#झारखंड होम गार्ड
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upcomingyojana · 17 days ago
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Jharkhand Home Guard Recruitment 2025: झारखंड होम गार्ड भर्ती 2025
Jharkhand Home Guard के अंतर्गत 3000 पदों पर भर्ती के लिए पात्र उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किया है। इसके लिए सभी लोग ऑनलाइन के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं| तो अगर आप भी झारखंड होम गार्ड 2025 के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो,  आप इसके लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं आवेदन कब से कब तक लिए जाएंगे और इसकी क्या सरकारी योग्यता रहने वाली है कि सभी जानकारी नीचे इस आर्टिकल में आपको बताया गया है| और इस भर्ती…
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sarkarijobchayan · 2 years ago
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Jharkhand Home Guard Recruitment 2023 | झारखंड होम गार्ड भर्ती 2023:Jharkhand Govt. invited Online application for 1478 Home Guard post for Dhanbad
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sharpbharat · 2 years ago
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jharkhand rims -रिम्स से प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों की होगी छुट्‌टी,अब होमगार्ड जवानों के हाथों में होगी कमान, जानें क्या है मामला
jharkhand rims -रिम्स से प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों की होगी छुट्‌टी,अब होमगार्ड जवानों के हाथों में होगी कमान, जानें क्या है मामला
रांची: झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची ( रिम्स) में अब प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों की अब छुट्‌टी होगी. नये साल के पहले महीने से यानि जनवरी से सुरक्षा कर्मियों के स्थान पर राज्य के होम गार्ड कमान संभालेंगे. इस बात की घोषणा रिम्स के निदेशक डॉ महेश्वर प्रसाद ने कही. उन्होने कहा कि रिम्स में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती गलत तरीके से काम कर रही थी. हमारी भी कुछ…
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shaileshg · 4 years ago
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कुछ घंटों पहले ही बिहार के डीजीपी से पूर्व डीजीपी हुए गुप्तेश्वर पांडे इन दिनों छाए हुए हैं। अभी मंगलवार को ही उन्होंने रिटायरमेंट से पांच महीना पहले ही वीआरएस लिया है। अब राजनीतिक गलियारों में उनके चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है। माना जा रहा है कि एनडीए की सीट पर वे विधानसभा चुनाव या वाल्मीकिनगर से लोकसभा उपचुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस पर अपने बयानों से लाइम लाइट में आए गुप्तेश्वर पांडे ने इससे पहले 2009 में भी इस्तीफा दिया था और बक्सर लोकसभा सीट से दावेदारी पेश की थी। हालांकि ऐन वक्त पर भाजपा ने सिटिंग कैंडिडेट लालमुनि चौबे को टिकट दे दिया था। जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया था।
गुप्तेश्वर पांडे के वीआरएस लेने की घटना को पॉलिटिकल माइलेज जरूर मिल रहा है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि पहली बार कोई डीजीपी राजनीति में एंट्री लिया है। इससे पहले भी दर्��नभर से ज्यादा डीजीपी राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। कई सफल भी हुए हैं तो कइयों को निराशा भी हाथ लगी है।
1. विष्णु दयाल राम : आंख फोड़वा कांड को लेकर चर्चा में आए, 2019 में लगातार दूसरी बार चुने गए सांसद
1980 के दशक में बिहार में आंख फोड़वा कांड को लेकर सियासत काफी गरमाई थी। तब अपराधियों की आंख में तेजाब डाल दिया जाता था। 30 से ज्यादा अपराधियों के आंख फोड़ने की घटना सामने आई थी। ज्यादातर घटनाएं भागलपुर में हुई थी। तब भागलपुर के एसपी थे विष्णु दयाल राम यानी वीडी राम। इस घटना को लेकर उन पर आरोप लगे जिसकी सीबीआई जांच भी हुई। लेकिन, उनके खिलाफ सबूत नहीं मिल सका। ऐसा कहा जाता है कि साल 2003 में बनी गंगाजल फिल्म बहुत हद तक उसी घटना पर आधारित थी।
विष्णु दयाल राम झारखंड के पलामू से सांसद हैं। 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे विष्णु दो बार झारखंड के डीजीपी रह चुके हैं। एक बार 2005 से 2006 और दूसरी बार 2007 से 2010 तक। बिहार के बक्सर जिले से ताल्लुक रखने वाले विष्णु रिटायरमेंट के करीब चार साल बाद 2014 में भाजपा में शामिल हुए और झारखंड की पलामू लोकसभा सीट से सांसद बने। इसके बाद 2019 में वे लगातार दूसरी बार सांसद बने। वे कई पार्लियामेंट्री कमेटी के सदस्य रह चुके हैं।
2. युमनाम जयकुमार सिंह : डीजीपी के बाद सीधे डिप्टी सीएम बने लेकिन दो साल बाद ही सरकार से बगावत कर दी
इस साल जून के महीने में जब पूरा देश कोरोना से लड़ रहा था तब मणिपुर में एनडीए अपनी सरकार बचाने के लिए जहोजद्द कर रही थी। गठबंधन के 9 विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत कर दिया था। इस बगावत के सूत्रधार थे यहां के डिप्टी सीएम युमनाम जयकुमार। जिसके बाद एनडीए सरकार अल्पमत में आ गई थी। जैसे तैसे सरकार तो बच गई लेकिन युमनाम की छुट्टी हो गई। हाल ही में एनपीपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बर्खास्त कर दिया है।
65 साल के युमनाम जयकुमार सिंह की गिनती पूर्वोत्तर के बड़े नेताओं में होती है। अभी वे उरिपोक विधानसभा क्षेत्र से नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के विधायक हैं। इससे पहले वे मणिपुर के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।1976 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे युमनाम 2007 से 2012 तक मणिपुर के डीजीपी रहे। रिटायरमेंट के करीब 5 साल बाद उन्होंने उन्होंने राजनीति में एंट्री ली। 2017 में उरिपोक सीट से जीत दर्ज करने के बाद वे एन विरेन सिंह की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने।
3. डीके पांडेय : रिटायरमेंट के भाजपा में शामिल हुए, टिकट के लिए दावेदारी की लेकिन चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला डीके पांडेय 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। वे सीआरपीएफ के एडीजी भी रह चुके हैं। 2015 में उन्हें झारखंड का डीजीपी बनाया गया था। वे मार्�� 2019 तक झारखंड के डीजीपी रहे। रिटायरमेंट के बाद अक्ट��बर 2019 में पांडेय भाजपा में शामिल हो गए।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के करीबी माने जाने वाले डीके को उम्मीद थी कि इस बार के झारखंड विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलेगा। उन्होंने निरसा सीट से दावेदारी की थी लेकिन ऐन वक्त पर उनका टिकट कट गया। एक दिलचस्प किस्सा यह भी है कि उनका अपना टिकट तो कटा ही उन्होंने अपने समधी गणेश मिश्र का भी टिकट कटवा दिया। दोनों में से किसी को निरसा से टिकट नहीं मिला।
डीके पांडेय कांके इलाके में अपने बने हुए घर को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने गैरमजरूआ जमीन पर अपना घर बनाया है। इस मामले की जांच चल रही है। अभी कुछ दिन पहले उनकी बहू ने भी उनपर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था।
4. निखिल कुमार : एक बार सांसद और दो बार राज्यपाल बने, पिता रह चुके हैं बिहार के सीएम निखिल कुमार के परिवार का पुराना राजनीतिक इतिहास रहा है। उनके पिता सत्येन्द्र नारायण सिंह बिहार के मुख्यमंत्री और औरंगाबाद लोकसभा से छह बार सांसद रह रहे। बिहार के वैशाली जिले से ताल्लुक रखने वाले 1963 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे निखिल नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) आ���टीबीपी और आरपीएफ के डीजीपी रह चुके हैं। वे 2001 में रिटायर हुए। इसके बाद 2004 में कांग्रेस में शामिल हो गए।
उन्होंने कांग्रेस से औरंगाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद 2009 में नागालैंड और 2013 में केरल के राज्यपाल बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला। जिसके बाद कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने का भरोसा दिया था लेकिन, उन्हें मौका नहीं मिला।
5. प्रकाश मिश्रा : रिटायरमेंट के बाद भाजपा में शामिल हुए लेकिन एक लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा
1977 बैच के आईपीएस अधिकारी और ओडिशा के पूर्व डीजीपी प्रकाश मिश्रा का भी विवादों से नाता रहा है। वे 2012 से 2014 तक ओडिशा के डीजीपी रहे। सिंतबर 2014 में ओडिशा सरकार ने उन पर विजिलेंस का चार्ज लगा दिया और डीजीपी पद से हटा दिया। तब जमकर सियासत हुई थी। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने ओडिशा सरकार को घेरा था और साजिश के तहत परेशान करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पूरा मामला कोर्ट में गया। जून 2015 में कोर्ट ने सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए प्रकाश मिश्रा को राहत दी थी।
इसके बाद 2014 से 2016 तक वे सीआरपीएफ के डीजीपी रहे। रिटायरमेंट के बाद 2019 में वे भाजपा में शामिल हो गए। कटक सीट से उन्हें लोकसभा का टिकट भी मिला, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। उन्हें बीजद के उम्मीदवार भर्तृहरि महताब के हाथों एक लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
इन अधिकारियों के अलावा और भी ऐसे डीजीपी रहे जिन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई। हालांकि इनमें से ज्यादातर को उतनी सफलता और शोहरत नहीं मिली जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी।
6. सुनील कुमार 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे सुनील कुमार हाल ही में जदयू में शामिल हुए हैं। इस बार के विधानसभा में वे भी अपना किस्मत आजमा सकते हैं। सुनील कुमार होम गार्ड और फायर सर्विसेज के डीजीपी रह चुके हैं। इसी साल जुलाई में सुनील कुमार रिटायर हुए हैं। गोपालगंज से ताल्लुक रखने वाले पूर्व DGP सुनील कुमार के भाई अनिल कुमार कांग्रेस के विधायक हैं।
7. अजीत सिंह भटोटिया
1968 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे अजीत सिंह भटोटिया हरियाणा के पूर्व डीजीपी रह चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद 2005 में वे भाजपा में शामिल हुए। इसके बाद 2010 वे कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि कांग्रेस में भी वे ज्यादा दिन टिक नहीं सके और 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली।
8. आर नटराज
आर नटराज तमिलनाडु की एक सीट से विधायक हैं। 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे नटराज की गिनती तेज तर्रार अधिकारियों में होती थी। तमिलनाडु के डीजीपी रह चुके नटराज 2014 में एआईडीएमके में शामिल हुए थे। इसके बाद 2016 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
9. एचआर स्वान
1957 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे एचआर स्वान की मौत इसी साल मई में हुई। हरियाणा के डीजीपी रह चुके स्वान 1996 में भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने 1996 और 98 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली। 2004 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।
10.विकास नारायण राय
विकास नारायण राय हरियाणा के डीजीपी रह चुके हैं। 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे विकास 2012 में रिटायर हुए। इसके बाद 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। वे अक्सर भाजपा और केंद्र सरकार को लेकर प्रहार करते रहते हैं।
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निखिल कुमार, डीके पांडेय, प्रकाश मिश्रा , युमनाम जयकुमार सिंह और विष्णु दयाल राम (ऊपर से नीचे) ये सभी डीजीपी रह चुके हैं।
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employment-career-blog · 7 years ago
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Jharkhand Home Guard Force Recruitment 2018 - Apply For 452 Home Guard Post www.jharkhand.gov.in career
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upcomingyojana · 17 days ago
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Jharkhand Home Guard Recruitment 2025 - झारखंड होम गार्ड भर्ती 2025, 10वीं पास
Jharkhand Home Guard भर्ती 2025 का ऑफिशल नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया जिसमें की 3000 पदों पर भर्ती होगी और इसमें आयु सीमा 18 से 35 वर्ष रहने वाली है इस ऑफिशल नोटिफिकेशन के अनुसार Home Guard के साथ-साथ अन्य पदों पर भर्ती होने वाली है और इस भर्ती में जनरल कैटेगरी को ₹100 शुल्क देना होगा और एससी एसटी को ₹0 का शुल्क देना होगा और जिसमे आपको सैलरी लगभग 12000 से लेकर 16300 तक हर महिना वेतन मिलेगा| तो इस…
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upcomingyojana · 17 days ago
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Jharkhand Home Guard Recruitment 2025 - झारखंड होम गार्ड भर्ती 2025,10वीं पास
आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे Jharkhand Home Guard भर्ती 2025 के बारे में। जो अलग-अलग पदों पर भर्ती होगी जिनमें Home Guard का पद होने वाला है इसके साथ-साथ और अन्य पदों पर भर्ती होने वाली है जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जा रहे हैं तो इस भर्ती में क्या एजुकेशन क्वालीफिकेशन देखने को मिलेगी क्या आयु सीमा रहने वाली कब से कब तक आवेदन करना होगा सारी जानकारी आगे इस आर्टिकल में आपको मिलने वाले हैं तो…
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