#दिल्ली में बलात्कार
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नशे में धूत दो लोगों ने ओडिशा की युवती के साथ किया गैंगरेप, चश्मदीद ऑटो रिक्शे वाले ने भी नहीं छोड़ा
Delhi News: ओडिशा की रहने वाली 34 वर्षीय एक शोधकर्ता के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। यह घटना 11 अक्टूबर को हुई थी। युवती अभी भी दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज करा रही है। नशे में धुत दो आरोपियों ने युवती को अकेला देखकर बलात्कार की साजिश रची। युवती को जबरन एक सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। इस घटना का चश्मदीद गवाह एक ऑटोरिक्शा…
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अक्टूबर में आईटीओ के पास शोधकर्ता से बलात्कार के आरोप में ऑटो चालक सहित तीन गिरफ्तार | भारत समाचार
यह एक प्रतीकात्मक AI छवि है (तस्वीर क्रेडिट: Canva) नई दिल्ली: एक बड़ी सफलता में, दिल्ली पुलिस ने 11 अक्टूबर को ओडिशा की एक 34 वर्षीय महिला शोधकर्ता के साथ हुए क्रूर सामूहिक बलात्कार के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। उनकी जांच से पता चला है कि यह घटना आईटीओ के पास हुई थी और महिला, जो मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से पीड़ित है, उसे एक ऑटो में दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के सराय काले खां में फेंक…
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खाद: प्रकृति का उपहार, हमारी जिम्मेदारी
खाद का अर्थ होता है, खाद्य पदार्थ (पौधों का भोजन), पौधों को पानी के साथ साथ भोजन की भी आवश्यकता होती है। पौधे अधिकतर भोजन प्रकाश संश्लेषण से प्राप्त करते हैं, लेकिन पोषकतत्व (माइक्रो न्यूट्रेंट) जड़ों के माध्यम से पानी के साथ जमीन से ग्रहण करते हैं। भूमि में जो जैविक कार्बन तत्व होता है वह भूमि में जीवन का आधार होता है। यह भूमि में रहने वाले सभी जीव, जीवाणुओं का भोजन होता है। इससे ही भूमि उपजाऊ बनती है और पौधे पनपते है।
रासायनिक खादों की वजह से मिट्टी में यह जैविक कार्बन तत्व कम होता जा रहा है और भूमि बंजर होती जा रही है। रसायनिक खाद रूपी न��ा देकर धरती माता का दोहन, बलात्कार किया जा रहा है। एक इंच मिट्टी की परत बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं। दिनों दिन मिट्टी कम होती जा रही है। कुछ मिट्टी को हमने बिल्डिंग, शेड, सड़कों, फुटपाथ के नीचे दबा दिया है, कुछ से हम खनिज लवण, बिल्डिंग मैटेरियल, रेत, कोयला, निकालकर खत्म कर रहे हैं, कुछ से ईंट, मिट्टी के बर्तन बनाकर उसे हमेशा हमेशा के लिए मार दिया हैं। कुछ को रसायनिक केमिकल डालकर, जहरीला करके मार रहे हैं। कुछ को मलबे, प्लास्टिक के नीचे दबाकर, दम घोंटकर मार रहे हैं। कुछ आग लगने से बंजर हो रही है। भले ही हम धरती को माता कहें लेकिन हम इसकी देखभाल माता की तरह बिलकुल भी नही कर रहे हैं। दिल्ली जैसे शहरों में गमलों में पौधे लगाने के लिए ऑनलाइन से मिट्टी 55 रुपए प्रति किलो तक मिलती है। हम मिट्टी को पैदा नहीं कर सकते हैं, लेकिन खाद बनाना ही एक मात्र ऐसी विधि है जिससे हम उपजाऊ मिट्टी उत्पन्न कर सकते हैं। इसे पोंटिंग सॉइल कहते हैं जो विदेशों में बहुत महंगी मिलती है जिसे लोग गमलों में डालकर पौधे लगाते हैं। इसका (खाद का) एक फायदा और है कि हम जैविक कचरे का सदुपयोग करते है जिससे कचरें के ढेर नही बनते है और वातावरण, भूमि, भूजल को प्रदूषित करने से रोका जाता है, जमीन का दुरुपयोग लैंडफिल के रूप में होने से बचाव होता है और बाहर से खाद खरीदनी नहीं पड़ती है और रसायनिक खाद का उपयोग कम होता है।
पत्तों को जलाना या कचरे के रूप में विद्यालय परिसर से बाहर भेजना एक पर्यावरणीय और नैतिक अपराध, पाप होता है, जिससे बचना चाहिए। पत्तों को जलाने से ��ायु का प्रदूषण बढ़ता है जिससे फेफड़ों की बीमारियां होती है। कचरा सड़क किनारे डालने से बदबू, मक्खी, मच्छर, कॉकरोच, चूहे, बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु पैदा होते हैं। लैंडफिल में फेंकने से उपयोगी जमीन खराब होती है, बहुत धन खर्च होता है, हानिकारक गैसें उत्पन होती है। अगर हम विधालय से ब्लैक गोल्ड रूपी इस धन को कचरे के रूप में बाहर भेजते हैं या जलाते हैं तो फिर हमारी पर्यावरण संरक्षण की बातें खोखली ही कही जायेंगी। पत्तों की खाद को मिट्टी या ग्रोइंग मीडिया की तरह प्रयोग में लाया जा सकता है। यह बहुत हल्की होती है इससे छत, बालकनी में लगे गमलों में भार कम होता है और इसकी वाटर रिटेनिंग कैपेसिटी (जल धारण क्षमता) अधिक होती है इससे पानी की आवश्यकता कम होती है। इसमें पनपे पौधों को अलग से खाद देने की खास आवश्यकता नही होती है और पौधों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे उनमें बीमारियां नही लगती है। इसमें मिट्टी वाले रोग नहीं लगते है।
खाद कई प्रकार की होती है जैसे कि पत्तो की खाद, केंचुआ खाद, रूड़ी की खाद, किचन वेस्ट से बनी खाद, रसायनिक खाद इत्यादि। सभी खाद बनाने का तरीका अलग अलग होता है। खाद बनना एक बायोलॉजिकल प्रक्रिया होती है, विज्ञान होती है इसलिए इसके सिद्धांतो को, विज्ञान को समझना बहुत जरूरी होता है। पत्तो की खाद को अंग्रेजी में लीफ मोल्ड भी कहते हैं क्योंकि यह मोल्ड यानि फंगस, फंफूदी बनाती हे। जबकि किचन वेस्ट खाद जीवाणुओं से बनती हे। और केंचुआ खाद केंचुओ से बनती है।
पत्तो की खाद (Leafmold)
पत्तों की खाद बनाने के लिए चार तत्वों की आवश्यकता होती है। १ जैविक कार्बन (पत्ते, फसल अवशेष), २. नमी, ३. ऑक्सीजन, ४. फंगस। विद्यालयों में इसे जमीन में 3,4 फीट गहरा, 3,4 फीट चौड़ा और 5,6 फीट लंबा गढ़ा या नाली खोदकर बनाया जा सकता है। अगर विधालय में जमीन नहीं हो तो ईंटो, लकड़ी, जाली, कपड़े की 4 फीट ऊंची बाड़/दीवार बनाकर या ढेर बनाकर भी बनाया जा सकता है। रोजाना जो भी पेड़ों के पत्ते नीचे गिरे उन्हे गड्ढे या ढेर में डाल देना चाहिए। लेकिन इसमें नॉन जैविक पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक, कांच, ईंट पत्थर, मलबा, तेल इत्यादि नहीं डालना चाहिए। जब लॉन की घास कटे तो उसे भी इस गढ़े या ढेर में बिछा देना चाहिए। पौधों की कटाई, छंगायी से प्राप्त पत्ते, छोटी टहनी, खरपतवार, मरे, सूखे हुए पौधे, जड़ें भी डाले जा सकत��� है, बचा हुआ खाना, फल, सब्जियां, ज्यूस, छाछ, आचार इत्यादि भी इसमें डाले जा सकते है। ऊपर से पत्तों से ढक देना चाहिए ताकि मक्खी मच्छर उत्त्पन ना हो। टहनियों को छोटे टुकड़ों में काटकर (श्रेड करके) डालने से जल्दी खाद बनती है। सप्ताह में एक दो बार इसमें पानी छिड़ककर गीला कर देना चाहिए। गड्ढे या ढेर की लंबाई जगह अनुसार हो सकती है लेकिन चौड़ाई और गहराई/ऊंचाई कम से कम तीन फीट होनी चाहिए। जब एक गड्ढा भर जाए तो दूसरे में शुरू कर देना चाहिए। जब तक दूसरा गड्ढा भरेगा तब तक पहले गढ़े की खाद तैयार हो जायेगी। जब यह खाद पूरी तरह तैयार हो जाती है तो इसमें सोंधी मिट्टी की खुशबू आती है। और यह भूरे, काले, ग्रे रंग की हो जाती हे, साइज छोटा हो जाता है। इसे छानकर या बिना छाने भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इसे पूरी तरह बनने में 6 महीने लगते है लेकिन उपयोग में लाने के लिए 3 महीने में तैयार हो जाती हे। गांवों, खेतों में पत्तों के साथ साथ फसल अवशेष भी इसमें डाला जा सकता है। घरों में जमीन नहीं होने पर पत्तों की खाद छेद हुए 200 लीटर वाले ड्रम या बोरों में भी बनाई जा सकती है।
किचन वेस्ट से खाद (compost)
घरों में किचन वेस्ट से भी अच्छी खाद बनाई जा सकती है। इसके लिए पांच तत्वों की आवश्यकता होती है। १. कार्बन युक्त पदार्थ (सूखे पत्ते, फसल अवशेष, कोकोपीट, गत्ते, लकड़ी का बुरादा, इत्यादि), २. नाइट्रोजन युक्त पदार्थ (हरे पत्ते, हरी घास, किचेन वेस्ट, फूड वेस्ट, चाय पत्ती, कॉफी पाउडर, गाय का गोबर,मूत्र इत्यादि), ३. नमी (55%)। गीला: सुखा कचरा 1:1 से लेकर 1:2 अनुपात में डालने से नमी की पूर्ति हो जाती हैं वरना पानी ऊपर से छिड़कना पड़ता है। ४. ऑक्सीजन - खाद बनाने वाले जीवाणुओं के लिए ऑक्सीजन/हवा की आवश्यकता होती है। जमीन में गड्ढे में खाद बनाने से मिट्टी के छिद्रों में उपस्थित हवा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। ड्रम या बाल्टी में खाद बनाने के लिए छेद करने पड़ते है। ये छेद 3 एमएम डायामीटर के 6 इंच परस्पर दूरी पर किए जाते हैं। ५. जीवाणु : जीवाणु ही जैविक कचरे को खाद में परिवर्तित करते हैं। वैसे तो भोजन की तलाश में जीवाणु वातावरण से अपने आप ही आ जाते हैं लेकिन वातावरण में तो अनेकों तरह के अच्छे बुरे जीवाणु हो सकते हैं जैसे कि बीमारी या बदबू पैदा करने वाले भी। इसलिए अच्छे जीवाणुओं को कल्चर या जामन के रूप में मिलाने से खाद अच्छी और जल्दी बनती है। क्योंकि अच्छे जीवाणु अपनी कालोनी में बुरे कीटाणुओं को घुसने नहीं देते हैं।
विधि १ :
विधि २ :
विधि ३: घर में ड्रम नहीं होने पर इसे बड़े खाली गमले या बड़े मुंह वाले मिट्टी के घड़े या जूट बैग में भी बनाया जा सकता है।
विधि ४: अगर बड़े गमले में पहले से ही मिट्टी भरी हो तो उसकी आधी मिट्टी निकालकर उसमें किचन वेस्ट और मिट्टी के परत डालकर भी खाद बनाई जा सकती है।
विधि ५ : पेड़ों, बड़े पौधों के चारों और कैनोपी के क्षैत्र में मिट्टी खोदकर, 1 फुट चौड़ी और 1 फीट गहरी नाली बनाकर, किचन वेस्ट को सीधा ही डालकर, मिट्टी से ढककर भी खाद बनाई जा सकती है, जो पौधे की जड़ों को मिलती रहेगी���
अच्छी खाद बनने की निशानी यही है कि उसमें सोंधी मिट्टी की खुशबू आनी शुरू हो जाती है। अगर खाद में बदबू आ रही हो तो इसका मतलब गीले कचरे की मात्रा ज्यादा है, हवा नही लग रही है या नीचे लिक्विड/ पानी इक्ट्ठा हो गया है। उसमें पानी निकालकर और सुखा कचरा मिलाकर फिर से बनाया जा सकता है।
नोट : किचन वेस्ट में सब्जियों, फलों के छिलके, सब्जियों के पत्ते, डंठल, चाय की पत्ती, काफी पाउडर, रोटी, चावल, सुखी सब्जी, आचार, सड़े हुए फल, सब्जियां, नाखून, बाल इत्यादि डाले जा सकते हैं। इसमें मिठाई, दूध, डेरी प्रोडक्ट, तेल, तरी, तरल पदार्थ, नॉन वेज आइटम इत्यादि नहीं डालने चाहिए।
गांवों खेतों में गाय- भैंस के गोबर और फसल अवशेष से खाद
गांवों में लोग गाय ,भैंस, बकरी, ऊंठ ,घोड़ा इत्यादि के गोबर से तो खाद बनाते हैं लेकिन पत्तों, फसल अवशेष, लकड़ी, खरपतवार, खराब हुए भूसे को जला देते हैं। गाय भैंस के गोबर से जो रुड़ी की खाद बनाते है उसमें भी सिर्फ गोबर ही डालते हैं जिसमें नाइट्रोजन की अधिकता होती है, और उसमें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है इसलिए खाद बनने में लंबा समय लगता है, खाद कम बनती है और वह खाद पौधों को जला भी सकती है। अगर खाद बनने के सिद्धांतो (पांच तत्वों : कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, नमी, जीवाणु) के अनुसार खाद बनाई जाए तो खाद जल्दी, अच्छी क्वालिटी की और ज्यादा मात्रा में बनती है और इससे मिट्टी में भी सुधार होता है।
विधि :
कृपया आप खाद बनाना अवश्य शुरू करें। कोई भी दिक्कत या जानकारी , मार्गदर्शन के लिए मुझसे कभी भी संपर्क कर सकते हैं। मैं 25 से अधिक लोगों के लिए ऑनलाइन मीटिंग/वर्कशॉप भी करने के लिए तैयार हूं।
खाद बनाएं, जैविक कचरा निपटाएं खाद बनाएं, धरती माता को बचाएं खाद बनाएं, पर्यावरण बचाएं खाद बनाएं, धन बचाएं खाद बनाएं, जैविक भोजन उपजाएं खाद बनाएं, सुंदर बगीचा लगाएं खाद बनाएं, पानी बचाएं
आर के बिश्नोई, कचरा प्रबंधन प्रमुख दिल्ली प्रांत, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रांत पर्यावरण प्रमुख, विद्याभारती दिल्ली 9899303026 [email protected]
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दिल्ली में महिला से दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली के द्वारका इलाके में एक व्यक्ति ने महिला को नौकरी के लिए साक्षात्कार दिलाने के बहाने बुलाकर कथित रूप से उससे बलात्कार किया। महिला व्यक्ति को पहले से जानती थी। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि इलेक्ट्रिशियन के रूप में काम करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘रविवार को मोहन गार्डन पुलिस थाने के पुलिस नियंत्रण कक्ष में दूरभाष…
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Supreme Court-कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगने संबंधी याचिका खारिज की, कहा- यह हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक परास्नातक महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे मांगे जाने का अनुरोध किया गया था.प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे ब��� पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका दायर करने…
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Kolkata Murder Case : कोलकाता डॉक्टर बलात्कार मामले पर सुनवाई शुरू; सुनवाई के दौरान CJI ने और क्या पूछा?
नई दिल्ली। Kolkata Murder Case सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर से कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले पर सुनवाई शुरू हो गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। J&K Election : जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पर बरसे अमित शाह; बोले- अब कभी वापस नहीं आएगा 370 पीठ ने सुनवाई करते…
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ओपिनियन : ये चेतने का वक्त है! हेमा कमिटी रिपोर्ट क्यों भारतीय सिनेमा को बड़े खतरे से कर रही आगाह
नई दिल्ली: जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल आ गया है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फिल्म इंडस्ट्री में औरतों का शोषण और बदसलूकी आम बात है। रिपोर्ट में बताया गया है कि औरतों से काम के बदले शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहा जाता है और मना करने पर उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। हालांकि, ये समस्या सिर्फ मलयालम फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। हर फिल्म इंड्रस्ट्री में औरतों का शोषण होता है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री यानी मॉलीवुड के लिए साल 2024 कमाई के लिहाज से अब तक काफी शानदार रहा है। साल 2024 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कमाई पूरी दुनियाभर में 1,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है। 'मंजुम्मेल बॉयज', 'आवेशम' और 'प्रेमलु' जैसी फिल्मों की सफलता ने इंडस्ट्री को इस ऊंचाई तक पहुंचाया है। लेकिन जस्टिस हेमा कमिटी की रिपोर्ट ने इस खुशी पर पानी फेर दिया है। रिपोर्ट में केरल फिल्म इंडस्ट्री के बड़े लोगों पर गलत कामों के आरोप लगाए गए हैं। इससे फिल्म इंडस्ट्री के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। काम के बदले महिला कलाकारों से सेक्स रिलेशन की मांग मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों के साथ हो रहे बेहद खराब बर्ताव की खबर सामने आई है। 498 सदस्यों वाली संस्था मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (AMMA) पर आरोप है कि वो महिला कलाकारों का शोषण करती है। काम के बदले महिला कलाकारों से यौन संबंध बनाने की मांग की जाती है। जो महिलाएं ऐसा करने से मना करती हैं उन्हें काम नहीं मिलता और बैन कर दिया जाता है। हैरानी की बात यह है कि AMMA में आधे से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं। लेकिन सत्ता पुरुषों के हाथों में ही है। इस विवाद के बाद मलयालम अभिनेता मोहनलाल की अध्यक्षता वाली 17 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया है। पीड़ित महिलाओं ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी आपबीती सार्वजनिक की है। उनका कहना है कि डर की वजह से अब तक चुप थीं, लेकिन अब और नहीं। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक केरल में फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक रिपोर्ट 2019 में सरकार को सौं��ी गई थी। साढ़े चार साल तक, कुछ नहीं हुआ। रिपोर्ट को दबा दिया गया। कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक हुई। अचानक वही लोग जो महिला सहयोगियों के खिलाफ कई अपराधों में शामिल थे, 'नैतिक जिम्मेदारी' की बात कर रहे हैं। यह उन लोगों को बचाने का एक अंतिम प्रयास है, जिन्होंने अपने पद और दबाव का इस्तेमाल उन लोगों को नियंत्रित करने के लिए किया था जिनकी सुरक्षा करना उनका काम था। मॉलीवुड का माहौल खराब है, जहां महिलाएं सुरक्षा को लेकर अपनी चिंताओं को लेकर पुरुष प्रधान लॉबी की ओर से उपहास का सामना कर रही हैं। '...जब महिलाओं का बायकॉट कर दिया गया' 2017 के एक बलात्कार के मामले में AMMA सदस्यों के सुस्त रवैये के बाद 'विमेन इन सिनेमा कलेक्टिव' अस्तित्व में आया। यह न्याय के लिए बना साहसी संघर्ष संगठन था, लेकिन वास्तव में इन्हीं महिलाओं को आगे भेदभाव का सामना करना पड़ा और सच्चाई उजागर करने पर उनका बायकॉट कर दिया गया। एक महिला कलाकार का अपहरण करने और कथित तौर पर बलात्कार करने से इन लोगों में एक मजबूत संदेश गया कि व्यवस्था से लड़ने से और ज्यादा निराशा और बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।हालांकि मॉलीवुड में कुछ लोगों के नाम सामने आने के बाद, बदलाव की उम्मीद जगी है। पर किस बात का बदलाव? और कब तक? अभी तो बस इतना हुआ है कि वहां के लोग शांत बैठे हैं और दोबारा से संगठित होने का इंतजार कर रहे हैं। हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने पूरे देश को हिला डाला मलयालम फिल्म जगत में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने पूरे देश को हिला दिया है। रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के शोषण और भेदभाव के गंभीर आरोपों की जांच की मांग की गई है। भारत में हमेशा से यह धारणा रही है कि मलयाली महिलाएं मजबूत और स्वतंत्र होती हैं। लेकिन हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने इस मिथक को तोड़ा है। रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ हो रहे बुरे सलूक का खुलासा किया गया है। इससे मलयालम सिनेमा की छवि को गहरा धक्का लगा है। बॉलीवुड कब तोड़ेगा अपना चुप्पी? यह समस्या केवल मलयालम सिनेमा तक ही सीमित नहीं है। बॉलीवुड समेत भारत के दूसरे फिल्म उद्योगों में भी महिलाओं का शोषण होता रहा है। Me Too आंदोलन के दौरान बॉलीवुड में इस मुद्दे पर थोड़ी चर्चा हुई थी, लेकिन वह जल्द ही ठंडी पड़ गई। अब समय आ गया है कि फिल्म जगत के लोग इस बारे में गंभीरता से सोचें। सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और महिलाओं के लिए एक सुरक्ष���त वातावरण बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। रिपोर्ट में सभी मामलों की विस्तृत जांच… http://dlvr.it/TCfbz2
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Kolkata doctor rape-murder case: सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद एम्स के डॉक्टरों ने 11 दिन की हड़ताल वापस ली
कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-हत्या मामला लाइव अपडेट: एम्स के डॉक्टरों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में अपनी 11 दिवसीय हड़ताल सुप्रीम कोर्ट की अपील और केंद्र को सार्वजनिक डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश के बाद वापस ले ली है। “राष्ट्र के हित में और जन सेवा की भावना से, एम्स, नई दिल्ली में आरडीए ने 11 दिन की हड़ताल वापस लेने क��� फैसला किया है।…
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दाती महाराज और उनके दो भाईयों पर बलात्कार के आरोप तय, शिष्या के साथ किया था रेप; जानें पूरा मामला
Daati Maharaj Rape Case Inside Story: मदनलाल उर्फ दाती महाराजा और उसके 2 भाइयों अर्जुन और अशोक के खिलाफ दर्ज रेप केस में आरोप तय हो गए हैं। दिल्ली में साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तीनों आरोपियों के खिलाफ दर्ज रेप केस में आरोप तय करके मुकदमा चलाने का आदेश जारी किया। वहीं मामले में एक और आरोपी दाता महाराज के भाई अनिल को राहत दी गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नेहा ने आरोप तय किए। तीनों के खिलाफ 18…
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आरजी कर मामला: सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ली | भारत समाचार
नई दिल्ली: आंदोलनकारी डॉक्टरों ने बंगाल की मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद 16 दिनों के बाद अपनी ‘आमरण अनशन’ हड़ताल वापस लेने का फैसला किया। ममता बनर्जी सोमवार को. लाइव स्ट्रीम की गई बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली और इसमें आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की कई मांगों पर चर्चा हुई, जिसमें राज्य के अस्पतालों में प्रचलित “खतरे की संस्कृति” भी शामिल थी।“आरजी कर मेडिकल कॉलेज और…
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Delhi News : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आयी है, जहाँ एक शख्स ने अपनी ही लिव-इन पार्टनर की नाबालिग बेटी से बलात्कार किया । शख्स ने पार्टनर की गैर-मौजूदगी में इस घटना को अंजाम दिया।
राजधानी दिल्ली में 17 जनवरी बुधवार को एक शर्मनाक घटना सामने आयी है, जहाँ एक शख्स ने अपनी ही लिव-इन पार्टनर की 14 वर्षीय बेटी से बलात्कार कर दिया । आरोपी नाबालिग की माँ के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है। शख्स ने हवस की घटना को उस समय अंजाम दिया जिस समय नाबालिग बच्ची की मां अस्पताल गई हुई थी। पुलिस ने आरोपी की पहचान अंकित यादव (29 वर्षीय) केई रूप में की है। पुलिस द्वारा बुराड़ी थाने में बलात्कारी अंकित के खिलाफ आई.पी.सी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
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दिल्ली में महिला से दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली के द्वारका इलाके में एक व्यक्ति ने महिला को नौकरी के लिए साक्षात्कार दिलाने के बहाने बुलाकर कथित रूप से उससे बलात्कार किया। महिला व्यक्ति को पहले से जानती थी। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि इलेक्ट्रिशियन के रूप में काम करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘रविवार को मोहन गार्डन पुलिस थाने के पुलिस नियंत्रण कक्ष में दूरभाष…
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Kolkata Doctor Case: कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप व हत्या मामले में केस दर्ज करने में देरी बेहद गंभीर : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी को ‘बेहद परेशानी वाली बात’ बताया.न्यायालय ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से काम पर लौटने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी.प्रधान…
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वेब सीरीज में मैरिटल रेप को 'सेक्स सीन' कहने पर इस एक्ट्रेस का छलका दर्द, बोलीं- मुझे दुख होता है...
वेब सीरीज में मैरिटल रेप को 'सेक्स सीन' कहने पर इस एक्ट्रेस का छलका दर्द
नई दिल्ली: मिलन लुथरिया द्वारा निर्देशित वेब सीरीज में “सुल्तान ऑफ दिल्ली” से ओटीटी डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस और मॉडल मेहरीन पीरजादा ने मैरिटल रेप को “सेक्स सीन” कहने पर मीडिया और सोशल मीडिया ट्रोल की आलोचना की है. वेब सीरीज में संजना का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस ने एक्स यानी ट्विटर पर लिखा, “सुल्तान ऑफ दिल्ली में एक सीन था, जिसमें क्रूर मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार को दिखाया गया था. मुझे…
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