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chaitanyabharatnews · 5 years
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टीएन शेषन निधन : एक ऐसा शख्स जिसने बदल दी थी देश की चुनावी तस्वीर, पीएम मोदी सहित इन दिग्गज हस्तियों ने जताया शोक
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. चुनाव आयोग को अलग पहचान देने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार को चेन्नई में निधन हो गया। वे 87 साल के थे। शेषन 1990 से 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त रहे थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी,कांग्रेस नेता शशि थरुर, एस. वाई. कुरैशी समेत कई बड़े दिग्गजों ने दुख जताया। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); Saddened by the demise of former Chief Election Commissioner, Shri T N Seshan ji. He played a transformative role in reforming and strengthening India’s electoral institution. The nation will always remember him as a true torchbearer of democracy. My prayers are with his family. — Amit Shah (@AmitShah) November 10, 2019 पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, 'वह अभूतपूर्व नौकरशाह थे। उन्होंने पूरी निष्ठा और परिश्रम के साथ देश की सेवा की। चुनाव सुधारों में उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को और मजबूत किया। उनके निधन की खबर सुनकर पीड़ा हुई, ओम शांति।' Shri TN Seshan was an outstanding civil servant. He served India with utmost diligence and integrity. His efforts towards electoral reforms have made our democracy stronger and more participative. Pained by his demise. Om Shanti. — Narendra Modi (@narendramodi) November 10, 2019 वहीं कांग्रेस नेता शशि थरुर ने ट्वीट किया कि, 'चेन्नई में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के निधन की सूचना से शोक संतप्त हूं। वह विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ में मेरे पिता के सहपाठी थे। वह साहसी बॉस थे जिसने चुनाव आयोग की स्वायत्तत्ता को स्थापित किया।' Sad that former ChiefElectionCommissioner TN Seshan has passed away in Chennai. He was my father’s classmate at VictoriaCollege Palakkad — a courageous &crusty boss who asserted the ElectionCommission’s autonomy& authority as no CEC before him had done. A pillar of our democracy pic.twitter.com/FfGBuJnWoU — Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 10, 2019 इसके अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने ट्वीट किया कि, 'यह बताते हुए दुख हो रहा है कि टीएन शेषन अब हमारे बीच नहीं रहे। वे आदर्श और अपने उत्तराधिकारियों के लिए प्रेरक थे। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।' Sad to announce that Shri TN Seshan passed away a short while ago. He was a true legend and a guiding force for all his successors. I pray for peace to his soul. — Dr. S.Y. Quraishi (@DrSYQuraishi) November 10, 2019 बता दें शेषन देश के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे। चुनाव आयुक्त बनने से पहले शेषन ने कई मंत्रालयों में काम किया और जहां भी गए उस मंत्री और मंत्रालय की छवि सुधर गई। 1990 में मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद शेषन का डायलॉग 'आई ईट पॉलिटिशियंस फॉर ब्रेकफास्ट' काफी चर्चा में रहा। Late TN Seshan was an accomplished civil servant, best remembered for reforming the Election Commission of India. As Chief Election Commissioner, Seshan ji galvanised India’s youth to actively participate in the world’s largest democratic exercise. May his soul rest in peace pic.twitter.com/Id0amfVm1T — Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) November 10, 2019 Saddened by the demise of Shri TN Seshan. He was a true legend. His contribution towards election reforms will be the guiding light for years to come. My deepest condolences. Om Shanti! — Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) November 10, 2019 ये भी पढ़े... नहीं रहें चुनाव आयोग को ताकत में बदल देने वाले टीएन शेषन, 86 वर्ष की उम्र में निधन Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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नहीं रहें चुनाव आयोग को ताकत में बदल देने वाले टीएन शेषन, 86 वर्ष की उम्र में निधन
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चैतन्य भारत न्यूज चुनाव सुधारक और सख्त प्रशासक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का 86 साल की उम्र में रविवार को निधन हो गया। शेषन ने चेन्नई में अंतिम सांस ली। वे भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे। वे 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर रहे। टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेल्लाई नारायण अय्यर शेषन था। टीएन शेषन के करियर की शुरुआत ग्राम विकास सचिव सरीखे छोटे से पद से हुई थी। वहां से डिंडिगुल के सब कलेक्टर, फिर मद्रास के परिवहन निदेशक से देश की नौकरशाही के सर्वोच्च पद यानी कैबिनेट सचिव तक शेषन का सफर पहुंचा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इसके बाद बने वे मुख्य चुनाव आयुक्त, जो देश के शीर्ष पांच सांविधानिक पदों में गिना जाता है। चुनाव संबंधी नियमों को सख्ती से लागू करवाने के लिए मशहूर शेषन ने अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव किसी को नहीं बख्शा। बता दें वो पहले चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने बिहार में पहली बार चार चरणों में चुनाव करवाया था। इस दौरान मात्र गड़बड़ी की आशंका में ही चारों बार चुनाव की तारीखें तक बदल दी थी। बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम रहे बिहार में उन्होंने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया था। कई सरकारी पदों पर रहे शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बनने से पहले शेषन ने कई मंत्रालयों में काम किया और जहां भी गए उस मंत्री और मंत्रालय की छवि सुधर गई। 1990 में मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद शेषन का डायलॉग 'आइ ईट पॉलिटिशियंस फॉर ब्रेकफास्ट' काफी चर्चा में रहा। 1955 बैच के आईएएस अधिकारी टीएन शेषन कई सरकारी पदों पर कार्यरत रहे जिनमें रक्षा सचिव से लेकर कैबिनेट सचिव पद शामिल हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें उतनी ख्याति नहीं मिली जितनी उन्होंने 1990 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने के बाद अर्जित की। शेषन 1990 से लेकर 1996 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त पद पर बने रहे। खास बात यह है कि इन्हीं के कार्यकाल में लोगों ने भलीभांति जाना कि आचार संहिता को कितना प्रभावी बनाया जा सकता है। शेषन के जमाने में ही बोगस वोटिंग पर एक तरह से विराम लगना शुरू हुआ। राजनीति में रखा कदम छह भाई-बहनों में शेषन सबसे छोटे थे। उनके पिता पेशे से वकील थे। उन्होंने आइएएस की परीक्षा टॉप की थी। वे हिंदी, अंग्रेजी के अलावा तमिल, मलयालम, संस्कृत, कन्नड़, मराठी, गुजराती भाषाओं में दक्ष थे। शेषन ने 1997 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था, हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली और केआर नारायणन राष्ट्रपति चुने गए थे। 1999 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गांधीनगर सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ वे मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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नहीं रहें चुनाव आयोग को ताकत में बदल देने वाले टीएन शेषन, 86 वर्ष की उम्र में निधन
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चैतन्य भारत न्यूज चुनाव सुधारक और सख्त प्रशासक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का 86 साल की उम्र में रविवार को निधन हो गया। शेषन ने चेन्नई में अंतिम सांस ली। वे भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे। वे 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर रहे। टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेल्लाई नारायण अय्यर शेषन था। टीएन शेषन के करियर की शुरुआत ग्राम विकास सचिव सरीखे छोटे से पद से हुई थी। वहां से डिंडिगुल के सब कलेक्टर, फिर मद्रास के परिवहन निदेशक से देश की नौकरशाही के सर्वोच्च पद यानी कैबिनेट सचिव तक शेषन का सफर पहुंचा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इसके बाद बने वे मुख्य चुनाव आयुक्त, जो देश के शीर्ष पांच सांविधानिक पदों में गिना जाता है। चुनाव संबंधी नियमों को सख्ती से लागू करवाने के लिए मशहूर शेषन ने अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव किसी को नहीं बख्शा। बता दें वो पहले चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने बिहार में पहली बार चार चरणों में चुनाव करवाया था। इस दौरान मात्र गड़बड़ी की आशंका में ही चारों बार चुनाव की तारीखें तक बदल दी थी। बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम रहे बिहार में उन्होंने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया था। कई सरकारी पदों पर रहे शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बनने से पहले शेषन ने कई मंत्रालयों में काम किया और जहां भी गए उस मंत्री और मंत्रालय की छवि सुधर गई। 1990 में मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद शेषन का डायलॉग 'आइ ईट पॉलिटिशियंस फॉर ब्रेकफास्ट' काफी चर्चा में रहा। 1955 बैच के आईएएस अधिकारी टीएन शेषन कई सरकारी पदों पर कार्यरत रहे जिनमें रक्षा सचिव से लेकर कैबिनेट सचिव पद शामिल हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें उतनी ख्याति नहीं मिली जितनी उन्होंने 1990 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने के बाद अर्जित की। शेषन 1990 से लेकर 1996 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त पद पर बने रहे। खास बात यह है कि इन्हीं के कार्यकाल में लोगों ने भलीभांति जाना कि आचार संहिता को कितना प्रभावी बनाया जा सकता है। शेषन के जमाने में ही बोगस वोटिंग पर एक तरह से विराम लगना शुरू हुआ। राजनीति में रखा कदम छह भाई-बहनों में शेषन सबसे छोटे थे। उनके पिता पेशे से वकील थे। उन्होंने आइएएस की परीक्षा टॉप की थी। वे हिंदी, अंग्रेजी के अलावा तमिल, मलयालम, संस्कृत, कन्नड़, मराठी, गुजराती भाषाओं में दक्ष थे। शेषन ने 1997 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था, हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली और केआर नारायणन राष्ट्रपति चुने गए थे। 1999 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गांधीनगर सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ वे मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। Read the full article
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