#दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक बढ़ी रफ्तार
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Corona update: फिर डराने लगा कोरोना, दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक बढ़ी रफ्तार, बीते 24 घंटे में 8,582 नये मामले दर्ज
Corona update: फिर डराने लगा कोरोना, दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक बढ़ी रफ्तार, बीते 24 घंटे में 8,582 नये मामले दर्ज
Image Source : FILE PHOTO देशभर में बीते 24 घंटे में कोरोना के 8,582 नये मामले Highlights देश में लगातार बढ़ रही कोरोना मरीजों की संख्या देशभर में बीते 24 घंटे में कोरोना के 8,582 नये मामले दर्ज बीते 24 घंटे में चार मरीजों ने गंवाई जान Corona update: देश में एक बार फिर कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिसको देखते हुए चौथी लहर की आशंका भी जताई जाने लगी है। देश में लगातार तीसरे दिन आठ हजार…
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#582 नये मामले दर्ज#Corona#Corona started scaring again#Corona update#Corona Vaccine In India#Covid -19 India#National Hindi News#speed increased from Delhi to Maharashtra#दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक बढ़ी रफ्तार#फिर डराने लगा कोरोना#बीते 24 घंटे में 8
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योगी आइसोलेट, अखिलेश को भी कोरोना, 7 दिन में 204 प्रतिशत उछाल, यूपी में वायरस का विकराल रूप Divya Sandesh
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योगी आइसोलेट, अखिलेश को भी कोरोना, 7 दिन में 204 प्रतिशत उछाल, यूपी में वायरस का विकराल रूप
लखनऊ उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस (Covid-19 in UP) का संक्रमण विकराल रूप ले चुका है। मंगलवार को यहां एक दिन में 18 हजार 21 नए केस रिपोर्ट हुए, जो प्रदेश में अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। 24 घंटों के दौरान यहां 85 कोविड मरीजों की मौत हो गई। राज्य में इस समय 95 हजार 980 पॉजिटिव केस हैं। हालात यह हैं कि सीएम ऑफिस के कई अधिकारियों के पॉजिटिव होने के बाद मुख्यमंत्री (Yogi Adityanath) ने खुद को आइसोलेट कर लिया है। वहीं पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं, उन्होंने खुद ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी।
यूपी में कोरोना संक्रमण की क्या रफ्तार अगर पूरे देश की बात की जाए तो महाराष्ट्र के बाद कोरोना के रोज बढ़ रहे मामलों में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन कोरोना के कंफर्म हो रहे केसों की संख्या भी पिछले 1 सप्ताह में 204 प्रतिशत तक बढ़ी है। लखनऊ में भी प्रतिदिन के केस में भी सप्ताह भर में 350 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है। रिकवरी रेट के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह मार्च के अंतिम सप्ताह के 98 प्रतिशत से घटकर इस वक्त 85 प्रतिशत रह गया है।
यूपी में कितने ऐक्टिव केस, इतनी मौतें अभी तक प्रदेश में कुल 7 लाख 23 हजार 582 पॉजिटिव केस रिपोर्ट हो चुके हैं। वहीं 9309 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मंगलवार को एक दिन में 18 हजार 21 नए मरीज सामने आए, जबकि 85 लोग कोरोना से लड़ाई में जिंदगी की जंग हार गए। प्रदेश में इस वक्त सक्रिय मरीजों की संख्या 96 हजार के आंकड़े के करीब पहुंच गई है। आज तक 6 लाख 18 हजार 293 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।
यूपी के जिलों में क्या है कोरोना की रफ्तार इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के 23 जिलों मैं सौ से अधिक ऐक्टिव केस थे, जिनमें से 10 में 200 से कम ऐक्टिव केस थे। अब कुल 75 में से 72 जिलों में ऐक्टिव मामले 100 से ऊपर हैं। वहीं 14 जिले ऐसे हैं, जहां ऐक्टिव केस की संख्या 1000 से अधिक हो चुकी है। राजधानी लखनऊ सहित वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर जैसे शहरों में हालात ठीक नहीं है, जहां बड़ी संख्या में कोरोना केस रिपोर्ट हो रहे हैं।
राजधानी लखनऊ में हालात सबसे अधिक खराब हैं। यहां एक दिन में 5 हजार 382 नए केस सामने आए, जबकि 18 लोगों ने दम तोड़ दिया। यहां अब तक 1371 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि ऐक्टिव मरीजों की संख्या 27 हजार 385 है। इसके बाद प्रयागराज सबसे बड़ा हॉटस्पॉट है। यहां 1856 नए मामले सामने आए, जबकि 8 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह कानपुर में 1271 नए केस मिले और 10 लोगों का निधन हो गया। वाराणसी में 1404 नए केस और 3 लोगों की मौत हो गई। गोरखपुर में अभी ऐक्टिव मरीजों की संख्या 2943 है।
देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देने के सरकारी दावों पर भी सवाल उठ गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने ऑफिस के कई अधिकारियों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मंगलवार को खुद को आइसोलेट कर लिया। उन्होंने खुद इस बात की जानकारी दी। सीएम में अधिकारियों के साथ वर्चुअल मीटिंग में कोरोना से जंग के लिए टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र पर जोर दिया।
इलाज मुहैया करा रहे अस्पतालों की क्या है स्थिति राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश की मेडिकल फैसिलिटी भी चरमरा गई है। बेड और टेस्टिंग फैसिलिटी की कमी राज्य के कोविड मैनेजमेंट के लिए चुनौती बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में हालात कैसे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के कानून मंत्री बृजेश पाठक को राजधानी लखनऊ में मेडिकल सुविधाओं की हालत को लेकर पत्र लिखना पड़ा है।
प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में मंत्री पाठक ने लखनऊ में के अस्पतालों में बेड की कमी से लेकर एंबुलेंस की सुविधा पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने पत्र में पद्मश्री विजेता इतिहासकार योगेश प्रवीन की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि एंबुलेंस उपलब्ध होने में 5 से 6 घंटे तक लग जा रहे हैं। जबकि टेस्ट रिपोर्ट भी हफ्ते भर में आ पा रहे हैं।
कोरोना के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्य समस्या कोरोना की बढ़ती रफ्तार के मद्देनजर इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करना है। साथ ही उन्होंने होली, गेहूं की कटाई और पंचायत चुनाव के लिए महाराष्ट्र और दिल्ली जैसी जगहों से लोगों के लौटने को कोरोना की बड़ी रफ्तार के पीछे की मुख्य वजह करार दिया।
प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने 12 जिलों में आरटी पीसीआर टेस्टिंग लैब सुविधा बढ़ाए जाने की जानकारी दी है। वहीं लखनऊ में ही डॉक्टर लाल पैथ लैब और SRL सहित मुख्य पैथोलॉजी चेन्स ने कोरोना सैंपल लेना बंद कर दिया है।
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देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ती जा रही है। सोमवार को करीब सात हजार नए मामले सामने आए और आंकड़ा 1,38,845 तक पहुंच गया। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली में लगातार संक्रमण बढ़ता जा रहा है, इसकी वजह... from Live Hindustan Rss feedhttps://https://ift.tt/3gh6TcJ
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लद्दाख तनाव पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का पीएम मोदी को नसीहत, चीन पर संभलकर बोले
former pm manmohan singh letter on ladakh standoff: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने गलवान घाटी (galwan valley) में भारतीय जवानों की शहादत पर दुख व्यक्त किया है। पूर्व पीएम ने साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) को शब्दों के चयन में सवाधानी बरतने की भी नसीहत दे डाली है।
Edited By Satyakam Abhishek | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 22 Jun 2020, 09:57:00 AM IST
लद्दाख में अब चीन को मिलेगा सख्ती से जवाब
हाइलाइट्स
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का चीन-भारत तनाव पर पत्र
मनमोहन ने पीएम मोदी को शब्दों के चयन की दी नसीहत
पूर्व पीएम ने कहा कि गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों का बलिदान व्यर्थ न जाए
उन्होंने कहा कि यह वक्त चीन के खिलाफ एकजुट होने का है
नई दिल्ली देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि गलवान घाटी में भारत के 20 सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। पूर्व पीएम ने साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है और उन्हें अपने शब्दों के चयन में सावधान होने की नसीहत दे दी। उन्होंने कहा कि इस समय एकजुट होकर हमें चीन के दुस्साहस का जवाब देना चाहिए। बता दें कि ग�� सोमवार की रात लद्दाख के गलवान घाटी में चीन और ��ारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे। पढ़ें, चीन से तनाव, भारत रूस लेगा यह ‘ब्रह्मास्त्र’ जवानों की कुर्बानी व्यर्थ न जाए-मनमोहन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने आज जारी बयान में कहा, ’15-16 जून को गलवान घाटी में भारत के 20 साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी। इन बहादुर सैनिकों ने साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च त्याग के लिए हम इन साहसी सैनिकों और उनके परिवारों के कृतज्ञ हैं। लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।’
महाराष्ट्र सरकार से मिला तीसरा बड़ा झटका
चीन को तीसरा झटका महाराष्ट्र सरकार से मिला है। वहां उद्धव सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ साइन तीन अग्रीमेंट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ये तीन प्रॉजेक्ट करीब 5 हजार करोड़ के थे। इन्हें हाल ही में मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 इंवेस्टर समिट में साइन किया गया था। इस बारे में इंडस्ट्री मिनिस्टर सौरभ देसाई ने बताया कि ये अग्रीमेंट गलवान हिंसा से पहले साइन हुए थे। केंद्र सरकार को इसकी जानकारी दे दी गई है। विदेश मंत्रालय ने फिलहाल चीन के साथ कोई और अग्रीमेंट साइन नहीं करने की सलाह दी है।
साइन प्रॉजेक्टों में पहला ग्रेट वॉल मोटर्स का था। 3,770 करोड़ के इस प्रॉजेक्ट में पुणे के पास ऑटोमोबाइल प्लांट लगना था। दूसरी प्रॉजेक्ट पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी और फोटोन (चाइना) का था। इसमें 1 हजार करोड़ रुपये में यूनिट लगनी थी। तीसरा प्रॉजेक्ट हिंगली इंजिनियरिंग का था। इसमें 250 करोड़ का निवेश था।
गलवान में झड़प के तुरंत बाद रेलवे ने भी चीनी कंपनी का ठेका रद्द किया था। यह प्रॉजेक्ट करीब 417 करोड़ का था। यह चीनी कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजायन इंस्टीट्यूट के पास था। इसमें कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल और दूरसंचार का काम होना था। रेलवे ने कहा कि ठेका काम की स्लो स्पीड की वजह से रद्द किया जा रहा है।
चीन को बॉर्डर पर की गई गुस्ताखी का जवाब सबसे पहले BSNL से ��िला। इसमें भारत सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों से किसी भी चीनी कंपनी के इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल न करने को कहा है। भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के टेंडर को कैंसिल कर दिया गया है। इससे चीन को करीब 3 हजार करोड़ का नुकसान होगा।
भारत पूर्वी लद्दाख में चीन की नापाक हरकत का सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी जवाब देने की पूरी तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इंडस्ट्री से विदेशों खासकर चीन से आने वाले सामान के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। इसका मकसद चीन से आने वाले घटिया सामान का आयात रोकना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
यह भी पढ़ें,नारे से चलेगा काम? दवा के लिए चाहिए चीन
‘शब्दों के चयन में सावधानी की नसीहत’ मनमोहन ने कहा, ‘आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय एवं सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक तथा भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए।’ पढ़ें, जब ‘चुप’ थे दो मंत्री, सर्वदलीय बैठक की कहानी
चीन की वो तीन दुखती रग जिन्हें दबा सकता है भारत
1959 में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद, नेहरू ने फारवर्ड पॉलिसी लागू करने का मन बनाया। सेना को आदेश दिए गए कि चीनी सैनिकों को विवादित जमीन से बेदखल किया जाए। बिना जमीनी हालात का अंदाजा लगाए हुए इस फैसले से भारत को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा। चीन ने हमारे कई इलाकों पर कब्जा कर लिया। भारत ने सैनिकों को गंवाया, वो अलग। आज चीन और भारत, दोनों देशों की सेनाएं कहीं ज्यादा मजबूत और एडवांस्ड हैं मगर 1962 में चीन ने जिन इलाकों में कब्जा किया, वे ऊंचाई वाले इलाके हैं और पहाड़ी इलाकों में नीचे से जंग लड़ना आसान नहीं। इसलिए फुल-फ्लेज्ड वॉर से बचने की सलाह कई रिटायर्ड सैनिक भी दे रहे हैं।
नेहरू और उनके बाद इंदिरा गांधी ने अलग आर्थिक नीति अपनाई। दोनों ने हर चीज भारत में बनाने की कोशिश की। उसका असर ये हुआ कि 1947 से 1980 के बीच देश की GDP सिर्फ 3.5% की दर से बढ़ी। गरीबी कम नहीं हुई जबकि आबादी लगभग दोगुनी हो चुकी थी। बाद में नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों ने ग्लोबल ट्रेड और इनवेस्टमेंट के दरवाजे खोले। फिर GDP की रफ्तार 9% से ज्यादा हो गई। नेहरू विदेशी निवेश से कतराते रहे।
पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर’ अभियान का मकसद सिर्फ स्वदेशी को बढ़ावा देना ही नहीं, ग्लोबल वैल्यू चेन्स में आगे रहना भी है। मोदी को विदेशी निवेश चाहिए। वह विदेशी निवेशकों को टैक्स में छूट, सस्ती जमीन और इन्फ्रास्ट्रक्चर के वादे करते हैं। सैमसंग और नोकिया भारत में बड़ी फैक्ट्रियां लगा चुके हैं। दुनिया की हर बड़ी ऑटो कंपनी भारत में मौजूद है। ग्लोबल इकनॉमी के साथ भारत के जुड़ाव ने उसे आर्थिक प्रगति में मदद की है।
भारत में चीनी उत्पादों के बायकॉट की मुहिम चलाई जा सकती है। नागरिक चीनी सामान खरीदना बंद कर सकते हैं मगर भारत आधिकारिक रूप से ऐसा करने से बचेगा। क्योंकि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में चीन और भारत दोनों शामिल हैं। ग्रुप के किसी सदस्य को बाकी सभी सदस्यों के बराबर टैरिफ ही ऑफर करना होता है। इसी नियम के चलते भारत को भी टैरिफ्स में रियायत मिलती है।
परचेजिंग पावर के हिसाब से देखें तो चीन सबसे बड़ी इकनॉमी है। वह दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। फॉरेन इनवेस्टमेंट में उसकी सरप्लस सेविंग्स सबसे ज्यादा हैं। टेलिकॉम, सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक रिक्शा और स्टोरेज बैट्रीज में वह वर्ल्ड लीडर है। भारत नैशनल सिक्योरिटी से जुड़े एरियाज में इम्पोर्ट और FDI पर लिमिट लगा सकता है। साउथ चाइना सी को लेकर ASEAN देशों ने चीन के बायकॉट की नहीं, मजबूत सहयोगी बनाने की रणनीति अपनाई है। भारत को भी यही करना चाहिए। चीन पर काबू करने के लिए उसे डिप्लोमेटिक संबंधों को धार देनी चाहिए। अमेरिका की चीन पर पकड़ इसीलिए है क्योकि दोनों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर निर्भर हैं। अमेरिका ZTE और Huawei ज��सी कंपनियों को कभी भी तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में भारत की कोशिश चीनी कंपनियों पर लेवरेज बढ़ाने की होनी चाहिए और मिलिट्री से ज्यादा डिप्लोमेसी से जवाब देने की कोशिश हो। नेहरू इन्हीं दो मोर्चों पर फेल हुए थे, पीएम मोदी को वे गलतियां दोहराने से बचना चाहिए।
‘सहमति से काम करें प्रधानमंत्री’ पूर्व पीएम ने कहा, ‘चीन ने अप्रैल, 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान घाटी और पैंगोंग शो लेक में अनेकों बार जबरन घुसपैठ की है। हम न तो उनकी धमकियों एवं दबाव के सामने झुकेंगे और न ही अपनी अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने एवं स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें।’
बदले एलएसी के नियम, सेना को ‘पूरी आजादी’
चीन के खिलाफ एकजुट होने का समय-मनमोहन पूर्व पीएम ने कहा कि यह समय एकजुट होने का है। उन्होंने कहा, ‘ यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और संगठित होकर चीनी दुस्साहस का जवाब देना है। हम सरकार को आगाह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता। पिछलग्गू सहयोगियों के प्रचारित झूठ के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता।’
चुनौतियों का सामना करने का वक्त मनमोहन ने पीएम मोदी से चुनौतियों का सामना करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वो वक्त की चुनौतियों का सामना करें, और कर्नल बी. संतोष बाबू एवं हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ था‘अखंडता’ के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।’
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
Web Title ladakh standoff former pm manmohan singh says the pm must be mindful of implications of his words(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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योगी आइसोलेट, अखिलेश को भी कोरोना, 7 दिन में 204 प्रतिशत उछाल, यूपी में वायरस का विकराल रूप Divya Sandesh
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योगी आइसोलेट, अखिलेश को भी कोरोना, 7 दिन में 204 प्रतिशत उछाल, यूपी में वायरस का विकराल रूप
लखनऊ उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस (Covid-19 in UP) का संक्रमण विकराल रूप ले चुका है। मंगलवार को यहां एक दिन में 18 हजार 21 नए केस रिपोर्ट हुए, जो प्रदेश में अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। 24 घंटों के दौरान यहां 85 कोविड मरीजों की मौत हो गई। राज्य में इस समय 95 हजार 980 पॉजिटिव केस हैं। हालात यह हैं कि सीएम ऑफिस के कई अधिकारियों के पॉजिटिव होने के बाद मुख्यमंत्री (Yogi Adityanath) ने खुद को आइसोलेट कर लिया है। वहीं पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं, उन्होंने खुद ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी।
यूपी में कोरोना संक्रमण की क्या रफ्तार अगर पूरे देश की बात की जाए तो महाराष्ट्र के बाद कोरोना के रोज बढ़ रहे मामलों में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन कोरोना के कंफर्म हो रहे केसों की संख्या भी पिछले 1 सप्ताह में 204 प्रतिशत तक बढ़ी है। लखनऊ में भी प्रतिदिन के केस में भी सप्ताह भर में 350 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है। रिकवरी रेट के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह मार्च के अंतिम सप्ताह के 98 प्रतिशत से घटकर इस वक्त 85 प्रतिशत रह गया है।
यूपी में कितने ऐक्टिव केस, इतनी मौतें अभी तक प्रदेश में कुल 7 लाख 23 हजार 582 पॉजिटिव केस रिपोर्ट हो चुके हैं। वहीं 9309 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मंगलवार को एक दिन में 18 हजार 21 नए मरीज सामने आए, जबकि 85 लोग कोरोना से लड़ाई में जिंदगी की जंग हार गए। प्रदेश में इस वक्त सक्रिय मरीजों की संख्या 96 हजार के आंकड़े के करीब पहुंच गई है। आज तक 6 लाख 18 हजार 293 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।
यूपी के जिलों में क्या है कोरोना की रफ्तार इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के 23 जिलों मैं सौ से अधिक ऐक्टिव केस थे, जिनमें से 10 में 200 से कम ऐक्टिव केस थे। अब कुल 75 में से 72 जिलों में ऐक्टिव मामले 100 से ऊपर हैं। वहीं 14 जिले ऐसे हैं, जहां ऐक्टिव केस की संख्या 1000 से अधिक हो चुकी है। राजधानी लखनऊ सहित वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर जैसे शहरों में हालात ठीक नहीं है, जहां बड़ी संख्या में कोरोना केस रिपोर्ट हो रहे हैं।
राजधानी लखनऊ में हालात सबसे अधिक खराब हैं। यहां एक दिन में 5 हजार 382 नए केस सामने आए, जबकि 18 लोगों ने दम तोड़ दिया। यहां अब तक 1371 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि ऐक्टिव मरीजों की संख्या 27 हजार 385 है। इसके बाद प्रयागराज सबसे बड़ा हॉटस्पॉट है। यहां 1856 नए मामले सामने आए, जबकि 8 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह कानपुर में 1271 नए केस मिले और 10 लोगों का निधन हो गया। वाराणसी में 1404 नए केस और 3 लोगों की मौत हो गई। गोरखपुर में अभी ऐक्टिव मरीजों की संख्या 2943 है।
देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देने के सरकारी दावों पर भी सवाल उठ गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने ऑफिस के कई अधिकारियों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मंगलवार को खुद को आइसोलेट कर लिया। उन्होंने खुद इस बात की जानकारी दी। सीएम में अधिकारियों के साथ वर्चुअल मीटिंग में कोरोना से जंग के लिए टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र पर जोर दिया।
इलाज मुहैया करा रहे अस्पतालों की क्या है स्थिति राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश की मेडिकल फैसिलिटी भी चरमरा गई है। बेड और टेस्टिंग फैसिलिटी की कमी राज्य के कोविड मैनेजमेंट के लिए चुनौती बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में हालात कैसे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के कानून मंत्री बृजेश पाठक को राजधानी लखनऊ में मेडिकल सुविधाओं की हालत को लेकर पत्र लिखना पड़ा है।
प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में मंत्री पाठक ने लखनऊ में के अस्पतालों में बेड की कमी से लेकर एंबुलेंस की सुविधा पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने पत्र में पद्मश्री विजेता इतिहासकार योगेश प्रवीन की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि एंबुलेंस उपलब्ध होने में 5 से 6 घंटे तक लग जा रहे हैं। जबकि टेस्ट रिपोर्ट भी हफ्ते भर में आ पा रहे हैं।
कोरोना के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्य समस्या कोरोना की बढ़ती रफ्तार के मद्देनजर इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करना है। साथ ही उन्होंने होली, गेहूं की कटाई और पंचायत चुनाव के लिए महाराष्ट्र और दिल्ली जैसी जगहों से लोगों के लौटने को कोरोना की बड़ी रफ्तार के पीछे की मुख्य वजह करार दिया।
प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने 12 जिलों में आरटी पीसीआर टेस्टिंग लैब सुविधा बढ़ाए जाने की जानकारी दी है। वहीं लखनऊ में ही डॉक्टर लाल पैथ लैब और SRL सहित मुख्य पैथोलॉजी चेन्स ने कोरोना सैंपल लेना बंद कर दिया है।
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4 दिन में एक लाख को हो गया कोरोना, पर इस बार सबसे बड़ी राहत दे रही यह एक बात Divya Sandesh
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4 दिन में एक लाख को हो गया कोरोना, पर इस बार सबसे बड़ी राहत दे रही यह एक बात
नई दिल्ली देश में कोरोना की दूसरी लहर पहले के तुलना में अधिक संक्रामक नजर आ रही है। हालांकि, इस बार मृत्यु दर पहले के मुकाबले कम है। गुरुवार को कोरोना संक्रमण के 81, 456 नए मामले सामने आए। यह पिछले साल 1 अक्टूबर के बाद सबसे अधिक मामले हैं। पिछले साल एक अक्टूबर को 84176 नए मामले सामने आए थे। टाइम्स ऑफ इंडिया के एनालिसिस में 23 बड़े राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैलने के पहले चरण के साथ दूसरी लहर की तुलना की गई। इसके अंतर्गत नए मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है।
पिछले साल पीक पर था पहला स्टेज मामलों की वृद्धि दर के आधार पर, महामारी को दो व्यापक स्टेज में बांटा जा सकता है। शुरुआती स्टेज- जो पिछले साल जनवरी में शुर�� हुई थी। यह चरण पिछले साल ही सितंबर के आसपास पीक पर था। इस साल फरवरी के बीच तक ठंडा हो गया था। इस साल फरवरी के बाद शुरू हुआ लेटेस्ट स्टेज अधिकांश राज्यों (महाराष्ट्र और पंजाब को छोड़कर) में संक्रमण फिर से बढ़ रहा है। बेशक, वृद्धि घटे हुए कर्ब और बढ़ती हुई शिथिलता के कारण भी हो सकती है। फिर भी, आंकड़े बताते हैं कि पांच राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों – महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ में – दूसरी लहर पूरी तेजी पर है। इसने पहले चरण में आए मामलों को भी पार कर दिया है।
केस बढ़े लेकिन मृत्यु दर में कमी डेली केस में वृद्धि के अलावा, इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महामारी के जारी स्टेज में मृत्यु दर में नाटकीय रूप से कमी देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र में केस फैटालिटी रेट (CFR) में 75%, पंजाब में 41%, गुजरात में 83%, मध्य प्रदेश में 72% और चंडीगढ़ के लिए 65% की कमी आई है। दिल्ली के होली फैमिली अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख डॉ. सुमित रे ने कहा, “ऐसा लगता है कि वायरस अधिक संक्रामक और कम घातक है, क्योंकि देशभर में ओवरऑल मृत्यु दर पहले की तुलना में लगभग एक तिहाई रह गई है।
कम मृत्यु दर की वजह युवाओं में अधिक संक्रमण डॉ. सुमित रे के अनुसार मौजूदा लहर में कम मृत्यु दर की वजह युवाओं में संक्रमण का अधिक होना बताया जा रहा है। संभव है कि देश में बड़ी संख्या में बुजुर्गों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है। वहीं, युवा कोरोना नियमों को अधिक तवज्जों नहीं देते हुए खुलेआम अधिक घूमफिर रहे हैं। ऐसे में उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ गई है।
कुल मौतों में 88 फीसदी 45 साल से अधिक वाले कोरोना की वजह से देश में 60 साल से अधिक उम्र वालों लोगों की मौत का खतरा अभी भी अधिक है। कोरोना से मरने वालों में 55 फीसदी लोग 60 साल से अधिक उम्र के लोग हैं। जबकि इस उम्र के लोगों को कोरोना पॉजिटिव होने की दर 14 फीसदी है। 45 से 60 साल की उम्र के बीच मरने वालों भी करीब 33 फीसदी लोग हैं।
महाराष्ट्र में पिछले 5 महीने में 88 फीसदी केस महाराष्ट्र की बात करें तो इस राज्य में मार्च महीने में कोविड-19 के 6,51,513 मामले आए। ये पिछले पांच महीने में आए कुल मामलों का 88.23 प्रतिशत हैं। पिछले साल राज्य में 1 अक्टूबर और 28 फरवरी 2021 के बीच कोरोना वायरस के 7,38,377 मामले सामने आए। इससे पता लगता है कि बीते महीनों की तुलना में मार्च 2021 में संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है।
15 से 20 अप्रैल तक दूसरी लहर का पीक कोविड-19 के मैथमैटिकल मॉल पर काम करने वाले साइंटिस्टों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर का पीएक 15 से 20 अप्रैल से ��ीच में होने का अनुमान है। कोरोना के इस लहर में पीक में रोजाना 80 से 90 हजार नए मामले सामने आ सकते हैं। देश में एक्टिव केसों की संख्या पिछले साल सितंबर के बराबर हो सकती है। पिछले साल सितंबर में देश में एक्टिव रोगियों की संख्या करीब 10 लाख पहुंच गई थी।
लोग नहीं अपना रहे कोविड प्रोटोकॉल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसकी मुख्य वजह यह है कि कोविड-19 से बचाव के लिए लोग सही व्यवहार नहीं अपना रहे। कई लोगों ने उचित दूरी के नियमों का पालन नहीं किया और मास्क भी नहीं लगाए, जिससे संक्रमण के मामले बढ़े हैं। स्टेट कोविड-19 टास्कफोर्स के एक मेंबर ने कहा कि हमने देखा है कि लोग एक से तीन सप्ताह तक कोविड-19 के संबंध में उचित व्यवहार अपनाते हैं और इसके बाद ढिलाई बरतने लगते हैं।
नए मामलों में 80 फीसदी केस यूरोप, अमेरिका से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 महामारी को लेकर दिए गए अपने साप्ताहिक अपडेट में कहा है कि लगातार 5 हफ्तों से कोविड मामले बढ़ रहे हैं। इसमें पिछले हफ्ते तो संक्रमण के 38 लाख से ज्यादा नए मामले आए। दुनिया के सभी हिस्सों चाहे वह दक्षिण पूर्व एशिया हो, पश्चिमी प्रशांत हो या अफ्रीका हो, नए मामले बढ़े हैं। वहीं 80 प्रतिशत मामले यूरोप और अमेरिका के हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि नया और अधिक संक्रामक कोविड-19 वेरियंट मामलों में बढ़ोतरी के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार हो सकता है क्योंकि कई देशों में ये वेरियंट मिले हैं।
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कोरोना की रफ्तार से देश की जीडीपी को खतरा Divya Sandesh
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कोरोना की रफ्तार से देश की जीडीपी को खतरा
नई दिल्ली। भारत में कोरोना की बढ़ रही दूसरी लहर से देश की जीडीपी ग्रोथ पर खतरा मंडराने लगा है। 2021 के जनवरी और फरवरी में देश के ज्यादातर बाजारों में ग्राहकों की संख्या बढ़ी थी। साथ ही अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक सकारात्मक दिशा में बढ़ने लगे थे। व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आई थी। कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के कारण जिस तरह से नाइट कर्फ्यू, आंशिक लॉकडाउन और पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई जा रही हैं, उससे भारत की जीडीपी रिकवरी की संभावना पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है।
इंटरनेशनल एजेंसी ब्लूमबर्ग की ओर से कराई गई एक स्टडी का कहना है कि देश की कारोबारी गतिविधियां रफ्तार पकड़ने के बाद एक बार फिर धीमी पड़ने लगी हैं। मार्च से पहले के 5 महीनों में यानी अक्टूबर 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक देश की कारोबारी गतिविधियों में एक समान स्तर की रफ्तार देखी गई थी। इसी तरह इकोनॉमी फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर के मामले में भी देश की अर्थव्यवस्था पिछले 8 महीने के दौरान यानी जुलाई 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक मजबूत स्थिति में आने लगी थी। लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर के कारण कारोबारी गतिविधियों और बाजार की मांग में तेज उतार-चढ़ाव नजर आता है।
सीनियर इकोनॉमिस्ट डॉक्टर केसी बसु का कहना है कि देश की तिमाही विकास दर के आंकड़ों से भी इस बात का साफ पता चलता है कि लॉकडाउन के बाद विकास दर में आई तेज गिरावट और मंदी की बाधा को पार कर भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का दौर शुरू हो गया था। विकास दर भी इकोनॉमी की रिकवरी के साथ-साथ धीरे-धीरे ही सही, लेकिन आगे बढ़ने लगी थी। लेकिन मार्च महीने के आखिरी दो हफ्तों की अगर बात करें, तो अर्थव्यवस्था की चाल एक बार फिर विपरीत दिशा में बढ़ने लगी है।
इस महीने के आखिरी 2 हफ्तों में कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है। कोरोना से बचने के लिए कई इलाकों में स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं, जिसके कारण घरेलू बाजार के ग्राहकों में डर का माहौल बनने लगा है। डॉक्टर बसु के मुताबिक भारत की जीडीपी में घरेलू बाजार की खपत की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। ऐसे में अगर ग्राहकों में डर का माहौल बना और घरेलू खपत में कमी आई, तो उसका सीधा असर विकास दर पर भी पड़ेगा।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर महाराष्ट्र की कारोबारी गतिविधि का काफी असर पड़ता है। देश में अर्थव्यवस्था की गतिविधियों के लिहाज से भी महाराष्ट्र अग्रणी राज्यों में से एक है। लेकिन कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र पर ही पड़ रहा है। कोरोना के बढ़ते असर के कारण महाराष्ट्र में आर्थिक गतिविधियां एक बार फिर ठप होने के कगार पर पहुंच गई हैं। देश की जीडीपी में महाराष्ट्र के हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है। ऐसे में महाराष्ट्र में आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से स्वाभाविक तौर पर देश की अर्थव्यवस्था भी चोटिल होगी।
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जानकारों का कहना है कि आगे चलकर महाराष्ट्र के हालात अगर और बिगड़े, तो अर्थव्यवस्था में स्पष्ट कमजोरी दर्ज की जा सकती है। इसी तरह गुजरात, कर्नाटक, पंजाब जैसे राज्यों में कोरोना संकट कायम रहा तो विकास दर एक बार फिर निगेटिव ग्रोथ दिखाना शुरू कर सकती है।
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कोरोना : देश के आठ राज्यों ने बढ़ा दी टेंशन, जानें दिल्ली में कोरोना ने कैसे पकड़ी रफ्तार Divya Sandesh
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कोरोना : देश के आठ राज्यों ने बढ़ा दी टेंशन, जानें दिल्ली में कोरोना ने कैसे पकड़ी रफ्तार
नई दिल्लीदेश में कोरोना की दूसरी रफ्तार में नए मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा पिछले 24 घंटे में 43 हजार को पार कर गया है। वहीं, पिछले 24 घंटे में 196 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश के आठ राज्यों में रोजाना कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं जबकि केरल में कोरोना के केस अब कम हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश के कुल मामलों में 76.22% हिस्सा महाराष्ट्र, केरल और पंजाब का है। अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा 62% है। महाराष्ट्र में पुणे, नागपुर, मुंबई, ठाणे और नासिक पांच ऐसे जिले हैं जहां सबसे ज्यादा कोरोना केस हैं। Coronavirus Latest News Today : स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश के कुल मामलों में 76.22% हिस्सा महाराष्ट्र, केरल और पंजाब का है। अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा 62% है। महाराष्ट्र में पुणे, नागपुर, मुंबई, ठाणे और नासिक पांच ऐसे जिले हैं जहां सबसे ज्यादा कोरोना केस हैंनई दिल्लीदेश में कोरोना की दूसरी रफ्तार में नए मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा पिछले 24 घंटे में 43 हजार को पार कर गया है। वहीं, पिछले 24 घंटे में 196 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश के आठ राज्यों में रोजाना कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं जबकि केरल में कोरोना के केस अब कम हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश के कुल मामलों में 76.22% हिस्सा महाराष्ट्र, केरल और पंजाब का है। अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा 62% है। महाराष्ट्र में पुणे, नागपुर, मुंबई, ठाणे और नासिक पांच ऐसे जिले हैं जहां सबसे ज्यादा कोरोना केस हैं। दिल्ली : एक दिन में कोरोना के मामले 800 के पारदिल्ली में एक बार फिर से कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली है। बीते शुक्रवार को जहां एक दिन में 716 केस आए थे, वहीं शनिवार को यह संख्या 800 के पार होकर 813 हो गई। 2021 में पहली बार दिल्ली में एक दिन में कोरोना के 800 से अधिक मरीजों की पुष्टि हुई है। इससे पहले पिछले साल 22 दिसंबर को एक दिन में 939 केस आए थे और 21 दिसंबर को 803 केसों की पुष्टि हुई थी।इस सप्ताह ऐसे बढ़ी नए मामलों की संख्यादिल्ली में इस सप्ताह कोरोना के मामलों की संख्या लगातार बढ़ी है।सोमवार- 368मंगलवार-425बुधवार-536गुरुवार-607शुक्रवार- 716शनिवार- 813दिल्ली : पॉजिटिव���टी रेट दो महीने बाद एक परसे��ट के पारराजधानी के लिए चिंता की बात यह है कि संक्रमण दर भी हर रोज बढ़ रही है। काफी दिनों तक आधे पर्सेंट से भी कम चल रही संक्रमण दर अब एक फीसदी से ज्यादा हो गई है। शनिवार को जारी किए गए हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक 75888 टेस्ट हुए, 813 पॉजिटिव मामले आए और संक्रमण दर बढ़कर 1.07 फीसदी हो गई है। यह दो महीने में सबसे अधिक है।प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन लगाने की रफ्तार धीमीभारत में कोरोना वैक्सीनेशन कैंपेन प्राइवेट अस्पताल के सुस्त रवैये के कारण धीमा चल रहा है। वैक्सीनेशन कैंपेन में प्राइवेट अस्पतालों की हिस्सेदारी महज 10 से 15 परसेंट ही है। 16 जनवरी से वैक्सीनेशन कैंपेन शुरू होने के बाद से अब तक 7.26 लाख से अधिक वैक्सीनेशन सेशन हो चुके हैं। शनिवार शाम तक देशभर में 4.36 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। वर्तमान में करीब 50 हजार अस्पतालों में वैक्सीन लगाई जा रही है।विदेश से मुंबई आने वालों के लिए 14 दिन रहना होगा क्वांरटीनमुंबई में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर बीएमसी ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार यूके, यूरोप, मिडिल ईस्ट, साउथ अफ्रीका से आने वाले यात्रियों को 14 दिन क्वारंटीन रहना अनिवार्य होगा। इसमें 7 दिन इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन और 7 दिन होम क्वारंटीन शामिल है। हालांकि, 65 साल से अधिक उम्र वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन से छूट दी गई है।
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लद्दाख तनाव पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का पीएम मोदी को नसीहत, चीन पर संभलकर बोले
former pm manmohan singh letter on ladakh standoff: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने गलवान घाटी (galwan valley) में भारतीय जवानों की शहादत पर दुख व्यक्त किया है। पूर्व पीएम ने साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) को शब्दों के चयन में सवाधानी बरतने की भी नस���हत दे डाली है।
Edited By Satyakam Abhishek | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 22 Jun 2020, 09:57:00 AM IST
लद्दाख में अब चीन को मिलेगा सख्ती से जवाब
हाइलाइट्स
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का चीन-भारत तनाव पर पत्र
मनमोहन ने पीएम मोदी को शब्दों के चयन की दी नसीहत
पूर्व पीएम ने कहा कि गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों का बलिदान व्यर्थ न जाए
उन्होंने कहा कि यह वक्त चीन के खिलाफ एकजुट होने का है
नई दिल्ली देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि गलवान घाटी में भारत के 20 सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। पूर्व पीएम ने साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है और उन्हें अपने शब्दों के चयन में सावधान होने की नसीहत दे दी। उन्होंने कहा कि इस समय एकजुट होकर हमें चीन के दुस्साहस का जवाब देना चाहिए। बता दें कि गत सोमवार की रात लद्दाख के गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे। पढ़ें, चीन से तनाव, भारत रूस लेगा यह ‘ब्रह्मास्त्र’ जवानों की कुर्बानी व्यर्थ न जाए-मनमोहन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने आज जारी बयान में कहा, ’15-16 जून को गलवान घाटी में भारत के 20 साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी। इन बहादुर सैनिकों ने साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च त्याग के लिए हम इन साहसी सैनिकों और उनके परिवारों के कृतज्ञ हैं। लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।’
महाराष्ट्र सरकार से मिला तीसरा बड़ा झटका
चीन को तीसरा झटका महाराष्ट्र सरकार से मिला है। वहां उद्धव सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ साइन तीन अग्रीमेंट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ये तीन प्रॉजेक्ट करीब 5 हजार करोड़ के थे। इन्हें हाल ही में मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 इंवेस्टर समिट में साइन किया गया था। इस बारे में इंडस्ट्री मिनिस्टर सौरभ देसाई ने बताया कि ये अग्रीमेंट गलवान हिंसा से पहले साइन हुए थे। केंद्र सरकार को इसकी जानकारी दे दी गई है। विदेश मंत्रालय ने फिलहाल चीन के साथ कोई और अग्रीमेंट साइन नहीं करने की सलाह दी है।
साइन प्रॉजेक्टों में पहला ग्रेट वॉल मोटर्स का था। 3,770 करोड़ के इस प्रॉजेक्ट में पुणे के पास ऑटोमोबाइल प्लांट लगना था। दूसरी प्रॉजेक्ट पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी और फोटोन (चाइना) का था। इसमें 1 हजार करोड़ रुपये में यूनिट लगनी थी। तीसरा प्रॉजेक्ट हिंगली इंजिनियरिंग का था। इसमें 250 करोड़ का निवेश था।
गलवान में झड़प के तुरंत बाद रेलवे ने भी चीनी कंपनी का ठेका रद्द किया था। यह प्रॉजेक्ट करीब 417 करोड़ का था। यह चीनी कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजायन इंस्टीट्यूट के पास था। इसमें कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल और दूरसंचार का काम होना था। रेलवे ने कहा कि ठेका काम की स्लो स्पीड की वजह से रद्द किया जा रहा है।
चीन को बॉर्डर पर की गई गुस्ताखी का जवाब सबसे पहले BSNL से मिला। इसमें भारत सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों से किसी भी चीनी कंपनी के इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल न करने को कहा है। भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के टेंडर को कैंसिल कर दिया गया है। इससे चीन को करीब 3 हजार करोड़ का नुकसान होगा।
भारत पूर्वी लद्दाख में चीन की नापाक हरकत का सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी जवाब देने की पूरी तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इंडस्ट्री से विदेशों खासकर चीन से आने वाले सामान के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। इसका मकसद चीन से आने वाले घटिया सामान का आयात रोकना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
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‘शब्दों के चयन में सावधानी की नसीहत’ मनमोहन ने कहा, ‘आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय एवं सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक तथा भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए।’ पढ़ें, जब ‘चुप’ थे दो मंत्री, सर्वदलीय बैठक की कहानी
चीन की वो तीन दुखती रग जिन्हें दबा सकता है भारत
1959 में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद, नेहरू ने फारवर्ड पॉलिसी लागू करने का मन बनाया। सेना को आदेश दिए गए कि चीनी सैनिकों को विवादित जमीन से बेदखल किया जाए। बिना जमीनी हालात का अंदाजा लगाए हुए इस फैसले से भारत को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा। चीन ने हमारे कई इलाकों पर कब्जा कर लिया। भारत ने सैनिकों को गंवाया, वो अलग। आज चीन और भारत, दोनों देशों की सेनाएं कहीं ज्यादा मजबूत और एडवांस्ड हैं मगर 1962 में चीन ने जिन इलाकों में कब्जा किया, वे ऊंचाई वाले इलाके हैं और पहाड़ी इलाकों में नीचे से जंग लड़ना आसान नहीं। इसलिए फुल-फ्लेज्ड वॉर से बचने की सलाह कई रिटायर्ड सैनिक भी दे रहे हैं।
नेहरू और उनके बाद इंदिरा गांधी ने अलग आर्थिक नीति अपनाई। दोनों ने हर चीज भारत में बनाने की कोशिश की। उसका असर ये हुआ कि 1947 से 1980 के बीच देश की GDP सिर्फ 3.5% की दर से बढ़ी। गरीबी कम नहीं हुई जबकि आबादी लगभग दोगुनी हो चुकी थी। बाद में नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों ने ग्लोबल ट्रेड और इनवेस्टमेंट के दरवाजे खोले। फिर GDP की रफ्तार 9% से ज्यादा हो गई। नेहरू विदेशी निवेश से कतराते रहे।
पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर’ अभियान का मकसद सिर्फ स्वदेशी को बढ़ावा देना ही नहीं, ग्लोबल वैल्यू चेन्स में आगे रहना भी है। मोदी को विदेशी निवेश चाहिए। वह विदेशी निवेशकों को टैक्स में छूट, सस्ती जमीन और इन्फ्रास्ट्रक्चर के वादे करते हैं। सैमसंग और नोकिया भारत में बड़ी फैक्ट्रियां लगा चुके हैं। दुनिया की हर बड़ी ऑटो कंपनी भारत में मौजूद है। ग्लोबल इकनॉमी के साथ भारत के जुड़ाव ने उसे आर्थिक प्रगति में मदद की है।
भारत में चीनी उत्पादों के बायकॉट की मुहिम चलाई जा सकती है। नागरिक चीनी सामान खरीदना बंद कर सकते हैं मगर भारत आधिकारिक रूप से ऐसा करने से बचेगा। क्योंकि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में चीन और भारत दोनों शामिल हैं। ग्रुप के किसी सदस्य को बाकी सभी सदस्यों के बराबर टैरिफ ही ऑफर करना होता है। इसी नियम के चलते भारत को भी टैरिफ्स में रियायत मिलती है।
परचेजिंग पावर के हिसाब से देखें तो चीन सबसे बड़ी इकनॉमी है। वह दुनिया का सबसे बड़ा एक्���पोर्टर है। फॉरेन इनवेस्टमेंट में उसकी सरप्लस सेविंग्स सबसे ज्यादा हैं। टेलिकॉम, सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक रिक्शा और स्टोरेज बैट्रीज में वह वर्ल्ड लीडर है। भारत नैशनल सिक्योरिटी से जुड़े एरियाज में इम्पोर्ट और FDI पर लिमिट लगा सकता है। साउथ चाइना सी को लेकर ASEAN देशों ने चीन के बायकॉट की नहीं, मजबूत सहयोगी बनाने की रणनीति अपनाई है। भारत को भी यही करना चाहिए। चीन पर काबू करने के लिए उसे डिप्लोमेटिक संबंधों को धार देनी चाहिए। अमेरिका की चीन पर पकड़ इसीलिए है क्योकि दोनों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर निर्भर हैं। अमेरिका ZTE और Huawei जैसी कंपनियों को कभी भी तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में भारत की कोशिश चीनी कंपनियों पर लेवरेज बढ़ाने की होनी चाहिए और मिलिट्री से ज्यादा डिप्लोमेसी से जवाब देने की कोशिश हो। नेहरू इन्हीं दो मोर्चों पर फेल हुए थे, पीएम मोदी को वे गलतियां दोहराने से बचना चाहिए।
‘सहमति से काम करें प्रधानमंत्री’ पूर्व पीएम ने कहा, ‘चीन ने अप्रैल, 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान घाटी और पैंगोंग शो लेक में अनेकों बार जबरन घुसपैठ की है। हम न तो उनकी धमकियों एवं दबाव के सामने झुकेंगे और न ही अपनी अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने एवं स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें।’
बदले एलएसी के नियम, सेना को ‘पूरी आजादी’
चीन के खिलाफ एकजुट होने का समय-मनमोहन पूर्व पीएम ने कहा कि यह समय एकजुट होने का है। उन्होंने कहा, ‘ यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और संगठित होकर चीनी दुस्साहस का जवाब देना है। हम सरकार को आगाह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता। पिछलग्गू सहयोगियों के प्रचारित झूठ के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता।’
चुनौतियों का सामना करने का वक्त मनमोहन ने पीएम मोदी से चुनौतियों का सामना करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वो वक्त की चुनौतियों का सामना करें, और कर्नल बी. संतोष बाबू एवं हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ था‘अखंडता’ के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।’
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
Web Title ladakh standoff former pm manmohan singh says the pm must be mindful of implications of his words(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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