#ज्योतिष उपाय
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bandhanyoga · 23 days ago
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aghora · 1 year ago
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pavitrajyotish · 1 year ago
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क्या आप जानते हैं? यदि कुंडली मे शनि ग्रह कमजोर हो तो क्या करना चाहिए?
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geeta1726 · 9 months ago
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जिस कन्या या लड़के की शादी में बार बार रुकावटे आती हैं उन्हे किस देवता के कोनसे उपाय करने चाहिये?
ज्योतिष में शादी में रुकावटों को दूर करने के लिए विभिन्न देवताओं के उपायों का सुझाव दिया जाता है। हालांकि, इस तरह के उपायों का असर व्यक्ति की विशेष स्थिति पर भी निर्भर करता है, और इसे निर्धारित करने के लिए सटीक और व्यक्तिगत परामर्श की आवश्यकता है।
गौरी-शंकर पूजा: शिव और पार्वती के रूप में गौरी-शंकर की पूजा करना शादी में रुकावटों को दूर करने के लिए सुझावित है। शनिवार को गौरी-शंकर की आराधना करना भी फलदायक हो सकता है।
गणेश पूजा: गणेश जी की पूजा करना शादी में सुख-शांति एवं सफलता के लिए उपयुक्त हो सकता है। रोजाना गणेश आराधना या गणेश चालीसा का पाठ करना भी लाभकारी हो सकता है।
माँ कात्यायनी की पूजा: माँ कात्यायनी, देवी दुर्गा की एक स्वरूप है, जिन्हें विवाह एवं सुख-शांति के लिए पूजा जाता है। नवरात्रि के दौरान और माँ कात्यायनी जयंती पर उनकी पूजा करना लाभकारी हो सकता है।
संतान गोपाल मंत्र: विवाह में रुकावटों को दूर करने के लिए संतान गोपाल मंत्र का जाप भी किया जा सकता है।
ग्रह शांति पूजा: ज्योतिषियों के सुझाव के अनुसार, किसी विशेष ग्रह की शांति के लिए उपाय करना भी लाभकारी हो सकता है। यह ग्रह कुंडली के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं, इसलिए सटीक ज्योतिषीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
यदि किसी को शादी में बार-बार रुकावटें आ रही हैं, तो इसके लिए आप Kundli Chakra 2022 Professional की मदद ले सकते है। और हमसे जोड़ भी सकते है। 8595675042.
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horoscope1726 · 6 months ago
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राहु की महादशा को शांत करने के उपाय क्या हैं?
राहु की महादशा में शांति के लिए कुछ उपाय हो सकते हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्योतिष के अनुसार, उपाय केवल उसके परिण��मों को कम करने या संवारने में सहायक होते हैं, वे उसे पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते। यहां कुछ आम उपाय दिए जा रहे हैं जो राहु की महादशा में शांति के लिए किये जा सकते हैं:
ग्रह शांति पूजा: राहु की महादशा में ग्रह शांति पूजा करने से लाभ हो सकता है। इसमें गुरुवार को राहु को ध्यान में रखकर पूजा करना शामिल हो सकता है।
मंत्र जप: "ॐ राहवे नमः" मंत्र का जाप करने से राहु की महादशा में शांति मिल सकती है।
दान और दान विधि: राहु के उपाय में दान भी एक प्रमुख उपाय है। कुछ लोग राहु के उपाय के रूप में काले कपड़े, सरसों का तेल, खिचड़ी, उड़द की दाल, तिल, नीला वस्त्र, विजा दान, अनाज, चना आदि के दान करते हैं।
पथ पूजा: शनिवार को राहु की महादशा में पथ पूजा करना भी उपयोगी हो सकता है।
ध्यान और प्रार्थना: अच्छे और सकारात्मक भावनाओं के साथ राहु के उपाय करना भी महत्वपूर्ण है। ध्यान और प्रार्थना द्वारा राहु के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
कृपया ध्यान दें कि ये उपाय अनुभव और ग्रहों के स्थितियों के आधार पर व्यक्ति के अनुकूल होने चाहिए। जिसके लिए आप थे theKundli.com का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक सही कुंडली की जानकारी दे सकता है. और अगर आपको इसके उपाए की जानकारी चाहिए। तो आप टोना टोटक सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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astrlogy001 · 11 months ago
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कालसर्प दोष: ज्योतिषीय परिस्थिति और निवारण
ज्योतिष विज्ञान एक ऐसी विद्या है जो व्यक्ति के जीवन को ग्रहों के चलने के साथ जोड़ती है। यहां हम एक ऐसे विशेष योग के बारे में चर्चा करेंगे जिसे "कालसर्प दोष" कहा जाता है और जिसका निवारण ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से किया जा सकता है।
कालसर्प दोष क्या है?
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय प्रवृत्ति है जो किसी कुंडली में राहु और केतु ग्रहों के बीच में बनने वाले योगों को संकेत करती है। इसे कालसर्प योग भी कहा जाता है, और इसके कारण जातक को विभिन्न जीवन क्षेत्रों में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष क प्रकार:
कालसर्प दोष के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, और कैलास। इन प्रकारों के आधार पर व्यक्ति की कुंडली में किस प्रकार का कालसर्प दोष है, इसे निर्धारित किया जाता है।
कालसर्प दोष के प्रभाव:
परिवारिक समस्याएं: कालसर्प दोष के कारण परिवारिक संबंधों में कठिनाईयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञता और समझदारी से इसका सामना करना आवश्यक होता है
आर्थिक समस्याएं: कालसर्प दोष के चलते व्यक्ति को आर्थिक समस्याएं भी आ सकती हैं। नियमित रूप से धन संबंधित परिस्थितियों का विचार करना महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ व्यक्तियों को कालसर्प दोष के कारण स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। नियमित चेकअप और स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखना आवश्यक है।
कालसर्प दोष का निवारण:
पूजा और हवन: कालसर्प दोष के उपाय में पूजा और हवन का महत्वपूर्ण स्थान है। निर्धारित रूप से मंगलवार को कालसर्प पूजा करना और हवन आयोजित करना चाहिए।
मंत्र जाप: कालसर्प दोष के उपाय के रूप में कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना भी फलकारी हो सकता है। गुरु मंत्र और केतु मंत्र का नियमित रूप से जाप करना लाभकारी हो सकता है।
रत्�� धारण: कुछ ज्योतिषी रत्नों के धारण को भी कालसर्प दोष से मुक्ति प्रदान करने का सुझाव देते हैं। नीलम या मूंगा रत्न का धारण करना इसमें शामिल है।
दान और तप: कुछ लोग दान और तप के माध्यम से भी कालसर्प दोष का निवारण करते हैं। गौ-दान, तिल-दान, और वस्त्र-दान इसमें शामिल हैं।
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय परिस्थिति है जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती है, लेकिन समझदारी से और उचित उपायों के माध्यम से इसका सामना किया जा सकता है। धार्मिकता, सच्चाई, और आत्म-समर्पण के साथ, व्यक्ति इस प्रकार के ज्योतिषीय परिस्थितियों को पार कर सकता है काल सर्प दोष के निवारण के लिए आप किसी पंडित से सलाह ले सकते है और अगर आप खुद से कालसर्प दोष का निवारण करना चाहते है तो होराइजन आर्क के कुंडली चक्र से कर सकते है ये काफी अच्छा सॉफ्टवेयर है और आप अपने जीवन को संतुलित और समृद्धि भरा बना सकता है।
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indlivebulletin · 9 days ago
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गृह गोचर यदि गैजेट बार-बार खराब हो जाते हैं तो समझ लें कि कुंडली में यह ग्रह अशुभ
यदि आपके घर में गैजेट या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बार-बार टूटते हैं, चिंता, अनिद्रा, डरावने सपने, सोते समय डर, कमजोरी या अत्यधिक आलस्य – ये सब राहु के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु को क्रूर ग्रह माना गया है। अगर कुंडली में राहु दोष हो तो जीवन में कई अशुभ घटनाएं घटने लगती हैं। जब राहु अशुभ फल दे रहा हो तो उसे शांत करने के उपाय करना जरूरी होता है। आइए जानते हैं राहु दोष से बचने के…
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astroclasses · 12 days ago
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karmaastro · 28 days ago
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करवा चौथ 2024: जानें आपकी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में ज्योतिषीय रहस्य
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करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है, बल्कि इसका ज्योतिष शास्त्र से भी गहरा संबंध है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से आपकी कुंडली (birth chart) और विवाह का संबंध भी गहरा होता है? आइए इस करवा चौथ पर जानें कि ज्योतिष शास्त्र कैसे आपकी वैवाहिक ज़िंदगी और भविष्य के जीवनसाथी के बारे में जानकारी देता है।
कुंडली से जानें अपना जीवनसाथी (Know Your Future Partner by Birth Chart)
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में विवाह और जीवनसाथी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपी होती है। जन्म कुंडली (birth chart) का 7वां भाव विशेष रूप से आपके जीवनसाथी और शादी से जुड़ा होता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका भविष्य का जीवनसाथी कैसा होगा, तो आपकी कुंडली में शुक्र (Venus) और मंगल (Mars) की स्थिति का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। शुक्र प्रेम और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है, जबकि मंगल वैवाहिक जीवन की ऊर्जा और संघर्ष को दर्शाता है। इन ग्रहों की स्थिति यह बताती है कि आपका जीवनसाथी कैसे स्वभाव का होगा और आपकी शादीशुदा ज़िंदगी कैसी रहेगी।
विवाह के लिए शुभ समय (Marriage Astrology)
शादी के लिए सही समय जानना भी बहुत आवश्यक है, और इसके लिए आपकी कुंडली का विश्लेषण किया जाता है। विवाह ज्योतिष (marriage astrology) के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि कब विवाह के योग बन रहे हैं। कई बार लोग यह सवाल करते हैं कि विवाह में देरी क्यों हो रही है या शादीशुदा जीवन में समस्याएं क्यों आ रही हैं। इन सवालों का जवाब कुंडली के अध्ययन से मिल सकता है। कुंडली के 2nd, 7th और 11th भाव विवाह और परिवार से जुड़े होते हैं। यदि इन भावों में कोई ग्रह बाधा डाल रहा है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
दैनिक राशिफल से जानें वैवाहिक जीवन का हाल (Daily Horoscope)
ज्योतिष शास्त्र में दैनिक राशिफल (daily horoscope) के माध्यम से भी यह जाना जा सकता है कि आपके दिन का प्रभाव आपकी शादीशुदा ज़िंदगी पर कैसा रहेगा। करवा चौथ के दिन यदि आप जानना चाहते हैं कि पूजा का समय आपके लिए कितना शुभ रहेगा या इस दिन पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता कैसी रहेगी, तो आप दैनिक राशिफल का सहारा ले सकते हैं। राशिफल में चंद्रमा की स्थिति खास भूमिका निभाती है, क्योंकि चंद्रमा का सीधा संबंध हमारे मन और भावनाओं से होता है।
करवा चौथ और वैवाहिक जीवन में कुंडली का महत्व
करवा चौथ पर पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की जाती है, और इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है। यदि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में कोई समस्या आ रही है, तो करवा चौथ के दिन कुंडली के अनुसार सही उपाय करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। कुंडली में विवाह के लिए शुभ ग्रहों की स्थिति और चंद्रमा की स्थिति इस दिन के अनुष्ठान को और अधिक प्रभावी बना सकती है।
कैसे करें कुंडली से विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान?
अगर आपकी शादी में लगातार समस्याएं आ रही हैं या विवाह में देरी हो रही है, (Delay in marriage )तो कुंडली का विश्लेषण करवाकर ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें। जन्म कुंडली में ग्रह दोष होने पर विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि विशेष मंत्रों का जाप, ग्रहों की शांति के लिए अनुष्ठान और रत्�� धारण करना। इसके अलावा, इस दिन की पूजा और व्रत से भी वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाई जा सकती है।
निष्कर्ष
करवा चौथ 2024 आपके जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, न केवल आप अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपनी कुंडली और राशिफल के माध्यम से अपनी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी पा सकती हैं। यदि आप अपने जीवनसाथी के स्वभाव और विवाह के शुभ समय के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो अपनी कुंडली का विश्लेषण करें और ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें।
Source URL - https://karmaastro.medium.com/karva-chauth-2024-0775e64bdd7b
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astrovastukosh · 1 month ago
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🚩नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी के नाम, विवाह में रुकावट या धन का है अभाव? आजमाएँ ये उपाय, बन जायेंगे बिगड़े काम !
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चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
🚩मां दुर्गा की छठवीं शक्ति हैं मां कात्यायनी। नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है।
🚩कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।
भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य ��र दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं।
इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में�� मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।
इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त श्रद्धा भाव से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा करते हैं। इसी कड़ी में बात करें षष्ठी तिथि की तो इस दिन आदिशक्ति मां कात्यायनी की पूजा अर्चना का विधान बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के भक्त श्रद्धा भाव से मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करते हैं।
🚩शारदीय नवरात्रि 2024- षष्ठी तिथि 🚩
👉वर्ष 2024 में नवरात्रि की षष्ठी तिथि नवरात्रि के सातवें दिन यानी 9 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन पड़ रही है। इस दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी। बात करें इस दिन के हिंदू पंचांग की तो इस दिन तिथि षष्ठी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र मूल रहने वाला है, और योग सौभाग्य और शोभन रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन का कोई भी अभिजीत मुहूर्त नहीं है।
🚩माँ कात्यायनी का स्वरूप कैसा है ? 🚩
👉मां के स्वरूप की तो मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं जिसमें उन्होंने अस्त्र-शस्त्र और कमल धारण किया हुआ है। माँ कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं। इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए मां कात्यायनी की ही पूजा की थी। इसके अलावा जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह में रुकावट आ रही है उन्हें माँ कात्यायनी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही योग्य और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ रहता है।
👉ज्योतिष में मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। मां का वर्ण सुनहरा और चमकीला है। माता की चार भुजाएं हैं और उन्होंने रत्न आभूषण धारण किए हुए हैं। यह देवी खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में रहने वाले सिंह पर सवारी करती हैं। इनका आभामंडल विभिन्न देवों के तेज अंशों से मिश्रित इंद्रधनुषी छटा देता है। मां कात्यायनी के दाहिने और ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है, नीचे वाली भुजा वर देने वाली मुद्रा में है, बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में उन्होंने तलवार धारण की है और नीचे वाली भुजा में कमल का फूल लिया हुआ है।
प्राणियों में मां का वास आज्ञा चक्र में होता है और योग साधक इस दिन अपनी ध्यान आज्ञा चक्र में ही लगाते हैं। मां कात्यायनी पूजा से प्रसन्न होने पर साधक को दैवीय शक्तियाँ प्रदान करती हैं। जिन लोगों की भक्ति से मां कात्यायनी प्रसन्न होती हैं उन्हें देवी कृतार्थ कर देती हैं। ऐसे व्यक्ति इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव को प्राप्त करते हैं।
ऐसे व्यक्तियों के रोग, शोक, संताप, डर के साथ-साथ जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। ��हते हैं जो कोई भी भक्त निरंतर देवी कात्यानी की उपासना करता है उन्हें परम पद प्राप्त होता है। यही वजह है कि कहा जाता है की देवी कात्यानी जिस भी व्यक्ति से प्रसन्न हो जाए उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
👉देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर शांतिमय हो जाता है और गृहस्थ जीवन सुखमय बना रहता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा बेहद ही सिद्ध साबित होती है। इसके अलावा देवी नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी मानी गई हैं।
🚩माँ का नाम कात्यायनी ऐसे पड़ा 🚩
कहा जाता है कि मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनके घर में उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी। अपने इसी स्वरूप में मां ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था और इसी वजह से देवी का नाम मां कात्यायनी पड़ा। कात्यानी देवी को गुप्त रहस्यों का प्रतीक भी माना जाता है।
🚩माँ कात्यायनी पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग 🚩
बात करें मां कात्यायनी की पूजा में शामिल किए जाने वाले मंत्रों की तो इस दिन की पूजा में मां कात्यानी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए नीचे दिए गए मित्रों को स्पष्ट उच्चारण पूर्वक पूजा में अवश्य शामिल करें:
1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2.चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||
नवरात्रि के सभी 9 दिनों में अलग-अलग भोग चढ़ाने की परंपरा है। ऐसे में बात करें मां कात्यायनी के प्रिय भोग की तो मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय होता है इसीलिए षष्ठी तिथि की पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएँ। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आने लगता है।
मां कात्यायनी के प्रिय रंग की तो देवी को पीला और लाल रंग बहुत ही प्रिय होता है। ऐसे में इस दिन की पूजा में मां कात्यायनी को लाल और पीले रंग के गुलाब पीले और लाल रंग के वस्त्र अवश्य अर्पित करें। इसके साथ ही आप खुद भी इन्हीं रंगों का पूजा में इस्तेमाल करें। इससे मां कात्यानी के प्रसन्नता निश्चित रूप से आप हासिल कर सकेंगे।
🚩नवरात्रि षष्ठी तिथि पर करें सरल और यह अचूक उपाय 🚩
👉नवरात्रि के छठे दिन आपको क्या कुछ उपाय करने हैं जिससे आपके विवाह में आ रही रुकावट दूर हो, साथ ही जीवन से धन का अभाव भी दूर जाने लगे।
👉नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर नारियल लेकर उसके साथ एक लाल, पीले और सफेद रंग का फूल माता को अर्पित कर दें। इसके बाद नवरात्रि की नवमी तिथि की शाम को यह फूल नदी में प्रवाहित कर दें और नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसे अपने तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर रख दें। इस उपाय को करने से जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है और अगर आपका धन कहीं अटका हुआ है तो वह भी आपको मिलने लगता है।
👉नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और पीले वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें। माँ को पीले रंग के फूल अर्पित करें, भोग लगाएँ और सुख समृद्धि की कामना करें। ऐसा करके आप अपने ��ीवन में सुख शांति लेकर आ सकते हैं। इस दिन की पूजा में यदि आप मां कात्यायनी को शहद अर्पित करते हैं तो इसके वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है। साथ ही अविवाहित लोगों को योग्य वर वधु की भी प्राप्ति होती है।
👉नवरात्रि के छठे दिन अगर आप मां कात्यायनी को तीन गांठ हल्दी चढ़ाते हैं और पूजा के बाद इन गांठों को शुद्ध स्थान पर रख देते हैं तो ऐसा करने से आपको अपने शत्रुओं पर विजय हासिल होती है।
👉नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में मां कात्यायनी से संबंधित मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति का आभामंडल मजबूत होता है। साथ ही सामाजिक स्तर पर आपको अच्छे परिणाम मिलते हैं और बिगड़े काम बनने लगते हैं।
👉इस दिन की पूजा में दूध में केसर मिलाकर मां कात्यायनी का अभिषेक करें। ऐसा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होने लगेगी, आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और करियर में सफलता प्राप्त होगी।
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rahulastro · 2 months ago
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astrobysadhak · 2 months ago
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बुध के गोचर से मालामाल हो जाएंगे ये जातक, बस इन जातकों को रहना होगा बहुत सतर्क!
ज्योतिष में बुध का गोचर एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संचार, व्यापार, शिक्षा और लेखन के कारक हैं। जब बुध किसी राशि में विराजमान रहते हैं, तो इसका प्रभाव हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। गोचर के समय बुध की स्थिति और उसकी दिशा हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। बुध का गोचर एक राशि से दूसरी राशि में लगभग 14 से 30 दिनों के बीच होता है। इस अवधि के दौरान, यह विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, बुध का मेष राशि में गोचर लोगों को नई सोच और नए विचारों की प्रेरणा दे सकता है, जबकि वृषभ राशि में गोचर होने पर यह व्यापार में स्थिरता और समृद्धि लाने में सक्षम होता है।
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बुध का सिंह राशि में गोचर: समय व तिथि
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध महाराज 04 सितंबर 2024 की सुबह 11 बजकर 31 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध का सिंह राशि में गोचर होने से राशि चक्र की सभी 12 राशियों पर असर देखने को मिलेगा।
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का बहुत अधिक महत्व है। इसे बुद्धि, तर्कशक्ति, संचार, व्यापार, और शिक्षा का कारक ग्रह माना जाता है। बुध ग्रह का नाम संस्क���त में ‘बुध’ है, जिसका अर्थ है “बुद्धिमान”। यह ग्रह व्यक्ति के मानसिक स्तर, ज्ञान, विवेक, और तर्कशक्ति को प्रभावित करता है। बुध व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और शिक्षा के स्तर को दर्शाता है। जिनकी कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में विराजमान होते हैं, वे लोग तेज दिमाग, तर्कशक्ति, और ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले होते हैं। इन्हें गणित, विज्ञान, और साहित्य में विशेष रुचि होती है।
बुध ग्रह का धार्मिक महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का धार्मिक महत्व भी गहरा है। बुध को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। भगवान विष्णु को संतुलन और धैर्य का देवता माना जाता है, और बुध भी व्यक्ति के जीवन में संतुलन, विवेक और समझदारी लाता है। बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति धार्मिकता की ओर आकर्षित होता है और उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। धार्मिक रूप से, यह वेदों, शास्त्रों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुध का अनुकूल प्रभाव व्यक्ति को धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने और उनमें रुचि रखने की प्रेरणा देता है।
बुध ग्रह के अनुकूल प्रभाव के लिए आसान उपाय
बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और इसके शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप बुध के दुष्प्रभाव से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
बुध मंत्र का जाप
बुध के मंत्र का नियमित जाप करना बुध ग्रह के दोषों को कम करने में सहायक होता है। बुधवार के दिन सुबह स्नान करके हरे वस्त्र पहनकर इस मंत्र -ॐ बुं बुधाय नमः का कम से कम 108 बार जाप करें।
भगवान गणेश की पूजा
बुध ग्रह का संबंध भगवान गणेश से भी है। बुध के दोषों को शांत करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें। इसके अलावा, बुधवार के दिन गणेश जी की आराधना करने से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होता है।
हरा वस्त्र और हरे रंग का प्रयोग
बुध ग्रह का रंग हरा माना जाता है इसलिए बुध के शुभ प्रभाव के लिए बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनें और हरे रंग की वस्तुओं का दान करें। इसके अलावा, मूंग की दाल का दान करना भी लाभकारी होता है।
गाय को हरा चारा खिलाना
गाय को हरा चारा खिलाना बुध ग्रह के दोषों को कम करने का एक प्रभावी उपाय है। विशेष रूप से बुधवार के दिन इस उपाय को करने से बुध के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
आंवला और हरी सब्जियों का सेवन
आंवला और हरी सब्जियों का सेवन करना बुध ग्रह को मजबूत बनाता है। बुध को बलवा�� बनाने के लिए अपने आहार में हरी सब्जियों, विशेषकर आंवला को शामिल करें।
रुद्राक्ष धारण करना
पांच मुखी रुद्राक्ष को बुध के लिए शुभ माना गया है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुध के अशुभ प्रभावों में कमी आती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तुलसी की पूजा
तुलसी का पौधा बुध से संबंधित होता है। घर में तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी नियमित पूजा करें। तुलसी को जल अर्पित करें और उसके पास दीपक जलाएं। इससे बुध ग्रह के दोष कम होते हैं।
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aghora · 1 year ago
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pavitrajyotish · 1 year ago
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क्या आप जानते हैं? यदि कुंडली मे शुक्र ग्रह कमजोर हो तो क्या करना चाहिए?
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geeta1726 · 10 months ago
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क्या कोई ऐसा उपाय है जिसके करने से कुंडली के सभी ग्रहों के शुभ परिणाम प्राप्त हो?
ज्योतिष या कुंडली के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी दशाएं उसके जीवन में विभिन्न प्रभाव डाल सकती हैं। हालांकि, कोई भी ऐसा उपाय जो सभी ग्रहों के शुभ परिणाम सुनिश्चित करे, वैदिक ज्योतिष में सामान्यत: संभावना के बारे में हैं।
ध्यान और मेधा भड़ाना: योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति बनाए रखना ग्रहों के प्रभाव को कम कर सकता है।
दान और सेवा: धर्मिक और नैतिक कार्यों के माध्यम से ग्रहों के प्रभाव को शांत करने के लिए दान और सेवा करना उपयुक्त हो सकता है।
मंत्र जाप: कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना भी ग्रहों के प्रभाव को शांत करने में सहायक हो सकता है।
योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है, जिससे ग्रहों का प्रभाव कम हो सकता है।
यह उपाय शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए हो सकते हैं, लेकिन कृपया ध्यान दें कि ये विचार विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठानों और विशेष शिक्षा के साथ आएंगे। जिसके लिए आप Kundli Chakra 2022 Professional सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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jeevanjali · 2 months ago
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Mangalwar : आजीवन समृद्धि के लिए मंगलवार को करें ये 10 उपायMangalwar : वैदिक ग्रंथों के अनुसार, मंगलवार को भगवान हनुमान की पूजा के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन आप कई ज्योतिष उपायों के माध्यम से भगवान हनुमान को प्रसन्न करके उनकी पवित्र कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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