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द जोया फैक्टर रिव्यू : क्रिकेट, इश्क और अंधविश्वास का कॉकटेल, लेकिन सुस्त कहानी कर देगी बोर
चैतन्य भारत न्यूज फिल्म - द जोया फैक्टर कलाकार - सोनम कपूर आहूजा, दुलकर सलमान, संजय कपूर, अंगद बेदी, सिकंदर खेर निर्देशक - अभिषेक शर्मा फिल्म टाइप - रोमांटिक कॉमेडी अवधि -2 घंटे 16 मिनट (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
कहानी फिल्म की शुरुआत मुंबई में जोया सोलंकी (सोनम कपूर) के जन्म से होती है। फिल्म की कहानी में 1983 में हुआ क्रिकेट वर्ल्ड कप दिखाया जाता है। जोया का जन्म होता है और इधर भारत की जीत होती है। ऐसे में जोया को उसके पिता (संजय कपूर) और भाई (सिकंदर खेर) बेहद लकी मानते हैं। पिता कहते हैं कि जोया का जन्म होते ही भारत वर्ल्ड कप जीता था। जब भी जोया अपने भाई के साथ होती है तो वह गली क्रिकेट में खूब चौके-छक्के लगाता है। जोया सबके लिए तो लकी होती है लेकिन उसके खुद के लिए उसका लक काम नहीं करता है। जोया एक ऐड एजेंसी में काम करती है, जहां उसे अकसर डांट पड़ती है, और उसका बॉयफ्रेंड भी ब्रेकअप कर लेता है। फिर जोया एक एसाइनमेंट पर जाती है, और वहां उसकी मुलाकात हार से जूझ रही भारतीय टीम से होती है। तब उसकी जिंदगी में आता है भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान निखिल खोड़ा (दुलकर सलमान)। जोया वहां सभी को अपने लक के बारे में बताती है और इत्तेफाक से जिस दिन वो उनके साथ ब्रेकफास्ट करती है, तो भारतीय टीम जीत जाती है। लेकिन निखिल लक नहीं, कर्म में यकीन करता है। बस यही टकराव दोनों के इश्क और जिंदगी में कई तूफान ला देता है। एक समय ऐसा आता है जब क्रिकेट वर्ल्ड कप शुरु होने से पहले पूरा देश जोया को 'लकी चार्म' मानने लगता है और उसे प्रमोट करता है। वह जोया से जोया देवी बन जाती है। लेकिन जोया इतनी परेशान हो जाती है कि वह अपनी इस इमेज से बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगती है। अब क्या वर्ल्ड कप में जोया का लकी चार्म काम आता है या निखिल का अपनी टीम पर यकीन काम आता है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
कैसी है फिल्म फर्स्ट हाफ में फिल्म की कहानी काफी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। फिल्म दर्शकों का मनोरंजन तो करती है लेकिन टुकड़ों में। सेकंड हाफ में फिल्म की रफ्तार बढ़ जाती है लेकिन कुछ खास मनोरंजन नहीं कर पाती। कमेंट्रेटरों की कमेंट्री हंसाती तो है, मगर आप सोच में पड़ जाते हैं कि क्या इस तरह की कमेंट्री क्रिकेट में संभव है। फिल्म कॉमेडी है लेकिन इसके जोक्स से ज्यादा आपको लोगों की हरकतों पर हंसी आएगी। डायरेक्टर इस फिल्म को और बेहतर बना सकते थे। यदि आप हल्की-फुल्की कॉमेडी के शौकीन हैं तो यह फिल्म एक बार देख सकते हैं।
कलाकारों की एक्टिंग सोनम कपूर जोया सोलंकी के किरदार से आपको कुछ नया नहीं देती। हालांकि, इस बार सोनम ने एक्ट्रा या ओवरएक्टिंग नहीं की है। फिल्म की मजबूत कड़ी दुलकर सलमान हैं। उनके डायलॉग, एक्टिंग और हॉटनेस फिल्म में जान डाल देते हैं। फिल्म में ऐसे बहुत से सीन्स हैं जहां दुलकर सिर्फ अपने एक्सप्रेशन्स से बात करते हैं। संजय कपूर और सिकंदर खेर भी इस फिल्म में हैं, लेकिन अफसोस उन्हें बहुत कुछ करने को नहीं मिला। फिल्म के बाकि सपोर्टिंग कलाकारों ने भी अपने किरदार को ठीक तरह निभाया है। Read the full article
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