#तो उनके स्थान पर केवल सुगंधित पुष्प पाए
Explore tagged Tumblr posts
subhashdagar123 · 3 days ago
Text
Tumblr media
0 notes
mangesh1982 · 3 days ago
Text
#कबीर_परमेश्वर_निर्वाण_दिवस
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
🛸कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
🛸सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🛸हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। ���िसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
🛸आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
🛸कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
🛸
पाखण्डी धर्मगुरुओं ने अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
Tumblr media
0 notes
sagardasssaini · 3 days ago
Text
Tumblr media
कबीर साहेब जी का सतज्ञान
क्या आप जानते हैं?
1518 ई. में जब कबीर परमेश्वर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए, तो उनके स्थान पर केवल सुगंधित पुष्प पाए गए।
हिंदू और मुस्लिम दोनों ने उन पुष्पों को श्रद्धा से बाँटा और मगहर में दो स्मारक बनाए, जो आज भी मौजूद हैं।
यह सिद्ध करता है कि असली भक्ति प्रेम और सत्य में है, न कि दिखावे में।
#IdentityOfGod
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
0 notes
vipulmangla0 · 4 days ago
Text
कबीर साहेब जी का सतज्ञान
क्या आप जानते हैं?
1518 ई. में जब कबीर परमेश्वर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए, तो उनके स्थान पर केवल सुगंधित पुष्प पाए गए।
हिंदू और मुस्लिम दोनों ने उन पुष्पों को श्रद्धा से बाँटा और मगहर में दो स्मारक बनाए, जो आज भी मौजूद हैं।
यह सिद्ध करता है कि असली भक्ति प्रेम और सत्य में है, न कि दिखावे में।
#IdentityOfGod
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi.
Tumblr media
0 notes
archanakumar00 · 4 days ago
Text
Tumblr media
कबीर साहेब जी का सतज्ञान
क्या आप जानते हैं?
1518 ई. में जब कबीर परमेश्वर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए, तो उनके स्थान पर केवल सुगंधित पुष्प पाए गए।
हिंदू और मुस्लिम दोनों ने उन पुष्पों को श्रद्धा से बाँटा और मगहर में दो स्मारक बनाए, जो आज भी मौजूद हैं।
यह सिद्ध करता है कि असली भक्ति प्रेम और सत्य में है, न कि दिखावे में।
#IdentityOfGod
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
0 notes
pushpas-posts · 4 days ago
Text
*🎄बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎄*
06/02/2025
*💫कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस सेवा💫*
*🦋Facebook Sewa🦋*
🎋  *मालिक की दया से अब कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस से संबन्धित Facebook पर सेवा करनी है जी।*
*📌 अपने #टैग के साथ सेवा करनी है जी।*
#पहचान_प्रभु_की
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
"🔖Photo+Video Msg के साथ भेजे जा चुके हैं जी।"
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो Website पर उपलब्ध हैं जी।*
*Hindi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-hindi/
*English*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-english/
*Odia*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-odia/
*Punjabi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-punjabi/
*Marathi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-marathi-2-2025/
*Nepalese*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-nepali/
*⛳सेवा Points* ⤵
🛸कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
🛸सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🛸हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
🛸आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
🛸कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
🛸
पाखण्डी धर्मगुरुओं ने अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
❌ *Plz Do Not Copy, Paste* ❌
Tumblr media
0 notes
anildasstuff · 4 days ago
Text
*🎄बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎄*
07/02/2025
*💫कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस सेवा💫*
*🦋Facebook Sewa🦋*
🎋  *मालिक की दया से अब कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस से संबन्धित Facebook पर सेवा करनी है जी।*
*📌 अपने #टैग के साथ सेवा करनी है जी।*
#IdentityOfGod
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
"🔖Photo+Video Msg के साथ भेजे जा चुके हैं जी।"
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो Website पर उपलब्ध हैं जी।*
*Hindi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-hindi/
*English*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-english/
*Odia*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-odia/
*Punjabi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-punjabi/
*Marathi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-marathi-2-2025/
*Nepalese*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-nepali/
*Bengali*
https://www.satsaheb.org/bengali-nirvan-diwas/
*Gujarati*
https://www.satsaheb.org/gujrati-nirvan-diwas/
*Assamese*
https://www.satsaheb.org/assamese-nirvan-diwas/
*Telugu*
https://www.satsaheb.org/telugu-nirvan-diwas/
*Kannad*
https://www.satsaheb.org/kannad-nirvan-diwas/
*⛳सेवा Points* ⤵
🛸कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
🛸सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🛸हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्न��� जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
🛸आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
🛸कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
🛸
पाखण्डी धर्मगुरुओं ने अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
❌ *Plz Do Not Copy, Paste* ❌
Tumblr media
0 notes
indrabalakhanna · 5 days ago
Text
Day1, Live Akhand Path on the occasion of 507th God Kabir Nirvan Diwas, ...
*💞💖💞बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो 💞💖💞*
🎠🎠🎠
06/02/2025
🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺
#GodMorningThursday
#ThursdayMotivation
#ThursdayThoughts
🥀👑🥀👑🥀👑🥀
#पहचान_प्रभु_की
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi #nirvana #om #meditation #yoga #ram #jaishreeram #chakras #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#spiritual #vipassana #harekrishna #krishna #sanatandharma #trendingreels #viralreels
#reelsinstagram
#GodKabirNirvanDiwas
#SantRampalJiMaharaj #KbirIsGod #SaintRampalJi
#SatlokAshram
1👑पर्मेश्वर कबीर साहिब जी सन 1398 में सशरीर प्रकट हुए थे और सन 1518 में सशरीर सतलोक गए थे।
न कबीर परमात्मा का जन्म होता न ही मृत्यु। कबीर परमात्मा अविनाशी हैं। चारों युगों में सशरीर आते हैं।
2👑कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये।
कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले थे।
3👑कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए थे।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
4👑सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
5👑परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सशरीर सतलोक गए थे। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
6👑हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक ���ामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
7👑परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
8👑माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
9👑मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
10👑मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
11👑आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
12👑परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
13👑आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
14👑कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे।
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
15👑मगहर में यह अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए!
1 note · View note
ramharisblog · 3 years ago
Text
Tumblr media
🛸कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज ���ी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
🛸लगभग 600 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🛸हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
12 फरवरी 2022 को कबीर परमेश्वर का प्रस्थान दिवस है। इस दिन 600 वर्ष पूर्व माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि. स. 1575 (सन् 1518) को कबीर साहिब जी मगहर शहर से सशरीर सतलोक गये थे। जिसका प्रमाण आज भी मगहर में वि��्यमान है।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
🛸आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
🛸कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
🛸12 फरवरी कबीर साहेब प्रस्थान दिवस
पाखण्डी धर्मगुरुओं ने अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए
2 notes · View notes
santoshdasi · 2 years ago
Text
*कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस*
🛸कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
🛸सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🛸हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
🛸आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
🛸कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
0 notes
foggymentalitycreator · 2 years ago
Text
🎄 *परमपिता परमेश्वर का निर्वाण दिवस* 🎄
जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है कि परमात्मा प���थ्वी पर स:शरीर आते हैं और अपनी लीला करके स:शरीर वापस अपने लोक को प्रस्थान करते हैं।
क्या सच में ऐसा संभव है ? और यदि ऐसा संभव है तो ऐसी लीला आखिर करी किसने और कब ?
चलो आपको बताते हैं कि वह परमपिता परमेश्वर सन 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को लहरतारा तालाब में, कमल के पुष्प पर छोटे बालक का रूप बनाकर स:शरीर अवतरित हुए थे। और सन 1518, (विक्रमी संवत 1575) को माघ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को, सृष्टि के रचयिता 120 साल इस पृथ्वी पर अपनी लीला करके स:शरीर अपने लोक को प्रस्थान कर गए थे।
स:शरीर आने और स:शरीर जाने की लीला, केवल एक ही परमशक्ति ने की है, और वो है कबीर साहिब, जी हां वही कबीर साहिब, जिन्हें हम आज तक महान कवि के रूप में जानते आये थे। वह स्वयं परमात्मा हैं जिसे सबका मालिक एक कहा जाता है। 
जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है, जी हाँ वो सृष्टि के रचयिता कोई और नहीं कबीर साहिब ही हैं, जिनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। और उनके सतलोक प्रस्थान के बाद उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले थे। उनके शिष्य उस समय में काशी के राजा बीरदेव सिंह बघेल और मगहर के मुस्लिम राजा बिजली खान पठान को परमात्मा कबीर जी आकाश में जाते हुए दिखाई दिये थे। वे सभी रोने लगे, और कहने लगे कि हम अपने ईश्वर को अंतिम समय में भी सुख नहीं दे सके। वह वास्तव में भगवान थे। हम उसे पहचान नहीं पाए” जो हिंदू-मुसलमान थोड़ी देर पहले एक-दूसरे से लड़ने को तैयार थे, माता-पिता की मौत पर रोते-बिलखते भाई-बहन की तरह एक-दूसरे को गले लगा कर रो रहे थे।
उन्होंने फूलों को दो हिस्सों में बांट दिया। आज उसी स्थान पर मगहर में स्मारक है। एक तरफ भगवान कबीर जी का हिंदू मंदिर है और दूसरी तरफ मुस्लिम मज़ार है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
#मगहर_लीला
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
ravinderbhan · 2 years ago
Photo
Tumblr media
#मगहर_लीला God Kabir Nirvana diwas 🎄 *परमपिता परमेश्वर का निर्वाण दिवस* 🎄 जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है कि परमात्मा पृथ्वी पर स:शरीर आते हैं और अपनी लीला करके स:शरीर वापस अपने लोक को प्रस्थान करते हैं। क्या सच में ऐसा संभव है ? और यदि ऐसा संभव है तो ऐसी लीला आखिर करी किसने और कब ? चलो आपको बताते हैं कि वह परमपिता परमेश्वर सन 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को लहरतारा तालाब में, कमल के पुष्प पर छोटे बालक का रूप बनाकर स:शरीर अवतरित हुए थे। और सन 1518, (विक्रमी संवत 1575) को माघ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को, सृष्टि के रचयिता 120 साल इस पृथ्वी पर अपनी लीला करके स:शरीर अपने लोक को प्रस्थान कर गए थे। स:शरीर आने और स:शरीर जाने की लीला, केवल एक ही परमशक्ति ने की है, और वो है कबीर साहिब, जी हां वही कबीर साहिब, जिन्हें हम आज तक महान कवि के रूप में जानते आये थे। वह स्वयं परमात्मा हैं जिसे सबका मालिक एक कहा जाता है।  जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है, जी हाँ वो सृष्टि के रचयिता कोई और नहीं कबीर साहिब ही हैं, जिनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। और उनके सतलोक प्रस्थान के बाद उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले थे। उनके शिष्य उस समय में काशी के राजा बीरदेव सिंह बघेल और मगहर के मुस्लिम राजा बिजली खान पठान को परमात्मा कबीर जी आकाश में जाते हुए दिखाई दिये थे। वे सभी रोने लगे, और कहने लगे कि हम अपने ईश्वर को अंतिम समय में भी सुख नहीं दे सके। वह वास्तव में भगवान थे। हम उसे पहचान नहीं पाए” जो हिंदू-मुसलमान थोड़ी देर पहले एक-दूसरे से लड़ने को तैयार थे, माता-पिता की मौत पर रोते-बिलखते भाई-बहन की तरह एक-दूसरे को गले लगा कर रो रहे थे। उन्होंने फूलों को दो हिस्सों में बांट दिया। आज उसी स्थान पर मगहर में स्मारक है। एक तरफ भगवान कबीर जी का हिंदू मंदिर है और दूसरी तरफ मुस्लिम मज़ार है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn3Hfe8yBaJ/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes
pushpas-posts · 4 days ago
Text
*🎄बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎄*
06/02/2025
*💫कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस सेवा💫*
*🦋Facebook Sewa🦋*
🎋  *मालिक की दया से अब कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस से संबन्धित Facebook पर सेवा करनी है जी।*
*📌 अपने #टैग के साथ सेवा करनी है जी।*
#पहचान_प्रभु_की
#MagharSeSatlokGayaKabira
#maghar #kashi #banaras #varanasi
#satlok #salvation #satlokashram #mahadev #harharmahadev #meditation #yoga #jaishreeram #hanumanchalisa #mandir #kumbh #mahakumbh
#GodKabirNirvanDiwas #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
"🔖Photo+Video Msg के साथ भेजे जा चुके हैं जी।"
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो Website पर उपलब्ध हैं जी।*
*Hindi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-hindi/
*English*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-english/
*Odia*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-odia/
*Punjabi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-punjabi/
*Marathi*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-marathi-2-2025/
*Nepalese*
https://www.satsaheb.org/nirvan-diwas-nepali/
*⛳सेवा Points* ⤵
🛸कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
🛸सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🛸हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब द्वारा माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से हजारों लोगों के सामने से सशरीर अमरलोक (सतलोक) जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि:-
देख्या मगहर जहूरा सतगुरु,
देख्या मगहर जहूरा हो।
काशी में कीर्ति कर चाले,
झिलमिल देही नूरा हो।
🛸मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
🛸परमेश्वर कबीर साहेब जी का मगहर से सशरीर सतलोक गमन
गरीब, नूर नूर निरगुण पद मेला, देखि भये हैराना हो।
पद ल्यौलीन भये अविनाशी, पाये पिण्ड न प्राणा हो।।
संत गरीबदास जी ने बताया कि परमेश्वर कबीर जी जब सतलोक को गए तब किसी को परमेश्वर का शरीर नहीं मिला, अर्थात परमेश्वर कबीर जी अविनाशी हैं। ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में लिखा है वह अविनाशी परमात्मा सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है जहां से वह आता है।
🛸आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशर���र सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
🛸कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे
जिंदा जोगी जगत गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट - लिपट कर रोने लगे।
🛸
पाखण्डी धर्मगुरुओं ने अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
❌ *Plz Do Not Copy, Paste* ❌
Tumblr media
0 notes
akhaidas · 2 years ago
Photo
Tumblr media
#मगहर_लीला 🎄 *परमपिता परमेश्वर का निर्वाण दिवस* 🎄 जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है कि परमात्मा पृथ्वी पर स:शरीर आते हैं और अपनी लीला करके स:शरीर वापस अपने लोक को प्रस्थान करते हैं। क्या सच में ऐसा संभव है ? और यदि ऐसा संभव है तो ऐसी लीला आखिर करी किसने और कब ? चलो आपको बताते हैं कि वह परमपिता परमेश्वर सन 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को लहरतारा तालाब में, कमल के पुष्प पर छोटे बालक का रूप बनाकर स:शरीर अवतरित हुए थे। और सन 1518, (विक्रमी संवत 1575) को माघ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को, सृष्टि के रचयिता 120 साल इस पृथ्वी पर अपनी लीला करके स:शरीर अपने लोक को प्रस्थान कर गए थे। स:शरीर आने और स:शरीर जाने की लीला, केवल एक ही परमशक्ति ने की है, और वो है कबीर साहिब, जी हां वही कबीर साहिब, जिन्हें हम आज तक महान कवि के रूप में जानते आये थे। वह स्वयं परमात्मा हैं जिसे सबका मालिक एक कहा जाता है।  जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है, जी हाँ वो सृष्टि के रचयिता कोई और नहीं कबीर साहिब ही हैं, जिनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। और उनके सतलोक प्रस्थान के बाद उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले थे। उनके शिष्य उस समय में काशी के राजा बीरदेव सिंह बघेल और मगहर के मुस्लिम राजा बिजली खान पठान को परमात्मा कबीर जी आकाश में जाते हुए दिखाई दिये थे। वे सभी रोने लगे, और कहने लगे कि हम अपने ईश्वर को अंतिम समय में भी सुख नहीं दे सके। वह वास्तव में भगवान थे। हम उसे पहचान नहीं पाए” जो हिंदू-मुसलमान थोड़ी देर पहले एक-दूसरे से लड़ने को तैयार थे, माता-पिता की मौत पर रोते-बिलखते भाई-बहन की तरह एक-दूसरे को गले लगा कर रो रहे थे। उन्होंने फूलों को दो हिस्सों में बांट दिया। आज उसी स्थान पर मगहर मे��� स्मारक है। एक तरफ भगवान कबीर जी का हिंदू मंदिर है और दूसरी तरफ मुस्लिम मज़ार है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn2K34Couoy/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes
uniquestrangercat · 2 years ago
Text
🎄 *परमपिता परमेश्वर का निर्वाण दिवस* 🎄
जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है कि परमात्मा पृथ्वी पर स:शरीर आते हैं और अपनी लीला करके स:शरीर वापस अपने लोक को प्रस्थान करते हैं।
क्या सच में ऐसा संभव है ? और यदि ऐसा संभव है तो ऐसी लीला आखिर करी किसने और कब ?
चलो आपको बताते हैं कि वह परमपिता परमेश्वर सन 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को लहरतारा तालाब में, कमल के पुष्प पर छोटे बालक का रूप बनाकर स:शरीर अवतरित हुए थे। और सन 1518, (विक्रमी संवत 1575) को माघ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को, सृष्टि के रचयिता 120 साल इस पृथ्वी पर अपनी लीला करके स:शरीर अपने लोक को प्रस्थान कर गए थे।
स:शरीर आने और स:शरीर जाने की लीला, केवल एक ही परमशक्ति ने की है, और वो है कबीर साहिब, जी हां वही कबीर साहिब, जिन्हें हम आज तक महान कवि के रूप में जानते आये थे। वह स्वयं परमात्मा हैं जिसे सबका मालिक एक कहा जाता है। 
जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है, जी हाँ वो सृष्टि के रचयिता कोई और नहीं कबीर साहिब ही हैं, जिनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। और उनके सतलोक प्रस्थान के बाद उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले थे। उनके शिष्य उस समय में काशी के राजा बीरदेव सिंह बघेल और मगहर के मुस्लिम राजा बिजली खान पठान को परमात्मा कबीर जी आकाश में जाते हुए दिखाई दिये थे। वे सभी रोने लगे, और कहने लगे कि हम अपने ईश्वर को अंतिम समय में भी सुख नहीं दे सके। वह वास्तव में भगवान थे। हम उसे पहचान नहीं पाए” जो हिंदू-मुसलमान थोड़ी देर पहले एक-दूसरे से लड़ने को तैयार थे, माता-पिता की मौत पर रोते-बिलखते भाई-बहन की तरह एक-दूसरे को गले लगा कर रो रहे थे।
उन्होंने फूलों को दो हिस्सों में बांट दिया। आज उसी स्थान पर मगहर में स्मारक है। एक तरफ भगवान कबीर जी का हिंदू मंदिर है और दूसरी तरफ मुस्लिम मज़ार है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
#मगहर_लीला
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
jitendraharde · 2 years ago
Photo
Tumblr media
🎄 *परमपिता परमेश्वर का निर्वाण दिवस* 🎄 जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है कि परमात्मा पृथ्वी पर स:शरीर आते हैं और अपनी लीला करके स:शरीर वापस अपने लोक को प्रस्थान करते हैं। क्या सच में ऐसा संभव है ? और यदि ऐसा संभव है तो ऐसी लीला आखिर करी किसने और कब ? चलो आपको बताते हैं कि वह परमपिता परमेश्वर सन 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को लहरतारा तालाब में, कमल के पुष्प पर छोटे बालक का रूप बनाकर स:शरीर अवतरित हुए थे। और सन 1518, (विक्रमी संवत 1575) को माघ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को, सृष्टि के रचयिता 120 साल इस पृथ्वी पर अपनी लीला करके स:शरीर अपने लोक को प्रस्थान कर गए थे। स:शरीर आने और स:शरीर जाने की लीला, केवल एक ही परमशक्ति ने की है, और वो है कबीर साहिब, जी हां वही कबीर साहिब, जिन्हें हम आज तक महान कवि के रूप में जानते आये थे। वह स्वयं परमात्मा हैं जिसे सबका मालिक एक कहा जाता है।  जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है, जी हाँ वो सृष्टि के रचयिता कोई और नहीं कबीर साहिब ही हैं, जिनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। और उनके सतलोक प्रस्थान के बाद उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले थे। उनके शिष्य उस समय में काशी के राजा बीरदेव सिंह बघेल और मगहर के मुस्लिम राजा बिजली खान पठान को परमात्मा कबीर जी आकाश में जाते हुए दिखाई दिये थे। वे सभी रोने लगे, और कहने लगे कि हम अपने ईश्वर को अंतिम समय में भी सुख नहीं दे सके। वह वास्तव में भगवान थे। हम उसे पहचान नहीं पाए” जो हिंदू-मुसलमान थोड़ी देर पहले एक-दूसरे से लड़ने को तैयार थे, माता-पिता की मौत पर रोते-बिलखते भाई-बहन की तरह एक-दूसरे को गले लगा कर रो रहे थे। उन्होंने फूलों को दो हिस्सों में बांट दिया। आज उसी स्थान पर मगहर में स्मारक है। एक तरफ भगवान कबीर जी का हिंदू मंदिर है और दूसरी तरफ मुस्लिम मज़ार है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn1TaDYyoCz/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes