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पुण्यतिथि विशेष: 500 कुश्तियां लड़ चुके दारा सिंह एक बार भी नहीं हारे, 200 किलों के पहलवान को फेंक दिया था रिंग से बाहर
चैतन्य भारत न्यूज पहलवान और अभिनेता दारा सिंह भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन उनसे जुड़ी तमाम ऐसी बातें है जिनकी छाप हमारे दिल पर है। दारा सिंह ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था। हम आपको आज दारा सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं।
17 की उम्र में बने पिता दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 में पंजाब के अमृतसर में हुआ। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। दारा सिंह की शादी परिवारवालों ने उनकी उम्र से बड़ी लड़की से करा दी। शादी के समय वह नाबालिग थे। उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था। एक ओर उनका यह शौक और दूसरी तरफ शादीशुदा जिंदगी, दोनों को एक साथ लेकर चलना दारा सिंह के लिए उस समय आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी समझ के साथ अपने करियर और पति-पत्नी के रिश्तें को संभाला। दारा सिंह महज 17 साल की उम्र में पिता बन गए थे।
सभी कुश्तियों में हासिल की जीत उन्होंने सबसे पहले 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पछाड़कर अपनी विजय यात्रा की शुरुआत की थी। 1954 में दारा सिंह ने भारतीय कुश्ती चैम्पियनशिप का खिताब जीता और इसके बाद वो कॉमनवेल्थ के चैम्पियन बने। दारा सिंह को विश्व चैम्पियन किंग कांग के साथ हुई कुश्ती ने रातों रात सुपरस्टार बना दिया था। इस कुश्ती में दारा सिंह ने 200 किलो वजन के किंग कांग को रिंग से बाहर फेंक दिया था। इस कुश्ती के बाद दारा सिंह को 'रुस्तम ए हिंद' का दर्जा दिया गया। ये दर्जा उनके अलावा अभी तक किसी को भी नहीं मिला है। दारा सिंह ने अपने करियर में 500 से ज्यादा कुश्तियां की है और खास बात ये है कि सभी में जीत हासिल भी की है।
कुश्ती से संन्यास लेकर एक्टिंग की दुनिया में प्रवेश 1983 में उन्हें कुश्ती से संन्यास ले लिया। इस दौरान दारा सिंह ने कुश्ती के साथ-साथ एक्टिंग की दुनिया में भी हाथ अजमाया। इस क्षेत्र में भी दारा सिंह सब पर भारी पड़ गए। दारा सिंह की पहली फिल्म 1952 में 'संगादिल' रिलीज हुई। 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए रामायण सीरियल ने उन्हें लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया। उन्हें हनुमान की तरह पूजा जाने लगा।
100 से ज्यादा फिल्में की उन्होने अपने जीवन में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। अभिनेत्री मुमताज के साथ उन्होने कई हिट फिल्में दी, पृथ्वीराज कपूर के साथ उन्होने सिकंदरे आजम फिल्म में काम किया। इस फिल्म में दारा सिंह ने सिकंदर का रोल निभाया था। दारा सिंह ने 146 फिल्मों में काम किया। दारा सिंह आखिरी फिल्म 'जब वी मेट' में काम किया।
एक्टिंग के बाद राजनीति में प्रवेश साल 2003 में दारा सिंह एक्टिंग और कुश्ती को छोड़ राजनीति में आ गए। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यसभा सांसद बने। वो साल 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दारा सिंह को हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने 12 जुलाई 2012 को दम तोड़ दिया। Read the full article
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पुण्यतिथि विशेष: 500 कुश्तियां लड़ चुके दारा सिंह एक बार भी नहीं हारे, 200 किलों के पहलवान को फेंक दिया था रिंग से बाहर
चैतन्य भारत न्यूज पहलवान और अभिनेता दारा सिंह भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन उनसे जुड़ी तमाम ऐसी बातें है जिनकी छाप हमारे दिल पर है। दारा सिंह ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था। हम आपको आज दारा सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं।
17 की उम्र में बने पिता दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 में पंजाब के अमृतसर में हुआ। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। दारा सिंह की शादी परिवारवालों ने उनकी उम्र से बड़ी लड़की से करा दी। शादी के समय वह नाबालिग थे। उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था। एक ओर उनका यह शौक और दूसरी तरफ शादीशुदा जिंदगी, दोनों को एक साथ लेकर चलना दारा सिंह के लिए उस समय आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी समझ के साथ अपने करियर और पति-पत्नी के रिश्तें को संभाला। दारा सिंह महज 17 साल की उम्र में पिता बन गए थे।
सभी कुश्तियों में हासिल की जीत उन्होंने सबसे पहले 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पछाड़कर अपनी विजय यात्रा की शुरुआत की थी। 1954 में दारा सिंह ने भारतीय कुश्ती चैम्पियनशिप का खिताब जीता और इसके बाद वो कॉमनवेल्थ के चैम्पियन बने। दारा सिंह को विश्व चैम्पियन किंग कांग के साथ हुई कुश्ती ने रातों रात सुपरस्टार बना दिया था। इस कुश्ती में दारा सिंह ने 200 किलो वजन के किंग कांग को रिंग से बाहर फेंक दिया था। इस कुश्ती के बाद दारा सिंह को 'रुस्तम ए हिंद' का दर्जा दिया गया। ये दर्जा उनके अलावा अभी तक किसी को भी नहीं मिला है। दारा सिंह ने अपने करियर में 500 से ज्यादा कुश्तियां की है और खास बात ये है कि सभी में जीत हासिल भी की है।
कुश्ती से संन्यास लेकर एक्टिंग की दुनिया में प्रवेश 1983 में उन्हें कुश्ती से संन्यास ले लिया। इस दौरान दारा सिंह ने कुश्ती के साथ-साथ एक्टिंग की दुनिया में भी हाथ अजमाया। इस क्षेत्र में भी दारा सिंह सब पर भारी पड़ गए। दारा सिंह की पहली फिल्म 1952 में 'संगादिल' रिलीज हुई। 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए रामायण सीरियल ने उन्हें लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया। उन्हें हनुमान की तरह पूजा जाने लगा।
100 से ज्यादा फिल्में की उन्होने अपने जीवन में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। अभिनेत्री मुमताज के साथ उन्होने कई हिट फिल्में दी, पृथ्वीराज कपूर के साथ उन्होने सिकंदरे आजम फिल्म में काम किया। इस फिल्म में दारा सिंह ने सिकंदर का रोल निभाया था। दारा सिंह ने 146 फिल्मों में काम किया। दारा सिंह आखिरी फिल्म 'जब वी मेट' में काम किया।
एक्टिंग के बाद राजनीति में प्रवेश साल 2003 में दारा सिंह एक्टिंग और कुश्ती को छोड़ राजनीति में आ गए। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यसभा सांसद बने। वो साल 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दारा सिंह को हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने 12 जुलाई 2012 को दम तोड़ दिया। Read the full article
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चैतन्य भारत न्यूज पहलवान और अभिनेता दारा सिंह भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन उनसे जुड़ी तमाम ऐसी बातें है जिनकी छाप हमारे दिल पर है। दारा सिंह ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था। हम आपको आज दारा सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं।
17 की उम्र में बने पिता दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 में पंजाब के अमृतसर में हुआ। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। दारा सिंह की शादी परिवारवालों ने उनकी उम्र से बड़ी लड़की से करा दी। शादी के समय वह नाबालिग थे। उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था। एक ओर उनका यह शौक और दूसरी तरफ शादीशुदा जिंदगी, दोनों को एक साथ लेकर चलना दारा सिंह के लिए उस समय आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी समझ के साथ अपने करियर और पति-पत्नी के रिश्तें को संभाला। दारा सिंह महज 17 साल की उम्र में पिता बन गए थे।
सभी कुश्तियों में हासिल की जीत उन्होंने सबसे पहले 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पछाड़कर अपनी विजय यात्रा की शुरुआत की थी। 1954 में दारा सिंह ने भारतीय कुश्ती चैम्पियनशिप का खिताब जीता और इसके बाद वो कॉमनवेल्थ के चैम्पियन बने। दारा सिंह को विश्व चैम्पियन किंग कांग के साथ हुई कुश्ती ने रातों रात सुपरस्टार बना दिया था। इस कुश्ती में दारा सिंह ने 200 किलो वजन के किंग कांग को रिंग से बाहर फेंक दिया था। इस कुश्ती के बाद दारा सिंह को 'रुस्तम ए हिंद' का दर्जा दिया गया। ये दर्जा उनके अलावा अभी तक किसी को भी नहीं मिला है। दारा सिंह ने अपने करियर में 500 से ज्यादा कुश्तियां की है और खास बात ये है कि सभी में जीत हासिल भी की है।
कुश्ती से संन्यास लेकर एक्टिंग की दुनिया में प्रवेश 1983 में उन्हें कुश्ती से संन्यास ले लिया। इस दौरान दारा सिंह ने कुश्ती के साथ-साथ एक्टिंग की दुनिया में भी हाथ अजमाया। इस क्षेत्र में भी दारा सिंह सब पर भारी पड़ गए। दारा सिंह की पहली फिल्म 1952 में 'संगादिल' रिलीज हुई। 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए रामायण सीरियल ने उन्हें लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया। उन्हें हनुमान की तरह पूजा जाने लगा।
100 से ज्यादा फिल्में की उन्होने अपने जीवन में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। अभिनेत्री मुमताज के साथ उन्होने कई हिट फिल्में दी, पृथ्वीराज कपूर के साथ उन्होने सिकंदरे आजम फिल्म में काम किया। इस फिल्म में दारा सिंह ने सिकंदर का रोल निभाया था। दारा सिंह ने 146 फिल्मों में काम किया। दारा सिंह आखिरी फिल्म 'जब वी मेट' में काम किया।
एक्टिंग के बाद राजनीति में प्रवेश साल 2003 में दारा सिंह एक्टिंग और कुश्ती को छोड़ राजनीति में आ गए। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यसभा सांसद बने। वो साल 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दारा सिंह को हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने 12 जुलाई 2012 को दम तोड़ दिया। Read the full article
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चैतन्य भारत न्यूज पहलवान और अभिनेता दारा सिंह भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन उनसे जुड़ी तमाम ऐसी बातें है जिनकी छाप हमारे दिल पर है। दारा सिंह ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था। हम आपको आज दारा सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं।
17 की उम्र में बने पिता दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 में पंजाब के अमृतसर में हुआ। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। दारा सिंह की शादी परिवारवालों ने उनकी उम्र से बड़ी लड़की से करा दी। शादी के समय वह नाबालिग थे। उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था। एक ओर उनका यह शौक और दूसरी तरफ शादीशुदा जिंदगी, दोनों को एक साथ लेकर चलना दारा सिंह के लिए उस समय आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी समझ के साथ अपने करियर और पति-पत्नी के रिश्तें को संभाला। दारा सिंह महज 17 साल की उम्र में पिता बन गए थे।
सभी कुश्तियों में हासिल की जीत उन्होंने सबसे पहले 1947 में सिंगापुर में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पछाड़कर अपनी विजय यात्रा की शुरुआत की थी। 1954 में दारा सिंह ने भारतीय कुश्ती चैम्पियनशिप का खिताब जीता और इसके बाद वो कॉमनवेल्थ के चैम्पियन बने। दारा सिंह को विश्व चैम्पियन किंग कांग के साथ हुई कुश्ती ने रातों रात सुपरस्टार बना दिया था। इस कुश्ती में दारा सिंह ने 200 किलो वजन के किंग कांग को रिंग से बाहर फेंक दिया था। इस कुश्ती के बाद दारा सिंह को 'रुस्तम ए हिंद' का दर्जा दिया गया। ये दर्जा उनके अलावा अभी तक किसी को भी नहीं मिला है। दारा सिंह ने अपने करियर में 500 से ज्यादा कुश्तियां की है और खास बात ये है कि सभी में जीत हासिल भी की है।
कुश्ती से संन्यास लेकर एक्टिंग की दुनिया में प्रवेश 1983 में उन्हें कुश्ती से संन्यास ले लिया। इस दौरान दारा सिंह ने कुश्ती के साथ-साथ एक्टिंग की दुनिया में भी हाथ अजमाया। इस क्षेत्र में भी दारा सिंह सब पर भारी पड़ गए। दारा सिंह की पहली फिल्म 1952 में 'संगादिल' रिलीज हुई। 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए रामायण सीरियल ने उन्हें लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया। उन्हें हनुमान की तरह पूजा जाने लगा।
100 से ज्यादा फिल्में की उन्होने अपने जीवन में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। अभिनेत्री मुमताज के साथ उन्होने कई हिट फिल्में दी, पृथ्वीराज कपूर के साथ उन्होने सिकंदरे आजम फिल्म में काम किया। इस फिल्म में दारा सिंह ने सिकंदर का रोल निभाया था। दारा सिंह ने 146 फिल्मों में काम किया। दारा सिंह आखिरी फिल्म 'जब वी मेट' में काम किया।
एक्टिंग के बाद राजनीति में प्रवेश साल 2003 में दारा सिंह एक्टिंग और कुश्ती को छोड़ राजनीति में आ गए। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यसभा सांसद बने। वो साल 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दारा सिंह को हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने 12 जुलाई 2012 को दम तोड़ दिया। Read the full article
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