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#जयदेव शाह
lsgofficialfans · 2 years
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IPL 2023 के लिए लखनऊ सुपर जायंट्स की नई जर्सी सामने आ चुकी है. मंगलवार दोपहर को फ्रेंचाइजी मालिक संजीव गोयनका, बीसीसीआई सचिव जय शाह, टीम के मेंटर गौतम गंभीर और कप्तान केएल राहुल ने इस नई जर्सी को लॉन्च किया. इस दौरान दीपक हुडा और जयदेव उनादकट भी इस इवेंट में मौजूद थे. 📸 : Lucknow Super Giants #NewJersey | #LSGNEWJERSEY | #LSGJERSEY | #Cricket | #TeamIndia | #IPLCRICKET | #ICC | #BCCI | #IPL | #LucknowSuperGiants | #TATAIPL | #AbApniBaariHai | #LSG | #BhaukaalMachaDenge | #IPL2023 | #lsgofficialfans | #DhajjiyaUdaDenge https://www.instagram.com/p/CpfX3ZtPhUd/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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prabudhajanata · 2 years
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छातापुर।सुपौल।सोनू कुमार भगत:- छातापुर प्रखंड के भीम पुर पंचायत NH57 के समीप दो दिवसीय श्री श्री 108 बाबा कंगाली एवं बाबा शिवदत्त के भव्य पूजा का आयोजन मकर सक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर किया गया। जिसको शुभारम्भ को ले 51 कुंवारी कन्याओं के द्वारा शनिवार को भव्य कलश शोभा यात्रा निकाली गईं। जो बाबा कंगाली मंदिर परिसर से होते हुए गांव के सुरसर नदी तक गया। नदी से कलश में जल भर कर फिर से मंदिर में कलश रखा गया। आयोजन को ले संचालक समिति के सत्यनारायण साह ने बताया कि पिछले दो वर्षों से यहां भव्य पूजनोत्सव का आयोजन मकर सक्रांति को ले होते आ रहा है। इस मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भव्य कलश यात्रा निकाली जाती रही है। जिसको लेकर इस वर्ष भी यह कलश यात्रा निकाली गयी है।मौके पर आयोजन व संचालक समिति के सत्यनारायण साह, मंदिर अध्यक्ष देवनारायण साह, अध्यक्ष राजेन्द्र साह, सचिव विनोद साह कोषा अध्यक्ष राजकुमार साह, सदस्य शंकर शाह ,धर्मेंद्र शाह ,चंदन शाह, जयदेव शाह, जगदेव साह, धीरज शाह, जयप्रकाश साह, जितेंद्र शाह महेश साह, सहदेव साह, मनोज साह, बाबू लाल साह, अनिल साह, दिनेश साह आदि थे।
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parichaytimes · 3 years
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COVID-19 के कारण घरेलू सत्र में कटौती के बाद BCCI ने प्रभावित खिलाड़ियों का बकाया चुकाना शुरू किया | क्रिकेट समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
COVID-19 के कारण घरेलू सत्र में कटौती के बाद BCCI ने प्रभावित खिलाड़ियों का बकाया चुकाना शुरू किया | क्रिकेट समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेटरों के लंबे समय से बकाया का भुगतान करना शुरू कर दिया है, जो 2020-21 सीज़न के कारण आर्थिक रूप से पीड़ित थे, जिसके कारण कटौती की गई थी COVID-19 वैश्विक महामारी। पिछले साल रणजी ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार आयोजित नहीं होने के बाद कई भारतीय क्रिकेटरों ने आर्थिक रूप से संघर्ष किया। महामारी के कारण महिलाओं के टी 20 खेलों पर भी रोक लगा दी गई थी। बीसीसीआई के एक वरिष्ठ…
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darkwombatnacho · 2 years
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News DATIA: श्रीकृष्ण महोत्सव में 5 5 कन्हैया , 45 राधाओं ने मोहा मन
News DATIA: श्रीकृष्ण महोत्सव में 5 5 कन्हैया , 45 राधाओं ने मोहा मन
 सर्वधर्म सद्भाव की मिशाल है, एनडीपीएस का श्री कृष्ण महोत्सव – अपर कलेक्टर कमलेशश्रीकृष्ण महोत्सव में 5 5 कन्हैया , 45 राधाओं ने मोहा मन सर्वधर्म सद्भाव की मिशाल है, एनडीपीएस का श्री कृष्ण महोत्सव – अपर कलेक्टर कमलेश महक अख्तर , रिमसा खान , अनश शाह ,सानिया अख्तर को आकर���षण , जयदेव अहिरवार को प्रथम दतिया:HN/18 वर्षों से डॉ.आलोक संस्थान का श्री कृष्ण महोत्सव अनूठा, सर्वधर्म सद्भाव बढ़ाने का…
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liajayeger1 · 2 years
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जोकिन ने आर्म्स ट्रॉफी में सार्जेंट का दावा किया
जोकिन ने आर्म्स ट्रॉफी में सार्जेंट का दावा किया
ट्रेनर शाज़ान शाह के जोकिन (एस. ज़र्वन अप) ने रविवार (10 अप्रैल) की दौड़ के मुख्य कार्यक्रम सार्जेंट एट आर्म्स ट्रॉफी का दावा किया। विजेता का स्वामित्व श्री जयदेव एम. मोदी प्रतिनिधि के पास है। जेएम लाइवस्टॉक प्राइवेट लिमिटेड और श्री आशीष किरण कपाड़िया। जॉकी पी. ट्रेवर ने दिन में तीन विजेताओं की सवारी की। 1. वी.आर. मेनन प्लेट (डीआईवी। II) (1,400 मी), सीएल। वी, रेटेड 4 से 30: मार्लबोरो मान (टीएस…
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crickettr · 3 years
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Whom Captain Rohit Sharma Handed The Trophy After T20I Series Win vs Sri Lanka
Whom Captain Rohit Sharma Handed The Trophy After T20I Series Win vs Sri Lanka
श्रीलंका पर तीसरे और अंतिम T20I में जीत के बाद, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ट्रॉफी लेने गए। इसके तुरंत बाद, उन्होंने इसे 3 मैचों की श्रृंखला के लिए बीसीसीआई के प्रतिनिधि जयदेव शाह को सौंप दिया। जयदेव सौराष्ट्र के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व सचिव और क्रिकेटर निरंजन शाह के बेटे हैं। उन्होंने 120 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और 29.91 की औसत से 5354 रन बनाए हैं। इसमें दस शतक और बीस अर्द्धशतक शामिल…
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abhay121996-blog · 3 years
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बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट के लिए सात सदस्यीय कार्य समूह का किया गठन Divya Sandesh
#Divyasandesh
बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट के लिए सात सदस्यीय कार्य समूह का किया गठन
मुंबई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह ने राज्य संघों को पत्र लिखकर उन्हें अवगत कराया है कि बोर्ड ने भारत में घरेलू क्रिकेट के लिए सदस्य संघों को शामिल करते हुए एक सात सदस्यीय कार्य समूह का गठन किया है।
समूह में रोहन जेटली (उत्तर क्षेत्र), युद्धवीर सिंह (मध्य क्षेत्र), जयदेव शाह (पश्चिम क्षेत्र), देवजीत सैकिया (उत्तर-पूर्व क्षेत्र), अविषेक डालमिया (पूर्वी क्षेत्र), और संतोष मेनन और मोहम्मद अजहरुद्दीन (दक्षिण क्षेत्र) शामिल हैं।
बीसीसीआई ने पहले ही भारत में घरेलू क्रिकेट की वापसी की घोषणा कर दी है। आगामी 2021-22 सीज़न के लिए – पुरुषों और महिलाओं की श्रेणियों में विभिन्न आयु समूहों में कुल 2,127 घरेलू मैच खेले जाने हैं।
बीसीसीआई की मीडिया एडवाइजरी के अनुसार, सीजन 21 सितंबर को सीनियर महिला एक दिवसीय लीग के साथ शुरू होगा और इसके बाद सीनियर महिला एक दिवसीय चैलेंजर ट्रॉफी होगी, जो 27 अक्टूबर से होगी।
यह खबर भी पढ़ें: इस मंदिर में कभी नहीं की जाती है भगवान की पूजा, वजह जानकर आप भी रह जाएंगें दंग
पुरुषों के टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से शुरू होंगे। टी20 टूर्नामेंट 20 अक्टूबर से शुरू होगा और फाइनल 12 नवंबर को खेला जाएगा।
प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी, जिसे पिछले सीजन में कोविड-19 महामारी के कारण रद्द कर दिया गया था, 16 नवंबर से 19 फरवरी, 2022 तक तीन महीने की विंडो में खेली जाएगी। विजय हजारे ट्रॉफी का आयोजन 23 फरवरी, 2022 से 26 मार्च, 2022 तक होगा।
गवर्निंग बॉडी ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “बीसीसीआई को खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ घरेलू सत्र की मेजबानी करने का भरोसा है और इसमें शामिल सभी लोग सर्वोपरि हैं।”
बता दें कि विजय हजारे ट्रॉफी इस साल मुंबई ने जीती थी जबकि तमिलनाडु ने जनवरी 2021 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जीती थी।
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khsnews · 3 years
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वर्किंग ग्रुप ने बीसीसीआई को ही दे दिया झटका! सभी आयु वर्ग के खिलाड़ियों के लिए मांगा मुआवजा
वर्किंग ग्रुप ने बीसीसीआई को ही दे दिया झटका! सभी आयु वर्ग के खिलाड़ियों के लिए मांगा मुआवजा
नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के घरेलू क्रिकेट के लिए नवगठित वर्किंग ग्रुप के सदस्य सौराष्ट्र के जयदेव शाह को लगता है कि सिर्फ रणजी खिलाड़ियों को ही नहीं बल्कि सभी आयु वर्ग के क्रिकेटरों को पिछले सत्र में मैच नहीं होने का मुआवजा मिलना चाहिए. सौराष्ट्र के पूर्व कप्तान जयदेव ने कहा कि क्रिकेटरों को किस तरह मुआवजा दिया जाएगा और इसकी राशि कितनी होगी. इस पर फैसला बीसीसीआई सचिव जय शाह और…
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mrdevsu · 3 years
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Mohammed Azharuddin, Rohan Jaitley Named In Group To Resolve Ranji Trophy Compensation Issue | Cricket News
Mohammed Azharuddin, Rohan Jaitley Named In Group To Resolve Ranji Trophy Compensation Issue | Cricket News
मोहम्मद अजहरुद्दीन भारत के पूर्व कप्तान हैं।© एएफपी भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन, डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली को सात सदस्यीय बीसीसीआई कार्य समूह में नामित किया गया है, जिसका गठन शनिवार को COVID-19 के कारण रणजी ट्रॉफी रद्द करने के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों को मुआवजा देने के फार्मूले पर फैसला करने के लिए किया गया था। सर्वव्यापी महामारी। पैनल के अन्य सदस्यों में सौराष्ट्र के जयदेव शाह,…
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hbadigitech · 3 years
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मोहम्मद अजहरुद्दीन, रोहन जेटली को रणजी ट्रॉफी मुआवजे के मुद्दे को हल करने के लिए समूह में नामित किया गया
मोहम्मद अजहरुद्दीन, रोहन जेटली को रणजी ट्रॉफी मुआवजे के मुद्दे को हल करने के लिए समूह में नामित किया गया
मोहम्मद अजहरुद्दीन भारत के पूर्व कप्तान हैं।© एएफपी भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन, डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली को सात सदस्यीय बीसीसीआई कार्य समूह में नामित किया गया है, जिसका गठन शनिवार को COVID-19 के कारण रणजी ट्रॉफी रद्द करने के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों को मुआवजा देने के फार्मूले पर फैसला करने के लिए किया गया था। सर्वव्यापी महामारी। पैनल के अन्य सदस्यों में सौराष्ट्र के जयदेव शाह,…
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onlinekhabarapp · 5 years
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साताका १० पुस्तक : बीपी र प्रचण्डदेखि मधेससम्म
दशैंलाई लक्षित गर्दै पुस्तक प्रकाशनको बाढी आउन थालेको छ । यो साता पनि नेपाली बजारमा दर्जन बढी पुस्तक प्रकाशित भएका छन् ।
किशोर र बालबालिकालाई लक्षित गरेर पनि बजारमा नयाँ-नयाँ पुस्तक आइरहेका छन् । केही किताबहरु राजनीतिक विषयमा आएका छन् भने केही भाषा साहित्यका विषयहरु समेटिएका पुस्तक बजारमा निस्केका छन् ।
यो साता प्रकाशित १० वटा पुस्तकबारे यहाँ छोटो चर्चा गरिएको छ ।
नेपाली मिथक कोश
लामो समयको अनुसन्धानपछि नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानले ‘नेपाली मिथक कोश’ प्रकाशन गरेको छ । पुस्तकमा अवधी, किरात राई, टोटेली, तमु, ताजपुरिया, तामाङ्, थारु, धिमाल, नेवारी बज्जिका, भोजपुरी, मगर, मैथली, लिम्बु, सुनुवार जाति, भाषा र परिवेशमा प्रयोग हुने मिथकहरुलाई सङ्कलन गरिएको छ ।
पुस्तकले नेपालमा बोलिने मुख्य भाषाहरुमा प्रचलित जातिका आदिम पूर्खासँग जोडिएका किम्बदन्तीहरुलाई शुत्रबद्ध गरेको छ । पुस्तकमा सम्बन्धित जातिका धर्म, संस्कार र रीतिथितिसँग सम्बन्धित कथाहरुलाई पनि ठाउँ दिएको छ ।
पुस्तकलाई प्राज्ञ श्रवण मुकारुङले संयोजन गरेका हुन् । मुकारुङलाई विप्लव ढकाल, धर्मेन्द्र झा, राजन मुकारुङ र धर्मेन्द्रविक्रम नेम्वाङले सम्पादनमा साथ दिएका थिए ।
स्मृतिमा छाडेर जानेहरु
नेपाली साहित्यलाई विशेष योगदान दिने साहित्यकारहरुको स्मृतिपरक अभिलेख हो स्मृतिमा छाडेर जानेहरु । साहित्यिक अन्वेषक एवं साहित्यिक पत्रकार जयदेव भट्टराईले यो कृतिमा नेपाली साहित्यका महत्वपूर्ण व्यक्तिहरुको अभिलेखलाई उतारेका छन् ।
पुस्तकमा डायमनशम्सेर राणा, गोविन्द गोठाले, बालकृष्ण पोखरेल, फणीन्द्रराज खेताला, कमलमणि दीक्षित, कृष्णचन्द्रसिंह प्रधान, पुण्यरश्मि खतिवडा, बुलु शर्मा, देवी शर्मा, सुन्दरप्रसाद शाह दुखी, शिव रेग्मी, जगदीशसमशेर राणा, शिव रेग्मी, जगदीश घिमिरे, दैवज्ञराज न्यौपाने, प्रेमा शाह, मनु ब्राजाकी, कृष्णभूषण बल आदिसँगका संस्मरण र उनीहरुका शब्दचित्र प्रस्तुत गरिएको छ ।
इतिहासकार एवं दुई दर्जनभन्दा बढी कृतिका लेखक गुणदेव भट्टराईको एघारौं वाषिर्कीको अवसरमा छोराले दिएको यो महत्वपूर्ण कृतिलाई आधुनिक श्राद्ध नाम दिइएको छ ।
लेखक भट्टराईका मौलिक र सम्पादित गरी एक दर्जन कृति प्रकाशमा आइसकेका छन् । मधुपर्क मासिकका सम्पादक भट्टराई विगत ३३ वर्षदेखि लेखन क्षेत्रमा क्रियाशील छन् ।
नेपालका राष्ट्रिय चाडपर्व
नेपालीको घर आँगनमा दशैं, तिहार, छठ, माघी जस्ता पर्व आएपछि पत्रपत्रिकामा यससम्बन्धी लेखहरु पनि प्रकाशित हुन्छन् । ती लेखहरुमध्ये अधिकांश लेख डा. ऋषिप्रसाद शर्माका हुने गरेका छन् । यिनै लेखहरुको सङ्ग्रह हो, नेपालका राष्ट्रिय चाडपर्व नामक पुस्तक ।
पुस्तकमा नेपालमा सार्वजनिक विदा दिइने धेरैजसो पर्वका बारेमा विवरणहरु दिइएको छ । पत्रपत्रिकामा स्थान अभावले स-सानो लेख लेख्नुपरेका कारण पुस्तक लेख्नु परेको लेखक शर्माले बताएका छन् ।
प्रत्येक पर्वका मिथक र सामाजिक रीतिथितिलाई सत्यको नजिक ल्याएर पुस्तकलाई आधिकारिता दिने प्रयास गरिएको छ ।
लोकतन्त्र र आजको मार्क्सवाद
प्राध्यापक चैतन्य मिश्र कहलिएका विद्वान हुन् । पूँजीवादको सुधारमा निरन्तर कलम चलाउने उनी मार्क्सवादी दर्शनका कमजोरी खोतल्न पनि माहिर छन् । उनका हरेक लेख नेपाली लेखकका लागि सन्दर्भ ग्रन्थ मानिन्छन् ।
यिनै लेखकको नयाँ पुस्तक बजारमा आएको छ । दुई दशक यता नेपाली कम्युनिस्ट आन्दोलनका जगमा उभिन थालेको नेपाली समाजका बारेमा लेखिएको यो पुस्तकमा मार्क्सवादका कमजोरी पनि केलाइएको छ । चैतन्यको यो पुस्तक राजेन्द्र महर्जनले संकलन तथा सम्पादन गरेका हुन् । पुस्तकले नेपाली पूँजीवाद र खुला अर्थतन्त्रमा मिसिएको मार्क्सवादी राजनीतिलाई राम्रोसँग प्रस्तुत गरेका कारण पनि यो पुस्तक सङ्ग्रहणीय बनेको छ ।
बीपी कोइरालाको डायरी
प्रतिभाशाली व्यक्तिहरु दैनिक डायरी लेख्छन् । आफूले गरेका गल्तीहरु त्यसमा उल्लेख गर्छन् । यस्ता गल्तीहरुलाई पछिल्लो अवधिमा सच्याउँछन् । साहित्यकार एवं राजनीतिज्ञ बीपी कोइराला पनि नियमित डायरी लेख्थे ।
जेल जीवनका धेरैजसो डायरीहरु पुस्तकका रुपमा प्रकाशन भइसकेका छन् । २००८ देखि २०१३ सम्म लेखिएका प्रकाशन हुन बाँकी डायरीलाई यसपटक शिखा बुक्सले प्रकाशन गरेको छ ।
पुस्तकमा राजनीतिक, साहित्य र कतिपय ठाउँमा नितान्त व्यक्तिगत कुराहरु उल्लेख गरिएका छन् । यसमा दाजु मातृकाप्रसाद कोइरालसँगको राजनीतिक द्वन्द्वलाई गम्भीर रुपमा उल्लेख गरिएको छ ।
अंग्रेजी भाषामा लखिएका डायरीहरुलाई कोइराला परिवारका नजिकका मित्र पदमबहादुर थापाले सङ्कलन गरेको बताइएको छ । यसलाई महेश पौडेलले नेपाली भाषामा अनुवाद गरेका हुन् ।
प्रचण्ड : जनयुद्धका नायक
रामप्रसाद खरेल पूर्वी नेपालको सुनसरीलाई कर्मथलो बनाएर साहित्य र राजनीतिमा सक्रिय लेखक हुन् । उनी कम्युनिस्ट आन्दोलनलाई विभिन्न हिसावले लेखनको विषयमा बनाउँछन् ।
‘प्रचण्ड : जनयुद्धका नायक’ पुस्तकमा नेपालको कम्युनिस्ट आन्दोलनका विभिन्न चरणहरुका विवरणहरु छन् । तीमध्ये जनयुद्धलाई केन्द्रमा राखेर पुस्तक लेखिएको छ । जनयुद्ध गर्न किन आवश्यक थियो भन्ने विषयमा लेखकले त्यसभित्रका हिंसाको अनिवार्यताका विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत गरेका छन् । पुस्तकमा प्रचण्डको राजनीति गर्ने कार्यकौशलको प्रसंसा गरेका छन् ।
मधेस र मधेसी आन्दोलन
कृष्णराज वर्मा नेपाली कम्युनिस्ट आन्दोलनका पुराना कार्यकर्ता हुन् । मधेशमैं सात दशकभन्दा बढी राजनीति गरेका वर्मा मधेशी समाज र मधेशी व्यवहारका जानकार पनि हुन् । आफूले बाँचेको समाजलाई माक्र्सवादी दृष्टिकोणबाट ब्याख्या गर्दै बर्माले लेखेको पुस्तक ‘मधेस र मधेसी आन्दोलन’ ले एकसाथ समाज र यसको क्रान्तिकारी चरित्र प्रस्तुत गरेको छ ।
पुस्तकमा राज्यले मधेसीमाथि गरेको विभेदको चिरफार गरेको छ । यसमा मधेसी आन्दोलनका सकारात्मक पाटो र कमजोरी पक्ष पनि केलाइएको छ । मधेस आन्दोलनका बेला पहाडे समुदायमाथि गरिएको अत्यचारलाई पनि पुस्तकले राम्रै ठाउँ दिएको छ । मधेस आन्दोलनका आएका पुस्तकमध्ये यो केही फरक देखिन्छ ।
सन्नाटाको लय
सन्नाटाको लय कवि नरेन्द्रकुमार नगरकोटीको आख्यानको झलक आउने कविता सङ्ग्रह हो । सङ्ग्रहमा भूईं मान्छेका पीडाहरुलाई लयात्मक ढंगले प्रस्तुत गरिएको छ । पुस्तकमा २८ कविताहरु सङ्ग्रहित छन् । कविताका प्रत्येक हरफले पुराना कुरालाई नयाँ ढङ्गले प्रस्तुत राख्ने क्षमता राख्छन् ।
पुस्तकका सन्नाटाको लय, ढुकढुकीको आवाज र मार्च ८ मा बाको सम्झना विशेष छन् ।
परिवर्तनका लागि विवेकशीलता
गैरआख्यानमा पनि फरक-फरक विषयवस्तु अटाउन सक्छन् । यो पुस्तकमा मानिस हुनुको अर्थलाई विभिन्न तरिकाले बुझाउने प्रयास गरिएको छ ।
मानिस बाँच्नु भनेको बेहोसीमा समय बिताउनु होइन, विवेकशील र चेतनशील भएर जीवनलाई अनुभव गर्नु हो । यस्ता चेतनशील मानिसले नै समाज र देशलाई योगदान दिन सक्छन् भन्ने कुरा पुस्तकमा उल्लेख गरिएको छ ।
समाजशास्त्री शेखर ढुंगेलले विवेकशील मानिस हुनुका केही उदाहरण दिएका छन् । जसले प��स्तकलाई ओजिलो बनाएको छ ।
डेड शु��्रबीर
उपन्यास लेखनमा नयाँ नयाँ शैली आइरहेका छन् । डेड शुक्रबीर नयाँ शैलीमा आएको उपन्यास हो । यसमा राजनीतिक, सामाजिक विषयमा प्रेम, यौन र युद्धलाई एकै ठाउँमा मिसाइएको छ । समाज मनोविज्ञानलाई आधारित बनाएर लेखिएको यो पुस्तक टि एन भट्टले लेखेका हुन् ।
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यो पनि पढ्नुहोस साताका दर्जन पुस्तक  :  प्राथमिकतामा विकास र यौनहिंसा
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newsindiax · 5 years
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खेल डेस्क. रविंद्र जडेजा पश्चिम बंगाल के खिलाफ 9 मार्च से शुरू हो रहे रणजी ट्रॉफी फाइनल में नहीं खेल सकेंगे। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन (एससीए) की जडेजा को खिलाने की मांग ठुकरा दी। गांगुली ने एससीए प्रेसिडेंट से कहा कि देश पहले है, लिहाजा जडेजा को रणजी फाइनल खेलने की मंजूरी नहीं दी जा सकती। दरअसल, टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला वनडे 12 मार्च को खेलना है। इस दौरान रणजी फाइनल चल रहा होगा। पश्चिम बंगाल 13 साल बाद रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंची है। सौराष्ट्र ने लगातार दूसरी बार फाइनल में जगह बनाई।
देश सबसे पहले अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में एससीए प्रेसिडेंट जयदेव शाह ने कहा- मैंने गांगुली से जडेजा को रणजी फाइनल खेलने देने की मंजूरी मांगी थी। लेकिन, बीसीसीआई ‘देश पहले’ की नीति पर चलता है। इसलिए, बीसीसीआई प्रेसिडेंट ने जडेजा को रणजी फाइनल में खिलाने की इजाजत नहीं दी। शाह के मुताबिक, जब रणजी ट्रॉफी फाइनल चल रहा हो तब अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं होने चाहिए। शाह ने कहा, “अगर बीसीसीआई ये चाहता है कि घरेलू मैच देखने ज्यादा से ज्यादा दर्शक आएं तो उसे रणजी फाइनल के वक्त इंटरनेशनल मैच नहीं कराने चाहिए। क्या बोर्ड आईपीएल के दौरानइंटरनेशनल क्रिकेट मैच कराता है? कम से कम स्टार प्लेयर्स रणजी के फाइनल में तो खेल सकें?” शाह सौराष्ट्र के कप्तान भी रह चुके हैं।
पुजारा और साहा खेल सकते हैं माना जा रहा है कि चेतेश्वर पुजारा सौराष्ट्र और ऋद्धिमान साहा बंगाल की तरफ से रणजी फाइनल खेल सकते हैं। जडेजा के साथ दिक्कत ये है कि वो टीम इंडिया में शामिल हैं और उन्हें 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे में उतरना है। बीसीसीआई ने इसीलिए इस भारतीय ऑलराउंडर को रिलीज करने से इनकार किया है। हालांकि, शाह इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है, “बेहतर होता, अगर रविंद्र सौराष्ट्र के लिए रणजी फाइनल खेलते। और सिर्फ वो ही क्यों? मैं तो चाहता हूं कि मोहम्मद शमी भी फाइनल में बंगाल टीम का हिस्सा हों।”
राजकोट में होगा फाइनल सौराष्ट्र ने सेमीफाइनल में गुजरात को 91 रन से हराकर फाइनल में जगह बनाई। वहीं, बंगाल ने कर्नाटक जैसी मजबूत टीम को 174 रन से पटखनी देकर फाइनल का टिकट पक्का किया। सौराष्ट्र अपने घरेलू मैदान राजकोट में फाइनल खेलेगा। कप्तान जयदेव उनादकट को इस बात की खुशी है कि पुजारा फाइनल खेलेंगे। उन्होंने कहा, “मैं चिंटू (पुजारा) के लगातार संपर्क में हूं। तब वो न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज खेल रहे थे। हमारे टॉप ऑर्डर ने बहुत ज्यादा स्कोर नहीं किया है। लिहाजा, पुजारा की वापसी बेहद खास होगी।”
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रविंद्र जडेजा पश्चिम बंगाल के खिलाफ सौराष्ट्र की तरफ से रणजी ट्रॉफी फाइनल नहीं खेलेंगे। (फाइल)
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khelpatra · 6 years
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पंजाब ने युवराज और दिल्ली ने गंभीर को दिया बड़ा झटका, आईपीएल-19 में नहीं मिली टीम में जगह
सनराइजर्स हैदराबाद से रिद्धिमान शाह की भी हुई छुट्टी
खेलपत्र नमस्कार। इंडियन प्रीमियर लीग आईपीएल 2019 के लिए अगले महीने से शुरू होने वाली नीलामी से पहले टीम इंडिया के विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह को टीम से हटा दिया है, जबकि राजस्थान रॉयल्स ने भी बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को इस साल के शुरू में 11.5 करोड़ रुपए की राशि देने के बाद अब टीम से बाहर कर दिया है।
ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज जॉन हेस्टिंग्स ने क्रिकेट से लिया संन्यास, बॉलिंग करते हुए…
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तीन तलाक से आगे जाकर भारतीय समाज में नारी के खिलाफ घरेलू हिंसा खत्म होना ज्यादा जरूरी सभी महिलाओं को गरिमा और समानता दें तीन तलाक फिर खबरों में है और ज्यादातर गलत कारणों से। यह इस्लामी कानून में सिर्फ मुंह से कहकर विवाह खत्म करने का मुस्लिम पति का अधिकार है। आज तो वह ऐसा एसएमएस भेजकर अथवा वॉट्सएप के जरिये कर सकता है। मोदी ने चाहे बिल्कुल अलग ही बात कही हो लेकिन, इस विवादास्पद प्रक्रिया को खत्म करने के लिए भाजपा के उत्साह का संबंध मुस्लिम महिला के प्रति करुणा की बजाय समान नागरिक संहिता और हिंदू राष्ट्र के प्रति इसकी प्रतिबद्धता है। शाह बानो मामले के बाद तो मुस्लिम महिलाओं को संरक्षण देने का कांग्रेस का रिकॉर्ड तो और भी खराब है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने तलाक की इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई प्रारंभ कर दी है। नतीजा क्या होगा कहना कठिन है। समाधान न तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रस्ताव के मुताबिक सामाजिक बहिष्कार में है और न सिर्फ कानून में बदलाव करने से यह होगा। अ��ली समाधान तो मानसिकता में पूरी तरह बदलाव से आएगा। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम समुदाय के अग्रणी लोगों से आग्रह किया कि वे समुदाय के भीतर से सुधार की शुरुआत करें। वे उनसे मिलने आए प्रमुख मुस्लिम संगठन जमायत उलेमा-ए-हिंद के नेताओं से चर्चा कर रहे थे। बेशक, यह बहुत समझदारीभरा सुझाव है। तीन तलाक जैसे सामाजिक मुद्‌दे न तो राजनीतिक अथवा धार्मिक जोर-शोर की गई बातें से और न मीडिया ट्रायल से सुलझाए जा सकते हैं। संबंधित लोगों के दिल और दिमाग को बदलना होगा। न यह लखनऊ में पिछले माह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा सुझाए ऐसे लोगों के बहिष्कार जैसे आदर्शवादी कदम से संभव है। ऐसे बहिष्कार कितने असरदार होंगे और इसका अधिकार किसके पास होगा? उस बेचारी महिला को फायदा कैसे मिलेगा, जिसकी ज़िंद���ी बर्बाद हो गई है? तीन तलाक उन पुरुषों के लिए समस्या नहीं है, जो वाकई अपनी शादी हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं। समस्या उन सैकड़ों अन्य पुरुषों की है, जो बिना सोचे समझे इसे बोल देते हैं- गुस्से में या अचानक उकसाने पर अथवा जरूरत से ज्यादा शराब पी लेने पर और फिर बाद में पछताते हैं। धार्मिक नेता जोर देते हैं कि तीन तलाक का उच्चार ही किसी शादी को खत्म करने के लिए काफी है, फिर उस पुरुष का इरादा कुछ भी क्यों न हो और बाद में पछता ही क्यों न रहा हो। वे उस युगल को गरिमाहीन हलाला की प्रथा का अनुसरण करने को कहते हैं। जिसे बदलने की जरूरत है वह एकतरफा तलाक का कानून है, वह भी पुरुष की मर्जी से। मुझे लगता है कि तीन तलाक की घटनाएं बहुत अधिक नहीं है- आमतौर पर मुस्लिमों में तलाक कम ही होते हैं, शायद उससे अधिक नहीं, जितने हिंदुओं में होते हैं। मानव गरिमा का असली मुद्‌दा तो घर में उसके साथ हिंसा की वैश्विक समस्या है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में सारे समुदायों को मिलाकर सिर्फ दो-तिहाई महिलाएं ही घरेलू हिंसा की रिपोर्ट कराती हैं। यदि हमें महिलाओं की गरिमा की चिंता है तो हमें इस सामाजिक बुराई से सबसे पहले निपटना चाहिए। यहां भी जवाब इस बात में नहीं है कि शराब पीने पर बिना सोचे-समझे प्रतिबंध लगा दिया जाए बल्कि समाधान इस बात में है कि कच्ची उम्र से ही लड़के-लड़कियों को महिलाओं की गरिमा का सम्मान करने की शिक्षा देनी चाहिए। यह न सिर्फ मुस्लिमों के लिए बल्कि अन्य समुदायों के लिए सबक है, जिनके निजी कानून चाहे अधिक उदार होंगे लेकिन, व्यवहार में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अरस्तु की सोच यह थी कि पुरुष प्राकृतिक रूप से श्रेष्ठ हैं और महिलाओं की भूमिका सिर्फ संतानोत्पत्ति और घर में पुरुषों की सेवा करना है। शुरुआती ईसाई चर्च ने इस असमानता को संस्थागत रूप दिया। भारत में मनु ने यही किया। सामाजिक संहिता बनाई गई, जिसके तहत महिलाओं को पितृसत्तात्मक ब्राह्मण समाज में दोयम दर्जा स्वीकार करने के लिए ढाला। नारीवादियों की दलील हैं कि सीता, सावित्री और अन्य तरह की कहानियां इसीलिए गढ़ी गई ताकि महिलाएं खुद ही दोयम भूमिका स्वीकार कर लें। बड़ी अजीब बात है कि 12वीं सदी का रूमानी प्रेम महिलां के लिए कुछ हद तक समानता और स्वतंत्रता लाया और इसने गहराई से जमे सामाजिक बंधनों को तोड़ा। रूमानी प्रेम व्यक्तिनिष्ट है और इसने प्रेयसी को श्रेष्ठतर मानव के रूप में प्रतिष्ठित किया। इस तरह महिला वस्तु की बजाय व्यक्ति बनी। यह सोचना गलतफहमी है कि यह प्रेम पश्चिम में जन्मा। यह दुनिया के तीन भागों में एक साथ पैदा हुआ और तीन असाधारण साहित्यिक कृत्रियों में व्यक्त हुआ। यूरोप में यह बेडियर के ‘ट्रिस्टन एंड इसोल्ड’ में, इस्लामी फारस में यह निज़ामी के ‘लैला-मजनूं’ और भारत में जयदेव के ‘गीत गोविंद’ में ‘राधा-कृष्ण’ के दिव्य प्रेम में यह व्यक्त हुआ। रूमानी प्रेम के पहले केवल दैहिक प्रेम था, जिसमें नारी केवल वस्तु थी, व्यक्ति नहीं। पश्चिम में रूमानी आंदोलन 18वीं सदी के पुनर्जागरण काल में जन्मा। इसकी एक प्रेरणा इमेन्युुअल कांट का नैतिक नियम था- मानव को साधन नहीं, उद्‌देश्य की तरह अपनाओ और इससे महिलाओं को गरिमा प्राप्त हुई। आधुनिक विवाह इसी समय जन्मा। 19वीं सदी में महिलाओं ने भी मताधिकार के लिए लड़कर पुरुष प्रभुत्व को चुनौती दी। बीसवीं सदी के नारी आंदोलन ने पश्चिमी समाज में बहुत प्रभावी बदलाव लाया। खासतौर पर विवाह में जिसमें ‘नो फाल्ट’ डिवोर्स, गर्भपात व संपत्ति का अधिकार और कार्यस्थल पर बेहतर वेतनमान शामिल है। भारत में चाहे अब भी ‘अरेंज मैरिज’ है पर यह इसमें धीरे-धीरे ‘लव मैैरिज’ की बातें अा रही हैं। बॉलीवुड के प्रभाव से शहरी मध्यवर्गीय पुरुष अब उतने हावी होने वाले नहीं है और महिलाएं भी अपना वजूद बना रही हैं। यह चलन आगे बढ़ेगा पर हमें विवाह व परिवार टूटने से बचाने होंगे, जो पश्चिम में हुआ है। हां, तीन तलाक तो जाना ही चाहिए पर हमें इसके आगे जाना होगा। महिलाओं को गरिमा, समानता और आत्मसम्मान देने के लिए सभी भारतीयों के दिलो-दिमाग बदलने चाहिए। कानून में बदलाव तो शुरुआत है जैसाकि महात्मा गांधी कहा करते थे। भारतीयों को आधुनिकता के आदर्शों को आत्मसात करना होगा न कि पश्चिम का केवल अनुकरण। गांधीजी का विचार था कि स्वतंत्रता और समानता के विचार हमारे साधारण धर्म के रूप में व्यक्त होने चाहिए।
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sufinama-blog · 7 years
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Indian Sufism
हिंदुस्तान सदियों से सांस्कृतिक चेतना एवं वैचारिक चिंतन की  उर्वर भूमि रहा है . कोस कोस पर बदलती भाषाएं, पहनावे एवं मौसम इस संस्कृति की विविधता को जाने किस रंग में रंगते हैं कि दिलों में एकता और सद्भाव  का रंग गाढ़ा और गाढ़ा होता चला जाता है . हिंदुस्तान में सूफियों का आगमन एक खुशबू कि तरह हुआ था जो यहाँ की आवो हवा और इसकी संस्कृति में ऐसी घुली कि पूरा हिंदुस्तान आज भी इस साझी संस्कृति की खुशबू से महक रहा है .सुल्ह ए कुल और भाईचारे का सन्देश देते ये सूफी हिंदुस्तान में नफरत की तलवार नहीं बल्कि प्रेम का सुई धागा लेकर दाखिल हुए थे . बारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जब भारत में पहला सूफी सिलसिला ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती द्वारा पहली दफा स्थापित हुआ वह काल हिंदुस्तान में वीरगाथा कवियों और नाथ सिद्धों का था . रासो काव्य अपने चरम पर था. एक तरफ जहाँ चंदवरदाई जैसे कवि पृथ्वीराज रासो जैसे महाकाव्य लिख रहे थे वहीं दूसरी तरफ जयदेव जैसे कवि गीतगोविन्द जैसे अमर महाकाव्य लिख रहे थे. सूफी स��तों के भारत में पदार्पण से पहले ही तसव्वुफ़ आम जन में लोकप्रिय हो चुका था और लोग इन्हें बेहद सम्मान की दृष्टि से देखते थे. हालाँकि तब तक तसव्वुफ़ के सारे बड़े नाम अरब, फारस, मध्य एशिया एवं स्पेन से थे . 
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भारत अपने आप में एक अनोखा मुल्क रहा है . यह वो वाहिद खित्ता है जहाँ अलग अलग संस्कृतियां आकर आपस में यूँ घुल मिल गयीं कि एक साझी संस्कृति का खमीर तैयार हो गया जिससे हमारी मौजूदा जंगा जमुनी तहज़ीब का निर्माण हुआ . सूफी भारत में फ़ारसी, तुर्की और अरबी बोलते हुए आये थे पर हिंदुस्तान में आकर बसने के बाद सूफियों ने कई भारतीय भाषाओँ में कलाम कहे और ग्रन्थ लिखे. इनकी रचनाओं में तसव्वुफ़ के सिद्धांतो के साथ साथ भारतीय रंग भी इतना दिखा कि इस पूरी यात्रा को हिंदुस्तानी तसव्वुफ़ कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी . तसव्वुफ़ के इतिहास और इसकी शिक्षाओं पर हज़ारों किताबें लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं . हम इस यात्रा के कुछ दिल छू लेने वाले पड़ावों का ज़िक्र करते हैं जिन पड़ावों को हम हिंदुस्तानी तसव्वुफ़ कह सकते है और जिसका रंग पूरी दुनियां में और कहीं नहीं मिलता.
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हिंदुस्तान में  सूफियों ने आपसी सद्भाव और भाईचारे का न सिर्फ सन्देश दिया बल्कि अपने जीवन की सादगी से भी हज़ारों को प्रभावित किया .हिन्दू  और मुस्लिम संस्कृतियों  का आपस   में मेल जोल  भी सूफियों के प्रयासों   की ही देन  है .बाबा  फरीद  और हज़रत निजामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाहों में योगियों और पंडितों का आना जाना लगा रहा था हज़रत अमीर खुसरौ ने हिन्दवी और फ़ारसी में कलाम लिखे जो आज भी जनमानस की बीच प्रचलित हैं और गाये जाते हैं . सूफी खानकाहें शायद एक मात्र ऐसी जगह थी जहाँ जाति, धर्म और संप्रदाय से पृथक एक साथ बैठकर स्वछन्द चर्चाएं होती थी .तेरहवी शताब्दी की पूर्वार्ध में शेख हमीदुद्दीन नागौरी ने राजस्थानी किसान का जीवन चुना . वो आम लोगों की तरह शाकाहारी खाना खाते थे और हिन्दवी बोलते थे . उन्होंने बादशाह द्वारा एक गाँव का फतूह अस्वीकार कर दिया और एक बीघे पर खुद खेती करके जीवनयापन करते थे .उनकी पत्नी आम राजस्थानी औरतों की तरह गाय का दूध निकालती थीं और कपड़े सीती थीं .उनकी इस मानवीय सरल जीवन शैली ने काफी लोगों को आकर्षित किया.
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  कश्मीर सुल्तान जैनुल अबिदीन (१४२०-७० ) ने संस्कृत ज़ुबान को खूब बढ़ावा दिया और कई किताबों का  संस्कृत से फ़ारसी और कश्मीरी में अनुवाद करवाया .उसी के काल में कश्मीरी कवि और इतिहासकार श्रीवर ने कथाकौतुक लिखी जो मुल्ला जामी के युसूफ ज़ुलेखा का संस्कृत अनुवाद है . बंगाल के सुल्तान हुसैन (१४९३ -१५१९) और उसके पुत्र नुसरत शाह ने बंगाली वैष्णव साहित्य को आश्रय दिया और उसके ही प्रयासों के फलस्वरूप रामायण और महाभारत का बंगाली भाषा में अनुवाद हुआ . दारा शिकोह (१६१५ -१६५९) ने खुद भागवद गीता और ५२ उपनिषदों का फ़ारसी में तर्जुमा किया .उसकी दो रचनायें रिसाला ए  हकनुमा और मजमा उल बहरैन हिन्दू - मुस्लिम विचारों के आदान प्रदान की जीवंत मिसालें हैं .दारा शिकोह ने लघु योग वशिष्ठ का दोबारा  फ़ारसी में तर्जुमा करवाया, उसने दलील दी कि इसके पहले के तर्जुमे सही ढंग से अनुवादित नहीं हुए हैं .इस किताब की भूमिका की अनुसार ख्वाब में दारा शिकोह ने भगवन राम और ऋषि वशिष्ठ को देखा. ऋषि वशिष्ठ ने उनसे फ़रमाया कि दारा और श्री राम दोनों भाई थे क्युकी दोनों ने सत्य की लिए लड़ाई लड़ी थी .उसके बाद ख्वाब में श्री राम ने दारा को गले लगाया और वशिष्ट मुनि द्वारा दी गयी मिठाइयां भी खिलाई .इस ख्वाब का दारा पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने पूरी किताब का अपनी निगरानी में दोबारा अनुवाद करवाया . 
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कृष्ण मिश्र के फ़लसफ़ियाना विषय को मौजूं बनाने वाले ड्रामे प्रबोध चंद्रोदय का अनुवाद वाली राम ने गुलज़ार ए हाल के नाम से किया .श्री शंकराचार्य लिखित आत्म विलास का फ़ारसी में अनुवाद चंद्रभान ब्राह्मण ने नाज़ुक खयालात के नाम से किया .चंद्रभान ब्राह्मण दारा शिकोह के वज़ीर थे और उन्होंने दारा शिकोह के बाबा लाल बैरागी के साथ हुए संवाद को कलमबद्ध किया है .दारा शिकोह के प्रयत्नों के फलस्वरूप अब्दुल रहमान चिश्ती ने मिररत उल हक़ायक़ लिखी जो भागवद गीता की सूफी शरह है . अल ग़ज़ाली की किताब कीमिया ए सादात का हिंदी अनुवाद पारस प्रभाग का पाठ आज भी भारतीय आश्रमों में नियमित होता है . 
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शेख खटटू ने गुजरती भाषा में कलाम लिखे .कश्मीर में ऋषि सिलसिला के संतों ने भी लोक व्यवहार को देखकर शाकाहार अपनाया और सब धर्मों के लोगों में अपनी बात पहुचायी.
सूफी ख़ानक़ाहों में आज भी आम हिन्दवी  बोलचाल के शब्द जैसे भाई , माई, बेटा, भाभी इत्यादि मिल जाते हैं .हज़रत निजामुद्दीन औलिया भी ठेठ बदायुनी ज़ुबान में लड़कों को लाला कहकर बुलाया करते थे . 
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सूफियों ने भारतीय साहित्य को ही उर्वर नहीं किया वरन भारत की सम्प्रभुता के लिए भी उन्होंने संघर्ष किया .जहाँ चिश्ती सूफियों ने बादशाहों के दरबार में जाने का विरोध किया वहीँ  भारतीय स्वतंत्रता की पहली लड़ाई सूफियों और निर्गुणी संतों ने ही १७७६ में सन्यासी फ़क़ीर आंदोलन की अगुवाई की जिसमे सूफी संतों और एक डंडी सन्यासियों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का बिगुल छेड़ा था . इस आंदोलन का नेतृत्व मजनू शाह मलंग, टीपू शाह और भवानी पाठक ��ैसे नेताओं ने किया था .
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 सूफी भारतीय संस्कृति में आकर ऐसे रच बस गए जैसे कोई फ़ना होकर बक़ा रहता है, बक़ौल सूफी जो बंदा ए ख़ास होता है वो बंदा ए आम होता है. हिंदुस्तानी तसव्वुफ़ ���ा सफर रंगों  का सफर है  और यह रंग  वो रंगरेज़  है  जो अपने साथ साथ तमाम दिलों को मुहम्मत के रंग से सराबोर कर देता है 
-Suman Mishra
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आईपीएल: नायर का चला बल्ला, पुणे को 169 रनों की चुनौती has been published on PRAGATI TIMES
आईपीएल: नायर का चला बल्ला, पुणे को 169 रनों की चुनौती
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| करुण नायर (64) की अर्धशतकीय पारी के दम पर दिल्ली डेयरडेविल्स ने इंडियम प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण के 52वें मैच में शनिवार को राइजिंग पुणे सुपरजाएंट के सामने 169 रनों का लक्ष्य रखा है।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी मेजबान दिल्ली ने अपने घर फिरोज शाह कोटला मैदान पर निर्धारित 20 ओवरों में आठ विकेट खोकर 168 रन बनाए। दिल्ली की शुरूआत खराब रही। संजू सैमसन (2) और पिछले मैच के हीरो श्रेयस अय्यर (3) नौ के कुल स्कोर तक ही पवेलियन लौट गए थे। इसके बाद ऋषभ पंत ने नायर का अच्छा साथ दिया और तीसरे विकेट के लिए 6.4 ओवरों में 11.10 की औसत से 74 रनों की साझेदारी की। चौथा ओवर लेकर आए वॉशिंगटन सुंदर के ओवर में पंत ने एक छक्का और नायर ने दो चौके जड़े। अगला ओवर लेकर आए बेन स्टोक्स के ओवर में नायर ने तीन चौके मारे। यहां से इन दोनों ने जिस अंदाज में बल्लेबाजी शुरू की उसे कायम रखा और पुणे के गेंदबाजों पर लगातार बड़े शॉट खेलते रहे। नौवां ओवर लेकर आए एडम जाम्पा की पहली गेंद पर पंत ने चौका मारा और फिर चौथी गेंद पर मिडविकेट पर छक्का लेकिन अगली ही गेंद पर एक और बड़ा शॉट मारने के प्रयास में वह डेनियल क्रिस्टियन के हाथों लपके गए। पंत ने 22 गेंदों में चार चौके और दो छक्कों की मदद से 36 रन बनाए। पंत के जाने के बाद आए मार्लन सैमुएल्स जब लय में आते नजर आ रहे थे तभी 27 रनों के निजी स्कोर पर डेनियल क्रिस्टियन की गेंद पर धौनी ने उनका शानदार कैच पकड़ा। सैमुएल्स ने 21 गेदों में दो छक्के और एक चौका लगाया। कोरी एंडरसन (3) कुछ कर पाते इससे पहले ही धौनी ने सुंदर की गेंद पर पलक झपकते ही उनकी गिल्लियां बिखेरीं। इसी ओवर में एक गेंद बाद नायर ने अपने पचास रन पूरे किए, जिसके लिए उन्होंने 37 गेंदें खेलीं। यह नायर का इस आईपील में पहला अर्धशतक है। एक छक्के की मदद से छह गेंदों में 11 रन बनाने वाले पैट कमिंस को स्टोक्स ने बोल्ड किया। वह 140 के कुल स्कोर पर पवेलियन लौटे। नायर को स्टोक्स ने 162 के कुल स्कोर पर आउट किया। बड़ा शॉट खेलने गए नायर के बल्ले का गेंद ने ऊपरी किनारा लिया और उनादकट ने पीछे भागते हुए उनका शानदार कैच पकड़ा। नायर ने 45 गेंदों में नौ चौकों की मदद से शानदार पारी खेली। मोहम्मा शमी ने दो रन बनाए। अमित मिश्रा 13 रन बनाकर नाबाद लौटे। पुणे की ओर से जयदेव उनादकट और बेन स्टोक्स ने दो-दो विकेट लिए जबकि एडम जाम्पा, वाशिंगटन सुंदर और डेनियल क्रिस्टीयन को एक-एक सफलत मिली।
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