#तहखाना
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एसएसबी और पुलिस ने 24 किलो गांजा के साथ कार किया जब्त,तस्कर गिरफ्तार
अररिया, 02 नवम्बर (हि.स.)। भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित जोगबनी बॉर्डर पिलर संख्या 180 पर एसएसबी और जोगबनी थाना पुलिस ने शुक्रवार की शाम संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए 24 किलो गांजा के साथ कार पर सवार तस्कर को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार गांजा तस्कर नेपाल से स्विफ्ट डिजायर कार संख्या बीआर11के-2202 में डिक्की के नीचे अलग से तहखाना बनाकर गांजा के पैकेट को छिपा कर रखा था।एसएसबी और जोगबनी थाना पुलिस ने…
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90s की सबसे डरावनी मूवी Shaitani Ilaaka Horror Movie | Deepak Parashar & Neelam Mehra | Asha Lata
“Movie:– Shaitani Ilaaka 1990 (शैतानी इलाका) Description:- ‘शैतानी इलाका’ हिन्दी हॉरर थ्रिलर फिल्म है, जो साल 1990 में रिलीज हुई थी। आपको जय जान कर हैरानी होगी कि फिल्म ‘शैतानी इलाका’ रामसे ब्रदर्स (सात भाई) की हॉरर फ्रैंचाइज़ है। उन्होंने हॉरर शैली से संबंधित लगभग 32 फ़िल्में बनाईं। जैसे कि दो गज ज़मीन के नीचे (1972), पुराना मंदिर (1984), सामरी (1985), वीराना (1985), तहखाना (1986), डाक बंगला…
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90s की सबसे डरावनी मूवी Shaitani Ilaaka Horror Movie | Deepak Parashar & Neelam Mehra | Asha Lata
“Movie:– Shaitani Ilaaka 1990 (शैतानी इलाका) Description:- ‘शैतानी इलाका’ हिन्दी हॉरर थ्रिलर फिल्म है, जो साल 1990 में रिलीज हुई थी। आपको जय जान कर हैरानी होगी कि फिल्म ‘शैतानी इलाका’ रामसे ब्रदर्स (सात भाई) की हॉरर फ्रैंचाइज़ है। उन्होंने हॉरर शैली से संबंधित लगभग 32 फ़िल्में बनाईं। जैसे कि दो गज ज़मीन के नीचे (1972), पुराना मंदिर (1984), सामरी (1985), वीराना (1985), तहखाना (1986), डाक बंगला…
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वास्तु सीखें
प्रश्न- भवन में बच्चों के लिए अध्ययन कक्ष किस स्थान पर होना चाहिए?
उत्तर: अध्ययन कक्ष का सबसे उपयुक्त स्थान पष्चिम दिषा है क्यांेकि इस दिषा पर विद्या की देवी मां सरस्वती का वास होता है। इसके अलावा उत्तर, पूर्व एवं ईषान क्षेत्र में भी अध्ययन कक्ष बनाया जा सकता है। उत्तर दिषा पर मानस चेतना के कारक ग्रह बुध, ईषान क्षेत्र पर ज्ञान के ग्रह गुरु एवं पूर्व पर आत्म कारक सूर्य का अधिकार होता है। अतः इन क्षेत्रों में अध्ययन कक्ष बनाने से बच्चांे के अध्ययन मंे काफी लाभ मिलता है। Read More
प्रश्न- क्या आवासीय भूखंड में बेसमेंट बनाना चाहिए?
उत्तर: आवासीय भूखंड में बेसमेंट नहीं बनाना चाहिए। क्योंकि बेसमेंट सूर्य की किरणों के लाभ से वंचित रहता है। अगर अनिवार्य हो तो उत्तर-पूर्व में ब्रह्म स्थान को बचाते हुए बनाना चाहिए। Read More
प्रश्न- भवन के अंदर दक्षिण- पश्चिम दिशाओं में बेसमेंट का क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर: भवन के अंदर दक्षिण-पश्चिम दिशा में तहखाना भूलकर नहीं बनाना चाहिए। इन जगहों पर बनाने से परिवार के लोगों के स्वास्थ्य, आयु एव भाग्य में कमी तथा आपदाओं का सामना करते देखा गया है। साथ ही क्लेश, कर्ज, महापातकी एवं गरीबी पीछा नहीं छोड़ती। पोलियो तथा कैंसर जैसी आसाध्य बीमारियां अक्सर होते देखा गया है। भाग्य सो जाता है तथा रोजी-रोटी के लिए मोहताज होने लगते है। अतः दक्षिण-पश्चिम में भूलकर भी तहखाने या बेसमेंट का निर्माण न करायें। तहखाने या बेेसमेंट को कभी भी शयनकक्ष भोजन कक्ष, शौचालय और स्नानगृह के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसका प्रयोग लिविग रूम, मीटिंग रूम, पूजा गृह, अध्ययन कक्ष आदि के रूप में किया जा सकता है। Read More
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#UP ज्ञानवापी तहखाने में पूजा पाठ मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की,हिंदू पक्ष के वकील ने जताई खुशी
#Varanasi #DMVaranasi #ModiSarkarKiGuarantee #LokSabhaElection2024 #NarendraModi
#AllahabadHighCourt
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इलाहाबाद 𝐇𝐢𝐠𝐡𝐜𝐨𝐮𝐫𝐭 ने व्यास तहखाना के अंदर पूजा पर अंतिम रोक लगाने से इनकार कर दिया!!
इलाहाबाद 𝐇𝐢𝐠𝐡𝐜𝐨𝐮𝐫𝐭 ने व्यास तहखाना के अंदर पूजा पर अंतिम रोक लगाने से इनकार कर दिया!! Visit website- https://aarattorneyalliance.com/ Contact us: 9800009801/ 7428747474 Email id : [email protected] | [email protected] #Allahabad #AllahabadHC #allahabadcity #AllahabadHighCourt #criminalcase
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ज्ञानवापी केस सुप्रीम कोर्ट जाएगा, पूजा से दबाव बनाया जाएगा, यही प्लान है... AIMPLB का बड़ा दावा
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी तहखाने का दरवाजा खोल दिया गया। 31 सालों के बाद वहां पूजा- अर्चना शुरू कर दी गई है। 4 नवंबर 1993 को तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार के आदेश पर वाराणसी प्रशासन ने व्यासजी तहखाने को सील कर दिया था। इसके बाद से लगातार मंदिर के गेट को खोलने और नियमित पूजा करने की सुविधा देने का मामला जिला कोर्ट में चल रहा था। 31 दिसंबर को वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने इस मामले में बड़ा फैसला देते हुए हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार दे दिया। व्यासजी तहखाने के रिसीवर वाराणसी डीएम को एक सप्ताह में पूजा शुरू कराने का आदेश दिया गया। इस मामले को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक मीडिया इंटरव्यू में बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी केस को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की तैयारी है। पूजा शुरू कराकर इस मामले में दबाव बढ़ाया जाएगा। केस को प्रभावित किए जाने की तैयारी है। यही प्लान है। मामले को बताया चौंकाने वाला डॉ. इलियास ने वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन की सक्रियता को चौंकाने वाला करार दिया। दरअसल, वाराणसी की जिला अदालत की ओर से हिंदू वादियों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई थी। वाराणसी प्रशासन ने इस फैसले के कुछ ही घंटों के भीतर वहां पर पूजा- पाठ शुरू करा दी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि आदेश और उसके बाद की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाल��� हैं। एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता और वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने इस मामले को बाबरी विवाद से भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में 22 दिसंबर 1949 को अंदर मूर्ति स्थापित करने के बाद परिसर में ताला लगा दिया गया था। इसे 1 फरवरी 1986 को खोला गया। बाबरी के जैसी बनी स्थिति फैजाबाद जिला कोर्ट ने दर्शन की अनुमति देने के लिए ताले खोलने का आदेश दिया था। उस समय भी मुस्लिम पक्ष को सुने बिना फैसला सुनाया गया था। उस समय दूरदर्शन के जरिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया कि रामलला की पूजा की जा सकती है। कल रात ज्ञानवापी में जो हुआ वह बिल्कुल वैसा ही प्रतीत होता है। एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता ने कहा कि बाबरी मामले में जब स्वामित्व का मुकदमा अदालत में लंबित था। उस समय भी मस्जिद के अंदर दर्शन और पूजा अर्चना शुरू की गई थी। ठीक ऐसा ही बुधवार को ज्ञानवापी में भी हुआ। कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया था और कोर्ट ने व्यासजी तहखाने के अंदर पूजा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने प्रशासन को व्यवस्था करने के लिए सात दिन का समय द��या। लेकिन, देर रात तक सारी व्यवस्थाएं कर ली गईं और पूजा शुरू कर दी गई। भले मामले में सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन यह स्थिति गलत है। हिंदुओं का दावा होगा मजबूत एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता डॉ. इलियास ने कहा कि कोर्ट के आदेश से परिसर में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। एक वर्ग वहां पूजा के लिए जाएगा। दूसरा पक्ष मस्जिद में नमाज के लिए पहुंचेगा। इससे संघर्ष की स्थिति बन सकती है। उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष का यहां दावा कितना मजबूत होगा ये ईश्वर जानें। लेकिन, वर्तमान स्थिति सही नहीं है। वहां पर पूजा की इजाजत दिए जाने से पहले इस सवाल पर निर्णय लेने की जरूरत है कि क्या मस्जिद किसी और चीज के ऊपर बनाई गई है। इस सवाल का जवाब तय किए बिना वहां पर पूजा की इजाजत कैसे दी जा सकती है? बाबरी फैसले पर बड़ा बयान एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता ने बाबरी मस्जिद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमने बाबरी मामले में कोर्ट के आदेश को नहीं माना था। हमारी ओर से एक समीक्षा याचिका दायर की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। उसके बाद हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला तो दिया, लेकिन बाबरी मामले में न्याय नहीं किया। ज्ञानवापी मामले में ऐसा फैसला हमें कैसे स्वीकार्य हो सकता है? उन्होंने कहा कि आपके पास कोई सबूत न होने के बावजूद भी आप पूजा शुरू कर देते हैं? जब तक ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा, तब तक काफी पानी बह चुका होगा। तहखाना में पूजा जारी रहेगी और इससे केस पर असर पड़ेगा। यह एक सोची- समझी योजना है। दलों पर लगाया बड़ा आरोप डॉ. इलियास ने सभी दलों पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दल अवसरवादी हैं। उन्हें डर है कि अगर वे इस मामले में कुछ भी बोलेंगे तो हिंदू उनसे नाराज हो जायेंगे। आपको इंसाफ के बारे में बोलना चाहिए। जो सही है वह कहो। मौन रहना किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं है। विपक्षी दल कहेंगे कि वे अदालत के फैसले के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते। लेकिन वे कम से कम तब टिप्पणी कर सकते हैं जब अदालत कोई गलत निर्णय… http://dlvr.it/T2CWgt
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 31 January 2024
Time 18.10 to 18.20
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक – ३१ जानेवारी २०२४ सायंकाळी ६.१०
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अमृत काळातल्या भावी पिढीची स्वप्नं पूर्ण करणं हे आपलं कर्तव्य-अर्थसंकल्पीय अधिवेशनाच्या अभिभाषणात राष्ट्रपतींचं प्रतिपादन
मराठा आरक्षण अधिसूचनेच्या मसुद्याला ओबीसी संघटनांकडून न्यायालयात आव्हान
वाराणसीच्या ज्ञानवापी मशिदीच्या तळघरात पूजा आरती करण्यास न्यायालयाकडून परवानगी
आणि
खेलो इंडिया क्रीडा स्पर्धेचा आज समारोप
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अमृत काळातल्या भावी पिढीची स्वप्नं पूर्ण करणं हे आपलं कर्तव्य असल्याचं प्रतिपादन राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू यांनी केलं आहे. संसदेच्या अर्थसंकल्पीय अधिवेशनाला आज राष्ट्रपतींच्या अभिभाषणानं प्रारंभ झाला, त्यावेळी बोलतांना राष्ट्रपतींनी भावी पिढीने कायम स्मरण करावं, असं काम करण्याचं आवाहन केलं. त्या म्हणाल्या -
आज जो युवा स्कुल-कॉलेज मे है, उनके सपने बिलकुल अलग है। हम सभी का यह दायित्व है की, अमृत पिढी के सपनों को पुरा करने मे कोई कसर बाकी ना रहे। विकसित भारत हमारी अमृत पिढी के सपनों को साकार करेगी। इसलिये हम सभी को एक साथ मिलकर संकल्पो की सिद्धी के लिये जुडना होगा। वर्ष 2047 पर्व देखने के लिये अपने साथ तब इस सदन मे नही होंगे। लेकिन हमारी विरासत ऐसी होनी चाहिये की तब की पिढी हमे याद रखे।
राष्ट्रपतींनी गेल्या दहा वर्षात केंद्र सरकारनं केलेल्या कामांचा आढावा घेतला. अयोध्येतल्या राम मंदिराचं अनेक शतकांचं स्वप्न सरकारने यंदा प्रत्यक्षात साकार केलं, देशाची अर्थव्यवस्था वेगानं विकसित होत असून, २५ कोटी लोक गरीबीतून बाहेर पडले आहेत, असं त्यांनी यावेळी सांगितलं. थेट परकीय गुंतवणूक दुपटीनं वाढली असून, देश योग्य दिशेनं प्रगती करत असल्याचं त्या म्हणाल्या. कलम ३७०, तिहेरी तलाक, भारताचं जी-20 चं अध्यक्षपद, अर्थव्यवस्थेत वृद्धी, कोविड काळातलं व्यवस्थापन, आदी मुद्यांवर राष्ट्रपतींनी भाष्य क��लं. विकसित भारताची भव्य इमारत युवा शक्ती, महिला शक्ती, शेतकरी आणि गरीब या चार मजबूत स्तंभांवर उभी राहील, असा सरकारला विश्वास असल्याचं, राष्ट्रपती म्हणाल्या.
दरम्यान, केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन उद्या अंतरिम अर्थसंकल्प सादर करणार आहेत. येत्या नऊ फेब्रुवारीपर्यंत या अधिवेशनाचं कामकाज चालणार आहे.
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यंदाचा अंतरिम अर्थसंकल्प म्हणजे महिला सक्षमीकरणाच्या साक्षात्काराचं पर्व असल्याचं, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी म्हटलं आहे. ते आज संसद भवन परिसरात वार्ताहरांशी बोलत होते. अर्थसंकल्पीय अधिवेशन हे सकारात्मक पाऊलखुणा सोडण्याची संधी असून, सर्व खासदारांनी ही संधी सोडू नये आणि सर्वोत्तम कामगिरी करावी, असं आवाहन त्यांनी यावेळी केलं. देशाचा सर्वस्पर्शी विकास होत असल्याचं पंतप्रधानांनी नमूद केलं. ते म्हणाले -
जब चुनाव का समय निकट होता है, तब आम तौर पर पूर्ण बजट नही रखा जाता है। हम भी उसी परंपरा का निर्वाह करते हुये पूर्ण बजट नई सरकार बनने के बाद हम आपके समक्ष लेकर करके आयेंगे। इस बार एक दिशानिर्देशक बाके कर ले करके देश की वित्त मंत्री निर्मलाजी हम सब के सामने कल अपना बजट पेश करने वाली है। मुझे विश्वास है की देश नित्य प्रगती की उंचाईयों को पार करता हुआ आगे बढ रहा है। सर्वस्पर्शी विकास हो रहा है।
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लोकसभा आणि राज्यसभेच्या १४ खासदारांचं निलंबन रद्द करण्यात आलं आहे. मागील अधिवेशन काळात कामकाजात व्यत्यय आणल्या प्रकरणी या खासदारांना निलंबित करण्यात आलं होतं. सरकारनं केलेल्या विनंतीवरुन राज्यसभेचे सभापती आणि लोकसभेच्या अध्यक्षांनी हे निलंबन मागे घेतल्याची माहिती संसदीय कामकाज मंत्री प्रल्हाद जोशी यांनी दिली आहे.
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उत्तरप्रदेशात वाराणसी इथं ज्ञानवापी मशिदीच्या तळघरात हिंदूंना पूजेची परवानगी न्यायालयानं दिली आहे. आज यासंदर्भात झालेल्या सुनावणीत न्यायालयानं यासंदर्भात येत्या सात दिवसात आवश्यक व्यवस्था करुन देण्याचे आदेश जिल्हा प्रशासनाला दिले आहेत. या नुसार ज्ञानवापी परिसरातील 'व्यास का तहखाना' इथं हिंदूंना पूजा आरती करता येणार आहे. सन १९९३ पूर्वी सोमनाथ व्यास यांचे कुटुंबिय या तळघरात नियमित पूजा करत, अयोध्येतील बाबरी मशीद पाडल्यानंतर ज्ञानवापीच्या चारही बाजूंनी प्रशासनानं लोखंडी कठडे लावल्यामुळे या तळघरात जाणं शक्य नव्हतं. सध्या या तळघराचा ताबा अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ��मिटीकडे आहे.
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मराठा आरक्षणासाठी राज्य सरकारने जारी केलेल्या अधिसूचनेच्या मसुद्याला ओबीसी संघटनांनी मुंबई उच्च न्यायालयात आव्हान दिलं आहे. सगेसोयरे आणि गणगोत यांच्यासाठी प्रतिज्ञापत्राद्वारे कुणबी दाखले देण्याबाबतच्या मसुद्याला ओबीसी संघटनांनी विरोध केला आहे. संविधानाच्या विरोधात जाऊन सगेसोयरे यांची व्याख्या बदलण्यात येऊ नये, अशी भूमिका, या याचिकेत मांडण्यात आली आहे. ओबीसी वेलफेयर फौंडेशन तर्फे ॲडव्होकेट मंगेश ससाणे यांनी ही याचिका दाखल केली आहे.
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सांगली जिल्ह्यातल्या विटा विधानसभा मतदारसंघाचे शिवसेनेच्या शिंदे गटाचे आमदार अनिल बाबर यांचं आज अल्पशा आजाराने निधन झालं, ते ७३ वर्षांचे होते. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी सांगली जिल्ह्यात गार्डी इथं जाऊन बाबर यांना श्रद्धांजली अर्पण केली. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि अजित पवार यांनीही बाबर यांच्या निधनाबद्दल दु:ख व्यक्त केलं आहे.
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ठाण्यातील माजी पोलीस आयुक्त परमबीर सिंह यांच्यासह इतरांविरुद्ध खंडणी प्रकरणातल्या गुन्ह्याचा तपास बंद करण्याचा अहवाल केंद्रीय गुन्हे अन्वेषण विभाग-सीबीआयनं मुख्य न्याय दंडाधिकाऱ्यांकडे सादर केला आहे. या सर्वाविरोधातले आरोप सिद्ध करणारे पुरावे आढळलेले नाहीत, असं सीबीआयनं आपल्या अहवालात म्हटलं आहे.
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नाशिकच्या यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठाने नवीन राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरणावर आधारीत अभ्यासक्रमांसाठी नामांकित संस्थांशी सामंजस्य करार केले आहेत. या करारामुळे राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण, रोजगाराभिमुख पदवी आणि विविध संधी उपलब्ध होणार असून, त्याचा फायदा विद्यार्थ्यांना नक्कीच होईल, असा विश्वास कुलगुरू संजीव सोनवणे यांनी व्यक्त केला आहे.
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डॉ. पंजाबराव देशमुख नैसर्गिक शेती मिशन अंतर्गत राबवावयाच्या बाबींमध्ये बदल करण्यात आला आहे. या बदलानुसार १० गटांच्या समूहाची शेतकरी उत्पादक कंपनी, तसंच १० गटांच्या समूहाची शेतकरी उत्पादक संस्था स्थापन करण्यास मान्यता देण्यात आली आहे. विपणन सुविधेसाठी समूह संकलन केंद्राची उभारणी करण्यासही मान्यता देण्यात आली आहे. याबाबतचा शासन निर्णय कृषी विभागामार्फत जारी करण्यात आला आहे.
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छत्रपती संभाजीनगर शहरातील शासकीय कर्करोग रूग्णालयात अद्ययावत पॅट स्कॅन सुविधा उपलब्ध करून द्यावी अशी मागणी आमदार सतीश चव्हाण यांनी वैद्यकीय शिक���षण मंत्री हसन मुश्रीफ यांच्याकडे एका निवेदनाद्वारे केली आहे. या रुग्णालयात मराठवाड्यासह अनेक जिल्ह्यातील रूग्ण उपचारासाठी येतात. कर्करुग्णांचं पेट स्कॅन करणं आवश्यक असतं. मात्र रुग्णांना खाजगी ठिकाणी ही तपासणी करावी लागते. गरीब रूग्णांना आर्थिकदृष्ट्या हा खर्च परवडत नसल्याचं आमदार चव्हाण यांनी निवेदनात म्हटलं आहे.
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चेन्नई इथं सुरु असलेल्या खेलो इंडिया युवा स्पर्धेचा आज केंद्रीय क्रीडा मंत्री अनुराग ठाकूर यांच्या उपस्थितीत समारोप होणार आहे. या स्पर्धेत ५३ सुवर्ण पदकांसह एकूण १५० पदकं जिंकून महाराष्ट्र पहिल्या क्रमांकावर आहे. १०३ पदकांसह हरियाणा दुसऱ्या, तर ९१ पदकांसह तामिळनाडू तिसऱ्या क्रमांकावर आहे. या स्पर्धेत जलतरणाच्या ५० मीटर फ्री स्टाईल प्रकारात महाराष्ट्राच्या ऋषभ दास तसंच आलेफिया धनसुरा यांनी पुरुष तसंच महिला गटात सुवर्ण पदक पटकावलं
दरम्यान, लडाखमध्ये येत्या दोन फेब्रुवारीला खेलो इंडिया हिवाळी क्रीडा स्पर्धेची सुरुवात होणार असून, या स्पर्धेचं शुभंकर आणि बोधचिन्हाचं काल अनावरण करण्यात आलं.
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मराठा समाज आणि खुल्या प्रवर्गातील नागरिकांच्या सर्वेक्षणातून एकही कुटुंब सुटणार नाही, याची दक्षता घ्यावी, अशी सूचना राज्य मागासवर्ग आयोगाचे सदस्य डॉ. ओमप्रकाश जाधव यांनी केली आहे. ते आज लातूर इथं यासंदर्भातल्या आढावा बैठकीत बोलत होते. या सर्वेक्षणात मराठवाड्यामध्ये लातूर जिल्हा अग्रेसर आहे. जिल्ह्यात आजपर्यंत ९८ पूर्णांक ३३ टक्के सर्वेक्षण झालं आहे, सर्व कुटुंबांचं सर्वेक्षण दोन फेब्रुवारीपर्यंत पूर्ण करण्याचे निर्देश जाधव यांनी दिले.
छत्रपती संभाजीनगर जिल्ह्यातही सर्वेक्षणाचे काम विहित मुदतीत प्रगणकांनी पूर्ण करण्याचे निर्देश जिल्हा प्रशासनानं दिले आहेत.
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प्रस्तावना
मे जिस विषय मे लिख रहा हूँ उसके कुछ अंश आचार्य चतुरसेन शास्त्री के उपन्यास वैशाली की नगरवधु, कुछ प्राचीन बौद्ध मत,कुछ राजीव रंजन प्रसाद की पुस्तक प्राचीन भारत से लिए गए है ये उस समय की भारत की राजनैतिक सांस्कृतिक और एताहासिक दृष्टिकोण को दर्शाती है यह दर्शाता है की भारत उस समय कितना उन्नत और समृद्ध था कृप्या इसे पूरा पड़े 🙏
वज्जी जनपद और उसकी राजधानी वैशाली का वर्णनं
मुजफ्फरपुर से पश्चिम की और जो पक्की सड़क जाती है।वहां बैसोठ नाम का छोटा गांव है,वहां कुछ घर भूमिहर ब्राह्मणों के कुछ क्षत्रियों के बचे है।गाँव के चारों और टूटी फूटी मुर्तिया और खंडहर ढेर के ढेर मिलते है। जो याद दिलाते है की कभी यहां एक बडा़ विशाल संम्रद्ध नगर बस रहा था। वास्तव मे आज से 2600 साल पहले वैशाली नाम का नगर बसा था।जिसे आज गंडक कहते है उन दिनो इसका नाम सिही था।आज ये नदी इस गांव से कई कोस दूर उत्तर कि और बह रही है।लेकिन ये उन दिनो विधीवारा के निकट गंगा मे मिल गई थी।इस विशाल नगरी कानाम वैशाली था।
- वैशाली की भव्यता का वर्णन -
यहां 7777 प्रासाद (महल),7777 कूटागार(तहखाना,कोठरी)7777उद्यान,7777 पुष्करणि(तालाब )थे धन जन से परिपूर्ण यह नगरी अपनी शोभा की समता नही रखती थी। ये लिच्छवियो के वज्जी संघ की राजधानी थी।विदेह राज्य (राजा जनक का राज्य नेपाल के उत्तर पश्चिम से बिहार तक) टूटकर वज्जी संघ बना था।इस संघ मे विदेही लिच्छवि ,क्षात्रिक,वज्जी,उग्र ,भोज ,इश्वाकू,और कौरव थे ये आठ कुल अष्टकुल कहलाते थै। इनमे से चार कुल प्रधान थे। विदेह की राजधानी मिथला,लिच्छवियो की राजधानी वैशाली ,क्षात्रिको की राजधानी कुंडपुर और वज्जियो की कोलाक थी। और वैशाली पूरे संघ की राजधानी थी।यह गणतंत्र पूरे भारत का आदर्श और सामर्थ्यवान संघ था। जो प्रतापी मगध साम्राज्य की सबसे बड़ी राजनितिक और सामरिक बाधा थी, नगरी के चारो औऱ काठ का तिहरा कौट था जहाँ स्थान स्थान पर गोपूर (बड़ा किला ) औऱ प्रवेश द्वार बने थे गोपूर बहुत ऊँचे थे, उन पर खड़े होकर मिलो तक देखा जय सकता था, प्रहरीगड़ इन पर पीतल के भाले लिए पहरा दिया करते थे,आवश्यकता पड़ने पर तूर (वाद्य यन्त्र )जो बजाकर नागरिकों को संकेत करते थे प्रतिहार तुरंत नगर के रक्षकों को संकेत करते थे, इसके बाद आनन फानन मे नगर मे सैनिक हलचल दिखती थी भीमकाय योद्धा खड़ग चमकाते हुए नगर के द्वार पर खड़े हो जाते थे, वज्जी संघ का शासन एक राज परिषद करती थी, जिसका चुनाव हर 7वे वर्ष उसी अष्टकुल मे होता था,शिल्पीयो औऱ सेठीयो के अलग संघ थे शिल्पीयो के संघ श्रेणी कहलाते थे जिनका संचालन उसका ज्येष्ठ बड़ा करता था जल ओर थल के नियम बनाने वाली श्रेणीया अलग अलग थी,नगर मे श्रेणीयों के कार्यालय और निवास पृथक पृथक थे क्रय विक्रय भी पृथक पृथक समय मे होता था,पर श्रेणीयों की माल की देखरेख सेठो के हाथ मे होती थी ओर इनके प्रधान सेठ की पद मर्यादा राजनितिक और औद्योगिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती थी तत्स (प्रयागराज )कौशल (गोरखपुर )काशी मगध से घिरा रहने के कारण यह व्यापारिक और राजनितिक संघर्षो का केंद्र बना हुआ था, देश देश के जौहरी, शिल्पकार, और यात्री लोगो से यह नगर सदा परिपूर्ण रहता था, श्रेष्ठी चतवर मे जो यहाँ प्रधान बाजार था, जौहरीयों की बड़ी बड़ी कोठिया थीजिनकी शाखाएं समस्त उत्तराखंड और दक्षिण तक फैली थी सुदूर महिष्मति( मध्य प्रदेश )गौड़ (छत्तीस गढ़ )विदिशा कौशाम्बी पहाड़ की तराईन के रास्ते बड़े बड़े सेठ वैशाली से व्यापार स्थापित किये थे,राजिस्थान के रास्ते अफगानिस्तान, सोवीर (पेशावर खेबर पखतुन खा,)बबिलोंन की प्राचीन सभ्यता तक व्यापार स्तापित किये हुए थे,चौराहे पर बड़े बड़े व्यापारीयों से लेनदेन कर पान मुँह मे दबाकर हस हस कर बात किया करते थे, रेशम और मलमल की दुकानों पर बबिलोंन ओर फारस के व्यापारी भीड़ की भीड़ किया करते थे,नगर की गालिया तंग ओर सकरी थी, बड़ी बड़ी गगनचुम्बी इमारते थी, जिसमे अतुल धन सम्पदा भरी थी,
-वज्जी गड़राज्य और वैशाली के पतन के कारण -
पहला कारण, आम्रपाली की भूमिका,
आम्रपाली वैशाली की सबसे सुन्दर महिला थी, नगर मे ये मान्यता थी की शहर की सबसे सुन्दर लड़की को वैशाली की नगरवधु बना दिया जाता था, जिसे जनपद कल्याणी का ख़िताब दिया जाता था, यह उपाधि सात वर्ष के लिए दी जाती थी जैसे आज कल miss world, miss universe, होती है, मगध के राजा बिम्बिसार और उसके बाद उनके पुत्र आजातशत्रु का प्रेम सम्बन्ध चला, बाद मे इसका पता संथागर सभा को चला, तब आम्रपाली को जेल मे डाल दिया गया, फलस्वरूप अजातशत्रु ने वैशाली पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया
-दूसरा कारण -
वैशाली और वज्जी गणराज्य की प्रतिष्ठा लम्बे समय से मगध को खटक रही थी, तनाव का मुख्य कारण गंगा नदी के दोनों तटो पर और उसके सम्पूर्ण व्यापार पर नियंत्रण करना था गंगा नदी पर एक बंदरगाह दोनों के बीच विवाद का केंद्र था, इस तट पर दोनों का आधा आधा हिस्सा था l बंदरगाह के पास बहुमूल्य रत्नो और पत्थरो की एक खदान प्राप्त हुई, समझौता हुआ की इसे दोनों आधा आधा करेंगे, लेकिन खदान से सम्पूर्ण रत्न निकालने के बाद वैशाली ने मगध को रत्न देने से मना कर दिया कोई भी शक्तिशाली राज्य अपने अस्तित्व को ऐसे दर्शाता है, यही राजनीती है,जो भी व्यापारी व्यापार करने बाहर या विदेशो से आते उनसे कर वसूल लिया जाता पर उसका जायज हिस्सा मगध को प्रदान नहीं किया जाता था, यही कारण था अजातशत्रु इन्ही कारणों से वैशाली का विनाश चाहते थे l
-बौद्ध मतों के अनुसार भगवान बुद्ध की भूमिका -
बौद्धमतों के अनुसार आजातशत्रु वैशाली के सबंध मे बुद्ध से मंत्रड़ा करना चाहते थे, अजातशत्रु ने अपने प्रधानमंत्री वत्सकार को बुद्ध के पास भेजा, बुद्ध के सर्वाधिक प्रिय शिष्य आनंद इस विमर्श मे सम्मुख बैठे थे, बुद्ध ने वत्सकार की बजाय आनंद को सम्बोधित किया,
बुद्ध -आनंद क्या यह सत्य है वज्जियों की सभा निरन्तर होती रहती है,ओर उसमे सभासद लोगो की संख्या अपेक्षित रहती है,
आनंद -यह सत्य है. मान्यवर
बुद्ध -जब तक वज्जियों की सभा निरन्तर होती रहेगी और उसमे सभासदो की संख्या रहेगी तब तक वज्जियों की बृद्धि ही अपेक्षित है, नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी सभा मे उपस्थित होते है कोई भी निर्णय सर्वसम्मति से करते है
आनंद -हा मान्यवर मेने ऐसा ही सुना है
बुद्ध -जब तक वज्जी सभाओ मे उपस्थित होते रहेंगे ओर उनके निर्णय सर्वसम्मति से होते रहेंगे तब तक उनकी वृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी पुराने नियम की अवेहलना नहीं करते समय पर पुराने नियम की विवेचना करते है,
आनंद -हा यह सच है,
बुद्ध -जब तक पुराने नियम की अवैहलना नहीं होंगी ओर नये नियम की विवेचना होंगी तब तक वज्जियों की वृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी स्त्रियों का सम्मान करते है ओर कुल की स्त्रियों पर जोर जबरदस्ती नहीं करते
आनंद - हा मान्यवर ये सच है
बुद्ध -जब तक कुल की स्त्रियों पर जोर जबरदस्ती नहीं होंगी, ओर स्त्रियों का सम्मान होगा तब तक उनकी वृद्धि ही अपेक्षित है, नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी वृधो का सम्मान करते है ओर उनके अनुभवों का लाभ उठाते है
आनंद -हा भंते मेने यही सुना है,
बुद्ध -जब तक वृधो का सम्मान होता रहेगा तब तक उनकी बृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वैशाली मे कोई भी व्यापारी स्वेछा से व्यापार कर सकता है, ओर कही भी घूम सकता है,
आनंद -हा यह सत्य है
बुद्ध -जब तक देश विदेश के व्यापारी व्यापार करते रहेंगे, ओर वैशाली मे निर्भीक होकर कही भी जा सकेंगे तब तक उनकी वृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,सम्राट अजातशत्रु के मन मे वज्जियों की बृद्धि ही अपेक्षित है, से गहरी निराशा घर कर गई, चालक वत्सकार ने स्पष्ट किया राजन कथागत तो देवपुरुष है,अगर वह भविष्यवाणी कर रहे है तो मगध का दुर्भाग्य ही होगा,लेकिन अगर वह सब कर दिया जाए जो वज्जियों को नहीं करना चाहिए, अर्थात वज्जियों की सभाए नियमित ना हो, सभासदों की उपस्थिति कम हो जाए, वृद्ध और स्त्रियों का सम्मान ना हो, धार्मिक स्वतंत्रता ना रहे, व्यापारियों पर अविश्वास पनप जाए, सभापति को अपनी तरफ से आदेश जारी करने पड़े तो निश्चित रूप से वज्जी पराजित होंगे, इन सबसे यह असंभव कार्य संभव हो सकता है,
वैशाली का पतन
गहरा षड़यंत्र रचा गया, मगध मे अजातशत्रु के दरबार मे वत्सकार ने वज्जियों के पक्ष मे बयान दिया, अजातशत्रु ने वत्सकार को निकालने का ढोंग किया उसे देश निकाला दे दिया गया ओर उसनें शरण पाई वैशाली मे वज्जी संघ मे जाकर वत्सकार ने वैशाली के मुख्य सेनापति बंधुल को भड़काना शुरू किया, ओर वह अपनी पत्नी को जबरदस्ती मुख्यमंत्रियो के पुष्करनी (तालाब ) मे स्नान कराने ले आया जिससे घमासान गृह युद्ध शुरू हो गया जिसमे 500 सैनिक मारे गए, इस घटना से सभासद एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे, वत्सकार के कहने पर व्यापारियों से कर ज्यादा वसूला जाने लगा क्योंकि इस नुकसान की भरपाई करनी थी,सभासदों की एक राय होती थी पर वत्सकार की कूटनीति के चलते पर सब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे, अजातशत्रु ने मौक़े का फायदा उठाकर वज्जियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया, पर वज्जी अपने आपसी मतभेद भुलाकर युद्ध करने नहीं फिर भी घमासान युद्ध हुआ, वैशाली के गणाधिपति चेतक ने निश्चित पराजय जानकर कुए मे कुदकर आत्महत्या कर ली, अब वैशाली पर मगध का ध्वज लहरा रहा था
वैशाली के पतन के बाद की स्थति
वैशाली के पतन के बाद मगध भारत का सबसे बड़ा राज्य हो गया जिसका प्रभाव सम्राट अशोक के समय तक स्थापित रहा, और भारत की राजनीती मे भी काफ़ी प्रभाव पड़ा चीन से होते हुए बौद्ध धर्म विदेशो तक पहुंच गया हालांकि भारत की आंतरिक सुरक्षा को कोई फर्क नहीं पड़ा आप इसे अच्छे और बुरे दोनों परिणामो के रूप मे देख सकते हैl
संग्रहकर्ता लेखक - Dr सीमान्त व्यास
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हवा में शब्द कीर्तन गूंज रहे हैं। मेरे सामने मौजूद सरोवर में स्वर्ण मंदिर का बिंब दिख रहा है।
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Hidden Treasures in India
Hidden Treasures in India : आक्रमणकारियों और उपनिवेशवादियों द्वारा लूटे जाने और अपनी सारी संपत्ति को खत्म करने से पहले भारत को कभी दुनिया का सबसे अमीर देश माना जाता था। भूमि को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। भारत को विदेशियों द्वारा भूमि की संपत्ति को सुरक्षित करने के लिए सबसे क्रूर लड़ाइयों के अधीन किया गया है कि उन लड़ाइयों के दौरान हजारों लोग मारे गए।
लूटेरों द्वारा भारत से चुराए गए कई खजाने यात्रा के दौरान खो गए थे, जबकि यह माना जाता है कि यह अभी भी भारत में मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि कई प्राचीन मंदिरों और राजाओं के महलों में गुप्त तहखाना है जो अभी भी समझ से परे है। तो ये खजाने कहाँ हैं? क्या भारत उन्हें फिर कभी देख पाएगा? यहाँ उन खोए हुए खजाने में से कुछ हैं।
भारत के 7 रहस्यमयी खजाने (7 Hidden Treasures in India)
तो, चलिए एक और मिनट बर्बाद नहीं करते हैं, यहां भारत में 7 स्थान हैं जो खजाने का घर हैं।
1. बिहार में सोन भंडार गुफाएं
2. केरल में पद्मनाभस्वामी मंदिर
3. हैदराबाद में किंग कोठी पैलेस
4. आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी का खजाना
5. कर्नाटक में श्री मूकाम्बिका मंदिर
6. चारमीनार सुरंग, हैदराबाद
7. अलवर का किला, राजस्थान
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KhulasaMedia : Liquor mafia ने शराब के लिए बनाया तहखाना police recovered...
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