#जयराम
Explore tagged Tumblr posts
Text
Protem Speaker : प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विवाद, कांग्रेस ने उठाया सवाल
नई दिल्ली। Protem Speaker : भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को 18वीं लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने पर विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह संसदीय परंपरा के खिलाफ है। Congress Protest : NEET परीक्षा में धांधली को लेकर कांग्रेस का पूरे यूपी में प्रदर्शन रमेश ने कहा कि परंपरा के अनुसार सबसे वरिष्ठ सांसद को प्रोटेम स्पीकर (Protem…
View On WordPress
0 notes
Text
पूर्व मुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव
नई दिल्ली। कोरोना की तेज़ रफ़्तार से राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों को भी नहीं छोड़ा है। वही दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। वही दूसरी तरफ कुछ देर पहले ही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने नहीं है संभव’ ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट को लेकर बड़ा दावा किया है। अगर बल्ह में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण संभव नहीं है तो हवाई अड्डा प्रदेश के अन्य जगहों में…
View On WordPress
#CM Jairam Thakur Corona positive#एक्सक्लूसिव#कोरोना#कोविड-19#देश#न्यूज़#पूर्व#पूर्व CM जयराम ठाकुर कोरोना पॉजिटिव#पूर्व मुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव#पॉजिटिव:#ब्रेकिंग#मुख्यमंत्री#राजनीति#राज्य
0 notes
Text
पीएम मोदी ने राजनाथ सिंह को अरुणाचल सीमा संघर्ष पर बेहूदा बयान पढ़ने के लिए मजबूर किया: कांग्रेस
पीएम मोदी ने राजनाथ सिंह को अरुणाचल सीमा संघर्ष पर बेहूदा बयान पढ़ने के लिए मजबूर किया: कांग्रेस
द्वारा पीटीआई दौसा: चीन-भारत सीमा मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को बढ़ते व्यापार घाटे का हवाला दिया और कहा कि उस देश के साथ व्यापार ‘सामान्य’ है, सीमा ‘असामान्य’ है. कांग्रेस महासचिव प्रभारी संचार जयराम रमेश ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर सीमा गतिरोध पर अपने 2020 के बयान के साथ चीनियों को “बहिष्कृत” करने का आरोप लगाया और पूछा कि क्या तब जो हुआ था वह “घुसपैठ” था या…
View On WordPress
0 notes
Text
‘RSS ने अपने मुखपत्र में की थी आलोचना’, संविधान दिवस के पहले बोले जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संविधान सभा में डॉ. अंबेडकर के ऐतिहासिक भाषण को याद करते हुए संविधान निर्माण प्रक्रिया में कांग्रेस की भूमिका पर चर्चा की. जयराम रमेश ने 25 नवंबर को 1948 में डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए गए भाषण की 75वीं वर्षगांठ पर उनके बयानों को साझा किया. इसमें डॉ. अंबेडकर ने संविधान के मसौदे को अपनाने और कांग्रेस के योगदान की तारीफ की थी. भारत के संविधान को अपनाए जाने की 75वीं…
0 notes
Text
कांग्रेस की जन विरोधी सोच है हार का कारण, जयराम ठाकुर बोले, कांग्रेस लड़ाने और बांटने की करती है राजनीति
Himachal News: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की हार का कारण कांग्रेस की जन विरोधी और विकास विरोधी सोच है। जो देश को आगे बढ़ाने की बजाय लड़ाने और बांटने की राजनीति करती है। कई बार देश के मतदाताओं द्वारा कांग्रेस को नकार दिए जाने के बाद भी कांग्रेस के नेता जनमत क�� स्वीकार करने की बजाय अनर्गल बयानबाजी करते हैं। पूरे देश ने हिमाचल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के द्वारा दी गई…
0 notes
Text
Jamshedpur jugsalai jmm big win : जुगसलाई में मंगल कालिंदी की बड़ी जीत, रामचंद्र सहिस धाराशायी, जेएलकेएम ने जबरदस्त वोट लाया, दुलाल भुइयां के बेटे कहीं नहीं टिके, देखे फाइनल रिजल्ट
जमशेदपुर : जमशेदपुर के जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार झामुमो के मंगल कालिंदी चुनाव जीते है. इस चुनाव में तीसरे स्थान पर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेम रही, जिसके बिनोद स्वांसी को 36698 वोट मिले. जबरदस्त प्रदर्शन जेएलकेएम ने किया. हालांकि, झामुमो के प्रत्याशी मंगल कालिंदी के आगे भाजपा समर्थित आजसू कहीं नहीं टिके. आजसू को झामुमो के मंगल कालिंदी ने 43445 के बड़े अंतर से मात दे दी. यह…
0 notes
Text
स्वामी आत्मानंद स्कूल की प्राचार्या समेत 5 शिक्षक सस्पेंड
बिलासपुर, 9 नवंबर 2024। स्वामी आत्मानंद स्कूल के शिक्षकों का सच कलेक्टर अवनीश शरण की क्लास में सामने आ गया। कलेक्टर ने स्कूल की प्राचार्या समेत पांच शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया है। मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मस्तूरी ब्लाक के जयराम नगर आत्मानंद स्कूल का है। कलेक्टर अवनीश शरण 9 नवंबर को स्वामी आत्मानंद स्कूल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। कलेक्टर ने स्कूल परिसर में गदगी देखी, इसके बाद…
0 notes
Text
सिरसागंज कि गल्ला मंडी मे आग सब्ज़ी कि आढ़त जलकर राख फायर ब्रिगेड ने आग को किया काबू
फ़िरोज़ाबाद के सिरसागंज नविन गल्ला मंडी मे मंगलवार को दो सब्ज़ी कि दुकान मे आग लग गई आग लपटे देख सब्ज़ी मंडी मे अफरा -तफरी मच गई.घटना कि सूचना मिलने पर छेत्रीय पुलिस, दमकल कि गाड़ी मौके पर घटना स्थल पर पहुंच गई!मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड कि गाड़ी ने आग पर काबू पाया.सब्ज़ी व्यापारी राजेश निवासी नगला जयराम ने बताया कि आग लगने से उनका सत्तर हज़ार रूपये कि सब्जियों का नुक्सान हुआ है.जबकि दूसरे व्यापारी…
0 notes
Text
29 साल बाद भी कांग्रेस को जीत का इंतजार, JMM पर सीट बदलने का दबाव, BJP भी पुनर्वापसी की तैयारी में
गुमलाः गुमला विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अंतिम बार 1985 में जीत हासिल की। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में अलायंस के तहत कांग्रेस ने यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए छोड़ दी। लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव में लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत को बड़ी जीत मिली, उसके बाद गुमला और बिशुनपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से दावेदारी की जा रही है। कांग्रेस की ओर से जेएमएम पर इन दोनों सीटों की अदला-बदली करने का दबाव बनाया जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को बढ़त लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विजय सुखदेव भगत को बड़ी जीत मिली। कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में इस तरह का लहर देखने को मिला कि गुमला विधानसभा क्षेत्र में भी बीजेपी प्रत्याशी को हार मिली। वर्ष 2019 के गुमला विधानसभा सीट से जेएमएम के भूषण तिर्की ने जीत हासिल की थी। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में भी जेएमएम-कांग्रेस के साझा प्रत्याशी को बढ़त मिली। प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत सुखदेव भगत कांग्रेस 81242 समीर उरांव भाजपा 61799 चमरा लिंडा निर्दलीय 2791 जेएमएम ने बीजेपी को मात देने में सफलता हासिल की वर्ष 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कमलेश उरांव और शिवशंकर उरांव ने जीत हासिल की, लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने गुमला में बीजेपी को मात देने में सफलता हासिल की और भूषण तिर्की विधायक निर्वाचित हुए। भूषण तिर्की इससे पहले भी वर्ष 2005 में जेएमएम टिकट पर गुमला से निर्वाचित हो चुके हैं। गुमला विधानसभा चुनाव परिणाम 2019 प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत भूषण तिर्की जेएमएम 67130 मिशिर कुजूर भाजपा 59537 गुमला विधानसभा चुनाव परिणाम 2014 प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत शिवशंकर उरांव भाजपा 50473 भूषण तिर्की जेएमएम 6441 गुमला विधानसभा चुनाव परिणाम 2009 प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत कमलेश उरांव बीजेपी 39055 भूषण तिर्की जेएमएम 27468 1995 के बाद से बीजेपी-जेएमएम के बीच हो रही टक्कर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित गुमला विधानसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई। तब से लेकर अब तक क्षेत्र में 16 विधायक चुने गए हैं। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम के भूषण तिर्की ने बीजेपी ��े शिवशंकर उरांव को पराजित कर इस सीट पर कब्जा किया। 1995 के बाद इस सीट पर जेएमएम और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता रहा है। गुमला सीट दो बार जनसंघ और तीन बार बीजेपी ने जीत हासिल की। जबकि तीन-तीन बार कांग्रेस और जेएमएम को भी जीत मिली। गुमला विधानसभा सीट से 1951 से अब तक के विधायक वर्ष विजेता पार्टी 1951 सुकरू उरांव जेएचपी 1957 सुकरू उरांव जेएचपी 1962 पुनई उरांव जेपी 1967 रोपना उरांव जनसंघ 1969 रोपना उरांव जनसंघ 1972 बैरागी उरांव कांग्रेस 1977 जयराम उरांव निर्दलीय 1980 बैरागी उरांव कांग्रेस 1985 बैरागी उरांव कांग्रेस 1990 जीतवाहन बड़ाईक भाजपा 2000 सुदर्शन भगत भाजपा 2005 भूषण तिर्की जेएमएम 2009 कमलेश उरांव भाजपा 2014 शिवशंकर उरांव भाजपा 2019 भूषण तिर्की जेएमएम गुमला विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे गुमला अभी तक रेल लाइन से नहीं जुड़ा है। गुमला को रेल लाइन से जोड़ने की मांग काफी पुरानी है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र के कई इलाकों में अब भी पानी की सप्लाई होती है, हालांकि वर्षाें पहले पाइप बिछाया गया है, परंतु पानी की आपूर्ति शुरू नहीं होने से नाराजगी है। इसके अलावा बिजली भी गुमला विधानसभा क्षेत्र में बिजली की बड़ी समस्या है। पावर हाउस से कम क्षमता का ट्रांसफार्मर होने की वजह से गुमला को पर्यापत बिजली नहीं मिलती है। इसके अलावा गुमला के कार्तिक उरांव कॉलेज में शिक्षक और संसाधन का अभाव है। लोहरदगा, सिमडेगा और गुमला जिले को मिलाकर गुमला में विश्वविद्यालय बनाने की मांग भी लगातार उठती रही है। http://dlvr.it/TCgvMH
0 notes
Text
Jairam Thakur ka Sukhu Sarkar par Sharaab Ghotaale ka Aarop
शिमला। हिमाचल प्रदेश में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने गुरुवार को सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर 'शराब घोटाले' में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बड़े ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर शराब के ठेकों की संख्या बढ़ा रही है।
Read More: https://www.deshbandhu.co.in/states/jairam-thakur-accuses-sukhu-government-of-liquor-scam-489213-1
0 notes
Text
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart79 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart80
(प्रमाण श्री गुरु ग्रन्थ साहेब सीरी रागु महला पहला, घर 4 पृष्ठ 25) -
तू दरीया दाना बीना, मैं मछली कैसे अन्त लहा।
जह-जह देखा तह-तह तू है, तुझसे निकस फूट मरा।
न जाना मेऊ न जाना जाली। जा दुःख लागै ता तुझै समाली।1।रहाऊ।।
नानक जी ने कहा कि मैं मछली बन गया था, आपने कैसे ढूंढ लिया? हे परमेश्वर! आप तो दरीया के अंदर सूक्ष्म से भी सूक्ष्म वस्तु को जानने वाले हो। मुझे तो जाल डालने वाले(जाली) ने भी नहीं जाना तथा गोताखोर(मेऊ) ने भी नहीं जाना अर्थात् नहीं जान सका। जब से आप के सतलोक से निकल कर अर्थात् आप से बिछुड़ कर आए हैं तब से कष्ट पर कष्ट उठा रहा हूँ। जब दुःख आता है तो आपको ही याद करता हूँ, मेरे कष्टों का निवारण आप ही करते हो? (उपरोक्त वार्ता बाद में काशी में प्रभु के दर्शन करके हुई थी)।
तब नानक जी ने कहा कि अब मैं आपकी सर्व वार्ता सुनने को तैयार हूँ। कबीर परमेश्वर ने वही सृष्टि रचना पुनर् सुनाई तथा कहा कि मैं पूर्ण परमात्मा हूँ मेरा स्थान सच्चखण्ड (सत्यलोक) है। आप मेरी आत्मा हो। काल (ब्रह्म) आप सर्व आत्माओं को भ्रमित ज्ञान से विचलित करता है तथा नाना प्रकार से प्राणियों के शरीर में बहुत परेशान कर रहा है। मैं आपको सच्चानाम (सत्यनाम/वास्तविक मंत्र जाप) दूँगा जो किसी शास्त्रा में नहीं है। जिसे काल (ब्रह्म) ने गुप्त कर रखा है।
श्री नानक जी ने कहा कि मैं अपनी आँखों अकाल पुरूष तथा सच्चखण्ड को देखूं तब आपकी बात को सत्य मानूं। तब कबीर साहेब जी श्री नानक जी की पुण्यात्मा को सत्यलोक ले गए। सच्च खण्ड में श्री नानक जी ने देखा कि एक असीम तेजोमय मानव सदृश शरीर युक्त प्रभु तख्त पर बैठे थे। अपने ही दूसरे स्वरूप पर कबीर साहेब जिन्दा महात्मा के रूप में चंवर करने लगे। तब श्री नानक जी ने सोचा कि अकाल मूर्त तो यह रब है जो गद्दी पर बैठा है। कबीर तो यहाँ का सेवक होगा। उसी समय जिन्दा रूप में परमेश्वर कबीर साहेब उस गद्दी पर विराजमान हो गए तथा जो तेजोमय शरीर युक्त प्रभु का दूसरा रूप था वह खड़ा होकर तख्त पर बैठे जिन्दा वाले रूप पर चंवर करने लगा। फिर वह तेजोमय रूप नीचे से गये जिन्दा (कबीर) रूप में समा गया तथा गद्दी पर अकेले कबीर परमेश्वर जिन्दा रूप में बैठे थे और चंवर अपने आप ढुरने लगा।
तब नानक जी ने कहा कि वाहे गुरु, सत्यनाम से प्राप्ति तेरी। इस प्रक्रिया में तीन दिन लग गए। नानक जी की आत्मा को साहेब कबीर जी ने वापस शरीर में प्रवेश कर दिया। तीसरे दिन श्री नानक जी होश में आऐ।
उधर श्री जयराम जी ने (जो श्री नानक जी का बहनोई था) श्री नानक जी को दरिया में डूबा जान कर दूर तक गोताखोरों से तथा जाल डलवा कर खोज करवाई। परन्तु कोशिश निष्फल रही और मान लिया कि श्री नानक जी दरिया के अथाह वेग में बह कर मिट्टी के नीचे दब गए। तीसरे दिन जब नानक जी उसी नदी के किनारे सुबह-सुबह दिखाई दिए तो बहुत व्यक्ति एकत्रित हो गए, बहन नानकी तथा बहनोई श्री जयराम भी दौड़े गए, खुशी का ठिकाना नहीं रहा तथा घर ले आए।
श्री नानक जी अपनी नौकरी पर चले गए। मोदी खाने का दरवाजा खोल दिया तथा कहा जिसको जितना चाहिए, ले जाओ। पूरा खजाना लुटा कर शमशान घाट पर बैठ गए। जब नवाब को पता चला कि श्री नानक खजाना समाप्त करके शमशान घाट पर बैठा है। तब नवाब ने श्री जयराम की उपस्थिति में खजाने का हिसाब करवाया तो सात सौ साठ रूपये अधिक मिले। नवाब ने क्षमा याचना की तथा कहा कि नानक जी आप सात सौ साठ रूपये जो आपके सरकार की ओर अधिक हैं ले लो तथा फिर नौकरी पर आ जाओ। तब श्री नानक जी ने कहा कि अब सच्ची सरकार की नौकरी करूँगा। उस पूर्ण परमात्मा के आदेशानुसार अपना जीवन सफल करूँगा। वह पूर्ण परमात्मा है जो मुझे बेई नदी पर मिला था।
नवाब ने पूछा वह पूर्ण परमात्मा कहाँ रहता है तथा यह आदेश आपको कब हुआ? श्री नानक जी ने कहा वह सच्चखण्ड में रहता हेै। बेई नदी के किनारे से मुझे स्वयं आकर वही पूर्ण परमात्मा सच्चखण्ड (सत्यलोक) लेकर गया था। वह इस पृथ्वी पर भी आकार में आया हुआ है। उसकी खोज करके अपना आत्म कल्याण करवाऊँगा। उस दिन के बाद श्री नानक जी घर त्याग कर पूर्ण परमात्मा की खोज पृथ्वी पर करने के लिए चल पड़े। श्री नानक जी ��तनाम तथा वाहिगुरु की रटना लगाते हुए बनारस पहुँचे। इसीलिए अब पवित्र सिक्ख समाज के श्रद्धालु केवल सत्यनाम श्री वाहिगुरु कहते रहते हैं। सत्यनाम क्या है तथा वाहिगुरु कौन है यह मालूम नहीं है। जबकि सत्यनाम(सच्चानाम) गुरु ग्रन्थ साहेब में लिखा है, जो अन्य मंत्र है।
जैसा की कबीर साहेब ने बताया था कि मैं बनारस (काशी) में रहता हूँ। धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ। मेरे गुरु जी काशी में सर्व प्रसिद्ध पंडित रामानन्द जी हैं। इस बात को आधार रखकर श्री नानक जी ने संसार से उदास होकर पहली उदासी यात्रा बनारस (काशी) के लिए प्रारम्भ की (प्रमाण के लिए देखें ‘‘जीवन दस गुरु साहिब‘‘ (लेखक:- सोढ़ी तेजा सिंह जी, प्रकाशक=चतर सिंघ, जीवन सिंघ) पृष्ठ न. 50 पर।)।
परमेश्वर कबीर साहेब जी स्वामी रामानन्द जी के आश्रम में प्रतिदिन जाया करते थे। जिस दिन श्री नानक जी ने काशी पहुँचना था उससे पहले दिन कबीर साहेब ने अपने पूज्य गुरुदेव रामानन्द जी से कहा कि स्वामी जी कल मैं आश्रम में नहीं आ पाऊँगा। क्योंकि कपड़ा बुनने का कार्य अधिक है। कल सारा दिन लगा कर कार्य निपटा कर फिर आपके दर्शन करने आऊँगा।
काशी (बनारस) में जाकर श्री नानक जी ने पूछा कोई रामानन्द जी महाराज है। सब ने कहा वे आज के दिन सर्व ज्ञान सम्पन्न ऋषि हैं। उनका आश्रम पंचगंगा घाट के पास है। श्री नानक जी ने श्री रामानन्द जी से वार्ता की तथा सच्चखण्ड का वर्णन शुरू किया। तब श्री रामानन्द स्वामी ने कहा यह पहले मुझे किसी शास्त्रा में नहीं मिला परन्तु अब मैं आँखों देख चुका हूँ, क्योंकि वही परमेश्वर स्वयं कबीर नाम से आया हुआ है तथा मर्यादा बनाए रखने के लिए मुझे गुरु कहता है परन्तु मेरे लिए प्राण प्रिय प्रभु है। पूर्ण विवरण चाहिए तो मेरे व्यवहारिक शिष्य परन्तु वास्तविक गुरु कबीर से पूछो, वही आपकी शंका का निवारण कर सकता है।
श्री नानक जी ने पूछा कि कहाँ हैं (परमेश्वर स्वरूप) कबीर साहेब जी ? मुझे शीघ्र मिलवा दो। तब श्री रामानन्द जी ने एक सेवक को श्री नानक जी के साथ कबीर साहेब जी की झोपड़ी पर भेजा। उस सेवक से भी सच्चखण्ड के विषय में वार्ता करते हुए श्री नानक जी चले तो उस कबीर साहेब के सेवक ने भी सच्चखण्ड व सृष्टि रचना जो परमेश्वर कबीर साहेब जी से सुन रखी थी सुनाई। तब श्री नानक जी ने आश्चर्य हुआ कि मेरे से तो कबीर साहेब के चाकर (सेवक) भी अधिक ज्ञान रखते हैं।
इसीलिए गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”
जिसका भावार्थ है कि हे कबीर परमेश्वर जी मैं नानक कह रहा हूँ कि मेरा उद्धार हो गया, मैं तो ��पके सेवकों के चरणों की धूर तुल्य हूँ।
जब नानक जी ने देखा यह धाणक (जुलाहा) वही परमेश्वर है जिसके दर्शन सत्यलोक (सच्चखण्ड) में किए तथ�� बेई नदी पर हुए थे। वहाँ यह जिन्दा महात्मा के वेश में थे यहाँ धाणक (जुलाहे) के वेश में हैं। यह स्थान अनुसार अपना वेश बदल लेते हैं परन्तु स्वरूप (चेहरा) तो वही है। वही मोहिनी सूरत जो सच्चखण्ड में भी विराजमान था। वही करतार आज धाणक रूप में बैठा है। श्री नानक जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आँखों में आँसू भर गए।
तब श्री नानक जी अपने सच्चे स्वामी अकाल मूर्ति को पाकर चरणों में गिरकर सत्यनाम (सच्चानाम) प्राप्त किया। तब शान्ति पाई तथा अपने प्रभु की महिमा देश विदेश में गाई।
पहले श्री नानकदेव जी एक ओंकार(ओम) मन्त्र का जाप करते थे तथा उसी को सत मान कर कहा करते थे एक ओंकार। उन्हें बेई नदी पर कबीर साहेब ने दर्शन दे कर सतलोक (सच्चखण्ड) दिखाया तथा अपने सतपुरुष रूप को दिखाया। जब सतनाम का जाप दिया तब नानक जी की काल लोक से मुक्ति हुई। नानक जी ने कहा कि:
इसी का प्रमाण गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
शब्द - एक सुआन दुई सुआनी नाल, भलके भौंकही सदा बिआलकुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार।।1।।मै पति की पंदि न करनी की कार। उह बिगड़ै रूप रहा बिकराल।।तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहो आस एहो आधार।मुख निंदा आखा दिन रात, पर घर जोही नीच मनाति।।काम क्रोध तन वसह चंडाल, धाणक रूप रहा करतार।।2।।फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।।मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।4।।
इसमें स्पष्ट लिखा है कि एक(मन रूपी) कुत्ता तथा इसके साथ दो (आशा-तृष्णा रूपी) कुतिया अनावश्यक भौंकती(उमंग उठती) रहती हैं तथा सदा नई-नई आशाएँ उत्पन्न(ब्याती हैं) होती हैं। इनको मारने का तरीका(जो सत्यनाम तथा तत्व ज्ञान बिना) झुठा(कुड़) साधन(मुठ मुरदार) था। मुझे धाणक के रूप में हक्का कबीर (सत कबीर) परमात्मा मिला। उन्होनें मुझे वास्तविक उपासना बताई।
नानक जी ने कहा कि उस परमेश्वर(कबीर साहेब) की साधना बिना न तो पति (साख) रहनी थी और न ही कोई अच्छी करनी (भक्ति की कमाई) बन रही थी। जिससे काल का भयंकर रूप जो अब महसूस हुआ है उससे केवल कबीर साहेब तेरा एक (सत्यनाम) नाम पूर्ण संसार को पार(काल लोक से निकाल सकता है) कर सकता है। मुझे (नानक जी कहते हैं) भी एही एक तेरे नाम की आश है व यही नाम मेरा आधार है। पहले अनजाने में बहुत निंदा भी की होगी क्योंकि काम क��रोध इस तन में चंडाल रहते हैं।
मुझे धाणक (जुलाहे का कार्य करने वाले कबीर साहेब) रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया। जिसकी सुरति (स्वरूप) बहुत प्यारी है मन को फंसाने वाली अर्थात् मन मोहिनी है तथा सुन्दर वेश-भूषा में (जिन्दा रूप में) मुझे मिले उसको कोई नहीं पहचान सकता। जिसने काल को भी ठग लिया अर्थात् दिखाई देता है धाणक (जुलाहा) फिर बन गया जिन्दा। काल भगवान भी भ्रम में पड़ गया भगवान (पूर्णब्रह्म) नहीं हो सकता। इसी प्रकार परमेश्वर कबीर साहेब अपना वास्तविक अस्तित्व छुपा कर एक सेवक बन कर आते हैं। काल या आम व्यक्ति पहचान नहीं सकता। इसलिए नानक जी ने उसे प्यार में ठगवाड़ा कहा है और साथ में कहा है कि वह धाणक (जुलाहा कबीर) बहुत समझदार है। दिखाई देता है कुछ परन्तु है बहुत महिमा(बहुता भार) वाला जो धाणक जुलाहा रूप मंे स्वयं परमात्मा पूर्ण ब्रह्म(सतपुरुष) आया है। प्रत्येक जीव को आधीनी समझाने के लिए अपनी भूल को स्वीकार करते हुए कि मैंने (नानक जी ने) पूर्णब्रह्म के साथ बहस(वाद-विवाद) की तथा उन्होनें (कबीर साहेब ने) अपने आपको भी (एक लीला करके) सेवक रूप में दर्शन दे कर तथा(नानक जी को) मुझको स्वामी नाम से सम्बोधित किया। इसलिए उनकी महानता तथा अपनी नादानी का पश्चाताप करते हुए श्री नानक जी ने कहा कि मैं (नानक जी) कुछ करने कराने योग्य नहीं था। फिर भी अपनी साधना को उत्तम मान कर भगवान से सम्मुख हुआ (ज्ञान संवाद किया)। मेरे जैसा नीच दुष्ट, हरामखोर कौन हो सकता है जो अपने मालिक पूर्ण परमात्मा धाणक रूप(जुलाहा रूप में आए करतार कबीर साहेब) को नहीं पहचान पाया? श्री नानक जी कहते हैं कि यह सब मैं पूर्ण सोच समझ से कह रहा हूँ कि परमात्मा यही धाणक (जुलाहा कबीर) रूप में है।
भावार्थ:- श्री नानक साहेब जी कह रहे हैं कि यह फासने वाली अर्थात् मनमोहिनी शक्ल सूरत में तथा जिस देश में जाता है वैसा ही वेश बना लेता है, जैसे जिंदा महात्मा रूप में बेई नदी पर मिले, सतलोक में पूर्ण परमात्मा वाले वेश में तथा यहाँ उतर प्रदेश में धाणक(जुलाहे) रूप में स्वयं करतार (पूर्ण प्रभु) विराजमान है। आपसी वार्ता के दौरान हुई नोक-झोंक को याद करके क्षमा याचना करते हुए अधिक भाव से कह रहे हैं कि मैं अपने सत्भाव से कह रहा हूँ कि यही धाणक(जुलाहे) रूप में सत्पुरुष अर्थात् अकाल मूर्त ही है।
दूसरा प्रमाण:- नीचे प्रमाण है जिसमें कबीर परमेश्वर का नाम स्पष्ट लिखा है। श्री गु.ग्रपृष् ठ नं. 721 राग तिलंग महला पहला में है। और अधिक प्रमाण के लिए प्रस्तुत है ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश कुन करतार।हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।दूनियाँ मुकामे फानी तहकीक दिलदानी।मम सर मुई अजराईल गिरफ्त दिल हेच न दानी।।जन पिसर पदर बिरादराँ कस नेस्त दस्तं गीर।आखिर बयफ्तम कस नदारद चूँ शब्द तकबीर।।शबरोज गशतम दरहवा करदेम बदी ख्याल।गाहे न नेकी कार करदम मम ई चिनी अहवाल।।बदबख्त हम चु बखील गाफिल बेनजर बेबाक।नानक बुगोयद जनु तुरा तेरे चाकरा पाखाक।।
सरलार्थ:-- (कुन करतार) हे शब्द स्वरूपी कर्ता अर्थात् शब्द से सर्व सृष्टि के रचनहार (गोश) निर्गुणी संत रूप में आए (करीम) दयालु (हक्का कबीर) सत कबीर (तू) आप (बेएब परवरदिगार) निर्विकार परमेश्वर हंै। (पेश तोदर) आपके समक्ष अर्थात् आप के द्वार पर (तहकीक) पूरी तरह जान कर (यक अर्ज गुफतम) एक हृदय से विशेष प्रार्थना है कि (दिलदानी) हे महबूब (दुनियां मुकामे) यह संसार रूपी ठिकाना (फानी) नाशवान है (मम सर मूई) जीव के शरीर त्यागने के पश्चात् (अजराईल) अजराईल नामक फरिश्ता यमदूत (गिरफ्त दिल हेच न दानी) बेरहमी के साथ पकड़ कर ले जाता है। उस समय (कस) कोई (दस्तं गीर) साथी (जन) व्यक्ति जैसे (पिसर) बेटा (पदर) पिता (बिरादरां) भाई चारा (नेस्तं) साथ नहीं देता। (आखिर बेफ्तम) अन्त में सर्व उपाय (तकबीर) फर्ज अर्थात् (कस) कोई क्रिया काम नहीं आती (नदारद चूं शब्द) तथा आवाज भी बंद हो जाती है (शबरोज) प्रतिदिन (गशतम) गसत की तरह न रूकने वाली (दर हवा) चलती हुई वायु की तरह (बदी ख्याल) बुरे विचार (करदेम) करते रहते हैं (नेकी कार करदम) शुभ कर्म करने का (मम ई चिनी) मुझे कोई (अहवाल) जरीया अर्थात् साधन (गाहे न) नहीं मिला (बदबख्त) ऐसे बुरे समय में (हम चु) हमारे जैसे (बखील) नादान (गाफील) ला परवाह (बेनजर बेबाक) भक्ति और भगवान का वास्तविक ज्ञान न होने के कारण ज्ञान नेत्र हीन था तथा ऊवा-बाई का ज्ञान कहता था। (नानक बुगोयद) नानक जी कह रहे हैं कि हे कबीर परमेश्वर आप की कृपा से (तेरे चाकरां पाखाक) आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ (जनु तूरा) बंदा पार हो गया।
केवल हिन्दी अनुवाद:-- हे शब्द स्वरूपी राम अर्थात् शब्द से सर्व सृष्टि रचनहार दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं। आप के समक्ष एक हृदय से विनती है कि यह पूरी तरह जान लिया है हे महबूब यह संसार रूपी ठिकाना नाशवान है। हे दाता! इस जीव के मरने पर अजराईल नामक यम दूत बेरहमी से पकड़ कर ले जाता है कोई साथी जन जैसे बेटा पिता भाईचारा साथ नहीं देता। अन्त में सभी उपाय और फर्ज कोई क्रिया काम नहीं आता। प्रतिदिन ���श्त की तरह न रूकने वाली चलती हुई वायु की तरह बुरे विचार करते रहते हैं। शुभ कर्म करने का मुझे कोई जरीया या साधन नहीं मिला। ऐसे बुरे समय कलियुग में हमारे जैसे नादान लापरवाह, सत मार्ग का ज्ञान न होने से ज्ञान नेत्र हीन था तथा लोकवेद के आधार से अनाप-सनाप ज्ञान कहता रहता था। नानक जी कहते हैं कि मैं आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ बन्दा नानक पार हो गया।
भावार्थ - श्री गुरु नानक साहेब जी कह रहे हैं कि हे हक्का कबीर (सत् कबीर)! आप निर्विकार दयालु परमेश्वर हो। आप से मेरी एक अर्ज है कि मैं तो सत्यज्ञान वाली नजर रहित तथा आपके सत्यज्ञान के सामने तो निर्उत्तर अर्थात् जुबान रहित हो गया हूँ। हे कुल मालिक! मैं तो आपके दासों के चरणों की धूल हूँ, मुझे शरण में रखना।
इसके पश्चात् जब श्री नानक जी को पूर्ण विश्वास हो गया कि पूर्ण परमात्मा तो गीता ज्ञान दाता प्रभु से अन्य ही है। वही पूजा के योग्य है। पूर्ण परमात्मा की भक्ति तथा ज्ञान के विषय में गीता ज्ञान दाता प्रभु भी अनभिज्ञ है। परमेश्वर स्वयं ही तत्वदर्शी संत रूप से प्रकट होकर तत्वज्ञान को जन-जन को सुनाता है। जिस ज्ञान को वेद भी नहीं जानते वह तत्वज्ञान केवल पूर्ण परमेश्वर (सतपुरुष) ही स्वयं आकर ज्ञान कराता है। श्री नानक जी का जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में होने के कारण पवित्र गीता जी के ज्ञान पर पूर्ण रूपेण आश्रित थे। फिर स्वयं प्रत्येक हिन्दू श्रद्धालु तथा ब्राह्मण गुरुओं, आचार्यों से गीता जी के सात श्लोकों के विषय में पूछते थे। सर्व गुरुजन निरुतर हो जाते थे, परन्तु श्री नानक जी के विरोधी हो जाते थे। उस समय शिक्षा का अभाव था। उन झूठे गुरुओं की दाल गलती रही। गुरुजन जनता को यह कह कर श्री नानक जी के विरुद्ध भड़काते थे कि श्री नानक झूठ कह रहा है। गीता जी में ऐसा नहीं लिखा है कि श्री कृष्ण जी से ऊपर कोई शक्ति है। कबीर प्रभु से तत्वज्ञान से परिचित होकर श्री नानक जी पवित्र मुसलमान धर्म के श्रद्धालुओं तथा काजी व मुल्लाओं तथा पीरों (गुरुओं) से पूछा करते थे कि पवित्र र्कुआन शरीफ की सूरत फुर्कानि स. 25 आयत 19, 21, 52 से 58, 59 में र्कुआन शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार, सर्व पाप (गुनाहों) का नाश (क्षमा) करने वाला जिसने छः दिन में सृष्टि रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा, जो सर्व के पूजा(इबादिह कबीरा) योग्य है, वह कबीर परमेश्वर है। काफिर लोग (अल्लाह कबीर) कबीर प्रभु को समर्थ नहीं मानते, आप उनकी बातों में मत आना। मेरे द्वारा दिए इस र्कुआन शरीफ के ज्ञान पर विश्वास रखकर उनके साथ ज्ञान चर्चा रूपी संघर्ष करना। उस अल्लाहु अकबिर् अर्थात् अल्लाहु अकबर (कबीर प्रभु) की भक्ति तथा प्राप्ति के विषय में मंा (र्कुआन शरीफ का ज्ञान दाता प्रभु) नहीं जानता। उसके विषय में किसी तत्वदर्शी संत (बाखबर) से पूछो। पवित्र मुसलमान धर्म के मार्ग दर्शकों से पूछा कि यह स्पष्ट है कि श्री र्कुआन शरीफ के ज्ञान दाता प्रभु (जिसे हजरत मुहम्मद जी अपना अल्लाह मानते थे) के अतिरिक्त कोई और समर्थ परमेश्वर है जिसने सारे संसार की रचना की है। वही पूजा के योग्य है। र्कुआन शरीफ का ज्ञान दाता प्रभु अपनी साधना के विषय में तो बता चुका है कि पाँच समय निमाज करो, रोजे रखो, बंग दो। फिर वही प्रभु किसी अन्य समर्थ प्रभु की पूजा के लिए कह रहा है। क्या वह बाखबर(तत्वदर्शी) संत आप किसी को मिला है ? यदि मिला होता तो यह साधना नहीं करते। इसलिए आपकी पूजा वास्तविक नहीं है। क्योंकि पूजा के योग्य पूर्ण मोक्ष दायक पाप विनाशक तो केवल कबीर नामक प्रभु है। आप प्रभु को निराकार कहते हो। र्कुआन शरीफ में सूरत फुर्कानि स. 25 आयत 58-59 में स्पष्ट किया है कि कबीर अल्लाह (कबीर प्रभु) ने छः दिन में सृष्टि रची तथा ऊपर तख्त पर जा बैठा। इससे तो स्पष्ट हुआ कि कबीर नामक अल्लाह साकार है। क्योंकि निराकार के विषय में एक स्थान पर बैठना नहीं कहा जाता। इसी की पुष्टि ‘पवित्र बाईबल‘ उत्पत्ति विषय में कहा है कि प्रभु ने छः दिन में सृष्टि की रचना की तथा सातवंल दिन विश्राम किया अर्थात् आकाश में जा बैठा तथा प्रभु ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। इससे भी स्वसिद्ध है कि परमेश्वर का शरीर भी मनुष्य जैसा है अर्थात् प्रभु साकार है।
आपकी र्कुआन शरीफ सही है परन्तु आप न समझ कर अपना तथा अपने अनुयाईयांे का जीवन व्यर्थ कर रहे हो। आओ आप को अल्लाह कबीर सशरीर दिखाता हूँ। बहुत से श्रद्धालु श्री नानक जी के साथ पूज्य कबीर परमेश्वर की झोपड़ी के पास गए। श्री नानक जी ने कहा कि यही है वह अल्लाहु अकबर, मान जाओ मेरी बात। परन्तु भ्रमित ज्ञान में रंगे श्रद्धालुओं को विश्वास नहीं हुआ। मुल्ला, काजी तथा पीरों ने कहा कि नानक जी झूठ बोल रहे हैं, र्कुआन शरीफ में उपरोक्त विवरण कहीं नहीं लिखा। क्योंकि सर्व समाज अशिक्षित था, वही अज्ञान अंधेरा अभी तक छाया रहा, अब तत्वज्ञान रूपी सूर्य उदय हो चुका है।
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश -
साहिब मेरा एको है। एको है भाई एको है।आपे रूप करे बहु भांती नानक बपुड़ा एव कह।। (पृ. 350)जो तिन कीआ सो सचु थीआ, अमृत नाम सतगुरु दीआ।। (पृ. 352)गुरु पुरे ते गति मति पाई। (पृ. 353)बूडत जगु देखिआ तउ डरि भागे।सतिगुरु राखे से बड़ भागे, नानक गुरु की चरणों लागे।। (पृ. 414)मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा बिचारी राम। (पृ. 439)
उपरोक्त अमृतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि साहिब(प्रभु) एक ही है तथा मेरे गुरु जी ने मुझे उपदेश नाम मन्त्रा दिया, वही नाना रूप धारण कर लेता है अर्थात् वही सतपुरुष है वही जिंदा रूप बना लेता है। वही धाणक रूप में भी विराजमान होकर आम व्यक्ति अर्थात् भक्त की भूमिका करता है। शास्त्रा विरुद्ध पूजा करके सारे जगत् को जन्म-मृत्यु व कर्मफल की आग में जलते देखकर जीवन व्यर्थ होने के डर से भाग कर मैंने गुरु जी के चरणों में शरण ली।
बलिहारी गुरु आपणे दिउहाड़ी सदवार।जिन माणस ते देवते कीए करत न लागी वार।आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ।दुयी कुदरति साजीऐ करि आसणु डिठो चाउ।दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करहि पसाउ।तूं जाणोइ सभसै दे लैसहि जिंद कवाउ करि आसणु डिठो चाउ। (पृ. 463)
भावार्थ है कि पूर्ण परमात्मा जिंदा का रूप बनाकर बेई नदी पर आए अर्थात् जिंदा कहलाए तथा स्वयं ही दो दुनियाँ ऊपर(सतलोक आदि) तथा नीचे(ब्रह्म व परब्रह्म के लोक) को रचकर ऊपर सत्यलोक में आकार में आसन पर बैठ कर चाव के साथ अपने द्वारा रची दुनियाँ को देख रहे हो तथा आप ही स्वयम्भू अर्थात् माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते, स्वयं प्रकट होते हो। यही प्रमाण पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मं. 8 में है कि कविर् मनीषि स्वयम्भूः परिभू व्यवधाता, भावार्थ है कि कबीर परमात्मा सर्वज्ञ है (मनीषि का अर्थ सर्वज्ञ होता है) तथा अपने आप प्रकट होता है। वह सनातन (परिभू) अर्थात् सर्वप्रथम वाला प्रभु है। वह सर्व ब्रह्मण्डों का (व्यवधाता)अर्थात् भिन्न-भिन्न सर्व लोकों का रचनहार है।
एहू जीउ बहुते जनम भरमिआ, ता सतिगुरु शबद सुणाइया।। (पृ. 465)
भावार्थ है कि श्री नानक साहेब जी कह रहे हैं कि मेरा यह जीव बहुत समय से जन्म तथा मृत्यु के चक्र में भ्रमता रहा अब पूर्ण सतगुरु ने वास्तविक नाम प्रदान किया। श्री नानक जी के पूर्व जन्म - सतयुग में राजा अम्ब्रीष, त्रोतायुग में राजा जनक हुए थे और फिर नानक जी हुए तथा अन्य योनियों के जन्मों की तो गिनती ही नहीं है। इस निम्न लेख में प्रमाणित है कि कबीर साहेब तथा नानक जी की वार्ता हुई है। यह भी प्रमाण है कि राजा जनक विदेही भी श्री नानक जी थे त��ा श्री सुखदेव जी भी राजा जनक का शिष्य हुआ था।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
Text
सिंगर सुनिधि चौहान राजस्थान कांग्रेस के कार्यक्रम में परफॉर्म करेंगी
सिंगर सुनिधि चौहान राजस्थान कांग्रेस के कार्यक्रम में परफॉर्म करेंगी
एक्सप्रेस न्यूज सर्विस जयपुर: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के चार साल पूरे होने के साथ-साथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन पूरे होने पर कांग्रेस राजस्थान में जश्न के मूड में है. इस मौके पर कांग्रेस शुक्रवार को जयपुर में भव्य जश्न का आयोजन करेगी। गहलोत के चार साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर 16 दिसंबर को राहुल मुख्य अतिथि के तौर पर रंगारंग कार्यक्रम में शामिल होंगे. एआईसीसी के महासचिव…
View On WordPress
#अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी#अशोक गहलोत#कांग्रेस#जयराम रमेश#भारत जोड़ो यात्रा#राहुल गांधी#सुनिधि चौहान
0 notes
Text
वो 5 कांग्रेसी, जिनकी वजह से महाराष्ट्र में डूब गई ओल्ड ग्रैंड पार्टी की लुटिया
महाराष्ट्र के चुनावी इतिहास में पहली बार ओल्ड ग्रैंड कांग्रेस को सिर्फ 16 सीटों पर जीत मिली है. करारी हार के बाद पार्टी ने ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि ईवीएम के डेटा की वजह से हम चुनाव हार गए हैं. जयराम के बयान से इतर महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के वजहें जो भी रही है, लेकिन हार के लिए मुख्य रूप से पार्टी के 5 नेता को जिम्मेदार माना जा रहा है. कहा जा रहा है…
0 notes
Text
हिमाचल भाजपा में बन चुके है पांच गुट, सीएम सुक्खू बोले, पांचों गुटों में सरकार के खिलाफ बयान देने की लगी है होड़
शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आरोप लगाया कि इस समय हिमाचल प्रदेश में भाजपा के 5 गुट बन गए हैं। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के अलावा जयराम ठाकुर, अनुराग ठाकुर व डा. राजीव बिंदल के अलग-अलग गुटों के अतिरिक्त 1 और धड़ा बन गया है। इन गुटों में आपस में सरकार के विरोध में बयान देने की होड़ लगी है। सुखविंदर सिंह सुक्खू यहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।…
0 notes
Text
jharkhand election result : झारखंड के सभी 81 विधानसभा क्षेत्र का आया रिजल्ट, दोबार बनेगी हेमंत सरकार, देखे पूरे राज्य का एक क्लिक में ब्योरा
रांची : झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस के साथ राष्ट्रीय जनता दल ने भी जबरदस्त परफार्मेंस की है. झामुमो को 34 सीटें, भाजपा को 21 सीटें, कांग्रेस को 16 सीटें, राजद को 4 सीटें, सीपीआइ एमएल को 2 सीटें, लोजपा को 1 सीट, जेएलकेएम को एक सीट और जनता दल यूनाइटेड को एक सीट हासिल हुआ. जेएलकेएम के जयराम महतो ने चुनाव में डुमरी में चुनाव जीता. जनता दल यूनाइटेड ने तमाड़ और जमशेदपुर पश्चिम…
0 notes
Text
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart79 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart80
(प्रमाण श्री गुरु ग्रन्थ साहेब सीरी रागु महला पहला, घर 4 पृष्ठ 25) -
तू दरीया दाना बीना, मैं मछली कैसे अन्त लहा।
जह-जह देखा तह-तह तू है, तुझसे निकस फूट मरा।
न जाना मेऊ न जाना जाली। जा दुःख लागै ता तुझै समाली।1।रहाऊ।।
नानक जी ने कहा कि मैं मछली बन गया था, आपने कैसे ढूंढ लिया? हे परमेश्वर! आप तो दरीया के अंदर सूक्ष्म से भी सूक्ष्म वस्तु को जानने वाले हो। मुझे तो जाल डालने वाले(जाली) ने भी नहीं जाना तथा गोताखोर(मेऊ) ने भी नहीं जाना अर्थात् नहीं जान सका। जब से आप के सतलोक से निकल कर अर्थात् आप से बिछुड़ कर आए हैं तब से कष्ट पर कष्ट उठा रहा हूँ। जब दुःख आता है तो आपको ही याद करता हूँ, मेरे कष्टों का निवारण आप ही करते हो? (उपरोक्त वार्ता बाद में काशी में प्रभु के दर्शन करके हुई थी)।
तब नानक जी ने कहा कि अब मैं आपकी सर्व वार्ता सुनने को तैयार हूँ। कबीर परमेश्वर ने वही सृष्टि रचना पुनर् सुनाई तथा कहा कि मैं पूर्ण परमात्मा हूँ मेरा स्थान सच्चखण्ड (सत्यलोक) है। आप मेरी आत्मा हो। काल (ब्रह्म) आप सर्व आत्माओं को भ्रमित ज्ञान से विचलित करता है तथा नाना प्रकार से प्राणियों के शरीर में बहुत परेशान कर रहा है। मैं आपको सच्चानाम (सत्यनाम/वास्तविक मंत्र जाप) दूँगा जो किसी शास्त्रा में नहीं है। जिसे काल (ब्रह्म) ने गुप्त कर रखा है।
श्री नानक जी ने कहा कि मैं अपनी आँखों अकाल पुरूष तथा सच्चखण्ड को देखूं तब आपकी बात को सत्य मानूं। तब कबीर साहेब जी श्री नानक जी की पुण्यात्मा को सत्यलोक ले गए। सच्च खण्ड में श्री नानक जी ने देखा कि एक असीम तेजोमय मानव सदृश शरीर युक्त प्रभु तख्त पर बैठे थे। अपने ही दूसरे स्वरूप पर कबीर साहेब जिन्दा महात्मा के रूप में चंवर करने लगे। तब श्री नानक जी ने सोचा कि अकाल मूर्त तो यह रब है जो गद्दी पर बैठा है। कबीर तो यहाँ का सेवक होगा। उसी समय जिन्दा रूप में परमेश्वर कबीर साहेब उस गद्दी पर विराजमान हो गए तथा जो तेजोमय शरीर युक्त प्रभु का दूसरा रूप था वह खड़ा होकर तख्त पर बैठे जिन्दा वाले रूप पर चंवर करने लगा। फिर वह तेजोमय रूप नीचे से गये जिन्दा (कबीर) रूप में समा गया तथा गद्दी पर अकेले कबीर परमेश्वर जिन्दा रूप में बै���े थे और चंवर अपने आप ढुरने लगा।
तब नानक जी ने कहा कि वाहे गुरु, सत्यनाम से प्राप्ति तेरी। इस प्रक्रिया में तीन दिन लग गए। नानक जी की आत्मा को साहेब कबीर जी ने वापस शरीर में प्रवेश कर दिया। तीसरे दिन श्री नानक जी होश में आऐ।
उधर श्री जयराम जी ने (जो श्री नानक जी का बहनोई था) श्री नानक जी को दरिया में डूबा जान कर दूर तक गोताखोरों से तथा जाल डलवा कर खोज करवाई। परन्तु कोशिश निष्फल रही और मान लिया कि श्री नानक जी दरिया के अथाह वेग में बह कर मिट्टी के नीचे दब गए। तीसरे दिन जब नानक जी उसी नदी के किनारे सुबह-सुबह दिखाई दिए तो बहुत व्यक्ति एकत्रित हो गए, बहन नानकी तथा बहनोई श्री जयराम भी दौड़े गए, खुशी का ठिकाना नहीं रहा तथा घर ले आए।
श्री नानक जी अपनी नौकरी पर चले गए। मोदी खाने का दरवाजा खोल दिया तथा कहा जिसको जितना चाहिए, ले जाओ। पूरा खजाना लुटा कर शमशान घाट पर बैठ गए। जब नवाब को पता चला कि श्री नानक खजाना समाप्त करके शमशान घाट पर बैठा है। तब नवाब ने श्री जयराम की उपस्थिति में खजाने का हिसाब करवाया तो सात सौ साठ रूपये अधिक मिले। नवाब ने क्षमा याचना की तथा कहा कि नानक जी आप सात सौ साठ रूपये जो आपके सरकार की ओर अधिक हैं ले लो तथा फिर नौकरी पर आ जाओ। तब श्री नानक जी ने कहा कि अब सच्ची सरकार की नौकरी करूँगा। उस पूर्ण परमात्मा के आदेशानुसार अपना जीवन सफल करूँगा। वह पूर्ण परमात्मा है जो मुझे बेई नदी पर मिला था।
नवाब ने पूछा वह पूर्ण परमात्मा कहाँ रहता है तथा यह आदेश आपको कब हुआ? श्री नानक जी ने कहा वह सच्चखण्ड में रहता हेै। बेई नदी के किनारे से मुझे स्वयं आकर वही पूर्ण परमात्मा सच्चखण्ड (सत्यलोक) लेकर गया था। वह इस पृथ्वी पर भी आकार में आया हुआ है। उसकी खोज करके अपना आत्म कल्याण करवाऊँगा। उस दिन के बाद श्री नानक जी घर त्याग कर पूर्ण परमात्मा की खोज पृथ्वी पर करने के लिए चल पड़े। श्री नानक जी सतनाम तथा वाहिगुरु की रटना लगाते हुए बनारस पहुँचे। इसीलिए अब पवित्र सिक्ख समाज के श्रद्धालु केवल सत्यनाम श्री वाहिगुरु कहते रहते हैं। सत्यनाम क्या है तथा वाहिगुरु कौन है यह मालूम नहीं है। जबकि सत्यनाम(सच्चानाम) गुरु ग्रन्थ साहेब में लिखा है, जो अन्य मंत्र है।
जैसा की कबीर साहेब ने बताया था कि मैं बनारस (काशी) में रहता हूँ। धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ। मेरे गुरु जी काशी में सर्व प्रसिद्ध पंडित रामानन्द जी हैं। इस बात को आधार रखकर श्री नानक जी ने संसार से उदास होकर पहली उदासी यात्रा बनारस (काशी) के लिए प्रारम्भ की (प्रमाण के लिए देखें ‘‘जीवन दस गुरु साहिब‘‘ (लेखक:- सोढ़ी तेजा सिंह जी, प्रकाशक=चतर सिंघ, जीवन सिंघ) पृष्ठ न. 50 पर।)।
परमेश्वर कबीर साहेब जी स्वामी रामानन्द जी के आश्रम में प्रतिदिन जाया करते थे। जिस दिन श्री नानक जी ने काशी पहुँचना था उससे पहले दिन कबीर साहेब ने अपने पूज्य गुरुदेव रामानन्द जी से कहा कि स्वामी जी कल मैं आश्रम में नहीं आ पाऊँगा। क्योंकि कपड़ा बुनने का कार्य अधिक है। कल सारा दिन लगा कर कार्य निपटा कर फिर आपके दर्शन करने आऊँगा।
काशी (बनारस) में जाकर श्री नानक जी ने पूछा कोई रामानन्द जी महाराज है। सब ने कहा वे आज के दिन सर्व ज्ञान सम्पन्न ऋषि हैं। उनका आश्रम पंचगंगा घाट के पास है। श्री नानक जी ने श्री रामानन्द जी से वार्ता की तथा सच्चखण्ड का वर्णन शुरू किया। तब श्री रामानन्द स्वामी ने कहा यह पहले मुझे किसी शास्त्रा में नहीं मिला परन्तु अब मैं आँखों देख चुका हूँ, क्योंकि वही परमेश्वर स्वयं कबीर नाम से आया हुआ है तथा मर्यादा बनाए रखने के लिए मुझे गुरु कहता है परन्तु मेरे लिए प्राण प्रिय प्रभु है। पूर्ण विवरण चाहिए तो मेरे व्यवहारिक शिष्य परन्तु वास्तविक गुरु कबीर से पूछो, वही आपकी शंका का निवारण कर सकता है।
श्री नानक जी ने पूछा कि कहाँ हैं (परमेश्वर स्वरूप) कबीर साहेब जी ? मुझे शीघ्र मिलवा दो। तब श्री रामानन्द जी ने एक सेवक को श्री नानक जी के साथ कबीर साहेब जी की झोपड़ी पर भेजा। उस सेवक से भी सच्चखण्ड के विषय में वार्ता करते हुए श्री नानक जी चले तो उस कबीर साहेब के सेवक ने भी सच्चखण्ड व सृष्टि रचना जो परमेश्वर कबीर साहेब जी से सुन रखी थी सुनाई। तब श्री नानक जी ने आश्चर्य हुआ कि मेरे से तो कबीर साहेब के चाकर (सेवक) भी अधिक ज्ञान रखते हैं।
इसीलिए गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”
जिसका भावार्थ है कि हे कबीर परमेश्वर जी मैं नानक कह रहा हूँ कि मेरा उद्धार हो गया, मैं तो आपके सेवकों के चरणों की धूर तुल्य हूँ।
जब नानक जी ने देखा यह धाणक (जुलाहा) वही परमेश्वर है जिसके दर्शन सत्यलोक (सच्चखण्ड) में किए तथा बेई नदी पर हुए थे। वहाँ यह जिन्दा महात्मा के वेश में थे यहाँ धाणक (जुलाहे) के वेश में हैं। यह स्थान अनुसार अपना वेश बदल लेते हैं परन्तु स्वरूप (चेहरा) तो वही है। वही मोहिनी सूरत जो सच्चखण्ड में भी विराजमान था। वही करतार आज धाणक रूप में बैठा है। श्री नानक जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आँखों में आँसू भर गए।
तब श्री नानक जी अपने सच्चे स्वामी अकाल मूर्ति को पाकर चरणों में गिरकर सत्यनाम (सच्चानाम) प्राप्त किया। तब शान्ति पाई तथा अपने प्रभु की महिमा देश विदेश में गाई।
पहले श्री नानकदेव जी एक ओंकार(ओम) मन्त्र का जाप करते थे तथा उसी को सत मान कर कहा करते थे एक ओंकार। उन्हें बेई नदी पर कबीर साहेब ने दर्शन दे कर सतलोक (सच्चखण्ड) दिखाया तथा अपने सतपुरुष रूप को दिखाया। जब सतनाम का जाप दिया तब नानक जी की काल लोक से मुक्ति हुई। नानक जी ने कहा कि:
इसी का प्रमाण गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
शब्द - एक सुआन दुई सुआनी नाल, भलके भौंकही सदा बिआलकुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार।।1।।मै पति की पंदि न करनी की कार। उह बिगड़ै रूप रहा बिकराल।।तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहो आस एहो आधार।मुख निंदा आखा दिन रात, पर घर जोही नीच मनाति।।काम क्रोध तन वसह चंडाल, धाणक रूप रहा करतार।।2।।फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।।मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।4।।
इसमें स्पष्ट लिखा है कि एक(मन रूपी) कुत्ता तथा इसके साथ दो (आशा-तृष्णा रूपी) कुतिया अनावश्यक भौंकती(उमंग उठती) रहती हैं तथा सदा नई-नई आशाएँ उत्पन्न(ब्याती हैं) होती हैं। इनको मारने का तरीका(जो सत्यनाम तथा तत्व ज्ञान बिना) झुठा(कुड़) साधन(मुठ मुरदार) था। मुझे धाणक के रूप में हक्का कबीर (सत कबीर) परमात्मा मिला। उन्होनें मुझे वास्तविक उपासना बताई।
नानक जी ने कहा कि उस परमेश्वर(कबीर साहेब) की साधना बिना न तो पति (साख) रहनी थी और न ही कोई अच्छी करनी (भक्ति की कमाई) बन रही थी। जिससे काल का भयंकर रूप जो अब महसूस हुआ है उससे केवल कबीर साहेब तेरा एक (सत्यनाम) नाम पूर्ण संसार को पार(काल लोक से निकाल सकता है) कर सकता है। मुझे (नानक जी कहते हैं) भी एही एक तेरे नाम की आश है व यही नाम मेरा आधार है। पहले अनजाने में बहुत निंदा भी की होगी क्योंकि काम क्रोध इस तन में चंडाल रहते हैं।
मुझे धाणक (जुलाहे का कार्य करने वाले कबीर साहेब) रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया। जिसकी सुरति (स्वरूप) बहुत प्यारी है मन को फंसाने वाली अर्थात् मन मोहिनी है तथा सुन्दर वेश-भूषा में (जिन्दा रूप में) मुझे मिले उसको कोई नहीं पहचान सकता। जिसने काल को भी ठग लिया अर्थात् दिखाई देता है धाणक (जुलाहा) फिर बन गया जिन्दा। काल भगवान भी भ्रम में पड़ गया भगवान (पूर्णब्रह्म) नहीं हो सकता। इसी प्रकार परमेश्वर कबीर साहेब अपना वास्तविक अस्तित्व छुपा कर एक सेवक बन कर आते हैं। काल या आम व्यक्ति पहचान नहीं सकता। इसलिए नानक जी ने उसे प्यार में ठगवाड़ा कहा है और साथ में कहा है कि वह धाणक (जुलाहा कबीर) बहुत समझदार है। दिखाई देता है कुछ परन्तु है बहुत महिमा(बहुता भार) वाला जो धाणक जुलाहा रूप मंे स्वयं परमात्मा पूर्ण ब्रह्म(सतपुरुष) आया है। प्रत्येक जीव को आधीनी समझाने के लिए अपनी भूल को स्वीकार करते हुए कि मैंने (नानक जी ने) पूर्णब्रह्म के साथ बहस(वाद-विवाद) की तथा उन्होनें (कबीर साहेब ने) अपने आपको भी (एक लीला करके) सेवक रूप में दर्शन दे कर तथा(नानक जी को) मुझको स्वामी नाम से सम्बोधित किया। इसलिए उनकी महानता तथा अपनी नादानी का पश्चाताप करते हुए श्री नानक जी ने कहा कि मैं (नानक जी) कुछ करने कराने योग्य नहीं था। फिर भी अपनी साधना को उत्तम मान कर भगवान से सम्मुख हुआ (ज्ञान संवाद किया)। मेरे जैसा नीच दुष्ट, हरामखोर कौन हो सकता है जो अपने मालिक पूर्ण परमात्मा धाणक रूप(जुलाहा रूप में आए करतार कबीर साहेब) को नहीं पहचान पाया? श्री नानक जी कहते हैं कि यह सब मैं पूर्ण सोच समझ से कह रहा हूँ कि परमात्मा यही धाणक (जुलाहा कबीर) रूप में है।
भावार्थ:- श्री नानक साहेब जी कह रहे हैं कि यह फासने वाली अर्थात् मनमोहिनी शक्ल सूरत में तथा जिस देश में जाता है वैसा ही वेश बना लेता है, जैसे जिंदा महात्मा रूप में बेई नदी पर मिले, सतलोक में पूर्ण परमात्मा वाले वेश में तथा यहाँ उतर प्रदेश में धाणक(जुलाहे) रूप में स्वयं करतार (पूर्ण प्रभु) विराजमान है। आपसी वार्ता के दौरान हुई नोक-झोंक को याद करके क्षमा याचना करते हुए अधिक भाव से कह रहे हैं कि मैं अपने सत्भाव से कह रहा हूँ कि यही धाणक(जुलाहे) रूप में सत्पुरुष अर्थात् अकाल मूर्त ही है।
दूसरा प्रमाण:- नीचे प्रमाण है जिसमें कबीर परमेश्वर का नाम स्पष्ट लिखा है। श्री गु.ग्रपृष् ठ नं. 721 राग तिलंग महला पहला में है। और अधिक प्रमाण के लिए प्रस्तुत है ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश कुन करतार।हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।दूनियाँ मुकामे फानी तहकीक दिलदानी।मम सर मुई अजराईल गिरफ्त दिल हेच न दानी।।जन पिसर पदर बिरादराँ कस नेस्त दस्तं गीर।आखिर बयफ्तम कस नदारद चूँ शब्द तकबीर।।शबरोज गशतम दरहवा करदेम बदी ख्याल।गाहे न नेकी कार करदम मम ई चिनी अहवाल।।बदबख्त हम चु बखील गाफिल बेनजर बेबाक।नानक बुगोयद जनु तुरा तेरे चाकरा पाखाक।।
सरलार्थ:-- (कुन करतार) हे शब्द स्वरूपी कर्ता अर्थात् शब्द से सर्व सृष्टि के रचनहार (गोश) निर्गुणी संत रूप में आए (करीम) दयालु (हक्का कबीर) सत कबीर (तू) आप (बेएब परवरदिगार) निर्विकार परमेश्वर हंै। (पेश तोदर) आपके समक्ष अर्थात् आप के द्वार पर (तहकीक) पूरी तरह जान कर (यक अर्ज गुफतम) एक हृदय से विशेष प्रार्थना है कि (दिलदानी) हे महबूब (दुनियां मुकामे) यह संसार रूपी ठिकाना (फानी) नाशवान है (मम सर मूई) जीव के शरीर त्यागने के पश्चात् (अजराईल) अजराईल नामक फरिश्ता यमदूत (गिरफ्त दिल हेच न दानी) बेरहमी के साथ पकड़ कर ले जाता है। उस समय (कस) कोई (दस्तं गीर) साथी (जन) व्यक्ति जैसे (पिसर) बेटा (पदर) पिता (बिरादरां) भाई चारा (नेस्तं) साथ नहीं देता। (आखिर बेफ्तम) अन्त में सर्व उपाय (तकबीर) फर्ज अर्थात् (कस) कोई क्रिया काम नहीं आती (नदारद चूं शब्द) तथा आवाज भी बंद हो जाती है (शबरोज) प्रतिदिन (गशतम) गसत की तरह न रूकने वाली (दर हवा) चलती हुई वायु की तरह (बदी ख्याल) बुरे विचार (करदेम) करते रहते हैं (नेकी कार करदम) शुभ कर्म करने का (मम ई चिनी) मुझे कोई (अहवाल) जरीया अर्थात् साधन (गाहे न) नहीं मिला (बदबख्त) ऐसे बुरे समय में (हम चु) हमारे जैसे (बखील) नादान (गाफील) ला परवाह (बेनजर बेबाक) भक्ति और भगवान का वास्तविक ज्ञान न होने के कारण ज्ञान नेत्र हीन था तथा ऊवा-बाई का ज्ञान कहता था। (नानक बुगोयद) नानक जी कह रहे हैं कि हे कबीर परमेश्वर आप की कृपा से (तेरे चाकरां पाखाक) आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ (जनु तूरा) बंदा पार हो गया।
केवल हिन्दी अनुवाद:-- हे शब्द स्वरूपी राम अर्थात् शब्द से सर्व सृष्टि रचनहार दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं। आप के समक्ष एक हृदय से विनती है कि यह पूरी तरह जान लिया है हे महबूब यह संसार रूपी ठिकाना नाशवान है। हे दाता! इस जीव के मरने पर अजराईल नामक यम दूत बेरहमी से पकड़ कर ले जाता है कोई साथी जन जैसे बेटा पिता भाईचारा साथ नहीं देता। अन्त में सभी उपाय और फर्ज कोई क्रिया काम नहीं आता। प्रतिदिन गश्त की तरह न रूकने वाली चलती हुई वायु की तरह बुरे विचार करते रहते हैं। शुभ कर्म करने का मुझे कोई जरीया या साधन नहीं मिला। ऐसे बुरे समय कलियुग में हमारे जैसे नादान लापरवाह, सत मार्ग का ज्ञान न होने से ज्ञान नेत्र हीन था तथा लोकवेद के आधार से अनाप-सनाप ज्ञान कहता रहता था। नानक जी कहते हैं कि मैं आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ बन्दा नानक पार हो गया।
भावार्थ - श्री गुरु नानक साहेब जी कह रहे हैं कि हे हक्का कबीर (सत् कबीर)! आप निर्विकार दयालु परमेश्वर हो। आप से मेरी एक अर्ज है कि मैं तो सत्यज्ञान वाली नजर रहित तथा आपके सत्यज्ञान के सामने तो निर्उत्तर अर्थात् जुबान रहित हो गया हूँ। हे कुल मालिक! मैं तो आपके दासों के चरणों की धूल हूँ, मुझे शरण में रखना।
इसके पश्चात् जब श्री नानक जी को पूर्ण विश्वास हो गया कि पूर्ण परमात्मा तो गीता ज्ञान दाता प्रभु से अन्य ही है। वही पूजा के योग्य है। पूर्ण परमात्मा की भक्ति तथा ज्ञान के विषय में गीता ज्ञान दाता प्रभु भी अनभिज्ञ है। परमेश्वर स्वयं ही तत्वदर्शी संत रूप से प्रकट होकर तत्वज्ञान को जन-जन को सुनाता है। जिस ज्ञान को वेद भी नहीं जानते वह तत्वज्ञान केवल पूर्ण परमेश्वर (सतपुरुष) ही स्वयं आकर ज्ञान कराता है। श्री नानक जी का जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में होने के कारण पवित्र गीता जी के ज्ञान पर पूर्ण रूपेण आश्रित थे। फिर स्वयं प्रत्येक हिन्दू श्रद्धालु तथा ब्राह्मण गुरुओं, आचार्यों से गीता जी के सात श्लोकों के विषय में पूछते थे। सर्व गुरुजन निरुतर हो जाते थे, परन्तु श्री नानक जी के विरोधी हो जाते थे। उस समय शिक्षा का अभाव था। उन झूठे गुरुओं की दाल गलती रही। गुरुजन जनता को यह कह कर श्री नानक जी के विरुद्ध भड़काते थे कि श्री नानक झूठ कह रहा है। गीता जी में ऐसा नहीं लिखा है कि श्री कृष्ण जी से ऊपर कोई शक्ति है। कबीर प्रभु से तत्वज्ञान से परिचित होकर श्री नानक जी पवित्र मुसलमान धर्म के श्रद्धालुओं तथा काजी व मुल्लाओं तथा पीरों (गुरुओं) से पूछा करते थे कि पवित्र र्कुआन शरीफ की सूरत फुर्कानि स. 25 आयत 19, 21, 52 से 58, 59 में र्कुआन शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार, सर्व पाप (गुनाहों) का नाश (क्षमा) करने वाला जिसने छः दिन में सृष्टि रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा, जो सर्व के पूजा(इबादिह कबीरा) योग्य है, वह कबीर परमेश्वर है। काफिर लोग (अल्लाह कबीर) कबीर प्रभु को समर्थ नहीं मानते, आप उनकी बातों में मत आना। मेरे द्वारा दिए इस र्कुआन शरीफ के ज्ञान पर विश्वास रखकर उनके साथ ज्ञान चर्चा रूपी संघर्ष करना। उस अल्लाहु अकबिर् अर्थात् अल्लाहु अकबर (कबीर प्रभु) की भ���्ति तथा प्राप्ति के विषय में मंा (र्कुआन शरीफ का ज्ञान दाता प्रभु) नहीं जानता। उसके विषय में किसी तत्वदर्शी संत (बाखबर) से पूछो। पवित्र मुसलमान धर्म के मार्ग दर्शकों से पूछा कि यह स्पष्ट है कि श्री र्कुआन शरीफ के ज्ञान दाता प्रभु (जिसे हजरत मुहम्मद जी अपना अल्लाह मानते थे) के अतिरिक्त कोई और समर्थ परमेश्वर है जिसने सारे संसार की रचना की है। वही पूजा के योग्य है। र्कुआन शरीफ का ज्ञान दाता प्रभु अपनी साधना के विषय में तो बता चुका है कि पाँच समय निमाज करो, रोजे रखो, बंग दो। फिर वही प्रभु किसी अन्य समर्थ प्रभु की पूजा के लिए कह रहा है। क्या वह बाखबर(तत्वदर्शी) संत आप किसी को मिला है ? यदि मिला होता तो यह साधना नहीं करते। इसलिए आपकी पूजा वास्तविक नहीं है। क्योंकि पूजा के योग्य पूर्ण मोक्ष दायक पाप विनाशक तो केवल कबीर नामक प्रभु है। आप प्रभु को निराकार कहते हो। र्कुआन शरीफ में सूरत फुर्कानि स. 25 आयत 58-59 में स्पष्ट किया है कि कबीर अल्लाह (कबीर प्रभु) ने छः दिन में सृष्टि रची तथा ऊपर तख्त पर जा बैठा। इससे तो स्पष्ट हुआ कि कबीर नामक अल्लाह साकार है। क्योंकि निराकार के विषय में एक स्थान पर बैठना नहीं कहा जाता। इसी की पुष्टि ‘पवित्र बाईबल‘ उत्पत्ति विषय में कहा है कि प्रभु ने छः दिन में सृष्टि की रचना की तथा सातवंल दिन विश्राम किया अर्थात् आकाश में जा बैठा तथा प्रभु ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। इससे भी स्वसिद्ध है कि परमेश्वर का शरीर भी मनुष्य जैसा है अर्थात् प्रभु साकार है।
आपकी र्कुआन शरीफ सही है परन्तु आप न समझ कर अपना तथा अपने अनुयाईयांे का जीवन व्यर्थ कर रहे हो। आओ आप को अल्लाह कबीर सशरीर दिखाता हूँ। बहुत से श्रद्धालु श्री नानक जी के साथ पूज्य कबीर परमेश्वर की झोपड़ी के पास गए। श्री नानक जी ने कहा कि यही है वह अल्लाहु अकबर, मान जाओ मेरी बात। परन्तु भ्रमित ज्ञान में रंगे श्रद्धालुओं को विश्वास नहीं हुआ। मुल्ला, काजी तथा पीरों ने कहा कि नानक जी झूठ बोल रहे हैं, र्कुआन शरीफ में उपरोक्त विवरण कहीं नहीं लिखा। क्योंकि सर्व समाज अशिक्षित था, वही अज्ञान अंधेरा अभी तक छाया रहा, अब तत्वज्ञान रूपी सूर्य उदय हो चुका है।
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश -
साहिब मेरा एको है। एको है भाई एको है।आपे रूप करे बहु भांती नानक बपुड़ा एव कह।। (पृ. 350)जो तिन कीआ सो सचु थीआ, अमृत नाम सतगुरु दीआ।। (पृ. 352)गुरु पुरे ते गति मति पाई। (पृ. 353)बूडत जगु देखिआ तउ डरि भागे।सतिगुरु राखे से बड़ भागे, नानक गुरु की चरणों लागे।। (पृ. 414)मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा बिचारी राम। (पृ. 439)
उपरोक्त अमृतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि साहिब(प्रभु) एक ही है तथा मेरे गुरु जी ने मुझे उपदेश नाम मन्त्रा दिया, वही नाना रूप धारण कर लेता है अर्थात् वही सतपुरुष है वही जिंदा रूप बना लेता है। वही धाणक रूप में भी विराजमान होकर आम व्यक्ति अर्थात् भक्त की भूमिका करता है। शास्त्रा विरुद्ध पूजा करके सारे जगत् को जन्म-मृत्यु व कर्मफल की आग में जलते देखकर जीवन व्यर्थ होने के डर से भाग कर मैंने गुरु जी के चरणों में शरण ली।
बलिहारी गुरु आपणे दिउहाड़ी सदवार।जिन माणस ते देवते कीए करत न लागी वार।आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ।दुयी कुदरति साजीऐ करि आसणु डिठो चाउ।दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करहि पसाउ।तूं जाणोइ सभसै दे लैसहि जिंद कवाउ करि आसणु डिठो चाउ। (पृ. 463)
भावार्थ है कि पूर्ण परमात्मा जिंदा का रूप बनाकर बेई नदी पर आए अर्थात् जिंदा कहलाए तथा स्वयं ही दो दुनियाँ ऊपर(सतलोक आदि) तथा नीचे(ब्रह्म व परब्रह्म के लोक) को रचकर ऊपर सत्यलोक में आकार में आसन पर बैठ कर चाव के साथ अपने द्वारा रची दुनियाँ को देख रहे हो तथा आप ही स्वयम्भू अर्थात् माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते, स्वयं प्रकट होते हो। यही प्रमाण पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मं. 8 में है कि कविर् मनीषि स्वयम्भूः परिभू व्यवधाता, भावार्थ है कि कबीर परमात्मा सर्वज्ञ है (मनीषि का अर्थ सर्वज्ञ होता है) तथा अपने आप प्रकट होता है। वह सनातन (परिभू) अर्थात् सर्वप्रथम वाला प्रभु है। वह सर्व ब्रह्मण्डों का (व्यवधाता)अर्थात् भिन्न-भिन्न सर्व लोकों का रचनहार है।
एहू जीउ बहुते जनम भरमिआ, ता सतिगुरु शबद सुणाइया।। (पृ. 465)
भावार्थ है कि श्री नानक साहेब जी कह रहे हैं कि मेरा यह जीव बहुत समय से जन्म तथा मृत्यु के चक्र में भ्रमता रहा अब पूर्ण सतगुरु ने वास्तविक नाम प्रदान किया। श्री नानक जी के पूर्व जन्म - सतयुग में राजा अम्ब्रीष, त्रोतायुग में राजा जनक हुए थे और फिर नानक जी हुए तथा अन्य योनियों के जन्मों की तो गिनती ही नहीं है। इस निम्न लेख में प्रमाणित है कि कबीर साहेब तथा नानक जी की वार्ता हुई है। यह भी प्रमाण है कि राजा जनक विदेही भी श्री नानक जी थे तथा श्री सुखदेव जी भी राजा जनक का शिष्य हुआ था।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes