#झारखंड में ��ोरोना
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Jharkhand minister banna gupta : झारखंड के मंत्री बन्ना गुप्ता तीसरी बार मंत्री बनकर शहर पहुंचे, जानिए कब भावुक होकर रोने लगे बन्ना गुप्ता, देखिये - video
जमशेदपुर : एक तरफ झारखंड कांग्रेस के नाराज विधायक दिल्ली दरबार में अपने ही पार्टी के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत लेकर आलाकमान के समक्ष हाजिरी लगाने पहुंचे हैं दूसरी तरफ इन सबसे इतर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बना गुप्ता जो कांग्रेस कोटे से मंत्री बने हैं रविवार को जमशेदपुर पहुंचते ही भावुक नजर आए. एक तरफ समर्थकों का उत्साह सातवें आसमान पर नजर आया दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का रोना अलग ही…
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पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 2 रुपये भी नहीं थे, फिर माँ ने चूड़ी बेचकर बना दिया बेटा को IAS!
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पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 2 रुपये भी नहीं थे, फिर माँ ने चूड़ी बेचकर बना दिया बेटा को IAS!
दोस्तों जिनमे अपने लक्ष्य को हासिल करने का ज़ज़्बा होता है वो हर परिस्थिति से लड़कर अपना लक्ष्य हासिल करते हैं। ऐसी ही एक संघर्ष भरी कहानी हैं झारखण्ड कैडर के आईएएस अधिकारी रमेश घोलप की। जिन्हे इस वक्त राज्य सरकार ने झारखंड राज्य कृषि विपणन पार्षद, रांची के प्रबंध निदेशक पद पर पदस्थापित किया है साथ ही अगले आदेश तक झारखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, रांची के प्रशासक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। बचपन में कभी मां के साथ सड़क पर चूड़ी बेचने वाले रमेश आज आईएएस अफसर है। कठिन परिस्थितियों में इस मुकाम को हासिल करने वाले रमेश की कहानी बेहद संघर्ष से भरी रही है। रमेश घोलप का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ। जिंदगी बदलने का सही ढंग कोई इनसे सीखे। एक ऐसा भी समय था जब इन्होंने अपनी मां के साथ चूड़ियां बेचीं थी। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के वारसी तहसील के महागांव में जन्मे रमेश ने जब होश संभाला तो पाया कि परिवार दो समय की रोजी के लिए भी जंग लड़ रहा है।
रमेश के पिता एक साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे। इस दुकान में रमेश के परिवार की रोटी चल सकती थी। जिस उम्र में बच्चे खेलते हैं उस समय में रमेश ने संघर्ष शुरू कर दिया। उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। कभी अपनी आर्थिक स्थिति का रोना नहीं रोया। रमेश घोलप की सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। गरीबी के दिन काटने वाले रमेश ने अपनी जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और आज युवाओं के लिए वह एक मिस���ल बन गए। गरीबी से लड़कर आईएस बने रमेश ने पिछले साल बतौर एसडीओ बे��मो में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन्होंने अभाव के बीच आईएएस बनने का ना सिर्फ सपना देखा बल्कि इसे अपनी मेहनत से सच कर दिखाया।
रमेश घोलप ने अपनी पढ़ाई को हमेशा जारी रखा था। उन्होंने खुद को मजबूत बना लिया था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए बचपन में मां के साथ दिनभर चूड़ी बेचते थे। रमेश घोलप मौसी के इंदिरा आवास में ही रहते थे। बोर्ड परीक्षा से 1 माह पूर्व पिता जी का देहांत हो गया। पिताजी के गुजर जाने के बाद वह पूरी तरह टूट गए थे। विकट परिस्थिति में परीक्षा दी और अच्छे अंक हासिल किए। उनकी मां को सामूहिक योजना के तहत गाय खरीदने के नाम पर लोन मिल गया। इस लोन के पैसे से उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। फिर इस पैसे को लेकर वह तहसीलदार की पढ़ाई करने लगे। बाद में इसी पैसों से आईएएस की पढ़ाई की। तंगहाली में जी रहे रमेश घोलप ने दीवारों पर नेताओं की घोषणाओं लिखने का काम किया, दुकानों का प्रचार किया, शादी की पेंटिंग की और पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठा किया।
रमेश के जीवन में परेशानी इसलिए भी अधिक थी क्योंकि बहुत ही कम उम्र में उनके बाएं पैर में पोलियो हो गया था। पैसे की कमी को विकलांगता का साथ भी मिल गया था। पर कहते हैं ना कि किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। उनके कदम रुकने वाले नहीं थे। उन्होंने कभी अपनी कमजोरी सामने नहीं आने दी। हर परिस्थिति से डटकर मुकाबला करते रहे थे। हमेशा तकलीफ के बाद भी मुस्कुरा कर आगे बढ़े। रमेश ने अपनी इस कमजोरी को भी अपनी सफलता के रास्ते में आने नहीं दिया। रमेश के पिता गोरख की साइकिल पंचर की दुकान थे दुकान में ऐसे ही कमाई खास नहीं होते थे। दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। रमेश के गांव में पढ़ाई की कोई खास व्यवस्था नहीं थी गांव में शिक्षा के संसाधनों की कमी थी। इसलिए वह अपने चाचा के पास बरसी में पढ़ रहे थे। उस समय बरसी में उनके गांव का किराया मात्र 7 रुपये था। विकलांग होने की वजह से रमेश को केवल 2 रुपये देना पड़ता था। लेकिन रमेश के पास उस समय 2 भी नहीं थी। पड़ोसियों ने पैसे दिए थे तब जाकर वह अपने पिता के अंतिम यात्रा में शामिल हो पाए थे।
पिता के देहांत के बाद पेट पालने की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। मां ने परिवार पालने की जिम्मेदारी खुद उठाई। ऐसे में रमेश की मां सड़क किनारे चूड़ियां बेचकर गुजारा करने लगी। रमेश ने भी मां के काम में साथ दिया और उन्होंने भी चूड़ियां बेची। लेकर उन्होंने पढ़ाई पूरी से कभी दूरी नहीं बनाई। रमेश घोलप की कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि जो भी सपना देखो उसके पीछे पड़ जाओ। कभी भी परिस्थिति का रोना मत रो�� हर पल मुस्कुरा कर आगे बढ़ते चलो। जिसे सच में कुछ बड़ा हासिल करना होता है वह रास्ते में आने वाली किसी परेशानी को नहीं देखता बस अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है। वरना रमेश का पूरा जीवन ही ऐसी दुखद घटनाओं से भरा पड़ा है। अगर वे उन परेशानियों को देखते तो शायद आज वह डीसी नहीं होते।
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Compulsion to cry: More than 100 relatives sleep in the hospital premises like this every day; Due to non-commissioning of bus service in Jharkhand, the seats grew grass | मजबूरी को-रोना: अस्पताल परिसर में 100 से ज्यादा परिजन रोज ऐसे ही सोते हैं; झारखंड में बस सेवा चा��ू नहीं होने से सीटों पर घास उग आई
Compulsion to cry: More than 100 relatives sleep in the hospital premises like this every day; Due to non-commissioning of bus service in Jharkhand, the seats grew grass | मजबूरी को-रोना: अस्पताल परिसर में 100 से ज्यादा परिजन रोज ऐसे ही सोते हैं; झारखंड में बस सेवा चालू नहीं होने से सीटों पर घास उग आई
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Compulsion To Cry: More Than 100 Relatives Sleep In The Hospital Premises Like This Every Day; Due To Non commissioning Of Bus Service In Jharkhand, The Seats Grew Grass
32 मिनट पहले
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रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन ऐसे ही रोज एम्बुलेंस पार्किंग शेड के नीचे सोते हैं। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम-कायदे के बीच भी कोई…
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हिंदपीरी रांची में 4 को रोना पॉजिटिव और मिले झारखंड में कुल पॉजिटिव- 119
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BJP में शामिल हुए बाबूलाल मरांडी, बोले- पद की चाह नहीं, झाड़ू लगाने को भी तैयार - Babulal marandi join bjp in ranchi jharkhand amit shah milan samaroh bjp jvm jharkhand vikas morcha
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BJP में शामिल हुए बाबूलाल मरांडी, बोले- पद की चाह नहीं, झाड़ू लगाने को भी तैयार - Babulal marandi join bjp in ranchi jharkhand amit shah milan samaroh bjp jvm jharkhand vikas morcha
झारखंड के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी 14 साल के लंबे वक्त के बाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं. उनकी घर वापसी को लेकर झारखंड की राजधानी रांची में विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया. बीजेपी ने इसे मिलन समारोह का नाम दिया है. बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी में शामिल होने के बाद कहा कि उन्हें पद की लालसा नहीं है और वे पार्टी के लिए झाड़ू लगाने को भी तैयार हैं.
‘थोड़े जिद्दी किस्म के हैं बाबूलाल मरांडी’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि जेवीएम के कार्यकर्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें कभी नहीं लगेगा कि वे बाहर से आए हैं, बल्कि वे अपने घर ही आए हैं. उन्होंने जेवीएम कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाते हुए कहा कि उनके साथ अपने जैसा ही व्यवहार होगा, और राज्य में उन्हें उचित जिम्मेदारी दी जाएगी. अमित शाह ने कहा कि जब 2014 में वे बीजेपी के अध्यक्ष थे तभी से चाहते थे कि बाबूलाल मरांडी बीजेपी में आएं. अमित शाह ने मजाकिया अंदाज में कहा कि बाबूलाल मरांडी थोड़े जिद्दी किस्म के हैं, लंबे समय तक नहीं माने, लेकिन आखिरकार आज बाबूलाल मरांडी सबकी सहमति से बीजेपी में शामिल हो गए.
अमित शाह ने कहा कि लोग चर्चा करते हैं कि बीजेपी झारखंड में चुनाव हार गई, लेकिन बीजेपी का लक्ष्य सरकार बनाना नहीं बल्कि राष्ट्र और समाज का निर्माण करना होता है और इस लक्ष्य के लिए हमलोग सालों विपक्ष में रहे हैं.
पढ़ें- 14 साल बाद खत्म होगा BJP से मरांडी का वनवास, अलग होकर नहीं दिखा पाए थे करिश्मा
बता दें कि इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह के अलावा तीन ऐसे चेहरे मौजूद रहे जो झारखंड के पूर्वी सीएम रह चुके है, ये चेहरे हैं बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और कुछ ही दिन पहले तक राज्य के सीएम रहे रघुवर दास. हालांकि इस वक्त जेएमएम ने बीजेपी से सत्ता छीन ली है. इस चुनौतीपूर्ण वक्त में बीजेपी ने अपने पुराने कॉमरेड बाबूलाल मरांडी को एक बार फिर से पार्टी में शामिल किया है.
पार्टी में कोई पद की लालसा नहीं, झाड़ू लगाने को भी तैयार
बीजेपी में शामिल होने के बाद बाबूलाल मरांडी ने कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि 14 साल वे कहीं गए नहीं थे, बल्कि उन्हें ऐसा लग रहा था मानो वो अपनों से बिछड़ गए हों. उन्होंने कहा कि बीजेपी में आकर उनका सफर एक मुकाम पर पहुंच गया है.
Jharkhand: Babulal Marandi, former Chief Minister and Jharkhand Vikas Morcha (JVM) chief merges his party with the Bharatiya Janata Party (BJP) at an event in Ranchi, in the presence of Union Home Minister & BJP leader Amit Shah. pic.twitter.com/8EiDUHEZQI
— ANI (@ANI) February 17, 2020
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्हें न तो पहले कभी पार्टी से पद की अपेक्षा रही और न ही अब है. उन्होंने कहा कि अपनी मंशा बीजेपी उपाध्यक्ष ओम माथुर को बता दी है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे पार्टी के काम के लिए झाड़ू लगाने को भी तैयार है.
अपने संबोधन में बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है, लोगों की हत्या हो रही है, लेकिन सरकार बेखबर है. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार सत्ता में आते ही खजाने की कमी का रोना रोने लगी है. लेकिन इस सरकार को पता होना चाहिए कि खजाने का जुगाड़ सरकार को ही करना पड़ता है.
सत्ता के गलियारों में दलालों की आवाजाही-रघुवर दास
मिलन समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व सीएम रघुवर दास ने हेमंत सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नई सरकार बने हुए कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन सत्ता के गलियारों में दलालों की आवाजाही बढ़ गई है.
रघुवर दास ने कहा कि 2 महीनों में ही इस सरकार में उग्रवादी गतिविधियां बढ़ी है. CAA के समर्थन रैलियां करने वालों पर हमला किया जा रहा है.
रघुवर दास ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के आने से बीजेपी मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि अब बीजेपी साल 2000 के रूप में दिखेगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी का विजय रथ न रुका है और न ही रुकेगा.
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अजब गजब : ‘कुकड़ू कू’ से परेशान होकर मुर्गे की तोडी टांग, मालकिन को पता चलने पर FIR दर्ज-Hindi News
अजब गजब : ‘कुकड़ू कू’ से परेशान होकर मुर्गे की तोडी टांग, मालकिन को पता चलने पर FIR दर्ज-Hindi News
Hindi News – रांची | झारखंड की राजधानी रांची से सटे गढ़वा में एक अजिबो-गरीब मामला देखने को मिला है. एक बुजुर्ग महिला ने थाने में शिकायत की है कि उसके पड़ोसी ने साजिश के तहत उसके द्वारा पाले गए मुर्गे की टांग तोड़ दी है. घर का ये विवाद जब थाने पहुंच गया तो लोग भी इसमें जमकर चुटकी ले रहे हैं. शुरू में तो पुलिस भी शिकायत दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी लेकिन महिला के गिड़गिड़ाना और रोना-धोना शुरू…
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Compulsion to cry: More than 100 relatives sleep in the hospital premises like this every day; Due to non-commissioning of bus service in Jharkhand, the seats grew grass | मजबूरी को-रोना: अस्पताल परिसर में 100 से ज्यादा परिजन रोज ऐसे ही सोते हैं; झारखंड में बस सेवा चालू नहीं होने से सीटों पर घास उग आई
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27 मिनट पहले
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रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन ऐसे ही रोज एम्बुलेंस पार्किंग शेड के नीचे सोते हैं। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम-कायदे के बीच भी कोई…
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-नामदार जितना रोएंगे, पुरानी सच्चाई उतनी खुलेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-नामदार जितना रोएंगे, पुरानी सच्चाई उतनी खुलेगी
NEWS AGENCY:मोदी ने झारखंड के चाईबासा में विजय संकल्प रैली में कांग्रेस पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि मैंने एक बार बोफोर्स घोटाले का नाम लिया तो कांग्रेस को बिच्छू काट गया, तूफ��न आ गया। पेट में इतना जोर से दर्द हुआ कि दहाड़े मारकर रोना ही बाकी रह गया। ये जितना रोएंगे उतना ही उनकी सच्चाई लोगों के सामने आएगी। ये वही लोग हैं जो हमेशा अमर्यादित भाषा में पीएम को गाली देते हैं।उन्होंने कहा कि मैं पूरी…
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मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र और मुसलमानों की नुमाइंदगी
देश में कुल 543 लोकसभा सीटों में से 74 से ज़्यादा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 57 से अधिक ��ोकसभा क्षेत्र तो ऐसे हैं जहाँ मुसलमानों की आबादी 30 फीसद से भी ज़्यादा है... जबकि 74 से अधिक सीटें ऐसी हैं जहाँ मुस्लिम मतदाता 20 से 97 फीसद के बीच में हैं... कुल मिला कर तक़रीबन 220 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ मुसलमानों का वोट शेयर 10 फीसद से ज़्यादा है। ऐसा समीकरण अगर देश की किसी अन्य कम्युनिटी के पक्ष में होता तो वो सत्ता से उतरने का नाम नहीं लेती... यहाँ तो 7-8 फीसद आबादी वाले भी सत्ता भोग रहे हैं जबकि 14-15 फीसद मुसलमान ग़ैरों के दर पर हाथ फैलाए बे-यारो मददगार खड़े हैं... क़ौम की इस हालत पर बहुत दुख होता है ।
देश की सर्वोच्च मुस्लिम आबादी (40 से 97 फीसद) वाली 28 सीटें:
बारामूला-जम्मू-कश्मीर (97% मुस्लिम आबादी), अनंतनाग- जम्मू-कश्मीर ( 95.5%), लक्षद्वीप (95.47%), श्रीनगर- जम्मू-कश्मीर (90%), किशनगंज- बिहार (67%), बेरहमपुर – प. बंगाल (64%), पोन्नानी-केरल(64%), जंगीपुर- प. बंगाल (60%), मुर्शिदाबाद- प. बंगाल (59%), वायनाड-केरल (57%) रायगंज- प. बंगाल (56%), धुबरी – असम ( 56%), मलप्पुरम – केरल (69%), रामपुर – उत्तर प्रदेश (50%), संभाल-यूपी (47%) लद्दाख – जम्मू-कश्मीर (46%), मुरादाबाद- उत्तर प्रदेश (46%), करीमगंज- असम (45%), बशीरहट- प. बंगाल (44%), कटिहार-बिहार (42.53%), भोपाल (नार्थ)- मध्य प्रदेश (42%)' नगीना-यूपी (42%), हैदराबाद- तिलंगना (41.1 7%), सिकन्द्राबाद-तिलंगना (41.17%) अररिया-बिहार (41.14%), मालदा उत्तर- प. बंगाल (50%), मालदा दक्षिण- प. बंगाल (53.46%), तथा भिवंडी -महाराष्ट्र (40%)...
29 सीटें जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसद से ऊपर और 40 फीसद से कम है:
सहारनपुर- उत्तर प्रदेश (39.11%), बिजनौर- उत्तर प्रदेश (39%) तथा बरपेटा- असम (39%), अमरोहा- उप्र (38%), गुड़गांव- हरियाणा (38%) कटिहार- बिहार (38%), पूर्णिया – बिहार (37.65%), मुजफ्फरनगर- उप्र (37%), , कोजीकोड-केरल (37%), बीरभूम- प. बंगाल (36%), वाटकरा-केरल (35%) बहराइच- उप्र (35%), बरेली- उप्र (34%), जादवपुर-प.बंगाल (33.24%), मथुरापुर-प.बंगाल (33.24%), कृष्णा नगर- प. बंगाल (33%), नवगांव- असम (33%), डायमंड हार्बर – प. बंगाल (33%), कासरगोड-केरल (33%), श्रावस्ती-यूपी (31.34%), ऊधमपुर- जम्मू कश्मीर (31%), मेरठ- उप्र (31%), जयनगर- प. बंगाल (30%), कैराना- उप्र (30%), सिलचर- असम (30%), कालियाबोर-असम (30%), बैतुल -मप्र (30%), मंदसौर- मप्र (30%) तथा फरीदाबाद- हरियाणा (30%)...
28 सीटें जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसद से अधिक और 30 फीसद से कम है:
अररिया- बिहार (29), जम्मू (28), डुमरियागंज- उप्र (27), गोड्डा- झारखंड (25), राजमहल- झारखंड (25), बोलपुर- प. बंगाल (25) तथा गुवाहाटी -��सम (25), मधुबनी- बिहार (24), मंगलदोई- असम (24), , कैसरगंज- उप्र (23), लखनऊ- उप्र (23), कूच बिहार- प. बंगाल (23), दरभंगा- बिहार (22), शाहजहांपुर- उप्र (21), बाराबंकी- उप्र (21), सीतामढ़ी- बिहार (21), प. चंपारण – बिहार (21), उलूबेरिया- प. बंगाल (22), मथुरापुर- प. बंगाल (21), नार्थ ईस्ट दिल्ली (21.6 फीसद), पूर्वी चंपारण -बिहार (20), जमशेदपुर- झारखंड (20), जादवपुर- प. बंगाल (20), बर्धवान- प. बंगाल (20), , मुम्बई नार्थ वेस्ट (20), मुंबई साउथ (20), औरंगाबाद -महाराष्ट्र (20) तथा गुलबर्गा – कर्नाटक (20).
2011 की जनगणना के अनुसार देश में मुसलमानों की आबादी तक़रीबन 14 फीसद है। इस आबादी के अनुपात (तनासुब) में लोकसभा में कम से कम 77 मुस्लिम एमपी होने चाहिए... लेकिन 16वीं लोकसभा में केवल 23 मुस्लिम एमपी रहे जोकि 14 फीसद आबादी का 4.2 फीसद ही बनता है... अब सवाल यह उठता है कि आखिर वो क्या तरीक़ा हो सकता है जिससे मुसलमान सत्ता में अपनी भागीदारी को यकीनी बना सकते हैं... इसका एकमात्र हल ये है कि मुसलमान दलितों की तरह अपनी सियासी क़यादत खड़ी करें और अपनी पार्टी के बैनर-तले जम जाएं, तभी जा कर अपनी हक़ीक़ी नुमाइन्दगी हासिल कर सकते हैं। यहाँ हक़ीक़ी नुमाइन्दगी (एक्चुअल रिपर्ज़ेंटेशन) का शब्द इस्तेमाल करने की वजह यह है कि हिंदुस्तान के लोकतान्त्रिक सिस्टम में असल नुमाइन्दगी पार्टियां करती हैं, एमपी और एमएलए नहीं। एमपी और एमएलए तो अप���ी पार्टी लाइन से हट कर एक लाइन भी नहीं बोल सकते... इस लिए दूसरों की पार्टियों से आप चाहे जितना मुस्लिम एमपी और एमएलए भेज दें वो न तो मुसलमानों की वकालत कर सकते हैं और ना ही उनके हक़ीक़ी मसाइल को हल कर सकते हैं। यह सब तभी मुमकिन हो सकता है जब देश के मुसलमान आँखें बंद करके अपनी पार्टियों के पीछे जम जाएँ वरना यूँ ही दर-बदर की ठोकरें खाते ख़ाक छानते रहेंगे और गुज़रते वक़्त के साथ मुसलमानों का भविष्य और अस्तित्व अंधेरे में डूबता चला जाएगा...
वक़्त आ गया है कि अब मुस्लिम क़ौम और उनकी तंजीमें मात्र भाजपा के खौफ में अपने भविष्य से समझौता करना बंद कर दें, वरना आने वाला कल कभी माफ नहीं करेगा। कोई ग़ैर हमारे दर्द का मदावा नहीं कर सकता, हमें खुद अपनी छोटी-छोटी पार्टियों से शुरुवात करनी होगी... उनपर दलाली की तोहमत (जो की अज़ीम गुनाह है) और उनके बिखराव जैसे मुख्तालिल हीलों और बहानों से बाज़ आ कर मुसलमानों को उनके पीछे जमना होगा, फिर उनमें से जो बरतर और अहे�� होगा वो खुद बढ़ कर झंडा उठाएगा... आखिर अपनों के इंतेशार का रोना कब तक रोएंगे? अपनों का इंतेशार ग़ैरों की इत्तिबा (पैरवी) का जवाज़ (औचित्य) नहीं बन सकता। बिलकुल उसी तरह जैसे आपके घर में बिखराव की सूरत में आप अपने पड़ोस के दुश्मन या जानिबदार शख्स को अपने घर का मुखिया नहीं बना सकते।
दूसरों की पार्टियों से उम्मीद लगाना बेसूद है, वो तो आपको आपकी आबादी के अनुपात में टिकट देने के लिए भी तैयार नहीं और अगर दे भी देंगे तो उनके मुस्लिम एमपी-एमएलए आपके किसी काम के नहीं... उनसे अगर कुछ मांगना ही है तो अपनी पार्टियों से गठबंधन और गठबंधन में हिस्सेदारी मांगिए... हाथ फैलाइये तो अपने हक़ के लिए, उनकी गुलामी के लिए नहीं। काश मुसलमान दलितों से कुछ सबक़ सीख लें।
References: 1-https://www.indiatoday.in/india/muslim-representation/story/fact-sheet-muslim-representation-in-parliament-184338-2014-03-10 2-https://www.indiatoday.in/magazine/cover-story/story/20130923-power-and-reach-of-muslim-vote-assembly-elections-lok-sabha-polls-767654-2013-09-12 3-https://m.timesofindia.com/india/Muslim-representation-on-decline/articleshow/48737293.cms 4-http://citizensamvad.com/72-सीटें-ऐसी-जहां-मुस्लिम-मत/ 5-https://www.google.com/amp/s/hindi.oneindia.com/amphtml/news/india/profile-of-sambhal-lok-sabha-constituency-489661.html 6-https://www.dnaindia.com/analysis/standpoint-lok-sabha-elections-muslim-voters-appear-divided-hindus-voting-en-bloc-in-uttar-pradesh-1980291
https://newsplanet.org/muslimselections/*मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र और मुसलमानों की नुमाइंदगी*
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Bokaro AJSU : आजसू पार्टी ने राज्य सरकार पर साधा निशाना, कहा-झारखंड वासियों को छल रही है हेमंत सरकार
Bokaro AJSU : आजसू पार्टी ने राज्य सरकार पर साधा निशाना, कहा-झारखंड वासियों को छल रही है हेमंत सरकार
बोकारो : हर मोर्चे पर विफल झारखंड सरकार अपनी नाकामी की तीसरी वर्षगांठ का जश्न मना रही है। उक्त बातें आजसू पार्टी के जिलाध्यक्ष सचिन महतो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बोकारो सिटी पार्क में कही। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद से पैसे की कमी का रोना रो रही झारखंड सरकार ने अपनी नाकामी का जश्न मनाने में आज रांची के मोरहाबादी में करोड़ो रुपये फूंक दिए। अपनी नाकामी को छिपाने का प्रयास कर रही…
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पलामू से तीन कोराना वायरस के मरीज मिले, झारखंड में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या हुई 66 धनबाद जिले के दोनों को रोना पॉजिटिव मरीज के रिपोर्ट नेगेटिव आई, दोनों ठीक हुए
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झारखंड में एक और को रोना मरीज मिला कुल संख्या हुई- 46 राजधानी रांची के हिंदपीढ़ी इलाके से एक और कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई. इसके साथ ही झारखंड में कुल संक्रमितों की संख्या 46 हो गई है.
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झारखंड में एक और रोना वायरस का मरीज मिला, कुमार धुबी धनबाद का है मरीज
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Delhi Election 2020: मनोज तिवारी बोले- एग्जिट पोल तीन बजे तक का, BJP बना रही सरकार
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Delhi Election 2020: मनोज तिवारी बोले- एग्जिट पोल तीन बजे तक का, BJP बना रही सरकार
मतदान के बाद AAP ने उठाए ईवीएम पर सवाल
बीजेपी नेताओं ने बताया दिल्ली की जनता का अपमान
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत के संकेत मिल रहे हैं. वहीं मतदान के बाद AAP ईवीएम को लेकर भी सवाल खड़े कर रही है. इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं का कहना है कि AAP को ईवीएम पर भरोसा नहीं है. इसके साथ ही मनोज तिवारी दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि उन्हें ईवीएम पर पूरा भरोसा है. दिल्ली में बीजेपी 48 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाने जा रही है. वहीं बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि आम आदमी पार्टी EVM पर सवाल उठाकर दिल्ली की जनता का अपमान कर रही हैं.
EVM पर सवाल उठाकर दिल्ली की जनता का अपमान कर रहे हैं AAP
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) February 9, 2020
मनोज तिवारी का कहना है, ‘AAP वाले क्यों परेशान हो रहे हैं, उनको तो एग्जिट पोल 44 सीटें दे रहा है, फिर भी उनकी सांस उल्टी चल रही हैं. अभी से इनको EVM को दोष देने की बेचैनी बनी हुई है. ये एग्जिट पोल तीन बजे तक का है, उसके बाद 7-7:30 बजे तक वोटिंग हुई. बीजेपी 48+ सीट के साथ सरकार बनाने जा रही है.’
उन्होंने कहा, ‘हम तो यही बोल रहे हैं कि EVM का रोना क्यों रो रहे हो. मतलब AAP अगर जीत गई तो EVM ठीक है और अगर बीजेपी जीत गई तो EVM खराब है. झारखंड में हम नहीं जीत पाए तो हमने EVM को दोष दिया है क्या? अपने कर्मों को दोष द��.’
मनोज तिवारी: हम तो यही बोल रहे हैं कि EVM का रोना क्यों रो रहे हो। मतलब AAP अगर जीत गई तो EVM ठीक है और अगर भाजपा जीत गई तो EVM खराब है। झारखंड में हम नहीं जीत पाए बीजेपी वाले तो हमने EVM को दोष दिया है क्या? अपने कर्मों को दोष दो। https://t.co/gACIfGuTSb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 9, 2020
मनोज तिवारी के अलावा भाजपा सांसद परवेश वर्मा ने भी ट्वीट कर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के खाते में 50 सीटों के आने की बात कही है. हालांकि भाजपा के नेता कुछ भी कहें लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले कम मतदान हुआ है और मतदाताओं की उदासीनता से राजनीतिक पार्टियां खासा परेशान हैं. विशेषकर मतदान का कम प्रतिशत भाजपा के लिए चिंता का सबब बन गया है.
शायद यही वजह है कि दिल्ली चुनाव नतीजों से पहले शनिवार देर रात तक भाजपा के दिल्ली दफ्तर में बैठक चलती रही. बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, दिल्ली के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, प्रभारी नित्यानंद राय और कई नेता मौजूद थे. बैठक में दिल्ली की हर एक सीट की समीक्षा की गई.
AAP की सरकार बनने के संकेत
दिल्ली में चुनाव खत्म होने के बाद सभी एग्जिट पोल में जहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का दावा किया गया है, वही भाजपा नेता इसे लेकर पशोपेश में हैं. रविवार तड़के तीन बजे तक चली बैठक में कम मतदान पर भी चर्चा हुई.
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पार्टी के कई नेताओं को लग रहा है कि मतदान में गिरावट की वजह मध्यम वर्ग की उदासीनता है. पार्टी को लगता है कि उसे इसका सीधा नुकसान होगा. क्योंकि मध्यमवर्ग भारतीय जनता पार्टी का कैडर रहा है. पिछले चुनाव में भाजपा को 33 फीसदी वोट मिले थे.
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पार्टी नेता मान रहे हैं कि शनिवार को लोगों को घरों से निकालकर बूथों पर लाने में बहुत परेशानी हुई. पहले ही बूथ कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने के लिए निर्देश दिए गए थे और सांसदों को उनके काम क���ने पर ध्यान रखने की हिदायत दी गई थी. बावजूद इसके पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 5 फीसदी कम मतदान हुआ है.
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