buladojar nyaay ke khilaaph dishaanirdesh ke lie supreem kort ne maange sujhaav
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति को ध्वस्त करने के खिलाफ अखिल भारतीय दिशा-निर्देश बनाने पर विचार किया और संबंधित पक्षों को दो सप्ताह के भीतर अपने सुझाव रखने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण को भी “कानून के अनुसार” ध्वस्त किया जाना चाहिए और राज्य के अधिकारी सजा के तौर पर आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकते।
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राहुल गांधी आशंका जताते रहे, अखिलेश के सांसद की ED ने जब्त कर ली संपत्ति, एक्शन से हड़कंप
जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर से समाजवादी पार्टी सांसद बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई की गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने लखनऊ के कानपुर रोड में स्कूटर इंडिया स्थित करोड़ों की संपत्ति को ईडी की टीम ने जब्त कर लिया। अब इस एक्शन की चर्चा शुरू हो गई है। इस एक्शन के बाद यूपी की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है। ईडी एक्शन का मामला शुक्रवार सुबह से ही गरमाया हुआ था। दरअसल, इंडिया गठबंधन में शीर्ष पार्टी कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने खुद के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से संबंधित आशंका जताई। उन्होंने कहा कि हमारे चक्रव्यूह वाले बयान के बाद ईडी कार्रवाई कर सकती है। हम तैयार हैं। हालांकि, राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन लखनऊ में एक्शन जरूर हो गया।समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सांसद बाबू सिंह कुशवाहा इस एक्शन का शिकार हुए। सपा सांसद के खिलाफ ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। अखिलेश यादव भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में राहुल गांधी का पूर्वानुमान शुक्रवार की सुबह तो सही साबित नहीं हुआ। उनके सहयोगी दल के नेता के खिलाफ जरूर कार्रवाई हो गई है। ईडी की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग केस में यह कार्रवाई की गई है।
2012 में दर्ज हुआ था केस
मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ कभी अखिलेश यादव और कांग्रेस हमलावर थी। एनएचआरएम केस में बाबू सिंह कुशवाहा का नाम सामने आया था। संपत्तियों के घोटाले के मुख्य आरोपी बसपा सरकार में मंत्री रह बाबू सिंह कुशवाहा और उनके करीबी रहे सौरभ जैन को आरोपी बनाया गया था। एनएचआरएम घोटाले में करोड़ों का घपला किया गया था। इस घोटाले में बाबू सिंह कुशवाहा और उनके सहयोगियों के खिलाफ ईडी ने 14 फरवरी 2012 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत केस दर्ज किया। इसके बाद ईडी ने छापे मारकर कई दस्तावेज बरामद किए थे।बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ पिछले 12 सालों में कई बार कार्रवाई हुई। दिल्ली, लखनऊ और जौनपुर में उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है। पीएमएलए के तहत सपा के वर्तमान सांसद के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। भाजपा का इस संबंध में कहना है कि पूर्व के समय में दर्ज केस में जांच एजेंसी की कार्रवाई चल रही है।
चर्चा में आई है ईडी
प्रवर्तन निदेशालय इन दिनों खासी चर्चा में है। कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष ने संसद के बजट सत्र के दौरान ईडी को भाजपा के चक्रव्यूह का हिस्सा बताया था। वहीं, भाजपा के खिलाफ लगातार वह आरोप लगा रहे थे। शुक्रवार को राहुल गांधी ने अपने खिलाफ ईडी की कार्रवाई की बात कर सनसनी मचा दी। हालांकि, अब उनके सहयोगी अखिलेश यादव के करीबी के खिलाफ ईडी का एक्शन हो गया है। इस पर चर्चा गरमा गई है। संसद में अखिलेश यादव भी इन दिनों भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त हमले कर रहे हैं। अब इस प्रकार की कार्रवाई को विवाद में फंसाया जा रहा है। http://dlvr.it/TBP3pt
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Asset Own By Narendra Modi: Modi has only 52000 cash
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने नामांकन पत्र में कुल 3.02 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की, जो उन्होंने वाराणसी लोकसभा सीट से दाखिल किया था। पोल पेपर के मुताबिक, पीएम मोदी के पास कोई घर या कार नहीं है और उनके पास 52,920 रुपये नकद हैं। इसके अतिरिक्त, उनके पास बैंक जमा के रूप में 2.85 करोड़ हैं। प्रधानमंत्री के सोने का निवेश 2.67 लाख रुपये है, जो चार सोने की अंगूठियों के रूप में रखा गया है।
शिक्षा अनुभाग में, प्रधान मंत्री ने घोषणा की है कि उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक और 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
दिन में पहले वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल करते हुए, जहां से वह सांसद के रूप में तीसरी बार प्रयास कर रहे हैं, प्रधान मंत्री ने कहा, "मैं अभिभूत और भावुक हूं|
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ईडी और सीबीआइ को संसद के दायरे में लाया जाएगा, वाम दलों का...
नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी सहयोगियों के साथ घोषणापत्र जारी किया। घोषणापत्र में पार्टी ने वादा किया कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का लक्ष्य ईडी और सीबीआइ जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को संसद के दायरे में लाना है ताकि कार्यपालिका जांच एजेंसियों का दुरुपयोग न कर सके।
अग्निपथ योजना खत्म करने का किया वादा:पार्टी ने संपत्ति कर, विरासत…
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Jharkhand shibu soren appeal rejected : आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से खारिज, याचिका खारिज होने के बाद फिर शुरू हो सकती है मामले की सीबीआइ जांच
रांची/नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति की जांच के आदेश के विरुद्ध झामुमो सुप्रीमो सह राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन द्वारा दायर कराई गई याचिका खारिज कर दी है. इसके बाद उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच पर लगी रोक भी हट गई है और सीबीआइ एक बार फिर उक्त मामले में जांच शुरू कर सकती है. (नीचे भी पढ़ें)
बताते चलें कि झामुमो अध्यक्ष सर राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने अपने विरुद्ध…
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Noida Big News : गौतमबुद्ध नगर नोएडा के सबसे बड़े सरिया तस्कर और स्क्रैप माफिया रवि काना पर कमिश्नरेट पुलिस की लगातार कार्रवाई चल रही है। पुलिस रवि काना की आर्थिक कमर तोड़ रही है । बीते दिन रवि काना की करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति को सील किया गया था। वहीं अब पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने माफिया रवि काना पर फिर से एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, उसकी न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, दिल्ली में 80 करोड रुपए की कोठी को सील कर दिया है। दिल्ली में बनी इस कोठी में रवि काना की महिला दोस्त रहा करती थी, जिसे अब पुलिस ने सील कर दिया है।
नोएडा पुलिस रवि काना की आर्थिक कमर तोड़ रही नोएडा पुलिस की ओर से इसके अलावा अब तक की गई कार्रवाई में रवि काना की करीब 50 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें रवि काना की 100 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर लिया गया था। आपको बता दें सरिया तस्कर और स्क्रैप माफिया रवि काना के खिलाफ पिछले 2 दिनों से पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इस पुरी कार्रवाई पर जानकारी देते हुए डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान ने बताया कि मंगलवार की देर रात को रवि काना की करीब 100 करोड़ की संपत्ति सील की गई है।
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Todays Gold Rate On 13 Nov 2023
भारत में आज सोने का भाव क्या है?
सोने की महंगाई दरें जब भी बदल सकती हैं, और इसकी प्रति ग्राम कीमत विभिन्न बाजारों और शहरों में भिन्न हो सकती है। इसलिए, भारत में सोने की दर को लेकर नवीनतम ���ानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय ज्वेलर, बैंक, या वित्तीय समाचार वेबसाइट की जाँच करना अच्छा होता है।
सोने की दरें विभिन्न कारकों पर आधारित होती हैं, जैसे कि ग्लोबल वित्तीय घटक, सोने का मांग और पूर्ति, रुपये के मूल्य की तरह। 2023 के शुरुआत में, सोने की कीमतें चांदी की तरह विपरित दिशा में चल रही हैं, जब भी विश्व मार्केट में आर्थिक संकट और ग्लोबल घटकों के प्रभाव का सामना कर रही है।
वित्तीय सामग्रियों के मूल्य की तरह, सोने की कीमतें भी निवेशकों और सोने को खरीदने वालों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं, क्योंकि यह निवेशकों के लिए एक मान्य निवेश विकल्प हो सकता है।
यदि आप सोने की विस्तारित जानकारी चाहते हैं, तो आपको निवेश की नीतियों, सोने की मूल्यों के आधार पर निवेश करने के फायदों और हानियों की जानकारी के साथ एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना भी उपयुक्त हो सकता है।
याद रखें कि सोने के बाजार में मूल्य सुविधाजनक हैं और वे नियमित रूप से बदलते रह सकते हैं, इसलिए आपको निवेश या खरीदारी के फैसले से पहले अच्छे से जांच लेनी चाहिए।
कैरेट1 ग्राम10 ग्राम24 कैरेट₹ 6,024₹ 60,24022 कैरेट₹ 5,569₹ 55,69018 कैरेट₹ 4,915₹ 49,150
सोने की कीमत भारत में कैसे निर्धारित होती है?
भारत में सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जिनमें शामिल हैं:
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत: भारत दुनिया में सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं में से एक है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत का घरेलू बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ती है, तो भारत में सोने की कीमत भी बढ़ती है, और इसके विपरीत।
- रुपये की विनिमय दर: सोने को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर में खरीदा और बेचा जाता है। इसलिए, रुपये की विनिमय दर का सोने की कीमत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब रुपया कमजोर होता है, तो सोने की कीमत बढ़ती है, और इसके विपरीत।
- आयात शुल्क: भारत में सोने पर आयात शुल्क लगाया जाता है। आयात शुल्क में किसी भी बदलाव का सोने की कीमत पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। आयात शुल्क बढ़ने से सोने की कीमत बढ़ जाती है, और इसके विपरीत।
- मांग और आपूर्ति: भारत में सोने की मांग और आपूर्ति भी सोने की कीमत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब मांग बढ़ती है और आपूर्ति अपरिवर्तित रहती है, तो सोने की कीमत बढ़ जाती है। और जब आपूर्ति बढ़ती है और मांग अपरिवर्तित रहती है, तो सोने की कीमत घट जाती है।
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भारत में सोने की मांग
भारत में सोने की मांग बहुत अधिक है। सोने को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसे अक्सर शुभ माना जाता है और इसे निवेश के रूप में भी देखा जाता है। दिवाली, धनतेरस, और अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों के दौरान सोने की मांग विशेष रूप से अधिक होती है।
भारत में सोने की आपूर्ति
भारत में सोने की आपूर्ति काफी हद तक आयात पर निर्भर करती है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। भारत में सोने का उत्पादन बहुत कम है।
सोने की कीमत पर अन्य कारकों का प्रभाव
सोने की कीमत पर अन्य कारकों का भी प्रभाव पड़ता है, जैसे कि:
- केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: केंद्रीय बैंक सोने को अपने भंडार में रखते हैं। जब केंद्रीय बैंक सोना खरीदते हैं, तो यह सोने की कीमत को बढ़ाता है।
- आर्थिक अनिश्चितता: जब आर्थिक अनिश्चितता होती है, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं, क्योंकि इसे एक सुरक्षित-संपत्ति माना जाता है। इससे सोने की कीमत बढ़ती है।
- भू-राजनीतिक तनाव: भू-राजनीतिक तनाव भी सोने की कीमत को बढ़ा सकते हैं।
सोने की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है?
भारत में सोने की कीमत मुंबई और दिल्ली के दो प्रमुख बुलियन एक्सचेंजों में निर्धारित की जाती है। ये एक्सचेंज सोने की कीमतों को निर्धारित करने के लिए एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।
निष्कर्ष
भारत में सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत, रुपये की विनिमय दर, आयात शुल्क और मांग और आपूर्ति शामिल हैं। अन्य कारकों जैसे कि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव का भी सोने की कीमत पर प्रभाव पड़ता है।
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रियल एस्टेट बूम: जयपुर संपत्ति की कीमत पर एक नजदीकी नजर
जयपुर एक जीवंत और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है जिसने सदियों से लोगों को आकर्षित किया है। यह अपने राजसी किलों, महलों, हलचल भरे बाजारों और रंगीन त्योहारों के लिए जाना जाता है। हाल ही में, जयपुर में रियल एस्टेट बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जिसने खरीदारों और निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। इस ब्लॉग में, हम राजस्थान में संपत्ति की कीमतों में वृद्धि में योगदान देने वाले कारकों का पता लगाते हैं और संभावित खरीदारों और निवेशकों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
जयपुर के रियल एस्टेट बाजार का विकास
जयपुर का रियल एस्टेट उद्योग एक पारंपरिक बाजार से एक जीवंत और आकर्षक रियल एस्टेट गंतव्य के रूप में विकसित हुआ है। बुनियादी ढांचे में सरकार के निवेश, डेवलपर्स को आकर्षित करने के कारण जयपुर का जुड़ाव बढ़ा है। स्मार्ट शहरों के विकास से होटल और अवकाश गृहों के निर्माण को बढ़ावा मिला है, जिससे रियल एस्टेट गतिविधि में वृद्धि हुई है। कम लागत वाले आवास, भव्य अपार्टमेंट और वाणिज्यिक क्षेत्रों की परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
जयपुर संपत्ति की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
कई कारक जयपुर में संपत्ति की कीमतों को प्रभावित करते हैं। यहां पांच प्रमुख कारक हैं:
स्थान: किसी संपत्ति की कीमत उसके स्थान से काफी प्रभावित होती है। सुविधाओं, सुविधाओं और रोजगार केंद्रों तक बेहतर पहुंच वाले क्षेत्रों में संपत्ति की लागत आम तौर पर अधिक होती है।
बुनियादी ढाँचा विकास: संपत्ति के मूल्य किसी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास के स्तर से प्रभावित हो सकते हैं। अच्छी सड़कों, परिवहन विकल्पों और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच वाले क्षेत्रों में संपत्ति की लागत अधिक होती है।
मांग और आपूर्ति: संपत्ति की कीमतें रियल एस्टेट बाजार में आपूर्ति और मांग की गतिशीलता से भी प्रभावित होती हैं। यदि संपत्तियों की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो कीमतें बढ़ने की संभावना है, और इसके विपरीत भी।
आर्थिक स्थितियाँ: संपत्ति के मूल्य बाजार की धारणा और सामान्य आर्थिक स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं। संपत्ति की कीमतें जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों जैसे चर से प्रभावित हो सकती हैं।
नीति परिवर्तन: संपत्ति की कीमतें सरकारी कानून, नीतियों और कराधान में बदलाव से प्रभावित हो सकती हैं। रियल एस्टेट निवेश नीतियां बाजार की गतिशीलता पर प्रभाव डाल सकती हैं और, परिणामस्वरूप, संपत्ति के मूल्यों पर।
जयपुर में संपत्ति की कीमतों का आकलन करते समय इन कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे बाजार के रुझानों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं और सूचित निर्णय लेने में मदद करते हैं।
निवेश क्षमता: जयपुर एक रियल एस्टेट हॉटस्पॉट के रूप में
भारत का सबसे बड़ा राज्य, राजस्थान, निवेश के स्थान के रूप में अधिक से अधिक लोकप्रिय हो गया है, खासकर रियल एस्टेट बाजार में। जयपुर अपने सुविधाजनक स्थान, विकासशील बुनियादी ढांचे और विस्तारित अर्थव्यवस्था के कारण रियल एस्टेट हॉटस्पॉट के रूप में बड़ी निवेश क्षमता प्रस्तुत करता है। निम्नलिखित कुछ तत्व हैं जो इसकी अपील को बढ़ाते हैं:
आर्थिक विकास: हाल के वर्षों में, जयपुर की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ी है। औद्योगीकरण, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, राज्य सरकार ने कई नीतियां और कार्यक्रम लागू किए हैं। इससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए हैं और मध्यम वर्ग में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप घरों और व्यवसायों की मांग बढ़ी है।
पर्यटन क्षमता: कई घरेलू और विदेशी पर्यटक अपने प्रसिद्ध महलों, किलों और सांस्कृतिक विरासत के कारण राजस्थान आते हैं। जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे शहरों में लक्जरी होटल, ऐतिहासिक रिसॉर्ट और गेस्टहाउस बहुतायत में पाए जा सकते हैं। राजस्थान में, रियल एस्टेट में निवेश करना जो पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करता है, जैसे कि होटल, रिसॉर्ट्स और छुट्टियों के किराये, काफी लाभदायक हो सकते हैं।
किफायती संपत्ति की कीमतें: मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर जैसे बड़े क्षेत्रों की तुलना में राजस्थान में रियल एस्टेट की लागत तुलनात्मक रूप से कम है। अपनी लागत के कारण, यह निवेशकों और अंतिम-उपयोगकर्ताओं दोनों को आकर्षित कर रहा है। राज्य कम लागत वाले अपार्टमेंट से लेकर सुरुचिपूर्ण विला और वाणिज्यिक स्थानों तक संपत्तियों की एक विविध श्रेणी प्रदान करता है, जो खरीदार श्रेणियों की एक विस्तृत श्रृंखला को पूरा करता है।
सरकारी पहल: रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, राज्य सरकार ने कई निवेशक-अनुकूल नियम और सुधार लागू किए हैं। इनमें एकल-खिड़की समाशोधन प्रणाली, सरल अनुमोदन प्रक्रियाएं, कर छूट और भूमि अधिग्रहण परिवर्तन शामिल हैं। इस तरह की गतिविधियां रियल एस्टेट डेवलपर्स और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाती हैं, जिससे उन्हें जयपुर में अवसरों की जांच करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास: कपड़ा, हस्तशिल्प, खनन, सूचना प्रौद्योगिकी और ऑटोमोटिव में जयपुर में औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर जैसे शहरों में औद्योगिक पार्क, विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), और तकनीकी पार्क स्थापित किए गए हैं।
भविष्य में विकास की संभावनाएं: राज्य में वर्तमान और संभावित प्रगति के साथ, जयपुर के रियल एस्टेट क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल है। स्मार्ट सिटी विकास, किफायती आवास परियोजनाओं और पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने जैसी पहलों पर सरकार का जोर एक अनुकूल निवेश माहौल को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, जयपुर की दिल्ली से निकटता -मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स-संबंधी रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए इसकी क्षमता को बढ़ाते हैं।
अंत में, जयपुर का रियल एस्टेट उद्योग निवेशकों, घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए एक रोमांचक संभावना प्रदान करता है। व्यक्ति संपत्ति की कीमतें बढ़ाने वाले अंतर्निहित चरों को जानकर और लगातार बदलते बाजार की गतिशीलता पर नजर रखकर जयपुर के तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट क्षेत्र का लाभ उठाने के लिए सूचित निर्णय ले सकते हैं। चाहे आप सपनों का घर तलाश रहे हों, व्यावसायिक स्थान, या बुद्धिमान निवेश, जयपुर के संपत्ति बाजार में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है।
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Gauri Khan's Birthday: एक स्टाइलिश स्टार पत्नी से एक सफल बिजनेसवुमन तक
जन्मदिन मुबारक हो गौरी खान! बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान सिर्फ एक स्टार पत्नी ही नहीं बल्कि एक सफल बिजनेसवुमन भी हैं। फिल्मों के निर्माण से लेकर कई मशहूर हस्तियों के लिए घर डिजाइन करने तक, गौरी खान ने अपने हर प्रयास में उत्कृष्टता हासिल की है।
गौरी खान की कुल संपत्ति: आज उनके 53वें जन्मदिन पर आइए एक नजर डालते हैं कि गौरी खान एक निर्माता और इंटीरियर डिजाइनर कैसे बनीं और उनकी संपत्ति कितनी है।
दिल्ली में जन्मी गौरी छिब्बर का जन्म 8 अक्टूबर 1970 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली में पूरी की और लेडी श्री राम कॉलेज से इतिहास में ऑनर्स की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से फैशन डिजाइनिंग में छह महीने का कोर्स किया। हालाँकि, फैशन डिजाइनिंग से इंटीरियर डिजाइनिंग तक का उनका सफर दिलचस्प है।
गौरी दिल्ली में प्रोड्यूसर कैसे बनीं?
गौरी छिब्बर ने 1991 में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ शादी कर ली और उनके साथ मुंबई चली गईं। मुंबई में प्रसिद्धि और भाग्य हासिल करने के बाद, शाहरुख खान ने अपनी पत्नी के साथ, 2002 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की स्थापना की। गौरी खान ने फिल्म "मैं हूं ना" के साथ एक निर्माता के रूप में हिंदी सिनेमा में अपना पहला कदम रखा। फराह खान द्वारा निर्देशित। शाहरुख खान, अमृता राव और सुष्मिता सेन अभिनीत यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। इसकी सफलता के बाद, गौरी ने "ओम शांति ओम," "पहेली," "बिल्लू," "चेन्नई एक्सप्रेस," "बदला," "रईस," और "जवां" जैसी फिल्में बनाईं। "जवां" की सफलता के बाद, गौरी खान वर्तमान में अपनी अगली फिल्म "डनकी" का निर्माण कर रही हैं, जिसमें शाहरुख खान मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
फैशन से इंटीरियर डिजाइनिंग तक संक्रमण
प्रोड्यूसर बनने के बाद गौरी खान ने इंटीरियर डिजाइनिंग में अपना करियर बनाया। उनकी यात्रा उनके भव्य घर, मन्नत के नवीनीकरण के साथ शुरू हुई, जिसे शाहरुख खान ने 2001 में मुंबई में अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा था। एक साक्षात्कार में, शाहरुख खान ने खुलासा किया कि हालांकि उन्होंने भव्य हवेली खरीदी थी, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। मैं इसे समय पर प्रस्तुत करने का जोखिम नहीं उठा सकता।
उस समय, शाहरुख खान ने अपनी पत्नी गौरी को छह मंजिला घर के नवीनीकरण की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा। गौरी की रचनात्मकता और डिजाइन कौशल ने मन्नत को आज के प्रतिष्ठित निवास में बदल दिया। यह अब एक पर्यटन स्थल बन गया है। यहीं से गौरी खान की रुचि इंटीरियर डिजाइनिंग में बढ़ी।
गौरी खान ने 2010 में अपने जुनून को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाया और अपनी दोस्त सुजैन खान के साथ एक इंटीरियर प्रोजेक्ट पर काम किया। गौरी और सुजैन ने मिलकर मुंबई में द चारकोल प्रोजेक्ट फाउंडेशन लॉन्च किया।
मशहूर हस्तियों के लिए घर डिजाइन करना
2014 में, गौरी खान ने वर्ली, मुंबई में "द डिज़ाइन सेल" नाम से अपना पहला कॉन्सेप्ट स्टोर लॉन्च किया। तीन साल बाद, उन्होंने अपना डिज़ाइन स्टूडियो, "गौरी खान डिज़ाइन्स" लॉन्च किया। गौरी खान ने कई बॉलीवुड हस्तियों के लिए घर डिजाइन किए हैं। उनके ग्राहकों में मुकेश और नीता अंबानी का एंटीलिया, करण जौहर का बंगला, आलिया भट्ट की वैनिटी वैन और सिद्धार्थ मल्होत्रा का घर शामिल हैं।
गौरी खान की कुल संपत्ति क्या है?
150 करोड़ के स्टोर की मालकिन गौरी खान को बॉलीवुड की सबसे अमीर स्टार पत्नियों में से एक माना जाता है। लाइफस्टाइल एशिया के मुताबिक, गौरी खान की कुल संपत्ति लगभग 1600 करोड़ रुपये है। उनके पास मुंबई, दिल्ली, अलीबाग, लंदन, दुबई और लॉस एंजिल्स में करोड़ों रुपये की संपत्ति है। कारों के मामले में, उनके पास बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी जैसी लक्जरी गाड़ियां हैं।
यह भी जानिए - Fuel Prices Surge: वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर में ₹209 की बढ़ोतरी, एटीएफ दरें 5% बढ़ीं
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परिवार में किसी और के नाम करनी है प्रॉपर्टी तो अपनाएं ये प्रोसेस, नहीं होगा किसी तरह का विवाद
अगर प्रॉपर्टी को लेकर कोई वसीयत नहीं बनाई गई हो, या किसी को प्रॉपर्टी में नॉमिनेट न किया गया हो, या कोई अन्य वैध दस्तावेज न हो तो फिर बंटवारे के समय विवाद होने लगता है. इसलिए बेहतर है कि समय रहते इस मसले से बचने के लिए आपको कुछ काम जरूर कर लेना चाहिए।
हाइलाइट्स:
आप नॉमिनेशन के जरिए अपने बच्चों के बीच प्रॉपर्टी का बंटवारा कर सकते हैं।
माता-पिता अपनी प्रॉपर्टी को बच्चों में बांटने के लिए वसीयत भी बना सकते हैं।
प्रॉपर्टी ट्रांसफर में किसी विवाद से बचने के लिए सभी डॉक्यूमेंट होना जरूरी है।
नई दिल्ली. हर परिवार में एक समय के बाद संपत्तियों का बंटवारा होता है. बुढ़ापे में हर माता-पिता अपने बच्चों को अपनी प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर देते हैं ताकि किसी तरह का कोई विवाद नहीं हो. हालांकि, प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने का एक प्रोसेस है, जिसका पालन करना होता है. नॉमिनेशन के जरिए पैरेंट्स अपने बच्चों के नाम संपत्ति ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके साथ ही अगर माता-पिता चाहें तो कभी भी नॉमिनेशन में बदलाव कर किसी और का नाम भी दर्ज करवा सकते हैं. आइये जानते हैं इसका प्रोसेस।
अगर आप भी अपनी प्रॉपर्टी को अपने बच्चों या परिवार में किसी और के नाम करने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं. इन तरीकों को अपनाकर आप बिना किसी विवाद के अपनी प्रॉपर्टी बच्चों को ट्रांसफर कर सकते हैं।
नॉमिनेशन के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर
माता-पिता नॉमिनेशन के जरिए अपने बच्चों के बीच प्रॉपर्टी का बंटवारा कर सकते हैं. इस तरीके से आप अपनी प्रॉपर्टी को सभी बच्चों में बराबर बांट सकते हैं. नॉमिनेशन के जरिए माता-पिता अपनी प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर सकते हैं, साथ ही अगर वे अपना नॉमिनेशन बदलना चाहते हैं तो फिर वे किसी और नाम को भी रजिस्टर कर सकते हैं. इस तरीके से प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने पर विवाद उत्पन्न होने की गुंजाइश काफ़ी कम रहती है।
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भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य पवन मिश्रा ने महागठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान
भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य पवन मिश्रा ने महागठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान
भाजपा के कार्य समिति सदस्य पवन मिश्रा ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, सहित परिवारों पर निशाना साधते हुए कहा, जिस तरह E D ने राजद सुप्रीमो पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार का करोड़ों की अटैच संपत्ति जप्त किया है । बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा का मांग कर रहे हैं।
RCTC घटोला में लालू परिवार के सभी सदस्य घटोलौ में संलिप्त जिस तरह दिल्ली गाजियाबाद के कई ठिकानों पर,ED के द्वारा संपत्ति जप्त किया गया है। इससे साफ होता हैं। अपने परिवार को बचाने के लिए 26 दलों की मिलकर इंडिया गठबंधन बनाया है। इसमें देश के बेईमान पार्टी के सभी नेता जांच एजेंसी से बचने के लिए अपनी जमात खड़ा कर रहा है।
पवन मिश्रा ने यह भी कहा , नीतीश कुमार जी को भी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए । इससे पहले 2015 में ऐसा करके दिखाएं हैं। नहीं तो आने वाले 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा के चुनाव में जनता खुद निर्णय लेगी। और
बिहार में कमल खिलाने का काम करेंगी।
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क्या राहुल को गिरफ्तार कर सकती है ED, मोदी सरकार ने कैसे चालाकी से दी थी एजेंसी को ताकत
नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता ने शुक्रवार को दावा किया कि संसद में उनके 'चक्रव्यूह' वाले भाषण के बाद (ED) के जरिए उनके खिलाफ छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। राहुल ने कहा कि वह खुली बांहों के साथ ईडी अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा-जाहिर है, 2 में से 1 को मेरा चक्रव्यूह वाला भाषण अच्छा नहीं लगा। ईडी के अंदरूनी सूत्रों ने मुझे बताया है कि छापेमारी की तैयारी हो रही है। मैं ईडी का खुली बांहों से इंतजार कर रहा हूं। चाय और बिस्कुट मेरी तरफ से... इतना ही नहीं राहुल ने अपने इस पोस्ट में प्रवर्तन निदेशालय के आधिकारिक ���क्स हैंडल को टैग भी किया है। राहुल के इस पोस्ट के बाद यह अटकलें लग रही हैं कि क्या राहुल गांधी के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय छापेमारी करेगा। क्या राहुल गिरफ्तार भी हो सकते हैं। ऐसे सभी सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट से और इसे समझते हैं।
जब भाजपा सरकार ने चालाकी से PMLA में कर दिया बदलाव
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि 2019 की बात है, जब राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं था। इसके बाद भी मोदी सरकार ने पीएमएलए में बदलाव के लिए इसे धन विधेयक की तरह पेश किया था। दरअसल, धन विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं करना पड़ता है। इसे सीधे राष्ट्रपति की मंजूरी लेकर लोकसभा में पेश किया जाता है और जहां बहुमत से पास होने के बाद यह कानून बन जाता है। उस वक्त विपक्ष ने इस मामले पर बहुत हंगामा मचाया था। विपक्ष का कहना था कि पीएमएलए में मनी बिल जैसी कोई बात नहीं है। जानबूझकर इसे मनी बिल के तहत लोकसभा से पारित कराया गया, ताकि केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार इसका इस्तेमाल सियासी दुश्मनी को साधने में करना चाहती है। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने भी संशोधन को सही ठहराया।
प्रवर्तन निदेशालय के 10 साल के कामकाज का लेखा-जोखा
मार्च, 2023 में लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 2004 से लेकर 2014 तक प्रवर्तन निदेशालय ने 112 जगहों पर छापेमारी की और 5,346 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। वहीं, 2014 से लेकर 2022 के 8 साल के मोदी सरकार के दौरान एजेंसी ने 3,010 छापेमारी की। इन छापेमारियों में करीब 1 लाख करोड़ की संपत्ति अटैच की गई। बीते 8 सालों में राजनीतिक लोगों के खिलाफ ईडी के मामले चार गुना बढ़े हैं। साल 2014 से 2022 के बीच 121 बड़े राजनेताओं से जुड़े मामलों की जाँच ईडी कर रही है। इनमें से 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं। वहीं, 2004 से लेकर 2014 के 10 साल में 26 नेताओं की जांच ईडी ने की। इनमें से 14 नेता विपक्षी पार्टियों के थे।
प्रवर्तन निदेशालय का सियासी हित साधने में ज्यादा इस्तेमाल
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत कहते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय के नियमों में जब बड़ा बदलाव किया गया तो इसके बाद से ही इसके राजनीतिक इस्तेमाल करने के बार-बार आरोप लगते रहे हैं। बीते 10 सालों में ईडी की ऐसी कार्रवाइयां बढ़ी हैं। चाहे वो दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हो या पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार। महाराष्ट्र में भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए महाराष्ट्र को एजेंसी का टेस्टिंग ग्राउंड भी कहा जाता है।
यूपीए सरकार ने जब खत्म कर दी 30 लाख की लिमिट
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के संशोधन से पहले 30 लाख रुपए या इससे ज्यादा की रकम में हेर-फेर के मामलों में ही मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामले दर्ज होते थे। ऐसे में 2012 तक मनी लॉन्ड्रिंग के 165 मामले ही थे। मगर, 2013 में किए गए संशोधन में 30 लाख की लिमिट खत्म कर दी गई। अब 30 लाख से कम या ज्यादा की रकम से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला होने पर जांच के दायरे में लाया गया।
मोदी सरकार के ED में इस बदलाव ने दी स्पेशल पावर
एडवोकेट अनिल सिंह के अनुसार, 2019 में सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में सबसे गंभीर बदलाव किए गए। इस बदलाव ने इसे काफी ताकतवर बना दिया। यूपीए ने अगर पीएमएलए के दायरे को बढ़ाया तो मोदी सरकार ने इसे और सख्त बना दिया। इस एक्ट के सेक्शन 45 में यह जोड़ा गया कि ईडी के अफसर किसी भी व्यक्ति को बिना वॉरंट के गिरफ़्तार कर सकते हैं।
PMLA में बदलाव कर आवास पर रेड और गिरफ्तारी की शक्ति दी
एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि पीएमएलए के सेक्शन 17 के सब-सेक्शन (1) में और सेक्शन 18 में बदलाव कर दिया गया और ईडी को ये ताकत दी गई कि वह इस क़ानून के तहत लोगों के आवास पर छापेमारी, सर्च और गिरफ्तारी कर सकती है। साथ ही ईडी खुद ही एफआईआर दर्ज करके गिरफ्तारी कर सकती थी। वहीं, इससे पहले कांग्रेस सरकार के दौरान किसी जांच एजेंसी की ओर से दर्ज की गई एफआईआर और चार्जशीट में PMLA की धाराएं लगने पर ही ईडी जांच कर सकती थी।
प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से… http://dlvr.it/TBNldd
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अगर काम में ही “राजनीति” दिखाई देगी तो जस्टिस चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग होगी ही। मणिपुर पर एक बयान में मोदी के लिए एलर्जी की पराकाष्ठा दिखाई दे गई, फिर पब्लिक प्रतिकार तो होगा ही।
अभी 2 दिन पहले एक दैनिक अख़बार के यूट्यूब चैनल पर उसका पत्रकार तड़प तड़प कर चीख रहा था कि CJI चंद्रचूड़ को सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और बता रहा था कि लोग उनके लिए कैसी कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वो पत्रकार चीख रहा था कि चंद्रचूड़ ने तो जरूरत के अनुसार हमेशा सख्त कदम उठाए हैं और बंगाल में केंद्रीय बलों को भी पंचायत चुनाव में निगरानी के लिए भेजा।
उस पत्रकार को सबसे बड़ी आपत्ति थी कि किसी ने ट्विटर पर कोर्ट के लिए “सुप्रीम कोठा” लिख दिया जबकि उस पत्रकार को यह नहीं पता ऐसा कहने वाले एक नहीं सैंकड़ों है। अजीत भारती खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को “कोठा” कहता है परंतु सितंबर, 2021 में उस पर अवमानना कार्र���ाई शुरू करने को AG द्वारा अनुमति देने के बाद भी उस पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं कर रहा।
सोशल मीडिया पर आखिर चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग क्यों हो रही है, इस पर स्वयं चंद्रचूड़, उनके साथी जजों और विधिक समुदाय को सोचना होगा। केवल मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाने पर लिया जिससे उनकी नरेंद्र मोदी के प्रति एलर्जी की पराकाष्ठा साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि अन्य किसी राज्य के लिए चंद्रचूड़ ने कभी स्वतः संज्ञान नहीं लिया चाहे वहां कैसी भी आग लगती रही हो और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
राजस्थान बंगाल में हमेशा चंद्रचूड़ शांत रहे। मणिपुर पर बयान देने के बाद बंगाल के पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशी के साथ घिनौना काम किया ममता की पार्टी के लोगों ने। लेकिन चंद्रचूड़ को “गुस्सा” केवल मणिपुर के लिए आया।
चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग का एक बड़ा कारण उनकी कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई बर्बरता पर खामोश रहना था। जो लोग जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, उन्हें चंद्रचूड़ ने विज्ञापन के लिए काम करने वाले बता दिया और जांच की मांग यह कह कर ठुकरा दी कि 25 साल बाद क्या सबूत मिल सकते हैं। 5 लाख हिन्दुओं और उनकी महिलाओं की पीड़ा के लिए चंद्रचूड़ के दिल में कोई दर्द नहीं था।
आपको मणिपुर पर “गुस्सा” आए तो ठीक है लेकिन लोगों को भी तो आप और आपकी हरकतों पर “गुस्सा” आ सकता है और इसलिए ही आपकी ट्रोलिंग हुई है। आप लखनऊ में दंगा कर सरकार की संपत्ति राख करने वालों का साथ देंगे तो लोग क्या आप पर “गुस्सा” नहीं करेंगे।
“गुस्सा” तो आम जनमानस को उस दिन आया था जो “असहनीय” था जब आपकी कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत 3 जजों की बेंच ने (जिसमें एक महिला भी थी) एक 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी की सजा 20 वर्ष के कारावास में बदल दी यह कह कर कि “हर पापी का एक भविष्य है”। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि लोग इस फैसले पर कितने “गुस्से” में थे वह भी तब, जब फैसला लिखने वाली महिला जज थी।
“गुस्सा” तो चंद्रचूड़ जी उस दिन भी लोगों को बहुत आया था जब आपकी कोर्ट के 2 जजों ने नूपुर शर्मा की आबरू भरी अदालत में तार तार कर दी थी। क्या मिला उन बेशर्म निर्लज्ज जजों को ऐसा करके जो मजे से कोर्ट जाते हैं लेकिन नूपुर को घर में बिठा दिया मगर भगवान शंकर का अपमान करने वाले मौलाना को दोनों जजों ने छुआ तक नहीं।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस नजमी वजीरी ने रिटायर होने के बाद कहा है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बोलने से जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार अपने साथी जजों से पूछ कर देखिए कि क्या अंदर तक हिल नहीं जाते निंदा सुन कर।
इसलिए यदि जजों के बयानों से राजनीति छलकती दिखाई देगी तो ट्रोलिंग तो होगी और उसे जजों को सहना भी होगा।
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Elvish Yadav Biography in Hindi
Elvish Yadav एक भारतीय यूट्यूबर हैं | जो यूट्यूब पर फनी विडिओ अपलोड करते हैं | एलविश यादव हरियाणा के एक उभरते हुए सितारे हैं | एल्विस यादव बचपन से ही लोगों को हंसाना बहुत पसंद करते थे और वह स्कूल में शैतानी किस्म के छात्र रहे हैं।
जब भी देसी और हरियाणवी कॉमेडी वीडियो की बात आती हैं। ऐसे में मशहूर भारतीय यूट्यूबर एलविश यादव का नाम जरूर सामने आता है। वह अक्सर अपने विवादों के चलते खबरों में बने रहते हैं।
एलविश यादव का जन्म और परिवार
एलविश यादव का जन्म 14 सितंबर 1997 को हरियाणा के गुड़गांव शहर में हुआ है | एलविश यादव का जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम राम अवतार यादव हैं जो एक जमीदार और लेक्चरर हैं | इनकी माँ का नाम सुषमा यादव हैं जो एक ग्रहणी है | इनकी एक बहन भी हैं जिनका नाम कोमल यादव हैं |
एलविश यादव की शिक्षा
एलविश यादव ने अपनी स्कूली शिक्षा एमिटी इंटरनेशनल स्कूल , गुरुग्राम से पूरी करी हैं | अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद स्नातक की डिग्री के लिए एलविश दिल्ली के एक कॉलेज डीयू हंसराज कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल करी थी | एलविश यादव पढ़ाई में बहुत होशियार हैं |
एलविश यादव का करिअर
एलविश यादव ने अपने करिअर की शुरुआत Youtube से करी थी | एलविश ने भारत के सबसे बड़े यूट्यूबर्स जैसे आशीष चंचलानी, हर्ष बेनीवाल, अमित भड़ाना और भुवन बाम जैसे यूट्यूबर्स को यूट्यूब पर देखना शुरू किया, तो एलविश को लगा कि उन्हें भी यूट्यूब पर आना चाहिए |
यूट्यूब पर आने से पहले एलविश ने 2015–16 के आसपास इंस्टाग्राम पर प्रैंक वीडियो डालना शुरू कर दिया था लेकिन वह थोड़े बहुत ही फेमस हुए थे। इसके बाद इन्होंने प्रैंक वीडियो फेसबुक पर भी अपलोड करना शुरू किया लेकिन इतना अच्छा रिस्पांस देखने को नहीं मिला फिर 2016 में इनको यूट्यूब का आइडिया आया।
लेकिन फिर 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के समय एलविश भारत बनाम पाकिस्तान एक क्रिकेट मैच पर एक वीडियो बनाया, जो स्थानीय भाषा में बनाया गया था, यह वीडियो तब काफी लोकप्रिय हुई थी और इस तरह से उन्हें लोकप्रियता मिलने लगी।
कुछ समय बाद एल्विस यादव ने अपने दोस्तों के साथ नई टीम बनाई और उनके साथ फनी वीडियो बनाना शुरू कर दिया जिनमें इनके तीन से चार अच्छे दोस्त थे जो पहले से एलविश के करीबी थे। जो लगभग इनके साथ इनकी सभी वीडियो में नज़र आते है।
एलविश के चैनल पर देखे तो लगभग सभी वीडियो पर अच्छी खासी भी व्यूज है जिसमें इसके सबसे ज्यादा पॉपुलर वीडियो सारे स्कूल लाइफ (School लाइफ) वाले वीडियो है।
एलविश ने 29 अप्रैल, 2016 को YouTube पर अपना चैनल शुरू किया और फरवरी 2023 तक, इनके यूट्यूब पर 9.1 मिलियन फॉलोअर्स और 6.80 बिलियन व्यूज थे।
इनके बाद एलविश ने 23 नवंबर, 2019 को एक नया YouTube चैनल लॉन्च किया। एलविश यादव के इस चैनल पर 3.47 मिलियन फॉलोअर्स थे और मार्च 2023 तक 95 मिलियन व्यूज थे। एलविश ने इस चैनल पर अपने दोस्तों और परिवार के साथ दैनिक व्लॉग और फिल्में बनाईं हैं |
एलविश यादव सोशल मीडिया
एलविश यादव के सोशल मीडिया पर भी बहुत Follower हैं | इनकी सोशल मीडिया पर पापुलैरिटी लगातार बढ़ती जा रही है तो हाल में ही इनके फेसबुक (Facebook) पर 47 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स और वहीं इनके इंस्टाग्राम (Instagram) पर 4.9 मिलियन से ज्यादा Follower हैं। इनके Follower लगातार बढ़ते जा रहे हैं |
एलविश यादव की नेट वर्थ
एलविश यादव की कुल संपत्ति 13 करोड़ भारतीय रुपए हैं | इनकी एक महीने की कमाई 4 लाख से 10 लाख रुपए हैं | इनकी सारी कमाई यूट्यूब से , Instagram से , Google Adsense और ब्रांड विज्ञापन से होती हैं |
More information —https://hindifilmyduniya.in/
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9 Years of Modi Government: अधिकांश भारतीय मीडिया पीएम मोदी के बारे में आंशिक रूप से और नकली सफलता बता रहे हैं
आतिश चाफे द्वारा लिखित (मुख्य संपादक)
26 मई यानी के आज पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 साल पूरे हो गए है। साल 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। 26 मई को पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। इस नौ साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने कई ऐसे फैसले लिए और कई ऐसे काम किए जा हमेशा याद किए जाएंगे।
सर्जिकल स्ट्राइक (2016)
जम्मू-कश्मीर के उरी कैंप में आतंकवादियों ने भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर हमला कर दिया था। भारत के 18 जवान शहीद हुए थे। इस हमले के ठीक 10 दिन बाद पाकिस्तान से बदला लिया गया जिसे सर्जिकल स्ट्राइक का नाम दिया गया।
पिछले हफ्ते, सरकार ने 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाने की अपनी योजना का खुलासा किया, दो साल पहले पाकिस्तान में आतंकी शिविरों के खिलाफ भारत द्वारा किए गए सीमा पार ऑपरेशन की याद में। लगभग इशारे पर, भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक की ओर इशारा करते हुए, सीमा पर भारतीय सैनिकों की हालिया मौत का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ एक और "कड़ी कार्रवाई" करने का आह्वान किया। साथ ही, विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। भारत-पाकिस्तान वार्ता के लिए निमंत्रण स्वीकार करने के लिए, आंशिक रूप से भारत के अंतिम समय में वार्ता से बाहर निकलने में योगदान देने के लिए। ये घटनाक्रम भारत की रणनीतिक संस्कृति के मौलिक परिवर्तन के संकेत हैं- नई दिल्ली अब मनोवैज्ञानिक आधार पर रणनीतिक विकल्प बना रही है सुविचारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के बजाय संतुष्टि। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो दक्षिण एशिया में पहले से ही बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को और खराब करने की संभावना है।
नोटबंदी
साल 2016 में ही मोदी सरकार का एक और ऐसा फैसला ऐसा आया जिसने पूरे देश को हिला दिया। 8 नवंबर साल 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और रात 12 बजे 500 और 1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया था।
नोटबंदी: मोदी मेड डिजास्टर
8 नवंबर को, "काले धन" और "नकली नोटों" को साफ करने के प्रयास में भारत की 86% मुद्रा को रद्द कर दिया गया था; इस प्रयास के परिणामस्वरूप दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उभरते बाजार के मौजूदा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कार्यों में भारी व्यवधान आया। सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों को तत्काल रद्द कर दिया गया था, और 50-दिन की अवधि शुरू हुई जहां आबादी (आदर्श रूप से) 2,000 और बाद में 500 रुपये के नए जारी किए गए नोटों के लिए अपनी रद्द की गई नकदी को भुना सकती थी या उन्हें अपने संबंधित बैंक खातों में जमा कर सकती थी।
नोटबंदी के बाद के दिनों में आम जनता पर काफी मार पड़ी थी, लेकिन सबसे ज्यादा दर्द गरीबों ने उठाया। गरीब और निम्न मध्यम वर्ग, जो जनसंख्या का विशाल बहुमत है, के पास इस तरह के झटकेदार अर्थशास्त्र के अनुकूल होने के लिए आवश्यक संरचनात्मक और सांस्कृतिक संसाधनों तक पहुंच नहीं थी।
यहां तक कि जमीन पर सभी भारी भार उठ���ने के लिए पदार्पण करने वाले बैंकों को भी पाश में नहीं रखा गया था; संकट के लिए कम सुसज्जित और एक अजीब सरकारी आदेश की भावना बनाने में असमर्थ, वे अभी भी एक उल्लेखनीय काम करने में कामयाब रहे, यहां तक कि अमान्य मुद्रा को संतुलित करने के लिए नए नोटों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के बावजूद। चलन में मौजूद 86% नकदी के विमुद्रीकरण के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था अचानक, भयानक रूप से रुक गई।
अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं पर व्यापार बाधित हो गया था, और कृषि, मछली पकड़ने और बड़े पैमाने पर अनौपचारिक बाजार जैसे नकद-केंद्रित क्षेत्रों को लगभग बंद कर दिया गया था। कई व्यवसाय और आजीविका पूरी तरह से समाप्त हो गए, देश पर आर्थिक प्रभाव का उल्लेख नहीं करना जब आपके पास लाखों उत्पादक लोग काम करने या अपना व्यवसाय चलाने के बजाय, केवल रद्द किए गए नोटों को बदलने या जमा करने के लिए घंटों और घंटों तक लाइन में खड़े रहते हैं।
यहां तक कि समाचार कक्षों में अघोषित आपातकाल भी पूरे भारत में जंगल की आग की तरह फैल रही खबरों को रोकने में विफल रहा: विमुद्रीकरण एक भारी और पूरी तरह से टाली जा सकने वाली विफलता थी और इतिहास में सरकार द्वारा प्रेरित सबसे बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग योजना थी।
नोटबंदी काले धन पर लगाम लगाने में विफल रही, क्योंकि आरबीआई के अनुसार 500 और 1000 रुपये के नोटों में से 99% को वापस कर दिया गया था। यह अपेक्षित था क्योंकि काला धन आमतौर पर मुद्रा में नहीं रखा जाता है, लेकिन संपत्ति, बुलियन और डॉलर जैसी अधिक आसानी से परिवर्तनीय मुद्रा में। इस प्रकार, 'ब्लैक मनी' और 'ब्लैक वेल्थ' के बीच विरोधाभास: एक प्रवाह चर है और एक स्टॉक चर है। और कोई भी विमुद्रीकरण स्टॉक चर में कोई बदलाव नहीं ला सकता है। बड़ी मात्रा में काले धन का पता लगाने के दावे निराधार हैं और वास्तव में काला धन क्या है, इस बारे में एक भोले और बेख़बर दृष्टिकोण पर आधारित है।
इसके अलावा, घोषणा किसी भी प्रकार के आतंकी हमलों और उग्रवाद को रोकने में विफल रही क्योंकि घोषणा के बाद अकेले कश्मीर में 23 और हमले हुए। भारतीय सीमा पर बड़ी संख्या में नए नोटों के साथ विद्रोहियों के पकड़े जाने की कई रिपोर्टें थीं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में नकली नोटों के प्रचलन की सीमा अतिशयोक्तिपूर्ण है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), कोलकाता द्वारा की गई एक विशेष रिपोर्ट में पाया गया कि नकली मुद्रा का प्रचलन लगभग रु। संचलन में कुल नोटों का 400 करोड़ यानी मात्र 0.022%; भारत की जीडीपी वृद्धि को 2% की क्षति के लायक नहीं है।
यह कैशलेस अर्थव्यवस्था का उत्पादन करने में विफल रहा क्योंकि उस अवधि के दौरान ई-कॉमर्स की बिक्री में जो कुछ भी वृद्धि हुई थी, कुछ महीनों के मामले में पहले की तरह उसी विकास प्रवृत्ति-रेखा पर लौट आई, जब नकदी की आपूर्ति अंततः सामान्य हो गई। भारतीय असंगठित क्षेत्रों की सीमा को ध्यान में रखते हुए, वैकल्पिक भुगतान अवसंरचना बनाने से पहले डिजिटलीकरण का प्रयास करना भी अतार्किक था।
इस विनाशकारी कदम के परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय आय में 3 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई; एक रूढ़िवादी अनुमान दिया गया है कि अनौपचारिक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 50% या 65.25 लाख करोड़ रुपये है। कुछ बैंक मैनेजर लोगों की गाढ़ी कमाई के बाल कटाने से अमीर हो गए, जिससे जल्दी ही एक परिष्कृत और संगठित मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट बन गया। इस बीच, 'नोटबंदी' के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 115 लोगों की मृत्यु हुई—लगभग सभी गरीब थे। समर्थक मुख्यधारा के मीडिया द्वारा विमुद्रीकरण को विफल घोषित करने के बाद भी, पीएम मोदी अभी भी अपने शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करने या उन्हें कई मामलों में उनके प्राथमिक कमाऊ सदस्यों के नुकसान के लिए कोई मुआवजा देने में सक्षम नहीं हुए हैं।
विमुद्रीकरण कदम न केवल एक दोषपूर्ण आर्थिक नीति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ नकद भुगतान के प्रतिस्थापन के साथ अंधाधुंध राज्य निगरानी, निजता के उल्लंघन और नागरिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की उच्च क्षमता भी रखता है। बिग डेटा एनालिटिक्स दिन-ब-दिन बड़े होते जा रहे हैं, निजी नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा ग्रे मार्केट्स में वस्तुओं में बदल गया है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य और उसके नागरिकों के बीच बुनियादी सामाजिक-अनुबंध और विश्वास टूट सकता है।
अंतिम सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री को उन लोगों को बेदखल करने से 4 लाख करोड़ का अच्छा लाभ होने की उम्मीद थी जो अपने नोटों को बदलने में सक्षम नहीं थे। इसके बजाय, हमारे कर के 21,000 करोड़ रुपये नोट छापने में उड़ा दिए गए, जबकि केवल 16,000 करोड़ ही लावारिस रह गए।
जीएसटी
30 जून और 1 जुलाई की मध्य रात्रि को संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित समारोह में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी लॉन्च किया था।
देश में किए जाने वाले सबसे कठिन सुधारों में से एक- जहां राज्यों ने देश और करदाताओं के व्यापक हित में अपनी कर संप्रभुता को छोड़ दिया- जीएसटी ने एक तरह से करों के बेहतर प्रशासन में मदद की है, राज्य की सीमाओं के पार माल के प्रवाह में वृद्धि हुई है साथ ही सभी राज्यों में दरों में अधिक एकरूपता हासिल की।
सुस्त शुरुआत और भारी कर संग्रह के बाद, पिछले दो वर्षों में जीएसटी संग्रह में एक मजबूत उछाल देखा गया है। औसत मासिक संग्रह पहले चार वर्षों में 90,000-100,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 1.20 लाख करोड़ रुपये हो गया है। GST ने करों का भुगतान करने, इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने, चालान बनाने, ई-वे बिल आदि के लिए एक पूरी नई डिजिटल प्रणाली का निर्माण करने का भी नेतृत्व किया है। डिजिटल प्रणाली, यहां तक कि इसकी कई खामियों के साथ, करों के प्रशासन और कर को ट्रैक करने में मदद मिली है। टालना।
जीएसटी दो प्रमुख मामलों में विफल रहा है। इसने केवल केंद्र और राज्यों के बीच दरार को चौड़ा किया है और यह 'सही' कर दरों को प्राप्त करने में विफल रही है। जीएसटी संग्रह में हाल ही में तेजी के बावजूद, सरकार और जीएसटी परिषद का मानना है कि वर्तमान कर दरें वांछित स्तरों से काफी नीचे हैं। 15वें वित्त आयोग ने एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 15.5% की राजस्व तटस्थ दर के मुकाबले, औसत जीएसटी दरें लगभग 11.8% हैं।
प्रारंभिक वर्षों में, जीएसटी परिषद ने एक नई कर प्रणाली द्वारा बनाई गई प्रारंभिक वर्ष अराजकता के जवाब में दरों में कटौती की और बदल दी। वो रेट कट और छूट सरकार को काटने के लिए वापस आ रहे हैं। इससे केंद्र और राज्यों के बीच दरार भी पैदा हो गई। कई राज्य अपने राजस्व के साथ संघर्ष कर रहे हैं, और वे इसे आंशिक रूप से जीएसटी के तहत अपने कर अधिकारों को छोड़ने के लिए दोषी ठहराते हैं।
अब, वे मुआवजे (जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में नुकसान के लिए) की मांग करते हैं, जो केंद्र राज्यों को देता है (शुरुआत में पहले पांच वर्षों के लिए) और तीन से पांच साल तक बढ़ाने के लिए, एक मांग केंद्र बहुत उत्सुक नहीं है देने के लिए। जीएसटी की सफलता (या विफलता) अब इन मुद्दों के सुचारू समाधान पर निर्भर करती है।
बालाकोट एयर स्ट्राइक
26 फरवरी 2019 को भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक करके जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ढेर कर दिया था।
बालाकोट हमले के बाद, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी हमलों/घटनाओं में कमी देखी गई है। तब से भारत की कूटनीतिक ऊंचाई और विशेष स्टैंड-ऑफ सटीक हथियारों के साथ राफेल लड़ाकू विमान को शामिल करने के साथ इसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है।
26 फरवरी, 2019 को, 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने भारत से उड़ान भरी और पा��िस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकाने पर दंडात्मक हमला करने के लिए सीमा पार की। कोड-नाम ऑपरेशन बंदर, यह हमला पुलवामा आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में किया गया था जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान मारे गए थे। “आज के शुरुआती घंटों में एक खुफिया नेतृत्व वाले ऑपरेशन में, भारत ने बालाकोट में JeM के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया। इस ऑपरेशन में बहुत बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और जिहादियों के समूह जिन्हें फिदायीन कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था, को समाप्त कर दिया गया, “विदेश मंत्रालय ने कहा।
बालाकोट स्ट्राइक पहली बार था जब भारत ने एक साहसिक युद्धाभ्यास किया, इसे आसन्न खतरे के सामने एक गैर-सैन्य पूर्व-खाली कार्रवाई के रूप में उचित ठहराया। भारत ने कहा कि विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारी से संकेत मिलता है कि और अधिक फिदायीन हमलों की योजना बनाई जा रही थी। भारत सरकार की मंशा पाकिस्तान और दुनिया को स्पष्ट रूप से बताई गई थी कि वह अब ऐसे देश के साथ बातचीत का सहारा नहीं लेगी जो 2004 में किए गए अपने वादे को पूरा करने में बार-बार विफल रहा है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपने क्षेत्र की अनुमति नहीं देगा।
दुनिया भारत के पक्ष में थी। पाकिस्तान ने क्षति से इनकार करने का प्रयास किया, यह दावा करते हुए कि हमलों ने केवल कुछ पेड़ों को नष्ट कर दिया और कोई जनहानि नहीं हुई। यह प्रशंसनीय खंडन, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस द्वारा बार-बार दोहराई जाने वाली रणनीति, एक बार फिर प्रदर्शित हुई, जैसा कि यह कारगिल घुसपैठ के दौरान हुआ था, जिसे शुरू में आतंकवादियों और कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों पर दोषी ठहराया गया था।
जूरी अभी भी बालाकोट में हताहतों के पैमाने पर बाहर है, लेकिन तब से पुल के नीचे पर्याप्त पानी बह चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से बेलआउट के लिए बार-बार अनुरोध के साथ पाकिस्तान आर्थिक दबाव में है; राष्ट्र हर पांच साल में अपने कर्ज को दोगुना करना जारी रखता है। भारी राजकोषीय घाटे के साथ मुद्रास्फीति का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। यह अनिश्चित वित्तीय स्थिति वर्तमान सरकार से मोहभंग करने के लिए बाध्य है, जो "नया पाकिस्तान" बनाने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। इसके अलावा, तालिबान के साथ पाकिस्तान का हनीमून, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर निकलने के बाद अफगानिस्तान में सत्ता में आया था, दिन पर दिन खट्टा होता जा रहा है, डूरंड रेखा पर बार-बार संघर्ष की खबरें आ रही हैं। प्रस्थान करने वाली अमेरिकी सेनाओं से जब्त किए गए हथियारों की अवैध बिक्री ने इस व्यवसाय को एक नया प्रोत्साहन दिया है, जो इस क्षेत्र में और अशांति को बढ़ावा देगा।
चीन के लिए, जिसका पाकिस्तान के साथ "पहाड़ों से भी ऊंचा और समुद्र से गहरा" रिश्ता फलता-फूलता रहा है, अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी उसकी खुद की चुनौतियां हैं। शिनजियांग क्षेत्र में उइगर अशांति के साथ-साथ टीआईपी और टीटीपी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए चीन को आतंक और उग्रवाद के प्रसार के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। ये चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में बीजिंग के निवेश के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ चीन के रणनीतिक गठबंधन का निकट भविष्य में परीक्षण किया जाएगा, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पड़ोस में खतरनाक स्थिति और पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक संकट के साथ मोहभंग के साथ।
रिश्तों और नीतियों में निवेश, जब निहित और पारलौकिक हितों के साथ किया जाता है, तो कभी लाभांश का भुगतान नहीं करेगा। पाकिस्तान की अपनी धरती के माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति, भारत के खिलाफ बचाव के रूप में पाकिस्तान के साथ चीन का गठबंधन, रणनीतिक गहराई हासिल करने के लिए तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन और अफगानिस्तान पर प्रभाव डालने के लिए पाकिस्तान के साथ अमेरिकी साझेदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि मुर्गियां आखिरकार घर लौट आई हैं।
बालाकोट हमले के बाद, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी हमलों/घटनाओं में कमी देखी गई है। तब से भारत की कूटनीतिक ऊंचाई और विशेष स्टैंड-ऑफ सटीक हथियारों के साथ राफेल लड़ाकू विमान को शामिल करने के साथ इसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है।
भारतीय वायुसेना द्वारा किया गया आखिरी फायर पावर डिस्प्ले (एफपीडी) पुलवामा हमले के दो दिन बाद हुआ। इस साल का एफपीडी 7 मार्च को किया जा रहा है।
आतंकी हमलों में खामोशी हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। नहीं। पाउडर को सूखा रखा जाना चाहिए और अभिनव विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए और बहस की जानी चाहिए क्योंकि आश्चर्य और धोखे को शामिल करने वाली ठंडे, गणनात्मक और निर्णायक कार्रवाइयाँ लाभांश का भुगतान करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया गया है।क्या सीमा पार आतंकवाद का बंदर आखिरकार भारत की पीठ से उतर गया है? केवल समय बताएगा।
आर्टिकल 370
5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे। साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हटाकर अब वहां के सरकारी दफ्तरों में तिरंगा लहराने लगा। आर्टिकल 370 भी सरकार का बड़ा फैसाला रहा।
“इसे एक ऐसे कदम के रूप में पेश करना जो कश्मीर में विकास और शांति लाएगा, भारत की कार्रवाई ने हमारी संस्कृति और राजनीति के लगभग हर पहलू को बाधित कर दिया है। हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है, अर्थव्यवस्था नाटकीय रूप से धीमी हो गई है, सामान्य जीवन राजनीतिक आवश्यकता का शिकार हो गया है, ”उसने लिखा।
पिछले साल 5 अगस्त को, भारत सरकार ने विवादास्पद अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था और अपने स्वयं के कानूनों को बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वायत्तता प्रदान की थी। निर्णय राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के साथ था: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इस कदम के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया गया और पूरे क्षेत्र में एक संचार नाकाबंदी की गई।
नबी ने लिखा, "भारत चाहता था कि हम यह विश्वास करें कि अनुच्छेद 370 आर्थिक विकास में बाधा था, लेकिन पिछले साल विकास के रास्ते में बहुत कम आया है, कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने करीब 6 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।"
लेखक के अनुसार, मुख्यधारा के कई नेता अभी भी सलाखों के पीछे हैं। 20 नवंबर, 2019 को केंद्र ने कहा कि 5 अगस्त से अब तक 5,161 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से 609 को हिरासत में लिया गया है, जबकि बाकी को रिहा कर दिया गया है।
भारत सरकार के दावों को चुनौती देते हुए, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सदस्यों द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के हालिया बयान के अनुसार, लगभग 13,000 लोग अभी भी हिरासत में हैं।
उन्होंने लिखा, "अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग सहित विभिन्न आयोगों का समापन हुआ है और इसने हमारी शिक्षा प्रणाली को संकट में डाल दिया है।"
उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि फैसले के बाद से घाटी में बच्चे 10 दिनों से अधिक समय से स्कूल नहीं जा पाए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट पर चल रहे प्रतिबंध के बारे में उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित किया जा रहा है.
वर्तमान भारत-चीन सीमा संघर्ष पर कटाक्ष करते हुए, नबी ने लिखा कि चीन ने आक्रामक रूप से विवाद के लिए तीसरे पक्ष के रूप में खुद को लद्दाख में प्रवेश करके आग की एक श्रृंखला में शामिल होने के लिए प्रस्तुत किया है, जिसने सीमा पार तनाव को बढ़ा दिया है, भले ही नई दिल्ली ने दावा किया हो कि फैसले के बाद विदेशी दखल खत्म होगा।
उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि भारत कभी भी यह स्वीकार नहीं करेगा कि अनुच्छेद 370 को हटाना विफल रहा है और नई दिल्ली यह पुष्टि करने की कोशिश करेगी कि कश्मीर में जीवन सामान्य है। "यह आशा करना जारी रखेगा कि संचार को अवरुद्ध करने और जमीन पर असंतोष को नियंत्रित करने से किसी को पता नहीं चलेगा कि स्थिति कितनी बिगड़ गई है"।
इससे पहले कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा बहाल करने की मांग की थी। सुलह, राहत और पुनर्वास नामक समूह ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को बहाल करने का आग्रह किया है।
समूह ने भारतीय पीएम, गृह मंत्री और सरकार से यह कहते हुए अपील की है, “जम्मू और कश्मीर के लोग आपके अपने लोग थे, उनसे प्यार करें। एक अच्छे भाव के रूप में, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करें। प्रतिनिधि/सांसद जनता के लिए, जनता के द्वारा हैं और उन्हें लोगों की आकांक्षाओं और इच्छाओं को समझने की जरूरत है।
बयान में कहा गया है कि पिछड़े क्षेत्रों के हितों और आकांक्षाओं की रक्षा के लिए, लोगों के सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए, अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और राज्य के कुछ हिस्सों में अशांत कानून व्यवस्था से निपटने के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।
आतिश चाफे द्वारा लिखित (मुख्य संपादक)
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