#दरवाजा
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कुछ दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं,
नहीं होते कभी चाह कर भी बंद।
पर बंद हो जाती हैं उनमें से आना धूप,
उसकी दरारें नहीं देख पाती कोई नई कहानी,
वो दरवाजे खुले तो रहते हैं पर बंद कर लेते हैं आवाजाही का रास्ता।
वो नहीं आने देते भीतर किसी अनचाहे व्यक्ति को,
वो खोलते होंगे अपनी कुण्डी अपने प्रिय के लिए।
ये दरवाजे भूल जाते होंगे अपनी दहलीज पर पड़े अखबार को पढ़ना।
पर रोज सवेरे बुहारते होंगे अपने हिस्से की जमीन।
कुछ दरवाजे खुले तो सदैव रहते हैं,
पर उनमें प्रवेश वर्जित होता है।
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#मिलवाटखोरों_परमात्मा_से_डरो🎯तुमने परिवार का सुख खरीदा#लेकिन उसके बदले अपने लिए नरक का दरवाजा खोला।#🌿✳️🍀
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अंधश्रद्धेची जळमटे हटली अन अखेर ' दक्षिणमुखी ' दरवाजा उघडला
कर्नाटकचे मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या यांनी शकुन अपशकुन ठरणा��्या अंधश्रद्धेवर प्रहार केलेला असून वास्तुदोष असल्याचा संभ्रम निर्माण करत मुख्यमंत्री कार्यालयाचा दक्षिण बाजूकडील बंद दरवाजा अखेर त्यांनी उघडा केलेला आहे आणि त्याच दरवाजातून त्यांनी दालनात प्रवेश केलेला आहे . या आधीचे मुख्यमंत्री जेएच पटेल यांना निवडणुकीत अपयश आल्यानंतर 1999 मध्येच या दरवाज्याला कुलूप त्यांनी लावले होते त्यानंतर 2013 मध्ये…
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भाभी जिसको चाह लेती है उसके लिए अपनी आगे पीछे दोनों दरवाजा खोल देती हैं.!
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दोस्त की बीवी के साथ रात भर चुदाई
दोस्तो, सबसे पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ.
मेरा नाम समीर है मैं बहराइच शहर का रहने वाला हूँ. मैं पाँच फिट ग्यारह इंच लम्बा हूँ और मेरे बाल काफ़ी लम्बे हैं.
मैं अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा स्मार्ट हूँ.
सेक्स मेरी कमज़ोरी है.
किसी भी लड़की को देखता हूँ तो अपने पर कंट्रोल नहीं कर पाता और मौक़ा मिलते ही मुठ मार लेता हूँ.
मैं अपने दोस्त जुनैद खान की शादी में ना जा सका था.
उस दिन किसी काम के सिलसिले में फंस गया था.
उसके बाद मैं अपने कामों में ऐसा फंसा कि क़रीब पाँच साल तक दोस्ती यारी सब भूल गया.
जब मैं काम से थोड़ा आजाद हुआ तो दोस्तों की याद आई.
मगर अब दोस्त भी सब अपने अपने कामों में लगे हुए थे.
फिर एक दिन अचानक से जुनैद से यहीं मार्केट में मुलाक़ात हुई.
उसके साथ उसकी बीवी भी थी.
हम दोनों दोस्त अपनी बातों में मस्त हो गया.
कुछ देर में मेरी नज़र जुनैद की बीवी पर पड़ी.
वह बड़ी मस्त माल थी. यह Xxx सेक्सी हि��दी कहानी उसी के साथ की है.
उसके 36 साइज़ के चूचे और 38 इंच की गांड एकदम आग बरपा रही थी.
मैंने भाभी से हैलो की और सॉरी बोलते हुए कहा- सॉरी भाभी, मैंने आप पर ध्यान ही नहीं दिया. हम दोनों दोस्त अपनी पुरानी यादों में मस्त हो गए, माफ़ी चाहता हूँ!
जुनैद की बीवी ने जवाब दिया- आपने मुझ पर ध्यान नहीं दिया, कोई बात नहीं. पर आप शादी में भी नहीं आए. जुनैद हमेशा आपकी बातें करते रहते थे. मैं भी आपसे मिलने को उतावली थी.
ये कहती हुई उसने मेरे हाथ को दबा दिया.
मैं समझ गया कि भाभी चालू माल है.
मैंने बात को खत्म करते हुए हंसते हुए कहा- अरे भाभी, यहीं सब बातें कर लेंगी या कभी घर भी बुलाएंगी.
फिर हमारी बातें ख़त्म हुईं.
भाभी ने जाते वक्त कहा- आपका घर है, जब चाहें आ जाएं. जुनैद तो रात को दो के बाद ही आते हैं. आपकी जब मर्ज़ी हो, आ जाइए.
मैं भाभी का इशारा समझ गया और वहां से निकलते हुआ बोला- ओके भाभी, आपसे जल्दी ही मिलता हूँ.
मैं वहां से निकल गया.
इस बात को दो दिन हो गए थे.
मैं घर पर आराम कर रहा था.
उसी वक्त व्हाट्सैप पर अनजान नम्बर से एक मैसेज आया ‘क्या कर रहे हो मेरी जान!’
मेरे दोस्त अक्सर मैसेज से मुझे परेशान करते रहते हैं तो मैंने इस मैसेज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया कि किसी दोस्त ने अनजान नंबर से मैसेज करके मुझसे शैतानी की होगी.
मैं उस मैसेज का बिना कोई जवाब दिए सो गया.
सुबह जब उठा तो देखा कि उसी नंबर से काफ़ी मैसेज आए हुए थे और दो मिस्ड कॉल भी थीं.
मैंने उसी नंबर पर कॉलबैक की, तो उधर से एक सुरीली सी आवाज़ आई- हैलो मिस्टर समीर, गुड मॉर्निंग. कैसी कटी आपकी रात!
मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे सीधा बोल दिया कि अपनी भाभी के साथ सपने में कबड्डी खेलता रहा.
मेरी इस बात से उस तरफ से ज़ोर ज़ोर की हंसी के साथ आवाज आई- सही पहचाना, मैं ही हूँ आपकी कबड्डी खेलने वाली भाभी.
मैंने एकदम से अपने कहे पर खेद जताते हुए उनसे पूछा- सॉरी मेम, आप कौन?
‘मैं नादिया भाभी बोल रही हूँ.’
मैंने अब स्क्रीन पर उनका नंबर और ट्रू कॉलर पर आया हुआ नाम देखा.
फिर कहा- जी हां मुझे पता लग गया है. ट्रू कॉलरपर आपका नाम लिखा हुआ आया है. आप बताएं भाभीजान … सुबह सुबह अपने देवर को कैसे याद कर लिया?
वह बोली- सुबह सुबह तो छोड़िए, मैं तो सारी रात से आपको काफ़ी याद कर रही थी. कई मैसेज किये और दो बार कॉल भी किया, पर आपने फ़ोन ही नहीं उठाया. लगता है मुझसे नाराज़ हैं?
मैंने कहा- अरे भाभी जान, आप��े नाराज़ होकर कहां जाऊंगा. अपन तो दिल से ही आपके ही पास हैं.
वह हंसती हुई कहने लगी- काफ़ी अनुभव है आपको बात करने का … लगता है काफ़ी गर्लफ़्रेंड पटा रखी हैं.
मैं बोला- गर्लफ्रेंड तो नहीं, हां आप जैसी कुछ भाभियां हैं. जो समय समय पर अनुभव करवा देती हैं.
नादिया भाभी मेरी बात को क़ाटती हुई बोली- अच्छा वो सब छोड़ो … ये बताओ कि क्या आप मेरे घर आ सकते हैं?
मैंने कहा- कोई ज़रूरी काम हो, तो अभी आ जाऊं?
उधर से जवाब आया- अरे यार समीर … कल से जुनैद घर पर है नहीं. मैं अकेले बोर हो रही हूँ. आप आ जाएंगे तो आपसे जरा दिल बहला लूँगी.
मैं खुश होते हुए बोला- भाभी अभी तो सुबह हुई है, रात को आता हूँ.
उसने कहा- चलो मैं आपका इंतजार करूंगी.
कुछ देर और इधर उधर की बातचीत के बाद मैंने फ़ोन कट कर दिया.
अब मुझे और भाभी को रात का बेसब्री से इंतज़ार था कि कब रात हो और हम दोनों का मिलन हो.
मैं सोच रहा था कि बस कैसे भी करके नादिया भाभी को चोद लूं.
तो मैं नहाने गया तो झांटें साफ कर लीं.
रात होते ही मैंने मेडिकल से दो पैकेट कंडोम के ले लिए और भाभी के घर चला आया.
उनके घर पहुंचते ही मैंने दरवाजे की घंटी बजाई.
कुछ पल बाद दरवाज़ा खुला. दरवाजा खुलते ही मैं भाभी को देखता रह गया.
भाभी तो कहीं से शादीशुदा लग ही नहीं रही थी. उसने शॉर्ट्स और टॉप पहना था.
उसका रेड कलर का टॉप एकदम पारदर्शी था.
उस टॉप में से भाभी के दोनों चूचे और उन पर तने हुए गुलाबी निप्पल साफ़ दिख रहे थे.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
सीन देख कर तो दिल कर रहा था कि अभी ही इसे पकड़ कर चोद दूँ. पर ऐसा करना ठीक नहीं होता है.
सेक्स का जो मज़ा आराम से करने में है, वह ज़बरदस्ती में नहीं है.
हालांकि मेरा मुँह खुला का खुला रह गया था.
भाभी ने इतराते हुए कहा- अन्दर आ जाओ, फिर इस खुले हुए मुँह का इलाज भी कर देती हूँ.
मैं झेंप गया.
अन्दर जाते ही मैंने अपनी पैंट एडजस्ट की क्योंकि मेरा लंड खड़ा हो गया था.
भाभी ने बैठने को कहा और बोली- क्या लोगे, चाय कॉफ़ी!
मैंने कहा- भाभी आप जो देंगी, प्यार से ले लूँगा. वैसे दूध मिल जाता तो और अच्छा होता.
भाभी मुस्कुराती हुई अपने दूध हिला कर बोलीं- ठीक है, मैं लाती हूँ.
वह किचन जाने के लिए मुड़ी ही थी कि मैंने हाथ बढ़ाया और भाभी को अपनी ओर खींच लिया.
हम दोनों बेड पर गिर गए.
भाभी ने कहा- अरे, ये क्या कर रहे हो देवर जी?
मैंने कहा- भाभी, मैं तो दूध ताज़ा वाला ही पीता हूँ.
ये कहते हुए मैंने भाभी का टॉप ते��़ी से खींचा और ��सको बाहर निकाल फेंका.
मैं उसके दोनों रसभरे चूचों पर टूट पड़ा.
भाभी की 36 साइज़ की चूचियां मेरे हाथों में नहीं आ रही थीं.
नादिया भाभी को अपने नीचे दबा कर उसकी दोनों चूचियों को हाथ से पकड़ कर मसलने लगा और एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर खींच खींच कर चूसने लगा.
भाभी की मादक आहें और कराहें निकलना शुरू हो गईं.
मैंने क़रीब दस मिनट तक भाभी के दोनों चूचे चूसे … और चूस चूस लाल कर दिए.
अब हम दोनों का किस चालू हुआ.
मैं भाभी के पूरे बदन पर किस करता रहा.
वह आपे से बाहर हो रही थी.
किस करते करते मैं नीचे को सरकने लगा और भाभी की चूत पर आ गया.
भाभी की चूत शॉर्ट्स से ढकी हुई थी.
मैंने झटके से शॉर्ट्स को उतारा और चूत के अन्दर अपनी ज़ुबान डाल कर चूसने लगा.
अपनी चूत पर मेरी जुबान का अहसास पाते ही भाभी एकदम से सिहर उठी और छटपटाने लगी.
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने हाथों से दबोचा और चूत को चाटना शुरू कर दिया.
भाभी की चिकनी चूत एकदम कचौड़ी सी फूली हुई थी और रस छोड़ रही थी.
उसकी चूत का नमकीन रस चाटने से मुझे नशा सा आ गया और मैं पूरी शिद्दत से उसकी चूत को चाटने में तब तक लगा रहा, जब तक चूत का पानी नहीं निकल गया.
मैं चूत का रस चाटने लगा और चाट चाट कर भाभी की चूत को वापस कांच सा चमका दिया.
अब वह एकदम से निढाल हो गई थी और तेज तेज सांसें भर रही थी.
कुछ देर के बाद मैं उसके चेहरे को चूमने लगा तो वह बोली- सच में बड़े जानवर हो तुम … तुमने मेरी चूत में से पानी निकाल कर इसमें दोगुनी आग लगा दी है.
मैंने कहा- नादिया मेरी जान … अभी फायर बिर्गेड वाला पाइप खड़ा है … कहो तो तत्काल पाइप घुसेड़ कर आग बुझा दूँ.
वह बोली- आग तो बुझवानी ही है, पर उसके पहले मुझे उस पाइप को प्यार करना है जो मेरी आग बुझाएगा.
मैंने कहा- हां हां कर लो प्यार!
ये कहते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया.
उसने लंड मसलते हुए कहा- ये तो बड़ा अकड़ रहा है. इसे पहले मेरे मुँह में डालो … मैं इसकी अकड़ निकालती हूँ.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
नादिया भाभी ने मेरे लंड को बहुत प्यार से चूसा और उसे एकदम गर्म लोहे से तप्त सरिया बना दिया.
वह मेरे लौड़े को गले के आखिरी छोर तक लेकर चूस रही थी.
मैंने आह भरते हुए कहा- आह भाभी … मेरी जान और चूसो.
उधर भाभी भी दुबारा से गर्मा गई थी.
उससे रहा ना गया और वह बोली- समीर, मैं बहुत प्यासी हूँ. पहले मेरी चूत की प्यास मिटा दो. जुनैद के साथ कभी ऐसा मज़ा नहीं आया. वह तो मेरे ऊपर चढ़ता है और दो मिनट में झड़ कर सो जाता है. आज तक न तो उसने कभी मुझे ओरल सेक्स का सुख नहीं दिया.
मैंने कहा- अरे मेरी भाभी ��ान … अभी तो ये शुरुआत है. अगर आपको मुझसे चुदवाने में मज़ा न�� आया, तो मेरा नाम भी समीर नहीं.
बस ये कह कर मैंने भाभी को अपनी तरफ़ खींचा और लंड पर कंडोम लगा कर अपने लंड को भाभी की मखमली चूत पर सैट कर दिया.
लौड़े को सैट करते ही मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा. मेरा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया.
एकदम से लौड़े ने चूत को फाड़ा, तो भाभी की चीख निकल गई.
भाभी की आंख से आंसू निकल आए और वह चिल्लाने लगी- समीर, मेरी चूत फट गई है, प्लीज़ निकाल लो.
लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और दोबारा झटका मार कर अपने लंड को पूरा अन्दर तक डाल दिया.
फिर मैं थोड़ी देर रुक गया.
Xxx सेक्सी भाभी दर्द से चीखती रही और छटपटाती रही.
कुछ देर बाद जब भाभी के चेहरे पर थोड़ा बदलाव आया और वह अपनी गांड को थोड़ा थोड़ा हिलाने लगी, तो मैं समझ गया कि भाभी को मज़ा आने लगा है.
अब मैंने भाभी को और तेज़ी से चोदना चालू कर दिया.
भाभी का सुर बदल गया था और वह बार बार कह रही थी- समीर, और तेज चोदो … और तेज.
यही सब कहते हुए वह अपने सर को इधर से उधर पटक रही थी.
हम दोनों की चुदाई का यह सिलसिला क़रीब बीस मिनट तक चला.
उसके बाद वह झड़ गई और उसके झड़ते ही मैं भी कंडोम में निकल गया.
झड़ने के बाद काफी थकान हो गई थी तो हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
आधा घंटा बाद उठे और वापस चुदाई चालू हो गई.
उस रात हम दोनों ने चार बार सेक्स किया.
यह सिलसिला अभी तक चल रहा है.
मैं आगे बताऊंगा कि भाभी की बहन को सेक्स की गोली खिला कर उसकी सील पैक चूत को कैसे चोदा.
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लखनऊ, 15.06.2024 | "विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2024" के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा सेक्टर 25, इंदिरा नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में परिचर्चा "Prioritize Dignity, Safety and Wellbeing Of Elders" का आयोजन स्वर्ण जयंती स्मृति विहार पार्क, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया | परिचर्चा के अंतर्गत डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी एवं सदस्य, आंतरिक सलाहकार समिति, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने वर्तमान परिवेश में बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार एवं उसके समाधान के बारे में बताया तथा बुजुर्गों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने हेतु जागरूक किया |
परिचर्चा का शुभारंभ डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी एवं सदस्य, आंतरिक सलाहकार समिति, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, डॉ रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, श्रीमती सुनीता जिंदल, उपाध्यक्ष, सेक्टर 25, इंदिरा नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, श्रीमती सरिता शर्मा, उपाध्यक्ष, सेक्टर 25, इंदिरा नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने दीप प्रज्वलन कर किया |
डॉ सत्या सिंह ने वर्तमान समाज में बुजुर्गों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, "दुनिया में खुश रहना ही सबसे बड़ी विरासत है | अगर हमारे होठों पर हंसी है और दिल में सुकून है तो फिर हमें दुनिया में किसी चीज की कमी नहीं है | जैसा कि कहा गया है "गो-धन, गज-धन, वाजि-धन और रतन-धन खान ।
जब आवत संतोष-धन, सब धन धूरि समान |"
क्योंकि हमारी सबसे बड़ी लड़ाई अपने आप से होती है और अगर हम उसमें जीत गए तो हमें कोई नहीं हरा सकता | उम्र तो केवल गिनती होती है लेकिन अगर हम हर हाल में खुश रहे तो हम ताउम्र जवान रह सकते हैं | अगर हम आजकल के समाज और परिवेश के बारे में बात करें तो यह जरूरी नहीं है कि हर चीज हमारे हिसाब से हो, हर इंसान हमारे तरीके से चले लेकिन अगर हम बातचीत करें तो हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है | जहां तक बुजुर्गों को उनके अधिकार के बारे में जागरूक करने का प्रश्न है तो उस विषय में मैं यह कहना चाहूंगी कि हर बुजुर्ग व्यक्ति को हर जगह अपना अधिकार छीनना पड़ता है | अगर हम सीनियर सिटीजन है और किसी लाइन में खड़े हैं तो हमें वहां पर बताना पड़ेगा कि हम 60+ है तभी हमें हमारे अधिकार मिलेंगे | हर बुजुर्ग को यह अधिकार है कि अगर उनके बच्चे उनके साथ कुछ गलत कर रहे हैं, उन्हें सहारा नहीं दे रहे तो वे अपने हक और जीविका के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं | हमें हर हाल में खुश रहना चाहिए क्योंकि महाकवि पद्म भूषण डॉक्टर श्री गोपाल दास नीरज कहा करते थे कि जिंदगी और मौत में सिर्फ इतना सा फर्क है :
"न जन्म क��छ, न मृत्यु कुछ, बस इतनी सिर्फ बात है |
किसी की आँख खुल गयी, किसी को नींद आ गई |"
मेरा ऐसा मानना है कि आप अपने बच्चों को जैसे संस्कार देंगे वह समाज में वैसा ही व्यवहार करेगा | इसलिए हमेशा खुश रहें और दूसरों को खुश रखने की कोशिश करें |
मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट को बहुत बधाई देती हूं ट्रस्ट समाज के हर क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य कर रहा है और मैं हर कदम पर ट्रस्ट के साथ हूं |"
परिचर्चा के अंत में डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि "हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | अगर आपको भविष्य में किसी भी मदद की जरूरत हो तो हम हर तरह से आपकी मदद करेंगे | यदि आप समाज के किसी भी क्षेत्र में जन सेवा करना चाहते हो तो आप हमसे जुड़ सकते हैं और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं |"
परिचर्चा में डॉ सत्या सिंह, डॉ रूपल अग्रवाल, श्रीमती सुनीता जिंदल, श्रीमती सरिता शर्मा, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों सहित 50 गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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#मिलवाटखोरों_परमात्मा_से_डरो
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मिलावट का धन दागदार है
“मिलावट से कमाया धन दागदार होता है।”
तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे हर गलत काम का हिसाब देने के लिए तैयार रहना होगा।
तुमने परिवार का सुख खरीदा, लेकिन उसके बदले अपने लिए नरक का दरवाजा खोला।
संत रामपाल जी महाराज एक स्वच्छ समाज तैयार कर रहे हैं। आप भी उस समाज का हिस्सा बनें। अभी Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल को फॉलो करें।
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मिलावट का धन दागदार है
“मिलावट से कमाया धन दागदार होता है।”
तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे हर गलत काम का हिसाब देने के लिए तैयार रहना होगा।
तुमने परिवार का सुख खरीदा, लेकिन उसके बदले अपने लिए नरक का दरवाजा खोला।
संत रामपाल जी महाराज एक स्वच्छ समाज तैयार कर रहे हैं। आप भी उस समाज का हिस्सा बनें। अभी Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल को फॉलो करें।
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सूफी फकीर हसन जब मरा। उससे किसी ने पूछा कि तेरे गुरु कितने थे? उसने कहाः गिनाना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि इतने-इतने गुरु थे कि मैं तुम्ह��ं कहां गिनाऊंगा! गांव-गांव मेेरे गुरु फैले हैं। जिससे मैंने सीखा, वही मेरा गुरु है। जहां मेरा सिर झुका, वहीं मेरा गुरु।’
फिर भी जिद्द की लोगों ने कि कुछ तो कहो, तो उसने कहा, ‘तु��� मानते नहीं, इसलिए सुनो। पहला गुरु था मेरा--एक चोर।’ वे तो लोग बहुत चैंके, उन्होंने कहाः चोर? कहते क्या हो! होश में हो। मरते वक्त कहीं एैसा तो नहीं कि दिमाग गड़बड़ा गया है! चोर और गुरु?’
उसने कहाः हां, चोर और गुरु। मैं एक गांव में आधी रात पहंुचा। रास्ता भटक गया था। सब लोग सो गए थे, एक चोर ही जग रहा था। वह अपनी तैयारी कर रहा था जाने की। वह घर से निकल ही रहा था। मैंने उससे कहाः ‘भाई, अब मैं कहां जाऊं? रात आधी हो गई। दरवाजे सब बंद हैं। धर्मशालाएं भी बंद हो गईं। किसको जगाऊ नींद से? तू मुझे रात ठहरने देगा?’
उसने कहाः ‘स्वागत आपका।’ ‘लेकिन’, उसने कहाः ‘एक बात मैं जाहिर कर दंूः मैं चोर हूं। मैं आदमी अच्छे घर का नहीं हूं। तुम अजनबी मालूम पड़ते हो। इस गांव मंे कोई आदमी मेरे घर में नहीं आना चाहेगा। मैं दूसरों के घर में जाता हूं, तो लोग नहीं घुसने देते। मेेरे घर तो कौन आएगा? मुझे भी रात अंधेरे में जब लोग सो जात हैं, तब उनके घरों में जाना पड़ता हैं। और मेरे घर के पास से लोग बच कर निकलते हैं। मैं जाहिर चोर हूं। इस गांव का जो नवाब है, वह भी मुझसे डरता और कंपता है। पुलिसवाले थक आते हैं। तुम अपने हाथ आ रहे हो! मैं तुम्हंे वचन नहीं देता। रात-बेरात लूट लूं! तो तुम जानो। ’
हसन ने कहा कि मैंने इतना सच्चा और ईमानदार आदमी कभी देखा ही नहीं था, जो खुद कहे कि मैं चोर हूं! और सावधान कर दे। यह तो साधु का लक्षण है। तो रुक गया। हसन ने कहा कि मैं रुकूंगा। तू मुझे लूट ही लेे, तो मुझे खुशी होगी।
सुबह-सुबह चोर वापस लौटा। हसन ने दरवाजा खोला। पूछाः ‘कुछ मिला?’ उसने कहाः ‘आज तो नहीं मिला, लेकिन फिर रात कोशिश करूंगा।’ ऐसा, हसन ने कहा, एक महीने तक मैं उसके घर रुका, और एक महीने तक उसे कभी कुछ न मिला।
वह रोज शाम जाता, उसी उत्साह उसी उमंग से--औैर रोज सुबह जब मैं पूछता--कुछ मिला भाई? तो वह कहता, अभी तो नहीं मिला। लेकिन क्या है, मिलेगा। आज नहीं तो कल नहीं तो परसों। कोशिश जारी रहनी चाहिए।
तो हसन ने कहा कि जब मैं परमात्मा की तलाश में गांव-गांव, जंगल-जंगल भटकता था और रोज हार जाता था, और रोज-रोज सोचता था कि है भी ईश्वर या नहीं, तब मुझे उस चोर की याद आती थी,कि वह चोर साधारण संपत्ति चुराने चला था; मैं परमात्मा को चुराने चला हूं। मैं परम संपत्ति का अधिकारी बनने चला हूं। उस चोर के मन में कभी निराशा न आई; मेरे भी निराशा का कोई कारण नहीं है। ऐसे मैं लगा ही रहा। इस चोर ने मुझे बचाया; नहीं तो मैं कई दफा भाग गया होता, छोड़ कर यह सब खोज। तो जिस दिन मुझे परमात्मा मिला, मैंने पहला धन्यवाद अपने उस चोर-गुरु को दिया।
तब तो लोग उत्सुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘कुछ और कहो; इसके पहले कि तुम विदा हो जाओ। यह तो बड़ी आश्चर्य की बात तुमने कही; बड़ी सार्थक भी।
उसने कहाः और एक दूसरे गांव में ऐसा हुआ; मैं गांव में प्रवेश किया। एक छोटा सा बच्चा, हाथ में दीया लिए जा रहा था किसी मजार पर चढ़ाने को। मैंने उससे पूछा कि ‘बेटे, दीया तूने ही जलाया? उसने कहा, ‘हां, मैंने ही जलाया।’ तो मैंने उससे कहा कि ‘मुझे यह बता, यह रोशनी कहां से आती है? तूने ही जलाया। तूने यह रोशनी आते देखी? यह कहां से आती हैं?’
मैं सिर्फ मजाक कर रहा था--हसन ने कहा। छोटा बच्चा, प्यारा बच्चा था; मैं उसे थोड़ी पहेली में डालना चाहता था। लेकिन उसने बड़ी झंझट कर दी। उसने फूंक मार कर दीया बुझा दिया, और कहा कि सुनो, तुमने देखा; ज्योति चली गई; कहां चली गई?
मुझे झुक कर उसके पैर छूने पड़े। मैं सोचता था, वह बच्चा है, वह मेरा अहंकार था। मैं सोचता था, मैं उसे उलझा दंूगा, वह मेरा अहंकार था। उसने मुझे उलझा दिया। उसने मेरे सामने एक प्रश्न-चिह्न खड़ा कर दिया।
ऐसे हसन ने अपने गुरुओं की कहानियां कहीं।
तीसरा गुरु हसन ने कहा, एक कुत्ता था। मैं बैठा था एक नदी के किनारे--हसन ने कहा--और एक कुत्ता आया, प्यास से तड़फड़ाता। धूप घनी है, मरुस्थल है। नदी के किनारे तो आया, लेकिन जैसे उसने झांक कर देखा, उसे दूसरा कुत्ता दिखाई पड़ा पानी में, तो वह डर गया। तो वह पीछे हट गया। प्यास खींचे पानी की तरफ; भय खींचे पानी के विपरीत। जब भी जाए, नदी के पास, तो अपनी झलक दिखाई पड़े; घबड़ा जाए। पीछे लौट आए। मगर रुक भी न सके पीछे, क्योंकि प्यास तड़फा रही है। पसीना-पसीना हो रहा है। उसका कंठ दिखाई पड़ रहा है कि सूखा जा रहा है। और मैं बैठा देखता रहा। देखता रहा।
फिर उसने हिम्मत की और एक छलांग लगा दी--आंख बंद करके कूद ही गया पानी में। फिर दिल खोल कर पानी पीया, और दिल खोल कर नहाया। कूदते ही वह जो पानी में तस्वीर बनती थी, मिट गई।
*हसन ने कहा, ऐसी ही हालत मेरी रही। परमात्मा में झांक-झांक कर देख��ा था, डर-डर जाता था। अपना ही अहंकार वहां दिखाई पड़ता था, वही मुझे डरा देता था। लौट-लौट आता। लेकिन प्यास भी गहरी थी। उस कुत्ते की याद करता; उस कुत्ते की याद करता; सोचता। एक दिन छलांग मार दी; कूद ही गया; सब मिट गया। मैं भी मिट गया; अहंकार की छाया बनती थी, वह भी मिट गई; खूब दिल भर के पीया। कहै कबीर मैं पूरा पाया...।*
~PPG~
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जगन्नाथ का मंदिर बनवाने के लिए
इंद्रदमन राजा ने बहुत बार प्रयास किया लेकिन हर बार समुद्र उसको तोड़ देता था कबीर जी के आशीर्वाद से यह मंदिर बनना संभव हो पाया क्योंकि कबीर जी ने समुन्द्र के रास्ते में बैठकर समुद्र को अपनी शक्ति से रोका और मंदिर का निर्माण करवाया।
परमेश्वर कबीर साहिब जी ने ही वृद्ध कारीगर का रूप बनाकर मंदिर में स्थापित मूर्तियों को अपने हाथों से तराशा लेकिन मूर्ति पूरी होने से पहले दरवाजा खोल देने पर अंतर्ध्यान हो गए जिस कारण से मूर्तियां पूरी नहीं बन सकी यह घटना आज भी प्रमाणित है। आज भी मंदिर में स्थापित मूर्तियों के हाथ पूरे नहीं है।
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दोस्त की मां
मेरा नाम संतोष है और मैं हरियाणा के पानीपत का रहने वाला हूं। मैं अभी कक्षा बारहवीं का ही छात्र हूं और मेरे पिताजी का प्लाईवुड का काम है। उनका काम बहुत ही अच्छा चलता है। इसलिए उन्होंने मेरा एक बहुत ही बड़े स्कूल में एडमिशन करवाया है। मैंने अपनी दसवीं के बाद यहीं पर पढ़ना शुरू किया। जब मैं कक्षा 11 में आया तो मेरे बहुत दोस्त बने
उस सबसे दोस्त में एक ऐसा लड़का था जिसके साथ मेरा बहुत जमता था, उसका नाम तो नही पता पर हां वो कॉलेज की दोस्तों से काफी अलग था, एक दिन मैं जैसे क्लास रूम में पहुंचा तो मैडम ने मुझे उस लड़के से परिचित करवाई
संतोष ये है सूरज और ये बहुत होनहार और ईमानदार लड़का है, पढ़ने में काफी तेज है, तुम्हारी हर विषय में ये मदद करेगा, उस से मिलकर मुझे पहले भी बहुत खुशी हुआ था, अब हम एक अच्छे दोस्त बन गए थे
वो बहुत बड़े घर से था, पैसा दौलत धन की कोई कमी नही था, भगवान ने उसे सबकुछ दे रखा था, कार बंगलों सब कुछ
कुछ दिन बाद सूरज अपने मम्मी पापा के साथ आया था, साथ में कुछ सिक्योरिटी गार्ड था, हमने देखा तो सपने देखने लगा की लाश मुझे भी सूरज के जैसा पैसा धन दौलत रहता, पर सूरज के अंडर एक जबरदस्त अच्छाई थी की कभी वो पैसा का घमंड नहीं ��िया
उसका पापा सरकारी ट्रांसपोर्ट का मालिक था और मम्मी हाउसवाइफ थी, घर में एक बहन थी वो पुणे के हॉस्टल में इंजीनियरिंग कर रही थी, मतलब यूं कहे तो सभी सेटल थे
कुछ दिन बाद सूरज ने कहा की उसकी मम्मी का एनिवर्सरी है और वो कॉलेज के सभी छात्र और छात्राएं को इनवाइट किया और कुछ सर मैम को भी, सब उस दिन बहुत खुश था पर मुझे जाने की हिम्मत नही हुआ
मैं उस दिन जल्दी घर चला गया तबीयत खराब के बहाने से पर मुझे क्या पता था उस दिन मेरे जिंदगी का सबसे अनमोल राते होगा, मैं अपने घर में जाकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो बोली मेरा राजा बेटा को क्या हुआ, आज नाराज लग रहा है
मैं शुरू से ही अपने मम्मी पापा को प्यार कर रहा था, क्योंकि पापा मम्मी ने कभी भी किसी भी समान खरीदने के लिए मुझे मना नही किए और ना कभी मुझे डांटा, पर उस दिन ऐसा लग रहा था की सूरज के सामने मेरा हैसियत बहुत कम है
मैं शाम को करीब बाजार जाकर हल्का सा नाश्ता किया और सोचने लगा की जाऊं की नही जाऊं, ये सोचते सोचते कब शाम 7 बज गया मुझे पता नही चला, मैं अपने घर लौटा तो देखा दरवाजा पर एक लंबी कार खड़ी चमक रही है
मैने सोचा शायद पापा को कोई कॉन्ट्रैक्ट देने आए होंगे, किसी मालिक का नंबर होगा पर वो मेरा दोस्त सूरज का था, उसके साथ उसकी मॉम रेखा भी आई हुई थी
रेखा उमर 39 साल हरी भरी गदरायी जवानी, एक हाउसवाइफ की तरह मेरे कमरे में ब्लैक साड़ी और लाल ब्लाउज में बड़ा सा काजल और बिंदिया लगाकर मेरे मम्मी से बात कर रही थी, वो अपने बड़े गले वाला ब्लाउज को ऐसे पहनी थी की उनका क्लीवेज साफ चमक रहा था, 36 का छाती, 32 का कमर और 38 का कहर ढाने वाला बम, उफ्फ अब मैं दोस्त को देखूं या उसकी मम्मी को
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैं उनको देख के ऐसे मदहोश हो गया था मानो वो कोई नशीले पदार्थ हो और मुझे उसका सेवन करना है
मैं खुद पर काबू किया और आंटी को हाई बोला और कहा आपने आने का कष्ट क्यूं किया, सूरज भाई गलत बात है, तुम मेरे कारण अपने मम्मी को परेशान करते हो, वैसे आंटी हैप्पी एनिवर्सरी
आंटी - थैंक्स बेटा पर ऐसे काम नही चलेगा, अपना टैलेंट दिखाना पड़ेगा, मैं भी देखूं की तुम कितना टैलेंटेड हो जैसे तुम्हारे बारे में सूरज कहता रहता है
जरूर जब भी आपको मेरा टैलेंटेड देखना हो आप मुझे एक बार याद कर लेना, मैं हाजिर हो जाऊंगा, आखिर दोस्त किसका हूं, ये बोलकर सब हंस पड़े
रात करीब 9 ब�� चुकी थी, उधर सूरज के पापा शराब का का कार्यक्रम जोड़ो शोरो से था, हवा की रुख और दोस्त की मम्मी की बदन की खुशबू एक तरफ
थोड़े देर बाद मैने कहा सूरज चलना है या यहीं एनिवर्सरी मनाना है, सूरज ने मेरा मम्मी पापा को कहा पर उन्होंने कहा की मुझे माफ करे, अब तो आप हम एक दोस्त की तरह हो गए हैं तो फिर कभी
थोड़े देर बाद सूरज और उसकी मम्मी आगे बैठ गई, रेखा कार ड्राइवर कर रही थी और सूरज सामने देख रहा था, थोड़े आगे जाने के बाद कार का मैन मिरर को मेरे बॉडी के तरफ करके अपने ही होंटो को कटने लगी
हम 5 मिनिट बाद सूरज के घर पहुंचे जहां सभी इकट्ठा हुए, रेखा ने बड़े ही उल्लास से केक काटी और और अपने पति और बेटे को खिलाई फिर धीरे धीरे सबमें बांट दी
थोड़े देर बाद फिर उसका पापा उस शराब ए जस्न में लग गए, इधर सूरज भी अपने मम्मी से कहा की आज के दिन वो भी शराब पिएगा, तो उसकी मां ने बड़े ही कठोड़ मन से कहा नही, पर सूरज का बार बार जिद करने पर मान गई
थोड़े देर बाद रेखा ने एक बीयर के बोटल में शराब और बीयर दोनो को मिक्सड करके लाई और अपने बेटे को पिला दी, धीरे धीरे अब सब अपने घर की ओर बढ़ने लगे
समय 11 बज चुका था सूरज और उसका पापा दोनो अपने बेडरूम में ढेर हो चुके थे इतना ताकत नही बचा था की खुद को दो स्टेप चला सके, इधर रेखा मुझे किसी भूखे शेरनी की तरह देख रही थी
मेरे पास आई और बोली आज रात तुम मुझे अपना बना सको तो बना लो नही तो मैं समझूंगी की तुम्हारा बदन सिर्फ दिखाने के लायक है
शाम से ही मेरा बुरा हालत था पर अब मुझे पूरा मौका मिला, मैने कहा अच्छा ये बात है, चलो कोई बात नही, तुम भी क्या याद रखेगी की किसी मर्द से मिली थी
मैने आगे बढ़ा और होंठ को अपने होंठ में भरते हुए स्मूच करने लगा और रेखा भी बहुत दिन की प्यासी शेरनी की तरह मेरा कॉक के ऊपर हाथ रख कर मसलने लगी
अब इनबॉक्स में चर्चा होगी
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और आज वही, एक और दिन ढल गया
आज पहली बार ना मेरे शहर में अपनेपन की हवा थी
और ना हमारी बातों में कुछ बात
तुम्हारी और मेरी, हमारी आंखें, जैसे एक साथ लिखी नज़्म
अब पूरी ही नहीं कर पाती
मानो जैसे तुम लकीर खींचते रहते हो
और मैं मिटा ही नहीं पाती
ऐसा हुआ है क्या कभी?
कि मैंने तुम्हारी हथेली पर प्यार का अक्षर लिखा हो
और तुम पहचान नहीं पाए?
कि मैंने चाय पे तुम्हें बुलाया
और तुम चले ना आए?
कि मैंने खुदको घर बनाया तुम्हारा
और तुम दरवाजा ही ना खोल पाए?
शायद,
तुम्हें एक और वादा मिल गया तोड़ने के लिए,
और मुझे?
एक और कारण मिल गया तुम्हें माफ करने के लिए।
ज़िक्र नहीं किया मैंने ना तुमने इस खामोशी का जैसे,
बस एक और दिन ढल गया वैसे।
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बसंत पंचमी के अवसर पर एसआरएम पब्लिक स्कूल के बच्चों के साथ मनाया उत्सव
��ाजीपुर। सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते हुए समाजसेवी संस्था रोटरी क्लब गाजीपुर ने आज एन.वाई सुहासिनी मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर के सामने स्थित हाता में एस.आर.एम पब्लिक स्कूल, लाल दरवाजा के छोटे बच्चों के साथ बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर रोटरी क्लब ने कार्यक्रम में शामिल विद्यार्थियों को ज्ञानवर्धक पुस्तक, कॉपी, पेंसिल, रबर, कटर आदि पाठ्य सामग्री के साथ-साथ अमूल खीर का वितरण…
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हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सुक्खू सरकार, जानें किस मामले में दायर की याचिका
#News हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सुक्खू सरकार, जानें किस मामले में दायर की याचिका
Himachal News: हिमाचल प्रदेश ने छह संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अधिकृत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे हाल ही में उच्च न्यायालय ने अवैध और असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 13 नवंबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था और जिस कानून के तहत उन्हें नियुक्त किया…
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Jamshedpur suicide - सीतारामडेरा में किशोर ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, परिजनों में कोहराम
जमशेदपुर : जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के ओल्ड सीतारामडेरा में सोमवार को किशोर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है. मंगलवार सुबह मृतक के शव को पुलिस के सहयोग से पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. घटना की जानकारी देते हुए मामा गोमा हेंब्रम ने बताया कि घटना सोमवार सुबह की है. मृतक की मां खाना बना कर काम पर चली गयी. जब वह घर 12.30 बजे लौटी तो दरवाजा अंदर से बंद…
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