों में ब्राह्मणों को दान करना बंद करो ।
हिन्दू कहूं तो हूँ नहीं, मुसलमान भी नाही
गैबी दोनों बीच में, खेलूं दोनों माही ।।
भावार्थ: कबीर साहेब कहते हैं कि मैं न तो हिन्दू हूँ और न ही मुसलमान। मैं तो दोनों के बीच में छिपा हुआ हूँ। इसलिए हिन्दू-मुस्लि�� दोनों को ही अपने धर्म में सुधार करने का संदेश दिया। कबीर साहेब ने मंदिर और मस्जिद दोनों ही बनाने का विरोध किया क्योंकि उनके अनुसार मानव तन ही असली मंदिर-मस्जिद है, जिसमें परमात्मा का साक्षात निवास है।
जो लोग जीव हत्या करते है उनको कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी के माध्यम से बताया कि-
जो गल काटै और का, अपना रहै कटाय।
साईं के दरबार में, बदला कहीं न जाय॥
भावार्थ: जो व्यक्ति किसी जीव का गला काटता है उसे आगे चलकर अपना गला कटवाना पड़ेगा। परमात्मा के दरबार में करनी का फल अवश्य मिलता है। आज यदि हम किसी को मारकर खाते हैं तो अगले जन्म में वह प्राणी हमें मारकर खाएगा।
कबीर साहेब जी ने जातिवाद का विरोध करते हुए बताया कि-
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ।।
भावार्थ: परमात्मा कबीर जी हिंदुओं में फैले जातिवाद पर कटाक्ष करते हुए कहते थे कि किसी व्यक्ति से उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि ज्ञान की बात करनी चाहिए। असली मोल तो तलवार का होता है, म्यान का नहीं।
कबीर परमेश्वर जी ने अपनी उपरोक्त शिक्षा के माध्यम से जो लोग कुरीतियों को बढ़ावा देते हैं उनका कटाक्ष करते हुए सत भक्ति का मार्ग दिखाया साथ ही शास्त्र अनुकूल साधना भक्ति करने को कहा। ताकि मनुष्य का जीव उद्धार हो सके।
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
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h1an2s3 · 17 hours ago
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: कबीर, मांस मछलियां खात है, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, मात पिता समेत।।
इस वाणी द्वारा कबीर साहेब ने बताया है कि, जो मांस मछली खाते हैं, शराब आदि पीते हैं।
वह इंसान माता पिता के साथ नरक में जाएगा। ये परमात्मा का विधान है।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: गीता अध्याय 6 श्लोक 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: ।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ।।16।।
हे अर्���ुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिल्कुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।।16।।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता ने योग अर्थात् सद्भक्ति करने वालों को अधिक खाने, व्रत करने, सदा जागने, अधिक शयन के लिए मना किया है। नियमित आहार और नियमित शयन करना चाहिए। जो निराहार रहते है/व्रत करते है वे परमात्मा के विधान को खंड करते है और मोक्ष से वंचित रह जाते है।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: परमात्मा बड़ी से बड़ी आपत्ति टाल देता है
"संत शरण में आने से, आई टलै बला।
जै भाग्य में सूली हो, कांटे में टल जाय।।"
भावार्थ: कबीर जी बताते हैं कि सच्चे गुरु की शरण में आने के बाद यदि किसी के भाग्य में भयंकर संकट है, तो परमात्मा उसे घटाकर एक छोटा सा कष्ट बना देता है।
अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना टीवी पर प्रतिदिन 7:30 p.m. से 8:30 p.m.
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति मर्यादा का निर्वाह करते हुए आजीवन साधना करने से मोक्ष होगा। यदि घर त्यागकर ��न में चले गए तो भोजन के लिए फिर गाँव या शहर में ग्रहस्थी के द्वार पर आना होगा। गर्मी-सर्दी, बारिश से बचने के लिए कोई कुटी बनानी पड़ेगी। वस्त्र भी माँगने पड़ेंगे। वह फिर घर बन गया। इसलिए घर पर रहो। सत्य साधना करो, मोक्ष निश्चित है।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: परमात्मा का विधान
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
भावार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है। सूअर की नाक भी गंद में डूबी रहती है। इस प्रकार का कष्ट वह प्राणी उठाता है जो भक्ति नहीं करता या नकली संत बनकर जनता में फोकट महिमा बनाता है।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओछी ठौर न खोए।।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
ऐसे अपराधों से बचने के लिए देखिए संत गमपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: परमात्मा का विधान
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।
जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ:- भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है। 
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: गरीब, गाड़ी बाहो घर रहो, खेती करो खुशहाल।
सांई सिर पर राखिये, सही भगत हरलाल।।
भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए घर त्यागने की आवश्यकता नहीं है। अपना खेती का कार्य तथा गाड़ी बाहने (ट्रांसपोर्ट) का कार्य खुशी-खुशी करो। घर पर रहो। परमात्मा की भक्ति जो मैं बताऊँ, वह करते रहो। आप सही भक्त कहलाओगे।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: परमात्मा का विधान है,
तम्बाकू पीना भी महापाप है,
मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है।
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[26/11, 6:06 pm] +91 83078 98929: मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गंद खाता है।
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healthy-26 · 9 days ago
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अगर काजू खाते समय दांतो मे चिपक जाता है
अगर काजू खाते समय दांतो मे चिपक जाता है तो नकली है अगर नहीं चिपकता है तो वो काजू असली है
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universallypatrolcollective · 2 months ago
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[9/28, 6:06 PM] +91 87709 48261: #पितरों_का_उद्धार_कैसे_करें
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
Sant Rampal Ji Maharaj
https://youtu.be/X4fn1GUPwoU?si=QuyJLTODbk16kZ0w
[9/28, 6:06 PM] +91 87709 48261: #पितरों_का_उद्धार_कैसे_करें
नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
Sant Rampal Ji Maharaj
https://youtu.be/X4fn1GUPwoU?si=QuyJLTODbk16kZ0w
[9/28, 6:06 PM] +91 87709 48261: #पितरों_का_उद्धार_कैसे_करें
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
Sant Rampal Ji Maharaj
https://youtu.be/X4fn1GUPwoU?si=QuyJLTODbk16kZ0w
[9/28, 6:06 PM] +91 87709 48261: #पितरों_का_उद्धार_कैसे_करें
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
Sant Rampal Ji Maharaj
https://youtu.be/X4fn1GUPwoU?si=QuyJLTODbk16kZ0w
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rustamehindhindinews · 3 months ago
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मोदी तेरे राज में देशद्रोही मलाइयाँ खाते हैं।
बेकसूर देशभक्त सिख और खालसा जेल में वर्षों से सजाएँ भुगत रहे हैं।
मोदी आरएसएस भाजपा का देशद्रोही बलात्कारी, महाभ्र्ष्ट, हत्यारा नकली बाबा
जनता के टेक्स के पैसे और दान के पैसे पर मौज़ ले रहा है।
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indrabalakhanna · 4 months ago
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🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🙏📯*
04 / August / 2024_Sunday / रविवार
#GodMorningSunday
#SundayMotivation
#SundayThoughts
#काफिर_किसको_कहें
*Constitution Of God*
#ConstitutionOfGod
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#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
SAT KABIR KI DAYA
AL KABIR ISLAMIC
SA News Channel
1📗काफ़िर किसको कहें?
गरीब हिन्दु हदीरे (यादगार) पूजहीं, मुसलिम पूजें घोर (कब्र)।
कह कबीर दोनों दीन की, अकल को ले गए हैं चोर।।
परमात्मा कबीर जी ने कहा है कि हिन्दू तो एक यादगार मन्दिर में मूर्ति पूजा करते हैं। मुसलमान घोर यानि कब्रों को तथा मदीना में पत्थर को सिजदा करते हैं। दोनों धर्म के व्यक्तियों की बुद्धि चोरों ने छीन रखी है। स्वयं वही गलती करते हैं। एक-दूसरे को काफ़िर बताते हैं।
2📗कौन है काफ़िर?
वै काफ़िर जो अंडा फोरैं, काफ़िर सूर गऊ कूं तोरें।।
वै काफ़िर जो मिरगा मारैं, काफ़िर उदर क्रदसे पारौं।।
अर्थात जो अंडे, मोर, हिरण को खाते हैं या अन्य किसी भी तरह के जीव का मांस खाते हैं ये सभी काफ़िर हैं।
3📗काफ़िर किसको कहें?
जो लोगों को गलत ज्ञान देकर गुमराह करते हैं यानी नकली धर्मगुरु जो धर्मशास्त्रों की आड़ में गलत ज्ञान प्रचार करते हैं ये सभी काफ़िर हैं चाहे किसी भी धर्म के लोग हों।
4📗काफ़िर किसको कहें?
जो शराब पीते हैं वे सभी काफ़िर हैं चाहे किसी भी धर्म के लोग हों।
5📗काफ़िर किसको कहें?
काफ़िर उसको जानो जो माता को गाली देता है, चोरी करता है, जारी (व्यभिचार) करता है। माँस खाता है, दान-धर्म नहीं करता। शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करता है।
📣⏬
🙏पूरी जानकारी के लिए देखें "काफ़िर का अंग (सम्पूर्ण)" Satlok Ashram यूट्यूब चैनल पर।
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vikaskumarsposts · 4 months ago
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#काफिर_किसको_कहें
काफ़िर का अर्थ है ‘‘दुष्ट इंसान‘‘। मुसलमान कहते हैं कि हिन्दू काफ़िर हैं क्योंकि ये देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। मंदिर में मूर्ति रखकर पूजा करते हैं। सूअर का माँस खाते हैं। हिन्दू कहते हैं कि मुसलमान काफ़िर हैं क्योंकि ये माँस खाते हैं, गाय को मारते हैं। परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि काफ़िर कोई समुदाय नहीं होता। काफ़िर वह है जो गलत काम करता है।
जिनको माया जोड़ने का सब्र ही नहीं। पूरा समय माया जोड़ने में ही लगे रहते हैं वे काफ़िर ही हैं।
जो लोगों को गलत ज्ञान देकर गुमराह करते हैं यानी नकली धर्मगुरु जो धर्मशास्त्रों की आड़ में गलत ज्ञान प्रचार करते हैं ये सभी काफ़िर हैं चाहे किसी भी धर्म के लोग हों।
जो शराब पीते हैं वे सभी काफ़िर हैं चाहे किसी भी धर्म के लोग हों।
पूरी जानकारी के लिए देखें काफिर का अंग (सम्पूर्ण) Satlok Ashram यूट्यूब चैनल पर।
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rakesh-kumars-posts · 4 months ago
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*📯बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय📯*
31/07/24
*Team 3:-हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर*
*🔸X Trending सेवा🔸*
🌸 *मालिक की दया से काफ़िर किसको कहते हैं, इससे संबंधित X {Twitter } पर सेवा करेंगे जी।*
*Tag and keyword⤵️*
*#काफिर_किसको_कहें*
*Constitution Of God*
🛒 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो link⤵️*
✓ https://www.satsaheb.org/kafir-hindi/
✓ https://www.satsaheb.org/english-kafir/
*🎯Sewa Points🎯* ⤵️
🔹काफ़िर किसको कहें?
काफ़िर का अर्थ है ‘‘दुष्ट इंसान‘‘। मुसलमान कहते हैं कि हिन्दू काफ़िर हैं क्योंकि ये देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। मंदिर में मूर्ति रखकर पूजा करते हैं। सूअर का माँस खाते हैं। हिन्दू कहते हैं कि मुसलमान काफ़िर हैं क्योंकि ये माँस खाते हैं, गाय को मारते हैं। परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि काफ़िर कोई समुदाय नहीं होता। काफ़िर वह है जो गलत काम करता है।
पूरी जानकारी के लिए देखें काफिर का अंग (सम्पूर्ण) Satlok Ashram यूट्यूब चैनल पर।
🔹जानिए काफ़िर किसको कहें?
संत गरीबदास जी ने निर्णय करते हुए बताया है कि
काफिर तीरथ व्रत उठावैं, सत्यवादी जन नाम लौ लावैं।।
काफिर सो जो विद्या चुरावैं, काफिर भैरव भूत पूजावै।।
पूजें देई धाम कूं, शीश हलावै जोय।
गरीबदास साची कहैं, हदि काफिर है सोय।।
काफिर आंन देवकुं मानें, काफिर गुड़कुं दूधैं सानें।।
🔹 काफ़िर किसको कहें?
जिनको माया जोड़ने का सब्र ही नहीं। पूरा समय माया जोड़ने में ही लगे रहते हैं वे काफ़िर ही हैं।
🔹काफ़िर कौन?
संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर साहेब जी से प्राप्त ज्ञान के आधार पर बताया है:
कबीर, गला काट बिसमल करें, वे काफिर बे बूझं।
ओरा काफिर बताबही, अपना कुफुर ना सूझं।।
🔹 काफ़िर किसको कहें?
गरीब हिन्दु हदीरे (यादगार) पूजहीं, मुसलिम पूजें घोर (कब्र)।
कह कबीर दोनों दीन की, अकल को ले गए हैं चोर।।
परमात्मा कबीर जी ने कहा है कि हिन्दू तो एक यादगार मन्दिर में मूर्ति पूजा करते हैं। मुसलमान घोर यानि कब्रों को तथा मदीना में पत्थर को सिजदा करते हैं। दोनों धर्म के व्यक्तियों की बुद्धि चोरों ने छीन रखी है। स्वयं वही गलती करते हैं। एक-दूसरे को काफ़िर बताते हैं।
🔹कौन है काफ़िर?
वै काफ़िर जो अंडा फोरैं, काफ़िर सूर गऊ कूं तोरें।।
वै काफ़िर जो मिरगा मारैं, काफ़िर उदर क्रदसे पारौं।।
अर्थात जो अंडे, मोर, हिरण को खाते हैं या अन्य किसी भी तरह के जीव का मांस खाते हैं ये सभी काफ़िर हैं।
🔹काफ़िर किसको कहें?
जो लोगों को गलत ज्ञान देकर गुमराह करते हैं यानी नकली धर्मगुरु जो धर्मशास्त्रों की आड़ में गलत ज्ञान प्रचार करते हैं ये सभी काफ़िर हैं चाहे किसी भी धर्म के लोग हों।
🔹 काफ़िर किसको कहें?
जो शराब पीते हैं वे सभी काफ़िर हैं चाहे किसी भी धर्म के लोग हों।
🔹 काफ़िर किसको कहें?
काफ़िर उसको जानो जो माता को गाली देता है, चोरी करता है, जारी (व्यभिचार) करता है। माँस खाता है, दान-धर्म नहीं करता। शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करता है।
🔹काफ़िर किसको कहें?
संत गरीबदास जी ने बताया कि सुनो मैं बताता हूँ काफ़िर किसे कहते हैं:
काफिर सो माता दें गारी, वै काफिर जो खेलें सारी।।
काफिर दान यज्ञ नहीं करहीं, काफिर साधु संत सैं अरहीं।।
🔹काफ़िर किसको कहें?
काफ़िर उसको जानो जो माता को गाली देता है, चोरी करता है, जारी (व्यभिचार) करता है। माँस खाता है, दान-धर्म नहीं करता। शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करता है।
पूरी जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल।
🔹काफ़िर किसे कहते हैं?
संत गरीबदास जी ने बताया कि
काफ़िर तोरै बनज ब्योहारं, काफ़िर सो जो चोरी यांर।।
अर्थात जो ब्याज लेते हैं, किसी की मजबूरी का फायदा उठाते हैं, चोरी करते हैं, इस प्रकार के कर्म करने वाले किसी भी धर्म में हों वे सभी काफ़िर ही हैं।
पूरी जानकारी के लिए देखें "काफ़िर का अंग (सम्पूर्ण)" Satlok Ashram यूट्यूब चैनल पर।
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veeresh99 · 9 months ago
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कबीर, झूठे गुरू #अजगर बनें,
लख चौरासी जांय।
शिष्य सब चींटी बनें,
नोचि नोचि तन खांय।।
भावार्थ :- झूठे गुरु और उनके शिष्य दोनों ही गलत साधना के कारण लख चौरासी में जाते हैं, वह नकली गुरू अजगर बनता हैं और उसके सभी चेले #चींटी बनकर उसे नोच-नोच कर खाते हैं और अपना बदला लेते हैं।
परमेश्वर #कबीर साहिब जी कहते हैं मनुष्य जीवन अति दुर्लभ है। मनुष्य जीवन पाकर हम गलत साधना करते हैं तो इस जीवन में तथा मृत्यु उपरांत महाकष्ट उठाना पड़ता है।
इसलिए ��नुष्य जीवन में भक्ति करो तो पूर्ण गुरु अर्थात्‌ #तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर शास्त्रानुकूल भक्ति करनी चाहिए।
पूर्ण संत मिलने पर झूठे गुरु को त्यागने में एक क्षण नहीं लगाना चाहिए।
झूठे गुरु और उसके शिष्य दोनों ही परमात्मा के दोषी होते हैं इसलिए शिष्य को चाहिए कि पूर्ण संत की तलाश करके नाम दीक्षा प्राप्त कर भक्ति करनी चाहिए उसी से सुख व #मोक्ष संभव है।
'
झूठे गुरु को पक्ष को, तजत न लावै देर'
'जब तक गुरु मिले नहीं सांचा, तब तक गुरु करो दस पांचा'!
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pradeepdasblog · 11 months ago
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( #Muktibodh_part174 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part175
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 337
‘‘एक अन्य करिश्मा जो उस भण्डारे में हुआ’’
वह जीमनवार (लंगर) तीन दिन तक चला था। दिन में प्रत्येक व्यक्ति कम से कम दो बार भोजन खाता था। कुछ तो तीन-चार बार भी खाते थे क्योंकि प्रत्येक भोजन के पश्चात् दक्षिणा में एक मौहर (10 ग्राम सोना) और एक दौहर (कीमती सूती शॉल) दिया जा रहा था।
इस लालच में बार-बार भोजन खाते थे। तीन दिन तक 18 लाख व्यक्ति शौच तथा पेशाब करके काशी के चारों ओर ढे़र लगा देते। काशी को सड़ा देते। काशी निवासियों तथा उन 18 लाख अतिथियों तथा एक लाख सेवादार जो सतलोक से आए थे। उस गंद का ढ़ेर लग जाता, श्वांस लेना दूभर हो जाता, परंतु ऐसा महसूस ही नहीं हुआ। सब दिन में दो-तीन बार भोजन खा रहे थे, परंतु शौच एक बार भी नहीं जा रहे थे, न पेशाब कर रहे थे। इतना स्वादिष्ट भोजन था कि पेट भर-भरकर खा रहे थे। पहले से दुगना भोजन खा रहे थे। उन सबको मध्य के दिन टैंशन (चिंता) हुई कि न तो पेट भारी है, भूख भी ठीक लग रही है, कहीं रोगी न हो जाएँ। सतलोक से आए सेवकों को समस्या बताई तो उन्होंने कहा कि यह भोजन ऐसी जड़ी-बूटियां डालकर बनाया है जिनसे यह शरीर में ही समा जाएगा। हम तो प्रतिदिन यही भोजन अपने लंगर में बनाते हैं, यही खाते हैं। हम कभी शौच नहीं जाते तथा न पेशाब करते हैं। आप निश्चिंत रहो।
फिर भी विचार कर रहे थे कि खाना खाया है, कुछ तो मल निकलना चाहिए। उनको लैट्रिन जाने का दबाव हुआ। सब शहर से बाहर चल पड़े��� टट्टी के लिए एकान्त स्थान खोजकर बैठे तो गुदा से वायु निकली। पेट हल्का हो गया तथा वायु से सुगंध निकली जैसे केवड़े का पानी छिड़का हो। यह सब देखकर सबको सेवादारों की बात पर विश्वास हुआ। तब उनका भय समाप्त हुआ, परंतु फिर भी सबकी आँखों पर अज्ञान की पट्टी बँधी थी। परमेश्वर कबीर जी को परमेश्वर नहीं स्वीकारा।
पुराणों में भी प्रकरण आता है कि अयोध्या के राजा ऋषभ देव जी राज त्यागकर जंगलों में साधना करते थे। उनका भोजन स्वर्ग से आता था। उनके मल (पाखाने) से सुगंध निकलती
थी। आसपास के क्षेत्र के व्यक्ति इसको देखकर आश्चर्यचकित होते थे। इसी तरह सतलोक का भोजन आहार करने से केवल सुगंध निकलती है, मल नहीं। स्वर्ग तो सतलोक की नकल है जो नकली (Duplicate) है।
क्रमशः________________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप स��त रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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pacificleo · 11 months ago
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घोड़ा / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
अगर कहीं मैं घोड़ा होता, वह भी लंबा-चौड़ा होता। तुम्हें पीठ पर बैठा करके, बहुत तेज मैं दोड़ा होता।।
पलक झपकते ही ले जाता, दूर पहाड़ों की वादी में। बातें करता हुआ हवा से, बियाबान में, आबादी में।।
किसी झोंपड़े के आगे रुक, तुम्हें छाछ औ’ दूध पिलाता। तरह-तरह के भोले-भाले इनसानों से तुम्हें मिलाता।।
उनके संग जंगलों में जाकर मीठे-मीठे फल खाते। रंग-बिरंगी चिड़ियों से अपनी अच्छी पहचान बनाते।।
झाड़ी में दुबके तुमको प्यारे-प्यारे खरगोश दिखाता। और उछलते हुए मेमनों के संग तुमको खेल खिलाता।।
रात ढमाढम ढोल, झमाझम झाँझ, नाच-गाने में कटती। हरे-भरे जंगल में तुम्हें दिखाता, कैसे मस्ती बँटती।।
सुबह नदी में नहा, दिखाता तुमको कैसे सूरज उगता। कैसे तीतर दौड़ लगाता, कैसे पिंडुक दाना चुगता।।
बगुले कैसे ध्यान लगाते, मछली शांत डोलती कैसे। और टिटहरी आसमान में, चक्कर काट बोलती कैसे।।
कैसे आते हिरन झुंड के झुंड नदी में पानी पीते। कैसे छोड़ निशान पैर के जाते हैं जंगल में चीते।।
तब मैं अपने पैर पटक, हिन-हिन करता, तुम भी खुश होती । ‘कितनी नकली दुनिया यह अपनी’ तुम सोते में भी कहती।।
लेकिन अपने मुँह में नहीं लगाम डालने देता तुमको। प्यार उमड़ने पर वैसे छू लेने देता अपनी दुम को।।
नहीं दुलत्ती तुम्हें झाड़ता, क्योंकि उसे खाकर तुम रोती । लेकिन सच तो यह है प्रिय , तब तुम ही मेरी दुम होती ।।
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jayshankars-blog · 1 year ago
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( #MuktiBodh_Part55 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part56
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर (99-100)
एक अन्य करिश्मा जो उस काशी भण्डारे में हुआ।
वह जीमनवार (लंगर) तीन दिन तक चला था। दिन में प्रत्येक व्यक्ति कम से कम दो बार भोजन खाता था। कुछ तो तीन-चार बार भी खाते थे क्योंकि प्रत्येक भोजन के पश्चात् दक्षिणा में एक मौहर (10 ग्राम सोना) और एक दौहर (कीमती सूती शॉल) दिया जा रहा था।
इस लालच में बार-बार भोजन खाते थे। तीन दिन तक 18 लाख व्यक्ति शौच तथा पेशाब करके काशी के चारों ओर ढे़र लगा देते। काशी को सड़ा देते। काशी निवासियों तथा उन 18 लाख अतिथियों तथा एक लाख सेवादार जो सतलोक से आए थे, श्वांस लेना दूभर हो जाता, पर���तु ऐसा महसूस ही नहीं हुआ। सब दिन में दो-तीन बार भोजन खा रहे थे, परंतु शौच एक बार भी नहीं जा रहे थे, न पेशाब कर रहे थे। इतना स्वादिष्ट भोजन था कि पेट भर-भरकर खा रहे थे। पहले से दुगना भोजन खा रहे थे। हजम भी हो रहा था। किसी रोगी तथा वृद्ध को कोई परेशानी नहीं हो रही थी। उन सबको मध्य के दिन चिंता हुई कि न तो पेट भारी है, भूख भी ठीक लग रही है, कहीं रोगी न हो जाऐं। सतलोक से आए सेवकों को समस्या बताई तो उन्होंने कहा कि यह भोजन ऐसी जड़ी-बूटियां डालकर बनाया है जिनसे यह शरीर में ही समा जाएगा। हम तो प्रतिदिन यही भोजन अपने लंगर में बनाते हैं, यही खाते हैं। हम कभी शौच नहीं जाते तथा न पेशाब करते, आप निश्चिंत रहो। फिर भी विचार कर रहे थे कि खाना खाया है, परंतु कुछ तो मल निकलना चाहिए। उनको लैट्रिन जाने का दबाव हुआ। सब शहर से बाहर चल पड़े। टट्टी के लिए एकान्त स्थान खोजकर बैठे तो गुदा से वायु निकली। पेट हल्का हो गया तथा वायु से सुगंध निकली जैसे केवड़े का पानी छिड़का हो। यह सब देखकर सबको सेवादारों की बात पर विश्वास हुआ। तब उनका भय समाप्त हुआ, परंतु फिर भी सबकी आँखों पर अज्ञान की पट्टी बँधी थी। परमेश्वर कबीर जी को परमेश्वर नहीं स्वीकारा। पुराणों में भी प्रकरण आता है कि अयोध्या के राजा ऋषभ देव जी राज त्यागकर जंगलों में साधना करते थे। उनका भोजन स्वर्ग से आता था। उनके मल (पाखाने) से सुगंध निकलती थी। आसपास के क्षेत्र के व्यक्ति इसको देखकर आश्चर्यचकित होते थे। इसी तरह सतलोक का आहार करने से केवल सुगंध निकलती है, मल नहीं। स्वर्ग तो सतलोक की नकल है जो नकली (Duplicate) है।
उपरोक्त वाणी का सरलार्थ है कि परमेश्वर कबीर जी ने भक्ति और भक्त तथा भगवान की महिमा बनाए रखने के लिए यह लीला की। स्वयं ही केशव बने, स्वयं भक्त बने।(112)
स्वामी रामानंद ने परमेश्वर कबीर जी को सतलोक में व पृथ्वी पर दोनों स्थानों पर देखकर कहा था :-
दोहूँ ठौर है एक तू, भया एक से दोय। गरीबदास हम कारने, आए हो मग जोय।।
तुम साहेब तुम संत हो, तुम सतगुरू तुम हंस।
गरीबदास ��व रूप बिन, और न दूजा अंश।।
बोलत रामानंद जी, सुनो कबीर करतार।
गरीबदास सब रूप में, तुम ही बोलनहार।।
◆वाणी नं. 113 से 117 :-
गरीब, सोहं ऊपरि और है, सत सुकत एक नाम।
सब हंसों का बंस है, सुंन बसती नहिं गाम।।113।।
गरीब, सोहं ऊपरि और है, सुरति निरति का नाह।
सोहं अंतर पैठकर, सतसुकृत लौलाह।।114।।
गरीब, सोहं ऊपरि और है, बिना मूल का फूल।
ताकी गंध सुगंध है, जाकूं पलक न भूल।।115।।
गरीब, सोहं ऊपरि और है, बिन बेलीका कंद।
राम रसाइन पीजियै, अबिचल अति आनंद।।116।।
गरीब, सोहं ऊपरि और है, कोइएक जाने भेव।
गोपि गोसांई गैब धुनि, जाकी करि लै सेव।।117।।
◆ सरलार्थ :- जैसा कि परमेश्वर कबीर जी ने कहा है तथा संत गरीबदास जी ने बोला है :- सोहं शब्द हम जग में लाए, सार शब्द हम गुप्त छिपाए। उसी का वर्णन इन अमृतवाणियों में है कि कुछ संत व गुरूजन परमेश्वर कबीर जी की वाणी से सोहं शब्द पढ़कर उसको
अपने शिष्यों को जाप के लिए देते हैं। वे इस दिव्य मंत्र की दीक्षा देने के अधिकारी नहीं हैं और सोहं का उपदेश यानि प्रचार करके फिर नाम देना सम्पूर्ण दीक्षा पद्यति नहीं है। अधूरा नाम है। मोक्ष नहीं हो सकता। सोहं नाम के ऊपर एक सुकृत यानि कल्याणकारक (सम्पूर्ण मोक्ष मंत्र) और है। वह सब हंसों यानि निर्मल भक्तों के वंश (अपना परंपरागत मंत्र) है जिसे भूल जाने के कारण मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते। यदि यह मंत्र प्राप्त नहीं होता है तो उनको (नहीं बस्ती नहीं गाम) कोई ठिकाना नहीं मिलता। वे घर के रहते न घाट के यानि मोक्ष प्राप्त नहीं होता।(113)
◆ सोहं से ऊपर जो कल्याणकारक (सत सुकृत) नाम है, उसका स्मरण सुरति-निरति से होता है यानि ध्यान से उसका जाप करना होता है। सोहं नाम का जाप करते-करते उस सारशब्द का भी जाप ध्यान से करना है। उसमें (लौ ला) लगन लगा।(114)
◆ जो सार शब्द है, वह सत्य पुरूष जी का नाम जाप है। उस परमेश्वर के कोई
माता-पिता नहीं हैं यानि उनकी उत्पत्ति नहीं हुई। (बिन बेली) बिना बेल के लगा फूल है अर्थात् स्वयंभू परमात्मा कबीर जी हैं। उसके सुमरण से अच्छा परिणाम मिलेगा यानि सतलोक में उठ रही सुगंध आएगी। उस परमात्मा के सार शब्द को तथा उस मालिक को
पलक (क्षण) भी ना भूलना। वही आपका उपकार करेंगे।(115)
◆ वाणी नं. 116 का सरलार्थ :- वाणी नं. 115 वाला ही सरलार्थ है। इसमें फूल के स्थान पर कंद (मेवा) कहा है। उस परमेश्वर वाल�� इस सत्य भक्ति रूपी रसाईन (जड़ी-बूटी की) पीजिए यानि श्��द्धा से सुमरण कीजिए जो अविचल (सदा रहने वाला), आनन्द (सुख) यानि पूर्ण मोक्ष है। वह प्राप्त होगा।(116)
◆ जो सारशब्द सोहं से ऊपर है, उसका भेद कोई-कोई ही जानता है। गोपि (गुप्त) यानि अव्यक्त, गोसांई (परमात्मा) गैब (गुप्त) धुनि यानि उस जाप से स्मरण की आवाज बनती
है। उसे धुन कहा है। उस मंत्र की सेव यानि पूजा (स्मरण) करो।(117)
◆ वाणी नं. 118 :-
गरीब, सुरति लगै अरु मनलगै, लगै निरति धुनि ध्यान।
च्यार जुगन की बंदगी, एक पलक प्रवान।।118।।
◆ सरलार्थ :- उस सम्पूर्ण दीक्षा मंत्र का सुमरण (स्मरण) ध्यानपूर्वक करना है। उसका स्मरण करते समय सुरति-निरति तथा मन नाम के जाप में लगा रहे।
ऐसा न हो कि :-
कबीर, माला तो कर में फिरै, जिव्हा फिरै मुख मांही।
मनवा तो चहुँ दिश फिरै, यह तो सुमरण नांही।।
सुरति-निरति तथा मन व श्वांस (पवन) के साथ स्मरण करने से एक ही नाम जाप से चार युगों तक की गई शास्त्रविरूद्ध मंत्रों के जाप की भक्ति से भी अधिक फल मिल जाता
है।(118)
◆ वाणी नं. 119 :-
गरीब, सुरति लगै अरु मनलगै, लगै निरति तिस ठौर।
संकर बकस्या मेहर करि, उभर भई जद गौर।।119।।
◆ सरलार्थ :- उपरोक्त विधि से स्मरण करना उचित है। उदाहरण बताया है कि जैसे शंकर भगवान ने कृपा करके पार्वती जी को गुप्त मंत्र बताया जो प्रथम मंत्र यह दास (रामपाल दास) देता है जो शास्त्रोक्त नाम है और देवी जी ने उस स्मरण को ध्यानपूर्वक
किया तो तुरंत लाभ मिला।(119)
◆ वाणी नं. 120 :-
गरीब, सुरति लगै और मन लगै, लगै निरति तिसमांहि।
एक पलक तहां संचरै, कोटि पाप अघ जाहिं।।120।।
◆ सरलार्थ :- उपरोक्त विधि के सुमरण (स्मरण) से एक क्षण में करोड़ों पाप नष्ट हो जाते हैं।(120)
क्रमशः__________________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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h1an2s3 · 2 months ago
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[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
#JagatGuruSantRampalJi
#SantRampalJiMaharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
परमात्मा कहते हैं रे भोली सी दुनिया सतगुरु बिन कैसे सरिया।
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करने से मनुष्य 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं भोगता।
#ancestorworship #pinddaan
#pitrupaksha #pitrapaksh #shradh #amavasya #astrology #karma #vastu #reels #trending
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: श्राद्ध और पितृ पूजा से जीव की गति नहीं होती"
प्रेत शिला पर जाय विराजे, फिर पितरों पिण्ड भराहीं।
बहुर श्राद्ध खान कूं आया, काग भये कलि माहीं।।
#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
#JagatGuruSantRampalJi
#SantRampalJiMaharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
#ancestorworship #pinddaan
#pitrupaksha #pitrapaksh #shradh #amavasya #astrology #karma #vastu #reels #trending
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
#JagatGuruSantRampalJi
#SantRampalJiMaharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
#ancestorworship #pinddaan
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[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
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#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: जै सतगुरू की संगत करते, सकल कर्म कटि जाईं।
अमर पुरि पर आसन होते, जहाँ धूप न छाँइ।।
संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते।
#ancestorworship #pinddaan
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[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह ��ास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
#JagatGuruSantRampalJi
#SantRampalJiMaharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors
[27/09, 6:21 pm] +91 83078 98929: सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं #ancestorworship #pinddaan
#pitrupaksha #pitrapaksh #shradh #amavasya #astrology #karma #vastu #reels #trending
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pawankumar1976 · 1 year ago
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#RightWayToMeditate
https://bit.ly/TrueDefinitionofMeditation
🍀पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर फिर परमात्मा के गुणों का चिन्तन करना ही ध्यान (मेडिटेशन) है। इसी में मानव जीवन की सफलता है।🍀नकली संतों व महंतों ने मेडिटेशन को अधिक महत्व दिया है। परंतु मेडिटेशन करने से शरीर में शारीरिक सुख प्राप्त हो सकता है परंतु आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता। संत रामपाल जी महाराज जी यथार्थ भक्ति विधि बताते हैं जो सहज समाधि है जिससे साधक को आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मानसिक तीनों प्रकार ���े लाभ प्राप्त होते हैं।🍀मेडिटेशन की सही विधि क्या है?
मेडिटेशन (ध्यान / प्रभु के नाम) की सही विधि कबीर साहेब ने बताई है:-
नाम उठत नाम बैठत, नाम सोवत जागवे।
नाम खाते नाम पीते, नाम सेती लागवे।।
अर्थात परमात्मा का ध्यान/नाम सुमिरन करते रहना चाहिये।
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universallypatrolcollective · 2 months ago
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[9/23, 6:03 PM] +91 87709 48261: #श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
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[9/23, 6:03 PM] +91 87709 48261: #श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
JagatGuru Sant Rampal Ji
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[9/23, 6:03 PM] +91 87709 48261: #श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
JagatGuru Sant Rampal Ji
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[9/23, 6:03 PM] +91 87709 48261: #श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
JagatGuru Sant Rampal Ji
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sharadpoonal · 1 year ago
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#RightWayToMeditate
मेडिटेशन करने से शारीरिक सुख मिल सकता है परंतु आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता। परमात्मा से साक्षात्कार प्राप्त संतों ने सहज समाधि बताई है जिसमें उठते बैठते ,चलते फिरते परमात्मा का नाम सुमिरन करना होता है।
मेडिटेशन शरीर को हठयोग से नियंत्रित करना है इसे नकली संत आध्यात्म से जोड़कर मूर्ख बनाते हैं। मेडिटेशन वास्तव में परमात्मा के नाम का सही विधि से से ध्यान लगाना है:
नाम उठत,नाम बैठत,नाम सोवत जाग बे ।
नाम खाते, नाम पीते, नाम सेती लाग वे।।
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