#जल नवाचार चुनौतियों का उद्देश्य
Explore tagged Tumblr posts
Text
वाटर इनोवेशन चैलेंज-2, वैश्विक जल संकट को दूर करेगा
वाटर इनोवेशन चैलेंज-2, वैश्विक जल संकट को दूर करेगा
NITI Aayog, अटल इनोवेशन मिशन और डेनमार्क रॉयल एम्बेसी में भारत ने वाटर इनोवेशन चैलेंज का दूसरा संस्करण 13 दिसंबर, 2021 को वैश्विक जल संकट को दूर करने के लिए शुरू किया है। भारत-डेनिश द्विपक्षीय हरित सामरिक साझेदारी। भारत में डेनमार्क दूतावास और डेनमार्क तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) के तत्वावधान में एआईएम-आईसीडीके जल चुनौती शुरू की जा रही है। NITI Aayog के वाइस चेयरमैन डॉ राजीव कुमार ने वर्चुअल…
View On WordPress
#AIM-ICDK वाटर चैलेंज#अटल इनोवेशन मिशन#ग्लोबल नेक्स्ट जेनरेशन वाटर एक्शन#जल नवाचार चुनौतिया��#जल नवाचार चुनौतियों का उद्देश्य#जल नवाचार चुनौतियों का दूसरा संस्करण#जल नवाचार चुनौती#जल संकट#पानी की चुनौती#भारत-डेनिश द्विपक्षीय हरित सामरिक साझेदारी#वाटर इनोवेशन चैलेंज#वैश्विक जल संकट
0 notes
Link
पृष्ठभूमि
मेकांग, गंगा सहयोग (एमजीसी) 6 देशों की एक पहल है, जिसमें भारत और 5 आसियान देश, अर्थात कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं, जो पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा, परिवहन और संचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए संगठित हुए हैं।
इसकी शुरुआत 10 नवंबर, 2000 को लाओस की राजधानी वियनतियाने में की गई थी। गंगा और मेकांग दोनों सभ्यतामूलक नदियां हैं। एमजीसी का उद्देश्य इन दो प्रमुख नदी घाटियों के बीच रहने वाले लोगों को करीब लाना है। यह सदस्य देशों के बीच सदियों से चले आ रहे सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंधों को भी जोड़ना चाहता है। एमजीसी की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक वियनतियाने में 9-13 नवंबर, 2000 के मध्य आयोजित की गई थी। जिसमें चार क्षेत्रों अर्थात पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा और परिवहन में सहयोग पर सहमति बनी ।
वर्तमान परिदृश्य
मेकांग-गंगा सहयोग की दसवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बैंकॉक, थाईलैंड में 1 अगस्त, 2019 को आयोजित की गई। इस बैठक में वर्ष 2016-2018 की एमजीसी योजना में हुई प्रगति की समीक्षा की गई तथा सहयोग के तीन नए क्षेत्रों अर्थात जल संसाधन प्रबंधन, विज्ञान तथा प्रौद्��ोगिकी, कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर परियोजना आधारित सहयोग के साथ नई एमजीसी योजना, 2019-2022 को अपनाया गया।
प्रमुख समझौते
1. सांस्कृतिक सहयोग
राष्ट्रीय हथकरघा संवर्धन विकास एजेंसियों को शामिल कर एमजीसी एशियाई पारंपरिक वस्त्र संग्रहालय (एटीटीएम), सिएम रिज, कंबोडिया में एमजीसी में शामिल देशों के हाथ से बुने हुए विभिन्न कपड़ों का प्रदर्शन करने के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ कपड़ा प्रदर्शनी का आयोजन करना। प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान तथा कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मारकों के संरक्षण में क्षमता निर्माण और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना। è नालंदा विश्वविद्यालय में एक साझा अभिलेखीय संसाधन केंद्र (सीएआरसी) की स्थापना करना, जिसमें शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों के उपयोग के लिए पुरातत्व स्थलों, विश्व विरासत, व्यापार के इतिहास, जनसंख्या और धार्मिक वितरण डेटा तथा भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संपर्क जैसे क्षेत्रों पर जानकारी का भंडार हो। हरियाणा के सूरजकुंड मेले, राजस्थान के पुष्कर मेले, मणिपुर के संगोई महोत्सव, नगालैंड के हॉर्नविल महोत्सव और ओडिशा के बाली जात्रा जैसे भारत के प्रमुख सांस्कृतिक मेलों और उत्सवों में शिल्पकारों और सांस्कृतिक मंडलों को आमंत्रित करना तथा एमजीसी देशों के सांस्कृतिक मेलों और समारोहों में भारतीय शिल्पकारों और कलाकारों की उत्साहपूर्ण भागीदारी को प्रोत्साहित करना। सूचना प्रसार और प्रचार के लिए मेकांग देशों में महत्वपूर्ण यात्रा, मेलों और सांस्कृतिक समारोहों का एक संयुक्त कैलेंडर विकसित करना। वर्ष 2020 में एमजीसी की 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
2. पर्यटन सहयोग
एमजीसी देशों के प्रमुख बौद्ध स्थलों के लिए ट्रैवल एजेंसियों और मीडिया परिचय यात्राओं का आयोजन करना तथा बौद्ध सर्किट के लिए टूर पैकेज को प्रोत्साहित करना।
एमजीसी देशों की समृद्ध पाक परंपराओं को प्रदर्शित करना तथा उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए खाद्य उत्सवों का आयोजन करना।
पर्यटन और यात्रा प्रबंधन, आतिथ्य प्रबंधन आदि में डिप्लोमा और प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति के प्रस्ताव के माध्यम से छात्रों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
3. शिक्षा में सहयोग
एमजीसी में शामिल देशों के छात्रों द्वारा उपयोग को बढ़ाने के लिए भारतीय सांस्कृतिक परिषद (आईसीसीआर) द्वारा दी गई 50 एमजीसी छात्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करना।
राष्ट्रीय संस्थानों के बीच संकायों और छात्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों में प्रशिक्षण को बढ़ावा देना। इसके लिए ��युष मंत्रालय, भारत सरकार आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और योग में स्नातक/स्नातकोत्तर/पीएचडी करने के इच्छुक छात्रों के लिए एमजीसी देशों को प्रतिवर्ष 10 छात्रवृत्तियां प्रदान करेगा।
एमजीसी को समर्पित एक वेबसाइट लांच करना, जो क्षेत्रीय समूह की ब्रांडिंग में योगदान करेगी और विभिन्न संयुक्त कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करेगी।
4. सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग
भारत में नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च में अधिक प्रकोप वाले संचारी और गैर-संचारी रोगों के उन्मूलन पर एमजीसी देशों के अधिकारियों के लिए दूसरी कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन करना।
अनुरोध करने पर मेकांग देशों में भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ भेजना।
पारंपरिक और पूरक चिकित्सा पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन करना।
5. कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के फसल विज्ञान प्रभाग द्वारा मशीनीकरण के माध्यम से चावल जर्मप्लाज्म के संरक्षण और उत्पादकता बढ़ाने पर एक कार्यशाला का आयोजन करना।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मत्स्य विज्ञान विभाग/पशु विज्ञान प्रभाग द्वारा स्थायी मत्स्य पालन और डेयरी पर कार्यशाला आयोजित करना।
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद में एमजीसी देशों के पेशेवरों के लिए ‘एकीकृत ग्रामीण विकास एवं स्थायी विकास लक्ष्यों’ (एसीडीजीएस) पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
6. जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग
भारत सामुदायिक खेती और जल संसाधन में अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करेगा।
सतत जल प्रबंधन, जल संचयन, जल डेटा संग्रह, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन, एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, भूजल प्रबंधन, सीमा पार बेसिन प्रबंधन, जल गुणवत्ता निगरानी, बाढ़ और सूखा प्रबंधन तथा आपदा में कमी इत्यादि क्षेत्रों में सहयोगात्मक परियोजनाएं आरंभ करना।
7. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग
कृषि, परिवहन, संचार, औद्योगिक ज्ञान हस्तांतरण, ई-कॉमर्स, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT), स्वास्थ्य, ऊर्जा और पर्यावरण, भोजन इत्यादि में सामाजिक नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए किसी एक एमजीसी देश में एक नवाचार मंच आयोजित करना।
8. परिवहन और संचार में सहयोग
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक विस्तारित करने की व्यवहार्यता की जांच करना और आर्थिक विकास के गलियारे के रूप में इसका विकास करना। भारत-म्यांमार-थाईलैंड मोटरवाहन समझौते के समापन के तरीकों और साधनों का अन्वेषण करना, जिससे सीमाओं के पार माल और यात्रियों की निर्बाध आ��ाजाही तथा अधिक से अधिक व्यापार और पर्यटन हो सके। एमजीसी देशों के लिए भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी, नोएडा में व्यवहार्यता अध्ययन की तैयारी और राजमार्ग परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तथा राजमार्गों के निर्माण और रख-रखाव के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। आईसीटी उद्योग के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा और अन्य संबंधित ई-सेवाओं के अनुभवों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
9. कौशल विकास और क्षमता निर्माण
एमजीसी देशों के लिए राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी और बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक नमूना सर्वेक्षण के क्षेत्रों में प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति कार्यक्रम आयोजित करना।
व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और कौशल विकास प्राधिकरणों के विशेषज्ञों द्वारा विनिमय यात्राओं के माध्यम से ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करना।
थाईलैंड के वार्षिक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एआईटीसी के अंतर्गत एमजीसी क्षेत्रों से संबंधित विषयों पर सहयोग के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक मुद्दों पर एसडीजी के अनुरूप वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
अन्य प्रमुख तथ्य
1. भारत या किसी अन्य एमजीसी देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों पर केंद्रित एक व्यापार प्रदर्शनी के साथ एमजीसी व्यापार मेले का आयोजन करना।
2. आसियान और पूर्वी एशिया के लिए जकार्ता स्थित आर्थिक अनुसंधान संस्थान (ERIA) द्वारा ‘क्षेत्रीय उत्पादन शृंखला में एमजीसी एमएसएमई के एकीकरण : संभावनाओं और चुनौतियों’ पर अनुसंधान अध्ययन करने का कार्य सौंपना।
3. वर्ष 2020 में वियतनाम द्वारा आयोजित किए जाने वाले आसियान भारत बिजनेस एक्सपो और शिखर सम्मेलन के अवसर पर एमजीसी बिजनेस मंच का आयोजन करना।
विशिष्ट तथ्य
आसियान अर्थात दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकाक, थाईलैंड में हुई थी। थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और फिलीपींस इसके संस्थापक सदस्य देश हैं। ब्रुनोई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया इसमें बाद में शामिल हुए। भारत अपनी लुक ईस्ट नीति, अब एक्ट ईस्ट नीति के तहत इस संगठन में शामिल होना चाहता है। जिसमें एमजीसी मंच एक ब्रिज के रूप में काम करेगा।
निष्कर्ष
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि एमजीसी सहयोग के माध्यम से भारत अपनी क्षेत्रीय, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा कर सकेगा। साथ ही आसियान जैसे क्षेत्रीय मंच के सहयोग में भागीदारी बढ़ेगी।
सं. अनिल दुबे
0 notes