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#दिव्यांगों को रोजगार
sharpbharat · 1 year
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tata steel foundation mou - टाटा स्टील फाउंडेशन की पहल, एनसीपीइडीपी के साथ किया एमओयू, दिव्यांगों को रोजगार और शिक्षा देने की दिशा के काम में आयेगी तेजी
जमशेदपुर : टाटा स्टील फाउंडेशन ने नेशनल सेंटर फॉर प्रोमोशन ऑफ इंप्लायमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (एनसीपीइडीपी) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया. दिव्यांगों के विकास और उनके संस्थागत जुड़ाव के साथ ही बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए यह समझौता किया गया. टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीइओ) सौरभ राय और एनसीपीडीइपी की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अरमान अली ने समझौता पर हस्ताक्षर किया. एक साल के…
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marketingstrategy1 · 2 years
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हुनरमंदों का जलवा:गाय के घी से स्किन क्रीम, कंडे की राख से बना रहे टूथपेस्ट, लाख से बना अद्भुत श्रीराममंदिर - Global Investors Summit 2023 Skin Cream Made From Cow Ghee Wonderful Shriram Temple Made Of Lac
बनाए गए उत्पादों का प्रदर्शन। – फोटो : amar ujala विस्तार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुनरमंदों के स्टार्टअप छाए हैं। हर कोई इनके उत्पाद और उन्हें बनाने की विधि जानने को उत्सुक दिखा। प्रदर्शनी में गंगा, बेतवा, केन आदि पंडालों में लगाए गए चार सौ से अधिक स्टॉल व स्टार्टअप में कुछ ऐसे भी हैं, जो दिव्यांगों और महिलाओं से उत्पाद बनवाकर उन्हें रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ रहे हैं।  कोई आयुर्वेदिक…
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ashokgehlotofficial · 2 years
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मुख्यमंत्री निवास पर डूंगरपुर जिले से आए सर्वसमाज के प्रतिनिधिमण्डल को संबोधित किया। राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से समाज का हर वर्ग लाभान्वित हो रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मात्र 41 प्रतिशत लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा है, वहीं प्रदेश में 90 प्रतिशत लोगों को चिरंजीवी योजना के अन्तर्गत कवर किया गया है। राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों के आयोजन से प्रदेश में एक नई खेल संस्कृति विकसित हुई है। प्रतिनिधिमण्डल ने प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
गत सरकारों द्वारा देश में भोजन, रोजगार, शिक्षा, सूचना आदि अधिकार कानून बनाकर आमजन को दिए गए हैं। इसी प्रकार केन्द्र सरकार को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार कानून बनाकर देशवासियों को देना चाहिए। विश्व के अनेक लोकतंत्रों में सरकारों द्वारा अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। असहाय और जरूरतमंद लोगों को संबल देना एक संवेदनशील सरकार का कर्तव्य है। प्रदेश में राज्य सरकार एक करोड़ वृद्धजनों, विधवाओं, दिव्यांगों को सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत पेंशन दे रही है, ताकि उनको आर्थिक संबल मिल सके। मानवीय दृष्टिकोण से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की गई है। इससे सरकारी कार्मिकों में अपने भविष्य के प्रति सुरक्षा की भावना आई है।
राज्य में कमजोर तबकों को किसी भी प्रकार के उत्पीड़न एवं अत्याचार से बचाने के लिए अनिवार्य एफआईआर का प्रावधान किया गया है। थानों को पब्लिक फ्रेंडली बनाने के लिए स्वागत कक्षों का निर्माण किया गया है। सरकार की योजनाओं से आज 46 लाख घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों का बिजली बिल शून्य आ रहा है। कोरोना काल में राज्य सरकार द्वारा 35 लाख अति निर्धन लोगों को गुजारे के लिए आर्थिक सहायता दी गई। समाज के विभिन्न वर्गों के साथ मिलकर ‘कोई भूखा ना सोए’ की परिकल्पना को साकार किया गया। उच्चतम न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को निर्देशित किया है कि वह सुनिश्चित करे कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे।
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से आमजन को महंगे इलाज की चिंता से मुक्ति मिली है। इस योजना के तहत प्रदेशवासियों के लिए 10 लाख तक का इलाज निःशुल्क कर दिया गया है। लीवर ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, कोक्लियर इम्प्लांट जैसे अंग प्रत्यारोपण वाले उपचारों में 10 लाख की सीमा समाप्त कर दी गई है एवं पूरा खर्चा सरकार वहन कर रही है। आमजन के लिए आईपीडी-ओपीडी उपचार, सभी प्रकार की दवाइयां और महंगी जांचें निःशुल्क कर दी गई हैं। साथ ही, प्रदेशवासियों को 5 लाख का दुर्घटना बीमा भी दिया जा रहा है।
75 वर्ष में देश में लोकतंत्र की जड़ें लगातार मजबूत हुई हैं। देश में मतदाताओं के द्वारा चुनी गई सरकारें ही सत्ता में आई है। इसके विपरीत कई पड़ोसी देशों में सैन्य शासन स्थापित हुआ है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा रचित संविधान की मूल भावना के पालन से ही सुशासन स्थापित किया जा सकता है। संविधान की रक्षा प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। संविधान ��्वारा देश में महिलाओं को लोकतंत्र की स्थापना के साथ ही वोट का अधिकार दिया गया, जबकि कई विकसित देशों में इसमें काफी समय लगा।
इस अवसर पर प्रतिनिधिमण्डल ने डूंगरपुर जिले के पुनाली में आयोजित होने जा रही श्रीमद् भागवत कथा के बारे में अवगत करवाया तथा भाग लेने के लिए आग्रह किया। प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों ने साफा पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया। इस अवसर पर सार्वजनिक निर्माण मंत्री श्री भजनलाल जाटव ने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों से गरीब को गुणवत्तापूर्ण इलाज एवं शिक्षा निःशुल्क मिल रही है। जल संसाधन मंत्री श्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने कहा कि राज्य सरकार ने लोकतांत्रिक संस्थाओं में समाज के कमजोर तबके का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है।
इस अवसर पर श्री दिनेश खोड़निया, श्री गौरव यादव सहित बड़ी संख्या में जन-प्रतिनिधि, समाजसेवी एवं आमजन उपस्थित थे।
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journalistcafe · 4 years
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वाराणसी। काम की तलाश में संघर्ष करते दिव्यांग संतोष कुमार ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और दूसरे लोगों का सहारा बन गए। आज वह 20 दिव्यांगों को रोजगार दे रहे हैं। खुद अपाहिज होते हुए भी दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के युवा दिव्यांग संतोष
दिव्यांगता मन से होती है। अगर मन से खुद के दिव्यांग होने की बेचारगी का भाव निकाल दें तो एक दिव्यांग भी अमूमन वह सब कुछ कर सकता है जो एक सामान्य आदमी। इसे साबित किया है प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के युवा दिव्यांग संतोष ने।
ग्रेजुएशन के बाद नौकरी की तलाश में जुटे संतोष
ग्रेजुएशन के बाद नौकरी की तलाश में जुटे। गुजारा करना था तो कभी बैट्री की दुकान पर काम किया तो कभी ईंट भट्ठे पर। संघर्ष के दौरान निराश होने की जगह कुछ ऐसा करने की ठानी जिसमें उनके जैसे और लोगो को भी रोजगार मिल सके। इस लक्ष्य को लेकर उन्होंने रिश्तेदारों से कर्ज लेकर छह लाख की लागत से बेकरी की एक इकाई लगाई। आज इसमें करीब 20 दिव्यांग काम करते है। इस साल इस संख्या को बढ़ाकर 50 तक करने का लक्ष्य है। इकाई मे टेस्टी ब्रेड के नाम से तैयार होने वाले उत्पाद के बनाने से लेकर विपणन का काम दिव्यांग ही करते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर उनका आयर गांव है। इसकी खसियत है कि दिव्यांग इसे बनाते और बेंचते है। टेस्टी ब्रेड के नाम से चल रही बेकरी में पाव रोटी, ब्रेड, क्रीम रोल जैसे अनेक उत्पाद बनते हैं।
महिलाओं के एक समूह से मिली प्रेरणा
उन्होंने मीडिया को बताया कि इसकी प्रेरणा महिलाओं के एक समूह से मिली। उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र में करीब 100 लोग दिव्यांग होंगे। हमारे लोग रोजी-रोटी के लिए बहुत परेशान होते है। तभी यह कारखाना शुरू किया है। अभी इसमें दिव्यांगों को 300-400 रुपये रोज मिल जाते हैं। सेल्स मैन के लिए ट्राईसाइकिल में ही ठेला बना दिया गया है। इसमें सामान लादकर वह आराम से अपना काम कर लेते हैं।
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दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का पूरा प्रयास
संतोष ने कहा कि दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का पूरा प्रयास है। वो बताते हैं कि 25 दिसंबर 2019 से चलाए जा रहे कारखाने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। शुरुआत में इसे बनाने के लिए लोग कर्ज देने को तैयार नहीं थे। लेकिन बाद में विश्वास करके दिया। अब करीब ढाई लाख रूपये का कर्ज बचा है। जिसे चुकाना है। उनके कारखाने में अब तक 20 दिव्यांग रोजगार से जुड़ गए हैं। उनकों स्वरोजगार भी सिखाया जा रहा है, ताकि खुद आत्मनिर्भर हो सकें। उनका टारगेट करीब 400 से 500 तक रोजगार देने का है। बेकरी के कारखाने में एक शिफ्ट में 8-8 लोग काम करते है। दिन में महिलाएं और रात में पुरूषों को काम करने को दिया गया है। यह लोग करीब 1200 पीस माल तैयार कर लेते हैं। इसके बाद इसे बिक्री के लिए ले जाते हैं। इनकी आय ज्यादा माल बेचने से बढ़ भी जाती है।
मारुति 800 कार को किया मोडिफाई
संतोष ने अपनी मारुति 800 कार को भी अपने हिसाब से मोडिफाई करके उसके ब्रेक गियर क्लच सब अपने हाथों के पास कर लिया है। जिससे वह आसानी से चलाकर बनारस की सड़कों पर माल बेच सकें।
इसके अलावा संतोष दिव्यांग और गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए किरन विकलांग समाज कल्याण संस्थान नामक विद्यालय भी चलाते हैं। इसमें करीब 40 से 50 बच्चे शिक्षित होकर रोशनी का उजियारा फैला रहे हैं।
गरीबों में बांटते रहे है बेकरी में बने ब्रेड और क्रीम रोल
कोरोना संकट में दिव्यांग संतोष अपनी बेकरी में बने ब्रेड और क्रीम रोल रोजाना गरीबों में बांटते रहे है। झोपड़ पट्टी में रहने वालों को तिरपाल और पन्नी भी उपलब्ध कराई है।
दिव्यांगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बना रहे संतोष कुमार
केंद्रीय सलाहकार बोर्ड दिव्यांगजन सशक्तीकरण के सदस्य डॉ. उत्तम ओझा ने बताया, “संतोष कुमार दिव्यांगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बना रहे हैं। इसके लिए उनकी जो भी मदद होगी की जाएगी। इनका मॉडल सफल रहा तो इसको देश में लागू किया जा सकता है।”
यह भी पढ़ें : इतिहास का हिस्सा बन चुकी है Atlas साइकिल की कहानी
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दिव्यांगों को आत्मनिर्भरता बना रहे हैं पीएम के संसदीय क्षेत्र के ये युवा दिव्यांग वाराणसी। काम की तलाश में संघर्ष करते दिव्यांग संतोष कुमार ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और दूसरे लोगों का सहारा बन गए। आज वह 20 दिव्यांगों को रोजगार दे रहे हैं। खुद अपाहिज होते हुए भी दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं।
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bikanerlive · 2 years
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मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी योजनाः शिक्षा मंत्री ने 26 दिव्यांगों को प्रदान की स्कूटीदिव्यांगजनों को मिलेगा संबल, बढ़ेगी कार्यक्षमताः डॉ. कल्ला
मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी योजनाः शिक्षा मंत्री ने 26 दिव्यांगों को प्रदान की स्कूटीदिव्यांगजनों को मिलेगा संबल, बढ़ेगी कार्यक्षमताः डॉ. कल्ला
बीकानेर, 8 अगस्त। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने सोमवार को मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी योजना के तहत 26 दिव्यांगों को स्कूटी प्रदान की। इनमें कॉलेज जाने वाले 19 विद्यार्थी और रोजगार स्थल पर आने-जाने वाले 7 दिव्यांग सम्मिलित हैं।इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के संवेदनशील निर्णय के तहत गत वर्ष प्रदेश के दो हजार दिव्यांगजनों को स्कूटी दी गई। इस बार पांच हजार…
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sarkarinukrionline · 3 years
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सरकार ने कुछ प्रतिष्ठानों को दिव्यांगों को नौकरी में आरक्षण देने से छूट दी
सरकार ने कुछ प्रतिष्ठानों को दिव्यांगों को नौकरी में आरक्षण देने से छूट दी
राजपत्र अधिसूचनाओं के अनुसार सरकार ने कुछ प्रतिष्ठानों को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के दायरे से छूट दी है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए रोजगार में आरक्षण प्रदान करता है। बुधवार को जारी इन… Source link
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udaipurviews · 3 years
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नारायण सेवा में कम्प्युटर प्रशिक्षण बैच का समापन
नारायण सेवा में कम्प्युटर प्रशिक्षण बैच का समापन
उदयपुर, 14 जुलाई। नारायण सेवा संस्थान में दिव्यांगों को रोजगार उपलब्ध कराई जाने की दृष्टि से संचालित निःशुल्क रोजगारोन्मुख प्रशिक्षणों में कम्प्युटर शिक्षण के 32वें बैच का समापन हुआ। संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि जीवन में निराशा को कभी ना आने दे, क्योंकि यदि कोई एक द्वार बंद होता है तो प्रभु दूसरे सौ द्वार खोल देता है। संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि अब…
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abhay121996-blog · 4 years
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रेलवे भर्ती 2021: रेलवे में 2500 से ज्यादा भर्तियां, 10वीं के मार्क्स से होगा चयन Divya Sandesh
#Divyasandesh
रेलवे भर्ती 2021: रेलवे में 2500 से ज्यादा भर्तियां, 10वीं के मार्क्स से होगा चयन
डेस्क। सेंट्रल रेलवे, रेलवे रिक्रूटमेंट सेल ने ट्रेड अपरेंटिस की कुल 2532 वैकेंसी निकाली हैं। ये नियुक्तियां अलग-अलग ट्रेड हेतु की जाएंगी। इस भर्ती के तहत मुंबई, भुसावल, पुणे, नागपुर एवं सोलपुर सहित अन्य रीजन के लिए वैकेंसी निकाली हैं। आवेदन की प्रक्रिया 6 फरवरी से प्रारंभ होगी। 
इच्छुक और योग्य उम्मीदवारों को इन पदों हेतु ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अप्रेंटिस की भर्ती में कोई परीक्षा नहीं होगी। ये भर्ती 10वीं कक्षा एवं आईटीआई कोर्स के मार्क्स के आधार पर होगी। इन मार्क्स के आधार पर एक मेरिट तैयार होगी। इसी मेरिट के आधार पर उम्मीदवारों का चयन होगा। इच्छुक उम्मीदवार www.rrccr.com पर जाकर 5 मार्च  तक ऑनलाइन आवेदन कीजिए। 
योग्यता: मान्यता प्राप्त संस्थान या फिर बोर्ड से 10वीं की परीक्षा पास हो और पद से संबंधित ट्रेड में आईटीआई सर्टिफिकेट मिलना चाहिए। 
उम्र सीमा  – न्यूनतम 15 तथा अधिकतम 24 वर्ष से कम होनी चाहिए। आयु की गणना 01.01.2021 से की जाएगी।  – अधिकतम उम्र सीमा में ओबीसी वर्ग हेतु तीन वर्ष, एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवारों हेतु पांच वर्ष और दिव्यांगों को दस वर्ष की छूट प्रदान की जाएगी। 
स्टाइपेंड : नियमानुसार दिया जाएगा।  आवेदन फीस – 100 रुपये
ट्रेनिंग समाप्त होने के पश्चात किसी भी ट्रेनी को किसी भी रोजगार के प्रस्ताव हेतु नियोक्ता बाध्य नहीं होगा और न ही ट्रेनी नियोक्ता के जरिए प्रस्तावित किसी भी रोजगार को स्वीकार करने हेतु बाध्य होगा। 
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sharpbharat · 2 years
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Jamshedpur rural chakulia handicapped : चाकुलिया के दिव्यांगों की बैठक में कई मुद्दों पर हुआ विचार, प्रखंड दिव्यांग मोर्चा ने की अपनी समस्याओं के समाधान की मांग
चाकुलिया : झारखंड दिव्यांग मोर्चा की चाकुलिया प्रखंड कमेटी की एक बैठक गुरुवार को अध्यक्ष गंगा नारायण दास की अध्यक्षता में हुई. बैठक में चाकुलिया प्रखंड के अन्त्योदय राशन कार्डधारियों की जांच करा कर दिव्यांगों को अंत्योदय राशन कार्ड मुहैया कराने, शिक्षित बेरोजगार युवकों को निःशुल्क ई-रिक्शा प्रदान करने, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने, नगर पंचायत द्वारा होल्डिंग टैक्स में वृद्धि वापस लिये जाने एवं…
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getdreamjobonline · 4 years
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Sarkari Naukri: विभिन्न विभागों में 1700 पदों पर भर्ती अधिसूचना जारी, आवेदन प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
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Latest Govt Jobs: जम्मू कश्मीर में तीसरी बार JKSSB ने विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती की अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना 1700 पदों को भरने के लिए जारी की गई है। इसमें जिला, डिवीजन और केंद्र शासित प्रदेश स्तर के पद शामिल किए गए हैं। ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 27 दिसंबर 2020 से शुरू होगी। उम्मीदवार 16 जनवरी 2021 तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल होना जरूरी है।
Click Here For Check Official Notification
रिक्तियों का विवरण ट्रांसपोर्ट विभाग - 144 पद श्रम एवं रोजगार विभाग - 78 पद संस्कृति -79 पद चुनाव विभाग -137 पद जनजाति मामलों के विभाग - 16 पद वित्त विभाग -1,246 पद
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पात्रता उम्मीदवार की आयु के लिए एक जनवरी 2020 आधार तिथि तय की गई है। ओपन मेरिट में सामान्‍य श्रेणी के लिए अधिकतम आयु चालीस साल, अनुसूचित जाति, जनजाति, आरबीए, अंतरराष्‍ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों के निवासियों, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग, पहाड़ी भाषी लोगों और अन्य सामाजिक जनजाति आरक्षित वर्ग के लिए आयु 43 निर्धारित की गई है।
आयु सीमा दिव्यांगों के लिए 42, पूर्व सैनिकों के लिए 48, सरकारी सेवा या कांट्रेक्ट कर्मियों के लिए आयु 40 साल निर्धारित की गई है। विभिन्न विभागों में विभिन्न पद भरे जाने हैं, जिनकी विस्तार से जानकारी विभाग की अधिसूचना में दी गई है।
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केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर में तीसरी बार विभिन्न विभागों में खाली पदों को भरने के लिए आवेदन निकाले गए हैं। इससे पहले करीब दस हजार पद भरने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जम्मू कश्मीर सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था जो विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों को रेफर करवाने का काम कर रही है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/sarkari-naukri-latest-govt-jobs-in-jammu-kashmir-6577954/
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ashokgehlotofficial · 2 years
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मुख्यमंत्री आवास पर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आये जनप्रतिनिधियों और आमजन को संबोधित किया। राजस्थान में लागू जनकल्याणकारी योजनाएं आज पूरे देश में चर्चा का विषय है। बिजली, पानी से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा तक हर क्षेत्र में राज्य मॉडल स्टेट बन कर उभरा है। प्रदेश में जनहित में संचालित योजनाओं के लिए बजट की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओं से हर वर्ग लाभान्वित हो रहा है। उड़ान योजना के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को प्रतिमाह 12 सैनेटरी नैपकिन निःशुल्क दिए जा रहे हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रबंधन बेहतर हुआ है। इंदिरा रसोईयों में आमजन को 8 रूपए में पौष्टिक भोजन परोसा जा रहा है। राज्य सरकार प्रत्येक थाली पर 17 रूपए अनुदान दे रही है। राज्य में 211 नए कॉलेज खोले गए हैं, जिनमें 94 गर्ल्स कॉलेज भी शामिल हैं। विद्यालय में 500 बालिकाओं के नामांकन पर कॉलेज खोलने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।
गत सरकारों द्वारा देश में भोजन, रोजगार, शिक्षा आदि अधिकार कानून बनाकर आमजन को दिए गए हैं। इसी प्रकार केन्द्र सरकार को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार कानून बनाकर देशवासियों को देना चाहिए। प्रदेश में राज्य सरकार एक करोड़ वृद्धजनों, विधवाओं, दिव्यांगों को सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत पेंशन दे रही है, ताकि उनको आर्थिक संबल मिल सके। मानवीय दृष्टिकोण से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की गई है। इससे सरकारी कार्मिकों में अपने भविष्य के प्रति सुरक्षा की भावना आई है। आरजीएचएस के माध्यम से राजकीय कार्मिकों का कैशलेस उपचार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से आमजन को महंगे इलाज की चिंता से मुक्ति मिली है। इस योजना के तहत प्रदेशवासियों के लिए 10 लाख तक का इलाज निःशुल्क कर दिया गया है। लीवर ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, कोक्लियर इम्प्लांट जैसे अंग प्रत्यारोपण वाले उपचारों में 10 लाख की सीमा समाप्त कर दी गई है एवं पूरा खर्चा सरकार वहन कर रही है। आमजन के लिए आईपीडी-ओपीडी उपचार, सभी प्रकार की दवाइयां और महंगी जांचें निःशुल्क कर दी गई हैं। साथ ही, प्रदेशवासियों को 5 लाख का दुर्घटना बीमा भी दिया जा रहा है।
प्रदेशभर से आए प्रतिनिधिमण्डलों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी और उचित समाधान का आश्वासन दिया। इनमें रैगर महासभा अध्यक्ष श्री बीएल नवल, इंटक प्रतिनिधि मण्डल, राजस्थान सेवानिवृत्त पुलिस कल्याण संस्थान, नवविकल्प संस्थान के हरीश भूटानी, माली समाज विकास संस्थान सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि और विभिन्न क्षेत्रों से जुडे़ लोग शामिल थे। इस अवसर पर राजकीय कार्मिकों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रदेश प्रभारी श्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा, पीसीसी अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा, आरटीडीसी चैयरमेन श्री धर्मेन्द्र राठौड़, विधायक श्री अनिल शर्मा, श्री मनोज मेघवाल, विभिन्न जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित थे।
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gujarat-news · 4 years
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400 अपंग बच्चों ने विभिन्न डिजाइनों के लैंप बनाए
400 अपंग बच्चों ने विभिन्न डिजाइनों के लैंप बनाए
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(प्रतिनिधि द्वारा) सूरत, सोमवार
रोशनी का त्योहार दिवाली नजदीक आ रहा है। सूरत दिव्यांग स्कूल के 400 दिव्यांग बच्चों द्वारा अलग-अलग डिजाइन वाले दिव्यांगों को लोगों के घरों में रोशनी फैलाने के लिए बनाया गया है। इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनने के इरादे से बनाया गया है।
21 वीं सदी में, जब विकलांगों को आम लोगों की तरह मेहनत करके रोजगार मिल रहा है, तो सूरत के विकलांग कल्याण ट्रस्ट के…
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bikanerlive · 2 years
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मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी योजनाः शिक्षा मंत्री ने 26 दिव्यांगों को प्रदान की स्कूटीदिव्यांगजनों को मिलेगा संबल, बढ़ेगी कार्यक्षमताः डॉ. कल्ला
मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी योजनाः शिक्षा मंत्री ने 26 दिव्यांगों को प्रदान की स्कूटीदिव्यांगजनों को मिलेगा संबल, बढ़ेगी कार्यक्षमताः डॉ. कल्ला
बीकानेर, 8 अगस्त। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने सोमवार को मुख्यमंत्री दिव्यांग स्कूटी योजना के तहत 26 दिव्यांगों को स्कूटी प्रदान की। इनमें कॉलेज जाने वाले 19 विद्यार्थी और रोजगार स्थल पर आने-जाने वाले 7 दिव्यांग सम्मिलित हैं।इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के संवेदनशील निर्णय के तहत गत वर्ष प्रदेश के दो हजार दिव्यांगजनों को स्कूटी दी गई। इस बार पांच हजार…
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vsplusonline · 5 years
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खुशखबरी! फ्रांस की ये कंपनी भारत में देगी 30 हजार लोगों को नौकरी
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खुशखबरी! फ्रांस की ये कंपनी भारत में देगी 30 हजार लोगों को नौकरी
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30 हजार लोगों को नौकरी देगी फ्रांस की कंपनी
फ्रांस की प्रौद्योगिकी कंपनी कैपजेमिनी इस साल भारत में 30,000 कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी. भारत में अभी कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 1,15,000 है. कंपनी ने कहा कि वह भारत में अपनी उपस्थिति का और फायदा उठाना चाहती है.
नई दिल्ली. फ्रांस की प्रौद्योगिकी कंपनी कैपजेमिनी इस साल भारत में 30,000 कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी. भारत में अभी कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 1,15,000 है. कंपनी ने कहा कि वह भारत में अपनी उपस्थिति का और फायदा उठाना चाहती है. कंपनी के भारत में मुख्य कार्यकारी अश्विन यार्डी ने कहा कि ये नियुक्तियां बिल्कुल नए लोगों, अनुभवी पेशवरों और बीच के पदों सहित विभिन्न स्तर पर होंगी.
कंपनी के वैश्विक स्तर पर कर्मचारियों की कुल संख्या में आधे भारत में कार्यरत हैं. यार्डी ने कहा, ‘‘भारत हमारे कारोबार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस साल हम कुल मिलाकर 25,000 से 30,000 कर्मचारियों की भर्ती करेंगे.’’
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उन्होंने कहा कि अभी कंपनी अपने कर्मचारियों को भविष्य की प्रौद्योगिकी के अनुकूल कौशल प्रदान करने पर ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा कि अब यह सतत प्रक्रया बन चुकी है. यार्डी ने कहा कि 30 साल के कम के युवा सीखने को काफी इच्छुक रहते हैं. कंपनी के श्रमबल में इनकी संख्या 65 प्रतिशत है. उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी 10 से 15 साल का अनुभव रखने वाले मध्यम स्तर के प्रबंधकों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही है.दिव्यांगों को जॉब के लिए ट्रेनिंग देगी माइक्रोसॉफ्ट बता दें कि सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft) ने दिव्यांगों को रोजगार परक कार्यक्रमों की ट्रेनिंग देने का ऐलान किया है. माक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के साथ मिलकर दिव्यांगों को प्रशिक्षित करने का फैसला किया है. इससे कि दिव्यांगों को बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र में रोजगार दिया जा सके. एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने इसके बारे में मीडिया को जानकारी दी है. इस समझौते के तहत पहले साल में 500 से अधिक दिव्यांगों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
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First published: March 1, 2020, 2:41 PM IST
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chaitanyabharatnews · 5 years
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मन की बात: पीएम मोदी ने कहा- 'हुनर हाट में दिखी देश की परंपराएं और कला' सुनाई 'सलमान' की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया। आज मन की बात कार्यक्रम का 62वां अंक है। मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हुनर हाट, अंतरिक्ष और कॉप कन्वेंशन का जिक्र किया। यहां देखें मन की बात कार्यक्रम के मुख्य बिंदु- (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); हुनर हाट की तारीफ की कुछ दिनों पहले, मैंने दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी-सी जगह में हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किए। हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। पिछले तीन वर्षों में हुनर हाट के माध्यम से तीन लाख कारीगरों, शिल्पकारों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। हुनर हाट कला के प्रदर्शन के लिए बेहतरीन मंच है। यह मंच लोगों के सपनों को पंख दे रहा है। यहां देश की विविधता को अनदेखा करना असंभव है। शिल्पकला तो है ही, साथ ही हमारे खाने-पीने की विविधता भी है। युवाओं को किया संबोधित इन दिनों हमारे देश के बच्चों और युवाओं में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है। अंतरिक्ष में रिकॉर्ड सैटेलाइट का प्रक्षेपण, नए-नए रिकॉर्ड, नए-नए मिशन हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं। बच्चों के, युवाओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए उनमें साइंटिफिक टैंपर को बढ़ाने के लिए एक और व्यवस्था शुरु की गई है। अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले रॉकेट लॉंचिंग को सामने बैठकर देख सकते हैं।हाल ही में इसे सबके लिए खोल दिया गया है। जिंदगी में होना चाहिए एडवेंचर आने वाले महीने तो एडवेंटर स्पोर्ट्स के लिए बहुत उपयुक्त हैं। भारत का भौगोलिक परिवेश ऐसा है, जो हमारे देश में एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए ढेरों अवसर प्रदान करता है। एक तरफ जहां ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं तो दूसरी तरफ दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान है। जहां घने जंगलों का बसेरा है, वहीं समुद्र का असीम विस्तार है। इसलिए मेरा आप सबसे विशेष आग्रह है कि आप भी अपनी पसंदीदा जगह, अपनी रुचि की एक्टिविटी चुनें, अपने जीवन को एडवेंचर के साथ जरूर जोड़ें, जिंदगी में एडवेंचर तो होना ही चाहिए न। प्रवासी पक्षियों का जिक्र भारत के वातावरण का आतिथ्य लेने के लिए दुनिया भर से अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी भी हर साल यहां आते हैं, गर्व की बात है कि 3 सालों तक भारत COP convention की अध्यक्षता करेगा , इस अवसर को कैसे उपयोगी बनायें, इसके लिए आप अपने सुझाव जरुर भेजें। सुनाई 'सलमान' की कहानी हाल ही में मैने मीडिया में एक ऐसी कहानी पढ़ी जिसे में आपसे जरूर साझा करना चाहता हूं। ये कहानी मुरादाबाद के हमीरपुर गांव में रहने वाले सलमान की। सलमान जन्म से ही दिव्यांग हैं। उनके पैर, उनका साथ नहीं देते हैं। इस कठिनाई के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी, खुद ही अपना काम शुरू करने का फैसला किया। साथ ही ये भी निश्चय किया कि अब वो अपने जैसे दिव्यांग साथियों की मदद करेंगे। फिर क्या था, सलमान ने अपने गांव में चप्पल और डिटर्जेंट बनाने का काम शुरू कर दिया। देखते ही देखते उनके साथ 30 दिव्यांग साथी जुड़ गए। आप भी ये गौर करिए कि सलमान खुद से चलने में दिक्कत थी लेकिन उन्होंने दूसरों का चलना आसान करने वाली चप्पल बना दी। सलमान ने सभी दिव्यांगों को ट्रेनिंग दी। सलमान ने 100 और दिव्यांगों को रोजगार देने का संकल्प लिया है। सुनाई पूर्णिया की महिलाओं की कहानी बिहार के पूर्णिया की कहानी देश के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है। विषम परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना। पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून तैयार करती थीं। जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था। आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल कर के रख दी। इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से मलबरी-उत्पादन समूह बनाए। इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किये फिर उन धागों से खुद ही साड़ियां बनवाना शुरू कर दिया जो अब हजारों रुपयों में बिक रही हैं। 105 वर्षीय भागीरथी अम्मा की कहानी अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए। हमारी 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा, हमें यही प्रेरणा देती है। 10 साल से कम उम्र में उन्हें अपना स्कूल छोड़ना पड़ा था।105 साल की उम्र में उन्होंने फिर स्कूल शुरू किया, पढाई शुरू की। इतनी उम्र होने के बावजूद उन्होंने level-4 की परीक्षा दी और 75% अंक प्राप्त किए। 12 साल की काम्या कार्तिकेयन का जिक्र पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश की महिलाओं, हमारी बेटियों की उद्यमशीलता, उनका साहस , हर किसी के लिए गर्व की बात है। अपने आस पास हमें अनेकों ऐसे उदाहरण मिलते हैं। जिनसे पता चलता है कि बेटियां किस तरह पुरानी बंदिशों को तोड़ रही है। नई ऊंचाई प्राप्त कर रही हैं। मैं आपके साथ 12 वर्ष की बेटी काम्या कार्तिकेयन की उपलब्धि की चर्चा जरूर कर���ा चाहूंगा। काम्या ने सिर्फ 12 साल की उम्र में माउंट एकॉनकागुआ को फतह करने का कारनामा कर दिखाया। ये दक्षिण अमेरिका में ANDES पर्वत की सबसे ऊंची चोटी है। जो करीब 7,000 मीटर ऊंची है। अब रॉकेट लॉन्चिंग कोई भी देख सकता है इन दिनों युवाओं में वैज्ञानिक गतिविधियों के प्रति रुचि बढ़ रही है। चंद्रयान-2 मिशन के तहत यह उत्साह मैंने बच्चों के बीच देखा था। अब आप श्रीहरिकोटा में रॉकेट लॉन्चिंग को आसानी से देख सकते हैं। इसके लिए विजिटर गैलरी बनाई गई है। सभी स्कूलों के प्राचार्यों से आग्रह करता हूं कि वे बच्चों को एक बार श्रीहरिकोटा में लॉन्चिंग जरूर दिखाएं। युविका की वेबसाइट www.yuvika.isro.gov।in पर जाकर कोई भी रजिस्ट्रेशन करा सकता है। यहां जाकर इसरो के कामकाज को करीब से देख सकता है। LIVE: PM Shri @narendramodi's #MannKiBaat with the nation. https://t.co/H5xmuqCHJ0 — BJP (@BJP4India) February 23, 2020 ये भी पढ़े... मन की बात: पीएम मोदी ने कहा- आज का पीढ़ी बेहद तेज-तर्रार, इन्हें परिवारवाद और जातिवाद पसंद नहीं पीएम मोदी मन की बात: स्वस्थ रहने के लिए बच्चे पसीना बहाएं, अयोध्या पर फैसला मील का पत्थर साबित हुआ मन की बात में पीएम मोदी ने नवरात्र व त्योहारों की बधाई के साथ इन मुद्दों पर रखी राय Read the full article
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getdreamjobonline · 5 years
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53 फीसदी भारतीय कंपनियों में 10 पुरुषों पर 1 महिला कर्मी है
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हाल ही में हुए एक नए शोध से पता चला है कि 53 फीसदी भारतीय फर्म में काम करने वाले कर्मचारियों का अनुपात प्रति 10 पुरुष कर्मचारियों पर 1 महिला कर्मचारी है। यानि देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को आज भी काम पाने के लिए ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है। corporate responsibility watch or कॉरपोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी वॉच (सीआरडब्ल्यू) की ओर से संचालित इस सर्वे में यह खुलासा हुआ कि देश की अधिकतर कंपनियों में लिंगानुपात की खाई बहुत गहरी है। इतना ही नहीं सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि देश की शीर्ष कंपनियों के 70 प्रतिशत कर्मचारियों में दिव्यांग कर्मचारियों का प्रतिशत भी 0से 1 फीसदी से भी कम है। यानि दिव्यांगों को भी नौकरी में बहुत ज्यादा अवसर नहीं मिलते।
300 कंपनियों का सर्वे सीआरडब्ल्यू 14 सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ भारत का एक थिंक टैंक है। यह सिविल सोसायटी पर्सपेक्टिव के दृष्टिकोण से भारत के कॉर्पोरेट वातावरण का विश्लेषण करता है। इसने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टेड भारत की 500 शीर्ष कंपनियों में से 300 का डेटा एकत्र कर उनके कर्मचारियों का विश्लेषण किया। अध्ययन में कहा गया है कि विश्लेषण के तहत 300 कंपनियों में से केवल 39 ने 'लगातार' कंपनी में अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को रोजगार देने की बात की। जबकि अन्य शीर्ष कंपनियों ने दिव्यांगों और महिला कर्मचारियों के खिलाफ अपने पूर्वाग्रह से चौंका दिया।
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88 फीसदी भारतीय महिलाएं नहीं लौटती काम पर
काम के लिए फ्लेक्सीबल टाइम की मांग पर भी गौर करना होगा। क्योंकि इसके अभाव में 88 फीसदी भारतीय महिलाओं ने मातृत्व अवकाश के बाद पूर्णकालिक काम पर वापसी ही नहीं की। जबकि इस दौरान केवल 12फीसदी कंपनियों ने उन्हें फ्लेक्सिबल समय और मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाईं। इस प्रकार यह सर्वेक्षण हमें यह विचारने पर विवश करता है कि देश की आधी आबादी जो अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकती है उसे घर बिठाने पर हम क्यों आमादा हैं?
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बीएसई में लिस्टेड इन शीर्ष भारतीय कंपनियों में से 53 प्रतिशत में प्रत्येक 10 पुरुष कर्मचारियों पर सिर्फ 1 महिला कर्मचारी काम कर रही थी। वहीं 70 फीसदी कंपनियों में 1 फीसदी से भी कम दिव्यांग कर्मचारी कार्यरत थे। 300 कंपनियों में से केवल 39 फीसदी कंपनियों ने ही अपने यहां पिछड़ा वर्ग या आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को रोजगार देने की बात स्वीकारी। इसके अलावाए अध्ययन में यह भी दावा किया गया कि 23,247.90 करोड़ की निर्धारित कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) राशि में से भी कंपनियों ने केवल केवल 57 प्रतिशत राशि ही खर्च की थी। भारत में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिलाओं की रोजगार दर को बढ़ाने की जरुरत है। लेकिन औपचारिक और अनौपचारिक रूप से यह दर 2005 में 35 फीसदी की तुलना में गिरकर अब केवल 26 फीसदी रह गई है।
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from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/53-percent-indian-firms-have-10-1-men-to-women-employee-ratio-5257797/
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