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#ड्रैगन उम्र 4
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अंगूर Juice Benefits in Hindi
अंगूर का जूस कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यहां अंगूर के जूस के प्रमुख लाभों की सूची दी गई है:
1. हृदय स्वास्थ्य
कोलेस्ट्रॉल कम करना: अंगूर का जूस उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट्स: इसमें मौजूद रेस्वेराट्रोल और फ्लेवोनॉयड्स दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
2. पाचन में सुधार
पाचन शक्ति: अंगूर का जूस पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
फाइबर: जूस में कुछ मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन में सहायक होता है।
3. त्वचा के लाभ
त्वचा की चमक: अंगूर का जूस त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को निखारते हैं।
एंटी-एजिंग: एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं और झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं।
4. ऊर्जा और ताजगी
स्वाभाविक ऊर्जा: अंगूर का जूस शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है। यह थकावट और कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।
हाइड्रेशन: अंगूर का जूस शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और पानी की कमी को पूरा करता है।
5. मस्तिष्क स्वास्थ्य
मानसिक स्पष्टता: अंगूर का जूस मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स मस्तिष्क को स्वस्थ रखते हैं और संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली को बढ़ाते हैं।
6. आँखों की सेहत
विटामिन C और ए: अंगूर का जूस आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें विटामिन C और ए होता है, जो दृष्टि सुधारने में मदद करता है।
7. रोग प्रतिकारक क्षमता
इम्यून सिस्टम: अंगूर का जूस शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को मजबूत करता है। इसमें विटामिन C और अन्य पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।
8. शरीर से विषाक्त पदार्थों का नाश
डिटॉक्सिफिकेशन: अंगूर का जूस शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है और शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है।
9. कैंसर से बचाव
एंटी-कैंसर गुण: अंगूर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और पॉलीफेनोल्स कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
10. हड्डियों की मजबूती
विटामिन K: अंगूर का जूस हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए विटामिन K प्रदान करता है, जो हड्डियों की सुरक्षा और मजबूती में सहायक होता है।
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lok-shakti · 3 years
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बायोवेयर मास इफेक्ट, ड्रैगन एज पर अपडेट प्रदान करता है
बायोवेयर मास इफेक्ट, ड्रैगन एज पर अपडेट प्रदान करता है
एक स्टूडियो ब्लॉग पोस्ट में, बायोवेयर के महाप्रबंधक गैरी मैकके ने मास इफेक्ट और ड्रैगन एज के अपने बहुप्रतीक्षित सीक्वल के लिए संक्षिप्त विकास अपडेट प्रदान किए हैं। अपने ऑनलाइन थर्ड-पर्सन शूटर, एंथम के रॉकी लॉन्च के बाद, कंपनी अब अपनी प्रतिष्ठा के पुनर्निर्माण और अपने प्रशंसकों और समुदाय के “विश्वास का निर्माण” करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। मैकके महामारी की चुनौतियों पर प्रकाश डालता है और…
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khabaruttarakhandki · 4 years
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चीन से तनाव के बीच राहुल गांधी ने शेयर किया ‘मोदी vs मनमोहन’ ग्राफ
rahul on india and china dispute: राहुल गांधी ने भारत-चीन तनाव के बीच पीएम मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का ग्राफ शेयर करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है। बता दें कि राहुल पिछले कई दिनों से ट्विटर के जरिए मोदी सरकार को घेर रहे हैं।
Edited By Satyakam Abhishek | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 30 Jun 2020, 10:22:00 AM IST
भारत उन देशों में से हैं जहां इंटरनेट के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। यहां 80 करोड़ से ज्‍यादा कंज्‍यूमर्स हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्‍मार्टफोन यूजर्स 25 सााल या उससे कम उम्र के हैं। 59 चीनी ऐप्‍स को बंद करके भारत ने न सिर्फ अपने इरादे जाहिर किए हैं, बल्कि चीन को साफ संदेश दिया है। TikTok भारत में सबसे ज्‍यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप है। इसके 12 करोड़ से भी ज्‍यादा ऐक्टिव यूजर्स थे। यह उन इलाकों में युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय थी जो आमतौर पर आधुनिक सुविधाओं से अछूते हैं। TikTok पर मौजूद 30% वीडियो भारतीय यूजर्स बनाते हैं। भारतीय युवा इन चीनी ऐप्‍स पर अच्‍छा-खासा समय बिताते थे यानी चीन इनके सामने जैसा चाहता, वैसा कंटेंट परोस सकता था। भारत ने बैन लगाकर इन चीनी ऐप्‍स के लिए एक बहुत बड़े मार्केट के दरवाजे बंद कर दिए हैं।यह भी पढ़ें- चीन के 59 ऐप बैन से भारत को कैसे नुकसान?
हाइलाइट्स
भारत-चीन में चल रहे तनाव के बीच राहुल का मोदी सरकार के खिलाफ एक और ट्वीट
राहुल ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बनाम पीएम मोदी का एक ग्राफ शेयर किया
बता दें कि राहुल चीन को लेकर लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं
हालांकि राहुल को विपक्ष यहां तक कि सहयोगी दलों का भी साथ नहीं मिल रहा है
नई दिल्ली भारत और चीन के बीच चल रही तनातनी को लेकर राहुल गांधी लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेर रहे हैं। वह हर रोज ट्विटर के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। चीन के 59 ऐप को भारत में बैन करने के सरकार के आदेश के अगले ही दिन राहुल ने एक अन्य ट्वीट से मोदी सरकार पर हमला किया है। बता दें कि पीएम मोदी आज शाम 4 बजे देश को संबोधित करने वाले हैं। उससे पहले ही राहुल ने ट्वीट वार किया है। राहुल ने आज ट्वीट कर यूपीए सरकार के दौरान चीन से होने वाले व्यापार और सामान खरीदने का तुलनात्मक ग्राफ शेयर किया है। राहुल ने ग्राफ में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान चीन से खरीदे जाने वाले सामनों का तुलनात्मक ग्राफ शेयर किया है।
राहुल गांधी (फाइल फोटो)
राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘आंकड़े झूठ नहीं बोलते। बीजेपी कहती है। मेक इन इंडिया और बीजेपी करती है। चीन से खरीदो ( Buy from China)।’ राहुल लगातार कर रहे हैं मोदी सरकार हमला बताा दें कि राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने भारतीय क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने यह बयान प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद दिया था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है। बता दें कि 15-16 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में एक अधिकारी सहित 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। तब से कांग्रेस लगातार सरकार पर निशाना साध रही है। तब राहुल ने ट्वीट किया था, ‘प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रमण के बाद भारतीय क्षेत्र को आत्मसमर्पित कर दिया है। अगर भूमि चीन की थी, तो हमारे सैनिक क्यों मारे गए हैं? वे कहां मारे गए हैं?
युवाओं पर ड्रैगन का असर नहीं पड़ने देना चाहता भारत
भारत उन देशों में से हैं जहां इंटरनेट के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। यहां 80 करोड़ से ज्‍यादा कंज्‍यूमर्स हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्‍मार्टफोन यूजर्स 25 सााल या उससे कम उम्र के हैं। 59 चीनी ऐप्‍स को बंद करके भारत ने न सिर्फ अपने इरादे जाहिर किए हैं, बल्कि चीन को साफ संदेश दिया है। TikTok भारत में सबसे ज्‍यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप है। इसके 12 करोड़ से भी ज्‍यादा ऐक्टिव यूजर्स थे। यह उन इलाकों में युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय थी जो आमतौर पर आधुनिक सुविधाओं से अछूते हैं। TikTok पर मौजूद 30% वीडियो भारतीय यूजर्स बनाते हैं। भारतीय युवा इन चीनी ऐप्‍स पर अच्‍छा-खासा समय बिताते थे यानी चीन इनके सामने जैसा चाहता, वैसा कंटेंट परोस सकता था। भारत ने बैन लगाकर इन चीनी ऐप्‍स के लिए एक बहुत बड़े मार्केट के दरवाजे बंद कर दिए हैं।यह भी पढ़ें- चीन के 59 ऐप बैन से भारत को कैसे नुकसान?
TikTok के अलावा Helo और Likee जैसे सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स खासे मशहूर हैं। Bigo Live उन यूजर्स के बीच पॉपुलर हैं जो अंग्रेजी में कम्‍फर्टेबल नहीं हैं। जब ये यूजर्स अचानक से चीनी ऐप्‍स यूज करना बंद कर देंगे तो उन्हें रेवेन्‍य का अच्‍छा-खासा नुकसान होगा। अधिकतर ऐप्‍स कमाई के लिए यूजर्स को बीच-बीच में ऐड दिखाती हैं। अगर बड़ा यूजरबेस ही गायब हो जाए तो ऐड से आने वाली रेवेन्‍यू पर हिट होगा।
चीनी ऐप्‍स पर बैन लगाने से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो यूजर्स उन ऐप्‍स को यूज करते थे, उन्‍हें अब विकल्‍प ढूंढने होंगे जो मार्केट में कम नहीं हैं। दूसरी बात, इस बैन के चलते कई भारतीय डेवलपर्स ऐप्‍स बनाने के लिए उत्‍साहित होंगे। कई ने तो अपने ऐप्‍स में ‘मेक इन इंडिया’ लिखना शुरू भी कर दिया है।
भारत सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी होगी जिसमें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से इन ऐप्‍स को ब्‍लॉक करने के लिए कहा जाएगा। ऐप के यूजर्स को जल्‍द ही स्‍क्रीन पर मैसेज दिखने लगेगा कि सरकार के निर्देश पर ऐप का एक्‍सेस रोका गया है। गूगल प्‍ले स्‍टोर और ऐप्‍पल के ऐप स्‍टोर पर भी यही मैसेज दिखेगा। हालांकि, उन ऐप्‍स का इस्‍तेमाल जारी रह सकता है जिन्‍हें ऐक्टिव इंटरनेट कनेक्‍शन की जरूरत नहीं है। हालांकि इन ऐप्‍स को अब भारत में डाउनलोड नहीं किया जा सकेगा।
सरकार ने आईटी ऐक्‍ट की धारा 69A का इस्‍तेमाल करते हुए इन ऐन्‍स पर बैन लगाया है।
राहुल को विपक्ष का नहीं मिल रहा साथ राहुल के आरोपों को न तो सरकार के विपक्षियों को साथ मिल रहा है और न ही कांग्रेस के सहयोगी ही साथ देने के लिए तैयार हैं। सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है चीन के मुद्दे पर देश की प्रमुख पार्टियों को एक-दूसरे के साथ खींचतान नहीं करनी चाहिए। इस आपसी लड़ाई में सबसे ज्यादा देश की जनता का नुकसान हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि इस मुद्दे पर उनकी पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी है।
Web Title tension between india and china rahul gandhi share modi vs manmohan graph(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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gethealthy18-blog · 5 years
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ड्रैगन फ्रूट के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान – Dragon Fruit Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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ड्रैगन फ्रूट के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान – Dragon Fruit Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 July 22, 2019
फलों का सेवन सभी करते हैं, लेकिन आज हम जिस फल के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसके बारे में शायद ही आपने कुछ पढ़ा या सुना हो। हम बात कर रहे हैं ड्रैगन फ्रूट के बारे में। बता दें इसके रंग रूप को देखते हुए ही इसे यह नाम दिया गया है। लेकिन यकीन मानिए यदि आप इसके गुणों और फायदों के बारे में जानेंगे तो खुद को इसे खाने से रोक नहीं पाएंगे। स्टाइल क्रेज के इस लेख में हम ड्रैगन फ्रूट के फायदे और इसके उपयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे।
ड्रैगन फ्रूट के गुणों और उपयोग के बारे में जानने से पहले जरूरी होगा कि ड्रैगन फ्रूट क्या है, इस बारे में थोड़ा अच्छे से जान लें।
विषय सूची
ड्रैगन फ्रूट क्या है – What is Dragon Fruit in Hindi
ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस अंडटस है। यह दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है। यह एक किस्म की बेल पर लगने वाला फल है, जो कैक्टेसिया फैमिली से संबंधित है। इसके तने गूदेदार और रसीले होते हैं। खास यह है कि इसके फूल बहुत ही सुगन्धित होते हैं, जो रात में ही खिलते हैं और सुबह होने तक झड़ जाते हैं। इसके गुणों और फायदों को देखते हुए अब इसे पटाया, क्वींसलैंड, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स में भी उगाया जाने लगा है। इसका उपयोग सलाद, मुरब्बा, जेली और शेक बनाकर किया जा सकता है(1)।
ड्रैगन फ्रूट क्या है इस बारे में जानने के बाद आगे लेख में हम बात करेंगे ड्रैगन फ्रूट के फायदे के बारे में।
ड्रैगन फ्रूट के फायदे – Benefits of Dragon Fruit in Hindi
ड्रैगन फ्रूट खाने में जितना स्वादिष्ट है, उससे अधिक उसके उपयोग से होने वाले फायदे हैं। बता दें ड्रैगन फ्रूट में ऐसे ढेंरों गुणकारी पोषक तत्व पाएं जाते हैं, जिनका इस्तेमाल त्वचा, बाल और स्वास्थ्य से संबंधित कई जटिल समस्याओं से निजात पाने के लिए किया जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट के उपयोग और उनसे होने वाले फायदों को आगे के लेख में हम विस्तार से बताएंगे।
आइए इस चमत्कारी फल के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करने के लिए ड्रैगन फ्रूट के फायदे पर क्रमवार नजर डालते हैं।
सेहत के लिए ड्रैगन फ्रूट के फायदे – Dragon Fruit Health Benefits in Hindi
1. ब्लड शुगर/डायबिटीज
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ड्रैगन फ्रूट में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ बेटासानिन, फ्लेवोनोइड, फेनोलिक एसिड, एस्कॉर्बिक एसिड और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह तत्व ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक साबित होते हैं(2)।
2. दिल का रखे ख्याल
ड्रैगन फ्रूट में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट हृदय की धमनियों (आर्टरी) की कठोरता को करने का काम करते हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है(3)। वहीं इस फल में पाए जाने वाले डायट्री फाइबर खून में केलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ-साथ दिल के जोखिमों को भी काफी हद तक कम करने का काम करते हैं(4)(5)।
3. कैंसर
शोधकर्ताओं के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट में एंटीट्यूमर, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री गुण देखे गए हैं। साथ ही इस पर किये गए प्रयोग में यह भी पाया गया कि ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले ये खास गुण महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं(6)।
4. कोलेस्ट्रोल
ड्रैगन फ्रूट का नियमित सेवन खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित करने में सहायक है। एक वैज्ञानिक शोध में इस बात का पता चला है कि ड्रैगन फ्रूट में पाया जाने वाला डायट्री फाइबर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकता है। साथ ही यह दिल के खतरे को भी काफी हद तक कम करने में कारगर साबित होता है(4)(5)।
5. वजन घटाने में मददगार
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अपने डाइट प्लान में ड्रैगन फ्रूट को शामिल करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। कारण यह है कि इसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में पाई जाती है। वहीं पानी और फाइबर का यह एक अच्छा स्रोत है(5)। इस कारण इसके सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होती है और लंबे समय तक भूख का एहसास नहीं होता (7)। ड्रैगन फ्रूट का यही खास गुण इसे वजन घटाने में मददगार बना सकता है।
6. पेट की समस्याएं
पेट संबंधी समस्याएं (जैसे- पाचन और कब्ज) में ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। दरअसल इसमें पाए जाने वाले डायट्री फाइबर डाइजेस्टिव जूस के बनने की प्रक्रिया को तेज कर पाचन प्रक्रिया में सुधार लाते हैं। वहीं इसमें पाया जाने वाला यह गुण कब्ज की शिकायत को भी दूर करने में लाभकारी सिद्ध होता है(8)।
7. आर्थराइटिस
आर्थराइटिस यानी जोड़ों में दर्द की समस्या में भी ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस चमत्कारी फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण आर्थराइटिस की समस्या में काफी मददगार साबित होते हैं। वहीं इसमें मौजूद फाइबर वजन घटाने में सहायक होते हैं, जो आर्थराइटिस का एक कारक माना जा सकता है(8)।
8. प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाता है
विशेषज्ञों के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी टॉक्सिक गुण शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में लाभकारी साबित हो सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि नियमित आहार में ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में कारगर सिद्ध हो सकता है(9)।
9. गर्भावस्था में फायदेमंद
गर्भावस्था के दौरान ड्रैगन फ्रूट का सेवन अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। कारण यह है कि इस दौरान महिला को अधिक मात्रा में ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जो कि ड्रैगन फ्रूट में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। खास यह है इसमें पाया जाने वाला आयरन और नियासिन (विटामिन-बी 3) गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक जरूरी होता है। बता दें इनकी कमी से गर्भवती को एनीमिया का खतरा हो सकता है(10)(5)।
10. हड्डियों और दांतों को करता है मजबूत
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ड्रैगन फ्रूट हड्डियों और दांतों को मजबूती प्रदान करने में सहायक साबित होता है। इसकी मुख्य वजह है इसमें पाए जाने वाले कैल्शियम और फास्फोरस की प्रचुर मात्रा। कैल्शियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत होने के कारण इसका इस्तेमाल हड्डियों और दांतों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है(11)।
11. डेंगू में लाभकारी
ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल डेंगू जैसी गंभीर बीमारी में भी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके पीछे की वजह है, इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देते हैं। इस कारण प्लेटलेट्स काउंट(डब्लूबीसी) भी बढ़ता है। वहीं दूसरी ओर इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन-सी जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को पुनर्जीवित करने में सहायक सिद्ध होते हैं(5)(12)।
12. शारीरिक कोशिकाओं की मरम्मत
शारीरिक कोशिकाओं की मरम्मत (रिपेयर बॉडी सेल्स) करने के मामले में ड्रैगन फ्रूट का उपयोग बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। बता दें ड्रैगन फ्रूट विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट भी है, जो फ्री रेडिकल्स से कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाता है(5)(13)। इसलिए ऐसा कहा जा सकता कि ड्रैगन फ्रूट का उपयोग कोशिकाओं की मरम्मत में लाभकारी परिणाम दे सकता है।
13. श्वसन विकार में लाभकारी
शोधकर्ताओं के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिनके नियमित इस्तेमाल से अस्थमा (एक श्वसन संबंधी विकार) जैसी गंभीर बीमारी से निजात पाई जा सकती है(14)(11)।
14. हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है
जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि ड्रैगन फ्रूट में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है। आयरन खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने का मुख्य स्रोत है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ड्रैगन फ्रूट का उपयोग करके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है(10)।
15. कोग्निटल ग्लूकोमा में है मददगार
बता दें ड्रैगन फ्रूट में विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो ग्लूकोमा (आंखों से संबंधित रोग) को दूर करने की क्षमता रखते हैं(5)(15)। इस लिहाज से ऐसा माना जा सकता है कि इसका उपयोग कोग्निटल ग्लूकोमा (जन्मांधत) में सहायक साबित हो सकता है। दरअसल आंखों का यह विकार लिवर से संबंधित साइटोक्रोम P450 के कारण होता है। हालांकि इस संबंध में ड्रैगन फ्रूट पर किए गए शोध में इस बात की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है(16)। इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
16. भूख बढ़ाता है
लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले डायट्री फाइबर्स पेट संबंधी विकारों जैसे- पाचन क्रिया और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में कारगर सिद्ध होते हैं(8)। वहीं इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी-2 शरीर में मल्टीविटामिन की तरह काम करता है। जो भूख में सुधार करने में सक्षम है(11)।
17. दृष्टि में सुधार
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लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि इसमें पाए जाने वाले कुछ खास तत्व ग्लूकोमा को दूर करने में सहायक हैं। वहीं इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी-3 आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार साबित होता है(11)।
18. दिमागी कार्यक्षमता को बढ़ाता है
ड्रैगन फ्रूट में एंटी-ऑक्सीडेशन, एंटी-फ्री रेडिकल और एंटी-एजिंग प्रभावों के साथ प्रचुर मात्रा में आयरन, विटामिन ई और एंथोसायनिन पाया जाता है। इसमें पाए जाने वाले यह सभी तत्व दिमाग की कोशिकाओं को समृद्ध बनाते हैं और उनके खराब होने की आशंकाओं को काफी हद तक कम करने में कारगर साबित होते हैं। इस कारण इसका सेवन डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी में भी लाभकारी साबित हो सकता है(17)(18)।
सेहत संबंधी ड्रैगन फ्रूट के फायदे जानने के बाद अब हम जानेंगे कि त्वचा के लिए यह कितना लाभकारी है।
त्वचा के लिए ड्रैगन फ्रूट के फायदे – Skin Benefits of Dragon Fruit in Hindi
1. त्वचा को जवां बनाए
ड्रैगन फ्रूट में विटामिन बी और सी पाए जाते हैं, जो त्वचा के लिए काफी लाभदायक माने जाते हैं(8)। वहीं एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि विटामिन सी त्वचा के खिंचाव और तनाव को बरकरार रखने में कारगर साबित होते हैं। साथ ही इस बात का भी दावा किया गया कि इसका उपयोग त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभाव में भी सहायक साबित होता है(19)। त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने के लिए इसका उपयोग आहार के साथ-साथ फेस पैक के रूप में किया जा सकता है।
2. सनबर्न को रोकने में मददगार
ड्रैगन फ्रूट में विटामिन बी-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि विटामिन बी-3 का उपयोग न केवल त्वचा को चमकदार और जवां बनाता है, बल्कि यह सनबर्न में भी काफी मददगार साबित होता है। इसका उपयोग आप फेसपैक या लोशन के रूप में कर सकते हैं। ड्रैगन फ्रूट से बने फेसपैक को आप चेहरे पर लगाएं और कुछ समय बाद ठंडे पानी से धो डालें। सनबर्न के साथ-साथ सूरज से निकलने वाली हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी यह आपकी त्वचा की रक्षा करने में सहायक साबित होगा(5)(20)।
3. मुंहासों से दिलाए छुटकारा
ड्रैगन फ्रूट के फायदे में मुहासों से छुटकारा पाना भी शामिल है। कारण है इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी। विशेषज्ञों के मुताबिक विटामिन सी त्वचा संबंधी सभी विकारों से निजात दिलाने में कारगर साबित होता है। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि इसके प्रयोग से मुंहासों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इसका उपयोग आप फेसपैक के रूप में कर सकते हैं। वहीं ड्रैगन फ्रूट क्रीम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है(5)(21)।
4. मॉइस्चराइजर के रूप में
ड्रैगन फ्रूट क्रीम और फेसपैक का इस्तेमाल मॉइस्चराइजर के रूप में भी किया जा सकता है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी-3 ड्राई स्किन को नमी प्रदान कर उसे चमकदार बनाने में मददगार साबित हो सकता है(11)।
5. संपूर्ण त्वचा की देखभाल
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जैसा कि आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि ड्रैगन फ्रूट में विटामिन सी पाया जाता है और विटामिन सी त्वचा की चमक-दमक बरकरार रखने के साथ मुंहासे, सनबर्न जैसी त्वचा समस्या को दूर कर सकता है। साथ ही यह त्वचा को मॉइस्चराइज करने का काम भी कर सकता है। वहीं ड्रैगन फ्रूट के फायदे में पूरे शरीर की त्वचा की देखभाल भी शामिल है। ड्रैगन फ्रूट से बनी क्रीम को आप चेहरे, गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों पर प्रयोग कर सकते हैं(5)(21)।
त्वचा संबंधी ड्रैगन फ्रूट की जानकारी जानने के बाद अब हम बात करेंगे बालों से संबंधित इसके फायदों के बारे में।
बालों के लिए ड्रैगन फ्रूट के फायदे – Hair Benefits of Dragon Fruit in Hindi
बालों के फायदे के बारे में बात करें तो ड्रैगन फ्रूट की जानकारी और इसके अनगिनत फायदों में बालों का पोषण और विकास भी छिपा हुआ है। दरअसल शोधकर्ताओं का मानना है कि बालों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विटामिन ए और विटामिन ई मुख्य भूमिका निभाते हैं। मालूम हो कि यह दोनों ही विटामिन ड्रैगन फ्रूट में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ड्रैगन फ्रूट का उपयोग बालों से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं का निदान कर सकता है(19)(22)।
1. कलर्ड हेयर की देखभाल
जब बालों को रंगने के लिए आप तरह-तरह के रंगों और केमिकल्स का प्रयोग करते हैं तो यह आपके बालों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। केमिकल युक्त रंगों का लगातार उपयोग बालों को रूखा और बेजान बना सकता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए आप ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल कर सकते हैं। ड्रैगन फ्रूट की जानकारी में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि इसमें मौजूद पोषक तत्व और विटामिन ए, बी, सी की उपलब्धता इस समस्या से निपटने में आपकी मदद कर सकते हैं(5)(23)।
विधि
ड्रैगन फ्रूट के पल्प को निकाल कर उसे अच्छी तरह मिक्स करें।
इस मिश्रण को बालों पर लगाएं और 15 से 20 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
समय पूरा होने पर बालों को धो डालें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में एक बार दोहराएं।
2. बालों के संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है
ड्रैगन फ्रूट की जानकारी में इस बात का पहले ही पता चल चुका है कि यह फल पोषक तत्वों का भंडार है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसमें आयरन, विटामिन सी, विटामिन ए के साथ एंथोसायनिन पाया जाता है। साथ ही इसमें एंटी-ऑक्सीडेशन और एंटी-फ्री रेडिकल प्रभाव भी मौजूद होते हैं। इन सभी गुणों की उपस्थिति के कारण ड्रैगन फ्रूट को बालों के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जा सकता है। बालों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इसे खाने के साथ इसके द्वारा बनाए गए हेयर पैक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिसके बारे में आपको पहले ही बताया जा चुका है(5)(8)।
अब बात करते हैं ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में।
ड्रैगन फ्रूट के पौष्टिक तत्व – Dragon Fruit Nutritional Value
ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्वों के बारे में विस्तार से जानने के लिए दी गई सारणी को ध्यान से देखें(5)।
पोषक तत्व यूनिट मात्रा प्रति 100g एनर्जी Kcal 60 प्रोटीन g 1.18 टोटल लिपिड (फैट) g 0.00 कार्बोहाइड्रेट g 12.94 फाइबर, टोटल डायट्री g 2.9 शुगर g 7.65 मिनरल्स कैल्सियम mg 18 आयरन mg 0.74 मैग्नीशियम mg 40 सोडियम mg 0 विटामिन्स विटामिन सी, टोटल एस्कोर्बिक एसिड mg 2.5 थियामिन mg 0.000 राइबोफ्लेविन mg 0.100 नियासिन mg 0.353 विटामिन ए IU 59 लिपिड्स फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड g 0.000 कोलेस्ट्रोल mg 0
आगे लेख में हम बात करेंगे ड्रैगन फ्रूट के उपयोग के बारे में।
ड्रैगन फ्रूट का उपयोग – How to Use Dragon Fruit in Hindi
ड्रैगन फ्रूट कैसे खाये इस बारे में बात की जाए तो इसके सेवन के कई तरीके हैं(1)(24)।
इसे सीधे काटकर खाया जा सकता है।
इसे ठंडा करके भी खाया जा सकता है।
इसे फ्रूट चाट या सलाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
मुरब्बा या जेली बनाकर भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
आप शेक बनाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
मात्रा – ड्रैगन फ्रूट कैसे खाये यह जानने के बाद अब बात आती है इसकी मात्रा की। बता दें इस फल की एक बड़ी आधी फांक एक बार में खाई जा सकती है।
समय– सुबह नाश्ते में इसका शेक या शाम को स्नैक्स टाइम में फ्रूट चाट के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट कैसे खाये इस संबंध में जानकारी हासिल करने के बाद हम बात करेंगे इसके चयन और इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने के बारे में।
ड्रैगन फ्रूट का चयन कैसे करें और लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें?
आइए अब ड्रैगन फ्रूट के संरक्षण और इसके चयन से जुड़ी कुछ अहम् बाते जान लेते हैं(1)।
ड्रैगन फ्रूट का चुनाव– ड्रैगन फ्रूट का चुनाव करते समय हमें फल के रंग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही यह भी देखना चाहिए कि फल पर किसी प्रकार का कोई दाग या धब्बा न हो। कारण यह है कि ड्रैगन फ्रूट को कई तरह के कीट और फसल संबंधित बीमारियां नुकसान पहुंचा सकती हैं।
सुरक्षित कैसे करें– ड्रैगन फ्रूट को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए हमें इसे ठंडे स्थान पर रखना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक 7 से 10 डिग्री सेल्सियस और 90% से 98% आर्द्रता वाले स्थान पर रख कर इसे करीब 3 महीने के लिए सुरक्षित किया जा सकता है।
फायदों और उपयोगों को समझने के बाद अब समय है ड्रैगन फ्रूट से होने वाले नुकसान जानने का।
ड्रैगन फ्रूट के नुकसान – Side Effects of Dragon Fruit in Hindi
हालांकि ड्रैगन फ्रूट से संबंधित अभी तक कोई खास नुकसान सामने नहीं आए हैं, फिर भी हर चीज के कुछ न कुछ बुरे पहलू भी होते है। ऐसा ही कुछ हमारे चमत्कारी गुणों वाले ड्रैगन फ्रूट के साथ भी है। आइए कुछ बिन्दुओं के माध्यम से इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
हालांकि ड्रैगन फ्रूट को वजन घटाने में मददगार माना जाता है (जैसा आपको लेख में पहले बताया जा चुका है), लेकिन इसमें अधिक मात्रा में फ्रक्टोज पाया जाता है। इसलिए इसका जरूरत से ज्यादा उपयोग आपके वजन घटाने के रास्ते में रोड़ा बन सकता है (5)(25)।
वहीं इस फल की बाहरी परत (स्किन) को खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें कीटनाशक पाए जाते हैं। यह कीटनाशक आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। बता दें यह कीटनाशक ड्रैगन फ्रूट को कीटों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए डाले जाते हैं(1)।
Conclusion
अब तो आप ड्रैगन फ्रूट से अच्छी तरह से परिचित हो गए होंगे। लेख में आपको इस फल से संबंधित सभी संभव जानकारी दी जा चुकी हैं। आपको लेख में इसके उपयोग और फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं आपको इस बात से भी अवगत कराया गया है कि ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल किन-किन बीमारियों और समस्याओं में किया जा सकता है। साथ ही लेख में इससे होने वाले नुकसान और इस्तेमाल को भी अच्छे से समझाया गया है। तो यदि आप भी ड्रैगन फ्रूट को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की सोच रहे हैं, तो बेहतर होगा कि लेख में इस चमत्कारी फल से संबंधित सभी आवश्यक जानकारियों को अच्छे से पढ़ लें, फिर उन्हें अमल में लाएं। आशा करते हैं कि लेख में दी गई ड्रैगन फ्रूट से जुड़ी सभी जानकारियां आपके बेहतर स्वास्थ्य के लिए मददगार साबित होंगी। इस विषय में किसी अन्य प्रकार के सुझाव और सवालों के लिए आप हमसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
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Ankit Rastogi
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/dragon-fruit-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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khabaruttarakhandki · 4 years
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चीन से तनाव के बीच राहुल गांधी ने शेयर किया ‘मोदी vs मनमोहन’ ग्राफ
rahul on india and china dispute: राहुल गांधी ने भारत-चीन तनाव के बीच पीएम मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का ग्राफ शेयर करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है। बता दें कि राहुल पिछले कई दिनों से ट्विटर के जरिए मोदी सरकार को घेर रहे हैं।
Edited By Satyakam Abhishek | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 30 Jun 2020, 10:22:00 AM IST
भारत उन देशों में से हैं जहां इंटरनेट के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। यहां 80 करोड़ से ज्‍यादा कंज्‍यूमर्स हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्‍मार्टफोन यूजर्स 25 सााल या उससे कम उम्र के हैं। 59 चीनी ऐप्‍स को बंद करके भारत ने न सिर्फ अपने इरादे जाहिर किए हैं, बल्कि चीन को साफ संदेश दिया है। TikTok भारत में सबसे ज्‍यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप है। इसके 12 करोड़ से भी ज्‍यादा ऐक्टिव यूजर्स थे। यह उन इलाकों में युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय थी जो आमतौर पर आधुनिक सुविधाओं से अछूते हैं। TikTok पर मौजूद 30% वीडियो भारतीय यूजर्स बनाते ���ैं। भारतीय युवा इन चीनी ऐप्‍स पर अच्‍छा-खासा समय बिताते थे यानी चीन इनके सामने जैसा चाहता, वैसा कंटेंट परोस सकता था। भारत ने बैन लगाकर इन चीनी ऐप्‍स के लिए एक बहुत बड़े मार्केट के दरवाजे बंद कर दिए हैं।यह भी पढ़ें- चीन के 59 ऐप बैन से भारत को कैसे नुकसान?
हाइलाइट्स
भारत-चीन में चल रहे तनाव के बीच राहुल का मोदी सरकार के खिलाफ एक और ट्वीट
राहुल ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बनाम पीएम मोदी का एक ग्राफ शेयर किया
बता दें कि राहुल चीन को लेकर लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं
हालांकि राहुल को विपक्ष यहां तक कि सहयोगी दलों का भी साथ नहीं मिल रहा है
नई दिल्ली भारत और चीन के बीच चल रही तनातनी को लेकर राहुल गांधी लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेर रहे हैं। वह हर रोज ट्विटर के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। चीन के 59 ऐप को भारत में बैन करने के सरकार के आदेश के अगले ही दिन राहुल ने एक अन्य ट्वीट से मोदी सरकार पर हमला किया है। बता दें कि पीएम मोदी आज शाम 4 बजे देश को संबोधित करने वाले हैं। उससे पहले ही राहुल ने ट्वीट वार किया है। राहुल ने आज ट्वीट कर यूपीए सरकार के दौरान चीन से होने वाले व्यापार और सामान खरीदने का तुलनात्मक ग्राफ शेयर किया है। राहुल ने ग्राफ में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान चीन से खरीदे जाने वाले सामनों का तुलनात्मक ग्राफ शेयर किया है।
राहुल गांधी (फाइल फोटो)
राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘आंकड़े झूठ नहीं बोलते। बीजेपी कहती है। मेक इन इंडिया और बीजेपी करती है। चीन से खरीदो ( Buy from China)।’ राहुल लगातार कर रहे हैं मोदी सरकार हमला बताा दें कि राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने भारतीय क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने यह बयान प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद दिया था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है। बता दें कि 15-16 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में एक अधिकारी सहित 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। तब से कांग्रेस लगातार सरकार पर निशाना साध रही है। तब राहुल ने ट्वीट किया था, ‘प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रमण के बाद भारतीय क्षेत्र को आत्मसमर्पित कर दिया है। अगर भूमि चीन की थी, तो हमारे सैनिक क्यों मारे गए हैं? वे कहां मारे गए हैं?
युवाओं पर ड्रैगन का असर नहीं पड़ने देना चाहता भारत
भारत उन देशों में से हैं जहां इंटरनेट के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। यहां 80 करोड़ से ज्‍यादा कंज्‍यूमर्स हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्‍मार्टफोन यूजर्स 25 सााल या उससे कम उम्र के हैं। 59 चीनी ऐप्‍स को बंद करके भारत ने न सिर्फ अपने इरादे जाहिर किए हैं, बल्कि चीन को साफ संदेश दिया है। TikTok भारत में सबसे ज्‍यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप है। इसके 12 करोड़ से भी ज्‍यादा ऐक्टिव यूजर्स थे। यह उन इलाकों में युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय थी जो आमतौर पर आधुनिक सुविधाओं से अछूते हैं। TikTok पर मौजूद 30% वीडियो भारतीय यूजर्स बनाते हैं। भारतीय युवा इन चीनी ऐप्‍स पर अच्‍छा-खासा समय बिताते थे यानी चीन इनके सामने जैसा चाहता, वैसा कंटेंट परोस सकता था। भारत ने बैन लगाकर इन चीनी ऐप्‍स के लिए एक बहुत बड़े मार्केट के दरवाजे बंद कर दिए हैं।यह भी पढ़ें- चीन के 59 ऐप बैन से भारत को कैसे नुकसान?
TikTok के अलावा Helo और Likee जैसे सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स खासे मशहूर हैं। Bigo Live उन यूजर्स के बीच पॉपुलर हैं जो अंग्रेजी में कम्‍फर्टेबल नहीं हैं। जब ये यूजर्स अचानक से चीनी ऐप्‍स यूज करना बंद कर देंगे तो उन्हें रेवेन्‍य का अच्‍छा-खासा नुकसान होगा। अधिकतर ऐप्‍स कमाई के लिए यूजर्स को बीच-बीच में ऐड दिखाती हैं। अगर बड़ा यूजरबेस ही गायब हो जाए तो ऐड से आने वाली रेवेन्‍यू पर हिट होगा।
चीनी ऐप्‍स पर बैन लगाने से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो यूजर्स उन ऐप्‍स को यूज करते थे, उन्‍हें अब विकल्‍प ढूंढने होंगे जो मार्केट में कम नहीं हैं। दूसरी बात, इस बैन के चलते कई भारतीय डेवलपर्स ऐप्‍स बनाने के लिए उत्‍साहित होंगे। कई ने तो अपने ऐप्‍स में ‘मेक इन इंडिया’ लिखना शुरू भी कर दिया है।
भारत सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी होगी जिसमें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से इन ऐप्‍स को ब्‍लॉक करने के लिए कहा जाएगा। ऐप के यूजर्स को जल्‍द ही स्‍क्रीन पर मैसेज दिखने लगेगा कि सरकार के निर्देश पर ऐप का एक्‍सेस रोका गया है। गूगल प्‍ले स्‍टोर और ऐप्‍पल के ऐप स्‍टोर पर भी यही मैसेज दिखेगा। हालांकि, उन ऐप्‍स का इस्‍तेमाल जारी ��ह सकता है जिन्‍हें ऐक्टिव ��ंटरनेट कनेक्‍शन की जरूरत नहीं है। हालांकि इन ऐप्‍स को अब भारत में डाउनलोड नहीं किया जा सकेगा।
सरकार ने आईटी ऐक्‍ट की धारा 69A का इस्‍तेमाल करते हुए इन ऐन्‍स पर बैन लगाया है।
राहुल को विपक्ष का नहीं मिल रहा साथ राहुल के आरोपों को न तो सरकार के विपक्षियों को साथ मिल रहा है और न ही कांग्रेस के सहयोगी ही साथ देने के लिए तैयार हैं। सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है चीन के मुद्दे पर देश की प्रमुख पार्टियों को एक-दूसरे के साथ खींचतान नहीं करनी चाहिए। इस आपसी लड़ाई में सबसे ज्यादा देश की जनता का नुकसान हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि इस मुद्दे पर उनकी पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी है।
Web Title tension between india and china rahul gandhi share modi vs manmohan graph(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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khabaruttarakhandki · 4 years
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india china standoff : बॉर्डर पर चीन भेज रहा मार्शल आर्ट ट्रेनर, भारतीय सेना के ‘घातक’ पहले से तैयार
हाइलाइट्स
चीनी मीडिया के मुताबिक सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए भेजे हैं ट्रेनर
15 जून से पहले भी किए थे मार्शल आर्ट में माहिर लड़ाके तैनात
भारतीय सेना में हर यूनिट में होते हैं 40-45 घातक कमांडो
‘घातक’ कमांडो होते हैं बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर
नई दिल्ली ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत-चीन सेना के तनाव (India-China tension) के बीच चीन तिब्बत में अपने सैनिकों को ट्रेंड करने के लिए मार्शल आर्ट ट्रेनर ( Martial arts trainer) भेज रहा है। 15 जून से पहले भी चीन ने मार्शल आर्ट लड़ाकों को तिब्बत भेजा था। चीन इसके जरिए भले ही माइंड गेम खेलने की कोशिश कर रहा हो लेकिन भारतीय सेना में ‘घातक’ कमांडो पहले से तैनात हैं। भारतीय सेना के घातक कमांडो बिना हथियारों की लड़ाई में माहिर हैं और दुश्मन को आमने सामने की लड़ाई में चित कर सकते हैं। चीन ने भेजे 20 ट्रेनर चीनी मीडिया में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी फोर्स को ट्रेंड करने के लिए 20 मार्शल आर्ट ट्रेनर तिब्बत भेज रहा है। 15 जून को हुई खूनी झड़प से पहले भी चीन ने तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती लड़ाकों को सेना की डिविजन में तैनात किया था। भारत और चीन के बीच 1996 में हुए समझौते के मुताबिक एलएसी से दो किलोमीटर के दायरे में न फायरिंग की जाएगी न ही किसी भी तरह के खतरनाक रसायनिक हथियार, बंदूक, विस्फोट की इजाजत होगी। इसलिए यहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान भी दोनों तरफ से किसी ने भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया।
1- प्रति व्यक्ति आय फिर से करनी होगी बेहतर
1980 में चीन की 191 अरब डॉलर की इकनॉमी भारत की 186 अरब डॉलर की इकनॉमी से बस थोड़ी ही आगे थी। हालांकि, चीन की इकनॉमी काफी बड़ी थी, इसलिए भारतीय 40 फीसदी अमीर थे। यहां पर प्रति व्यक्ति 267 डॉलर की आमदनी थी, जबकि चीन में 195 डॉलर प्रति व्यक्ति आमदनी थी। चीन में इकनॉमिक रिफॉर्म के बाद सब कुछ बदल गया। 2018 तक इसकी प्रति व्यक्ति आय 50 फीसदी तक बढ़कर 9771 डॉलर तक पहुंच गई। वहीं भारत में लोगों की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 2000 रुपये हुई है।बात अगर जीडीपी की करें तो चीन की जीडीपी 13.6 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, जबकि भारत की जीडीपी सिर्फ 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक ही पहुंची है। 1987 में चीन की 66 फीसदी आबादी गरीब थी, जो रोजाना 1.90 डॉलर कमाती थी, जबकि भारत की सिर्फ 49 फीसदी आबादी गरीब थी। अब चीन में सिर्फ 0.5 फीसदी लोग गरीब हैं, जबकि भारत में अभी भी 20 फीसदी से अधिक लोग गरीब हैं।
हम शहरीकरण में पिछड़ गए हैं। अभी 60 फीसदी से अधिक चीनी लोग शहरों में रहते हैं, जबकि भारत में सिर्फ 35 फीसदी लोग ही शहरों में रहते हैं। जब दोनों देश आजाद हुए थे, तब सिर्फ 12 फीसदी चीनी ही शहरों में रहते थे, जबकि 17 फीसदी भारतीय शहरों में रहा करते थे। उस वक्त भारत में अधिक इंडस्ट्रियल सेंटर थे।इतना ही नहीं, 80 के दशक में चीन में शिक्षा की दर भारत से अच्छी थी। वहां के दो तिहाई लोग शिक्षित थे, जबकि भारत की सिर्फ 2/5 आबादी ही शिक्षित थी। अब भारत में शिक्षा की दर 74 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि चीन में शिक्षा की दर 97 फीसदी हो गई है।
1974 में चीन में सिर्फ 7 लाख यात्री ही हवाई यात्रा करते थे, जबकि भारत में करीब 30 लाख लोगों की हवाई यात्रा का इंतजाम था। अभी भारत की तुलना में चीन के करीब 4 गुने लोग हवाई यात्रा करते हैं। 2018 में भारत के लिए ये आंकड़ा 16.4 करोड़ था, जबकि चीन के लिए यही आंकड़ा 61.14 करोड़ था।1980 में भार का रेल नेटवर्क 61,240 किलोमीटर का था, जबकि चीन का सिर्फ 51,700 किलोमीटर ही था। 2017-18 तक भारत का रेल नेटवर्क बढ़कर 68,442 किलोमीटर हो गया है, जबकि चीन का नेटवर्क दोगुने से भी अधिक 1.27 लाख किलोमीटर हो चुका है।
1969 में भारत में बच्चे के मरने की दर काफी अधिक थी। हर 1000 में से 145 बच्चे मर जाते थे। उस समय चीन में ये दर 84 थी। अब भारत में ये दर घटकर 30 पर आ गई है, जबकि चीन में ये दर महज 7 रह गई है। बता दें कि ये दर विकसित अर्थव्यवस्था की होती है, जैसे अमेरिका में ये दर 2018 में सिर्फ 5.6 फीसदी थी।चीन में लोगों की औसत उम्र 77.6 साल है, जबकि भारत में उम्र 69.2 साल है। मतलब कि हर चीनी व्यक्ति औसतन एक भारतीय की तुलना में करीब 7 दिन अधिक जीता है। 50 और 60 के दशक में ये अंतर और भी कम था।
आजादी के वक्त भारत में चीन से अधिक इंडस्ट्रियल सेंटर थे, लेकिन आज चीन दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है। दोनों देशों में कारों का प्रोडक्शन एक अंदाजा लागने में मदद कर रहा है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ मोटर व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स का आंकड़ा दिखाता है कि हम 1999 में लगभग बराबरी पर थे, जब भारत ने 5.3 लाख कराकें बनाईं, जबकि चीन ने लगभग 5.7 लाख कारें बनाईं। लेकिन पिछले साल भारत ने सिर्फ 36.2 लाख कारें बनाईं, जबकि चीन ने 2.1 करोड़ कारें बना डालीं।
भारत के पास हैं ‘घातक’ चीन भले ही मार्शल आर्ट लड़ाकों की बात कर रहा है लेकिन भारतीय सेना में घातक कमांडो पहले से मौजूद हैं। सेना की हर यूनिट में घातक कमांडो होते हैं, जो हथियारों के साथ लड़ाई के अलावा बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर होते हैं। यह इस तरह ट्रेंड होते हैं कि अपने से मजबूत शरीर वाले दुश्मन को भी धूल चटा सकते हैं।
पढ़ें, चीनी सेना से नहीं, मार्शल आर्ट में माहिर हत्यारों से भिड़े थे भारतीय जवान!
सेना के एक अधिकारी के मुताबिक इनकी 43 दिन की कमांडो स्कूल में ट्रेनिंग होती है। जिसमें करीब 35 किलो का भार लेकर बिना रूके 40 किलोमीटर तक दौड़ना भी शामिल है। यह ट्रेनिंग इन्हें शारीरिक तौर पर मजबूत करती है। इन्हें हर तरह के हथियारों की ट्रेनिंग के साथ ही गुत्थम गुत्था की लड़ाई के लिए भी ट्रेंड किया जाता है। यह मार्शल आर्ट में भी माहिर होते हैं। कमांडो स्कूल की ट्रेनिंग के बाद भी जब यह यूनिट में तैनात होते हैं तो वहां भी इनकी ट्रेनिंग होती है। हाई एल्टीट्यूट वाले इलाकों के लिए अलग तरह की ट्रेनिंग और रेगिस्तानी इलाकों के लिए अलग ट्रेनिंग होती है।
आसमान की सुरक्षा ‘आकाश’ के जिम्‍मे
आसमान में ऊंचाई पर उड़ता एयरक्राफ्ट हो या निचले इलाकों में मंडराता ड्रोन, भारत का ऐडवांस्‍ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइल किसी भी एलियन ऑब्‍जेक्‍ट को उड़ाने में सक्षम है। इसी का हिस्‍सा है Akash मिसाइल। जमीन से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल 30 किलोमीटर तक के दायरे में बैलिस्टिक मिसाइल्‍स को इंटरसेप्‍ट कर सकती है। 720 किलो वजनी आकाश मिसाइल सुपरसोनिक स्‍पीड से चलती है। इतना काफी न हो तो 18 किलोमीटर ऊंचाई तक मौजूद दुश्‍मन की मिसाइल को निशाना बनाने में सक्षम ह���। इसे ट्रैक या व्‍हील, दोनों सिस्‍टम से फायर किया जा सकता है।
आकाश मिसाइल सिस्‍टम में ऐडवांस्‍ड कम्‍प्‍यूटर और एक इलेक्‍ट्रो-मेकेनिकल ऐक्टिवेटर लगा है। यह ‘राजेंद्र’ नाम के रडार से सिग्‍नल लेकर निशाना साधती है। ‘राजेंद्र’ में कई ऐडवांस्‍ड फीचर्स हैं जैसे वह अपनी रेंज में 64 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है। यह एक साथ चार निशानों की तरफ 8 मिसाइलें छोड़ने में सक्षम है।
आकाश के बाद, अब बारी पृथ्‍वी की। पृथ्‍वी एयर डिफेंस यानी PAD सिस्‍टम 80 से 120 किलोमीटर तक की रेंज में इनकमिंग मिसाइल्‍स को संभाल सकता है। पृथ्‍वी मिसाइल पर ‘प्रद्युम्‍न’ असल में टूज मिसाइल है। यह सुपरसोनिक मिसाइल आसानी से 300 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल्‍स को हवा में ही ढेर कर सकती है। यह मिसाइल सिस्‍टम वातावरण के बाहर से आने वाली मिसाइल्‍स को भी उड़ा सकता है। इसमें लॉन्‍ग रेंज का ट्रैकिंग रडार लगा है जो इसे टारगेट लॉक करने में मदद करता है। ट्रैजेक्‍टरी ऑप्टिमाइजेशन फीचर की बदौलत यह डिफेंस सिस्‍टम हाई और लो, दोनों तरह के ऑल्‍टीट्यूड्स में यूज किया जा सकता है।
भारत के पास सिर्फ धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी युद्ध लड़ने की क्षमता है। दुनिया में सिर्फ तीन और देशों- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल है। भारत ने पिछले साल 17 मार्च को ‘मिशन शक्ति’ सफलतापूर्वक पूरा किया था। तब हमने धरती की निचली कक्षा में मौजूद एक सैटेलाइट को ऐंटी सैटेलाइट मिसाइल से उड़ाकर पूरी दुनिया में अपनी स्‍पेस पावर का लोहा मनवाया था।
भारत के पास इजरायल की SPYDER मिसाइल भी है जो 5 से 50 किलोमीटर तक की रेंज में मार कर सकती है। इसके अलावा ‘अश्विन’ नाम की एक स्‍वदेशी मिसाइल भी है जो करीब 30 किलोमीटर तक के ऑल्‍टीट्यूट पर मिसाइल्‍स को इंटरसेप्‍ट कर लेती है।
भारत को रूस की ओर से जल्‍दी ही S-400 Triumf एयर डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम मिलने वाला है। यह सिस्‍टम भारतीय एयरफोर्स की रीच को चार गुना तक बढ़ा देगा। S-400 Triumf दुनिया के सबसे ऐडवांस्‍ड एयर डिफेंस सिस्‍टम्‍स में से एक है। इसमें जो रडार लगे हैं वह 1,000 किलोमीटर दूर से ही आ रहे ऑब्‍जेक्‍ट को पकड़ सकते हैं। दर्जनों ऑब्‍जेक्‍ट्स पर एकसाथ नजर रखने में सक्षम यह डिफेंस सिस्‍टम फाइटर एयरक्राफ्ट्स पर निशाना लगाने में जल्‍दी चूकता नहीं। एक S-400 सिस्‍टम से एक पूरे स्‍पेक्‍ट्रम को हवाई खतरे से सुरक्षित किया जा सकता है। चीन के साथ बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच इस सिस्‍टम को जल्‍द हासिल करने की कोशिश हो रही है ताकि पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में सिर्फ एक डिफेंस सिस्‍टम से ही ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखी जाए।
रूस के S-300V जैसी चीन की HQ-9 भी टू-स्‍टेज मिसाइल है। जमीन से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल सिस्‍टम करीब दो टन वजनी और 7 मीटर लंबी है। HQ-9 चीन का मेन एयर डिफेंस सिस्‍टम है। इसके वारहेड की अधिकतम रेंज 200 किलोमीटर और स्‍पीड 4.2 मैच है। इस मिसाइल में खामी यह है कि इसका थ्रस्‍ट वेक्‍टर कंट्रोल एक साइड से नजर आता है। यह मिसाइल पहले बहुत बड़ी थी, रूस की मदद से अब इसे इतना छोटा बना लिया गया है कि ट्रांसपोर्ट लॉन्‍चर से छोड़ा जा सके। फिर भी इसकी बैलिस्टिक क्षमता पर एक्‍सपर्ट्स को शक है।
भारत और चीन के म्‍युचुअल फ्रेंड यानी रूस ने दोनों देशों को हथियार बेचे हैं। रशियन S-300 एयर डिफेंस सिस्‍टम को चीन ने खरीदा और फिर उसे अपने यहां और डेवलप किया। S-300V का चीनी वर्जन HQ-18 के नाम से जाना जाता है। इन मिसाइल सिस्‍टम की रेंज 100 किलोमीटर तक है। कुछ मिसाइलें 150 किलोमीटर तक भी मार कर सकती है। इसका रडार एक साथ 200 टारगेट्स को डिटेक्‍ट कर सकता है।
दुनिया के सबसे ऐडवांस्‍ड मिसाइल सिस्‍टम्‍स में से एक, S-400 Triumf की एक खेप चीन के पास पहले से मौजूद है। इस साल फरवरी में रूस ने दूसरी खेप चीन को भेजी थी। 2014 में चीन ने दो S-400 सेट मांगे थे। पहले सेट की डिलीवरी 2018 में पूरी हुई। यानी तुलनात्‍मक रूप से देखें तो दोनों देशों के पास मजबूत एयर‍ डिफेंस सिस्‍टम है। हालांकि लॉन्‍च रेंज में भारत अभी थोड़ा कमजोर नजर आता है मगर S-400 आ जाने से उसकी स्थिति और मजबूत हो जाएगी।
बैकअप टीम हमेशा तैयार एक अधिकारी ने बताया कि वैसे तो एक यूनिट में घातक टीम में एक ऑफिसर, एक जेसीओ सहित करीब 22 जवान होते हैं लेकिन लगभग एक पूरी घातक टीम बैकअप में भी होती है। इस तरह एक यूनिट में हर वक्त 40-45 घातक कमांडो होते हैं। भारतीय सेना में हर इंफ्रेंट्री ऑफिसर को घातक कमांडो ट्रेनिंग करनी होती है और चुने हुए जवानों को यह ट्रेनिंग दी जाती है। हर यूनिट में हर साल 30-40 नए जवान आते हैं और फिर घातक कमांडो टीम में भी नए जवानों से कुछ को रखा जाता है। ये घातक कमांडो टीम में से जिन जवानों को रिप्लेस करते हैं, वह भी यूनिट में रहते हैं। इस तरह घातक कमांडो टीम के अलावा भी यूनिट में लगभग 50 पर्सेंट जवान ऐसे होते हैं जो इसमें माहिर होते हैं।
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khabaruttarakhandki · 4 years
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india china standoff : बॉर्डर पर चीन भेज रहा मार्शल आर्ट ट्रेनर, भारतीय सेना के ‘घातक’ पहले से तैयार
हाइलाइट्स
चीनी मीडिया के मुताबिक सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए भेजे हैं ट्रेनर
15 जून से पहले भी किए थे मार्शल आर्ट में माहिर लड़ाके तैनात
भारतीय सेना में हर यूनिट में होते हैं 40-45 घातक कमांडो
‘घातक’ कमांडो होते हैं बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर
नई दिल्ली ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत-चीन सेना के तनाव (India-China tension) के बीच चीन तिब्बत में अपने सैनिकों को ट्रेंड करने के लिए मार्शल आर्ट ट्रेनर ( Martial arts trainer) भेज रहा ह���। 15 जून से पहले भी चीन ने मार्शल आर्ट लड़ाकों को तिब्बत भेजा था। चीन इसके जरिए भले ही माइंड गेम खेलने की कोशिश कर रहा हो लेकिन भारतीय सेना में ‘घातक’ कमांडो पहले से तैनात हैं। भारतीय सेना के घातक कमांडो बिना हथियारों की लड़ाई में माहिर हैं और दुश्मन को आमने सामने की लड़ाई में चित कर सकते हैं। चीन ने भेजे 20 ट्रेनर चीनी मीडिया में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी फोर्स को ट्रेंड करने के लिए 20 मार्शल आर्ट ट्रेनर तिब्बत भेज रहा है। 15 जून को हुई खूनी झड़प से पहले भी चीन ने तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती लड़ाकों को सेना की डिविजन में तैनात किया था। भारत और चीन के बीच 1996 में हुए समझौते के मुताबिक एलएसी से दो किलोमीटर के दायरे में न फायरिंग की जाएगी न ही किसी भी तरह के खतरनाक रसायनिक हथियार, बंदूक, विस्फोट की इजाजत होगी। इसलिए यहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान भी दोनों तरफ से किसी ने भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया।
1- प्रति व्यक्ति आय फिर से करनी होगी बेहतर
1980 में चीन की 191 अरब डॉलर की इकनॉमी भारत की 186 अरब डॉलर की इकनॉमी से बस थोड़ी ही आगे थी। हालांकि, चीन की इकनॉमी काफी बड़ी थी, इसलिए भारतीय 40 फीसदी अमीर थे। यहां पर प्रति व्यक्ति 267 डॉलर की आमदनी थी, जबकि चीन में 195 डॉलर प्रति व्यक्ति आमदनी थी। चीन में इकनॉमिक रिफॉर्म के बाद सब कुछ बदल गया। 2018 तक इसकी प्रति व्यक्ति आय 50 फीसदी तक बढ़कर 9771 डॉलर तक पहुंच गई। वहीं भारत में लोगों की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 2000 रुपये हुई है।बात अगर जीडीपी की करें तो चीन की जीडीपी 13.6 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, जबकि भारत की जीडीपी सिर्फ 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक ही पहुंची है। 1987 में चीन की 66 फीसदी आबादी गरीब थी, जो रोजाना 1.90 डॉलर कमाती थी, जबकि भारत की सिर्फ 49 फीसदी आबादी गरीब थी। अब चीन में सिर्फ 0.5 फीसदी लोग गरीब हैं, जबकि भारत में अभी भी 20 फीसदी से अधिक लोग गरीब हैं।
हम शहरीकरण में पिछड़ गए हैं। अभी 60 फीसदी से अधिक चीनी लोग शहरों में रहते हैं, जबकि भारत में सिर्फ 35 फीसदी लोग ही शहरों में रहते हैं। जब दोनों देश आजाद हुए थे, तब सिर्फ 12 फीसदी चीनी ही शहरों में रहते थे, जबकि 17 फीसदी भारतीय शहरों में रहा करते थे। उस वक्त भारत में अधिक इंडस्ट्रियल सेंटर थे।इतना ही नहीं, 80 के दशक में चीन में शिक्षा की दर भारत से अच्छी थी। वहां के दो तिहाई लोग शिक्षित थे, जबकि भारत की सिर्फ 2/5 आबादी ही शिक्षित थी। अब भारत में शिक्षा की दर 74 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि चीन में शिक्षा की दर 97 फीसदी हो गई है।
1974 में चीन में सिर्फ 7 लाख यात्री ही हवाई यात्रा करते थे, जबकि भारत में करीब 30 लाख लोगों की हवाई यात्रा का इंतजाम था। अभी भारत की तुलना में चीन के करीब 4 गुने लोग हवाई यात्रा करते हैं। 2018 में भारत के लिए ये आंकड़ा 16.4 करोड़ था, जबकि चीन के लिए यही आंकड़ा 61.14 करोड़ था।1980 में भार का रेल नेटवर्क 61,240 किलोमीटर का था, जबकि चीन का सिर्फ 51,700 किलोमीटर ही था। 2017-18 तक भारत का रेल नेटवर्क बढ़कर 68,442 किलोमीटर हो गया है, जबकि चीन का नेटवर्क दोगुने से भी अधिक 1.27 लाख किलोमीटर हो चुका है।
1969 में भारत में बच्चे के मरने की दर काफी अधिक थी। हर 1000 में से 145 बच्चे मर जाते थे। उस समय चीन में ये दर 84 थी। अब भारत में ये दर घटकर 30 पर आ गई है, जबकि चीन में ये दर महज 7 रह गई है। बता दें कि ये दर विकसित अर्थव्यवस्था की होती है, जैसे अमेरिका में ये दर 2018 में सिर्फ 5.6 फीसदी थी।चीन में लोगों की औसत उम्र 77.6 साल है, जबकि भारत में उम्र 69.2 साल है। मतलब कि हर चीनी व्यक्ति औसतन एक भारतीय की तुलना में करीब 7 दिन अधिक जीता है। 50 और 60 के दशक में ये अंतर और भी कम था।
आजादी के वक्त भारत में चीन से अधिक इंडस्ट्रियल सेंटर थे, लेकिन आज चीन दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है। दोनों देशों में कारों का प्रोडक्शन एक अंदाजा लागने में मदद कर रहा है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ मोटर व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स का आंकड़ा दिखाता है कि हम 1999 में लगभग बराबरी पर थे, जब भारत ने 5.3 लाख कराकें बनाईं, जबकि चीन ने लगभग 5.7 लाख कारें बनाईं। लेकिन पिछले साल भारत ने सिर्फ 36.2 लाख कारें बनाईं, जबकि चीन ने 2.1 करोड़ कारें बना डालीं।
भारत के पास हैं ‘घातक’ चीन भले ही मार्शल आर्ट लड़ाकों की बात कर रहा है लेकिन भारतीय सेना में घातक कमांडो पहले से मौजूद हैं। सेना की हर यूनिट में घातक कमांडो होते हैं, जो हथियारों के साथ लड़ाई के अलावा बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर होते हैं। यह इस तरह ट्रेंड होते हैं कि अपने से मजबूत शरीर वाले दुश्मन को भी धूल चटा सकते हैं।
पढ़ें, चीनी सेना से नहीं, मार्शल आर्ट में माहिर हत्यारों से भिड़े थे भारतीय जवान!
सेना के एक अधिकारी के मुताबिक इनकी 43 दिन की कमांडो स्कूल में ट्रेनिंग होती है। जिसमें करीब 35 किलो का भार लेकर बिना रूके 40 किलोमीटर तक दौड़ना भी शामिल है। यह ट्रेनिंग इन्हें शारीरिक तौर पर मजबूत करती है। इन्हें हर तरह के हथियारों की ट्रेनिंग के साथ ही गुत्थम गुत्था की लड़ाई के लिए भी ट्रेंड किया जाता है। यह मार्शल आर्ट में भी माहिर होते हैं। कमांडो स्कूल की ट्रेनिंग के बाद भी जब यह यूनिट में तैनात होते हैं तो वहां भी इनकी ट्रेनिंग होती है। हाई एल्टीट्यूट वाले इलाकों के लिए अलग तरह की ट्रेनिंग और रेगिस्तानी इलाकों के लिए अलग ट्रेनिंग होती है।
आसमान की सुरक्षा ‘आकाश’ के जिम्‍मे
आसमान में ऊंचाई पर उड़ता एयरक्राफ्ट हो या निचले इलाकों में मंडराता ड्रोन, भारत का ऐडवांस्‍ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइल किसी भी एलियन ऑब्‍जेक्‍ट को उड़ाने में सक्षम है। इसी का हिस्‍सा है Akash मिसाइल। जमीन से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल 30 किलोमीटर तक के दायरे में बैलिस्टिक मिसाइल्‍स को इंटरसेप्‍ट कर सकती है। 720 किलो वजनी आकाश मिसाइल सुपरसोनिक स्‍पीड से चलती है। इतना काफी न हो तो 18 किलोमीटर ऊंचाई तक मौजूद दुश्‍मन की मिसाइल को निशाना बनाने में सक्षम है। इसे ट्रैक या व्‍हील, दोनों सिस्‍टम से फायर किया जा सकता है।
आकाश मिसाइल सिस्‍टम में ऐडवांस्‍ड कम्‍प्‍यूटर और एक इलेक्‍ट्रो-मेकेनिकल ऐक्टिवेटर लगा है। यह ‘राजेंद्र’ नाम के रडार से सिग्‍नल लेकर निशाना साधती है। ‘राजेंद्र’ में कई ऐडवांस्‍ड फीचर्स हैं जैसे वह अपनी रेंज में 64 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है। यह एक साथ चार निशानों की तरफ 8 मिसाइलें छोड़ने में सक्षम है।
आकाश के बाद, अब बारी पृथ्‍वी की। पृथ्‍वी एयर डिफेंस यानी PAD सिस्‍टम 80 से 120 किलोमीटर तक की रेंज में इनकमिंग मिसाइल्‍स को संभाल सकता है। पृथ्‍वी मिसाइल पर ‘प्रद्युम्‍न’ असल में टूज मिसाइल है। यह सुपरसोनिक मिसाइल आसानी से 300 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल्‍स को हवा में ही ढेर कर सकती है। यह मिसाइल सिस्‍टम वातावरण के बाहर से आने वाली मिसाइल्‍स को भी उड़ा सकता है। इसमें लॉन्‍ग रेंज का ट्रैकिंग रडार लगा है जो इसे टारगेट लॉक करने में मदद करता है। ट्रैजेक्‍टरी ऑप्टिमाइजेशन फीचर की बदौलत यह डिफेंस सिस्‍टम हाई और लो, दोनों तरह के ऑल्‍टीट्यूड्स में यूज किया जा सकता है।
भारत के पास सिर्फ धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी युद्ध लड़ने की क्षमता है। दुनिया में सिर्फ तीन और देशों- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल है। भारत ने पिछले साल 17 मार्च को ‘मिशन शक्ति’ सफलतापूर्वक पूरा किया था। तब हमने धरती की निचली कक्षा में मौजूद एक सैटेलाइट को ऐंटी सैटेलाइट मिसाइल से उड़ाकर पूरी दुनिया में अपनी स्‍पेस पावर का लोहा मनवाया था।
भारत के पास इजरायल की SPYDER मिसाइल भी है जो 5 से 50 किलोमीटर तक की रेंज में मार कर सकती है। इसके अलावा ‘अश्विन’ नाम की एक स्‍वदेशी मिसाइल भी है जो करीब 30 किलोमीटर तक के ऑल्‍टीट्यूट पर मिसाइल्‍स को इंटरसेप्‍ट कर लेती है।
भारत को रूस की ओर से जल्‍दी ही S-400 Triumf एयर डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम मिलने वाला है। यह सिस्‍टम भारतीय एयरफोर्स की रीच को चार गुना तक बढ़ा देगा। S-400 Triumf दुनिया के सबसे ऐडवांस्‍ड एयर डिफेंस सिस्‍टम्‍स में से एक है। इसमें जो रडार लगे हैं वह 1,000 किलोमीटर दूर से ही आ रहे ऑब्‍जेक्‍ट को पकड़ सकते हैं। दर्जनों ऑब्‍जेक्‍ट्स पर एकसाथ नजर रखने में सक्षम यह डिफेंस सिस्‍टम फाइटर एयरक्राफ्ट्स पर निशाना लगाने में जल्‍दी चूकता नहीं। एक S-400 सिस्‍टम से एक पूरे स्‍पेक्‍ट्रम को हवाई खतरे से सुरक्षित किया जा सकता है। चीन के साथ बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच इस सिस्‍टम को जल्‍द हासिल करने की कोशिश हो रही है ताकि पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में सिर्फ एक डिफेंस सिस्‍टम से ही ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखी जाए।
रूस के S-300V जैसी चीन की HQ-9 भी टू-स्‍टेज मिसाइल है। जमीन से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल सिस्‍टम करीब दो टन वजनी और 7 मीटर लंबी है। HQ-9 चीन का मेन एयर डिफेंस सिस्‍टम है। इसके वारहेड की अधिकतम रेंज 200 किलोमीटर और स्‍पीड 4.2 मैच है। इस मिसाइल में खामी यह है कि इसका थ्रस्‍ट वेक्‍टर कंट्रोल एक साइड से नजर आता है। यह मिसाइल पहले बहुत बड़ी थी, रूस की मदद से अब इसे इतना छोटा बना लिया गया है कि ट्रांसपोर्ट लॉन्‍चर से छोड़ा जा सके। फिर भी इसकी बैलिस्टिक क्षमता पर एक्‍सपर्ट्स को शक है।
भारत और चीन के म्‍युचुअल फ्रेंड यानी रूस ने दोनों देशों को हथियार बेचे हैं। रशियन S-300 एयर डिफेंस सिस्‍टम को चीन ने खरीदा और फिर उसे अपने यहां और डेवलप किया। S-300V का चीनी वर्जन HQ-18 के नाम से जाना जाता है। इन मिसाइल सिस्‍टम की रेंज 100 किलोमीटर तक है। कुछ मिसाइलें 150 किलोमीटर तक भी मार कर सकती है। इसका रडार एक साथ 200 टारगेट्स को डिटेक्‍ट कर सकता है।
दुनिया के सबसे ऐडवांस्‍ड मिसाइल सिस्‍टम्‍स में से एक, S-400 Triumf की एक खेप चीन के पास पहले से मौजूद है। इस साल फरवरी में रूस ने दूसरी खेप चीन को भेजी थी। 2014 में चीन ने दो S-400 सेट मांगे थे। पहले सेट की डिलीवरी 2018 में पूरी हुई। यानी तुलनात्‍मक रूप से देखें तो दोनों देशों के पास मजबूत एयर‍ डिफेंस सिस्‍टम है। हालांकि लॉन्‍च रेंज में भारत अभी थोड़ा कमजोर नजर आता है मगर S-400 आ जाने से उसकी स्थिति और मजबूत हो जाएगी।
बैकअप टीम हमेशा तैयार एक अधिकारी ने बताया कि वैसे तो एक यूनिट में घातक टीम में एक ऑफिसर, एक जेसीओ सहित करीब 22 जवान होते हैं लेकिन लगभग एक पूरी घातक टीम बैकअप में भी होती है। इस तरह एक यूनिट में हर वक्त 40-45 घातक कमांडो होते हैं। भारतीय सेना में हर इंफ्रेंट्री ऑफिसर को घातक कमांडो ट्रेनिंग करनी होती है और चुने हुए जवानों को यह ट्रेनिंग दी जाती है। हर यूनिट में हर साल 30-40 नए जवान आते हैं और फिर घातक कमांडो टीम में भी नए जवानों से कुछ को रखा जाता है। ये घातक कमांडो टीम में से जिन जवानों को रिप्लेस करते हैं, वह भी यूनिट में रहते हैं। इस तरह घातक कमांडो टीम के अलावा भी यूनिट में लगभग 50 पर्सेंट जवान ऐसे होते हैं जो इसमें माहिर होते हैं।
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