#डर (बंटवारा १९४७)
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डर (बंटवारा १९४७)
सौजन्य गूगल एक अनजाना डर सबमें भरा हुआ है कल क्या होगा इससे डरा हुआ है, समाज के बिगड़ते हालात आपस के रिश्तों में धार्मिक उन्माद प्यार और विश्वास के बिखर रहे जज्बात आम अवाम सहमा हुआ है । बंटवारा का एक दंश जो उन्नीस सौ सैंतालीस अब तक भरा नहीं, हिंदू हो या मुसलमान खोया है सबने कुछ ना कुछ कहीं उन कड़वी यादों का जख्म अब तक भरा नहीं कुछ ऐसा ही माहौल अब बना हुआ है । एक अनजाना डर सबमें भरा…
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