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uttarpradeshdev · 2 months ago
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top-leaders-in-india · 9 days ago
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हम संकल्पित हैं: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का देश सेवा और विकास का संदेश
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कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अपने अद्भुत सैन्य, खेल और राजनीतिक सफर के माध्यम से न केवल युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है, बल्कि देश सेवा और विकास के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को भी बार-बार दोहराया है। उनका संदेश स्पष्ट और प्रेरणादायक है: “हम संकल्पित हैं, देश सेवा और विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंग��।”
कर्नल राठौड़ के संदेश की मुख्य बातें:
देश सेवा का अद्वितीय समर्पण: भारतीय सेना में सेवा के दौरान, कर्नल राठौड़ ने न केवल देश की रक्षा की, बल्कि अनुशासन, नेतृत्व और साहस का एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, “देश सेवा से बड़ा कोई कर्तव्य नहीं।”
युवाओं को प्रेरित करना: ओलंपिक में रजत पदक विजेता कर्नल राठौड़ का मानना है कि भारत के युवा राष्ट्र के भविष्य की नींव हैं। उन्होंने कहा, “हमारे युवा ऊर्जा और प्रतिभा से भरपूर हैं। सही दिशा और अवसर मिलने पर वे चमत्कार कर सकते हैं।”
विकसित भारत का सपना: कर्नल राठौड़ का कहना है कि “विकसित भारत” सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सामूहिक संकल्प है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर व्यक्ति को इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहिए, चाहे वह शिक्षा, रोजगार, या स्वच्छता का क्षेत्र हो।
स्थानीय से वैश्विक तक विकास: झोटवाड़ा के विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री के रूप में उन्होंने स्थानीय विकास पर जोर दिया है। उनका मानना है कि सुदृढ़ बुनियादी ढांचा, रोजगार सृजन और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार से हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में विश्वास: कर्नल राठौड़ ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदर्शिता की सराहना की और कहा, “आज देश एक नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है। हर क्षेत्र में, हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव दिख रहा है। यह हमारे मजबूत नेतृत्व और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।”
कर्नल राठौड़ का संदेश:
“देश सेवा और विकास की इस यात्रा में हर नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण है। साथ मिलकर हम एक ऐसा भारत बनाएंगे, जो न केवल आत्मनिर्भर हो, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।”
उनका यह संदेश न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि हर भारतीय को देश की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
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Our Vision is to Empower the People of India’s Villages: Col Rajyavardhan Rathore
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हमारा विजन है भारत के गांव के लोग सशक्त बनें: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
भारत गांवों का देश है, जहां देश की आत्मा बसती है। कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, एक ओलंपिक विजेता, सेना के पूर्व अधिकारी और एक कुशल राजनेता, ने हमेशा भारत के गांवों को सशक्त बनाने के लिए विशेष ध्यान दिया है। उनका सपना है कि हर गांव आत्मनिर्भर बने और देश की प्रगति में बराबरी से भागीदार बने।
गांवों को सशक्त बनाने का विजन
1. गांव क्यों हैं महत्वपूर्ण?
गांवों में देश की 65% आबादी निवास करती है। कर्नल राठौड़ मानते हैं कि:
गांवों का विकास, देश का विकास है।
आत्मनिर्भर गांव, देश को आर्थिक और सामाजिक मजबूती प्रदान करते हैं।
2. गांवों के सशक्तिकरण के प्रमुख क्षेत्र
a. शिक्षा और कौशल विकास
कर्नल राठौड़ का लक्ष्य है कि हर ग्रामीण बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास का लाभ उठा सके।
गांवों में स्कूल और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना।
डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
b. आधारभूत ढांचे का विकास
गांवों की प्रगति के लिए सुदृढ़ आधारभूत ढांचा अनिवार्य है।
सड़कों, परिवहन और संचार नेटवर्क का विकास।
हर घर में बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
c. आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
गांवों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए:
सूक्ष्म और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना।
किसानों को तकनीक, बाजार और ऋण की सुविधाएं प्रदान करना।
कर्नल राठौड़ के प्रमुख प्रयास
1. डिजिटल गांवों का निर्माण
ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।
ई-गवर्नेंस सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाना।
2. कृषि को सशक्त बनाना
आधुनिक और टिकाऊ खेती के लिए नई तकनीकों का प्रचार।
फसल बीमा और सब्सिडी जैसी योजनाओं से किसानों को सहारा।
3. महिलाओं का सशक्तिकरण
कर्नल राठौड़ का मानना है कि महिलाओं के उत्थान से गांवों का विकास संभव है।
स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।
स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्यमशीलता पर जागरूकता अभियान।
��ुनौतियां और समाधान
गांवों के सशक्तिकरण के लिए कई चुनौतियों का साम��ा करना पड़ता है:
सांस्कृतिक और तकनीकी अंतर को पाटना।
गरीबी और बेरोजगारी को कम करना।
जागरूकता अभियानों के माध्यम से बदलाव को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
सशक्त गांवों का प्रभाव
गांवों को सशक्त बनाने से:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर बनेगी।
शहरों की ओर पलायन कम होगा।
जीवन स्तर में सुधार और शहरी-ग्रामीण असमानता में कमी आएगी।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का विजन भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का है। उनके प्रयास शिक्षा, आधारभूत ढांचे और रोजगार के माध्यम से गांवों को मजबूत बनाने पर केंद्रित हैं। जब गांव सशक्त होंगे, तो भारत सही मायनों में वैश्विक शक्ति बन सकेगा।
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colonelrajyavardhanrathore · 3 months ago
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राजस्थान में निवेश को लेकर अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने राज्यमंत्री के.के. विश्नोई जी से आगामी Rising Rajasthan Global Investment Summit 2024 के संबंध में सकारात्मक विचार विमर्श किया
निवेश को समृद्ध और सुरक्षित बनाने के लिए राजस्थान सरकार हर कदम पर निवेशकों और उद्यमियों के साथ : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
राजस्थान में निवेश को लेकर अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
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राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी ने गुरुवार को माननीय राज्यमंत्री श्री के.के. विश्नोई जी से आगामी Rising Rajasthan Global Investment Summit 2024 के संबंध में सकारात्मक विचार विमर्श किया और राज्य के समग्र विकास के लिए रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, यह आयोजन भविष्य के विकसित राजस्थान की नींव रखेगा। राजस्थान में निवेश को लेकर अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं। राजस्थान रणनीतिक रूप से एक आदर्श गंतव्य है। हमारे पास मजबूत बुनियादी ढांचा और प्रचुर मात्रा में संसाधन हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत को वैश्विक कंपनियों के लिए एक सप्लाई चेन डेस्टिनेशन के रूप में देखा जा रहा है और अपनी सक्रिय और विकासोन्मुखी नीतियों के कारण राजस्थान भारत में इन कंपनियों का विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि निवेश को समृद्ध और सुरक्षित बनाने के लिए राजस्थान सरकार हर कदम पर निवेशकों और उद्यमियों के साथ है
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vedicsanatanrahasya · 1 year ago
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संस्कृत ही मूल जननी भाषा है
वैदिक संस्कृत 2000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक बोली जाने वाली आर्य भाषा थी। इस भाषा से हिंद- ईरानी भाषा का जन्म हुआ/(मध्य एशिया की भाषा) । इसी ईरानी भाषा से अवस्तई फारसी का जन्म हुआ। 18वी और 19वी शताब्दी मे पश्चिम विद्वानो की नज़र इस संस्कृत फारसी भाषा और लिपि पर पड़ी। उन्होंने अनुभव किया की उच्चारण और व्याकरंण दृष्टि से संस्कृत सर्वश्रेष्ठ है तो बहुत से शब्द अंग्रेजी के इन्होंने अंगीकार कर लिए। आइये हम आ�� संक्षेप मे जानते है की मध्य एशिया और यूरोप के अनेक शब्द संस्कृत से उठाये गए है, किंतु बोलचाल और उच्चारण की हेरफेर लिपि भिन्नता की वजह से हमे ये अलग प्रतीत होते है। आरंभ करते है, सृष्टि के निर्माण समय से, और माना जाता है हम सब मनु की संतान है। मनु से मानव, मानव से man बना। इसी तरह से हमारे जन्म का कारण पिता और माता है। पिता को संस्कृत मे पितृ कहते है यही पिता शब्द मध्य एशिया तक पंहुच के peder बना जो यूरोप तक जाकर father बना। कुछ यूँही माता के मूल शब्द मातृ से meder फिर mother बना। यँहा एक रोचक जानकारी साझा करना चाहूंगा की आजकल एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए हम google map की मदद से navigate करते है। यह navigate प्राचीन संस्कृत शब्द नवगति से व्युत्पन है। जिसका अर्थ है दिकचालन यानी एक जगह से दूसरी जगह जाने की योजना और प्रबंधन। कुछ अन्य शब्द :- खाट - cot चूड़ी - bangle (चूड़ी को बांग्ला मे बंगली कहते है) डकैत -dacoit चंपू - shampoo ( चंपी मसाज) नारंग - orange चिठ्ठी - chit जगन्नाथ - juggernaut ( एक बड़ा ढोयें जाने वाला ढांचा जैसे रथ)
मित्रो वैसे तो हजारो ऐसे शब्द जिन्हें लिखने बैठे तो लेख बहुत बड़ा हो जायेगा। हमारा उद्देश्य तो वैदिक धर्म और संस्कृत के बारे मे जागरुक करना और बताना है की प्राचीन भारतीय सनातन कितना समृद्ध और वैज्ञानिक रहा है । इसी वृक्ष से अन्य शाखाए पनपी है। 🙏🙏🙏🙏
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bakaity-poetry · 2 years ago
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शायरी, कविता, नज़्म, गजल, सिर्फ दिल्लगी का मसला नहीं हैं। इतिहास गवाह है कि कविता ने हमेशा इंसान को सांस लेने की सहूलियत दी है। जब चारों ओर से दुनिया घेरती है; घटनाओं और सूचनाओं के तेज प्रवाह में हमारा विवेक चीजों को छान-घोंट के अलग-अलग करने में नाकाम रहता है; और विराट ब्रह्मांड की शाश्वत धक्कापेल के बीच किसी किस्म की व्यवस्था को देख पाने में असमर्थ आदमी का दम घुटने लगता है; जबकि ���सके पास उपलब्ध भाषा उसे अपनी स्थिति बयां कर पाने में नाकाफी मालूम देती है; तभी वह कविता की ओर भागता है। जर्मन दार्शनिक विटगेंस्टाइन कहते हैं कि हमारी भाषा की सीमा जितनी है, हमारा दुनिया का ज्ञान भी उतना ही है। यह बात कितनी अहम है, इसे दुनिया को परिभाषित करने में कवियों के प्रयासों से बेहतर समझा जा सकता है।
क��ीर को उलटबांसी लिखने की जरूरत क्यों पड़ी? खुसरो डूबने के बाद ही पार लगने की बात क्यों कहते हैं? गालिब के यहां दर्द हद से गुजरने के बाद दवा कैसे हो जाता है? पाश अपनी-अपनी रक्त की नदी को तैर कर पार करने और सूरज को बदनामी से बचाने के लिए रात भर खुद जलने को क्यों कहते हैं? फैज़ वस्ल की राहत के सिवा बाकी राहतों से क्या इशारा कर रहे हैं? दरअसल, एक जबरदस्त हिंसक मानवरोधी सभ्यता में मनुष्य अपनी सीमित भाषा को ही अपनी सुरक्षा छतरी बना कर उसे अपने सिर के ऊपर तान लेता है। उसकी छांव में वह दुनियावी कोलाहल को अपने ढंग से परिभाषित करता है, अपनी ठोस राय बनाता है और उसके भीतर अपनी जगह तय करता है। एक कवि और शायर ऐसा नहीं करता। वह भाषा की तनी हुई छतरी में सीधा छेद कर देता है, ताकि इस छेद से बाहर की दुनिया को देख सके और थोड़ी सांस ले सके। इस तरह वह अपने विनाश की कीमत पर अपने अस्तित्व की संभावनाओं को टटोलता है और दुनिया को उन आयामों में संभवत: समझ लेता है, जो आम लोगों की नजर से प्रायः ओझल होते हैं।
भाषा की सीमाओं के खिलाफ उठी हुई कवि की उंगली दरअसल मनुष्यरोधी कोलाहल से बगावत है। गैलीलियो की कटी हुई उंगली इस बगावत का आदिम प्रतीक है। जरूरी नहीं कि कवि कोलाहल को दुश्मन ही बनाए। वह उससे दोस्ती गांठ कर उसे अपने सोच की नई पृष्ठभूमि में तब्दील कर सकता है। यही उसकी ताकत है। पाश इसीलिए पुलिसिये को भी संबोधित करते हैं। सच्चा कवि कोलाहल से बाइनरी नहीं बनाता। कविता का बाइनरी में जाना कविता की मौत है। कोलाहल से शब्दों को खींच लाना और धूप की तरह आकाश पर उसे उकेर देना कवि का काम है।
कुमाऊं के जनकवि गिरीश तिवाड़ी ‘गिरदा’ इस बात को बखूबी समझते थे। एक संस्मरण में वे बताते हैं कि एक जनसभा में उन्होंने फ़ैज़ का गीत 'हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे' गाया, तो देखा कि कोने में बैठा एक मजदूर निर्विकार भाव से बैठा ही रहा। उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा, गोया कुछ समझ ही न आया हो। तब उन्हें लगा कि फ़ैज़ को स्थानीय बनाना होगा। कुमाऊंनी में उनकी लिखी फ़ैज़ की ये पंक्तियां उत्तराखंड में अब अमर हो चुकी हैं: ‘हम ओढ़, बारुड़ी, ल��वार, कुल्ली-कभाड़ी, जै दिन यो दुनी धैं हिसाब ल्यूंलो, एक हांग नि मांगूं, एक भांग नि मांगू, सब खसरा खतौनी किताब ल्यूंलो।'
प्रेमचंद सौ साल पहले कह गए कि साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है, लेकिन उसे हमने बिना अर्थ समझे रट लिया। गिरदा ने अपनी एक कविता में इसे बरतने का क्या खूबसूरत सूत्र दिया है:
ध्वनियों से अक्षर ले आना क्या कहने हैं
अक्षर से फिर ध्वनियों तक जाना क्या कहने हैं
कोलाहल को गीत बनाना क्या कहने हैं
गीतों से कोहराम मचाना क्या कहने हैं
प्यार, पीर, संघर्षों से भाषा बनती है
ये मेरा तुमको समझाना क्या कहने हैं
कोलाहल को गीत बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? डेल्यूज और गटारी अपनी किताब ह्वॉट इज फिलोसॉफी में लिखते हैं कि दो सौ साल पुरानी पूंजी केंद्रित आधुनिकता हमें कोलाहल से बचाने के लिए एक व्यवस्था देने आई थी। हमने खुद को भूख या बर्बरों के हाथों मारे जाने से बचाने के लिए उस व्यवस्था का गुलाम बनना स्वीकार किया। श्रम की लूट और तर्क पर आधारित आधुनिकता जब ढहने लगी, तो हमारे रहनुमा ही हमारे शिकारी बन गए। इस तरह हम पर थोपी गई व्यवस्था एक बार फिर से कोलाहल में तब्दील होने लगी। इसका नतीजा यह हुआ है कि वैश्वीकरण ने इस धरती पर मौजूद आठ अरब लोगों की जिंदगी और गतिविधियों को तो आपस में जोड़ दिया है लेकिन इन्हें जोड़ने वाला एक साझा ऐतिहासिक सूत्र नदारद है। कोई ऐसा वैचारिक ढांचा नहीं जिधर सांस लेने के लिए मनुष्य देख सके। आर्थिक वैश्वीकरण ने तर्क आधारित विवेक की सार्वभौमिकता और अंतरराष्ट्रीयतावाद की भावना को तोड़ डाला है। ऐसे में राष्ट्रवाद, नस्लवाद, धार्मिक कट्टरता आदि हमारी पहचान को तय कर रहे हैं। इतिहास मजाक बन कर रह गया है। यहीं हमारा कवि और शायर घुट रहे लोगों के काम आ रहा है।
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hardinnews0207 · 1 year ago
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Rajasthan's Evolving Geopolitical Landscape: A Look at the State's New Map
परिचय
क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जीवंत परंपराओं और विविध भूगोल के लिए जाना जाता है। यह राजसी राज्य पूरे इतिहास में कई साम्राज्यों और राजवंशों का उद्गम स्थल रहा है, जो अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गया है जो इसकी पहचान को आकार देती रहती है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की भौगोलिक सीमाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं, और हाल के दिनों में, एक नया मानचित्र सामने आया है, जो राज्य के भू-राजनीतिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करता है। इस लेख में, हम राजस्थान के विकसित होते मानचित्र और इन परिवर्तनों में योगदान देने ��ाले कारकों का पता लगाएंगे।
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ऐतिहासिक सीमाएँ
नए मानचित्र पर गौर करने से पहले राजस्थान की ऐतिहासिक सीमाओं को समझना जरूरी है। राज्य का भूगोल हमेशा वैसा नहीं रहा जैसा हम आज जानते हैं। राजस्थान का इतिहास विभिन्न राजवंशों के उत्थान और पतन के कारण क्षेत्रीय विस्तार और संकुचन के उदाहरणों से भरा पड़ा है। राजस्थान के क्षेत्र ने राजपूत वंशों, मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिनमें से प्रत्येक ने राज्य की सीमाओं पर अपनी छाप छोड़ी है।
आधुनिक राजस्थान का निर्माण
आधुनिक राजस्थान राज्य, जैसा कि हम आज इसे पहचानते हैं, का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था, जब राजस्थान की रियासतें एक एकीकृत इकाई बनाने के लिए एक साथ आईं। इस एकीकरण से पहले, राजस्थान रियासतों का एक समूह था, जिनमें से प्रत्येक का अपना शासक और प्रशासन था। इन रियासतों के एकीकरण ने राजस्थान के लिए एक नए युग की शुरुआत की, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को एक बैनर के नीचे एक साथ लाया गया।
राजस्थान का नया मानचित्र
हाल के वर्षों में, राजस्थान के मानचित्र में ऐसे परिवर्तन देखे गए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान आकर्षित किया है। ये परिवर्तन मुख्य रूप से प्रशासनिक सीमाओं के पुनर्गठन और नए जिलों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विकास हैं:
नये जिलों का निर्माण: राजस्थान के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव नए जिलों का निर्माण है। राज्य सरकार ने प्रशासनिक दक्षता में सुधार और शासन को लोगों के करीब लाने के लिए यह पहल की है। उदाहरण के लिए, 2018 में, राज्य सरकार ने सात नए जिलों, अर्थात् प्रतापगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनू, उदयपुरवाटी, दौसा और नागौर के निर्माण की घोषणा की। इन परिवर्तनों का उद्दे��्य नागरिकों को बेहतर प्रशासन और सेवा वितरण करना था।
सीमा विवाद: राजस्थान की सीमाएँ गुजरात, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई पड़ोसी राज्यों के साथ लगती हैं। सीमा विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जो अक्सर क्षेत्र और संसाधनों पर विवादों का कारण बनता है। इन विवादों के परिणामस्वरूप कभी-कभी राजस्थान के मानचित्र में परिवर्तन होता है क्योंकि संघर्षों को हल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों को फिर से तैयार किया जाता है। ऐसे विवादों के समाधान में अक्सर राज्य सरकारों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच बातचीत शामिल होती है।
बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं राजस्थान के मानचित्र को भी प्रभावित कर सकती हैं। नई सड़कों, राजमार्गों और रेलवे का निर्माण राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्रों की पहुंच और कनेक्टिविटी को बदल सकता है। ऐसी परियोजनाओं से भौगोलिक सीमाओं की धारणा में बदलाव के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में आर्थिक विकास भी हो सकता है।
शहरीकरण: राजस्थान में हाल के वर्षों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जैसे-जैसे शहरों और कस्बों का विस्तार होता है, उनकी सीमाएँ अक्सर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को घेरती हुई बढ़ती हैं। इस शहरी फैलाव के परिणामस्वरूप जिलों और नगरपालिका क्षेत्रों की प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव हो सकता है, जो राज्य के मानचित्र में परिलक्षित हो सकता है।
प्रभाव और निहितार्थ
राजस्थान के मानचित्र में बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं। सकारात्मक पक्ष पर, नए जिलों के निर्माण और प्रशासनिक सुधारों से अधिक प्रभावी शासन, बेहतर सेवा वितरण और बेहतर स्थानीय विकास हो सकता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों के बेहतर प्रतिनिधित्व और भागीदारी को भी सुविधाजनक बना सकता है।
हालाँकि, इन परिवर्तनों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। सीमा विवाद कभी-कभी पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव का कारण बन सकते हैं और ऐसे विवादों के समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों और बातचीत की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, जबकि शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक अवसर ला सकता है, वे पर्यावरण संरक्षण, भूमि उपयोग और संसाधन प्रबंधन से संबंधित चुनौतियां भी पैदा करते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान का नया नक्शा इसके भू-राजनीतिक परिदृश्य की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है। राज्य में क्षेत्रीय परिवर्तनों का एक समृद्ध इतिहास है, और इसकी सीमाएँ ऐतिहासिक, प्रशासनिक और विकासात्मक कारकों के कारण समय के साथ विकसित हुई हैं। हालाँकि इन परिवर्तनों का शासन, सीमा विवाद और शहरीकरण पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन ये बेहतर प्रशासन और विकास के अवसर भी प्रदान करते हैं।
जैसे-जैसे राजस्थान का विकास और विकास जारी है, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन परिवर्तनों के निहितार्थों पर विचार करें और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें।
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saathi · 2 years ago
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junghaesin ने पूछा:
क्या लिगेसी एडिटर को विकल्प के तौर पर रखे जाने की कोई संभावना है? हम कंटेंट क्रिएटर के लिए, ये नया एडिटर हमारे gif/बदलावो��/कला की क्वालिटी को पूरी तरह बर्बाद कर देता है. हम अपनी रचनाओं को बेहतरीन बनाने के लिए अपना कीमती वक्त लगाते हैं. लेकिन हमें एक ऐसे एडिटर का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो हमारी इन्हीं रचनाओं की क्वालिटी को ख़राब कर देता है. इससे वाकई परेशानी हो रही है.
जवाब: नमस्ते, @junghaesin!
हमें लिखने के लिए धन्यवाद. और उन सभी को भी धन्यवाद जिन्होंने हमारे साथ इसी तरह का फ़ीडबैक शेयर किया है.
तो, tl;dr—दरअसल ये ब्लॉग थीम से जुड़ी समस्या है. आपकी थीम आपको नए एडिटर में बनाई गई पोस्ट में इमेज उस ढंग से नहीं दिखा रही है जैसा आप उम्मीद करते हैं.
लिगेसी एडिटर या नए एडिटर के ज़रिये अपलोड किए गए GIF को दरअसल एक जैसे तरीके से प्रोसेस किया जाता है. इनके बीच ना तो बिट डेप्थ  के और ना ही रेज़ल्युशन के लिहाज़ से कोई फ़र्क रहता है. आप Tumblr डैशबोर्ड में अपनी पोस्ट पर नज़र डालकर ये चीज़ देख सकते हैं (उदा. yourblog.tumblr.com/post/id के बजाय tumblr.com/yourblog/id पर जाएँ). 
आपको क्वालिटी में अंतर इसलिए दिखाई पड़ता है क्योंकि पुरानी ब्लॉग थीम, नए एडिटर से बनाई गई पोस्ट को टेक्स्ट पोस्ट मानती हैं. ये थीम अक्सर टेक्स्ट पोस्ट के पूरे कंटेंट के साथ-साथ उसमें दिखने वाली इमेज के चारों तरफ़ भी एक पैडिंग जोड़ देती हैं. अगर आपकी थीम आपकी पोस्ट को 540px चौड़ी पोस्ट के तौर पर पेश करती है, तो उस अतिरिक्त पैडिंग के साथ  टेक्स्ट पोस्ट में आपकी इमेज के लिए दरअसल 540px से कम जगह उपलब्ध होती है.  और नतीजा ये होता है कि ब्राउज़र आपकी इमेज को फ़िट करने के लिए उसे ��ोटा कर देता है और ऐसा होने पर इमेज की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है.
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यह इमेज नए एडिटर से पोस्ट की गई है और पुरानी थीम पर डिस्प्ले हो रही है. यहाँ ब्राउज़र ने इमेज को छोटा कर दिया है, क्योंकि यह एक "टेक्स्ट पोस्ट" है और इस थीम में टेक्स्ट पोस्ट के लिए पैडिंग है, जिसके चलते कंटेंट के लिए मौजूद चौड़ाई कम हो जा रही है.
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यह इमेज नए एडिटर से पोस्ट की गई है और एक नई थीम (Vision) पर डिस्प्ले हो रही है. यह थीम सिर्फ़ टेक्स्ट पर पैडिंग करती है, इसलिए इमेज पोस्ट की पूरी चौड़ाई में दिखती है.
इसका हल ये है—आप किसी और आधुनिक, सबसे नई थीम पर अपडेट करें, जैसे कि विज़न या स्टीरियो. थीम डेवलपर @eggdesign ने एक थीम टेम्पलेट भी बनाया जो नई पोस्ट के साथ काम करता है जिन्हें आप बड़ी आसानी से बना सकते हैं. ये आधुनिक थीम पूरी पोस्ट के बजाय सिर्फ़ टेक्स्ट ब्लॉक पर पैडिंग लगाती हैं, इसलिए इमेज ब्लॉक पर कोई पैडिंग नहीं होती और उन्हें उनकी पूरे 540px चौड़ाई के साथ सर्व किया जाता है, बिल्कुल डैशबोर्ड की तरह. जहाँ तक हमने देखा है, इससे ब्लॉग पर जो GIF की क्वालिटी से जुड़ी समस्याएँ दिखाई देती हैं, वो सभी ठीक हो जाती हैं.
हमें पता है. अपनी थीम बदलने में बहुत मेहनत लगती है. आने वाले समय में, हम इस बदलाव को आसान बनाने के तरीके ढूँढने वाले हैं—उदाहरण के लिए, आपको उन थीम की पहचान करने में मदद करना जो थीम समूह में नई पोस्ट के साथ बढ़िया काम करती हैं. लेकिन आगे बढ़ने के लिए नई पोस्ट के साथ काम करना होगा—नई पोस्ट जिस फ़ॉर्मेट का इस्तेमाल करती हैं वो भविष्य में बहुत सारे अवसर खोलने वाला है.
आप नए एडिटर से पोस्ट में पोस्ट प्रकार क्यों नहीं जोड़ सकते? क्यों ना नई पोस्ट को टेक्स्ट पोस्ट के बजाय फ़ोटो पोस्ट के तौर पर सर्व किया जाए?
नया पोस्ट एडिटर एक नए पोस्ट फ़ॉर्मेट का इस्तेमाल करता है जिसे Neue पोस्ट फ़ॉर्मेट (NPF) कहते हैं. पोस्ट में कौन सा कंटेंट हो सकता है, इस बारे में लचीलेपन के मामले में NPF ने हमें काफ़ी बढ़ावा दिया है—आपको वो समय याद है जब आप रीब्लॉग में इमेज तक अपलोड नहीं कर पाते थे? या किस तरह पुराने चैट और विचार पोस्ट जादूई ढंग से लेखक बदल देते हैं? NPF ने इन चीज़ों को ठीक करने में हमारी मदद की. इसने सीमाएँ हटा दीं—पोस्ट प्रकारों से जुड़ी सीमा भी, जो हर पोस्ट को एक ख़ास प्रकार के कंटेंट तक सीमित कर देती है.
लेकिन अब भी मौजूदा ब्लॉग थीम के पास इन पोस्ट को डिसप्ले करने की ताकत होनी ज़रूरी है. NPF पोस्ट कहीं भी मीडिया शामिल कर सकती हैं (जबकि ज़्यादातर पुराने पोस्ट प्रकारों में मीडिया के लिए एक कठोर ढांचा होता है), इसलिए हमारे लिए सबसे सुरक्षित तरीका यही था कि NPF पोस्ट को सबसे कम सीमित पोस्ट प्रकार यानी टेक्स्ट प्रकार के तौर पर श्रेणीबद्ध किया जाए. इन पोस्ट को मौजूदा ब्लॉग थीम के साथ उल्टा-संगत बनाने के लिए हमारे पास बस यही सबसे बढ़िया तरीका है.
पोस्ट प्रकारों की जगह हमने हर पोस्ट के लिए एक {NPF} थीम वेरिएबल जोड़ दिया है जिनका कस्टम थीम फ़ायदा उठा सकती हैं. इस नए डेटा का फ़ायदा उठाने के लिए थीम डेवलपर को अपनी थीम अपडेट करनी होंगी ताकि वो पोस्ट के HTML आउट��ुट पर पूरा नियंत्रण बनाए रख सकें.
आप इन फ़ैसलों और Neue पोस्ट फ़ॉर्मेट विनिर्देशों के बारे में ज़्यादा यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं.
आपके फ़ीडबैक के लिए धन्यवाद और इन्हें भेजते रहें!
सप्रेम,
—Tumblr WIP टीम
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superharyananewss · 1 day ago
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 जिला स्तर पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत किया जाएगा कार्य : प्रदीप सिंह मलिक
नूंह जिला के विकास के लिए पीएम गति शक्ति पोर्टल लॉन्च
गति शक्ति के डिजिटल ढांचे से बुनियाद ढांचा परियोजनाओं की दक्षता और पारदर्शिता में हुआ है सुधार 
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chettinad01 · 4 days ago
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OPC 53 ग्रेड सीमेंट: मुख्य विशेषताएँ और उपयोग
OPC 53 ग्रेड सीमेंट एक उच्च-प्रदर्शन सीमेंट है, जो अपनी मजबूती, तेज़ सेटिंग टाइम और टिकाऊपन के लिए निर्माण में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह 28 दिनों में 53 MPa (मेगापास्कल्स) का संपीड़न (कॉम्प्रेसिव) बल प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह उन प्रोजेक्ट्स के लिए आदर्श है जहाँ मजबूत और दीर्घकालिक कंक्रीट की आवश्यकता होती है।
OPC 53 ग्रेड सीमेंट की मुख्य विशेषताएँ:
1.उच्च ताकत: OPC 53 ग्रेड सीमेंट अद्भुत संपीड़न बल प्रदान करता है, यही कारण है कि इसका उपयोग उन संरचनाओं में किया जाता है जिन्हें भारी लोड सहन करना होता है, जैसे कि उच्च इमारतें और पुल।
2.तेज़ सेटिंग समय: यह सीमेंट अन्य निम्न-ग्रेड सीमेंट्स की तुलना में तेज��� से सेट होता है, जिससे पूरी निर्माण प्रक्रिया तेज़ होती है। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब परियोजना को जल्दी पूरा करने की आवश्यकता हो।
3.टिकाऊपन: यह नमी, रसायनों और तापमान परिवर्तन के प्रति बेहतरीन प्रतिरोध प्रदान करता है, जिससे इसके साथ बनाई गई संरचनाओं का जीवनकाल लंबा होता है और रखरखाव की आवश्यकता कम होती है।
4.बेहतर कार्यशीलता: OPC 53 ग्रेड सीमेंट को संभालना, मिलाना और डालना आसान होता है, जिससे निर्माण प्रक्रिया सुचारू रहती है और अंतिम संरचना में कम दोष होते हैं।
5.निरंतर गुणवत्ता: कठोर गुणवत्ता नियंत्रण के तहत निर्मित OPC 53 ग्रेड सीमेंट विभिन्न बैचों में समान बल और प्रदर्शन सुनिश्चित करता है, जिससे यह बड़े पैमाने के प्रोजेक्ट्स के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनता है।
OPC 53 ग्रेड सीमेंट के उपयोग:
•उच्च-इमारतें •बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ •औद्योगिक संरचनाएँ •प्रीकास्ट कंक्रीट •आवासीय निर्माण
OPC 53 ग्रेड सीमेंट क्यों चुनें? OPC 53 ग्रेड सीमेंट उन परियोजनाओं के लिए आदर्श है जहाँ ताकत और टिकाऊपन सर्वोपरि होते हैं। इसका उच्च संपीड़न बल, तेज़ सेटिंग समय और कठोर परिस्थितियों के प्रति प्रतिरोध इसे निर्माणकर्ताओं के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनाता है, चाहे वह उच्च इमारतें, सड़कें, या आवासीय घर हों। हालांकि, यह अन्य सीमेंट प्रकारों की तुलना में कुछ महंगा हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ, जैसे कम रखरखाव लागत और मजबूत संरचनाएँ, इसे एक मूल्यवान निवेश बनाते हैं।
निष्कर्ष के तौर पर, OPC 53 ग्रेड सीमेंट गुणवत्ता और विश्वसनीयता प्रदान करता है, जिससे यह निर्माण उद्योग में सबसे विश्वसनीय सामग्रियों में से एक बनता है। चाहे आप एक जटिल बुनियादी ढांचा परियोजना बना रहे हों या एक साधारण आवासीय घर, यह सीमेंट सुनिश्चित करता है कि आपकी संरचना समय की कसौटी पर खरी उतरेगी।
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chettinadcementsdealers · 4 days ago
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OPC 53 ग्रेड सीमेंट: मुख्य विशेषताएँ और उपयोग
OPC 53 ग्रेड सीमेंट एक उच्च-प्रदर्शन सीमेंट है, जो अपनी मजबूती, तेज़ सेटिंग टाइम और टिकाऊपन के लिए निर्माण में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह 28 दिनों में 53 MPa (मेगापास्कल्स) का संपीड़न (कॉम्प्रेसिव) बल प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह उन प्रोजेक्ट्स के लिए आदर्श है जहाँ मजबूत और दीर्घकालिक कंक्रीट की आवश्यकता होती है।
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OPC 53 ग्रेड सीमेंट की मुख्य विशेषताएँ:
उच्च ताकत: OPC 53 ग्रेड सीमेंट अद्भुत संपीड़न बल प्रदान करता है, यही कारण है कि इसका उपयोग उन संरचनाओं में किया जाता है जिन्हें भारी लोड सहन करना होता है, जैसे कि उच्च इमारतें और पुल।
तेज़ सेटिंग समय: यह सीमेंट अन्य निम्न-ग्रेड सीमेंट्स की तुलना में तेजी से सेट होता है, जिससे पूरी निर्माण प्रक्रिया तेज़ होती है। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब परियोजना को जल्दी पूरा करने की आवश्यकता हो।
टिकाऊपन: यह नमी, रसायनों और तापमान परिवर्तन के प्रति बेहतरीन प्रतिरोध प्रदान करता है, जिससे इसके साथ बनाई गई संरचनाओं का जीवनकाल लंबा होता है और रखरखाव की आवश्यकता कम होती है।
बेहतर कार्यशीलता: OPC 53 ग्रेड सीमेंट को संभालना, मिलाना और डालना आसान होता है, जिससे निर्माण प्रक्रिया सुचारू रहती है और अंतिम संरचना में कम दोष होते हैं।
निरंतर गुणवत्ता: कठोर गुणवत्ता नियंत्रण के तहत निर्मित OPC 53 ग्रेड सीमेंट विभिन्न बैचों में समान बल और प्रदर्शन सुनिश्चित करता है, जिससे यह बड़े पैमाने के प्रोजेक्ट्स के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनता है।
OPC 53 ग्रेड सीमेंट के उपयोग:
उच्च-इमारतें
बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ
औद्योगिक संरचनाएँ
प्रीकास्ट कंक्रीट
आवासीय निर्माण
OPC 53 ग्रेड सीमेंट क्यों चुनें? OPC 53 ग्रेड सीमेंट उन परियोजनाओं के लिए आदर्श है जहाँ ताकत और टिकाऊपन सर्वोपरि होते हैं। इसका उच्च संपीड़न बल, तेज़ सेटिंग समय और कठोर परिस्थितियों के प्रति प्रतिरोध इसे निर्माणकर्ताओं के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनाता है, चाहे वह उच्च इमारतें, सड़कें, या आवासीय घर हों। हालांकि, यह अन्य सीमेंट प्रकारों की तुलना में कुछ महंगा हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ, जैसे कम रखरखाव लागत और मजबूत संरचनाएँ, इसे एक मूल्यवान निवेश बनाते हैं।
निष्कर्ष के तौर पर, OPC 53 ग्रेड सीमेंट गुणवत्ता और विश्वसनीयता प्रदान करता है, जिससे यह निर्माण उद्योग में सबसे विश्वसनीय सामग्रियों में से एक बनता है। चाहे आप एक जटिल बुनियादी ढांचा परियोजना बना रहे हों या एक साधारण आवासीय घर, यह सीमेंट सुनिश्चित करता है कि आपकी संरचना समय की कसौटी पर खरी उतरेगी। Facebook:Chettinad Cement Twitter:Chettinad Cement Instagram:Chettinad Cement
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uttarpradeshdev · 2 months ago
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बुनियादी ढांचे का विकास में यूपी ने गढ़ा नया आयाम
 बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में उत्तर प्रदेश ने पिछले सात वर्षों में नए आयाम गढ़े हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के दूरदर्शी विजन का असर ही है कि उत्तर प्रदेश आज देश में सबसे ज्यादा हाईवे और एयरपोर्ट वाला राज्य बन गया है। कनेक्टीविटी के मामले में  उत्तर प्रदेश आज देश ही नहीं दुनिया में स्थान बना रहा है।  योगी सरकार ने बुनियादी ढांचा प्रबंधन यूपी में नया आयाम स्थापित किया है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की वजह से उत्तर प्रदेश निवेशकों का भी पसंदीदा गंत्वय बना है। प्रदेश की कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता के आधार पर सुदृढ़ किया गया है। 
वर्ष 2017 से पूर्व दंगा प्रदेश के रूप में पहचाना जाने वाले उत्तर प्रदेश में योगीराज के दौरान थल, जल और नभ में इंफ्रास्ट्रक्चर में उल्लेखनीय वृद्धि ��र्ज की है। बहुत जल्द यूपी 21 एयरपोर्ट वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के बाद गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस की शुरुआत होने जा रही है। बलिया लिंक एक्सप्रेसवे भी बन रहा है। चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है। प्रयागराज महाकुंभ से पहले दिसंबर 2024 में गंगा एक्सप्रेस को शुरू कर दिया जाएगा। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में फोर लेन की 1235 प्रोजेक्ट को पिछले सात साल में आगे बढ़ाया गया है। 
 प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष  2024-25 के बजट खर्चे का 5वां हिस्सा बुनियादी ढांचे के विकास लिए आवंटित किया है।  बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और जन कल्याणकारी योजनाओं के मामले में उत्तर प्रदेश नए भारत के निर्माण में एक नई शुरुआत कर रहा है। पहले उत्तर प्रदेश को लैण्डलॉक्ड स्टेट कहा जाता था। आज वाराणसी से हल्दिया के बीच इनलैण्ड वॉटर-वे का उपयोग प्रारम्भ कर दिया गया है। प्रदेश में इनलैण्ड वॉटर-वे अथॉरिटी गठित करने के पश्चात अयोध्या को भी हल्दिया के साथ जोड़ने की तैयारी प्रारम्भ कर दी गई है।
यूपी में शहरी बुनियादी ढांचा के लिए बनाए गए ये  तमाम एक्सप्रेस-वे  भविष्य में उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों और निर्यात केंद्रों को जोड़ेंगे। जिससे कि आम आदमी को कम समय में बेहतर व आरामदेह सफर की सुविधा देने के साथ-साथ माल ढुलाई में भी मदद करेगा। उत्तर प्रदेश में आज लगभग 4 लाख किमी से अधिक का सड़क नेटवर्क और 11 हजार किमी का राजमार्ग नेटवर्क है। प्रदेश में देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भी है जो लगभग 9000 किमी से अधिक का है। 
बुनियादी ढांचा परियोजनाओं  के तहतअउत्तर प्रदेश ने दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कोरिडोर (डीएमआईस���) और पूर्वी समर्पित फ्रेट कोरिडोर (ईडीएफसी) जैसे इंडस्ट्रियल कोरिडोर को सक्रिय तौर पर प्रोत्साहित किया है। इन कोरिडोरों का उद्घाटन औद्योगिक विकास के लिए प्रेरणा स्रोत, निवेशों को आकर्षित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने का कार्य करते हैं।
डूइंग बिजनेस सुविधाओं और एकल खिड़की स्वीकृति प्रक्रियाओं ने ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाया है, जिससे उत्तर प्रदेश निवेशकों के लिए और भी आकर्षक स्थल बन गया है। पिछले दशकों में उत्तर प्रदेश की पहचान एक बीमारू राज्य के रुप में होती थी लेकिन अब सूरत पूरी तरह से बदल चुकी है।  वर्तमान योगी सरकार ने पिछले छह सालों में विकास के अनेकों ऐसे कार्य किए हैं जिसके चलते इसकी पहचान तेजी से विकसित हो रहे प्रदेश की ��न चुकी है।
यूपी में शहरी बुनियादी ढांचा के विकास  के क्रम में बिजली की निर्वाध आपूर्ति के लिए उत्पादन बढ़ाने पर भरपूर जोर दिया गया है । जिससे फलस्वरूप आपूर्ति व्यवस्था में सुधार हुआ है ।  ओरा की 660 मेगावाट की एक यूनिट उत्पादन शुरू करने जा रही है । इसी तरह जवाहर तापीय परियोजना में निर्माणाधीन 660 मेगावाट की दो इकाइयां भी इसी साल उत्पादन शुरू करेगी । वहीं कानपुर स्थित पनकी तापीय परियोजना में 660 मेगावाट की एक यूनिट भी इस साल दिसंबर में शुरू होने वाली है । 
गाजियाबाद, लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा, कानपुर  के बाद आगरा में मेट्रो का संचालन हो रहा  छह जिलों में मेट्रो की सुविधाएं देने वाले उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है। 72.26 किलोमीटर लंबा रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर गाजियाबाद के आरआरटीएस और बनने वाले जेवर एयरपोर्ट को जोड़ेगा ।  दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर का शुभारंभ हो चुका है। इससे  दिल्ली से मेरठ तक पहुंचना अब ज्यादा सुगम और सुविधाजनक हो गया है। इन प्रयासों से  कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में सकारात्मक परिणाम आएं हैं।
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thefrontnewspaper · 9 days ago
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श्री अमरनाथजी गुफा में 5 लाइनों का नया ढांचा #breakingnews #amarnathgufa
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zabaloon · 9 days ago
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Reconstruction of the nation
By Human Events
BlackRock said Ukraine needs a “development finance bank” that would provide the country with infrastructure, climate and agricultural opportunities. This would apparently make them more attractive to other long-term investors.
ब्लैकरॉक ने कहा कि यूक्रेन को एक "विकास वित्त बैंक" की आवश्यकता है जो देश को बुनियादी ढांचा, जलवायु और कृषि अवसर प्रदान करेगा। इससे जाहिर तौर पर वे अन्य दीर्घकालिक निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन जाएंगे।
В BlackRock заявили, что Украине нужен «банк финансирования развития», который обеспечит страну инфраструктурой, климатом и возможностями для сельского хозяйства. Это, по-видимому, сделает их более привлекательными для других долгосрочных инвесторов.
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rightnewshindi · 11 days ago
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लिव-इन रिलेशन पर बड़ी टिप्पणी, कहा, समाज के नैतिक मूल्यों को बचाना जरूरी
#News इलाहाबाद हाई कोर्ट की लिव-इन रिलेशन पर बड़ी टिप्पणी, कहा, समाज के नैतिक मूल्यों को बचाना जरूरी
Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन रिश्तों को समाजिक स्वीकृति नहीं है, फिर भी युवाओं ��ें इनकी ओर आकर्षण बढ़ रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह समय है जब समाज को एक ऐसा ढांचा ढूंढने की जरूरत है, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों को बचाया जा सके। न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि हम एक बदलते समाज में रहते हैं, जहां…
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ainnewsone · 12 days ago
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वक्फ संशोधन बिल 2024 पर JPC बैठक में हंगामा: विपक्ष ने किया विरोध?
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वक्फ संशोधन बिल 2024: JPC की बैठक में हंगामा, विपक्ष के 10 सांसद एक दिन के लिए सस्पेंड Waqf Amendment Bill 2024: JPC Meeting Chaos, 10 MPs Suspended AIN NEWS 1: दिल्ली में शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में भारी हंगामा हुआ। यह बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई, लेकिन बहस और शोर-शराबे के कारण कुछ समय के लिए रोकनी पड़ी। बैठक के दौरान, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उन्हें ड्राफ्ट में किए गए संशोधनों पर शोध करने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया। मीरवाइज उमर फारूक के विचार सुनने पर बहस बैठक में कश्मीर के धार्मिक प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल को बुलाने पर बहस छिड़ गई। विपक्ष का कहना था कि BJP इस विधेयक पर जल्दबाजी में काम कर रही है ताकि दिल्ली चुनावों से पहले इसे संसद में पेश किया जा सके। हंगामे के बीच, TMC सांसद कल्याण बनर्जी और कांग्रेस के नसीर हुसैन ने बैठक छोड़ दी। 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड, बैठक का माहौल गरमाया जेपीसी ने 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया। TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे "तमाशा" करार दिया। दूसरी ओर, समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि 31 जनवरी को संसद के बजट सत्र के दौरान रिपोर्ट पेश की जाएगी। विपक्ष का आरोप: बैठक की तारीख जल्दबाजी में तय विपक्ष ने बैठक की तारीखों को लेकर आपत्ति जताई। DMK सांसद ए राजा ने जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर 24-25 जनवरी की बैठक स्थगित करने की मांग की। उनका तर्क था कि जेपीसी का दौरा 21 जनवरी को ही समाप्त हो गया था, फिर भी बैठक जल्दबाजी में रखी गई। वक्फ बिल: पुराने और नए कानून में मुख्य अंतर वक्फ एक्ट 1995 में बदलावों को लेकर विपक्ष और ��रकार के बीच मतभेद साफ हैं। नए बिल में पारदर्शिता और कानूनी सुधार पर जोर दिया गया है। पुराने वक्फ कानून की खामियां: 1. वक्फ बोर्ड के दावे को केवल ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती थी। 2. ट्रिब्यूनल के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की अनुमति नहीं थी। 3. किसी संपत्ति पर मस्जिद बनी हो, तो वह स्वतः वक्फ संपत्ति मानी जाती थी। 4. वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्मों के सदस्यों की एंट्री नहीं थी। नए वक्फ बिल के मुख्य प्रावधान: 1. अब दावे को ट्रिब्यूनल, राजस्व अदालत, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। 2. ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। 3. मस्जिद बनी संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक वह दान में न दी गई हो। 4. वक्फ बोर्ड में 2 महिलाएं और अन्य धर्म के 2 सदस्य होंगे। वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य 1995 के वक्फ एक्ट को मिसमैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी। नए बिल का उद्देश्य: संपत्तियों का डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट और पारदर्शिता, अवैध कब्जों को हटाने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना। JPC की बैठकें और कार्यवाही जेपीसी की पहली बैठक 22 अगस्त 2024 को हुई थी। अकेले दिल्ली में अब तक 34 बैठकें हो चुकी हैं। शीतकालीन सत्र में समिति का कार्यकाल बढ़ाया गया, और बजट सत्र में रिपोर्ट पेश की जाएगी। https://www.youtube.com/live/9lXDzoMqju0?si=hKgkNa7YDJyyrr7v The Waqf Amendment Bill 2024 aims to address corruption, mismanagement, and encroachments in Waqf properties by introducing digitization, transparency, and legal reforms. The Joint Parliamentary Committee (JPC) has faced opposition over the lack of time given for reviewing amendments. Key changes include allowing appeals to High Courts and ensuring inclusivity with women and members from other religions in the Waqf Board. Read the full article
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