#डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति भारत
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नवंबर में WPI मुद्रास्फीति 12 साल के उच्च स्तर 14.23% पर पहुंच गई - टाइम्स ऑफ इंडिया
नवंबर में WPI मुद्रास्फीति 12 साल के उच्च स्तर 14.23% पर पहुंच गई – टाइम्स ऑफ इंडिया
NEW DELHI: थोक मूल्य मुद्रास्फीति (WPI) नवंबर के महीने में 12 साल के उच्च स्तर 14.23 प्रतिशत पर पहुंच गई, मंगलवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला। WPI का आंकड़ा अप्रैल 2005 के बाद सबसे अधिक है। अक्टूबर में यह संख्या 5 महीने के उच्च स्तर 12.54 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। पिछले कुछ महीनों से महंगाई का बढ़ता दबाव चिंता का विषय रहा है। WPI संख्या में वृद्धि प्रमुख रूप से विनिर्माण और खाद्य कीमतों…
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डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर फरवरी में 13.11 पीसी हुई। जनवरी 2022 में 1296 पीसी।
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर फरवरी में 13.11 पीसी हुई। जनवरी 2022 में 1296 पीसी।
दैत्य, अमर उजाला, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित: दीप चतुर्वेदी अपडेट किया गया सोम, 14 मार्च 2022 12:47 PM IST सर यह एक बार फिर से सोचने वाली है। सूचना, क्रियात्मक रूप से बढ़ाना। 13.11 के स्तर पर यह जारी है। खबर खबर मस्तिष्क को देश के आम आदमी को एक बार फिर से झटका लगा है। सूचना, क्रियात्मक रूप से बढ़ाना। 13.11 के स्तर पर यह जारी है। प्रश्न पर प्रश्न 12.96 पर जांच की गई। 🙏 भारत के बारे में वैश्विक…
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अर्थव्यवस्था के लिए क्यों अच्छा नहीं है थोक कीमतों का गिरना?
अर्थव्यवस्था के लिए क्यों अच्छा नहीं है थोक कीमतों का गिरना?
भारत की थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में मई माह के दौरान ईंधन और बिजली के दाम घट��े से 3.21 फीसदी की गिरावट रही, जो पिछले चार साल सें सबसे अधिक है।
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शेयर बाजारों में मामूली तेजी (साप्ताहिक समीक्षा) has been published on PRAGATI TIMES
शेयर बाजारों में मामूली तेजी (साप्ताहिक समीक्षा)
मुंबई,(आईएएनएस)| बीता सप्ताह शेयर बाजारों के लिए मिला-जुला रहा। सेंसेक्स में जहां मामूली तेजी रही, वहीं, निफ्टी में मामूली गिरावट दर्ज की गई।
साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 28.23 अंकों या 0.08 फीसदी की तेजी के साथ 33,342.80 पर तथा निफ्टी 38.15 अंकों या 0.37 फीसदी की तेजी के साथ 10,283.60 पर बंद हुआ। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 110.64 अंकों या 0.67 फीसदी की तेजी के साथ 16,673.33 पर तथा स्मॉलकैप सूचकांक 38.69 अंकों या 0.22 फीसदी की गिरावट के साथ 17,605.13 पर बंद हुआ। सोमवार को शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत हुई और सेंसेक्स 281 अंकों या 0.84 फीसदी की गिरावट के साथ 33,033.56 पर बंद हुआ तथा निफ्टी 96.80 अंकों या 0.94 फीसदी की तेजी के साथ 10,224.95 पर बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स में 91.69 अंकों या 0.28 फीसदी की गिरावट आई और यह 32,941.87 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 38.35 अंकों या 0.38 फीसदी की गिरावट के साथ 10,186.60 पर बंद हुआ। बुधवार को भी गिरावट का दौर जारी रहा। सेंसेक्स 181.43 अंकों या 0.55 फीसदी की गिरावट के साथ 32,760.44 पर तथा निफ्टी 68.55 अंकों या 0.67 फीसदी की गिरावट के साथ 10,118.05 पर बंद हुआ। गुरुवार को लगातार तीन सत्रों में गिरावट के बाद बाजार में तेजी लौटी और सेंसेक्स 346.38 अंकों या 1.06 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 33,106.82 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 96.70 अंकों या 0.96 फीसदी की तेजी के साथ 10,214.75 पर बंद हुआ। कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन सकारात्मक वैश्विक संकेतों के असर से सेंसेक्स 235.98 अंकों या 0.71 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 33,342.80 पर तथा निफ्टी 68.85 अंकों या 0.67 फीसदी की वृद्धि के साथ 10,283.60 पर बंद हुआ। शुक्रवार को मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत की रेटिंग 14 सालों बाद बीएए से बढ़ाकर बीएए2 कर दी, जिसका बाजार पर काफी सकारात्मक असर देखा गया और विदेशी निवेशकों ने जोरदार खरीदारी की। बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे – महिंद्रा एंड महिंद्रा (1.67 फीसदी), एनटीपीसी (0.76 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.97 फीसदी), कोटक महिंद्रा बैंक (2.97 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (2.04 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (1.26 फीसदी) और एचडीएफसी (0.24 फीसदी)। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे – अडाणी पोर्ट्स (7.19 फीसदी), ओएनजीसी (6.97 फीसदी), कोल इंडिया (4.27 फीसदी), लार्सन एंड टूब्रो (3.39 फीसदी), सन फार्मा (1.94 फीसदी), भारती एयरटेल (1.89 फीसदी) और एक्सिस बैंक (0.48 फीसदी)। व्यापक आर्थिक मोर्चे पर, सरकार ने शुक्रवार (10 नवंबर) को शेयर बाजार बंद होने के बाद फैक्ट्री उत्पादन के आंकड़े जारी किए। फैक्ट्री उत्पादन में आई तेजी सितंबर में थमती नजर आई और इस दौरान यह गिरकर 3.80 फीसदी रही, जोकि अगस्त के दौरान 4.46 फीसदी थी। हालांकि साल-दर-साल आधार पर साल 2016 के सितंबर की तुलना में इसमें तेजी दर्ज की गई है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ‘त्वरित अनुमान’ में कहा गया, “साल 2017 के अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 2.5 फीसदी की संचयी वृद्धि दर रही।” सरकार ने सोमवार (13 नवंबर) को वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। खाद्य पदार्थों, ईंधन और आवास की कीमतों में वृद्धि से अक्टूबर में भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति की दर ऊंची रही। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.58 फीसदी हो गई, जो सितंबर में 3.28 फीसदी थी। हालांकि, साल-दर-साल आधार पर पिछले महीने सीपीआई महंगाई में गिरावट आई है, जो कि साल 2016 के अक्टूबर में 4.20 फीसदी दर्ज की गई थी। समीक्षाधीन माह में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) बढ़कर 1.90 फीसदी रहा, जबकि सितंबर में यह 1.25 फीसदी था। साल-दर-साल आधार पर शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 3.81 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण भारत में बढ़कर यह 3.36 फीसदी रही। मंगलवार (14 नवंबर) को बाजार बंद होने के बाद सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। खाद्य पदार्थो की कीमतें बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित देश की महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 3.59 फीसदी रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, संशोधित आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) 3.59 फीसदी रहा, जो सितंबर में 2.60 फीसदी था। विभिन्न खंडों के आधार पर प्राथमिक वस्तुओं की अक्टूबर में महंगाई दर 0.15 फीसदी बढ़कर 3.33 फीसदी रही, जिसका डब्ल्यूपीआई में 22.62 फीसदी भार है। खाद्य पदार्थो की कीमतें साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में 4.30 फीसदी हो गईं, जो सितंबर के दौरान 2.04 फीसदी थीं। प्याज के थोक मूल्य सूचकांक में 127.04 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि आलू की कीमतें 44.29 फीसदी घटीं। अक्टूबर में कुल मिलाकर सब्जियों की कीमतों में 36.61 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 11.84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की कीमत साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में 1.99 फीसदी कम रही, जबकि दालों की कीमतों में 31.05 फीसदी की कमी आई। प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थो जैसे अंडा, मांस और मछली में समीक्षाधीन माह में 5.76 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। समीक्षाधीन माह में ईंधन और बिजली की कीमतों में 10.52 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
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