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सूर्य देव को जल चढ़ाने के 10 लाभ एवं सही विधि
वैकुंठ पर सूर्य देव को जल चढ़ाने के लाभ के बारे में जानें। हम आपको सूर्य पूजा के अनुभव को आसान बनाते हैं, जो समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति के साथ-साथ आपको अन्य अनेक लाभ भी प्रदान करता है। सही विधि के साथ सूर्य देव को जल चढ़ाने से आपको उनके आशीर्वाद का अनुभव होगा। वैकुंठ के साथ सूर्य पूजा का आनंद लें और अपने जीवन को सकारात्मकता और प्रकाश से भरें।
Read More: - 8 बजे से पहले सूर्य देव को जल चढ़ाने के 10 लाभ एवं सही विधि
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Shraddha TV Satsang 23-07-2024 || Episode: 2631 || Sant Rampal Ji Mahara...
*📯🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🙏📯*
22/07/24
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1🎠कांवड़ से पाप ही प्राप्त होते हैं, पुण्य नहीं
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले सबसे ज्यादा जीव मरते हैं। जिस वजह से पुण्य के स्थान पर अत्यधिक पाप होते हैं।
2🎠 कांवड़ से पाप हैं, पुण्य कोई नहीं
कांवड़ यात्रा, एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। बल्कि इससे पाप ही होता है। सूक्ष्मवेद में बताया गया है:
गरीब, तीर्थ बाट चलै जो प्राणी। सोतो जन्म-जन्म उरझानी।।
3🎠कांवड़ यात्रा से पाप प्राप्त होते हैं, पुण्य नहीं
कांवड़ यात्रा, एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। बल्कि कांवड़ यात्रा के दौरान आने जाने में पैरों तले जीव मरते हैं जिसका पाप लगता है।
4🎠कांवड़ कोरा पाप है
गंगा तो शिव के लोक में बने जटा कुंडली डैम में है। उसे यहाँ से ले जाने की जरूरत नहीं है। रही बात कांवड़ यात्रा की तो सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिस वजह से कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव मरते हैं। जिसका पाप कांवड़ यात्रियों को लगता है।
5🎠कांवड़ से पाप के अतिरिक्त कुछ नहीं
शिव जी के लोक में बने जटा कुंडली डैम में गंगा शुद्ध रूप में है और वहीं से गंगा पृथ्वी पर आई है उस जल को इधर लेने आने की आवश्यकता ��हीं है। रही बात कांवड़ की तो आन उपासना से शिव जी प्रसन्न नहीं हो सकते। क्योंकि सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव पैरों के नीचे मरते हैं और इसका पाप कांवड़ियों को लगता है।
6🎠कांवड़ में कोरा पाप हैं
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जो कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले कुचले जाने में मर जाते हैं। जिससे जीव हत्या का भयंकर पाप लगता है। इस विषय में सूक्ष्मवेद में परमात्मा ने बताया है:
जा तीर्थ पर कर है दानं। ता पर जीव मरत है अरबानं।।
गोते-गोते पड़ि है भारं। गंगा जमना गए केदारं।।
7🎠कांवड़ यात्रा से पाप होते हैं या पुण्य?
जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता वेद पुराण
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सूचना: जोधवाड़ा में राजवर्धन सिंह द्वारा सीवरेज और वॉटर पाइपलाइन की घोषणा
परिचय
हम सभी जानते हैं कि जोधवाड़ा नगर राजस्थान के महत्वपूर्ण नगरों में से एक है। इस नगर में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही नगर की आधुनिकीकरण की मांग भी बढ़ रही है। इस आधुनिकीकरण के प्रयासों का हिस्सा बनते हुए, राजवर्धन सिंह ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और सीवरेज और वॉटर पाइपलाइन की घोषणा की है। इस घोषणा के माध्यम से, जोधवाड़ा की आधुनिक और स्वच्छ जल संरचना को मजबूती दी जाएगी।
योजना का उद्देश्य
राजवर्धन सिंह द्वारा की गई इस घोषणा का मुख्य उद्देश्य जोधवाड़ा नगर के विकास को सुदृढ़ करना है। सीवरेज और वॉटर पाइपलाइन की यह योजना नगर को स्वच्छता और सुरक्षित जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए है। इससे न केवल जनसंख्या को स्वच्छ पानी की उपलब्धता मिलेगी, बल्कि साथ ही नगर की हाइजीन और स्वास्थ्य मानकों को भी बढ़ावा मिलेगा।
योजना की विशेषताएँ
सीवरेज लाइन्स
जोधवाड़ा में नए सीवरेज लाइन्स का निर्माण किया जाएगा। ये लाइन्स मौजूदा अवस्था से कई गुना ताकतवर और संवेदनशील होंगे, जिससे कि शहर में स्वच्छता का स्तर ऊंचा होगा। सीवरेज सिस्टम को मॉडर्न तकनीकी परिप्रेक्ष्य में डिजाइन किया गया है ताकि इसकी देखरेख और रख-रखाव आसानी से किया जा सके।
वॉटर पाइपलाइन्स
वॉटर पाइपलाइन्स की योजना द्वारा जोधवाड़ा में जल संयंत्रों से लेकर नगर के विभिन्न इलाकों तक पानी का प्रदान सुनिश्चित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि नगर की आवश्यकता��ं को पूरा किया जा सके, राजवर्धन सिंह ने प्रौद्योगिकी और स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखा है।
सामाजि�� प्रभाव
इस योजना के माध्यम से, जोधवाड़ा के नागरिकों को सामूहिक रूप से लाभ होगा। सीवरेज और वॉटर पाइपलाइन्स के संचालन से न केवल पर्यावरण को हानि कम होगी, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी बड़े पैमाने पर समृद्धि मिलेगी। यह योजना नगर के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और नगर के लोगों को एक बेहतर जीवन गुणवत्ता प्रदान करेगी।
समाप्ति
राजवर्धन सिंह द्वारा इस स्वच्छता और जल संरचना के प्रोजेक्ट की घोषणा नगर के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकल्प से जोधवाड़ा नगर को विशेष रूप से लाभ होगा और यह उसके समृद्धिकरण के प्रति एक प्रेरणास्पद संकेत है।
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#राम_रंग_होरी_हो
🌈भक्त प्रह्लाद की बार बार जीवन रक्षा करके भगवान ने हम जीवों को यह संदेश दिया कि केवल परम पिता ही हमारा रक्षक है। होलिका को जो वरदान प्राप्त था उसके हिसाब से तो भक्त प्रह्लाद को ही जल जाना था। परंतु भक्त प्रह्लाद की रक्षा भगवान ने की। इसी बात का प्रमाण ऋग्वेद मण्डल नंबर 10 सूक्त 161 मंत्र 2 और ऋग्वेद मण्डल नंबर 9 सूक्त 80 मंत्र 2 में है। आइए जानते हैं भगवान की महिमा साधना टीवी चैनल पर शाम 07:30 बजे।
Sant Rampal Ji Maharaj
🌈समर्थ का शरणा गहो, रंग होरी हो।
कदै न हो अकाज, राम रंग होरी हो।।
सम्पूर्ण सांसारिक लाभ व मोक्ष पाने के लिए पूर्ण परमात्मा की शरण में जाना चाहिए। राम नाम की होली खेलनी चाहिए अर्थात सतभक्ति करनी चाहिए, जिससे परमात्मा की प्राप्ति हो सके। वही सतभक्ति मार्ग जानने के लिए पढ़ें पुस्तक "हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण"।
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( #Muktibodh_part177 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part178
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 341-342
◆ ‘‘कबीर परमेश्वर वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 958-975 का सरलार्थ :- जिंदा रूप में परमेश्वर कबीर जी ने तर्क-वितर्क करके यथार्थ अध्यात्म ज्ञान समझाया। प्रश्न किया कि जो शालिगराम (मूर्तियाँ) लिए हुए हो, ये किस लोक से आए हैं? अड़सठ तीर्थ के स्नान व भ्रमण से किस लोक में साधक जाएगा? यह तत्काल बता। राम तथा कृष्ण कौन-से लोक में रहते हैं?
जिनको आप शालिगराम कहते हो, ये तो जड़ (निर्जीव) हैं। इनके सामने घंटा बजाने का कोई लाभ नहीं। ये न सुन सकते हैं, न बोल सकते हैं। ये तो पत्थर या अन्य धातु से बने हैं। हे धर्मदास! कहाँ भटक रहे हो? (निजपद निहकामी) सतलोक को (चीन्ह) पहचान। जिस परमेश्वर की शक्ति से प्रत्येक जीव बोलता है, हे धर्मदास! उसको नहीं जाना। चिदानंद परमेश्वर को पहचान। इन पत्थर व धातु को पटक दे। परमेश्वर कबीर जी जिंदा बाबा ने कहा कि हे धर्मदास! राम-कृष्ण तो करोड़ों जन्म लेकर मर लिए। (धनी) मालिक सदा से एक ही है। वह कभी नहीं मरता। आप विवेक से काम लो। ये आपके पत्थर व पीतल धातु के भगवानों को दरिया में छोड़कर देखो, डूब जाएँगे तो ये आपकी क्या मदद करेंगे? इनको मूर्तिकार ने काट-पीट, कूटकर इनकी छाती पर पैर रखकर (तरासा) काटकर रूप दिया।
इनका रचनहार तो कारीगर है। ये जगत के उत्पत्तिकर्ता व दुःख हरता कैसे हैं? ऐसी पूजा कौन करे? जिस परमेश्वर ने माता के गर्भ में रक्षा की, खान-पान दिया, सुरक्षित जन्म दिया,
उसकी भक्ति कर। यह पत्थर-पीतल तथा तीर्थ के जल की पूजा की (बोदी) कमजोर आशा त्याग दे। जिंदा बाबा ने कहा कि जो पूर्ण परमात्मा सब सृष्टि की रचना करके इससे भिन्न रहता है। अपनी शक्ति से सब ब्रह्माण्डों को चला व संभाल रहा है, उसका विचार कर।
उसका शरीर श्वांस से नहीं चलता। वह सबसे ऊपर के लोक में रहता है। आपकी समझ में नहीं आता है। उसकी शक्ति सर्वव्यापक है। उसका आश्रम (स्थाई स्थान) अधर-अधार यानि सबसे ऊपर है। वह अजर-अमर अविनाशी है।
धर्मदास जी ने कहा :-
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 976-981 :-
बोलत है धर्मदास, सुनौं जिंदे मम बाणी।
कौन तुम्हारी जाति, कहांसैं आये प्राणी।।976।।
ये अचरज की बात, कही तैं मोसैं लीला।
नामा के पीया दूध, पत्थरसैं करी करीला।।977।।
नरसीला नित नाच, पत्थर के आगै रहते।
जाकी हूंडी झालि, सांवल जो शाह कहंते।।978।।
पत्थर सेयै रैंदास, दूध जिन बेगि पिलाया।
सुनौ जिंद जगदीश, कहां तुम ज्ञान सुनाया।।979।।
परमेश्वर प्रवानि, पत्थर नहीं कहिये जिंदा।
नामा की छांनि छिवाई, दइ देखो सर संधा।।980।।
दोहा-सिरगुण सेवा सार है, निरगुण से�� नहीं नेह।
सुन जिंदे जगदीश तूं, हम शिक्षा क्या देह।।981।।
‘‘धर्मदास वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 976-981 का सरलार्थ :- धर्मदास जी कुछ नाराज होकर परमेश्वर से बोले कि हे (प्राणी) जीव! तेरी जाति क्या है? कहाँ से आया है? आपने मेरे से
बड़ी (अचरज) हैरान कर देने वाली बातें कही हैं, सुनो! नामदेव ने पत्थर के देव को दूध पिलाया। नरसी भक्त नित्य पत्थर के सामने नृत्य किया करता यानि पत्थर की मूर्ति की पूजा करता था। उसकी (हूंडी झाली) ड्रॉफ्ट कैश किया। वहाँ पर सांवल शाह कहलाया।
रविदास ने पत्थर की मूर्ति को दूध पिलाया। हे जिन्दा! तू यह क्या शिक्षा दे रहा है कि पत्थर की पूजा त्याग दो। ये मूर्ति परमेश्वर समान हैं। इनको पत्थर न कहो। नामदेव की छान
(झोंपड़ी की छत) छवाई (डाली)। देख ले परमेश्वर की लीला। हम तो सर्गुण (पत्थर की मूर्ति जो साक्षात आकार है) की पूजा सही मानते हैं। निर्गुण से हमारा लगाव नहीं है। हे जिन्दा! मुझे क्या शिक्षा दे रहा है?
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 982-988 :-
बौलै जिंद कबीर, सुनौ बाणी धर्मदासा।
हम खालिक हम खलक, सकल हमरा प्रकाशा।।982।।
हमहीं से चंद्र अरू सूर, हमही से पानी और पवना।
हमही से धरणि आकाश, रहैं हम चौदह भवना।।983।।
हम रचे सब पाषान नदी यह सब खेल हमारा।
अचराचर चहुं खानि, बनी बिधि अठारा भारा।।984।।
हमही सृष्टि संजोग, बिजोग किया बोह भांती।
हमही आदि अनादि, हमैं अबिगत कै नाती।।985।।
हमही माया मूल, हमही हैं ब्रह्म उजागर।
हमही अधरि बसंत, हमहि हैं सुखकै सागर।।986।।
हमही से ब्रह्मा बिष्णु, ईश है कला हमारी।
हमही पद प्रवानि, कलप कोटि जुग तारी।।987।।
दोहा-हम साहिब सत्यपुरूष हैं, यह सब रूप हमार।
जिंद कहै धर्मदाससैं, शब्द सत्य घनसार।।988।।
‘‘परमेश्वर कबीर वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 982-988 का सरलार्थ :- हे धर्मदास! आपने जो भक्त बताए हैं, वे पूर्व जन्म के परमेश्वर के परम भक्त थे। सत्य साधना किया करते थे जिससे उनमें भक्ति-शक्ति जमा थी। किसी कारण से वे पार नहीं हो सके। उनको तुरंत मानव जन्म मिला। जहाँ उनका जन्म हुआ, उस क्षेत्रा में जो लोकवेद प्रचलित था, वे उसी के आधार से
साधना करने लगे। जब उनके ऊपर कोई आपत्ति आई तो उनकी इज्जत रखने व भक्ति तथा भगवान में आस्था मानव की बनाए रखने के लिए मैंने वह लीला की थी। मैं समर्थ परमेश्वर हूँ। यह सब सृष्टि मेरी रचना है। हम (खालिक) संसार के मालिक हैं। (खलक) संसार हमसे ही उत्पन्न है। हमने यानि मैंने अपनी शक्ति से चाँद, सूर्य, तारे, सब ग्रह तथा ब्रह्माण्ड उत्पन्न किए हैं। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश की आत्मा की उत्प��्ति मैंने की है। हे धर्मदास! मैं सतपुरूष हूँ। यह सब मेरी आत्माएँ हैं जो जीव रूप में रह रहे हैं। यह सत्य वचन है।
धर्मदास जी ने अपनी शंका बताई। कहा कि :-
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 989-994 :-
बोलत हैं धर्मदास, सुनौं सरबंगी देवा। देखत पिण्ड अरू प्राण, कहौ तुम अलख अभेवा।।989।।
नाद बिंद की देह, शरीर है प्राण तुम्हारै। तुम बोलत बड़ बात, नहीं आवत दिल म्हारै।।990।।
खान पान अस्थान, देह में बोलत दीशं। कैसे अलख स्वरूप, भेद कहियो जगदीशं।।991।।
कैसैं रचे चंद अरू सूर, नदी गिरिबर पाषानां।
कैसैं पानी पवन, धरनि पृथ्वी असमानां।।992।।
कैसैं सष्टि संजोग, बिजोग करैं किस भांती।
कौन कला करतार, कौन बिधि अबिगत नांती।। 993।।
दोहा-कैसैं घटि घटि रम रहे, किस बिधि रहौ नियार।
कैसैं धरती पर चलौ, कैसैं अधर अधार।।994।।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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पित्तर पूजा, भूत पूजा, देवताओं की पूजा यानि अस्थियाँ उठाकर गंगा में जल प्रवाह करना, तेरहवीं करना, महीना करना, वर्षी करना, श्राद्ध करना, पिंड भरवाना, गरुड़ पुराण का पाठ मृत्यु के पश्चात् करना आदि-आदि यह शास्त्र विधि त्यागकर मनमाना आचरण शुरू हुआ जो वर्तमान सन् 2013 तक चल रहा है। जो सत्ययुग के एक लाख वर्ष बीत जाने के बाद से प्रारंभ हुआ था। जिस शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करने वालों को कोई लाभ नहीं
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#GodMorningThursday
व्रत करने से आध्यात्मिक कुछ भी लाभ नहीं है।
गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै।
📲अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel पर विजिट करें।
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🚩🚩🚩*व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी, शिवा चतुर्थी, मंगलवारी चतुर्थी* 🚩🚩🚩
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹मंगलवारी चतुर्थी - 19 सितम्बर 2023🌹
🔸 पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 01:43 तक
Also read :Budh Gochar 2022: बुध का धनु राशि में प्रवेश इन राशियों को देगा अपार धन लाभ
🌹जैसे सूर्य ग्रहण को दस लाख गुना फल होता है, वैसे ही मंगलवारी चतुर्थी को होता है । बहुत मुश्किल से ऐसा योग आता है । मत्स्य पुराण, नारद पुराण आदि शास्त्र में इसकी भारी महिमा है ।
🌹इस दिन अगर कोई जप, दान, ध्यान, संयम करता है तो वह दस लाख गुना प्रभावशाली होता है, ऐसा वेदव्यास जी ने कहा है ।
🔹 कर्जे से छुटकारा के लिए🔹
🔹मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना । जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है । बिना नमक का भोजन करें, मंगल देव का मानसिक आह्वान करें । चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें । कितना भी कर्जदार हो... काम धंधे से बेरोजगार हो... रोजी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा ।
🌹विघ्न निवारण हेतु🌹
🌹गणेश चतुर्थी के दिन 'ॐ गं गणपतये नमः ।' का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart125 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart126
"चौदहवां अध्याय"
शास्त्रानुकूल भक्ति से हुए भक्तों को लाभ "शास्त्रविरूद्ध साधना से छुटकारा"
मैं भक्त हेमचंद दास सोलन (हि���ाचल प्रदेश) का रहने वाला हूँ। पहले मैं अपने गाँव में महाकाली मंदिर में पुजारी रहा। 25 वर्ष से वहाँ पुजारी का काम करता था। भजन-कीर्तन और जो भी पूजाऐं मंदिर में होती, सभी किया करता था। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना, शिव जी को जल चढ़ाना आदि क्रियाएँ करता था। लेकिन फिर भी हम दुःखी रहते थे। मेरी पत्नी को पैरालाईसिस थी। घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
सन् 2005-2006 में संत रामपाल जी महाराज के कुछ लेख अखबारों में आते थे। मैं उन्हें समझ नहीं पाया, परंतु मैं इस तरह के धार्मिक कागजों को संभालकर रख लेता था। कुछ समय पश्चात् जैसे ही रद्दी से वो कागज मिले, मैं उसे पढ़ने बैठ गया और प��़ते-पढ़ते मेरे दिल में ठेस-सी लगी कि ये ज्ञान कहाँ छिपा हुआ था? फिर मैंने उसमें आश्रम के फोन नं. देखे और पुस्तक मंगवाई। उसमें जब मैंने ज्ञान पढ़ा तो मैं हैरान रह गया, पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि मंदिर में पुजारी होने के बावजूद मैंने ऐसा नया ज्ञान कभी भी नहीं सुना था।
मैं पहले मानता रहा कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी से ऊपर कोई है ही नहीं। परमात्मा निराकार है। संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकों से ज्ञान हुआ कि परमात्मा साकार है, कबीर जी पूर्ण परमात्मा हैं। परमात्मा ने अंदर एक ऐसी प्रेरणा जगाई कि संत रामपाल जी के पास ही वह अमर मंत्र है जिससे हमारा कल्याण होना है। इसी से हमारा जन्म-मरण का भयंकर रोग कटेगा। उनके ज्ञान से प्रभावित होकर मैंने संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा ली। मैंने सभी तरह की शास्त्रविरूद्ध पूजाऐं बंद कर दी। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि सब त्याग दिया।
गुरू जी का उपदेश लेने के बाद मुझे सबसे बड़ा तो आध्यात्मिक लाभ हुआ। जन्म-मरण से मुक्ति की सच्ची राह मिली। मेरी भक्तमति को पैरालाइसिस की परेशानी थी। हर जगह बड़े-बड़े डॉक्टरों व नीम-हकीमों के चक्कर लगा चुके थे, परंतु परमात्मा के आशीर्वाद मात्र से मेरी भक्तमति ठीक हो गई। परमात्मा की दया से हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक हो गई। फिर मैंने ये ज्ञान प्रचार करना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि ये ज्ञान तो जन-जन तक पहुँचना चाहिए। लेकिन मेरी बातों पर किसी ने गौर नहीं किया। लोगों ने विरोध किया, कहा कि तुम ये कौन-सा अलग ज्ञान ले आए। ऐसी बातें ना किया करो। परंतु मुझे इस ज्ञान से परमात्मा की दया से कोई डगमग नहीं कर पाया। ऐसा सत्यज्ञान व सत्य भक्ति मार्ग पृथ्वी पर और कहीं नहीं है। मेरी सर्व से प्रार्थना है कि आप भी प्रभु के चरणों में आओ। संत रूप में आए परमेश्वर के संदेश वाहक संत रामपाल जी महाराज को पहचानों। मुफ्त नाम उपदेश प्राप्त करके कृप्या अपना कल्याण करवाएँ।
भक्त हेमचंद दास
मोबाईल नं. 9816781489
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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#Godisone
जल थल और आकाश हर जगह परमात्मा लाभ दे सकता है।
https://youtube.com/shorts/h4HoYHTq5Lo?si=sPATU-I56ziiEa0g
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart126
"चौदहवां अध्याय"
शास्त्रानुकूल भक्ति से हुए भक्तों को लाभ "शास्त्रविरूद्ध साधना से छुटकारा"
मैं भक्त हेमचंद दास सोलन (हिमाचल प्रदेश) का रहने वाला हूँ। पहले मैं अपने गाँव में महाकाली मंदिर में पुजारी रहा। 25 वर्ष से वहाँ पुजारी का काम करता था। भजन-कीर्तन और जो भी पूजाऐं मंदिर में होती, सभी किया करता था। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना, शिव जी को जल चढ़ाना आदि क्रियाएँ करता था। लेकिन फिर भी हम दुःखी रहते थे। मेरी पत्नी को पैरालाईसिस थी। घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
सन् 2005-2006 में संत रामपाल जी महाराज के कुछ लेख अखबारों में आते थे। मैं उन्हें समझ नहीं पाया, परंतु मैं इस तरह के धार्मिक कागजों को संभालकर रख लेता था। कुछ समय पश्चात् जैसे ही रद्दी से वो कागज मिले, मैं उसे पढ़ने बैठ गया और पढ़ते-पढ़ते मेरे दिल में ठेस-सी लगी कि ये ज्ञान कहाँ छिपा हुआ था? फिर मैंने उसमें आश्रम के फोन नं. देखे और पुस्तक मंगवाई। उसमें जब मैंने ज्ञान पढ़ा तो मैं हैरान रह गया, पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि मंदिर में पुजारी होने के बावजूद मैंने ऐसा नया ज्ञान कभी भी नहीं सुना था।
मैं पहले मानता रहा कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी से ऊपर कोई है ही नहीं। परमात्मा निराकार है। संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकों से ज्ञान हुआ कि परमात्मा साकार है, कबीर जी पूर्ण परमात्मा हैं। परमात्मा ने अंदर एक ऐसी प्रेरणा जगाई कि संत रामपाल जी के पास ही वह अमर मंत्र है जिससे हमारा कल्याण होना है। इसी से हमारा जन्म-मरण का भयंकर रोग कटेगा। उनके ज्ञान से प्रभावित होकर मैंने संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा ली। मैंने सभी तरह की शास्त्रविरूद्ध पूजाऐं बंद कर दी। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि सब त्याग दिया।
गुरू जी का उपदेश लेने के बाद मुझे सबसे बड़ा तो आध्यात्मिक लाभ हुआ। जन्म-मरण से मुक्ति की सच्ची राह मिली। मेरी भक्तमति को पैरालाइसिस की परेशानी थी। हर जगह बड़े-बड़े डॉक्टरों व नीम-हकीमों के चक्कर लगा चुके थे, परंतु परमात्मा के आशीर्वाद मात्र से मेरी भक्तमति ठीक हो गई। परमात्मा की दया से हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक हो गई। फिर मैंने ये ज्ञान प्रचार करना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि ये ज्ञान तो जन-जन तक पहुँचना चाहिए। लेकिन मेरी बातों पर किसी ने गौर नहीं किया। लोगों ने विरोध किया, कहा कि तुम ये कौन-सा अलग ज्ञान ले आए। ऐसी बातें ना किया करो। परंतु मुझे इस ज्ञान से परमात्मा की दया से कोई डगमग नहीं कर पाया। ऐसा सत्यज्ञान व सत्य भक्ति मार्ग पृथ्वी पर और कहीं नहीं है। मेरी सर्व से प्रार्थना है कि आप भी प्रभु के चरणों में आओ। संत रूप में आए परमेश्वर के संदेश वाहक संत रामपाल जी महाराज को पहचानों। मुफ्त नाम उपदेश प्राप्त करके कृप्या अपना कल्याण करवाएँ।
भक्त हेमचंद दास
मोबाईल नं. 9816781489
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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Satsang Ishwar TV | 23-07-2024 | Episode: 2458 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
*📯🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🙏📯*
22/07/24
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1🎠कांवड़ से पाप ही प्राप्त होते हैं, पुण्य नहीं
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले सबसे ज्यादा जीव मरते हैं। जिस वजह से पुण्य के स्थान पर अत्यधिक पाप होते हैं।
2🎠 कांवड़ से पाप हैं, पुण्य कोई नहीं
कांवड़ यात्रा, एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। बल्कि इससे पाप ही होता है। सूक्ष्मवेद में बताया गया है:
गरीब, तीर्थ बाट चलै जो प्राणी। सोतो जन्म-जन्म उरझानी।।
3🎠कांवड़ यात्रा से पाप प्राप्त होते हैं, पुण्य नहीं
कांवड़ यात्रा, एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। बल्कि कांवड़ यात्रा के दौरान आने जाने में पैरों तले जीव मरते हैं जिसका पाप लगता है।
4🎠कांवड़ कोरा पाप है
गंगा तो शिव के लोक में बने जटा कुंडली डैम में है। उसे यहाँ से ले जाने की जरूरत नहीं है। रही बात कांवड़ यात्रा की तो सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिस वजह से कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव मरते हैं। जिसका पाप कांवड़ यात्रियों को लगता है।
5🎠कांवड़ से पाप के अतिरिक्त कुछ नहीं
शिव जी के लोक में बने जटा कुंडली डैम में गंगा शुद्ध रूप में है और वहीं से गंगा पृथ्वी पर आई है उस जल को इधर लेने आने की आवश्यकता नहीं है। रही बात कांवड़ की तो आन उपासना से शिव जी प्रसन्न नहीं हो सकते। क्योंकि सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव पैरों के नीचे मरते हैं और इसका पाप कांवड़ियों को लगता है।
6🎠कांवड़ में कोरा पाप हैं
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जो कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले कुचले जाने में मर जाते हैं। जिससे जीव हत्या का भयंकर पाप लगता है। इस विषय में सूक्ष्मवेद में परमात्मा ने बताया है:
जा तीर्थ पर कर है दानं। ता पर जीव मरत है अरबानं।।
गोते-गोते पड़ि है भारं। गंगा जमना गए केदारं।।
7🎠कांवड़ यात्रा से पाप होते हैं या पुण्य?
जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता वेद पुराण
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
*🌹सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (प्रतिपदा तिथि +गोवर्धन पूजा)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
जिस प्रकार बालरूपी श्री कृष्ण ने इंद्र का मानमर्दन किया उसी प्रकार ईश्वर आपके समस्त दुख, विपत्ति और कष्टों का भी मर्दन करे,
*🎁🎉आपको एवं आपके सम्पूर्ण परिवारजनों को पंचदिवसीय महापर्व दीपावली के चौथेे दिन गोवर्धन पूजा, सुहाग पड़वा और धोक पड़वा की कोटिशः शुभकामनाएँ |🎉🎁*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🙏🙏*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-02-नवम्बर-2024
वार:-------शनिवार
तिथि :---01प्रतिपदा 20:22
पक्ष:-----शुक्लपक्ष
माह:-----कार्तिक
नक्षत्र:----विशाखा:-29:58
योग:-----आयु:-11:17
करण:----किस्तुध्ना:-07:22
चन्द्रमा:---तुला 23:24/वृश्चिक
सूर्योदय:------06:51
सूर्यास्त:-------17:51
दिशा शूल------पूर्व
निवारण उपाय:---उङद या वाह्वारंग का सेवन
ऋतु :------हेमंत ऋतु
गुलिक काल:---06:51से 08:15
राहू काल:---09:39से11:03
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-08:15से09:39तक
चंचल:-12:27से13:51तक
लाभ:-13:51से15:15तक
अमृत:-15:15से16:39तक
🌗चोघङिया रात🌓
लाभ:-17:51से19:27तक
शुभ:-21:03से22:39तक
अमृत:-22:39से00:15तक
चंचल:-00:15से01:51तक
लाभ:-05:15से06:51तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 208वा दिन, गोवर्धन पूजा,अन्नकूट, गोक्रिडा,जैन संवत 2551 प्रारंभ, मार्गपाली, कार्तिक शुक्लादि, बलिपूजन, अभ्यंग स्नान, गुजराती नववर्ष प्रारंभ, बलिराज पूजा,
🌺👉टिप्स 👈🌺
कार्तिक मास में तुलसी जी के रोज 108 परिक्रमा करे।
🕉 *तिथी/पर्व/व्रत विशेष :-*
गोवर्धन पूजा के दिन मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्वत को श्री गिरिराज जी भी कहा जाता है। इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाकर उसकी पूजा रोली, चावल, खीर, बताशे, चावल, जल, दूध, पान, केसर, पुष्प आदि से दीपक जलाने के पश्चात की जाती है। गायों को स्नानादि कराकर उन्हें सुसज्जित कर उनकी पूजा करें। गायों को मिष्ठान खिलाकर उनकी आरती कर प्रदक्षिणा करनी चाहिए।
श्री गिरिराज की परिक्रमा 7 कोस (21 किलोमीटर) की होती है और इस दिन हजारों लाखों लोग इस परिक्रमा को करने आते हैं। गोवर्धन पूजा से भक्तों को कृष्ण भगवान की विशेष कृपा मिलती हैं। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, बड़ी दिवाली के बाद आज चौथा नंबर गोवर्धन पूजा का है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है�� कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं।
इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? -
मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी ��र्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहंकारी की पूजा ��हीं करनी चाहिए। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
अन्नकूट -
अन्नकूट शब्द का अर्थ होता है अन्न का समूह। विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस उत्सव या पर्व को नाम अन्नकूट पड़ा है। इस दिन अनके प्रकार का पक्वान, मिठाई आदि का भगवान को भोग लागायें। सभी नैवेद्यों के बीच भारत का पहाड़ अवश्य बनायें। भोग सामग्री की इतनी विविधता और विपुलता होनी चाहिए, जितनी बनाई जा सकें। अन्नकूट के रूप में अन्न और शाक-पक्वानों को भगवान को अर्पित किये जाते है तथा भगवान को अर्पण करने के पश्चात वह सर्वसाधारण में वितरण किया जाता है। कृषिप्रधान देश का यह अन्नमय यज्ञ वास्तव में सर्वसुखद है। अन्नकूट और गोवर्धन की यह पूजा आज भी कृष्ण और बिष्णु मन्दिरों में अत्यन्त उत्साह से की जाती है।
*सुविचार*
लोगों के चहरे को तव्वजों ना देकर अगर दिल मे झाकोगे तो आपको और साफ दिखाई देगा।👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*घरेलू चीज़ों से हटाइये चेहरे के बाल :-*
1. बेसन को हल्दी के साथ मिलाइए , उसमें सरसों का तेल डाल कर गाढा पेस्ट बनाइए। इसे चेहरे पर लगा कर रगडिये और इसे हफ्ते में दो बार लगाइये। ऐसा करने से चेहरा चमचमाने लगेगा।
2. हल्दी पाउडर को नमक के साथ मिलाइए। इसमें कुछ बूंदे नींबू और दूध की मिला सकती हैं। 5 मिनट के लिए मसाज कीजिए। इससे आपके चेहरे के बाल गायब होंगे और चेहरा सफेद भी होगा।
3. नींबू और शहद के पेस्ट को मिला कर अपने चेहरे पर 15-20 मिनट के लिए लगा रहने दीजिए। इसके बाद इसे रगड कर छुडाइए और ठंडे पानी से धो लीजिए।
4. चीनी डेड स्किन को हटाती है और चेहरे के बालों को जड़ से निकाल देती है। अपने चेहरे को पानी से गीला कीजिए उस पर चीनी लगा कर रगडिए। ऐसा हफ्ते में 2 बार जरुर कीजिए।
5. बेसन को हल्दी और दही के साथ मिलाए और चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाइए। इसे बाद में दूध और फिर ठंडे पानी से धो लीजिए। एएसा हफ्ते में 2 बार करें।
*🐑��� राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
घर के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। शत्रु परास्त होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
शत्रु भय रहेगा। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। पुराना रोग उभर सकता है। उन्नति होगी। धनलाभ होगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
भागदौड़ रहेगी। यात्रा सफल व मनोरंजक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। नवीन कार्य के अवसर प्राप्त होंगे।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। कलह होगी। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। हानि होगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
रयास सफल रहेंगे। सुख के साधन जुटेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। धनार्जन होगा। पीड़ा संभव है। अपने परिश्रम से लाभ प्राप्त करेंगे।
👩🏻🏫 *राशि फलादेश कन्या* :-
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। प्रसन्नता रहेगी। धनहानि संभव है। कर्ज, आसान वित्त आदि प्राप्त होंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
कष्ट, भय व पीड़ा का माहौल बन सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
बेचैनी रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। व्ययवृद्धि होगी। कुसंगति से बचें। लेन-देन में सावधानी रखें। नए व्यवसाय के लिए लोन लेंगे।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। निवेश लाभप्रद रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। वाहनादि चलाते समय सावधानी रखें।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। धनलाभ होगा। आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
विवेक से कार्य करें। पूजा-पाठ में मन लगेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। धनार्जन होगा। जोखिम न लें। जमीन विवाद की आशंका रहेगी।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से बचें। भागदौड़ रहेगी। बनता कार्य बिगड़ जाने से चिंता रहेगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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चलने के लाभ: कैसे 1 घंटे में 5000 कदम चलने से 30 मिनट में समान कदम चलने की तुलना में अधिक कैलोरी जल सकती है |
की संख्या कैलोरी जला दिया जबकि एक घंटे में 5,000 कदम चलने से 30 मिनट में तय की गई समान दूरी में जली हुई कैलोरी से काफी अंतर होता है। अजीब लगता है, ठीक है! हां, चलने को इसी तरह समझने की जरूरत है। कैलोरी बर्न, चलने की गति और शरीर के ऊर्जा व्यय के बीच संबंध के कारण चरणों की समान संख्या अवधि और अन्य गतिविधियों के आधार पर अलग-अलग परिणाम दे सकती है। हालाँकि चलने की दोनों अवधियाँ फायदेमंद हैं, जो लोग…
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🧩बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🧩
21/10/24
*🍀Instagram सेवा🍀*
🐚 *मालिक की दया से Instagram पर सेवा करते हुए करवा चौथ की सच्चाई के बारे में बताना है।*
📍📍
📎इंस्टाग्राम पर स्टोरी भी लगानी है और स्टोरी के साथ सत्संग की YouTube लिंक भी लगानी है।
⤵️ इन टैग्स के साथ और आश्रम के टैग्स के साथ Post करेंगें।
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🏚आश्रम के टैग है ये 👇🏻 जो हर पोस्ट में 1-2 टैग यूज़ में लेना
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Spiritual leader Saint Rampal Ji ⤵️
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Satlok Ashram
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📷''' सेवा से सम्बंधित photo वेबसाइट पर हैं डाऊनलोड कर लें जी।
https://www.satsaheb.org/karwa-chauth-hindi/
https://www.satsaheb.org/karwa-chauth-english/
*⛳सेवा Points* ⤵
🥥व्रत से नहीं, सतभक्ति से बढ़ती है उम्र!
गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने को मना किया गया है। यानि करवा चौथ व्रत से आयु नहीं बढ़ सकती। जबकि सामवेद मंत्र संख्या 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में भी लिखा है कि कविर्देव अपने विधिवत साधक की आयु बढ़ा देता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
🥥करवा चौथ पाखंड पूजा है!
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय पारख के अंग की वाणी नं. 1052 व 1054 में लिखा है:
करैं एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।
आठैं सातैं करैं कंदूरी, सो तो जन्म धारें सूरी।।
कहे जो करूवा चौथि कहानी, तास गदहरी निश्चय जानी।
अर्थात जो करवा चौथ का व्रत रखते हैं या उसकी कथा सुनाते हैं वे गधा बनते हैं।
🥥करवा चौथ पाखंड पूजा है!
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय अथ मूल ज्ञान की वाणी 62 में कहा गया है:
गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै।
अर्थात अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है। इसी का समर्थन गीता अध्याय 6 श्लोक 16 करता है जिसमें कहा है कि ये भक्ति न ही अत्यधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की सिद्ध होती है।
🥥व्रत से नहीं, सतभक्ति से बढ़ती है उम्र!
करवा चौथ व्रत रखने से आयु नहीं बढ़ सकती। क्योंकि गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने को मना किया गया है। जबकि सामवेद मंत्र संख्या 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 80 मंत्र 2 में भी लिखा है कि कविर्देव अपने शास्त्र अनुकूल साधक की आयु बढ़ा देता है।
🥥करवा चौथ पाखंड पूजा है!
करवा चौथ व्रत हो या कोई अन्य व्रत इसके करने से लाभ के स्थान पर हानि होती है। जिसका स्पष्ट प्रमाण हाथरस तुलसीदास कृत घट रामायण के पृष्ठ 242 में दिया गया है। जिसमें लोमस ऋषि ने कहा है:
सहस बरस एकादसि कीन्हा। अंत जनम माखी कौ लीन्हा।।
अरु पुनि बरत तीज को कीन्हा। कूकर जनम ताहि से लीन्हा।।
और चतुरथी बरत बखाना। ता से जन्म भैंस का जाना।।
और बरत करै झार बनाई। पुनि मुक्ती हम ने नहिं ��ाई।।
🥥शास्त्र विरुद्ध क्रिया का कोई लाभ नहीं
करवा चौथ व्रत का किसी भी सद्ग्रंथ में प्रमाण नहीं है जिससे गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार, शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए हमें शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
🥥करवा चौथ पाखंड पूजा है!
कबीर साखी के अध्याय अथ आनदेव के अंग की वाणी 4 व 5 में कबीर साहेब ने करवा चौथ के विषय में कहा है:
राम नाम को छाड़ि कै, करै आन की आस।
कहै कबीर ता दास का, होवे नरक में वास।।
राम नाम को छाड़ि कै, राखै करवा चौथ।
सो तो होगी सूकरी, तिन्हें राम सो कौथ।।
🥥करवा चौथ व्रत का असली सत्य
गुरुग्रंथ साहिब, राग गोंड, पृष्ठ 873 पर कबीर साहेब जी ने कहा है:
छोडहि अन्नु करहि पाखंड। ना सोहागनि ना ओहि रंड।।
अर्थात जो महिलायें अन्न का त्यागकर व्रत रूपी पाखंड करती हैं। वह न तो सुखी दुल्हन होगी और न ही सुखी विधवा होगी। अब आप स्वयं विचार करें करवा चौथ व्रत रखने से क्या होगा?
🥥करवा चौथ पाखंड पूजा है!
लोगों का मानना है कि पत्नी के करवा चौथ का व्रत रखने से उसके पति की लंबी आयु हो जाती है। जबकि सच्चाई तो यह है कि गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने को मना किया गया है। जिससे यह गीता विरुद्ध मनमाना आचरण है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार इससे कोई लाभ नहीं होगाl
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
🥥करवा चौथ पाखंड पूजा है!
करवा चौथ के व्रत से न तो पति की आयु बढ़ सकती और न ही सुख समृद्धि मिल सकती। बल्कि परमात्मा की शास्त्र अनुकूल भक्ति से ही हमारी उम्र बढ़ सकती है और हम सुखी हो सकते हैं जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 और यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है।
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