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#दिल्ली में बलात्कार
rightnewshindi · 8 days
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दाती महाराज और उनके दो भाईयों पर बलात्कार के आरोप तय, शिष्या के साथ किया था रेप; जानें पूरा मामला
Daati Maharaj Rape Case Inside Story: मदनलाल उर्फ दाती महाराजा और उसके 2 भाइयों अर्जुन और अशोक के खिलाफ दर्ज रेप केस में आरोप तय हो गए हैं। दिल्ली में साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तीनों आरोपियों के खिलाफ दर्ज रेप केस में आरोप तय करके मुकदमा चलाने का आदेश जारी किया। वहीं मामले में एक और आरोपी दाता महाराज के भाई अनिल को राहत दी गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नेहा ने आरोप तय किए। तीनों के खिलाफ 18…
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sharpbharat · 12 days
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Supreme Court-कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगने संबंधी याचिका खारिज की, कहा- यह हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक परास्नातक महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे मांगे जाने का अनुरोध किया गया था.प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका दायर करने…
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news-trust-india · 21 days
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Kolkata Murder Case : कोलकाता डॉक्टर बलात्कार मामले पर सुनवाई शुरू; सुनवाई के दौरान CJI ने और क्या पूछा?
नई दिल्ली। Kolkata Murder Case  सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर से कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले पर सुनवाई शुरू हो गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। J&K Election : जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पर बरसे अमित शाह; बोले- अब कभी वापस नहीं आएगा 370 पीठ ने सुनवाई करते…
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dainiksamachar · 29 days
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ओपिनियन : ये चेतने का वक्त है! हेमा कमिटी रिपोर्ट क्यों भारतीय सिनेमा को बड़े खतरे से कर रही आगाह
नई दिल्ली: जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल आ गया है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फिल्म इंडस्ट्री में औरतों का शोषण और बदसलूकी आम बात है। रिपोर्ट में बताया गया है कि औरतों से काम के बदले शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहा जाता है और मना करने पर उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। हालांकि, ये समस्या सिर्फ मलयालम फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। हर फिल्म इंड्रस्ट्री में औरतों का शोषण होता है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री यानी मॉलीवुड के लिए साल 2024 कमाई के लिहाज से अब तक काफी शानदार रहा है। साल 2024 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कमाई पूरी दुनियाभर में 1,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है। 'मंजुम्मेल बॉयज', 'आवेशम' और 'प्रेमलु' जैसी फिल्मों की सफलता ने इंडस्ट्री को इस ऊंचाई तक पहुंचाया है। लेकिन जस्टिस हेमा कमिटी की रिपोर्ट ने इस खुशी पर पानी फेर दिया है। रिपोर्ट में केरल फिल्म इंडस्ट्री के बड़े लोगों पर गलत कामों के आरोप लगाए गए हैं। इससे फिल्म इंडस्ट्री के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। काम के बदले महिला कलाकारों से सेक्स रिलेशन की मांग मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों के साथ हो रहे बेहद खराब बर्ताव की खबर सामने आई है। 498 सदस्यों वाली संस्था मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (AMMA) पर आरोप है कि वो महिला कलाकारों का शोषण करती है। काम के बदले महिला कलाकारों से यौन संबंध बनाने की मांग की जाती है। जो महिलाएं ऐसा करने से मना करती हैं उन्हें काम नहीं मिलता और बैन कर दिया जाता है। हैरानी की बात यह है कि AMMA में आधे से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं। लेकिन सत्ता पुरुषों के हाथों में ही है। इस विवाद के बाद मलयालम अभिनेता मोहनलाल की अध्यक्षता वाली 17 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया है। पीड़ित महिलाओं ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी आपबीती सार्वजनिक की है। उनका कहना है कि डर की वजह से अब तक चुप थीं, लेकिन अब और नहीं। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक केरल में फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक रिपोर्ट 2019 में सरकार को सौंपी गई थी। साढ़े चार साल तक, कुछ नहीं हुआ। रिपोर्ट को दबा दिया गया। कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक हुई। अचानक वही लोग जो महिला सहयोगियों के खिलाफ कई अपराधों में शामिल थे, 'नैतिक जिम्मेदारी' की बात कर रहे हैं। यह उन लोगों को बचाने का एक अंतिम प्रयास है, जिन्होंने अपने पद और दबाव का इस्तेमाल उन लोगों को नियंत्रित करने के लिए किया था जिनकी सुरक्षा करना उनका काम था। मॉलीवुड क��� माहौल खराब है, जहां महिलाएं सुरक्षा को लेकर अपनी चिंताओं को लेकर पुरुष प्रधान लॉबी की ओर से उपहास का सामना कर रही हैं। '...जब महिलाओं का बायकॉट कर दिया गया' 2017 के एक बलात्कार के मामले में AMMA सदस्यों के सुस्त रवैये के बाद 'विमेन इन सिनेमा कलेक्टिव' अस्तित्व में आया। यह न्याय के लिए बना साहसी संघर्ष संगठन था, लेकिन वास्तव में इन्हीं महिलाओं को आगे भेदभाव का सामना करना पड़ा और सच्चाई उजागर करने पर उनका बायकॉट कर दिया गया। एक महिला कलाकार का अपहरण करने और कथित तौर पर बलात्कार करने से इन लोगों में एक मजबूत संदेश गया कि व्यवस्था से लड़ने से और ज्यादा निराशा और बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।हालांकि मॉलीवुड में कुछ लोगों के नाम सामने आने के बाद, बदलाव की उम्मीद जगी है। पर किस बात का बदलाव? और कब तक? अभी तो बस इतना हुआ है कि वहां के लोग शांत बैठे हैं और दोबारा से संगठित होने का इंतजार कर रहे हैं। हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने पूरे देश को हिला डाला मलयालम फिल्म जगत में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने पूरे देश को हिला दिया है। रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के शोषण और भेदभाव के गंभीर आरोपों की जांच की मांग की गई है। भारत में हमेशा से यह धारणा रही है कि मलयाली महिलाएं मजबूत और स्वतंत्र होती हैं। लेकिन हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने इस मिथक को तोड़ा है। रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ हो रहे बुरे सलूक का खुलासा किया गया है। इससे मलयालम सिनेमा की छवि को गहरा धक्का लगा है। बॉलीवुड कब तोड़ेगा अपना चुप्पी? यह समस्या केवल मलयालम सिनेमा तक ही सीमित नहीं है। बॉलीवुड समेत भारत के दूसरे फिल्म उद्योगों में भी महिलाओं का शोषण होता रहा है। Me Too आंदोलन के दौरान बॉलीवुड में इस मुद्दे पर थोड़ी चर्चा हुई थी, लेकिन वह जल्द ही ठंडी पड़ गई। अब समय आ गया है कि फिल्म जगत के लोग इस बारे में गंभीरता से सोचें। सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। रिपोर्ट में सभी मामलों की विस्तृत जांच… http://dlvr.it/TCfbz2
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Kolkata doctor rape-murder case: सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद एम्स के डॉक्टरों ने 11 दिन की हड़ताल वापस ली
कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-हत्या मामला लाइव अपडेट: एम्स के डॉक्टरों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में अपनी 11 दिवसीय हड़ताल सुप्रीम कोर्ट की अपील और केंद्र को सार्वजनिक डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश के बाद वापस ले ली है। “राष्ट्र के हित में और जन सेवा की भावना से, एम्स, नई दिल्ली में आरडीए ने 11 दिन की हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है।…
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sarvodayanews · 4 months
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roh230 · 7 months
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hindinewsmanch · 9 months
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Delhi News : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आयी है, जहाँ एक शख्स ने अपनी ही लिव-इन पार्टनर की नाबालिग बेटी से बलात्कार किया  । शख्स ने पार्टनर की गैर-मौजूदगी में इस घटना को अंजाम दिया।
राजधानी दिल्ली में 17 जनवरी बुधवार को एक शर्मनाक घटना सामने आयी है, जहाँ एक शख्स ने अपनी ही लिव-इन पार्टनर की 14 वर्षीय बेटी से बलात्कार कर दिया । आरोपी नाबालिग की माँ के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है। शख्स ने हवस की घटना को उस समय अंजाम दिया जिस समय नाबालिग बच्ची की मां अस्पताल गई हुई थी। पुलिस ने आरोपी की पहचान अंकित यादव (29 वर्षीय) केई रूप में की है। पुलिस द्वारा बुराड़ी थाने में बलात्कारी अंकित के खिलाफ आई.पी.सी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
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nbs-hindi-news · 1 year
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वेब सीरीज में मैरिटल रेप को 'सेक्स सीन' कहने पर इस एक्ट्रेस का छलका दर्द, बोलीं- मुझे दुख होता है...
वेब सीरीज में मैरिटल रेप को 'सेक्स सीन' कहने पर इस एक्ट्रेस का छलका दर्द
नई दिल्ली: मिलन लुथरिया द्वारा निर्देशित वेब सीरीज में “सुल्तान ऑफ दिल्ली” से ओटीटी डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस और मॉडल मेहरीन पीरजादा ने मैरिटल रेप को “सेक्स सीन” कहने पर मीडिया और सोशल मीडिया ट्रोल की आलोचना की है. वेब सीरीज में संजना का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस ने एक्स यानी ट्विटर पर लिखा, “सुल्तान ऑफ दिल्ली में एक सीन था, जिसमें क्रूर मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार को दिखाया गया था. मुझे…
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lawspark · 1 year
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आई.पी.सी.,1860 की धारा 354 D का विश्लेषण 
परिचय
अपराध को एक ऐसे कार्य या चूक के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कानून का उल्लंघन करता है और जिससे बड़े पैमाने पर समाज प्रभावित होता है। भारतीय दंड संहिता, 1860 विभिन्न प्रावधान प्रदान करता है ताकि महिलाओं को अपराधों के खिलाफ सुरक्षा दी जा सके। यह संहिता अनिवार्य रूप से किसी अपराध को दंडित करने के लिए एक्टस रीअस और मेन्स रीआ को देखती है। आम तौर पर पीछा करने का मतलब है कि किसी व्यक्ति की सहमति के बिना या तो ऑनलाइन या शारीरिक रूप से उसका पीछा करना ताकि ऐसे व्यक्ति के साथ व्यक्तिगत बातचीत स्थापित की जा सके, भले ही वे इससे असहमत हों। भारतीय दंड संहिता के तहत पीछा करना एक दंडनीय अपराध है, हालांकि संहिता केवल महिलाओं के खिलाफ पीछा करने के अपराध के लिए सजा का प्रावधान करता है। भारतीय दंड संहिता के तहत पीछा करने के अपराध को एक संज्ञेय (कॉग्निजेबल), जमानती और गैर-शमनीय (नॉन कंपाउंडेबल) अपराध के रूप में मान्यता प्राप्त है। पीछा करने से महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। ज्यादातर पीड़ितों को तनाव और सामाजिक चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें यह सब, अलग स्थानों पर स्थानांतरित (ट्रांसफर) होने, नौकरी बदलने, आपातकालीन संपर्क और अघोषित (अनडिस्क्लोज्ड) हथियारों के साथ पीछा किए जाने के आघात (ट्रॉमा) के परिणामस्वरूप सहना पड़ता है। यह लेख भारतीय दंड संहिता की धारा 354 D और इसके प्रत्येक आवश्यक तत्वों का एक अवलोकन (ओवरव्यू) देता है। 
पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड)
आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव लाने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। 23 दिसंबर 2013 को गठित इस समिति में अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा, न्यायमूर्ति लीला सेठ और वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट) गोपाल सुब���रमण्यम शामिल थे। इन परिवर्तनों का उद्देश्य महिलाओं से संबंधित चरम (एक्सट्रीम) प्रकृति के यौन उत्पीड़न के अपराधों के लिए परीक्षण और दंड के मामले में आपराधिक न्याय प्रणाली को तेज करना था। यह कुख्यात दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के परिणामस्वरूप किया गया कार्य था, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या और उनके शील (मोडेस्टी) भंग को उजागर किया गया था। आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के तहत समिति द्वारा धारा 354 D के तहत पीछा करने के अपराध को पेश किया गया था और 23 जनवरी 2013 को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
आई.पी.सी. की धारा 354 D 
कोई भी पुरुष जो किसी महिला का पीछा करता है, उससे संपर्क करता है या व्यक्तिगत बातचीत के लिए उससे बार-बार संपर्क करने का प्रयास करता है, भले ही महिला ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया हो कि उसे, उससे बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, तो इसे धारा 354 D के अनुसार पीछा करना कहा जाता है। इस धारा में ऑनलाइन माध्यम से पीछा करना यानी किसी महिला के इंटरनेट, ई मेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार (कम्युनिकेशन) के अन्य रूपों के उपयोग पर निगरानी रखना भी शामिल है। 
पीछा करने के अपवाद
यदि किसी अपराध का पता लगाने या किसी कार्य को होने से रोकने के लिए, राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी के तहत किसी पुरुष द्वारा महिला का पीछा किया जाता है,; कानून द्वारा अधिकृत (ऑथराइज्ड) व्यक्ति द्वारा दी गई किसी भी शर्त या कानून का पालन करना; अन्य परिस्थितियाँ जो उसके आचरण को उचित रूप से न्यायसंगत (जस्टिफिएबल) बना सकती हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 354 A में एक महिला के प्रति यौन प्रगति (एडवांसेज) और अवांछित या स्पष्ट शारीरिक संपर्क, यौन संबंध बनाने के लिए मांग या अनुरोध, महिला की इच्छा के विरुद्ध साहित्य/पुस्तकें दिखाने और यौन रूप से अश्लील टिप्पणी करने की चर्चा है। इन सभी को यौन उत्पीड़न के रूप में वर्गीकृत किया गया है और धारा 354 D से पहले इस धारा का इस्तेमाल पीछा करने के लिए भी किया जाता था क्योंकि यौन उत्पीड़न के अधिकांश मामले पीछा करने से ही शुरू होते हैं। धारा 354B– यह धारा किसी महिला की इच्छा के बिना उसको निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक बल के प्रयोग या हमले के बारे में बात करती है। यह धारा ऐसे अपराध के लिए उकसाने पर भी दंड देती है। धारा 354C– इस धारा के तहत दृश्यरतिकता (वॉयरिज्म) को स्पष्ट किया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि किसी व्यक्ति को नग्न या यौन गतिविधियों में लिप्त देखकर यौन सुख प्राप्त करना। भारतीय दंड संहिता किसी भी पुरुष को दंडित करती है जो किसी महिला की निजता पर आक्रमण करके उसकी तस्वीरें खींचता है या देखता है, अनिवार्य रूप से जब वह नग्न होती है जिसका अर्थ है कि उसके जननांग (जेनिटल), पश्च (पोस्टीरियर) और स्तन उजागर हो जाते हैं या जब वह किसी ऐसे निजी कार्य में लिप्त होती है जिसे वह आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं करती है। यह धारा इस वाक्य का उपयोग करके – “वह अपनी निजता के समय किसी के द्वारा देखे जाने की उम्मीद नहीं करेगी”, यह स्पष्ट करती है कि इस तरह का कार्य दंडनीय है यदि यह महिला की सहमति के बिना किया जाता है। यह धारा महिला के ऐसे चित्रों को प्रसारित करने को दंडित करती है। धारा 509– शब्दों, इशारों या कार्यों का उपयोग करके किसी महिला की शील का अपमान करना। इस धारा का मुख्य तत्व यह है कि अपराधी को कोई शब्द बोलने चाहिए, ध्वनि या इशारा करना चाहिए या किसी वस्तु का प्रदर्शन करना चाहिए और यह इस इरादे से किया जाना चाहिए कि इसे सुना जाए या देखा जाए या महिला की निजता पर इससे प्रभाव पड़ सके। धारा 509 को अक्सर 354D(1)(i) के साथ पढ़ा जाता है क्योंकि एक महिला का पीछा करते हुए उसके शील का अपमान करने के इरादे से अकसर छेड़खानी की घटनाएं हुई हैं। आई.टी. अधिनियम की धारा 66 E: जबकि धारा 354C, धारा 354 D(1)(i) के साथ पढ़ी जाती है, जो दृश्यरतिकता के साथ शारीरिक रूप से पीछा करना होता है, धारा 66E इंटरनेट के माध्यम से किए गए दृश्यरतिकता के बारे में बात करती है जो आमतौर पर साइबर स्टॉकिंग का परिणाम है। यह धारा किसी व्यक्ति की तस्वीरें खींचने, प्रकाशित करने और निजता का उल्लंघन करने को दंडित करती है। आई.टी. अधिनियम की धारा 67: यह धारा अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रसारित करने के लिए निर्धारित दंड के बारे में बात करती है, इस धारा को आई.पी.सी. की धारा 292 और धारा 354 D (1) (i) के साथ पीछा करने और अश्लील, निर्लज्ज सामग्री भेजने के साथ पढ़ा जाता है। आई.टी.अधिनियम की धारा 67A और 67B: जबकि धारा 67A एक वयस्क महिला का पीछा करने और यौन रूप से स्पष्ट सामग्री भेजने, स्पष्ट सामग्री को प्रकाशित करने और प्रसारित (ट्रांसमिट) करने से संबंधित है, 67B उपरोक्त समान स्थिति में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से संबंधित है। ये दोनों धाराएं 354 D(1)(i) के दायरे को कवर करती हैं। यदि आपका पीछा किया जा रहा है या किसी व्यक्ति द्वारा संपर्क किया जा रहा है, वह पुरूष व्यक्तिगत संपर्क बनाने के इरादे दिखाता है, आपने अरुचि का संकेत दिया है, पहचानें कि क्या पीछा करने के साथ-साथ कोई अन्य कार्य हो रहा है। उदाहरण के लिए, यौन उत्पीड़न, दृश्यरतिकता (सहमति के बिना तस्वीरें लेना), हमला करना, शब्दों या हरकतों से शील भंग करने की कोशिश करना और जबरदस्ती कपड़े उतारने की कोशिश करना। इन कार्यों के खिलाफ नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफ.आई.आर. या शिकायत दर्ज करें। यदि आप अपने खुद के राज्य में नहीं हैं, तो एक शून्य प्राथमिकी (ज़ीरो एफ.आई.आर.) दर्ज की जा सकती है। एक शून्य प्राथमिकी आपको शिकायत दर्ज करने की अनुमति देती है, भले ही अपराध कही भी किया गया हो और बाद में ऐसी शिकायत को उस अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिक्शन) के पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां अपराध किया गया है। यह स्थापित करना कि अपराध संज्ञेय है या गैर-संज्ञेय है, यह समझने में मदद करता है कि अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए अदालत की मंजूरी या वारंट की आवश्यकता होगी या नहीं। चूंकि 354 D एक संज्ञेय अपराध है, तो पुलिस अपराधी को अदालत की मंजूरी के बिना गिरफ्तार कर सकती है, जिसके बाद जांच शुरू होती है। यदि आपका पीछा किया जा रहा है या किसी व्यक्ति द्वारा संपर्क किया जा रहा है वह पुरुष व्यक्तिगत संपर्क बनाने के इरादे दिखाता है, आपने अरुचि का संकेत दिया है, आपके इंटरनेट के उपयोग पर नज़र रखता है, पहचानें कि क्या पीछा करने के साथ-साथ कोई अन्य कार्य हो रहा है। उदाहरण के लिए, यौन उत्पीड़न, दृश्यरतिकता (सहमति के बिना तस्वीरें लेना/प्रकाशित करना), शब्दों या इशारों से शील भंग करने की कोशिश करना, अश्लील साहित्य दिखाना या स्पष्ट सामग्री भेजना। इंटरनेट से संबंधित आपराधिक गतिविधि, जो साइबर अपराध है, से निपटने वाले साइबर सेल में शिकायत दर्ज की जा सकती है। शिकायत या तो ऑनलाइन या प्राथमिकी के जरिए दर्ज की जा सकती है। गुमनाम रूप से शिकायत दर्ज करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ एक ऑनलाइन शिकायत सेल का प्रावधान है जो फिर मामले को स्थानीय पुलिस को भेज देता है। सोशल मीडिया ऐप्स और साइटें ऐसी किसी भी गतिविधि की रिपोर्ट करने का विकल्प प्रदान करती हैं जिसे स्पष्ट जानकारी माना जाता है जो आपत्तिजनक हो सकती है। यह विकल्प दिशानिर्देश नियम (इंटरमीडियर गाइडेंस रूल), 2011 के अनुसार 36 घंटों के भीतर आपत्तिजनक जानकारी को हटाने में मदद करता है। यह सलाह दी जाती है कि अपने सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत विवरण जैसे फोन नंबर, ई मेल या घर के पते का खुलासा करने से बचना चाहिए। व्यक्तिगत और पेशेवर ऑनलाइन उपस्थिति के लिए अलग-अलग अकाउंट होने से बहुत सारे जोखिम कम हो जाते हैं। यह सुनिश्चित करना कि आपके उपकरणों (डिवाइस) का जी.पी.एस. बंद है और साथ ही जब भी आवश्यकता न हो, लाइव स्थानों को साझा न करना, सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। निजता सेटिंग्स की जाँच करने और अज्ञात कॉल या संदेशों का जवाब न देने की सलाह दी जाती है। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के साथ अपने आई.पी.पते को सुरक्षित रखें, अपने उपकरणों में एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर स्थापित करने से भी मदद मिलती है।
आई.पी.सी. की धारा 354 D से संबंधित महत्वपूर्ण मामले
सबसे अधिक विचार किए जाने वाले मामलों में से एक, जिसमें प्रावधान 354 D लागू किया गया था वह: संतोष कुमार सिंह बनाम स्टेट थ्रू सी.बी.आई. (2010) का मामला है, जहां प्रियदर्शिनी मट्टू, एक 25 वर्षीय कानून की छात्रा का पीछा किया गया था, उसके साथ बलात्कार किया गया और उसकी नई दिल्ली में उसके आवास पर हत्या कर दी गई थी। कानून के तीसरे वर्ष की छात्रा का कई बार पीछा किया गया था और एक पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी के बेटे संतोष सिंह, जो दिल्ली में कैंपस लॉ सेंटर में उससे बड़ा था, के द्वारा उसे परेशान किया गया था। उसके खिलाफ पीछा करने, परेशान करने, धमकी देने और अश्लील अनुरोध करने के कई मामलों में उसके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गईं थी। मौरिस नगर पुलिस स्टेशन में धारा 354 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, अपराधी को गिरफ्तार कर जमानत पर रिहा कर दिया गया था। विश्वविद्यालय के डीन के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिन्होंने आरोपी को ऐसी गतिविधियां न करने के लिए कहा, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीड़ित को व्यक्तिगत सुरक्षाकर्मी भी सौंपे गए था।23 जनवरी 1996 को जब कानूनी समझौता करने के कारण पीड़िता घर पर अकेली थी, तो अपराधी ने उसके साथ मारपीट की। फिर उसने अपने हेलमेट से उसे 14 बार मारा, उसके साथ बलात्कार किया और तार से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। मुकदमे की सुनवाई निचली अदालत ने की और आरोपी को संदेह का लाभ दिया गया क्योंकि सी.बी.आई. ने झूठे सबूत बनाए थे, और कानून की प्रक्रियाओं के अनुसार सबूत एकत्र नहीं किया गए थे।जब इस मामले को उच्च न्यायालय में उठाया गया तो आरोपी को मृत्युदंड दिया गया, जिसे बाद में 10 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा में कम कर दिया था।श्री देउ बाजू बोडके बनाम स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र (2016) के मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक महिला द्वारा आत्महत्या के मामले पर निर्णय लिया था, जिसने अपनी आत्महत्या का कारण यह बताया था कि अपराधी द्वारा उसका लगातार उत्पीड़न और पीछा किया जा रहा था। जब वह काम पर थी तब न केवल आरोपी ने उसे परेशान किया और उसका पीछा किया, बल्कि उसकी अनिच्छा और असहमति के बावजूद उससे शादी करने की भी मांग की। उच्च न्यायालय ने आरोपी को दंडित करने के लिए आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के साथ-साथ धारा 354 D दर्ज करना अनिवार्य बताया था।अरविंद कुमार गुप्ता बनाम स्टेट 2018, के मामले में, एक व्यक्ति, एक महिला के पीछे उसके कार्यालय तक पहुंच गया और जब तक वह काम से नहीं लौटती, वह उसकी बगल में ही खड़ा रहता था। यह एक साल तक जारी रहा जब तक कि महिला के भाई ने उस आदमी का सामना नहीं किया जिसने कहा कि लड़की ने उसे किसी की याद दिला दी और वह उससे शादी करने का इरादा रखता है। महिला ने एक प्राथमिकी दर्ज की और मुकदमे में वह व्यक्ति अपना बचाव नहीं कर सका। अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) पक्ष यह साबित करने में सक्षम था कि महिला के द्वारा दिलचस्पी न लेने के बाद भी लगातार उसका पीछा किया गया था। अदालत द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि धारा 354 D(1)(i) के तहत वह पुरुष, महिला का पीछा करने का दोषी है, वह बिना किसी संदेह के उसकी असहमति व्यक्त करने के बाद भी उससे बातचीत करना चाहता था। अदालत ने उसे साधारण कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी।
आई.पी.सी. की धारा 354 D का विश्लेषण एनालिसिस
धारा 354 D, हालांकि ज्यादा से ज्यादा हद तक पीछा करने पर चर्चा करती है, लेकिन यह केवल महिलाओं के साथ ही होने वाले पीछा करने के अपराध का प्रावधान करती है। पीछा करने का अपराध, एक ऐसा अपराध है जो कभी भी किसी के भी साथ हो सकता है और तकनीक के आविष्कार के बाद से सभी लिंग के लोग संचार के माध्यम से किए जा रहे अपराध के शिकार हो सकते हैं। तो यहां पर इस प्रावधान को और अधिक लिंग-समावेशी (जेंडर इन्क्लूसिव) बनाने की बात उठती है।भारतीय दंड संहिता की धारा 354 D के तहत पीछा करना पहली बार में एक जमानती अपराध है जिसका मतलब है कि आरोपी जमानत पर जाने के लिए स्वतंत्र है। ऐसी जमानत के लिए न्यायालय द्वारा अनुमोदित (अप्रूव) होना आवश्यक नहीं है; न ही आरोपी को अदालत के सामने पेश होने की जरूरत है। जबकि वास्तव में इसे गैर-जमानती बनाने की अत्यधिक आवश्यकता है क्योंकि इसका अक्सर पुरुषों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। पीछा करना न केवल अपने आप में एक अपराध है बल्कि यह कुछ अन्य अपराधों का भी कारण है, जिनमें सबसे अधिक यौन उत्पीड़न होता है। उपरोक्त मामलों से पता चलता है कि पीछा करने से बलात्कार सहित महिलाओं के खिलाफ कई गंभीर अपराध हो सकते हैं।महिला को प्रताड़ित किया जाता है, यौन अश्लील टिप्पणियों से बुलाया जाता है, छेड़ा जाता है, यौन संबंध बनाने और मांग के लिए कहा जाता है। चूंकि इंटरनेट की पीढ़ी तेज है, इसलिए पीछा करने का अपराध जिससे यौन उत्पीड़न होता है, यह ऑनलाइन मोड में काफी प्रचलित (प्रीवेलेंट) है। ऐसे सभी कार्यों का महिला के आत्म-सम्मान, स्वतंत्र होने के आत्म विश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के खिलाफ अधिकांश अपराध पीछा करने से शुरू होते हैं और गंभीर अपराधों की ओर बढ़ते हैं, विशेष रूप से इस गुस्से से कि पीड़िता ने मामला दर्ज कराया है। पीछा करने वाले को गिरफ्तार होने के बावजूद जमानत पर स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी जाती है।
आई.पी.सी. की धारा 354 D की आलोचना (क्रिटिसिज्म)
जबकि राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो ने अनुमान लगाया है कि 2017 में अपराध के रूप में पीछा करना तेजी से बढ़ा है, केवल 26% सजा दर के साथ कोई मदद नहीं कर सकता है, लेकिन विश्लेषण करें की पीछा करने से रोकने के लिए पर्याप्त कानून हैं। भारतीय दंड संहिता, 1860, सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के साथ पीछा करने के लिए सजा का प्रावधान करती है, हालांकि रोकथाम के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है। यह इंगित करता है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को सुरक्षात्मक तरीके के बजाय महिलाओं से संबंधित प्रावधानों को निवारक तरीके से देखने की आवश्यकता है। अर्थात बुराई को जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है।ऐसे कार्यों को मजबूत करने की आवश्यकता है जो एक अपराध के रूप में पीछा करने के तहत आते हैं क्योंकि यह केवल एक महिला का पीछा करने और उसके असहमति व्यक्त करने पर भी उसके साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश करने की बात करता है। इसमें उन कार्यों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है जो पीछा कर सकते हैं या पीछा करने का एक तरीका है जैसे, किसी व्यक्ति को घूरना, झूठी अफवाहें फैलाना, कॉल करना या किसी व्यक्ति के निवास के आसपास छिपना।
निष्कर्ष
भारतीय दंड संहिता ने महिलाओं के लिए प्रावधानों की रूपरेखा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संहिता सभी उम्र की महिलाओं के खिलाफ सभी अपराधों को कवर करने का प्रयास करती है, जन्म के पूर्व चरण से लेकर बचपन, किशोरावस्था, प्रजनन (रिप्रोडक्टिव) आयु और बु��ुर्ग महिलाओं के खिलाफ अपराध, उदाहरण के लिए, विधवाओं के उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं।पीछा करने के ज्यादातर मामलों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है क्योंकि महिलाएं घूमने-फिरने में सक्षम होने की स्वतंत्रता को जोखिम में नहीं डालना चाहती हैं और कई प्रत्यक्षदर्शी (आईविटनेसेज) इसे अनदेखा कर देते हैं, इन सब ने अपराध को गंभीरता से नहीं लिया है, भले ही इसे दंडित करने का प्रावधान हो। अपराध की रिपोर्ट करने के लिए धारा 354 D लागू करने या पीछा किए जाने की स्थितियों में प्रतिक्रिया करने के बारे में जागरूकता और शिक्षा के साथ, एक प्राथमिकी दर्ज करने और सही अधिकारियों से संपर्क करने के द्वारा, एक बदलाव लाया जा सकता है।  Read the full article
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rightnewshindi · 1 month
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मकान मालिक के बेटे ने 11 साल की बच्ची के साथ किया रेप, आरोपी और उसका पिता गिरफ्तार
Delhi Rape News: दिल्ली में एकबार फिर एक मासूम के साथ बलात्कार की वारदात होने का मामला सामने आया है। इस बार मकान मालिक के बेटे ने 11 साल की बच्ची को अपना शिकार बनाया। आरोपी की उम्र 22 साल है। इस बारे में पुलिस ने शनिवार को जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि पीड़िता का परिवार आरोपी के पिता के मकान में किरायेदार के रूप में रहता है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना मंगलवार को उस समय हुई थी जब आरोपी ने…
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sharpbharat · 1 month
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Kolkata Doctor Case: कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप व हत्या मामले में केस दर्ज करने में देरी बेहद गंभीर : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी को ‘बेहद परेशानी वाली बात’ बताया.न्यायालय ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से काम पर लौटने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी.प्रधान…
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वो सच जो भाजपा को कड़वा लगेगा क्योंकि NCRB के आंकड़ों के मुताबिक-
1. प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में देश में भाजपा शासित असम, केन्द्र शासित पुलिस वाला राज्य दिल्ली, हरियाणा टॉप 5 राज्यों में हैं।
2. महिलाओं के साथ दुष्कर्म के सर्वाधिक मामले भाजपा शासित मध्य प्रदेश में हैं।
3. हत्या, महिलाओं के विरुद्ध अपराध एवं अपहरण में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है।
4. नाबालिगों से बलात्कार यानी पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है।
5. NCRB रिपोर्ट में 2019 की तुलना में 2021 में राजस्थान में महिलाओं के विरुद्ध अपराध कम हुए हैं जबकि भाजपा शासित मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में अपराध बढ़े।
6. मणिपुर में महिलाओं के साथ जिस तरह की घटनाएं हुई हैं वो पूरी दुनिया ने देखा है।
7. जोधपुर में बलात्कार के मामलों में ABVP के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आरोपी हैं।
8. राजस्थान में FIR के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5% अपराध कम दर्ज हुए हैं जबकि MP, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड समेत 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अपराध अधिक दर्ज हुए हैं।
राजस्थान में महिलाओं की पूरी सुनवाई होती है एवं पुलिस अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है।
सिर्फ मणिपुर एवं BJP शासित राज्यों की असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए केन्द्र व राज्य के BJP नेता राजस्थान को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं।
राजस्थान ये बदनामी का प्रयास नहीं सहेगा और राजस्थानियों को गलत तरीके से बदनाम कर नीचा दिखाने के भाजपा के कुप्रयास का प्रदेशवासी समय आने पर जवाब देंगे।
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dainiksamachar · 10 months
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मर्डर, मर्डर, मर्डर... पछतावे की जगह मौत का जश्न, दिल्ली में अपराध की किस राह पर बढ़ रहे नाबालिग
नई दिल्ली : दिल्ली की सड़कों पर हाल ही में किशोर अपराध की बाढ़ आ गई है। परेशान करने वाली घटनाओं से युवा अपराधियों में हिंसा के प्रति चिंताजनक झुकाव दिखाई दे रहा है। खास बात है कि नाबालिग ना सिर्फ अपराध कर रहे हैं बल्कि अपराध का जश्न भी मना रहे हैं। नाबालिगों में बदले की भावना से लेकर आपसी रंजिश इस तरह बढ़ गई है कि उनके मन में कानून का डर बिल्कुल नहीं दिख रहा है। हाल ही में एक खौफनाक मामले में, नवंबर में एक सड़क डकैती के दौरान 17 वर्षीय लड़के को 70 से अधिक बार चाकू मारा गया था। किशोर अपराधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर चाकू, हथियार और यहां तक कि अदालत परिसर के भीतर खुद के फुटेज दिखाने वाले वीडियो शेयर किए, जिससे एक आपराधिक छवि पेश की गई। ऐसे में सवाल उठता है कि ये नाबालिग अपराध की राह पर क्यों बढ़ रहे हैं। पुलिस के अनुसार स्थिति यह है कि दिल्ली में हर महीने 10-12 नाबालिग हत्या के आरोप में गिरफ्तार हो रहे हैं। अपराध का जश्न एक वीडियो में एक कैप्शन दिया गया कि भाई है अपना, जेल में 302 में अंदर (वह मेरा भाई है, धारा 302 के तहत हत्या के आरोप में बंद है)। गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद, परेशान करने वाले दृश्य सामने आए, जिसमें आरोपी को पीड़ित के शरीर पर लापरवाही से नाचते हुए और इस भयानक अपराध का 'जश्न' मनाते हुए दिखाया गया। सीसीटीवी फुटेज में हमलावर को पीड़ित को एक संकरी गली में घसीटते हुए, उसकी मौत सुनिश्चित करने के लिए बार-बार चाकू से वार करते हुए और शरीर पर भयानक नृत्य करते हुए देखा गया। 100 रुपये के लिए मर्डर घटना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वेलकम इलाके में जनता मजदूर कॉलोनी में हुई और हत्या के पीछे का मकसद डकैती था। पीड़ित का गला दबाया गया, कई बार चाकू मारा गया और 350 रुपये लूट लिए गए। किशोर ने 2022 में दिल्ली के जाफराबाद में 100 रुपये लूटने के लिए तीन अन्य लोगों के साथ एक व्यक्ति की हत्या भी की थी। एक सूत्र ने बताया कि 2022 में, किशोर को हत्या के लिए सुधार गृह भेजा गया था। वह एक साल की सजा के बाद बाहर आ गया, जबकि अन्य तीन अभी भी जेल में हैं। सूत्र के मुताबिक कि वह कुख्यात हाशिम बाबा गिरोह से प्रेरित था और इलाके में आतंक पैदा करना चाहता था। यह घटना नवंबर में पहले के एक मामले के बाद हुई है, जहां निजी दुश्मनी के कारण एक नाबालिग ने 16 वर्षीय लड़के की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। बदले के लिए ली जान पुलिस के अनुसार, किशोर ने मृतक के साथ पहले से मौजूद दुश्मनी का खुलासा करते हुए कहा कि चाकू मारने की घटना बदले की भावना से की गई थी। हत्या के दौरान हमलावर ने पीड़ित की गर्दन और हाथ को निशाना बनाया। अक्टूबर में, दक्षिणी दिल्ली में एक किशोर ने गंगा राम उर्फ संजय नाम के 25 वर्षीय व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। अपराध के पीछे का मकसद कथित तौर पर किशोर की प्रेमिका का उत्पीड़न था। जंगली इलाके में पकड़े गए आरोपी ने दावा किया कि चाकू मारने की घटना पीड़ित द्वारा उसकी प्रेमिका को परेशान करने के जवाब में की गई थी। पेचकस से गोदकर मर्डर अक्टूबर में एक और घटना में, दिल्ली पुलिस ने काशिफ नाम के 18 वर्षीय युवक की मौत के मामले में दो किशोरों को गिरफ्तार किया। दोनों किशोर, स्कूल छोड़ चुके थे और एक ही इलाके के निवासी थे, काशिफ के साथ हाथापाई में शामिल थे, जिससे उन्हें घातक चोटें आईं। काशिफ ने, एक नुकीले पेचकस से लैस होकर, लड़कों को धमकी दी, जिसके परिणामस्वरूप हाथापाई हुई, जहां उनमें से एक ने पेचकस छीन लिया और काशिफ पर कई बार वार किया। दिल्ली में किशोर अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति युवाओं के बीच इस तरह के हिंसक व्यवहार के लिए जिम्मेदार कारकों के बारे में चिंता पैदा करती है। अपराध में बढ़ रही नाबालिगों की संख्या पिछले साल 152 किशोरों को हत्या के आरोप में पकड़ा गया था। 2021 में यह आंकड़ा 125 रहा जबकि एक साल पहले यह 96 था। इस साल 15 अगस्त तक करीब 112 नाबालिगों को हत्या के आरोप में पकड़ा गया। आंकड़ों से पता चलता है कि ग्राफ लगातार उत्तर की ओर बढ़ रहा है। एक पुलिस अनुमान के अनुसार, पिछले 3-4 वर्षों में, विभिन्न अपराधों के बाद पकड़े गए किशोरों की संख्या 3,000 के आसपास रही है। 2017-2021 से संबंधित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा में किशोरों की तरफ किए गए अपराधों की सूची 13,000 से अधिक। इसमें 16,000 से अधिक नाबालिगों को उनके आपराधिक कृत्यों के लिए पकड़ा गया है। डेटा में 314 हत्याएं, 412 हत्या के प्रयास, 500 से अधिक बलात्कार, 982 चोट या गंभीर चोट पहुंचाने के मामले, 475 से अधिक मामले किसी महिला के खिलाफ उसकी शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग, 1,401 डकैती और की एक भयानक सूची है। क्या है उपाय? एक्सपर्ट के अनुसार सरकार को किशोर अपराध की समस्या के समाधान के लिए सुधार और आश्रय गृहों पर ध्यान केंद्रित करने की… http://dlvr.it/Szc9KB
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worldinyourpalm · 2 years
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हाथरस फैसले के हफ्तों बाद भी एक गांव बंटा हुआ है | A Village Is Still Divided Weeks After Hathras Verdict;
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Source: th-i.thgim.com
हाथरस में एक एससी / एसटी अदालत के विशेष न्यायाधीश ने अपना 167 पन्नों का फैसला
14 सितंबर, 2020 को चार उच्च जाति के पुरुषों द्वारा एक दलित लड़की के कथित सामूहिक बलात्कार में हाथरस में एक एससी / एसटी अदालत के विशेष न्यायाधीश ने अपना 167 पन्नों का फैसला सुनाए हुए कई हफ्ते हो गए हैं।
अदालत ने मुख्य आरोपी संदीप सिसोदिया को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 3(2)(v) एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई, लेकिन उसे दोषी नहीं पाया। सामूहिक बलात्कार का। अन्य तीन आरोपियों रवि, लव कुश और रामू को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
बूलगढ़ी में पसरा सन्नाटा
हालाँकि, 30 सितंबर, 2020 को बूलगढ़ी गाँव में उतनी ही बेचैनी है, जब इलाज के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में पीड़िता की मौत के बाद जिला प्रशासन ने जबरन रात के अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
अलग-अलग निवासियों के आदेश पर अलग-अलग राय है, इस पर निर्भर करता है कि वे इस मामले में क्या देखना चाहते हैं, जो गांव में जाति के बोलबाला को सामने लाता है।
'न्याय नहीं हुआ'
पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने कहा कि न्याय नहीं हुआ है और वे उच्च न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएंगे। उसके पिता ने कहा, "फैसले से ऐसा लगता है कि हमने अपनी बेटी को उसके बलात्कार और हत्या के लिए चार लोगों का नाम लेने के लिए सिखाया क्योंकि आरोपी के परिवार के साथ हमारा झगड़ा चल रहा था और उसका संदीप के साथ संबंध था। हम ऐसा क्यों करेंगे?"
अदालत की इस टिप्पणी पर कि घटना का राजनीतिकरण परिवार को अपना बयान बदलने के लिए मजबूर कर सकता है, उन्होंने कहा, “इसका राजनीतिकरण किया गया जब प्रशासन ने हमारी अनुमति के बिना रात में हमारी बेटी का अंतिम संस्कार किया। पीड़िता के बड़े भाई ने कहा, 'ऐसा लगता है कि फैसला सुनाते वक्त हमारी शैक्षणिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में नहीं रखा गया। ”
भाजपा से हाथरस के सांसद राजवीर दलेर ने बचाव पक्ष के वकील के इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह परिवार उनसे संबंधित है, यह सच नहीं है।
पीड़िता के परिवार की वकील ��ीमा कुशवाहा ने कहा कि आदेश ने अजीब तरह से अदालत में उनके तर्कों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि केवल सरकारी वकील के तर्कों पर ध्यान दिया।
"निर्णय ऐसे मामलों में शामिल सामाजिक कलंक को ध्यान में नहीं रखता है और यह बात नहीं करता है कि यूपी पुलिस की जांच में देरी और चूक कैसे अभियुक्तों के खिलाफ मामले को कमजोर कर सकती थी ... न्यायाधीश ने पीड़िता की मौत को स्वीकार नहीं किया घोषणा, "उसने कहा।
सुश्री कुशवाहा ने कहा, “हमें लगता है कि दोषी का बलात्कार और हत्या करने का इरादा और प्रेरणा थी, और हम उच्च न्यायालय के समक्ष फैसले में अंतर को बढ़ाएंगे।”
कानूनी लड़ाई लड़ने का आरोपी
इस बीच, अभियुक्तों के परिवारों को लगता है कि पूरी तरह से न्याय नहीं किया गया है।
आरोपी रवि के पिता अतर सिंह ने कहा, 'हम अभी भी नहीं जानते कि लड़की को किसने मारा। हमारे लड़कों के नाम इसलिए जोड़े गए क्योंकि परिवार करोड़ों बनाना चाहता था। यह सांसद की बेटी थी जिसने हमारे बेटों पर आरोप लगाया और मीडिया कहानी के साथ भाग गई। इसका भुगतान कौन करेगा?”........
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gadgetsforusesblog · 2 years
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Financetime.in बिना दस्तावेजों के नहीं मान सकते कि नाबालिग रेप पीड़िता 12वीं कक्षा की है: दिल्ली हाई कोर्ट
अभियोजक ने अदालत के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय का अनुरोध किया। (प्रतिनिधि) नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यह मान लेना हास्यास्पद है कि 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक कथित बलात्कार पीड़िता नाबालिग होगी, अगर कोई दस्तावेज नहीं है। पक्षों के बीच समझौते के आधार पर एक बलात्कार के मामले को खारिज करने की याचिका की सुनवाई के दौरान, न्यायाधीश रजनीश भटनागर ने राज्य के अभियोजक से…
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