#जहर
Explore tagged Tumblr posts
Text
दीवानी हुईं शहनाज गिल, डांस कर जाहिर किए अपने जज्बात
दीवानी हुईं शहनाज गिल, डांस कर जाहिर किए अपने जज्बात
शहनाज गिल वीडियो: शहनाज गिल के करियर के सितारे इन दिनों बुलंदियों के शिखर पर हैं. एक्ट्रेस कभी अपने म्यूजिक एल्बम, कभी टॉक शो, कभी अपकमिंग प्रोजेक्ट, तो कभी बॉलीवुड डेब्यू को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं. इसके साथ ही पंजाब की कटरीना कैफ भी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। इस एपिसोड में सना अपने लेटेस्ट वीडियो से लोगों का ध्यान खींचती नजर आ रही हैं। इस क्लिप में दिवा प्यार में डांस करती नजर आ…
View On WordPress
0 notes
Text
चैटोग्राम पिच रिपोर्ट, जहूर अहमद चौधरी स्टेडियम में स्टाफ इंडिया का दस्तावेज
चैटोग्राम पिच रिपोर्ट, जहूर अहमद चौधरी स्टेडियम में स्टाफ इंडिया का दस्तावेज
बांग्लादेश बनाम भारत पहला टेस्ट: भारतीय पुरुष बुधवार (14 दिसंबर) को सुबह 9:00 बजे (IST) बांग्लादेश का सामना करने के लिए तैयार हैं। यह दो मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच है और यह चटोग्राम के जहूर अहमद चौधरी नेशनल स्टेडियम में खेला जाएगा। बांग्लादेश ने इससे पहले 10 दिसंबर को तीन मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से जीती थी। भारत जैसे प्रतिद्वंद्वी को देखते हुए, बांग्लादेश सफेद गेंद की सफलता को दोहराने के…
View On WordPress
0 notes
Text
दुनिया की सबसे डरावनी फिल्म, शूटिंग के दौरान ही खौफ से मर गए 20 लोग
#साउथ की सबसे डरावनी फिल्म#दुनिया की सबसे शापित हॉरर फिल्म#दुनिया की सबसे हॉरर मूवी#दुनिया की सबसे हांटेड मूवी कौन सी है#बॉलीवुड की सबसे डरावनी मूवीज#भूतों के इस डरावनी फिल्म ने तहलका मचा रखा है#राघव बच्चों के साथ बैठ के हॉरर फिल्म देख रहा है#साउथ फिल्म#गोली लगने पर इंसान की मौत दर्द होने से होती है गन पाउडर के जहर से होती है ?#दुनियाकीसबसेशापितहॉररफिल्म#10 सबसे#अगर आप भी भूतों से डरते हैं#भूत की वीडियो#अगर आप भी भूतों से डरते हैं तो देखिये कैसे करें उन्हें इग्नोर
0 notes
Text
शराब से हर साल दुनिया में 30 लाख मौतें, जहर है फिर भी इससे इतनी मुहब्बत क्यों, लोग कितनी शराब पी रहे हैं, ‘भाषिकी रिसर्च जर्नल’ अध्ययन से हुए महत्वपूर्ण खुलासे
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 जून 2024 | जयपुर – दिल्ली – मुंबई : शराब की वजह से दुनियाभर में 30 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर फि भी क्यों लोगों को शराब की लत लग जाती है। तमिलनाडु में जहरीली शराब पीने से 34 लोगों की मौत हो गई तो वहीं 100 से ज्यादा लोग हॉस्पिटल में भर्ती हैं। आए दिन जहरीली शराब से मौतों की खबर आप सुनते ही होंगे। शराब से हर साल दुनिया में 30 लाख…
View On WordPress
#‘भाषिकी रिसर्च जर्नल’ अध्ययन से हुए महत्वपूर्ण खुलासे#जहर है फिर भी इससे इतनी मुहब्बत क्यों#लोग कितनी शराब पी रहे हैं#शराब से हर साल दुनिया में 30 लाख मौतें
0 notes
Text
#सर्प के जहर को कैसे दूर करें#Snake Venom#snakebites#snake poision#snake#astrology#astrologer#aghori#astrology blog#astro notes#astrology signs#astronomy#astro community#aghor tantra#astro observations#venom snake#solid snake#reptiles#lizard#snek#ball python#mantra#meditation
0 notes
Text
रोशनी के जहर को यूँ पी रहे हैं,
तेरे प्यार के बिना ज़िन्दगी जी रही है,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रह रहे हैं।
#रोशनी के जहर को यूँ पी रहे हैं#तेरे प्यार के बिना ज़िन्दगी जी रही है#अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें#तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा
0 notes
Text
जहर का धुंआ
सौजन्य: गूगल जहर का धुंआ हर शहर में फैला हुआ शासन प्रशासन भी बौना हुआ है नफरत सियासत की ये कैसी दशा है इंसान खुद में बेबस हुआ है । जो भी आस्था को सियासत से घायल करें वो इंसानियत के भावों को रुसवा करें धर्म संदेश देता है अमन शांति का फिर इसमे जहर का धुंआ क्यों भरे, आम लोगों के जीवन में अशांति क्यों हुआ शासन प्रशासन क्यों बौना हुआ । जहर का धुंआ हर शहर में फैला हुआ ।।
View On WordPress
0 notes
Text
रिश्वत लेना, दहेज लेना, चोरी या हेराफेरी करना जहर खाने के समान है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए *SANT RAMPAL JI MAHARAJ* YouTube Channel
46 notes
·
View notes
Text
ये सुरमे भरी आंखें जहर से भी ज्यादा खतरनाक काम करती है , इंसान के कलेजे में खंजर भी उतार देती है और निशान तक नहीं छोड़ती ।
वो खंजर से सूरमा लगाने वाली कब अपने नैनो के तीर दिल में उतर गई हमें कुछ पता ही ना चला
#surma#khol#surmai aankhein#beautiful eyes#women and weapon#beauty#desi academia#desi tumblr#random rants#desi things#desi shit posting#rants n rambles#desi aesthetic#desiblr#desi girl#desi core
15 notes
·
View notes
Text
चैटोग्राम पिच रिपोर्ट, जहूर अहमद चौधरी स्टेडियम में टीम इंडिया की फाइल
चैटोग्राम पिच रिपोर्ट, जहूर अहमद चौधरी स्टेडियम में टीम इंडिया की फाइल
बांग्लादेश बनाम भारत तीसरा ओडीआई: भारतीय पुरुष शनिवार (10 दिसंबर) को सुबह 11:30 बजे (आईएसटी) बांग्लादेश का सामना करने के लिए तैयार हैं। यह तीन मैचों की एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (ODI) श्रृंखला का तीसरा और अंतिम मैच है और यह चटोग्राम के जहूर अहमद चौधरी राष्ट्रीय स्टेडियम में खेला जाएगा। इससे पहले बांग्लादेश ने 7 दिसंबर को मीरपुर में दूसरा वनडे जीतकर श्रृंखला 2-0 से आगे की थी। भारत में आगामी 50 ओवर…
View On WordPress
0 notes
Text
ऐसे थोड़ी सुकून का घर होगा,
पहले परेशानियों का कहर होगा,
हर मधुरता मे महसूस जहर होगा,
मन अनगिनत व्यथाओं से गुजर होगा,
फिर हर लगाव से नाता बेअसर होगा,
तब जाकर कहीं सुकून बसर होगा....
4 notes
·
View notes
Text
नारियल पानी ठेले वाला!
बात चाहे पुरानी है मगर अब भी वक्त की कसौटी पे
खरी उतरती संघर्ष की सार्थकता की यह निशानी है
हँसी ठट्ठा नहीं ये तो संघर्षों भरे जीवन की कहानी है!
एक दिन नारियल पानी बेचने वाले के ठेले पर खड़ा
विरोधाभास से भरा एक अजब नज़ारा देख रहा था
एक तरफ़ नारियल पानी के गुणों का बखान करता
खड़ी भीड़ को ठेले वाला नारियल पानी बेच रहा था
दूसरी तरफ़ स्वयं हाथ में गर्म चाय की प्याली लिए
बड़े मज़े से चुसकियाँ लेता चाय अंदर उड़ेल रहा था!
ख़ुद को रोक न सका तो जिज्ञासा वश मैं बोल उठा
क्यों भाई औरों के लिए गुणों से भरा नारियल पानी
मगर अपने लिए ये गर्मागर्म कड़क चाय की प्याली
कहाँ नारियल के ढेरों गुण कहाँ चाय में भरे अवगुण!
कलेजा जलाकर तुम अपने जीवन से बस खेलते हो
खुद के पोषण की सोचो क्यों जहर अंदर उड़ेलते हो
ठेले वाला बोला बाबू छोड़ो लम्बी लम्बी हाँकते हो
ग़रीबी क्या है उसके अंदर भी क्या कभी झाँकते हो!
परिवार के भरण पोषण की ख़ातिर ही श्रम करता हूँ
सब जी सकें उसी यत्न में रात दिन वक्त से लड़ता हूँ
बड़ा ना सही मगर व्यापारी हूँ मुनाफ़ा खूब जानता हूँ
पाँच और पचास रूपये में अंतर मैं ख़ूब पहचानता हूँ!
चाय पर पाँच खर्चता हूँ नारियल पर पचास कमाता हूँ
नारियल पानी खुद पियूँगा तो एक पे पचास गवाऊँगा
अगर पैंतालीस ना ��िले तो सब धंधा चौपट कराऊँगा
यह नुक़सान कहाँ से भरूँगा अपना घर कैसे चलाऊँगा!
ज़हर अमृत गुण अवगुण ऊँचे आदर्श कौन पालता है
यह भूखा पेट नैतिकता अनैतिकता कहाँ पहचानता है
गुणगान बखान तो बस मेरा धंधा करने का तरीक़ा है
बाक़ी ग्राहक की मर्ज़ी पे छोड़ा सच्च वो ही जानता है!
उसकी बातों से उसके दिल में दबी पीड़ा झलक गयी
उसकी आँखों से अश्रु धारा बनके वो सारी टपक गयी
वहाँ विचलित मन लिए मैं निशब्द सोचता ही रह गया
ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई देखकर नारियल पानी की
मिठास में छुपे कड़वे सच्च में मैं यकायक ही बह गया!
7 notes
·
View notes
Text
YouTube Link : https://youtu.be/mlBcLVtTPrw
26.06.2023 लखनऊ | आमजन को नशे के कुप्रभाव से अवगत कराने व नशा मुक्त जीवन व्यतीत करने की अपील हेतु हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनहित मे "अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस 2023" के अवसर पर भूतनाथ मार्केट, इंदिरा नगर, लखनऊ में नुक्कड़ नाटक "नशा नाश की जड़ है" का मंचन किया गया | नुक्कड़ नाटक में कलाकारों द्वारा समाज में लोगों से नशा न करने की अपील की गई तथा यह बताया गया कि नशा एक धीमा जहर है जो कि सिर्फ एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार को विनाश की ओर ले जाता है |
रंगकर्मी विपिन कुमार द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक "नशा नाश की जड़ है" में वरिष्ठ कलाकार रामनरेश, चेतन सिंह, प्रणव श्रीवास्तव, प्रीति भारती और शिवम शर्मा ने एक परिवार का दृश्य दिखाया, जिसमें परिवार का मुखिया शराब पीकर घर आता है और अपने परिवार के सदस्यों से झगड़ा करता है और उनसे पैसे छीन लेता है और नशे की लत को पूरा करने के लिए चला जाता है और एक सड़क दुर्घटना में मारा जाता है । वह अपने पीछे रोता-बिलखता परिवार छोड़ गया है । नाटक में दिखाया गया कि किस तरह नशे रूपी राक्षस ने एक व्यक्ति को निगल लिया और उसके परिवार को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया । अंत में कलाकारों ने सभी से अपील की कि आज ही नहीं बल्कि हर दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम खुद को और समाज को नशे के राक्षस से दूर रखेंगे |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी, हर्ष वर्द्धन अग्रवाल ने सभी कलाकारों के अद्भुत प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि "नुक्कड़ नाटक सामाजिक संदेश साझा करने और जागरूकता फैलाने का एक सशक्त माध्यम है | आज "अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस 2023" के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनहित मे "नशा नाश की जड़ है" का मंचन आप सबके सामने किया गया जिसके माध्यम से हमारे कलाकारों ने सभी से नशे रूपी राक्षस से दूर रहने की अपील की | हमें खुशी है कि यह नाटक हमारे समुदाय के बीच एक ऐसा महत्वपूर्ण संदेश पहुंचा रहा है जो नशा निरोधक दिवस की महत्वता को बढ़ावा देता है । हमें उम्मीद है कि यह नाटक नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इस समस्या से लड़ने के लिए प्रेरित करने में सक्षम होगा । नशा एक ऐसी बीमारी है जो न केवल वयस्क पुरुषों को प्रभावित कर उन्हें कई तरह से बीमार कर रही है, बल्कि महिलाओं और आज की युवा पीढ़ी को भी अपने चंगुल में फंसा रही है | शराब, सिगरेट, तम्बाकू एवं ड्रग्स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है । आज फुटपाथ और रेल्वे प्लेटफार्म पर रहने वाले बच्चे भी नशे की चपेट में आ चुके हैं । नशे की लत ने इंसान को इस स्तर पर पहुंचा दिया है कि अब इंसान नशे के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, नशे के लिए अपराध भी कर सकता है | नशे का असर न सिर्फ व्यक्ति के शरीर पर पड़ रहा है बल्कि उनके निजी और सामाजिक जीवन में भी तनाव उत्पन्न कर रिश्तों की कड़ी को तोड़ रहा है | आइए आज अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस पर हम सभी नशे से दूर रहने का संकल्प लेकर भारत सरकार के नशा ��ुक्त भारत के अभियान को साकार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें । हम आशा करते हैं कि इस नाटक के माध्यम से हम नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने में सफल होंगे और समाज मे सकारात्मक परिवर्तन लाने मे सहायक होंगे |
नुक्कड़ नाटक "नशा नाश की जड़ है" के मंचन में भूतनाथ मार्केट के प्रमुख व्यापारी दिनेश शर्मा, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, नाटक के निर्देशक श्री विपिन कुमार, कलाकारों, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों व बड़ी संख्या में दर्शकों की गरिमामय उपस्थिति रही |
#nodrugs #InternationalDayAgainstDrugAbuse #InternationalDayAgainstDrugAbuseandIllicitTrafficking #drugabuse #addiction #drugaddiction #mentalhealth #drugs #alcoholism #depression #drug #substanceabuse #narcotics #withdrawalsymptom #antinarkoba #drugabuseawareness #mentalhealthawareness #addictivesubstance #saynotodrugs #streetplay #InternationalDayAgainstDrug #NarendraModi #PMOIndia #HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust #KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
@narendramodi @pmoindia
@HelpUEducationalAndCharitableTrust @HelpU.Trust
@KIRANHELPU
@HarshVardhanAgarwal.HVA @HVA.CLRS @HarshVardhanAgarwal.HelpUTrust
@HelpUTrustDrRupalAgarwal @RupalAgarwal.HELPU @drrupalagarwal
@HelpUTrustDrRupal
9 notes
·
View notes
Text
🇮🇳 Shah Rukh Khan than Amitabh Bachchan.. Says.. For lust of power & money, Contemporary GODI-MEDIA has reduced itself to becoming the mouth piece of the govt while it has been spreading the poison of HATRED, Communalism and Fake-News. It has now come to that point where boycott of Godi anchors is not about teaching them a lesson but saving the country from their Dangerous and VILE PROPAGANDA
#Boycott Godi Media "INDIA"
सत्ता और पैसे की लालसा के लिए, समकालीन गोदी-मीडिया ने खुद को सरकार का मुखपत्र बनने तक सीमित कर दिया है, जबकि यह नफरत, सांप्रदायिकता और फेक-न्यूज का जहर फैला रहा है। अब यह उस बिंदु पर आ गया है जहां गोदी एंकरों का बहिष्कार उन्हें सबक सिखाने के बारे में नहीं है बल्कि देश को उनके खतरनाक और वीभत्स प्रचार से बचाने के बारे में है।
#गोदी मीडिया का बहिष्कार करें ~ "इंडिया"
3 notes
·
View notes
Text
#Marriage_In_17Minutes
अब बेटियां होंगी सुखी संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान से उनके करोड़ों अनुयाई पराए धन को जहर के समान समझने लगे हैं व इन अवगुणों को त्याग रहे हैं और दहेज जैसी कुप्रथा का विनाश हो रहा है।
➜ साधना TV 📺 पर शाम 7:30 से 8:30
2 notes
·
View notes
Text
🍃 *ज्ञान गंगा* 🍃
*(Part - 15)*
*विष्णु का अपने पिता की प्राप्ति के लिए प्रस्थान व माता का आशीर्वाद पाना*
📜इसके बाद विष्णु से प्रकृति ��े कहा कि पुत्र तू भी अपने पिता का पता लगा ले। तब विष्णु अपने पिता जी काल (ब्रह्म) का पता करते-करते पाताल लोक में चले गए, जहाँ शेषनाग था। उसने विष्णु को अपनी सीमा में प्रविष्ट होते देख कर क्रोधित हो कर जहर भरा फुंकारा मारा। उसके विष के प्रभाव से विष्णु जी का रंग सांवला हो गया, जैसे स्प्रे पेंट हो जाता है। तब विष्णु ने चाहा कि इस नाग को मजा चखाना चाहिए। तब ज्योति निरंजन (काल) ने देखा कि अब विष्णु को शांत करना चाहिए। तब आकाशवाणी हुई कि विष्णु अब तू अपनी माता जी के पास जा और सत्य-सत्य सारा विवरण बता देना तथा जो कष्ट आपको शेषनाग से हुआ है, इसका प्रतिशोध द्वापर युग में लेना। द्वापर युग में आप (विष्णु) तो कृष्ण अवतार धारण करोगे और कालीदह में कालिन्द्री नामक नाग, शेष नाग का अवतार होगा।
ऊँच होई के नीच सतावै, ताकर ओएल (बदला) मोही सों पावै।
जो जीव देई पीर पुनी काँहु, हम पुनि ओएल दिवावें ताहूँ।।
तब विष्णु जी माता जी के पास आए तथा सत्य-सत्य कह दिया कि मुझे पिता के दर्शन नहीं हुए। इस बात से माता (प्रकृति) बहुत प्रसन्न हुई और कहा कि पुत्र तू सत्यवादी है। अब मैं अपनी शक्ति से पिता से मिलाती हूँ तथा तेरे मन का संशय खत्म करती हूँ।
कबीर, देख पुत्र तोहि पिता भीटाऊँ, तौरे मन का धोखा मिटाऊँ। मन स्वरूप कर्ता कह जानों, मन ते दूजा और न मानो। स्वर्ग पाताल दौर मन केरा, मन अस्थीर मन अहै अनेरा। निंरकार मन ही को कहिए, मन की आस निश दिन रहिए। देख हूँ पलटि सुन्य मह ज्योति, जहाँ पर झिलमिल झालर होती।।
इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने विष्णु से कहा कि मन ही जग का कर्ता है, यही ज्योति निरंजन है। ध्यान में जो एक हजार ज्योतियाँ नजर आती हैं वही उसका रूप है। जो शंख, घण्टा आदि का बाजा सुना, यह महास्वर्ग में निरंजन का ही बज रहा है। तब माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने कहा कि हे पुत्र तुम सब देवों के सरताज हो और तेरी हर कामना व कार्य मैं पूर्ण करूंगी। तेरी पूजा सर्व जग में होगी। आपने मुझे सच-सच बताया है। काल के इक्कीस ब्रह्माण्ड़ों के प्राणियों की विशेष आदत है कि अपनी व्यर्थ महिमा बनाता है। जैसे दुर्गा जी श्री विष्णु जी को कह रही है कि तेरी पूजा जग में होगी। मैंने तुझे तेरे पिता के दर्शन करा दिए। दुर्गा ने केवल प्रकाश दिखा कर श्री विष्णु जी को बहका दिया। श्री विष्णु जी भी प्रभु की यही स्थित�� अपने अनुयाइयों को समझाने लगे कि परमात्मा का केवल प्रकाश दिखाई देता है। परमात्मा निराकार है। इसके बाद आदि भवानी रूद्र(महेश जी) के पास गई तथा कहा कि महेश तू भी कर ले अपने पिता की खोज तेरे दोनों भाइयों को तो तुम्हारे पिता के दर्शन नहीं हुए उनको जो देना था वह प्रदान कर दिया है अब आप माँगो जो माँगना है। तब महेश ने कहा कि हे जननी ! मेरे दोनों बड़े भाईयों को पिता के दर्शन नहीं हुए फिर प्रयत्न करना व्यर्थ है। कृपा मुझे ऐसा वर दो कि मैं अमर (मृत्युंजय) हो जाऊँ। तब माता ने कहा कि यह मैं नहीं कर सकती। हाँ युक्ति बता सकती हूँ, जिससे तेरी आयु सबसे लम्बी बनी रहेगी। विधि योग समाधि है (इसलिए महादेव जी ज्यादातर समाधि में ही रहते हैं)। इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने तीनों पुत्रों को विभाग बांट दिए: --
भगवान ब्रह्मा जी को काल लोक में लख चौरासी के चोले (शरीर) रचने (बनाने) का अर्थात् रजोगुण प्रभावित करके संतान उत्पत्ति के लिए विवश करके जीव उत्पत्ति कराने का विभाग प्रदान किया। भगवान विष्णु जी को इन जीवों के पालन पोषण (कर्मानुसार) करने, तथा मोह-ममता उत्पन्न करके स्थिति बनाए रखने का विभाग दिया। भगवान शिव शंकर (महादेव) को संहार करने का विभाग प्रदान किया क्योंकि इनके पिता निरंजन को एक लाख मानव शरीर धारी जीव प्रतिदिन खाने पड़ते हैं।
यहां पर मन में एक प्रश्न उत्पन्न होगा कि ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर जी से उत्पत्ति, स्थिति और संहार कैसे होता है। ये तीनों अपने-2 लोक में रहते हैं। जैसे आजकल संचार प्रणाली को चलाने के लिए उपग्रहों को ऊपर आसमान में छोड़ा जाता है और वे नीचे पृथ्वी पर संचार प्रणाली को चलाते हैं। ठीक इसी प्रकार ये तीनों देव जहां भी रहते हैं इनके शरीर से निकलने वाले सूक्ष्म गुण की तरंगें तीनों लोकों में अपने आप हर प्राणी पर प्रभाव बनाए रहती है।
उपरोक्त विवरण एक ब्रह्माण्ड में ब्रह्म (काल) की रचना का है। ऐसे-ऐसे क्षर पुरुष (काल) के इक्कीस ब्रह्माण्ड हैं।
परन्तु क्षर पुरूष (काल) स्वयं व्यक्त अर्थात् वास्तविक शरीर रूप में सबके सामने नहीं आता। उसी को प्राप्त करने के लिए तीनों देवों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी) को वेदों में वर्णित विधि अनुसार भरसक साधना करने पर भी ब्रह्म (काल) के दर्शन नहीं हुए। बाद में ऋषियों ने वेदों को पढ़ा। उसमें लिखा है कि ‘अग्नेः तनूर् असि‘ (पवित्र यजुर्वेद अ. 1 मंत्र 15) परमेश्वर सशरीर है तथा पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में लिखा है कि ‘अग्नेः तनूर् असि विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर् असि‘।
इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि सर्वव्यापक, सर्वपालन कर्��ा सतपुरुष सशरीर है। पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर् मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर् अर्थात् कबीर है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम्) का है, (शुक्रम्) वीर्य से बनी पाँच तत्व से बनी भौतिक (अकायम्) काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है, उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वज्र्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है जो शब्द रूप अर्थात् अविनाशी है। वही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सर्व ब्रह्माण्डों की रचना करने वाला (व्यदधाता) सर्व ब्रह्माण्डों का रचनहार (स्वयम्भूः) स्वयं प्रकट होने वाला (यथा तथ्य अर्थान्) वास्तव में (शाश्वत्) अविनाशी है (गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।) भावार्थ है कि पूर्ण ब्रह्म का शरीर का नाम कबीर (कविर देव) है। उस परमेश्वर का शरीर नूर तत्व से बना है। परमात्मा का शरीर अति सूक्ष्म है जो उस साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि खुल चुकी है। इस प्रकार जीव का भी सुक्ष्म शरीर है जिसके ऊपर पाँच तत्व का खोल (कवर) अर्थात् पाँच तत्व की काया चढ़ी होती है जो माता-पिता के संयोग से (शुक्रम) वीर्य से बनी है। शरीर त्यागने के पश्चात् भी जीव का सुक्ष्म शरीर साथ रहता है। वह शरीर उसी साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि खुल चुकी है। इस प्रकार परमात्मा व जीव की स्थिति को समझें। वेदों में ओ3म् नाम के स्मरण का प्रमाण है जो केवल ब्रह्म साधना है। इस उद्देश्य से ओ3म् नाम के जाप को पूर्ण ब्रह्म का मान कर ऋषियों ने भी हजारों वर्ष हठयोग (समाधि लगा कर) करके प्रभु प्राप्ति की चेष्टा की, परन्तु प्रभु दर्शन नहीं हुए, सिद्धियाँ प्राप्त हो गई। उन्हीं सिद्धी रूपी खिलौनों से खेल कर ऋषि भी जन्म-मृत्यु के चक्र में ही रह गए तथा अपने अनुभव के शास्त्रों में परमात्मा को निराकार लिख दिया। ब्रह्म (काल) ने कसम खाई है कि मैं अपने वास्तविक रूप में किसी को दर्शन नहीं दूँगा। मुझे अव्यक्त जाना करेंगे (अव्यक्त का भावार्थ है कि कोई आकार में है परन्तु व्यक्तिगत रूप से स्थूल रूप में दर्शन नहीं देता। जैसे आकाश में बादल छा जाने पर दिन के समय सूर्य अदृश हो जाता है। वह दृश्यमान नहीं है, परन्तु वास्तव में बादलों के पार ज्यों का त्यों है, इस अवस्था को अव्यक्त कहते हैं।)। (प्रमाण के लिए गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25, अध्याय 11 श्लोक 48 तथा 32)
पवित्र गीता जी बोलने वाला ब्रह्म (काल) श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश करके कह रहा है कि अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ और सर्व को खाने के लिए आया हूँ। (गीता अध्याय 11 का श्लोक नं. 32) यह मेरा वास्तविक रूप है, इसको तेरे अतिरिक्त न तो कोई पहले देख सका तथा न कोई आगे देख सकता है अर्थात् वेदों में वर्णित यज्ञ-जप-तप तथा ओ3म् नाम आदि की विधि से ��ेरे इस वास्तविक स्वरूप के दर्शन नहीं हो सकते। (गीता अध्याय 11 श्लोक नं 48) मैं कृष्ण नहीं हूँ, ये मूर्ख लोग कृष्ण रूप में मुझ अव्यक्त को व्यक्त (मनुष्य रूप) मान रहे हैं। क्योंकि ये मेरे घटिया नियम से अपरिचित हैं कि मैं कभी वास्तविक इस काल रूप में सबके सामने नहीं आता। अपनी योग माया से छुपा रहता हूँ (गीता अध्याय 7 श्लोक नं 24-25)
विचार करें:- अपने छुपे रहने वाले विधान को स्वयं अश्रेष्ठ (अनुत्तम) क्यों कह रहे हैं?
यदि पिता अपनी सन्तान को भी दर्शन नहीं देता तो उसमें कोई त्रुटि है जिस कारण से छुपा है तथा सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है। काल (ब्रह्म) को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों का आहार करना पड़ता है तथा 25 प्रतिशत प्रतिदिन जो ज्यादा उत्पन्न होते हैं उन्हें ठिकाने लगाने के लिए तथा कर्म भोग का दण्ड देने के लिए चौरासी लाख योनियों की रचना की हुई है। यदि सबके सामने बैठकर किसी की पुत्री, किसी की पत्नी, किसी के पुत्र, माता-पिता को खा गए तो सर्व को ब्रह्म से घृणा हो जाए तथा जब भी कभी पूर्ण परमात्मा कविरग्नि (कबीर परमेश्वर) स्वयं आए या अपना कोई संदेशवाहक (दूत) भेंजे तो सर्व प्राणी सत्यभक्ति करके काल के जाल से निकल जाएं।
इसलिए धोखा देकर रखता है तथा पवित्र गीता अध्याय 7 श्लोक 18, 24, 25 में अपनी साधना से होने वाली मुक्ति (गति) को भी (अनुत्तमाम्) अति अश्रेष्ठ कहा है तथा अपने विधान (नियम)को भी (अनुत्तम) अश्रेष्ठ कहा है।
प्रत्येक ब्रह्माण्ड में बने ब्रह्मलोक में एक महास्वर्ग बनाया है। महास्वर्ग में एक स्थान पर नकली सतलोक - नकली अलख लोक - नकली अगम लोक तथा नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखा देने के लिए प्रकृति (दुर्गा/आदि माया) द्वारा करवा रखी है। कबीर साहेब का एक शब्द है ‘कर नैनों दीदार महल में प्यारा है‘ में वाणी है कि ‘काया भेद किया निरवारा, यह सब रचना पिण्ड मंझारा है। माया अविगत जाल पसारा, सो कारीगर भारा है। आदि माया किन्ही चतुराई, झूठी बाजी पिण्ड दिखाई, अविगत रचना रचि अण्ड माहि वाका प्रतिबिम्ब डारा है।‘
एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। जहाँ पर बैठकर तीनों प्रभु नीचे के तीन लोकों (स्वर्गलोक अर्थात् इन्द्र का लोक - पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक) पर एक- एक विभाग के मालिक बन कर प्रभुता करते हैं तथा अपने पिता काल के खाने के लिए प्राणियों की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार का कार्यभार संभालते हैं। तीनों प्रभुओं की भी जन्म व मृत्यु होती है। तब काल इन्हें भी खाता है। इसी ब्रह्माण्ड {इसे अण्ड भी कहते हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड की बनावट अण्डाकार है, इसे पिण्ड भी कहते हैं क्योंकि शरीर (पिण्ड) में एक ब्रह्माण्ड की रचना कमलों में ��ी.वी. की तरह देखी जाती है} में एक मानसरोवर तथा धर्मराय (न्यायधीश) का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माऐं रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधी पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस समय मानव शरीर प्राप्त होता है तथा ये शीघ्र ही सत भक्ति पर लग जाते हैं तथा सतगुरु से दीक्षा प्राप्त करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर जाते हैं। उस स्थान पर रहने वाले हंस आत्माओं की निजी भक्ति कमाई खर्च नहीं होती। परमात्मा के भण्डार से सर्व सुविधाऐं उपलब्ध होती हैं। ब्रह्म (काल) के उपासकों की भक्ति कमाई स्वर्ग-महा स्वर्ग में समाप्त हो जाती है क्योंकि इस काल लोक (ब्रह्म लोक) तथा परब्रह्म लोक में प्राणियों को अपना किया कर्मफल ही मिलता ��ै।
क्षर पुरुष (ब्रह्म) ने अपने 20 ब्रह्माण्डों को चार महाब्रह्माण्डों में विभाजित किया है। एक महाब्रह्माण्ड में पाँच ब्रह्माण्डों का समूह बनाया है तथा चारों ओर से अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है तथा चारों महाब्रह्माण्डों को भी फिर अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड की रचना एक महाब्रह्माण्ड जितना स्थान लेकर की है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में प्रवेश होते ही तीन रास्ते बनाए हैं। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में भी बांई तरफ नकली सतलोक, नकली अलख लोक, नकली अगम लोक, नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखे में रखने के लिए आदि माया (दुर्गा) से करवाई है तथा दांई तरफ बारह सर्व श्रेष्ठ ब्रह्म साधकों (भक्तों) को रखता है। फिर प्रत्येक युग में उन्हें अपने संदेश वाहक (सन्त सतगुरू) बनाकर पृथ्वी पर भेजता है, जो शास्त्रा विधि रहित साधना व ज्ञान बताते हैं तथा स्वयं भी भक्तिहीन हो जाते हैं तथा अनुयाइयों को भी काल जाल में फंसा जाते हैं। फिर वे गुरु जी तथा अनुयाई दोनों ही नरक में जाते हैं। फिर सामने एक ताला (कुलुफ) लगा रखा है। वह रास्ता काल (ब्रह्म) के निज लोक में जाता है। जहाँ पर यह ब्रह्म (काल) अपने वास्तविक मानव सदृश काल रूप में रहता है। इसी स्थान पर एक पत्थर की टुकड़ी तवे के आकार की (चपाती पकाने की लोहे की गोल प्लेट सी होती है) स्वतः गर्म रहती है। जिस पर एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को भूनकर उनमें से गंदगी निकाल कर खाता है। उस समय सर्व प्राणी बहुत पीड़ा अनुभव करते हैं तथा हाहाकार मच जाती है। फिर कुछ समय उपरान्त वे बेहोश हो जाते हैं। जीव मरता नहीं। फिर धर्मराय के लोक में जाकर कर्माधार से अन्य जन्म प्राप्त करते हैं तथा जन्म-मृत्यु का चक्कर बना रहता है। उपरोक्त सामने लगा ताला ब्रह्म (काल) केवल अपने आहार वाले प्राणियों के लिए कुछ क्षण के लिए खोलता है। पूर्ण परमात्मा के सत्यनाम व सारनाम से यह ताला स्वयं खुल जाता है। ऐसे काल का जाल पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) ने स्वयं ही अपने निजी भक्त धर्मदास जी को समझाया।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
3 notes
·
View notes