#जॉनअब्राहम
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द डिप्लोमॅट फिल्म रिव्यू 2025: भारत की बेटी को बचाने की लड़ाई लड़ता एक डिप्लोमॅट!
द डिप्लोमॅट फिल्म में जॉन अब्राहम और सादिया खतीब (क्रेडिट:टी-सीरीज/जेऐ एंटरटेनमेंट/फार्च्यून पिक्चर्स)
परिचय
14 मार्च 2025 को रिलीज हुई द डिप्लोमॅट मूवी हिंदी थ्रिलर पर आधारित है जिसका निर्देशन शिवम नायर ने किया है यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ एक संदेश भी देती है की लड़कियों को हर तरह से बचने की जरूरत है कि उन्हें कोई शातिर आदमी किसी जाल में तो नहीं फसा रहा, विशेष कर किसी और देश में जाने से पहले 100 बार सोचें और जांच पड़ताल कर ले| फिल्म अपने ट्रेलर के हिसाब से पर्दे पर बिल्कुल वैसी ही दिखाई देती है| यह फिल्म उजमा अहमद की सच्ची घटना पर आधारित है| 5 मई 2007 को पाकिस्तान पहुंची उजमा अहमद को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में 20 दिनों तक शरण दी गई थी 24 मई 2017 को वह वाघा सीमा पार कर भारत में आ गई और अब अपनी बेटी के साथ दिल्ली में रहती है| जेपी सिंह जो उस समय के पाकिस्तान में इंडियन डिप्लोमेट और उजमा अहमद भारतीय नागरिक जो भारत प्रत्यावर्तन के लिए संघर्ष कर रही थी| फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में जॉन अब्राहम, सादिया खतीब, कुमुद मिश्रा, शारिब हाशमी, रेवती, जगजीत संधू और अश्वत भट्ट है|
द डिप्लोमॅट 2025 ट्रेलर
https://www.youtube.com/watch?v=CnEOLuCojY0
द डिप्लोमॅट मूवी रिलीज डेट
14 मार्च 2025
द डिप्लोमॅट मूवी रियल स्टोरी
5 मई 2007 को पाकिस्तान पहुंची उजमा अहमद को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में 20 दिनों तक शरण दी गई थी 24 मई 2017 को वह वाघा सीमा पार कर भारत में आ गई और अब अपनी बेटी के साथ दिल्ली में रहती है|
Is diplomat based on a true story?
हाँ, यह फिल्म उजमा अहमद की सच्ची घटना पर आधारित है|
क्या डिप्लोमॅट एक सच्ची कहानी पर आधारित है?
हाँ, यह फिल्म उजमा अहमद की सच्ची घटना पर आधारित है|
द डिप्लोमॅट मूवी स्टोरी
द डिप्लोमॅट फिल्म एक ऐसी शादीशुदा मुस्लिम महिला की कहानी पर आधारित है जो एक ��च्ची की मां है और अब उसकी शादी फेल्ड हो चुकी है तो वह का�� की तलाश में कुआलाम्पुर मलेशिया अपने दोस्त के पास जाती है जिसे वहां एक पाकिस्तानी आदमी मिलता है जिससे उसकी दोस्ती हो जाती है| क्या वह आदमी उसकी दोस्ती को प्यार समझ लेता है? क्या वह उससे शादी कर लेगा? क्या वह उसे पाकिस्तान बुला लेगा? यह सब जानने के लिए द डिप्लोमॅट मूवी का रिव्यू पढ़े|
एक्टिंग एंड कैरक्टर्स
जेपी सिंह की भूमिका में जॉन अब्राहम ने अपने चरित्र को बखूबी समझकर, उसकी गहराई में जाकर डायलॉग डिलीवरी और चेहरे की हाव-भाव से जबरदस्त अभिनय का परिचय दिया है| जो असल जिंदगी के चरित्र से हूबहू मिलता जुलता है| उजमा अहमद की भूमिका में सादिया खतीब ने अपने चरित्र में जान डालकर अच्छी संवाद अदायगी, बॉडी लैंग्वेज और फैशियल एक्सप्रेशन से चरित्र को पर्दे पर उकेरा है कुछ दृश्यों में उनके अभिनय को देखा जा सकता है| उन्होंने पूरी फिल्म में अपने अभिनय को स्थिर रखा| ऐसे चरित्र में उनकी अभिनय की गहराई और भावनाओं को काफी करीब से उनके चेहरे पर देखा जा सकता है| सभी सहायक कलाकारों में रेवती, शारिब हाशमी, जगजीत संधू और अश्वत भट्ट के अभिनय ने भी कहानी को आगे ले जाने में पूरी मदद की और उतने ही प्रभावशाली हैं जो अपनी अपनी भूमिकाओं में गहराई और बारीकियां लाते हैं|
डायरेक्शन
द डिप्लोमॅट का निर्देशन शिवम नायर ने किया है इस फिल्म से पहले वह आहिस्ता आहिस्ता (2006), महारथी (2008), महारथी (2015) और नाम शबाना (2017) को निर्देशित कर चुके है इसमें आहिस्ता आहिस्ता और नाम शबाना अच्छी फिल्मों में गिनी जाती है| फिल्म की कहानी को उन्होंने कसकर पकड़ के रखा और उसे मनोरंजक बनाया| वह सभी कलाकारों से विशेष कर जॉन अब्राहम और सादिया खतीब से बेहतर अभिनय निकलवाने में कामयाब रहे| उन्होंने फिल्म के टोन को बरकरार रखकर उसमें संपादन, सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर और साउंड डिजाइन का अच्छे से इस्तेमाल करके प्रभावित बनाया| उन्होंने फिल्म में काफी कुछ नया और यूनिक दिखाया और दर्शकों की उम्मीदों और भावनाओं पर खरे उतरे| फिल्म में एक सामाजिक मुद्दे को उन्होंने संवेदनशील तरीके से दिखाय| कुछ दृश्यों को जैसे पिटाई वाले, बलात्कार वाला, बम ब्लास्ट, कोर्ट वाला और बीच रोड पर हमले करने वाले दृश्यों में उनके निर्देशन की क्षमता और काबिलियत नजर आती है| द डिप्लोमॅट फिल्म में जॉन अब्राहम और सादिया खतीब (क्रेडिट:टी-सीरीज/जेऐ एंटरटेनमेंट/फार्च्यून पिक्चर्स)
कहानी-पटकथा-संवाद
द डिप्लोमॅट फिल्म की कहानी पटकथा संवाद रितेश शाह ने लिखे है| उन्होंने एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म की कहानी पटकथा का प्रवाह सुचारु रूप से रखा| फिल्म की गति तेज है दृश्यों को बहुत प्रभावित तरीके से लिखा गया है| संवाद तो रियलिस्टिक और प्रभाव डालने वाले लिखे है और दृश्यों के बीच का बदलाव भी सार्थक रूप से है फिल्म की कहानी पटकथा डायलॉग असल और ताजा लगते है और चरित्र के विकास में बाधा नहीं बनते|
सिनेमैटोग्राफी
द डिप्लोमॅट में डिमो पोपोव की सिनेमैटोग्राफी दिखने में अद्भुत और फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने में सहायक है, कैमरे को अलग-अलग एंगल्स और आरामदायक गति का इस्तेमाल किया गया है| दृश्यों की फ्रेमिंग रोशनी और अलग-अलग रंग फिल्म को आकर्षक, रचनात्मक और सार्थक बनाते है| कुछ दृश्य तो बहुत प्रभावित बन पड़े है जैसे कि कार टक्कर का भारतीय उच्चायोग में घुसने का, पहाड़ी दृश्यों को बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है|
एडिटिंग
फिल्म में कुणाल वाल्व की एडिटिंग की गति उचित और कसी हुई है तेज गति की एडिटिंग कहानी को एंगेजिंग बनाती है फिल्म की लंबाई भी ठीक है फिल्म को बेवजह बिल्कुल भी नहीं खींचा गया| एडिटिंग साफ सुथरी और समझ में आती है|
प्रोडक्शन डिजाइन
द डिप्लोमॅट फिल्म में रवि श्रीवास्तव के सेट्स के डिजाइंस, सामान, कपड़े और कॉस्ट्यूम की सुंद��ता को ध्यान में रखकर बनाए गए है जो कहानी और करक्टेर्स को दर्शाते है फिल्म के मूड और सांस्कृतिक संदर्भ को स्थापित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है|
बैकग्राउंड स्कोर
डेनियल बी जॉर्ज, ईशान छाबड़ा का बैकग्राउंड स्कोर कहानी और दृश्यों को एक अलग ही उच्च स्तर पर ले जाते है दिल को अंदर तक छू लेने वाला है फिल्म की टोन के मुताबिक पूरी तरह से साथ-साथ चलता और मैच करता है फिल्म की भावनाओं के अनुरूप बनाया गया है|

द डिप्लोमॅट फिल्म में सादिया खतीब (क्रेडिट:टी-सीरीज/जेऐ एंटरटेनमेंट/फार्च्यून पिक्चर्स)
कॉस्ट्यूम डिजाइन
रुषि शर्मा, मानोशी नाथ, दीपाली सिंह, गुन प्रीत कौर की कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग सभी कैरेक्टर्स की पर्सनैलिटी और भावनाओं को पूरी तरह से पेश करता है लोकल कल्चर और परंपरा को दर्शाता है| सभी करक्टेर्स के विकास करने में योगदान देता है|
साउंड डिजाइन
मोहनदास वी पी का साउंड डिजाइन प्राकृतिक और बहुत प्रभावित करने वाला है सभी प्रकार के दृश्यों जैसे एक्शन, इमोशनल को सपोर्ट करता है संवाद की क्लेरिटी सुनने में साफ है फिल्म के इमोशंस को भी बढ़ाता है|
एक्शन
अमीन खतीब का एक्शन भी बिलकुल अलग तरह का है, ज्यादा एक्शन का स्कोप तो नहीं था, फिर भी जितना था, कुछ दृश्यों का बढ़िया है|
म्यूजिक
द डिप्लोमॅट फिल्म का संगीत अनुराग सैकिआ और मनन भारद्वाज ने बनाया है अनुराग सैकिआ के संगीत में घर गीत बहुत ही सुरीला और संगीतमय बन चुका है जिसे वरुण जैन, रोमी और अनुराग सैकिआ ने अपनी आवाजों में गाया है बहुत ही भावनात्मक और सुरीला संगीत और गीत है दिल करता है कि बार-बार इस गीत को सुनते जाए| दूसरा गीत भारत जो 1992 में रिलीज हुई मणि रतनम की रोजा और ए आर रहमान के संगीत से सजी के गीत भारत हमको जान से प्यारा है को रीक्रिएट किया गया है जिसे हरिहरन, प्रजक्ता शुक्रे, हिमानी कपूर ने गाया है| यह गीत भी बहुत प्यारा और सुनने लायक है|
लिरिक्स
फिल्म का एक गीत घर कौसर मुनीर ने और दूसरा गीत भारत मनोज मुंतसिर ने लिखा है| इसको रीक्रिएट करके दोबारा से लिखा है दोनों ही गीतों में फिल्म के टोन और थीम के मुताबिक इमोशंस और पीड़ा को गीतों के जरिये बहुत ही अर्थपूर्ण लिखे गए है|
क्लाइमेक्स
फिल्म का क्लाइमेक्स इमोशनल बन पड़ा है, सच्चाई से रूबरू करवाने वाला है| यह फिल्म सभी लड़कियों को जरूर देखनी चाहिए जो गलत आदमियों के जाल में फंस जाती है जिनको विदेश में ��ाने की बहुत उत्सुकता है वह एक बार इस फिल्म को जरूर देखें और सीखें|
ओपिनियन
जॉन अब्राहम और सादिया खतीब की जबरदस्त पर्फॉर्मन्सेस के लिए, सच्ची कहानी को जानने के लिये, दिल को अंदर तक छूने वाले एक गीत घर और बैकग्राउंड स्कोर के लिए देख सकते है|
रेटिंग
7/10
फैक्ट
सादिया खतीब की शक्ल अभिनेत्री तृप्ति डिमरी से काफी मिलती-जुलती लगती है द डिप्लोमॅट मूवी फिल्म कास्ट: जॉन अब्राहम, सादिया खतीब, कुमुद मिश्रा, शारिब हाशमी, रेवती, जगजीत संधू और अश्वत भट्ट प्रोडूसर: भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, विपुल दी शाह, अश्विन वर्दे, समीर दीक्षित, राकेश डंग, जतीश वर्मा, जॉन अब्राहम डायरेक्टर: शिवम नायर, साउंड डिज़ाइन: मोहनदास वी पी, कास्टूम डिज़ाइन: रुषि शर्मा, मानोशी नाथ, दीपाली सिंह, गुन प्रीत कौर मान म्यूजिक: अनुराग सेकिया, मनन भारद्वाज, लिरिक्स: मनोज मुंतशिर, कौसर मुनीर, बैकग्राउंड स्कोर: डेनियल बी जॉर्ज, ईशान छाबड़ा, प्रोडक्शन डिज़ाइन: रवि श्रीवास्तव, एडिटर: कुणाल वाल्व, सिनेमेटोग्राफी: डिमो पोपोव, राइटर: रितेश शाह, एक्शन: अमीन खतीब, कास्टिंग डायरेक्टर: जोगी मलंग the diplomat movie wikipedia https://en.wikipedia.org/wiki/The_Diplomat_(2025_film)sadia khateeb moviesShikara and Raksha bandhanthe diplomat movie imdbhttps://www.imdb.com/title/tt26229612/the diplomat movie budget 50 croresthe diplomat movie netflixIn april or maythe diplomat movie ottnetflix the diplomat movie downloadyou cannot download it, you can watch it on multiplexes How is the Diplomat movie जॉन अब्राहम और सादिया खतीब की जबरदस्त पर्फॉर्मन्सेस के लिए, सच्ची कहानी को जानने के लिये, दिल को अंदर तक छूने वाले एक गीत घर और बैकग्राउंड स्कोर के लिए देख सकते है| द डिप्लोमॅट बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 4 करोड़ द डिप्लोमॅट मूवी बजट 50 करोड़ द डिप्लोमॅट मूवी हीरोइन सादिया खतीब द डिप्लोमॅट मूवी डाउनलोड आप मूवी को डाउनलोड नहीं कर सकते क्योकि अभी यह फिल्म सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्सेस पर चल रही है| cast of the diplomat 2025जॉन अब्राहम, सादिया खतीब, कुमुद मिश्रा, शारिब हाशमी, रेवती, जगजीत संधू और अश्वत भट्टthe diplomat movie download in hindi mp4moviezI do not know about it the diplomat movie download in hindi mp4moviez filmizillaI do not know about it Read the full article
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बॉडीबिल्डिंग में पुरषों के वर्चस्य को महिलाओं की चुनौती -
बॉडीबिल्डिंग पुरषों की बपौती नहीं है -
बॉडीबिल्डिंग शब्द से ही लोगों के मन में हमेशा पुरषों के शरीर के गठन ही आता है और अपने गौर किया भी होगा की कही भी आप जिम करने जाते हो तो जिम के अंदर भी बॉडीबिल्डर के हीरो की ही फोटो लगी होती है कोई जॉन अब्राहम बनना चाहता है तो कोई अर्नाल्ड बनना चाहता है ऐसा लगता है की ये एक तरह से पुरषों का ही होक रह गया है। लेकिन कुछ महिलाये ने इस प्रतियोगिता में खुद को साबित किया है। पुरषों को चुनौती देती हुई दिखाई दे रही है। उभरी हुई मांसपेशियां और तना हुआ शरीर,ये अनंत काल से ही एक पुरुष पहलवान का परिचय रहा है, लेकिन आज के समय में जब पुरुष-महिला की परिभाषा और परिचय के दायरे खुलते जा रहे हैं, महिलायें भी बॉडी बिल्डिंग आजमाने लगी है। आप इन चीजें को गौर कर सकते है लड़कियों को बाज़ारवाद भी कोमल और सूंदर बनने की ही पहचान देना चाहता है क्योकि अरबों रूपए के प्रोडक्ट उनके इसमें दाँव पर लगे है। तो वो खुद ही इन चीजें को प्रमोट करने से बचते है।
इसका एक पहलु ये भी हो सकता है की जिम इंडस्ट्री ने सोचा हो की वो महिलाओं की आबादी को भी कवर करना चाहता हो।व्यापार तो वैसे हर जगह है लेकिन कोई अगर भ्रांतियां को तोड़े तो उसे थोड़ी जगह तो मिलनी ही चाहिए।वैसे 1970 के दशक से महिलाओं के लिए भी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहा है विकसित देशों ने इसे अपना लिया था । सिर्फ इतना ही नहीं इन महिलाओं ने बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में अपनी एक नयी पहचान बनायी है ।लेकिन भारत जैसे देशों ने बहुत बाद में अपनाया। आये जानते दुनिया के कुछ बेहतरीन महिला बॉडीबिल्डर के बारे में में।
ग्लैडीस पोर्चयूग्स- द टाईग्रेस
30 सितम्बर 1957 को जन्मी ग्लैडीस विश्व की सबसे प्रचलित महिला बॉडी बिल्डर्स में से एक हैं. इन्हें देख कर आप अंदाजा भी नहीं लगा पाएँगे कि ये दो बच्चो की माँ हैंइन्होंनेअपनी पहचान मिस ओलंपिया प्रतियोगिता से बनायीं, जिसमें उन्होंने मिस ओलंपिया का टा��टल अपने नाम किया था। यह खिताब जीतने के बाद उन्हें कुछ फिल्मों में अभिनय करने का प्रस्ताव भी मिला।मिस ओलंपिया की पूर्व विजेता रेचल म्क्लीश इनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बनीं, जिसके बाद ही इन्होंने खुद को बॉडी बिल्डिंग को समर्पित कर दिया. इसके साथ साथ ही वह एक लेखक भी हैं. इन्हें ‘द टाईग्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है।
दयाना कैदेउ-द गिफ्ट-
मिस इंटरनेशनल और मिस ओलंपिया में दूसरा स्थान अपने नाम करने वाली दयाना,“द गिफ्ट” के टाइटल से भी जानी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि फ्रेंच भाषा में कैदेउ का अर्थ “गिफ्ट” होता है। इन्हें कनाडा की सबसे प्रसिद्ध महिला बॉडी बिल्डर्स में गिना जाता है. ये अकेली कैनेडियन महिला है जिन्होंने मिस ओलंपिया लाइटवेट प्रतियोगिता में जीत दर्ज की। 2 जून 1966 को जन्मी दयाना ने सन 1997 की कनाडा कप प्रतियोगिता में टाइटल अपने नाम किया. इस लम्हे को वह अपने बॉडी बिल्डिंग करियर का शिखर मानती हैं. हालांकि 2011 में इन्होंने बॉडी बिल्डिंग से रिटायरमेंट ले ली थी ।
आन मैरी लौरेर-चायना-
इनका असली नाम जोआन मैरी लौरेर है. इन्होंने बॉडी बिल्डिंग में असली पहचान 1997 में बनाई, जब इन्हें विश्व कुश्ती संघ ने विश्व का नौवा अजूबा घोषित कर दिया था। विश्व कुश्ती फेडरेशन में कई लाजवाब खिताब अपने नाम करने से पहले इन्हें ग्लैमर मॉडल के तौर पर जाना जाता था. इन्होंने कई फिल्मों में भी अभिनय किया जिनमें ‘बैकडोर टू चायना ’ और ‘अनेद्र नाईट इन चाइना’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं। 2016 में विश्व ने इस कीमती महिला पहलवान को हमेशा के लिए खो दिया, जब सिर्फ 46 साल की उम्र में ही इनकी संदेह जनक हालातों में मौत हो गयी. उनकी मौत का कारण आज भी रहस्य के पर्दों के पीछे छिपा हुआ है।
ब्रिगिटा ब्रेजोवैक-
10 वर्षों तक बॉडी बिल्डिंग की दुनिया पर राज करने वाली ब्रिगिटा का पहलवानी करने का सफ़र 2001 से शुरू हुआ, लेकिन इनकी जीत के सिलसिले ने सन 2004 से ही रफ़्तार पकड़ी। इन्हें आई एफ़ बी बी प्रो कार्ड 2009 में जाके मिला जब उन्हें विश्व महिला चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ. कार्ड मिलने के बाद वह एक प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर की भांति प्रतियोगिताओं में भाग ले सकती थीं।बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस अंतर्राष्ट्रीय संघ प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई पदक अपने नाम किये. उन्होंने आई एफ़ बी बी तम्पा प्रो प्रतियोगिता में भी जीत दर्ज की। उन्हें 4 भाषाओं में भी महारथ हासिल है। स्कूल के दिनों में उन्होंने कराटे और ताइक्वांडो में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
कोर्रिना एवेर्सन-मिस ओलंपिया -
31 साल की उम्र में 6 बार लगातार मिस ओलंपिया का खिताब जीतने वाली कोर्रिना केवल एक अव्वल दर्जे की ब��डी बिल्डर ही नहीं हैं बल्कि एक जानी मानी लेखक भी हैं। इनकी लिखी लगभग सारी किताबें बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस पर आधारित हैं. 1989 में पहलवानी से सन्यास लेकर इन्होंने 1991 में सिनेमा की तरफ कदम बढ़ाया और कई जानी मानी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमें ‘हरकुलिस’ और ‘चार्मड’ जैसी फिल्में भी शुमार हैं।50 साल की उम्र में इन्होंने ‘आयरनमैन’ नामक पत्रिका के लिए फोटोशूट भी कराया, जिसमें वह बेहद स्वस्थ और फिट नज़र आईं। 1999 में हॉल ऑफ़ फेम में इनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
रेचल मैकलिश-
स्वास्थ्य पोषण और शरीर विज्ञान की छात्रा रही रेचल ने महिला बॉडी बिल्डिंग पत्रिकाओं से प्रेरित होकर पहलवानी की दुनिया में कदम रखा। 1980 का दशक रेचल के लिए बहुत ही कारगर साबित हुआ। उन्होंने दो बार मिस ओलंपिया का खिताब अपने नाम किया, लेकिन उनका यह सफ़र इसलिए ख़ास हो जाता है क्योंकि मिस ओलंपिया का खिताब जीतने वाली वो पहली महिला थीं। वह बॉडी बिल्डिंग पत्रिकाओं पर सबसे ज्यादा बार छपने वाली महिला पहलवान थीं। एक दशक तक पहलवानी में अपना रुतबा ज़माने के बाद इन्होंने 1992 में फिल्म जगत में शुरुआत की।
ये रही विश्व की बेहतरीन बॉडीबिल्डर है।महिला पहलवानों ने समाज में एक औरत को लेकर जितनी भी रूढ़िवादी मान्यताएं हैं उन पर विराम लगा दिया है इन्होंने एक स्त्री होने की बहरी परिभाषाओं को नकार अपने लिए एक नया रास्ता बनाया है। इन महिलाओं को प्रेरणा मानकर आज के दौर में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अब कुश्ती, पहलवानी और कसरत जैसे क्षेत्रों में भी न केवल हाथ अजमाने लगी हैं बल्कि नाम भी कमाने लगी हैं। हमारे देश में भी कई महिला बॉडीबिल्डर है जो बहुत नाम कमा रही है।अंकिता सिंह है जो एक इंजीनियर होके भी अपने पैशन को फॉलो कर रही है।एक बार वो सुर्ख़ियों में तब आयी थी जब 5 लड़के उन्हें कार में खींचने की कोशिश की थी और तब वो अकेले ही उन पांचों पर भारी पड़ी थी। दोपहर में जब ऑफिस के लोग लंच करते हैं तो अंकिता ऑफिस के जिम में कसरत करती हैं।ऐसे कई उदहारण है लेकिन सब उदहारण यहाँ हम नहीं दे सकते। हमारी यही कोशिश रहती है की आपको हमेशा एक अलग नजरिये से अवगत कराये। आप हमे समर्थन दे।
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/2PABr07
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Ek Villain Returns में शक्तिशाली कलाकारों की फ़ौज मुंबई : -अनिल बेदाग़-एक विलेन के 8 साल ...
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देश को हिला देने वाला एनकाउंटर 'बाटला हाउस' पर बनी फिल्म का दमदार ट्रेलर रिलीज

चैतन्य भारत न्यूज बॉलीवुड के सुपरस्टारों की लिस्ट में शुमार अभिनेता जॉन अब्राहम अलग तरह की फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। पिछले कई दिनों से जॉन अपनी आगामी फिल्म 'बाटला हाउस' को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। जब से इस फिल्म के कुछ पोस्टर रिलीज हुए हैं, तब से ही फैंस फिल्म का ट्रेलर देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन अब सभी का यह इंतजार खत्म हो गया है। हाल ही में फिल्म 'बाटला हाउस' का ट्रेलर रिलीज हो गया।
बता दें जॉन की यह फिल्म साल 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर पर आधारित है। इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर की मौत हो गई थी और इस एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए गए थे। कुछ लोगों ने इस एनकाउंटर को ही फर्जी बता दिया था। 19 सितंबर, 2008 को जामिया नगर के बाटला हाउस इलाके में दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मुहम्मद साजिद को पुलिस ने मार दिया था। इस दौरान उनका एक साथी भागने में कामयाब हो गया था। ये दोनों आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े थे। इसी घटना पर अब फिल्म बनाई गई है। Was the nation prejudiced or was it really a fake encounter? The questions will finally be answered. #BatlaHouseTrailer out now.https://t.co/uT61yAzzqo@mrunal0801 @ravikishann @nikkhiladvani @writish @TSeries @EmmayEntertain @johnabrahament @bakemycakefilms — John Abraham (@TheJohnAbraham) July 10, 2019 ट्रेलर में जॉन के दमदार अवतार को देखा जा सकता है। जॉन ने फिल्म के ट्रेलर रिलीज होने की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए दी है। उन्होंने कैप्शन में लिखा है- 'क्या देश पूर्वाग्रह से ग्रसित था या यह वाकई फर्जी एकांउटर था? जवाब अब मिलेगा। देखिए भारत के सबसे सम्मानित अफसर की कहानी।' इस फिल्म में जॉन के अपोजिट एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर नजर आएंगी। फिल्म 'बाटला हाउस' का निर्देशन निखिल आडवाणी ने किया है। यह फिल्म 15 अगस्त को रिलीज होगी। Read the full article
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बॉडीबिल्डिंग पुरषों की बपौती नहीं है -
बॉडीबिल्डिंग शब्द से ही लोगों के मन में हमेशा पुरषों के शरीर के गठन ही आता है और अपने गौर किया भी होगा की कही भी आप जिम करने जाते हो तो जिम के अंदर भी बॉडीबिल्डर के हीरो की ही फोटो लगी होती है कोई जॉन अब्राहम बनना चाहता है तो कोई अर्नाल्ड बनना चाहता है ऐसा लगता है की ये एक तरह से पुरषों का ही होक रह गया है। लेकिन कुछ महिलाये ने इस प्रतियोगिता में खुद को साबित किया है। पुरषों को चुनौती देती हुई दिखाई दे रही है। उभरी हुई मांसपेशियां और तना हुआ शरीर,ये अनंत काल से ही एक पुरुष पहलवान का परिचय रहा है, लेकिन आज के समय में जब पुरुष-महिला की परिभाषा और परिचय के दायरे खुलते जा रहे हैं, महिलायें भी बॉडी बिल्डिंग आजमाने लगी है। आप इन चीजें को गौर कर सकते है लड़कियों को बाज़ारवाद भी कोमल और सूंदर बनने की ही पहचान देना चाहता है क्योकि अरबों रूपए के प्रोडक्ट उनके इसमें दाँव पर लगे है। तो वो खुद ही इन चीजें को प्रमोट करने से बचते है।
इसका एक पहलु ये भी हो सकता है की जिम इंडस्ट्री ने सोचा हो की वो महिलाओं की आबादी को भी कवर करना चाहता हो।व्यापार तो वैसे हर जगह है लेकिन कोई अगर भ्रांतियां को तोड़े तो उसे थोड़ी जगह तो मिलनी ही चाहिए।वैसे 1970 के दशक से महिलाओं के लिए भी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहा है विकसित देशों ने इसे अपना लिया था । सिर्फ इतना ही नहीं इन महिलाओं ने बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में अपनी एक नयी पहचान बनायी है ।लेकिन भारत जैसे देशों ने बहुत बाद में अपनाया। आये जानते दुनिया के कुछ बेहतरीन महिला बॉडीबिल्डर के बारे में में।
ग्लैडीस पोर्चयूग्स- द टाईग्रेस
30 सितम्बर 1957 को जन्मी ग्लैडीस विश्व की सबसे प्रचलित महिला बॉडी बिल्डर्स में से एक हैं. इन्हें देख कर आप अंदाजा भी नहीं लगा पाएँगे कि ये दो बच्चो की माँ हैंइन्होंनेअपनी पहचान मिस ओलंपिया प्रतियोगिता से बनायीं, जिसमें उन्होंने मिस ओलंपिया का टाइटल अपने नाम किया था। यह खिताब जीतने के बाद उन्हें कुछ फिल्मों में अभिनय करने का प्रस्ताव भी मिला।मिस ओलंपिया की पूर्व विजेता रेचल म्क्लीश इनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बनीं, जिसके बाद ही इन्होंने खुद को बॉडी बिल्डिंग को समर्पित कर दिया. इसके साथ साथ ही वह एक लेखक भी हैं. इन्हें ‘द टाईग्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है।
दयाना कैदेउ-द गिफ्ट-
मिस इंटरनेशनल और मिस ओलंपिया में दूसरा स्थान अपने नाम करने वाली दयाना,“द गिफ्ट” के टाइटल से भी जानी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि फ्रेंच भाषा में कैदेउ का अर्थ “गिफ्ट” होता है। इन्हें कनाडा की सबसे प्रसिद्ध महिला बॉडी बिल्डर्स में गिना जाता है. ये अकेली कैनेडियन महिला है जिन्होंने मिस ओलंपिया लाइटवेट प्रतियोगिता में जीत दर्ज की। 2 जून 1966 को जन्मी दयाना ने सन 1997 की कनाडा कप प्रतियोगिता में टाइटल अपने नाम किया. इस लम्हे को वह अपने बॉडी बिल्डिंग करियर का शिखर मानती हैं. हालांकि 2011 में इन्होंने बॉडी बिल्डिंग से रिटायरमेंट ले ली थी ।
आन मैरी लौरेर-चायना-
इनका असली नाम जोआन मैरी लौरेर है. इन्होंने बॉडी बिल्डिंग में असली पहचान 1997 में बनाई, जब इन्हें विश्व कुश्ती संघ ने विश्व का नौवा अजूबा घोषित कर दिया था। विश्व कुश्ती फेडरेशन में कई लाजवाब खिताब अपने नाम करने से पहले इन्हें ग्लैमर मॉडल के तौर पर जाना जाता था. इन्होंने कई फिल्मों में भी अभिनय किया जिनमें ‘बैकडोर टू चायना ’ और ‘अनेद्र नाईट इन चाइना’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं। 2016 में विश्व ने इस कीमती महिला पहलवान को हमेशा के लिए खो दिया, जब सिर्फ 46 साल की उम्र में ही इनकी संदेह जनक हालातों में मौत हो गयी. उनकी मौत का कारण आज भी रहस्य के पर्दों के पीछे छिपा हुआ है।
ब्रिगिटा ब्रेजोवैक-
10 वर्षों तक बॉडी बिल्डिंग की दुनिया पर राज करने वाली ब्रिगिटा का पहलवानी करने का सफ़र 2001 से शुरू हुआ, लेकिन इनकी जीत के सिलसिले ने सन 2004 से ही रफ़्तार पकड़ी। इन्हें आई एफ़ बी बी प्रो कार्ड 2009 में जाके मिला जब उन्हें विश्व महिला चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ. कार्ड मिलने के बाद वह एक प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर की भांति प्रतियोगिताओं में भाग ले सकती थीं।बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस अंतर्राष्ट्रीय संघ प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई पदक अपने नाम किये. उन्होंने आई एफ़ बी बी तम्पा प्रो प्रतियोगिता में भी जीत दर्ज की। उन्हें 4 भाषाओं में भी महारथ हासिल है। स्कूल के दिनों में उन्होंने कराटे और ताइक्वांडो में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
कोर्रिना एवेर्सन-मिस ओलंपिया -
31 साल की उम्र में 6 बार लगातार मिस ओलंपिया का खिताब जीतने वाली कोर्रिना केवल एक अव्वल दर्जे की बॉडी बिल्डर ही नहीं हैं बल्कि एक जानी मानी लेखक भी हैं। इनकी लिखी लगभग सारी किताबें बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस पर आधारित हैं. 1989 में पहलवानी से सन्यास लेकर इन्होंने 1991 में सिनेमा की तरफ कदम बढ़ाया और कई जानी मानी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमें ‘हरकुलिस’ और ‘चार्मड’ जैसी फिल्में भी शुमार हैं।50 साल की उम्र में इन्होंने ‘आयरनमैन’ नामक पत्रिका के लिए फोटोशूट भी कराया, जिसमें वह बेहद स्वस्थ और फिट नज़र आईं। 1999 में हॉल ऑफ़ फेम में इनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
रेचल मैकलिश-
स्वास्थ्य पोषण और शरीर विज्ञान की छात्रा रही रेचल ने महिला बॉडी बिल्डिंग पत्रिकाओं से प्रेरित होकर पहलवानी की दुनिया में कदम रखा। 1980 का दशक रेचल के लिए बहुत ही कारगर साबित हुआ। उन्होंने दो बार मिस ओलंपिया का खिताब अपने नाम किया, लेकिन उनका यह सफ़र इसलिए ख़ास हो जाता है क्योंकि मिस ओलंपिया का खिताब जीतने वाली वो पहली महिला थीं। वह बॉडी बिल्डिंग पत्रिकाओं पर सबसे ज्यादा बार छपने वाली महिला पहलवान थीं। एक दशक तक पहलवानी में अपना रुतबा ज़माने के बाद इन्होंने 1992 में फिल्म जगत में शुरुआत की।
ये रही विश्व की बेहतरीन बॉडीबिल्डर है।महिला पहलवानों ने समाज में एक औरत को लेकर जितनी भी रूढ़िवादी मान्यताएं हैं उन पर विराम लगा दिया है इन्होंने एक स्त्री होने की बहरी परिभाषाओं को नकार अपने लिए एक नया रास्ता बनाया है। इन महिलाओं को प्रेरणा मानकर आज के दौर में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अब कुश्ती, पहलवानी और कसरत जैसे क्षेत्रों में भी न केवल हाथ अजमाने लगी हैं बल्कि नाम भी कमाने लगी हैं। हमारे देश में भी कई महिला बॉडीबिल्डर है जो बहुत नाम कमा रही है।अंकिता सिंह है जो एक इंजीनियर होके भी अपने पैशन को फॉलो कर रही है।एक बार वो सुर्ख़ियों में तब आयी थी जब 5 लड़के उन्हें कार में खींचने की कोशिश की थी और तब वो अकेले ही उन पांचों पर भारी पड़ी थी। दोपहर में जब ऑफिस के लोग लंच करते हैं तो अंकिता ऑफिस के जिम में कसरत करती हैं।ऐसे कई उदहारण है लेकिन सब उदहारण यहाँ हम नहीं दे सकते। हमारी यही कोशिश रहती है की आपको हमेशा एक अलग नजरिये से अवगत कराये। आप हमे समर्थन दे।
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बॉडीबिल्डिंग पुरषों की बपौती नहीं है -
बॉडीबिल्डिंग शब्द से ही लोगों के मन में हमेशा पुरषों के शरीर के गठन ही आता है और अपने गौर किया भी होगा की कही भी आप जिम करने जाते हो तो जिम के अंदर भी बॉडीबिल्डर के हीरो की ही फोटो लगी होती है कोई जॉन अब्राहम बनना चाहता है तो कोई अर्नाल्ड बनना चाहता है ऐसा लगता है की ये एक तरह से पुरषों का ही होक रह गया है। लेकिन कुछ महिलाये ने इस प्रतियोगिता में खुद को साबित किया है। पुरषों को चुनौती देती हुई दिखाई दे रही है। उभरी हुई मांसपेशियां और तना हुआ शरीर,ये अनंत काल से ही एक पुरुष पहलवान का परिचय रहा है, लेकिन आज के समय में जब पुरुष-महिला की परिभाषा और परिचय के दायरे खुलते जा रहे हैं, महिलायें भी बॉडी बिल्डिंग आजमाने लगी है। आप इन चीजें को गौर कर सकते है लड़कियों को बाज़ारवाद भी कोमल और सूंदर बनने की ही पहचान देना चाहता है क्योकि अरबों रूपए के प्रोडक्ट उनके इसमें दाँव पर लगे है। तो वो खुद ही इन चीजें को प्रमोट करने से बचते है।
इसका एक पहलु ये भी हो सकता है की जिम इंडस्ट्री ने सोचा हो की वो महिलाओं की आबादी को भी कवर करना चाहता हो।व्यापार तो वैसे हर जगह है लेकिन कोई अगर भ्रांतियां को तोड़े तो उसे थोड़ी जगह तो मिलनी ही चाहिए।वैसे 1970 के दशक से महिलाओं के लिए भी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहा है विकसित देशों ने इसे अपना लिया था । सिर्फ इतना ही नहीं इन महिलाओं ने बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में अपनी एक नयी पहचान बनायी है ।लेकिन भारत जैसे देशों ने बहुत बाद में अपनाया। आये जानते दुनिया के कुछ बेहतरीन महिला बॉडीबिल्डर के बारे में में।
ग्लैडीस पोर्चयूग्स- द टाईग्रेस
30 सितम्बर 1957 को जन्मी ग्लैडीस विश्व की सबसे प्रचलित महिला बॉडी बिल्डर्स में से एक हैं. इन्हें देख कर आप अंदाजा भी नहीं लगा पाएँगे कि ये दो बच्चो की माँ हैंइन्होंनेअपनी पहचान मिस ओलंपिया प्रतियोगिता से बनायीं, जिसमें उन्होंने मिस ओलंपिया का टाइटल अपने नाम किया था। यह खिताब जीतने के बाद उन्हें कुछ फिल्मों में अभिनय करने का प्रस्ताव भी मिला।मिस ओलंपिया की पूर्व विजेता रेचल म्क्लीश इनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बनीं, जिसके बाद ही इन्होंने खुद को बॉडी बिल्डिंग को समर्पित कर दिया. इसके साथ साथ ही वह एक लेखक भी हैं. इन्हें ‘द टाईग्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है।
दयाना कैदेउ-द गिफ्ट-
मिस इंटरनेशनल और मिस ओलंपिया में दूसरा स्थान अपने नाम करने वाली दयाना,“द गिफ्ट” के टाइटल से भी जानी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि फ्रेंच भाषा में कैदेउ का अर्थ “गिफ्ट” होता है। इन्हें कनाडा की सबसे प्रसिद्ध महिला बॉडी बिल्डर्स में गिना जाता है. ये अकेली कैनेडियन महिला है जिन्होंने मिस ओलंपिया लाइटवेट प्रतियोगिता में जीत दर्ज की। 2 जून 1966 को जन्मी दयाना ने सन 1997 की कनाडा कप प्रतियोगिता में टाइटल अपने नाम किया. इस लम्हे को वह अपने बॉडी बिल्डिंग करियर का शिखर मानती हैं. हालांकि 2011 में इन्होंने बॉडी बिल्डिंग से रिटायरमेंट ले ली थी ।
आन मैरी लौरेर-चायना-
इनका असली नाम जोआन मैरी लौरेर है. इन्होंने बॉडी बिल्डिंग में असली पहचान 1997 में बनाई, जब इन्हें विश्व कुश्ती संघ ने विश्व का नौवा अजूबा घोषित कर दिया था। विश्व कुश्ती फेडरेशन में कई लाजवाब खिताब अपने नाम करने से पहले इन्हें ग्लैमर मॉडल के तौर पर जाना जाता था. इन्होंने कई फिल्मों में भी अभिनय किया जिनमें ‘बैकडोर टू चायना ’ और ‘अनेद्र नाईट इन चाइना’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं। 2016 में विश्व ने इस कीमती महिला पहलवान को हमेशा के लिए खो दिया, जब सिर्फ 46 साल की उम्र में ही इनकी संदेह जनक हालातों में मौत हो गयी. उनकी मौत का कारण आज भी रहस्य के पर्दों के पीछे छिपा हुआ है।
ब्रिगिटा ब्रेजोवैक-
10 वर्षों तक बॉडी बिल्डिंग की दुनिया पर राज करने वाली ब्रिगिटा का पहलवानी करने का सफ़र 2001 से शुरू हुआ, लेकिन इनकी जीत के सिलसिले ने सन 2004 से ही रफ़्तार पकड़ी। इन्हें आई एफ़ बी बी प्रो कार्ड 2009 में जाके मिला जब उन्हें विश्व महिला चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ. कार्ड मिलने के बाद वह एक प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर की भांति प्रतियोगिताओं में भाग ले सकती थीं।बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस अंतर्राष्ट्रीय संघ प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई पदक अपने नाम किये. उन्होंने आई एफ़ बी बी तम्पा प्रो प्रतियोगिता में भी जीत दर्ज की। उन्हें 4 भाषाओं में भी महारथ हासिल है। स्कूल के दिनों में उन्होंने कराटे और ताइक्वांडो में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
कोर्रिना एवेर्सन-मिस ओलंपिया -
31 साल की उम्र में 6 बार लगातार मिस ओलंपिया का खिताब जीतने वाली कोर्रिना केवल एक अव्वल दर्जे की बॉडी बिल्डर ही नहीं हैं बल्कि एक जानी मानी लेखक भी हैं। इनकी लिखी लगभग सारी किताबें बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस पर आधारित हैं. 1989 में पहलवानी से सन्यास लेकर इन्होंने 1991 में सिनेमा की तरफ कदम बढ़ाया और कई जानी मानी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमें ‘हरकुलिस’ और ‘चार्मड’ जैसी फिल्में भी शुमार हैं।50 साल की उम्र में इन्होंने ‘आयरनमैन’ नामक पत्रिका के लिए फोटोशूट भी कराया, जिसमें वह बेहद स्वस्थ और फिट नज़र आईं। 1999 में हॉल ऑफ़ फेम में इनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
रेचल मैकलिश-
स्वास्थ्य पोषण और शरीर विज्ञान की छात्रा रही रेचल ने महिला बॉडी बिल्डिंग पत्रिकाओं से प्रेरित होकर पहलवानी की दुनिया में कदम रखा। 1980 का दशक रेचल के लिए बहुत ही कारगर साबित हुआ। उन्होंने दो बार मिस ओलंपिया का खिताब अपने नाम किया, लेकिन उनका यह सफ़र इसलिए ख़ास हो जाता है क्योंकि मिस ओलंपिया का खिताब जीतने वाली वो पहली महिला थीं। वह बॉडी बिल्डिंग पत्रिकाओं पर सबसे ज्यादा बार छपने वाली महिला पहलवान थीं। एक दशक तक पहलवानी में अपना रुतबा ज़माने के बाद इन्होंने 1992 में फिल्म जगत में शुरुआत की।
ये रही विश्व की बेहतरीन बॉडीबिल्डर है।महिला पहलवानों ने समाज में एक औरत को लेकर जितनी भी रूढ़िवादी मान्यताएं हैं उन पर विराम लगा दिया है इन्होंने एक स्त्री होने क�� बहरी परिभाषाओं को नकार अपने लिए एक नया रास्ता बनाया है। इन महिलाओं को प्रेरणा मानकर आज के दौर में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अब कुश्ती, पहलवानी और कसरत जैसे क्षेत्रों में भी न केवल हाथ अजमाने लगी हैं बल्कि नाम भी कमाने लगी हैं। हमारे देश में भी कई महिला बॉडीबिल्डर है जो बहुत नाम कमा रही है।अंकिता सिंह है जो एक इंजीनियर होके भी अपने पैशन को फॉलो कर रही है।एक बार वो सुर्ख़ियों में तब आयी थी जब 5 लड़के उन्हें कार में खींचने की कोशिश की थी और तब वो अकेले ही उन पांचों पर भारी पड़ी थी। दोपहर में जब ऑफिस के लोग लंच करते हैं तो अंकिता ऑफिस के जिम में कसरत करती हैं।ऐसे कई उदहारण है लेकिन सब उदहारण यहाँ हम नहीं दे सकते। हमारी यही कोशिश रहती है की आपको हमेशा एक अलग नजरिये से अवगत कराये। आप हमे समर्थन दे।
#चायना#मिसओलंपिया#1970केदशकसेमहिलाओं#अंकितासिंह#अनेद्रनाईटइनचाइना#अर्नाल्ड#आनमैरीलौरेर#उभरीहुईमांसपेशियां#एकपुरुषपहलवान#एकप्रोफेशनलबॉडीबिल्डर#कोर्रिनाएवेर्सन#ग्लैडीसपोर्चयूग्स#जॉनअब्राहम#दटाईग्रेस#दयानाकैदेउ#पुरुषमहिलाकीपरिभाषा#फिटनेसअंतर्राष्ट्रीयसंघ#बॉडीबिल्डिंग#बॉडीबिल्डरकेहीरो#बॉडीबिल्डिंगपुरषोंकीबपौतीनहींहै#बॉडीबिल्डिंगमेंपुरषोंकेवर्चस्य#ब्रिगिटाब्रेजोवैक#महिलाबॉडीबिल्डिंगपत्रिकाओं#महिलायेंभीबॉडीबिल्डिंगआजमाने#मिसइंटरनेशनलऔरमिसओलंपिया#रेचलमैकलिश#विश्वकुश्तीफेडरेशन
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