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जन्मदिन विशेष: शब्दाें के जादूगर जावेद अख्तर को खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी थी रातें, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज शब्दाें के जादूगर जावेद अख्तर साहब का आज 76वां जन्मदिन है। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी, 1945 को ग्वालियर में हुआ था। भारतीय सिनेमा में जावेद अख्तर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। आज हम आपको बताते हैं उनके संघर्ष से जुड़ी कुछ खास बातें- (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जावेद के पिता मशहूर शायर जान निसार अख्तर थे। तो मां उर्दू लेखिका और शिक्षिका सफिया अख्तर थी। बचपन में जावेद को जादू के नाम पुकारा जाता था। दरअसल, उनके पिता की कविता 'लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा' बेहद प्रसिद्द हुई थी। इसलिए जब जावेद का जन्म हुआ था तो उनके पिता उन्हें जादू कहकर पुकारने लगे। बाद में जादू से मिला जुला नाम जावेद रख दिया गया। जब जावेद बहुत छोटे थे तो उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। कहा जाता है कि भोपाल में जावेब की जिंदगी दोस्तों के भरोसे पर रहा करते थे क्योंकि परिवार से कोई खास ��पोर्ट नहीं मिल पाता था। भोपाल से निकलकर वह लखनऊ अपनी ��ानी के घर आ गए और फिर वहीं से पढ़ाई और लिखाई का सिलसिला रफ्तार पकड़ा। साल 1964 में जावेद मुंबई आ गए थे। मुंबई आकर शुरुआती दिनों में उनके पास खाने के पैसे भी नहीं थे और न उनके पास रहने का कोई ठिकाना था। कई रातें उन्होंने खुले आसमान में भी बिताई है। फिर बाद में कमाल अमरोही ने उन्हें अपने स्टूडियो में रहने की जगह दी। शुरुआती संघर्ष के दिनों में जावेद को एक फिल्म में क्लैपर ब्वॉय का काम मिला। इस फिल्म में सलीम खान लिड रोल में थे। दोनों की मुलाकात इस फिल्म के दौरान हुई थी। फिर एक बार डायरेक्टर एसएम सागर को अपनी फिल्म के लिए लेखक नहीं मिल रहा था। तब डायरेक्टर ने इन दोनों को पहली बार मौका दिया। सलीम कहानी लिखते थे और जावेद डायलॉग लिखते थे। धीरे-धीरे सलीम-जावेद की जोड़ी मशहूर हुई। सलीम और जावेद ने 24 फिल्मों में साथ काम किया है, इनमें से 20 फिल्में ब्लॉक बस्टर साबित हुईं। इन फिल्मों में 'सीता-गीता', 'शोले', 'हाथी मेरा साथी', 'यादों की बारात', और 'दीवार' जैसे सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। जावेद को उनके गीतों के लिए कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्हें साल 1999 में पद्मश्री और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा जावेद अख्तर 8 बार फिल्म फेयर अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं। वहीं उनकी पर्सनल लाइफ की बात करें तो जावेद अख्तर ने दो शादियां की हैं। उनकी पहली पत्नी हनी ईरानी थी। हनी और जावेद की मुलाकात फिल्म 'सीता और गीता' के सेट पर हुई थी। जावेद की दूसरी शादी शबाना आजमी से हुई। जावेद ने शबाना आजमी की मां कैफी आजमी के साथ बतौर सहायककाम किया था। काम के दौरान ही जावेद और शबाना की नजदीकियां बढ़ीं। जावेद और शबाना के दो बच्चे जोया और फरहान अख्तर हैं। Read the full article
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जन्मदिन विशेष: शब्दाें के जादूगर जावेद अख्तर को खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी थी रातें, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज शब्दाें के जादूगर जावेद अख्तर साहब का आज 75वां जन्मदिन है। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी, 1945 को ग्वालियर में हुआ था। भारतीय सिनेमा में जावेद अख्तर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। आज हम आपको बताते हैं उनके संघर्ष से जुड़ी कुछ खास बातें- (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जावेद के पिता मशहूर शायर जान निसार अख्तर थे। तो मां उर्दू लेखिका और शिक्षिका सफिया अख्तर थी। बचपन में जावेद को जादू के नाम पुकारा जाता था। दरअसल, उनके पिता की कविता 'लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा' बेहद प्रसिद्द हुई थी। इसलिए जब जावेद का जन्म हुआ था तो उनके पिता उन्हें जादू कहकर पुकारने लगे। बाद में जादू से मिला जुला नाम जावेद रख दिया गया। जब जावेद बहुत छोटे थे तो उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। कहा जाता है कि भोपाल में जावेब की जिंदगी दोस्तों के भरोसे पर रहा करते थे क्योंकि परिवार से कोई खास सपोर्ट नहीं मिल पाता था। भोपाल से निकलकर वह लखनऊ अपनी नानी के घर आ गए और फिर वहीं से पढ़ाई और लिखाई का सिलसिला रफ्तार पकड़ा। साल 1964 में जावेद मुंबई आ गए थे। मुंबई आकर शुरुआती दिनों में उनके पास खाने के पैसे भी नहीं थे और न उनके पास रहने का कोई ठिकाना था। कई रातें उन्होंने खुले आसमान में भी बिताई है। फिर बाद में कमाल अमरोही ने उन्हें अपने स्टूडियो में रहने की जगह दी। शुरुआती संघर्ष के दिनों में जावेद को एक फिल्म में क्लैपर ब्वॉय का काम मिला। इस फिल्म में सलीम खान लिड रोल में थे। दोनों की मुलाकात इस फिल्म के दौरान हुई थी। फिर एक बार डायरेक्टर एसएम सागर को अपनी फिल्म के लिए लेखक नहीं मिल रहा था। तब डायरेक्टर ने इन दोनों को पहली बार मौका दिया। सलीम कहानी लिखते थे और जावेद डायलॉग लिखते थे। धीरे-धीरे सलीम-जावेद की जोड़ी मशहूर हुई। सलीम और जावेद ने 24 फिल्मों में साथ काम किया है, इनमें से 20 फिल्में ब्लॉक बस्टर साबित हुईं। इन फिल्मों में 'सीता-गीता', 'शोले', 'हाथी मेरा साथी', 'यादों की बारात', और 'दीवार' जैसे सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। जावेद को उनके गीतों के लिए कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्हें साल 1999 में पद्मश्री और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा जावेद अख्तर 8 बार फिल्म फेयर अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं। वहीं उनकी पर्सनल लाइफ की बात करें तो जावेद अख्तर ने दो शादियां की हैं। उनकी पहली पत्नी हनी ईरानी थी। हनी और जावेद की मुलाकात फिल्म 'सीता और गीता' के सेट पर हुई थी। जावेद की दूसरी शादी शबाना आजमी से हुई। जावेद ने शबाना आजमी की मां कैफी आजमी के साथ बतौर सहायककाम किया था। काम के दौरान ही जावेद और शबाना की नजदीकियां बढ़ीं। जावेद और शबाना के दो बच्चे जोया और फरहान अख्तर हैं। Read the full article
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