#जीएसटी प्राप्तियां
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lok-shakti · 3 years ago
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FY23 में सकल GST प्राप्तियां अनुमान से 12% अधिक देखी गईं
FY23 में सकल GST प्राप्तियां अनुमान से 12% अधिक देखी गईं
चालू वित्त वर्ष में, केंद्र बजट अनुमान (बीई) की तुलना में जीएसटी राजस्व में लगभग 60,000 करोड़ रुपये अधिक एकत्र करेगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, वित्त वर्ष 2013 में माल और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह सकल आधार पर औसतन 1.35 ट्रिलियन रुपये प्रति माह हो सकता है, जबकि बजट लगभग 1.2 ट्रिलियन रुपये था। इसका मतलब यह होगा कि वर्ष में सकल संग्रह अनुमान से 1.8 ट्रिलियन रुपये अधिक होगा। यह देखते हुए कि केंद्र और…
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mwsnewshindi · 2 years ago
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जीएसटी संग्रह अपडेट: सरकार ने सितंबर में 1,47,686 करोड़ रुपये जीएसटी राजस्व एकत्र किया
जीएसटी संग्रह अपडेट: सरकार ने सितंबर में 1,47,686 करोड़ रुपये जीएसटी राजस्व एकत्र किया
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की कि माल और सेवा कर (जीएसटी) प्राप्तियां सितंबर में 26% बढ़कर 1.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गईं, इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया। जीएसटी के लिए संग्रह लगातार सात महीनों में 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि सितंबर 2022 के महीने में कुल जीएसटी राजस्व 1,47,686 करोड़ रुपये था, जिसमें से केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) 25,271 करोड़…
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ashokgehlotofficial · 3 years ago
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केन्द्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को जून 2022 से 5 वर्ष बढ़ाकर जून 2027 तक करने की मांग की है। राज्य में कोरोना काल में सख्ती से किए गए लॉकडाउन से राजस्व पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जीएसटी लागू करते समय कहा गया था कि 5 वर्ष में राजस्व में स्थिरता आ जाएगी एवं राज्यों के राजस्व में निश्चित वृद्धि दर की स्थिति प्राप्त होगी। परन्तु अभी तक जीएसटी राजस्व प्राप्तियां अपेक्षित रूप से स्थिर नहीं हो पाई हैं व आर्थिक मंदी एवं कोरोना महामारी के कारण राज्यों की आर्थि��� स्थिति गंभीर हो गई है। कोई भी राज्य इस विषम आर्थिक संकट का सामना अकेले करने में सक्षम नहीं है। इसलिए राज्यों को दिए जाने वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को 5 वर्ष बढ़ाना आवश्यक है।
राज्य द्वारा कई बार जीएसटी काउंसिल एवं भारत सरकार के स्तर पर वर्ष 2017-18 से मई 2022-23 तक राजस्थान को देय 4822.63 करोड़ रूपए की जीएसटी क्षतिपूर्ति की बकाया राशि राज्य को देने के मामले को उठाया गया है लेकिन यह राशि अब तक प्राप्त नहीं हुई है। सभी राज्यों की भी यह मांग है कि उनकी बकाया राशि को शीघ्र जारी किया जाए और भविष्य में इसे ऋण के रूप में देने की बजाए इसे राज्यों को अनुदान के रूप में दिया जाए।
जीएसटी की कर दरों को सुसंगत करने का भी आग्रह किया है ताकि इसकी बेहतर अनुपालना सुनिश्चित की जा सके। किसानों, दिव्यांगों और मध्यम वर्ग के घरेलू उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर करारोपण को युक्तिसंगत किया जाना चाहिए और इसमें कोई भी परिवर्तन हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही किए जाने चाहिए।
कुछ वस्तुओं जैसे खाद्य तेलों पर इन्वर्टेड़ ड्यूटी स्ट्रक्चर (Inverted Duty Structure) के कारण उपलब्ध रिफंड को रोकने के संबंध में लिए गए निर्णय, टैक्स दरों में वृद्धि तथा कर के दायरे से बाहर वाली वस्तुओं पर कर लगाने के संबंध में जीएसटी काउंसिल में लिए गए निर्णयों क��� क्रियान्वयन कम से कम एक वर्ष तक स्थगित रखा जाना चाहिए।
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newskey21 · 3 years ago
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FY22 टैक्स किटी 34% बढ़कर 27.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड पर
FY22 टैक्स किटी 34% बढ़कर 27.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड पर
नई दिल्ली: देश की सकल कर प्राप्तियां 27 रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गईं लाख 2021-22 के लिए करोड़। यह एक मजबूत आर्थिक सुधार और बढ़ते अनुपालन के पीछे आय, कॉर्पोरेट करों, सीमा शुल्क और जीएसटी से मजबूत राजस्व के कारण था। उच्च मोप-अप ने 23 वर्षों में 11. 7% पर उच्चतम कर-से-जीडीपी अनुपा�� का नेतृत्व किया। के खिलाफ केंद्रीय बजट 22. 2 लाख करोड़ रुपये का अनुमान ��ै, पूर्व-वास्तविक आंकड़ों के अनुसार…
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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1.3 लाख करोड़ रुपये पर, दिसंबर जीएसटी राजस्व छठे महीने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा - टाइम्स ऑफ इंडिया
1.3 लाख करोड़ रुपये पर, दिसंबर जीएसटी राजस्व छठे महीने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: सकल जीएसटी मजबूत आर्थिक सुधार और सरकार द्वारा किए गए चोरी-रोधी उपायों के कारण दिसंबर में लगातार छठे महीने प्राप्तियां 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहीं। दिसंबर के लिए राजस्व पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 13% अधिक है और दिसंबर 2019 में जीएसटी राजस्व की तुलना में 26% अधिक है, जो कि जारी आंकड़ों के अनुसार है। वित्त मंत्रालय. महीने के दौरान, माल के आयात से राजस्व 36% अधिक था और घरेलू…
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vsplusonline · 5 years ago
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'मुफ्तखोरी' या कल्याणकारी राज्य? फ्री सुविधाएं देकर भी केजरीवाल सरकार का खजाना है मजबूत - Delhi election result 2020 freebies or welfare state kejriwal government treasury strong tutd
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'मुफ्तखोरी' या कल्याणकारी राज्य? फ्री सुविधाएं देकर भी केजरीवाल सरकार का खजाना है मजबूत - Delhi election result 2020 freebies or welfare state kejriwal government treasury strong tutd
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दिल्ली में 62 सीटों पर जीत के साथ बन रही AAP सरकार
इस जीत में बिजली-पानी फ्री करने का बड़ा योगदान
विपक्ष का फिर केजरीवाल की नीतियों पर हमला
दिल्ली की जनता को मुफ्तखोर तक बताया जा रहा
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद विपक्षी धड़ा दिल्ली वालों को मुफ्तखोर तक कहने लगा है और सोशल मीडिया पर ऐसी बातें चल रही हैं कि केजरीवाल सरकार ने टैक्सपेयर्स का पैसा लुटाकर जनता को भरमा लिया है. लेकिन इसे आप केजरीवाल सरकार का कौशल कहें या बाजीगरी, सच तो यह है कि तमाम फ्री सेवाओं और योजनाओं के बावजूद पिछले पांच साल में AAP के शासन में दिल्ली सरकार का खजाना मजबूत रहा है और जीडीपी के लिहाज से दिल्ली देश के सबसे तेजी से बढ़ने वाले राज्यों में से है.
आम आदमी पार्टी  के शासन में दिल्ली ने न सिर्फ तेज बढ़त की है, बल्कि उसने राष्ट्रीय जीडीपी में अपना हिस्सा भी बढ़ाया है. दिल्ली के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में पिछले पांच साल में 11.8 फीसदी की बढ़त हुई है.
गौरतलब है कि 2020 विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप सरकार बनने जा रही है. आम आदमी पार्टी इस चुनाव में 62 सीटें जीतने में कामयाब हुई है.
ये हैं केजरीवाल सरकार की मुफ्त योजनाएं
महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा
200 यूनिट तक बिजली फ्री
20 हजार लीटर से कम पानी पर कोई बिल नहीं
बहुत गरीब बच्चों का 100 फीसदी फीस माफ
200 मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त उपचार, दवाएं और टेस्ट
गरीबों के लिए निजी अस्पतालों में सर्जरी का पैसा सरकार देगी
सड़क दुर्घटना और जलने पर व्यक्ति का मुफ्त इलाज
वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुख्यमंत्री मुफ्त तीर्थ यात्रा योजना
बिजली से लेकर पानी तक सब फ्री
दिल्ली में 200 यूनिट तक की बिजली को केजरीवाल सरकार ने फ्री कर दिया है. इसके पहले 400 यूनिट बिजली के बिल में दिल्ली सरकार 50 प्रतिशत तक छूट देती थ���. तब 1600-1700 करोड़ रुपये की सब्सिडी सरकार को बिजली कंपनियों को ��ेनी पड़ती थी. इन उपभोक्ताओं के लिए फिक्स्ड चार्ज भी हटा दिया गया है. बताया जा रहा है कि अब बिजली के लिए सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का आंकड़ा ढाई हजार करोड़ रुपये सालाना पहुंच जाएगा.
अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले से दिल्ली में 26 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा. विभागीय आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में वर्ष 2018-19 में दो सौ यूनिट के बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 26 लाख थी, वहीं दौ सौ से चार सौ यूनिट वाले उपभोक्ताओं की संख्या 14 लाख थी.
दिल्ली में कुल 47 ला�� घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं. 2018-19 में अरविंद केजरीवाल सरकार ने 1699 करोड़ रुपये सिर्फ बिजली की सब्सिडी के लिए जारी किए थे. पिछले 5 साल से बिजली की कीमतों में कोई बढ़त नहीं हुई. इसके अलावा दिल्ली में बिजली का बिल सबसे सस्ता है.
पानी पर करीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपये सब्सिडी पहले से दी जा रही है. मुफ्त मेट्रो सफर की भी सुविधा शुरू हुई तो 1500 करोड़ से 2000 करोड़ रुपये की और सब्सिडी बढ़ेगी. डीटीसी व क्लस्टर बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर कराने के एवज में दिल्ली सरकार साल में 140 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
इसे भी पढ़ें: दिल्ली में कांग्रेस की 63 सीटों पर जमानत तक हो गई जब्त
रेवेन्यू सरप्लस में है दिल्ली सरकार
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार का राजस्व यानी रेवेन्यू मुफ्त बिजली व पानी देकर भी सरप्लस (लाभ) में चल रहा है. उसे इन मुफ्त योजनाओं के लिए किसी तरह का कर्ज नहीं लेना पड़ा है. देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 से लेकर 2017-18 तक दिल्ली सरकार रेवेन्यू सरप्लस में रही है.
यह सरप्लस तब है जबकि राज्य को केंद्र से मिलने वाला अनुदान घट गया है. दिल्ली सरकार को 2016-17 में 2,825 करोड़ रुपए का अनुदान केंद्र से मिला था, जबकि 2017-18 में दिल्ली को केंद्र से 2,184 करोड़ रुपए का अनुदान मिला. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में दिल्ली सरकार ने 5,236 करोड़ रुपए के रेवेन्यू सरप्लस का अनुमान रखा है. 2018-19 में राज्य सरकार का अनुमानित रेवेन्यू सरप्लस 4,931 करोड़ रुपए था.
अन्य राज्यों से बेहतर
इन पांच साल में राजस्व संतुलन के मामले में जहां राष्ट्रीय औसत राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) के शून्य से नीचे या उससे थोड़ा ऊपर रहा है, वहीं दिल्ली का औसत 1.6 फीसदी से लेकर 0.6 फीसदी तक रहा है. (यहां शून्य से नीचे यानी माइनस होने का मतलब घाटा होना है )
इसी प्रकार, राजकोषीय संतुलन की बात करें तो पांच साल में दिल्ली का औसत जहां जीएसडीपी के 0.24 फीसदी से -0.7 फीसदी रहा है, वहीं राष्ट्रीय औसत -2.4 से -3.5 फीसदी रहा है. यानी इस मामले में भी दिल्ली का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से अच्छा रहा है.
दिल्ली में राजस्व संतुलन लगातार पॉजिटिव बना रहा है. राजस्व संतुलन का मतलब होता है कि सरकार का जो राजस्व खर्च है और जो राजस्व प्राप्तियां हैं उनमें अंतर कितना है. अगर यह अंतर नेगेटिव है तो इसका मतलब है कि सरकार आमदनी से ज्यादा खर्च कर रही है. इसी तरह केजरीवाल सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे देश में सबसे कम है.
श‍िक्षा और स्वास्थ्य पर जमकर खर्च
आम आदमी पार्टी की सरकार ने श‍िक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च काफी बढ़ाया है. 2015-16 से 2019-20 (APP सरकार के पांच साल) के दौरान श‍िक्षा पर खर्च करने का बाकी पूरे देश का औसत जहां 14.8 फीसदी था, वहीं दिल्ली सरकार ने इस पर 25.3 फीसदी खर्च किया. इसी तरह इस दौरान चिकित्सा और जनस्वास्थ्य-परिवार कल्याण पर खर्च करने का देश का औसत जहां 4.9 फीसदी था, वहीं दिल्ली सरकार ने इस पर 12.5 फीसदी खर्च किया.
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दिल्ली का एक सरकारी स्कूल
कल्याणकारी बजट
पिछले साल 26 फरवरी को दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश किया था. इसके मुताबिक  2018-19 में दिल्ली का राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) 7,79,652 करोड़ रुपये था जो एक साल पहले 6,90,098  करोड़ रुपये के मुकाबले 13 फीसदी ज्यादा है.
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए दिल्ली सरकार ने 60,000 करोड़ रुपये का कुल व्यय तय किया था, जो 2018-19 के संशोध‍ित अनुमान से 19.5 फीसदी ज्यादा है. 2018-19 के संशोध‍ित अनुमान के मुताबिक दिल्ली सरकार ने तय एक्सपेंडीचर बजट से 2,800 करोड़ रुपये कम खर्च किया है.
इस बजट में दिल्ली सरकार ने ट्रांसपोर्ट के बजट में 38 फीसदी की बढ़त, श‍िक्षा के बजट में 35 फीसदी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के बजट में 25 फीसदी की बढ़त की है. हालांकि बजट में दिल्ली सरकार ने 15,219 करोड़ रुपये का कैपिटल एक्सपेंडिचर तय किया था, जो वित्त वर्ष 2018-19 के संशोध‍ित अनुमान से 47.7 फीसदी ज्यादा है.
दिल्ली का खर्च अन्य राज्यों कितना है अलग
मद    दिल्ली   अन्य राज्यों का औसत   श‍िक्षा  27.8%   15.9%  स्वास्थ्य  13.8%   5.2%  जलापूर्ति एवं स्वच्छता  2.5%     2.4%  शहरी विकास    6.9%    3.4%  सड़क एवं पुल   4.6%      4.3%  ऊर्जा   3.3%      5.2% –  –  (कुल खर्च का हिस्सा)
कहां से आता है पैसा
दिल्ली सरकार को आमदनी टैक्स, केंद्रीय अनुदान, लाभांश आदि से होती है. वित्त वर्ष 2019-20 में दिल्ली को ग्रांट यानी अनुदान और एड के रूप में 6,717  करोड़ रुपये आने का अनुमान है जो 2018-19 के संशोध‍ित अनुमान से 16.3 फीसदी ज्यादा है. इसके अलावा सरकार को गैर टैक्स स्रोत के रूप में करीब 800 करोड़ रुपये हासिल होने की उम्मीद है. इनमें ब्याज,लाभांश, रॉयल्टी आदि शामिल हैं.
केंद्र से जीएसटी अनुदान
इस वित्त वर्ष में दिल्ली सरकार को वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर होने वाले नुकसान की भरपाई के रूप में केंद्र सरकार से 3,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. इसके पिछले वित्त वर्ष में दिल्ली को इस भरपाई के रूप में 3500 करोड़ रुपये हासिल हुए थे.
टैक्स राजस्व
दिल्ली सरकार को इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 में कर राजस्व के रूप में 42,500 करोड़ रुपये हासिल होने की उम्मीद है. यह 2018-19 के संशोध‍ित अनुमान से करीब 11 फीसदी ज्यादा है.
इसे भी पढ़ें: पीएम मोदी ने दी बधाई तो केजरीवाल बोले- मिलकर बनाएंगे दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी
कहां से बचाया पैसा
असल में आम आदमी पार्टी की सरकार पूंजीगत खर्च यानी कैपिटल एक्सपेंडीचर में कटौती कर पैसा श‍िक्षा और स्वास्थ्य के मौजूदा सुविधाओं पर खर्च कर रही है. कैपिटल एक्सपेंडीचर में कटौती का मतलब यह है कि नए स्कूल और अस्पताल जैसे बुनियादी ढांचा विकास का काम कम हो रहा है या उन पर कम पैसा खर्च हो रहा है. इसकी जगह सरकार मौजूदा अस्पतालों और स्कूलों को बेहतर बनाने पर ज्यादा जोर दे रही है. हालांकि, इसके बावजूद सड़कों और पुलों पर दिल्ली सरकार का खर्च बजट के फीसदी हिस्से में देखें तो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है.
सरकार का यह भी दावा है कि उसने भ्रष्टाचार को खत्म कर पुलों, सड़कों आदि के निर्माण का खर्च काफी कम कर दिया है. तो यह नहीं कहा जा सकता कि AAP सरकार जनता या टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद कर रही है. ऐसा लगता है कि यह सरकार बजट का सही तरीके से प्रबंधन कर पैसे बचा रही है और उसे लोक कल्याणकारी कार्यों पर खर्च कर रही है.
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rohtakmedia-blog · 6 years ago
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किसानों एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये 1500 करोड़ रूपये का प्रावधान
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किसानों एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये 1500 करोड़ रूपये का प्रावधान : हरियाणा सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए मनोहारी बजट लेकर आई है। बजट में कोई कर नहीं लगाया गया है। विभिन्न वर्गों के लिए रियायतें दी गई है। चुनावी वर्ष में हरियाणा के वर्ष 2019-20 के बजट में जहां जनता पर कोई नया कर नहीं थोपा गया, वहीं सरकार ने पांच एकड़ भूमि के किसानों तथा असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये नई सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू करने का ऐलान करते हुये इसके लिये 1500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार के पांचवां और अंतिम बजट पेश करते हुये कहा कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी वह हरियाणा मूल्य वर्धित कर की वर्तमान दरों में कोई परिवर्तन नहीं कर रहे हैं तथा न ही किसी नये कर का प्रस्ताव कर रहे हैं। चुनावी वर्ष का पूरा रंग बजट में उडेेलने का प्रयास है। इस बजट के प्रारूप का पहले ही अंदाजा लगाया जा रहा था। केंद्र के बजट की मानिद इस बजट की संरचना की गई है। इन्हे भी पढ़े :- नोटबंदी से 19 लाख करोड़ बैंकों में जमा हुए: बीरेंद्र सिंह वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने अर्थ शास्त्र के पुरोधा कौटिल्य के उदाहरण से अपना बजट अभिभाषण प्रारम्भ करके यह साबित करने की शायद कोशिश की, कि प्रस्तुत बजट वाकई शास्त्र संवत है और किसी को इस बारे आपत्ति की गुंजायश नहीं हो सकती है। कैप्टन अभिमन्यु द्वारा साथ ही इसमें हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की गई। सुबह साढ़े दस बजे कैप्टन विधानसभा परिसर में पहुंचे। उन्होंने प्रश्नकाल के बाद 12 बजे बजट पेश करना शुरू किया। कैप्टन अपने परिवार के सदस्यों के साथ बजट पेश करने के लिए विधानसभा पहुंचे । घर से विधानसभा रवाना होने से पहले कैप्टन ने घर मे हवन यज्ञ भी किया। इसके बाद वित्त मंत्री सचिवालय पहुंचे और बजट दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। कैप्टन के साथ वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद व अन्य अधिकारी भी थे। 2019-20 के लिए 1,32,165.99 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव है, जो बजट अनुमान 2018-19 के 1,15,198.29 करोड़ रुपये के परिव्यय पर 14.73 प्रतिशत और संशोधित अनुमान 2018-19 के 1,20,375.40 करोड़ रुपये से 9.79 प्रतिशत अधिक है। इस बजट परिव्यय में 37,924.09 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के रूप में 28.7 प्रतिशत और 94,241.90 करोड़ रुपये के राजस्व व्यय के रूप में 71.3 प्रतिशत परिव्यय शामिल है। बजट में विभिन्न विभागों के लिए राशि निर्धारित की गई है। इनमें कृषि विभाग के लिए 3834.33 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया। कृषि क्षेत्र के लिए 2210.51 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 1026.68 करोड़ रुपये, बागवानी के लिए 523.88 करोड़ रुपये और मत्स्य पालन के लिए 73.26 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। किसानों की वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा के लिए 1500 करोड़ रुपये का प्रावधान है।  खेल और युवा : खेल और युवा मामले में 401.17 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का प्रस्ताव है। शिक्षा में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए 12,307.46 करोड़ रुपये के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया। उच्च शिक्षा के लिए 2,076.68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। तकनीकी शिक्षा के लिए 512.72 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।  स्वास्थ्य : स्वास्थ्य विभाग के लिए 5,040.65 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3,126.54 करोड़ रुपये, चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान के लिए 1,358.75 करोड़ रुपये, आयुष के लिए 337.2 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।  रोजगार: रोजगार के लिए 365.20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। श्रम के लिए 58.57 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।  बिजली: बिजली विभाग के लिए 12,988.61 करोड़ रुपये का आवंटन, नव और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के लिए 475.91 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया।  सहकारिता: सहकारिता के लिए 1396.21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। 2020-21 तक 750 करोड़ की कुल लागत से शाहबाद चीनी मिल में 60 केएलपीडी का एथनोल प्लांट लगाने का प्रावधान है।  इन्हे भी पढ़े :- चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी आलाकमान करेगा: कुमारी शैलजा वन विभाग के लिए 415.39 करोड़  ,गृह विभाग के लिए 5,150.51 करोड़ ,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के लिए 216.96 करोड़ , पर्यटन विभाग के लिए 48.92 करोड़ , लोक निर्माण 3626.21 करोड़़, सूचना प्रद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिकस विभाग के लिए 152.75 करोड़  , उद्योग एवं वाणिज्य के लिए 406.72 करोड़  ,शहरी स्थानीय निकायों के लिए 3994.95 करोड़ ,पर्यवरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के लिए 13.09 करोड़ , श्रम 58.57 करोड़ ,सिंचाई एवं जल संसाधन 3,324.51 करोड़  ,विकास एवं पंचायत 816.91 करोड़ ,परिवहन व्यवस्था 2605.00 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। इसमें राज्य की स्वयं की 51,105 करोड़  रुपये की कर राजस्व प्राप्तियां और 10,024.95 करोड़  रुपये की गैर-कर राजस्व प्राप्तियां शामिल हैं। कर राजस्व के प्रस्तावित प्रमुख स्रोतों, जीएसटी से 22,750 करोड़  रुपये, वैट से 10,900 करो ़ रुपये, आबकारी  से 7000 करोड़    रुपये और स्टाम्प एवं पंजीकरण से 6500 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। सरकारी कर्मचारियों को कई लाभ प्रदान  हरियाणा सरकार ने, पहली बार कॉरपोरेट सैलरी पैकेज के तहत सरकारी कर्मचारियों को कई लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से बैंकों के साथ बातचीत करके एक अनूठी पहल की है। इस योजना के तहत, कर्मचारियों की प्राकृतिक मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये देना, 50,000 रुपये की चिकित्सा सुविधा और 30 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा जैसे कई लाभ प्रदान करने के लिए चार बैंकों-एसबीआई, एचडीएफसी, पीएनबी और हरको बैंक को चुना गया है। किसानों एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये 1500 करोड़ रूपये का प्रावधान स्त्रोत :- uttamhindu छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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अक्टूबर जीएसटी संग्रह 1.3 लाख करोड़, अब तक का दूसरा सबसे बड़ा - टाइम्स ऑफ इंडिया
अक्टूबर जीएसटी संग्रह 1.3 लाख करोड़, अब तक का दूसरा सबसे बड़ा – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: अक्टूबर में सकल जीएसटी संग्रह कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये रहा – जुलाई 2017 में कर सुधार उपाय के कार्यान्वयन के बाद से दूसरी सबसे बड़ी प्राप्तियां – आर्थिक सुधार को मजबूत करने और अनुपालन में उल्लेखनीय सुधार के साथ। द्वारा जारी किया गया डेटा वित्त मंत्रालय सोमवार को दिखाया गया कि अक्टूबर में जीएसटी प्राप्तियां पिछले साल के इसी महीने के राजस्व की तुलना में 24% अधिक और 2019-20 से 36 प्रतिशत…
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