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प्रीमियर लीग योजनाओं की वापसी के रूप में, टैमी अब्राहम दमा के पिता कॉन्ट्रोवायरस के बारे में चिंतित हैं
प्रीमियर लीग योजनाओं की वापसी के रूप में, टैमी अब्राहम दमा के पिता कॉन्ट्रोवायरस के बारे में चिंतित हैं
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टैमी अब्राहम। (फोटो साभार: रॉयटर्स)
टैमी अब्राहम चिंतित हैं कि उनके पिता को कोरोनोवायरस से अवगत कराया जा सकता है जब वह प्रीमियर लीग में लौटते हैं, क्योंकि वह अभी भी अपने परिवार के साथ रहते हैं।
News18 स्पोर्ट्स
आखरी अपडेट: 15 मई, 2020, 11:58 अपराह्न IST
युवा चेल्सी के स्ट्राइकर टैमी अब्राहम अपने परिवार के लिए चिंतित हैं और अगर वह प्रीमियर लीग में वापसी करते हैं तो कोरोनोवायरस का…
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#अबरहम#क#कनटरवयरस#कोरोनावाइरस#कोविड 19#चतत#चेल्सी#जर्मनी#टम#टैमी अब्राहम#दम#दमा#दमे का रोगी#पत#परमयर#प्रीमियर लीग#प्रोजेक्ट रिस्टार्ट#बंडेसलिगा#बर#म#यजनओ#यूके#यूरोपीय फुटबॉल#रप#लग#वपस#ह
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#केला_खाने_के_ये_फायदे_आपको_हैरत_में_डाल_देंगे
केला अन्य फलों की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होता है, साथ ही उर्जा का अच्छा विकल्प भी। लेकिन इसके अलावा भी केले में कई गुण होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
👉 केले में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होते हैं जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं. अगर आप रोजाना केले का सेवन कर रहे हैं तो आपकी पाचन क्रिया अच्छी रहेगी
👉 हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामन बी6 की आवश्यकता होती है ताकि हिमोग्लोबिन और इंसुलिन का निर्माण हो सके. केले में ये पोषक तत्व होने से शरीर की इस आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है।
👉 हृदय स्वास्थ्य के लिए भी केला खाने के फायदे देखे गए हैं। यह पोटैशियम जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है, जो दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोगों से होने वाली मौतों को कम कर सकता है।
👉 आंतों में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर या दस्त, पेचिश एवं संग्रहणी रोगों में दही के साथ केले का सेवन करने से फायदा होता है।
👉 जुबान पर छाले हो जाने की स्थिति में गाय के दूध से बने दही के साथ केले का सेवन करना लाभदायक होता है। इससे छाले ठीक हो जाते हैं।
👉 दमे के इलाज मे��� भी केले का प्रयोग बेहद लाभकारी होता है। कई लोग इसके लिए केले को छिलके सहित सीधा या खड़ा काटकर, उसमें नमक व काली मिर्च लगाकर रातभर चांदनी में रखते हैं और सुबह इस केले को आग पर भूनकर मरीज को खिलाते हैं। ऐसा करने से दमा के रोगी को आराम मिलता है।
👉 महिलाओं में श्वेत प्रदर की समस्या होने पर, नियमित रूप से दो पके केलों का सेवन करना काफी लाभदायक होता है। प्रतिदिन एक केला लगभग 5 ग्राम शुद्ध देसी घी के साथ सुबह और शाम को खाने से भी प्रदर रोग दूर होता है।
👉 पीलिया के इलाज में भी केले का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए केले को बगैर छीले, भीगा चूना लगाकर रातभर ओस में रखा जाता है, और सुबह छीलकर खाया जाता है। इसे खाने से पीलिया दूर हो जाता है। यह प्रयोग एक से तीन सप्ताह तक नियमित रूप से करना चाहिए।
Call: +91 7982053511 or Visit https://www.thanksayurveda.com/product-category/hashmi-dawakhana/
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दमा (अस्थमा) क्या होता है उसे कैसे ठीक करें
दमा (Asthma)
दमा अस्थमा एक काफी दुख देने वाला रोग है और बड़ी मुश्किल से जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा यह रोग भी अन्य हठी रोगों के भांति आसानी से दूर किया जा सकता है।
स्वांस लेने वाली नलिकाओं के संकुचित होने पर और उन में कफ के जकड़ जाने से रोगी श्वास लेने में क��िनाई महसूस करता है। जब सीने में असंख्य ग्रंथियां कफ़ से जकड़ जाती हैं तो दमे का दौरा पड़ता है। जो आधा घंटे या इससे अधिक भी रह…
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दमा (श्वास रोग ) Asthma
#आज के समय में #दमा तेज़ी से #स्त्री - #पुरुष व बच्चों को अपना #शिकार बना रहा है | साँस लेने में #दिक्कत या #कठिनाई #महसूस होने को #श्वास #रोग कहते हैं | #फेफड़ों की #नलियों की छोटी-छोटी #पेशियों में जब #अकड़न युक्त #संकुचन उत्पन्न होता है तो #फेफड़ा, #साँस को पूरी तरह अंदर #अवशोषित नहीं कर पाता है जिससे #रोगी पूरा श्वास खींचे बिना ही श्वास छोड़ने को विवश हो जाता है | इसी स्थिति को दमा या श्वास रोग कहते हैं |
दमा को पूर्ण रूप से ठीक करने हेतु #प्राणायाम का #अभ्यास सर्वोत्तम है |
विभिन्न #औषधियों से दमे का #उपचार :----
१- #अदरक के रस में #शहद मिलाकर चाटने से श्वास , #खांसी व #जुक़ाम में लाभ होता है ।
२- #प्याज़ का रस , अदरक का रस , #तुलसी के पत्तों का रस व शहद ३-३ ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह-शाम सेवन करने से #अस्थमा रोग #नष्ट होता है |
३- काली मिर्च - २० ग्राम , बादाम की गिरी - १०० ग्राम और खाण्ड - ५० ग्राम लें | तीनों को अलग - अलग बारीक़ पीस कर चूर्ण बना लें , फिर तीनों को अच्छी #तरह से मिला लें | इस #मिश्रण की एक #चम्मच लें और रात को #सोते समय गर्म #दूध से लें , लाभ होगा |
विशेष :-- जिनको #मधुमेह हो वे खाण्ड का प्रयोग न करें तथा जिनको #अम्लपित्त [acidity ] हो वे काली #मिर्च १० ग्राम की मात्र में प्रयोग करें |
#अधिक जानने के लिए, https://bit.ly/2lY0M5u पर क्लिक करें या हमें +91 9210168168 पर #कॉल करें।
#JivanAyurveda
#HealthTipsByJivanAyurveda
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मुलेठी के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
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मुलेठी के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
All Ayurvedic – A Natural Way of Improving Your Health
आयुर्वेदिक औषधियाँ
आरोग्यम
जड़ी बूटी
नमस्कार दोस्तों All Ayurvedic के माध्यम से आज की इस पोस्ट में हम आपको मुलेठी के फायदे के बारे में बताएंगे। दोस्तों आप सभी लोगों ने मुलेठी को कभी-कभी तो खाया ही होगा अगर नहीं खाया है तो इसे खाना शुरू कर दीजिए क्योंकि इसके आपको बहुत सारे आयुर्वेदिक लाभ मिलने वाले हैं।
मुलहठी ��ांसी , जुकाम , उल्टी व पित्त को बंद करती है। मुलहठी अम्लता में कमी व क्षतिग्रस्त व्रणों (जख्मों) में लाभकारी है। अम्लोत्तेजक पदार्थ को खाने पर होने वाली पेट की जलन और दर्द, पेप्टिक अल्सर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में मुलहठी अच्छा प्रभाव छोड़ती है। मुलहठी का उपयोग कड़वी औषधियों का स्वाद बदलने के लिए किया जाता है। मुलहठी आंखों के लिए लाभदायक, बालों को मुलायम, आवाज को सुरीला बनाने वाली और सूजन में लाभकारी है। मुलहठी विष, खून की बीमारियों , प्यास और क्षय (टी.बी.) को समाप्त करती है। चलिए जानते हैं मुलेठी खाने के फायदों के बारे में।
मुलेठी या मुलहठी के 75 फायदे
सर्दी, खांसी और जुखाम : अगर आपको सर्दी खांसी जुखाम की समस्या की वजह से आपकी छाती में कफ जमा हो गया है तो यह आपके कफ को निकालने में बहुत मदद करती है।
गले की खराश, गले का बैठ जाना : मुलेठी चबाने से मुंह में लार का स्राव बढ़ता है। और यह आपकी आवाज को भी मधुर बनाती है। और यह शवशन संबंधी रोगों जैसे गले की खराश, गले का बैठ जाना, खांसी आदि में बहुत फायदेमंद होती है।
पेट में एसिड : अगर आपके गले में जलन या सूजन है तो मुलेठी को मुंह में रखकर चुसिए ऐसा करने से गले की जलन और सूजन में आराम मिलेगा और आपके पेट में एसिड के स्तर को भी नियंत्रित करती है।
सीने की जलन और खाना ना पचना : अगर आपके सीने में जलन हैं और खाना भी सही तरीके से नहीं पच रहा है तो मुलेठी को मुंह में रखकर चूसना होगा इससे आपको सीने की जलन और खाना ना पचने की समस्या में राहत मिलेगी।
घाव (जख्म) : मुलहठी पेट में बन रहे एसिड (तेजाब) को नष्ट करके अल्सर के रोग से बचाती है। पेट के घाव की यह सफल औषधि है। मुलहठी खाने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसका सेवन लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। बीच-बीच में बंद कर दें।
कफ व खांसी : खांसी होने पर यदि बलगम मीठा व सूखा होता है तो बार-बार खांसने पर बड़ी मुश्किल से निकल पाता है। जब तक गले से बलगम नहीं निकल जाता है, तब तक रोगी खांसता ही रहता है। इसके लिए 2 कप पानी में 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर इतना उबाल लें कि पानी आधा कप बचे। इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने से पहले पी लें। 3 से 4 दिन तक प्रयोग करने से कफ पतला होकर बड़ी आसानी से निकल जाता है और खांसी, दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है। यक्ष्मा (टी.बी.) की खांसी में मुलहठी चूसने से लाभ होता है।
पौरुष कमजोरी : रोजाना मुलहठी चूसने से शारीरिक कमजोरी नष्ट हो जाती है। 10 ग्राम मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण, घी और शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिश्री मिले गर्म-गर्म दूध को पीने से पौरुष कमजोरी के रोग कुछ ही सम�� में कम हो जाता है।
दाह (जलन) : मुलहठी और लालचंदन पानी के साथ घिसकर शरीर पर लेप करने से जलन शांत होती है।
अम्लपित्त (एसिडिटिज) : खाना खाने के बाद यदि खट्टी डकारें आती हैं, जलन होती है तो मुलहठी चूसने से लाभ होता है। भोजन से पहले मुलहठी के 3 छोटे-छोटे टुकड़े 15 मिनट तक चूसें, फिर भोजन करें।
कब्ज़, आंव : 125 ग्राम पिसी मुलहठी, 3 चम्मच पिसी सोंठ, 2 चम्मच पिसे गुलाब के सूखे फूल को 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसे छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) बाहर निकल जाता है। या 5 ग्राम मुलहठी को गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आता है और कब्ज दूर हो जाती है।
हिचकी : मुलहठी के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
उल्टी लाने के लिए: पेट में अम्लता (एसिडिटीज) और पित्त बढ़ने पर जी मिचलाता है, तबीयत में बेचैनी और घबराहट होती है, उल्टी नहीं होती जिसके कारण सिरदर्द शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में उल्टी लाने के लिए 2 कप पानी में 10 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर उबाल लें। जब पानी आधा कप बचे, तब इसे उतारकर ठंडा कर लें। फिर राई का 3 ग्राम पिसा चूर्ण इसमें डालकर पीयें। इससे उल्टी हो जाती है। उल्टी होने से पेट में जमा, पित्त या कफ निकल जाता है और तबीयत हल्की हो जाती है। रोगी को बहुत आराम मिलता है। यह तरीका विषाक्त (जहर में), अजीर्ण (भूख का कम होना), अम्लपित्त (एसिडिटीज), खांसी और छाती में कफ जमा होने पर करने से बहुत लाभ मिलता है।
अनियमित मासिक-धर्म : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम से कम 40 दिन तक सुबह-शाम पीना चाहिए। यदि गर्मी के कारण मासिकस्राव में खून का अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक बना लें। फिर इसकी एक खुराक शाम को एक कप चावल के पानी के साथ सेवन करें। इससे बहुत लाभ मिलता है। नोट : मुलहठी को खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
पेशाब के रोग : पेशाब में जलन, पेशाब रुक-रुककर आना, अधिक आना, घाव और खुजली और पेशाब सम्बंधी समस्त बीमारियों में मुलहठी का प्रयोग लाभदायक है। इसे खाना खाने के बाद रोजाना 4 बार हर 2 घंटे के उंतराल पर चूसते रहना लाभकारी होता है। इसे बच्चे भी आसानी से बिना हिचक ले सकते हैं। या 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण 1 कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
हृदय शक्तिवर्धक (शक्ति को ब��ाने वाला) : ज्यादातर शिराओं और धमनियों पर गलत खान-पान, गलत आदतें और काम का अधिक भार पड़ने से कमजोरी आ जाती है, इससे हृदय को हानि पहुंचती है। इस कारण से अनिंद्रा (नींद का न आना), हाई और लोब्लड प्रेशर जैसे रोग हो जाते हैं। ऐसे में मुलहठी का सेवन काफी लाभदायक होता है।
फेफड़ों के रोग : मुलहठी फेफड़ों की सूजन, गले में खराश, सूजन, सूखी कफ वाली खांसी में लाभ करती है। मुलहठी फेफड़ों को बल देती है। अत: फेफडे़ सम्बंधी रोगों में यह लाभकारी है। इसको पान में डालकर खाने से लाभ होता है। टी.बी. (क्षय) रोग में भी इसका काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है।
विष (ज़हर) : जहर पी लेने पर शीघ्र ही उल्टी करानी चाहिए। तालु को उंगुली से छूने से तुरन्त उल्टी हो जाती है। यदि उल्टी नहीं आये तो एक गिलास पानी में 2 चम्मच मुलहठी और 2 चम्मच मिश्री को पानी में डालकर उबाल लें। आधा पानी शेष बचने पर छानकर पिलायें। इससे उल्टी होकर जहर बाहर निकल आता है।
निकट दृष्टि दोष (पास की नज़र में कमी) : निकट दृष्टि को बढ़ाने में मुलहठी का प्रयोग गुणकारी होता है। 1 चम्मच मुलहठी का पाउडर, इतना ही शहद और आधा भाग घी तीनों को मिलाकर 1 गिलास गर्म दूध से सुबह-शाम लेने से निकट दृष्टि दोष (पास से दिखाई न देना) दूर हो जाता है।
मांसपेशियों का दर्द : मुलहठी स्नायु (नर्वस स्टिम) संस्थान की कमजोरी को दूर करने के साथ मांसपेशियों का दर्द और ऐंठन को भी दूर करती है। मांसपेशियों के दर्द में मुलहठी के साथ शतावरी और अश्वगंधा को समान रूप से मिलाकर लें। स्नायु दुर्बलता में रोजाना एक बार जटामांसी और मुलहठी का काढ़ा बनाकर लेना चाहिए।
गंजापन, रूसी (ऐलोपीका) : मुलहठी का पाउडर, दूध और थोड़ी-सी केसर, इन तीनों का पेस्ट बनाकर नियमित रूप से बाल आने तक सिर पर लगायें। इससे बालों का झड़ना और बालों की रूसी आदि में लाभ मिलता है।
सूखी खांसी : सूखी खांसी में बलगम पैदा करने के लिए 1 चम्मच मुलहठी को शहद के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 ग्राम काढ़ा सुबह-शाम पीने से श्वासनलिका (सांस की नली) साफ हो जाती है।
खून के बहने पर : मुलहठी की जड़ का चूर्ण और शर्करा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3 से 6 ग्राम चूर्ण को चावल के पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से खून का अधिक बहना कम हो जाता है।
आंखों की जलन दूर करना और रोशनी बढ़ाना : मुलहठी के काढे़ से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। इसकी जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है।
आंखों की लालिमा: मुलहठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फोहा भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों की लालिमा मिटती है।
सिर में दर्द : किसी भी प्रकार के सिर के दर्द में 10 ग्राम मुलेठी का चूर्ण, 40 ग्राम कलिहारी का चूर्ण तथा थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर नासिका में ��सवार की तरह सूंघने से लाभ होता है। या मुलहठी, मिश्री और घी को घोटकर सूंघने से पित्तज के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
रंग को साफ करने के लिए : मुलेठी को पानी में पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की रौनक बढ़ती है।
बालों के लिए : मुलेठी के बने काढ़े (क्वाथ) से बाल धोने से बाल बढ़ते हैं। मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
मिर्गी के लिए : मुलेठी के 1 चम्मच बारीक चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से लाभ होता है।
प्यास अधिक लगना : मुलहठी को चूसने से प्यास मिट जाती है। मुलहठी में शहद मिलाकर सूंघने से तेज प्यास खत्म हो जाती है तथा थोड़े-थोड़े देर पर लगने वाली प्यास मिट जाती है।
हृदय रोग : मुलहठी तथा कुटकी के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से दिल के रोग में लाभ होता हैं।
रक्तपित्त के कारण उल्टी : 3 से 5 ग्राम मुलहठी नियमित सुबह-शाम सेवन करने से रक्तपित्त शांत होता है। इससे खून की कमी तथा खून के विकार दूर हो जाते हैं।
खून की उल्टी : 4 ग्राम मुलहठी का चूर्ण लेकर दूध या घी के साथ रोज सुबह-शाम खायें इससे खून की उल्टी बंद हो जाती है।
पेट में गैस का होना : 2 से 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण पानी और मिश्री के साथ सेवन करने से पेट मे गैस कम हो जाती है।
पीलिया : पीलिया रोग में 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर या इसका काढ़ा पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
शारीरिक कमजोरी में : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण आधा चम्मच शहद और एक चम्मच घी मिलाकर 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम रोजाना 5-6 हफ्ते तक सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है।
फोड़े : फोड़े होने पर मुलहठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं।
आंत्रवृद्धि या हर्निया : मुलहठी, रास्ना, बरना, एरण्ड की जड़ और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े में एरण्ड का तेल डालकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।
आंख आना : मु���हठी को पानी में डालकर रख दें। 2 घंटे के बाद उस पानी में रूई डुबोकर पलकों पर रखने से आंखों की जलन और दर्द दूर हो जाता है। आंख आने पर या आंखों के लाल होने के साथ पलकों में सूजन आने पर मुलहठी, रसौत और फिटकरी को एक साथ भूनकर आंखों पर लेप करने से बहुत आराम आता है।
श्वास का दमा का रोग : 50 ग्राम मुलहठी, 20 ग्राम सनाय और 10 ग्राम सोंठ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से श्वास रोग (दमा) से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। या 10 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, 5 ग्राम कालीमिर्च और 1 गांठ अदरक को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसे काढे़ को छानकर पीने से दमे के रोग में आराम आता है। या 5 ग्राम मुलहठी को 1 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इस पानी को आधा सुबह तथा आधा शाम को पियें। 3-4 दिन ऐसा करने से कफ पतला होकर निकल जाएगा और खांसी शांत हो जायेगी।
मलेरिया का बुखार : 10 ग्राम मुलहठी छिली हुई, 5 ग्राम खुरासानी अजवाइन तथा थोड़ा-सा सेंधानमक को मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
आंखों के रोग : मुलहठी, पीला गेरू, सेंधानमक, दारूहल्दी और रसौत इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ सिल पर पीस लें। आंखों के बाहर इसका लेप करने से आंखों के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। इससे आंखों का दर्द और ��ंखों की खुजली में विशेष लाभ होता है।
दांत निकलना : मुलहठी का बारीक चूर्ण बनाकर बच्चों को खिलायें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं और बार-बार दस्त का आना बंद हो जाता है।
खांसी : मुलहठी का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी का प्रकोप शांत हो जाता है। मुलहठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से भी खांसी दूर हो जाती है। या 3 ग्राम मुलहठी का चूर्ण दिन में 3 बार शहद के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है। खांसी में मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से राहत मिलती है। सावधानी : खांसी का वेग रोकने से विभिन्न रोग हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं। दमा का रोग, हृदय रोग, हिचकी, अरुचि, नेत्र रोग।
आमाशय (पेट) का जख्म : मुलहठी की जड़ को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को 4-4 ग्राम के रूप में दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें या पकाकर बने काढ़े को 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना शहद के साथ मिलाकर पीयें। इससे आमाशय का जख्म (पेट का जख्म) ठीक हो जाता है।
रतौंधी (रात में न दिखाई देना) : 3 ग्राम मुलहठी, 8 ग्राम आंवले का रस और 3 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को एक साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से रतौंधी (रात में न दिखाई देना) का रोग दूर हो जाता है और आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
उल्टी : उल्टी होने पर मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
मुंह के छाले : मुलहठी के चूर्ण को फूले हुए कत्था के साथ मिलाकर छाले पर लगाएं और लार बाहर टपकने दें। इससे मुंह की गन्दगी खत्म होकर मुंह के छाले दूर होते हैं। या मुलहठी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से मुंह के छाले सूख जाते हैं।
गले की खरास : मुलहठी, पिपरमिंट, छोटी इलायची, लौंग, जावित्री तथा कपूर को बारीक पीस लें, फिर इसे पानी साथ मिलाकर छोटी-छोटी लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की गोली बनाकर रखें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली मुंह में रखकर चूसने से गले की खरास दूर होती है, आवाज साफ होती है व जीभ रोग ठीक होते हैं।
मुंह की दुर्गन्ध : मुलैठी को चबाने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
मासिकस्राव संबन्धी परेशानियां : आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटना चाहिए। लगभग 1 महीने तक मुलहठी का चूर्ण लेने से मासिकस्राव सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं।
श्वेत प्रदर रोग : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण और 1 चम्मच पिसी हुई मिश्री को चावल के पानी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है। या मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम लेकर पानी के साथ नियमित सुबह-शाम लें। इससे श्वेतप्रदर में आराम पहुंचता है।
जुकाम : गुलबनफ्शा, मुलहठी और देशी अजवायन को बराबर लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग डेढ़-डेढ़ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से नजला, जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है।
पेट में दर्द : आधा चम्मच मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण और 1 चम्मच सौंफ के चूर्ण को पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है। या मुलहठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे पेट और आंतों की ऐंठन व क्षोभ से उत्पन्न दर्द में लाभ मिलता है।
बांझपन : मुलहठी, कंघी, खिरैटी, खांड, बड़ के उंकुर और नागकेशर को लेकर एक साथ बारीक पीस लें, फिर इसे शहद, दूध और देशी घी में मिलाकर सेवन करने से बांझ स्त्री को भी लड़के की प्राप्ति हो जाती हैं।
दिल की धड़कन : लगभग 4 ग्राम मुलेठी के चूर्ण को सुबह-शाम घी या शहद के साथ सेवन करने से दिल के सारे रोगों में लाभ होता है।
उपदंश (सिफलिस) : मुलहठी, खस, मंजीठ, गेरू, रसौत, पद्माख, चंदन और कमल इन दोनों को ठंडे पानी में पीसकर लेप करने से पित्तज उपदंश में मिलता है।
दिल की कमजोरी : 5 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को दूध या घी के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से दिल की कमजोरी दूर हो जाती है।
खसरा : मुलहठी, गिलोय, अनार के दाने और किशमिश को बराबर लेकर और उन्हें पीस लें, फिर उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर दिन में 2-3 बार बच्चे को खिलाएं। इससे खसरे का असर कम होता है।
बच्चों का बुखार : 5-5 ग्राम दारूहल्दी, मुलेठी, कटेरी, हल्दी और इन्द्रजौ को एक साथ मिलाकर काढ़ा बना लें, फिर इसे छानकर बच्चे को पिलाने से बुखार में आराम आता है।
होठों का फटना : वातज रोग में लोहबान, राल, गूगल, देवदारू तथा मुलेठी को बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर रख लें, फिर इस चूर्ण को धीरे-धीरे होठों पर लगाने से फटे होठ ठीक हो जाते हैं।
खून की कमी : लगभग आधा ग्राम मुलहठी का चूर्ण रोजाना सेवन करने से खून में वृद्धि होती है।
छोटे बच्चों के मुंह से लार टपकना : सारिवा, तिल, लोध और मुलहठी का काढ़ा बना लें। इस काढ़े से मुंह साफ करने से बच्चों के मुंह से लार टपकना बंद हो जाता है।
आग से जलने पर : मुलेठी और चंदन को पानी के साथ घिसकर शरीर के जले हुए भाग पर लेप करने से ठंडक मिलती है।
त्वचा का सूखकर मोटा और सख्त हो जाना : भिलावे की वजह से यदि त्वचा की सूजन हो गई हो तो मुलेठी और तिल को दूध के साथ पीसकर लगाने से आराम आता है।
सूखा रोग (रिकेट्स) : लगभग 6 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम इलायची, 3 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम तुलसी के पत्ते, 3 ग्राम बंशलोचन, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को तुलसी के रस में मिलाकर लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की गोली बना ले��। 1-1 गोली मां के दूध के साथ नियमित 3-4 बार बच्चे को देने से सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है।
छोटे बच्चों के फोडे़, घाव, नासूर : मुलेठी, कड़वे नीम के पत्ते, दारूहल्दी को कूट-पीसकर घी में मिलाकर मरहम बना लें। इस मरहम के लगाने से घाव (जख्म) अन्दर से भर जाता है। अगर घाव में खराबी हो, किसी भी दवाई से आराम न हुआ हो तो नीम के पत्ते डालकर पानी उबाल लें और उससे घाव को धोकर ऊपर से यह मरहम लगा दीजिये। घाव चाहे जैसा भी हो, फोड़ा, नासूर या किसी भी प्रकार का घाव हो। यह मलहम कुछ दिनों तक लगातार लगाने से और घाव को धोने से आराम हो जाएगा। अगर फोड़ा फूटकर बहता हो तो कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर और शहद में मिलाकर लगाना चाहिए।
नाड़ी का दर्द : 100 ग्राम मुलहठी को पीस लें और रात को सोते समय इसको गर्म दूध के साथ लें। इससे स्नायु के रोग में लाभ होता है।
स्वर यंत्र में जलन होने पर : मुलहठी (जेठीमधु) का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से स्वरयंत्र शोथ (गले में सूजन) ठीक हो जाती है।
शरीर क�� शक्तिशाली बनाना : मुलहठी के चूर्ण को एक शीशी में भरकर रख दें और रोजाना 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 30 मिलीलीटर दूध में घोलकर पीने से शरीर में ताकत आती है।
बच्चों की नाभि का पकना: हल्दी, घोघ, फूल प्रियंगु और मुलेठी को पानी में पीसकर लुगदी सी बना लें और पीछे कलईदार बर्तन में काले तिल का तेल और लुग्दी मिलाकर तेल पका लें। इस तेल को नाभि पर धीरे-धीरे लगाने और इन्ही चारों दवाओं को बारीक पीसकर लगाने से नाभि-पाक (टुंडी का पकना) में आराम हो जाता है।
गले की सूजन : 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम मुलहठी, 5 ग्राम लौंग, 5 ग्राम हरड़ और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ धीरे-धीरे चाटने से पुरानी खांसी और पुराने जुकाम के कारण गले की खराबी, सिर दर्द, गले की खराश आदि रोग दूर हो जाते हैं।
स्वर भंग (गले का बैठ जाना) : मुलहठी को चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है और गला भी साफ हो जाता है। मुलेठी के आधे चम्मच चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
पेट और आंतों के घाव: पेट और आंतों के घाव में मुलहठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इसे लगातार करते रहने से अल्सर कुछ ही हफ्तों में भर जायेंगें। इस प्रयोग के समय मिर्च मसालों नहीं खाना चाहिए।
कृपया ध्यान रहे : मुलहठी के सेवन के दौरान गर्म प्रकृति के पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। मुलेठी की चूर्ण को निर्धारित मात्रा में निर्धारित समय तक ही लेना चाहिए। अधिक मात्रा में या लम्बे समय तक इसका सेवन हानिप्रद है। कई रोगों में इसका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
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15 Asthma Attack ka upchar - अस्थमा (दमा) का ईलाज
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15 Asthma Attack ka upchar - अस्थमा (दमा) का ईलाज
Symptoms of Asthma – अस्थमा के लक्षण
Asthma Attack Symptoms – दमा के मरीज को बेहद संभल कर रहना चाहिए। अस्थमा के रोगी को धूल और प्रदूषित जगह से दूर ही रहना चाहिए। जब “Asthma Attack” आता है। तब शरीर के बाकि अंगो तक ऑक्सीजन पहुँच नहीं पाता है। रोगी उस समय तड़पने लगता है। कभी कभी दमा के दौरे के कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। अस्थमा को पहचानने के लक्षण कुछ इस प्रकार है।
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श्वास लेते समय आवाज का होना
साँस लेने में तकलीफ होना
सीने (Chest) में भारीपन का अनुभव होना
हमेशा कफ की शिकायत रहना
बलगम का बदबूदार और सख्त होना
साँस लेने पर थकावट जैसा लगना
सुखी खांसी का होना
Natural Remedies for Asthma
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सुबह और शाम टहलने की कोशिश करे। अस्थमा के रोगी को योग करना चाहिए। आप प्राणायाम कर सकते है। ध्यान रहे अत्यधिक बल के साथ कुछ ना करे। ज्यादा थकने वाले काम न करे। दमे के रोगी गर्म बिस्तर पर सुलाए। 15 Home Remedies for Asthma Attack in Hindi.
1. Cure for Asthma ⇒ सबसे पहले एक कप पानी ले। अब उसमे लगभग 5 लौंग को डालकर 10 मिनट तक गर्म करे। जब ठंडा हो जाए। तब उसमे शुद्ध शहद मिलाकर रात में सोने से पहले ले। आपको फायदा मिलेगा।
यह भी जाने: बादाम खाने के बेहतरीन फायदे
2. Asthma Attack Treatment ⇒ सरसों का तेल (Mustard Oil) में कपूर को अच्छी तरह मिला ले। अब उस मिश्रण अपनी छाती पर मालिश करे। रात को सोने से पहले मालिश करके सोये। आपको लाभ मिलेगा।
3. Asthma Cure ⇒ सबसे पहले लगभग एक चौथाई कप प्याज का रस निकाल ले। अब उस रस में काली मिर्च और शुद्ध शहद मिला ले। अब उस मिश्रण को 1/8 चम्मच पानी के साथ ले। आपको राहत महसूस होगा।
4. Natural Remedies for Asthma ⇒ दमा की समस्या में अदरक और मैथी का इस्तेमाल कर सकते है। मैथी और अदरक का रस एक एक चम्मच ले। अब उस रस में शहद मिलाकर सेवन करे।
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5. Cure for Asthma in Hindi ⇒ अस्थमा के रोग में लहसुन काफी फायदेमंद होता है। लगभग एक कप दूध ले। अब उसमे 3 से 4 लहसुन की कली डालकर उबाले। इसके सेवन करने से आपको फायदा होगा।
दादी माँ के घरेलु नुस्खे – Dadi maa ke ayurvedic upchar for Asthma Attack
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6. Asthma Attack treatment in Hindi ⇒ इस बीमारी में अंजीर भी लाभदायक है। सबसे पहले अंजीर को गर्म पानी से धो ले। 2 से 4 अंजीर साफ़ पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दे। सुबह उस अंजीर को खाए और पानी को पी ले।
7. Natural Remedies for Asthma in Hindi ⇒ इस रोग में सहजन के पत्ते भी लाभदायक है। मुट्ठी भर सहजन के पत्ते और उसका काढ़ा बना ले। अब उसमे थोड़ी काली मिर्च, निम्बू का रस और नमक मिला ले। अब दमा के रोगी को यह काढ़ा पिलाये। आपको फायदा होगा।
8. दमा का ईलाज ⇒ करेले के जड़ का चूर्ण बना ले। तुलसी के पत्ते और करेले की जड़ का चूर्ण मिलाकर खाने से लाभ मिलेगा। इसके अलावा करेले की जड़ के साथ शहद को मिलाकर रात में सेवन करे।
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9. Asthma ka gharelu Upchar ⇒ अस्थमा के रोग में इलाइची भी फादेमंद है। इलाइची खाने से यह अस्थमा से राहत दिलाता है। बराबर मात्रा में कजूर, बड़ी इलाइची और अंगूर ले। अब इसे कुचलकर शहद के साथ सेवन करे। यह दमा और खांसी दोनों से राहत दिलाता है।
10. Cure for Asthma ⇒ सबसे पहले अजवाईन को भुन ले। भुना हुआ अजवाईन को एक सूती कपडे में लपेट ले। रात में अपने तकिये के नजदीक रख ले। इससे अस्थमा के अलावा खांसी और सर्दी में भी लाभ मिलता है।
Asthma Attack Treatment – Treatment of Asthma
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11. Dama ka ilaj ⇒ आंवला का रस “Dama ki Bimari” में उपयोगी है। आंवला फेफड़ो को मजबूत बनाता है। एक चम्मच आंवला के रस में दो चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर सेवन करे। आपको लाभ मिलेगा।
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12. Natural Remedies for Dama ⇒ पलक के पत्तों का एक गिलास जूस निकाल ले। उस जूस में सेंधा नमक मिलाकर पिये। पलक के रस में गाजर का रस भी मिलाकर पिया जा सकता है। इससे अस्थमा से आपको राहत मिलेगी।
13. Dama Attack ka ilaj in Hindi ⇒ अनार का रस का भी उपयोग कर सकते है। सबसे पहले अनार और अदरक बराबर मात्रा में निकाल ले। अब उसमे शहद मिलाकर 1-1 चम्मच दिन में तीन बार ले। आपको लाभ मिलेगा।
14. Asthma Attack ka upchar ⇒ लगभग 6 काली मिर्च, 5 तुलसी के पत्ते, 1/4 चम्मच काला नमक, 1/4 चम्मच सौंठ ले। इन सभी को पानी में डालकर उबाले। इस मिश्रण को पीने से दमा से राहत मिलती है।
15. अस्थमा का ईलाज ⇒ इस रोग में सौंफ का इस्तेमाल भी लाभकारी है। सौंफ में बलगम को साफ़ करने का गुण होता है। सौंफ का काढ़ा बना कर पिलाने से लाभ होगा।
Asthma Attack ka ilaj / Dama Attack ka upchar
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रोगी अधिक व्यायाम से बचे
धूल और धुंए से बचकर रहे
शराब और धुम्रपान से परहेज करे
अत्याधिक मानसिक तनाव और लड़ाई-झगड़ो से बचना चाहिए
तेज परफ्यूम और इत्र से दुरी बनाये
हल्का और पचने वाला भोजन खाए
घर के जानवरों से दुरी बनाये रखे
फ़ास्ट फ़ूड और अनहेल्थी खाने से बचे
अस्थमा के कारण, लक्षण और उपचार
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#वासा_के_फायदे
#वासा को #अडूसा भी कहते हैं। आयुर्वेद में कहा जाता है कि वासा वात, पित्त और कफ को कम करने में बहुत काम आता है।नेत्ररोगों के साथ #अश्मरी (पथरी) #शर्करा (ब्लड ग्लूकोज), कुष्ठ, ग्रहणी, योनिरोग और वात संबंधी बीमारियों में अन्य द्रव्यों के साथ वासा का प्रयोग मिलता है। सुश्रुत-संहिता में क्षारक्रिया में इसकी गणना की गई है।
👉 #मसूड़ों_में_दर्द या #सूजन होना एक आम समस्या है। आप घरेलू उपायों की मदद से इस दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। #अडूसा में कषाय रस होने के कारण यह दर्द और सूजन को कम करने में असरकारक है। इसलिए अगर आप मसूड़ों के दर्द से परेशान हैं तो चिकित्सक की सलाह अनुसार अडूसा का उपयोग करें।
👉 बच्चे और वयस्क सभी #दांतों_के_कैविटी से परेशान रहते हैं इसके लिए वासा का प्रयोग करने से लाभ मिलेगा। दाढ़ या दांत में कैविटी हो जाने पर उस स्थान में वासा पत्ते का निचोड़ भर देने से आराम होता है। अडूसा का प्रयोग इस तरह से करने पर जल्दी राहत मिलती है। वासा के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने से #दांत_दर्द कम होता है।
👉 अडूसा, हल्दी, धनिया, गिलोय, पीपल, सोंठ तथा रेगनी के 10-20 मिली काढ़े में 1 ग्राम मिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पीने से सम्पूर्ण #सांस_संबंधी_रोग पूर्ण रूप से ठीक हो जाती है। वासा के पञ्चाङ्ग को छाया में सुखाकर कपड़े में छानकर रोज 10 ग्राम मात्रा में खाने से #सांस_लेते वक्त #खांसी होने पर उसमें लाभ होता है।
👉 हर बार मौसम बदलने के समय अगर आप #दमे से परेशान रहते हैं तो अडूसा का सेवन करें। इसके ताजे पत्तों को सुखाकर, उनमें थोड़े से काले धतूरे के सूखे हुए पत्ते मिलाकर दोनों को पीसकर चूर्ण करके (बीड़ी बनाकर पीने) धूम्रपान करने से सांस लेने में आश्यर्चजनक लाभ होता है।
👉 अगर आपको #पीलिया हुआ है और आप इसके लक्षणों से परेशान हैं तो वासा का सेवन इस तरह से कर सकते हैं। वासा पञ्चाङ्ग के 10 मिली रस में मधु और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर पिलाने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। #वात_रोग में अक्सर हाथ पैरों में ऐंठन होता है लेकिन वासा का औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होता है। वासा के पत्ते के रस में सिद्ध किए तिल के तेल की मालिश करने से वात वेदना तथा हाथ पैरों की #ऐंठन मिट जाती है।
👉 यदि #चेचक फैली हुई हो तो वासा का 1 पत्ता तथा मुलेठी 3 ग्राम इन दोनों का काढ़ा बच्चों को पिलाने से चेचक का भय नहीं रहता है। प्रतिदिन जो रोगी दूध भात का खाते हैं उसमें 2-5 ग्राम वासा चूर्ण को 1 चम्मच मधु के साथ सेवन करने से उसे पुराने भयंकर #मिरगी_रोग में अत्यन्त लाभ होता है।
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सत्यानाशी के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
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सत्यानाशी के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
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जड़ी बूटी
➡ सत्यानाशी (Prickly Poppy) परिचय :
सत्यानाशी (Prickly Poppy) एक अमेरिकी वनस्पति है, लेकिन भारत में यह सभी स्थानों पर पैदा होती है। सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से पीले रंग का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है। सत्यानाशी का फल चौकोर, कंटकित, प्यालानुमा होता है, जिसमें राई की तरह छोटे-छोटे काले रंग के बीज भरे होते हैं जो जलते कोयलों पर डालने से भड़��ड़ बोलते हैं। उतर प्रदेश में इसको भड़भांड़ कहते हैं। इस वनस्पति के सारे पौधे पर कांटे होते हैं।सत्यानाशी के 2 से 4 फुट ऊंचे झाड़ होते हैं। छोटा, पत्ते लम्बे कटे-कटे, कंटकित, बीच का भाग मोटा, सफेद और अन्य शिरायें भी सफेद होती है।
इसके फूल चमकीले पीले रंग के होते हैं, सत्यानाशी का फल 1 से डेढ़ इंच लम्बा चौकोर होता हैं। इसके मूल (जड़) को चोक कहते हैं। इसमें प्रोटोपिन, बर्बेरीन नामक क्षाराभ, बीजों में 22 से 26 प्रतिशत तक अरूचिकर तीखा तेल होता है। सत्यानाशी (Prickly Poppy) को संस्कृत में कटुपर्णी, कान्चक्षीरी, स्वर्णक्षीरी, पीतदुग्धा, हिंदी में स्याकांटा, भड़भांड, सत्यानाशी, पीला धतूरा, फिरंगीधतूरा, मराठी में मिल धात्रा, काटे धोत्रा, गुजराती में दारूड़ी, पंजाबी में सत्यानाशी, कटसी, भटकटैया करियाई, बंगाली में शियालकांटा, सोना खिरनी, तमिल में कुडियोटि्ट, कुश्मकं आदि नामो से जाना जाता है। सत्यानाशी खांसी को खत्म करती है। बाहरी प्रयोग में इसका दूध, पत्ते का रस तथा बीज का तेल प्रयोग में लिया जाता है। जो फोड़े-फुन्सी को खत्म करते हैं, सत्यानाशी जख्म को भरने वाली तथा कोढ़ को ठीक करने वाली होती है। सत्यानाशी की जड़ का लेप सूजन और जहर को कम करने वाला होता हैं। इसके बीज दर्द को कम करते हैं। यह कभी-कभी उल्टी भी पैदा करता है। सत्यानाशी की जड़ पेट के कीड़े को नष्ट करती है। सत्यानाशी की जड़ का रस खून की गंदगी तथा इसका दूध सूजन को खत्म करता है।
➡ विभिन्न रोगों मे सत्यानाशी (Prickly Poppy) से उपचार :
श्वास रोग और खाँसी : श्वास रोग (दमा) तथा खांसी में सत्यानाशी की जड़ का चूर्ण आधा से 1 ग्राम गर्म पानी या दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को पिलाने से कफ (बलगम) बाहर निकल जाता है, अथवा सत्यानाशी का पीला दूध 4-5 बूंद बतासे में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
दाद : सत्यानाशी के पत्ते का रस या तेल को लगाने से दाद दूर हो जाता है।
मूत्रविकार : मूत्रनली (पेशाब करने की नली) में यदि जलन हो तो सत्यानाशी के 20 ग्राम पंचांग को 200 मिलीलीटर पानी में भिगोकर तैयार कर शर्बत या काढ़ा रोगी को पिलाने से मूत्र (पेशाब) अधिक आता है और मूत्रनली (पेशाब करने की नली) की जलन मिट जाती है।
पीलिया : 10 मिलीलीटर गिलोय के रस में सत्यानाशी के तेल की 8 से 10 बूंद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है। 1 ग्राम सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण सेवन करने से पाण्डु (पीलिया) रोग मिट जाता है।
पेट का दर्द : सत्यानाशी के 3 से 5 मिलीलीटर पीले दूध को 10 ग्राम घी के साथ रोगी को पिलाने से पेट का दर्द मिट जाता है।
आंखों के रोग : सत्यानाशी के दूध की 1 बूंद मे 3 बूंद ��ी मिलाकर आंखों में अंजन (काजल) करने से आंखों का सूखापन और आंखों का अंधापन दूर होता है।
दमे के रोग में : सत्यानाशी के पंचाग (जड़, तना, पत्ते, फल, फूल) का 500 मिलीलीटर रस निकालकर आग पर उबालना चाहिए। जब वह रबड़ी की तरह गाढ़ा हो जाए तब उसमें पुराना गुड़ 60 ग्राम और राल 20 ग्राम मिलाकर, गर्म कर लें। फिर इसकी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोलियां बना लेनी चाहिए, 1 गोली दिन में 3 बार गर्म पानी के साथ रोगी को देने से दमें के रोग में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग : सत्यानाशी के रस में थोड़ा नमक मिलाकर रोजाना 5 सें 10 मिलीलीटर की मात्रा मे लम्बे समय तक सेवन करने से कुष्ठ रोग (कोढ़) में लाभ होता है।
मुंह के छाले : सत्यानाशी की टहनी तोड़कर मुंह के छालें पर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
कान का दर्द : सत्यानाशी का तेल कान में डालने से कान का दर्द, कान का जख्म और कान से कम सुनाई देना भी ठीक हो जाता है।
हकलाना, तुतलाना : सत्यानाशी का दूध जीभ पर मलने से हकलाने का रोग ठीक हो जाता है।
बवासीर (अर्श) : सत्यानाशी की जड, सेंधा नमक और चक्रमर्द के बीज को 1-1 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ पीने से अर्श (बवासीर) रोग नष्ट होता है।
पथरी : सत्यानाशी का दूध निकाल कर लगभग 1 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना लेने से पेट की पथरी ठीक हो जाती है।
नाक के रोग : सत्यानाशी (पीला धतूरा) के पीले दूध को घी में मिलाकर नाक की फुंसियों पर लगाने से आराम आ जाता है।
कुष्ठ (कोढ़) : 25 मिलीलीटर सत्यानाशी (पीला धतूरा) के रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से कोढ़ ठीक हो जाता है।
मलेरिया का बुखार : 1 से 2 मिलीलीटर सत्यानाशी का दूध सुबह और शाम नींबू के रस के साथ पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
दांतों में कीड़े लगना : सत्यानाशी के बीज को जलाकर इसके धूंए को मुंह में रखने से दांत के कीड़े दूर होते हैं और दांत का दर्द दूर होता है।
खांसी : सत्यानाशी की कोमल जड़ को काटकर छाया में सुखा लें सूख जाने पर उसका चूर्ण बना लें। इसमे बराबर मात्रा मे कालीमिर्च का चूर्ण मिलायें और लहसुन के रस में 3 घंटे घोलकर चने के आकार की गोलियां बनायें। रोजाना 3-4 बार 1-1 गोली ताजे पानी के साथ रोगी को देना चाहिए। अथवा रोगी इन गोलियों को खांसी के वेग के समय मुंह में रखकर भी चूस सकता है। यह गोली तेज खांसी को भी काबू मे ल��� आती है। सत्यानाशी के रस में 8 साल पुराना गुड़ मिलाकर चने के बराबर आकार की गोलियां बनाकर खाने से खांसी दूर हो जाती है। औषधि के सेवन काल में नमक का सेवन बिल्कुल भी करना चाहिए।
कब्ज के लिए : 10 ग्राम सत्यानाशी की जड़ की छाल, और 5 दाने काली मिर्च के लेकर पानी में पीसकर लेने से पेट का दर्द शांत हो जाता है। 1 ग्राम से 3 ग्राम तक सत्यानाशी के तेल को पानी में डालकर पीने से पेट साफ हो जाता है। 6 ग्राम से 10 ग्राम सत्यानाशी की जड़ की छाल पानी के साथ खाने से शौच साफ आती है। सत्यानाशी के बीज के तेल की 30 बूंद को दूध में मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज (पेट की गैस) दूर होती है।
पेट के कीड़ों के लिए : सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम चूर्ण से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से आंतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। 2 चुटक��� सत्यानाशी की जड़ को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
एक्जिमा के रोग में : सत्यानाशी के पौधे के ताजे रस मे पानी मिलाकर भाप द्वारा उसका रस तैयार करें। यह 25 मिलीलीटर रस सुबह और शाम पीने से एक्जिमा और त्वचा के दूसरे रोग समाप्त हो जाते हैं। अथवा सत्यानाशी (पीला धतूरा) के ताजे पौधे के रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर उसका रस निकाल लें। यह रस 25 मिलीलीटर रोजाना सुबह और शाम पीने से एक्जिमा और दूसरे चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।
खुजली के लिए : सत्यानाशी के बीज को पानी के साथ पीसकर लगाने से या उसका लेप त्वचा पर करने से खुजली दूर होती है।
नाखून के रोग : नाखूनों की खुजली दूर करने के लिए सत्यानाशी की जड़ को घिसकर रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों पर लेप करने से नाखूनों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
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