#दुर्गाजीअर्धकुँवारी है तो माता क्योंकहतेहैं
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नशा हमारे भक्ति मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है।
- संत रामपाल जी महाराज
#शराब_से_छुटकारा
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🫴🏻 अब संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन प्रतिदिन सुनिए....
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🏵️ श्रद्धा MH ONE टी. वी. पर दोपहर 2:00 से 3:00 तक
🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
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धर्म का अनकहा सच
धर्मगुरु और उनके अधूरे ज्ञान का सच
#SundaySpecial
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दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं बल्कि उनका पति भी है। जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
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दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं बल्कि उनका पति भी है।
जानने के लिए??
पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
#दुर्गाजीअर्धकुँवारी है तो माता क्योंकहतेहैं#आदि राम कबीर#कबीर परमेश्वर#संत रामपाल जी महाराज#कबीर इस गॉड#कबीर बड़ा या कृष्ण
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दुर्गा अर्धकुँवारी है तो माता क्यों कहते हैं?
सूक्ष्मवेद में बताया गया है:
ॐ आदि मूल महतारी, जाका पिता संख भुजधारी।
कृतम किया पुरुष आरंभा, नीचे नीम शक्ति कूरंभा।
ॐ माया आदि कुमारी, तीनों देव जन्में त्रिपुरारी।
अर्थात ॐ जिसका मंत्र है यानि ब्रह्म काल जिसकी हजार भुजायें हैं वह तो तीनों देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) का पिता और आदिकुमारी (दुर्गा) इनकी माता है। अर्थात दुर्गा का पति ब्रह्म काल है। इसी का समर्थन गीता ज्ञान दाता ब्रह्म, गीता अध्याय 14 श्लोक 3-5 में स्वयं करता है।
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दुर्गा अर्धकुँवारी है तो माता क्यों कहते हैं?
दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं क्योंकि शिवपुराण के रुद्रसंहिता खंड अध्याय 6-7 में लिखा है कि काल रूपी ब्रह्म और दुर्गा (शिवा/प्रकृति) के पति-पत्नी व्यवहार से ब्रह्मा और विष्णु की उत्पत्ति हुई।#दुर्गाजीअर्धकुँवारी_है_तो_माता_क्योंकहतेहैं
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दुर्गा अर्धकुँवारी है तो माता क्यों कहते हैं?
दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं क्योंकि खेमराज श्रीकृष्णदास प्रकाशन, बंबई से प्रकाशित, श्रीमद्देवीभागवत के तीसरे स्कन्ध के अध्याय 5 श्लोक 12 में शंकर जी ने कहा है कि:
रमयसे स्वपतिं पुरुषं सदा तव गतिं न हि विह विद्म शिवे (12)
अनुवाद: हे मात! अपने पति पुरुष अर्थात् काल भगवान के साथ सदा भोग-विलास करती रहती हो। आपकी गति कोई नहीं जानता।
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संपूर्ण सृष्टि रचना में माता दुर्गा की क्या भूमिका है,
और उन्हें किस उद्देश्य से यह कार्यभार दिया गया है? अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक
ज्ञान गंगा
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दुर्गा (अष्टंगी) जी
अर्धकुंवारी नहीं हैं बल्कि उनका पति ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) है।
इस बारे में कबीर परमेश्वर ने कबीर सागर के अध्याय ज्ञानबोध के पृष्ठ 21-22 में बताया है कि
माँ अष्टंगी पिता निरंजन । वे जम दारुण वंशन अंजन ।। धर्मराय किन्हाँ भोग विलासा । माया को रही तब आसा ।। तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये ॥
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दुर्गा अर्धकुँवारी है तो माता क्यों कहते हैं?
श्रीमद्देवीभागवत के तीसरे स्कन्ध के अध्याय 1-3 में लिखा है कि कितने ही आचार्य भवानी को सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करने वाली बताते हैं। वह प्रकृति कहलाती है तथा ब्रह्म के साथ उनका अभेद सम्बन्ध है। जैसे पत्नी को अर्धांगनी भी कहते हैं अर्थात् दुर्गा जी, ब्रह्म (काल) की पत्नी है। यानि दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं।
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दुर्गा अर्धकुँवारी है तो माता क्यों कहते हैं?
दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं बल्कि उनका पति काल ब्रह्म है जो गीता अध्याय 14 श्लोक 3, 4 में स्वयं कहता है कि मूल प्रकृति (दुर्गा) तो उन सबकी गर्भ धारण करने वाली माता है और मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूँ।
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ब्रह्मा जी के साथ सावित्री, विष्णु जी के साथ लक्ष्मी, और शंकर जी के साथ पार्वती हमेशा रहती हैं, तो फिर इन तीनों देवताओं की जननी माता दुर्गा को हमेशा अकेला क्यों देखा गया?
अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
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संपूर्ण सृष्टि रचना में माता दुर्गा की क्या भूमिका है, और उन्हें किस उद्देश्य से यह कार्यभार दिया गया है? अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
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