#जय सिया राम
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DAY 6130
Jalsa, Mumbai Dec 1, 2024/Dec 2 Sun/Mon 12:09 am
🪔 ,
December 02 .. birthday greetings to Ef AMIT Lahoti .. 🙏🏽❤️🚩
December 01 .. birthday greetings to Ef Shiladitya Mitra .. Ef Ashok Mistry .. and Ef Dr. Yvonne Nyake Ndelle from Canada 🇨🇦 .. 🙏🏽❤️🚩
देरी के कारण जो कष्ट हुआ उसके लिए क्षमा !!
सोचा था , जो सोचा वो सोच , सोचने के लिए उपयुक्त नहीं , अब जो सोच लिया , तो उसे सोचने के लिए सोच लीजिए
🤣
and as always the apprehension on the 5.30 pm GOJ .. will they be there or not .. and the apprehension continues even after the apprehension has left us .. or rather left me ..
there is wonder each day .. each day of the existence on whether there is something that is being left out and needs to be done .. and the done is ever ringing for there is indeed much to be done - not for me .. but for Poojya Babuji ..
उनकी स्मृति सदा बहार बनकर रहे, यही कामना और प्रथना है !!
जीवन व्यवसाय के साधन कितने क्षीण होते चले जा रहे है । कम नहीं उपलब्धि में । क्षीण उनके आकार में । और हम सब उनमें लिपटे हुए हैं ।
and as the day endeth the resort to the words and expressions of Babuji's philosophy through his words and poetic expressions .. a resort that happens voluntarily .. I reached out to the library of his works that lie permanently beside me ..
values should never be at a distance from you .. 🙏
and as I open randomly a page .. this came out glaring at me .. apt , symbolic and the truest in form and nature :
A declaration of words and their relationship
I did not tell you of my pain & sorrow .. I said it to the pen I wrote it with .. if it did not deliver it to you .. I shall not blame you for it ..
I did not tell you of my pain & sorrow .. I said it to the paper I wrote it on .. if you did not understand me .. I shall not blame you for it ..
I did not tell you of my pain & sorrow .. I had said it through my words .. if you did not sympathise with me .. I shall not blame you for it ..
I did not tell you of my pain & sorrow .. I said to the dark nights, the voiceless dumb stars , the vacant aloof distant clouds .. if their reflected echos did not emanate from within you .. I shall not blame you for it ..
I knew that one day my befriended pain shall leave me ..
BUT .. the relationship of my pain with my words shall never leave me ...
.. and I would like to believe that my barefooted appearance at my door shall ever be present for them that come with their love and affection ..🌹
ओम् गण पतिय नमः ; जय सिया राम, जय श्री राम ; ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ; जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ...
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स्नेह, आदर सदा ❤️❤️
अमिताभ बच्चन
Amitabh Bachchan
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हो, कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा ये काम,
अपने राम जी से कह देना जय सिया-राम।।
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जनहित में स्वयं रक्तदान करें और दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करें – हर्ष वर्धन अग्रवाल
लखनऊ, 30.05.2023 | बड़ा मंगल (ज्येष्ठ माह के चतुर्थ मंगलवार) के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शिव मानस मंदिर, विकास खंड 2, गोमती नगर लखनऊ में "हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या" का आयोजन किया गया | भजन संध्या में प्रदीप सक्सेना एवं आकांक्षा सिंह ने कर्णप्रिय भगवत भजन द्वारा भक्तजनों के ह्रदय को आस्था एवं भक्ति से सराबोर कर दिया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी भक्तगणों को ज्येष्ठ माह के चतुर्थ बड़ा मंगल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, महावीर हनुमान जी की कृपा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ज्येष्ठ माह के तीन बड़े मंगल पर हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया जिसमे राजाजीपुरम, ई ब्लॉक में तड़ियन मंदिर, इंदिरा नगर, सेक्टर 25 में रामायण पार्क, अलीगंज में श्री महावीर जी हनुमान मंदिर है और आज चतुर्थ बड़ा मंगल के अवसर पर शिव मानस मंदिर, विकास खंड 2, गोमती नगर में भजन संध्या आयोजित की जा रही है | हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या द्वारा सभी भक्तों से जनहित में रक्तदान करने की अपील भी की जा रही है | जनहित में आप सभी से निवेदन है कि कृपया साल में एक बार रक्तदान अवश्य करें और यदि किसी कारणवश रक्तदान करने में असमर्थ हो तो दूसरों को रक्तदान करने हेतु प्रेरित करें क्योंकि आपके रक्तदान से किसी की जिंदगी बच सकती है जो कि भगवान की सच्ची सेवा है| जनहित में स्वयं रक्तदान करें और दूसरों को भी रक्तदान के लिए अवश्य प्रेरित करें |
भजन संध्या की शुरुआत प्रदीप सक्सेना ने गणपति वंदना गाकर की | इसके बाद प्रदीप सक्सेना एवं आकांक्षा सिंह ने श्री रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र, जय जय मां जय जय मां, रामचंद्र कह गए सिया से, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, श्याम चूड़ी बेचने आया, रात श्याम सपने में आए, श्री रामचंद्र कृपालु भजमन, श्याम तेरी बंसी भजन गाकर भक्तजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया | तबला पर नितीश कुमार, गिटार पर गोपाल गोस्वामी तथा कीबोर्ड पर रिंकू राज ने साथ दिया |
भजन संध्या में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को रक्तदान जागरूकता पैम्फलेट बांटे गए, जिसके तहत लोगों से स्वेच्छा से रक्तदान करने और ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे "हेल्प यू ब्लड डोनर" अभियान को सफल बनाने में अपना अहम योगदान देने की अपील की गई |
भजन संध्या में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, बड़ी संख्या में हनुमान भक्तों, ट्रस्ट के सलाहकार तथा स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा ये काम,
मेरी श्री राम जी से कहदे ना जय सिया राम 🙌💪
GLORY TO HANUMAN 🔱🚩
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उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को Diwali की शुभकामनाएं दीं
अयोध्या , 31 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने गुरुवार को दिवाली (Diwali) के अवसर पर राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं। “अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य और अंधकार पर प्रकाश की जीत के महापर्व दिवाली(Diwali) पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं! दयालु भगवान श्री राम और माता जानकी सभी पर अपनी कृपा बरसाती रहें, यही मेरी कामना है। जय सिया राम!”, आदित्यनाथ…
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राम सिया की करुण कहानी! जय सियाराम!
जय श्री राम #NewSankalp4Bharat 🚩
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रामायण मनका 108 नामवली: | Ramayan Manka 108
रामायण मनका 108 नामवली
रघुपति राघव राजाराम । पतितपावन सीताराम ॥ जय रघुनन्दन जय घनश्याम । पतितपावन सीताराम ॥ भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे । दूर करो प्रभु दु:ख हमारे ॥ दशरथ के घर जन्मे राम । पतितपावन सीताराम ॥ 1 ॥ विश्वामित्र मुनीश्वर आये । दशरथ भूप से वचन सुनाये ॥ संग में भेजे लक्ष्मण राम । पतितपावन सीताराम ॥ 2 ॥ वन में जाए ताड़का मारी । चरण छुआए अहिल्या तारी ॥ ऋषियों के दु:ख हरते राम । पतितपावन सीताराम ॥ 3 ॥ जनक पुरी रघुनन्दन आए । नगर निवासी दर्शन पाए ॥ सीता के मन भाए राम । पतितपावन सीताराम ॥ 4॥ रघुनन्दन ने धनुष चढ़ाया । सब राजो का मान घटाया ॥ सीता ने वर पाए राम । पतितपावन सीताराम ॥5॥ परशुराम क्रोधित हो आये । दुष्ट भूप मन में हरषाये ॥ जनक राय ने किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥6॥ बोले लखन सुनो मुनि ग्यानी । संत नहीं होते अभिमानी ॥ मीठी वाणी बोले राम । पतितपावन सीताराम ॥7॥ लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो । जो कुछ दण्ड दास को दीजो ॥ धनुष तोडय्या हूँ मै राम । पतितपावन सीताराम ॥8॥ लेकर के यह धनुष चढ़ाओ । अपनी शक्ति मुझे दिखलाओ ॥ छूवत चाप चढ़ाये राम । पतितपावन सीताराम ॥9॥ हुई उर्मिला लखन की नारी । श्रुतिकीर्ति रिपुसूदन प्यारी ॥ हुई माण्डव भरत के बाम । पतितपावन सीताराम ॥10॥ अवधपुरी रघुनन्दन आये । घर-घर नारी मंगल गाये ॥ बारह वर्ष बिताये राम । पतितपावन सीताराम ॥11॥ गुरु वशिष्ठ से आज्ञा लीनी । राज तिलक तैयारी कीनी ॥ कल को होंगे राजा राम । पतितपावन सीताराम ॥12॥ कुटिल मंथरा ने बहकाई । कैकई ने यह बात सुनाई ॥ दे दो मेरे दो वरदान । पतितपावन सीताराम ॥13॥ मेरी विनती तुम सुन लीजो । भरत पुत्र को गद्दी दीजो ॥ होत प्र��त वन भेजो राम । पतितपावन सीताराम ॥14॥ धरनी गिरे भूप ततकाला । लागा दिल में सूल विशाला ॥ तब सुमन्त बुलवाये राम । पतितपावन सीताराम ॥15॥ राम पिता को शीश नवाये । मुख से वचन कहा नहीं जाये ॥ कैकई वचन सुनयो राम । पतितपावन सीताराम ॥16॥ राजा के तुम प्राण प्यारे । इनके दु:ख हरोगे सारे ॥ अब तुम वन में जाओ राम । पतितपावन सीताराम ॥17॥ वन में चौदह वर्ष बिताओ । रघुकुल रीति-नीति अपनाओ ॥ तपसी वेष बनाओ राम । पतितपावन सीताराम ॥18॥ सुनत वचन राघव हरषाये । माता जी के मंदिर आये ॥ चरण कमल मे किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥19॥ माता जी मैं तो वन जाऊं । चौदह वर्ष बाद फिर आऊं ॥ चरण कमल देखूं सुख धाम । पतितपावन सीताराम ॥20॥ सुनी शूल सम जब यह बानी । भू पर गिरी कौशल्या रानी ॥ धीरज बंधा रहे श्रीराम । पतितपावन सीताराम ॥21॥ सीताजी जब यह सुन पाई । रंग महल से नीचे आई ॥ कौशल्या को किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥22॥ मेरी चूक क्षमा कर दीजो । वन जाने की आज्ञा दीजो ॥ सीता को समझाते राम । पतितपावन सीताराम ॥23॥ मेरी सीख सिया सुन लीजो । सास ससुर की सेवा कीजो ॥ मुझको भी होगा विश्राम । पतितपावन सीताराम ॥24॥ मेरा दोष बता प्रभु दीजो । संग मुझे सेवा में लीजो ॥ अर्द्धांगिनी तुम्हारी राम । पतितपावन सीताराम ॥25॥ समाचार सुनि लक्ष्मण आये । धनुष बाण संग परम सुहाये ॥ बोले संग चलूंगा राम । पतितपावन सीताराम ॥26॥ राम लखन मिथिलेश कुमारी । वन जाने की करी तैयारी ॥ रथ में बैठ गये सुख धाम । पतितपावन सीताराम ॥27॥ अवधपुरी के सब नर नारी । समाचार सुन व्याकुल भारी ॥ मचा अवध में कोहराम । पतितपावन सीताराम ॥28॥ श्रृंगवेरपुर रघुवर आये । रथ को अवधपुरी लौटाये ॥ गंगा तट पर आये राम । पतितपावन सीताराम ॥29॥ केवट कहे चरण धुलवाओ । पीछे नौका में चढ़ जाओ ॥ पत्थर कर दी, नारी राम । पतितपावन सीताराम ॥30॥ लाया एक कठौता पानी । चरण कमल धोये सुख मानी ॥ नाव चढ़ाये लक्ष्मण राम । पतितपावन सीताराम ॥31॥ उतराई में मुदरी दीनी । केवट ने यह विनती कीनी ॥ उतराई नहीं लूंगा राम । पतितपावन सीताराम ॥32॥ तुम आये, हम घाट उतारे । हम आयेंगे घाट तुम्हारे ॥ तब तुम पार लगायो राम । पतितपावन सीताराम ॥33॥ भरद्वाज आश्रम पर आये । राम लखन ने शीष नवाए ॥ एक रात कीन्हा विश्राम । पतितपावन सीताराम ॥34॥ भाई भरत अयोध्या आये । कैकई को कटु वचन सुनाये ॥ क्यों तुमने वन भेजे राम । पतितपावन सीताराम ॥35॥ चित्रकूट रघुनंदन आये । वन को देख सिया सुख पाये ॥ मिले भरत से भाई राम । पतितपावन सीताराम ॥36॥ अवधपुरी को चलिए भाई । यह सब कैकई की कुटिलाई ॥ तनिक दोष नहीं मेरा राम । पतितपावन सीताराम ॥37॥ चरण पादुका तुम ले जाओ । पूजा कर दर्शन फल पावो ॥ भरत को कंठ लगाये राम । पतितपावन सीताराम ॥38॥ आगे चले राम रघुराया । निशाचरों का वंश मिटाया ॥ ऋषियों के हुए पूरन काम । पतितपावन सीताराम ॥39॥ अनसूया की कुटीया आये । दिव्य वस्त्र सिय मां ने पाय ॥ था मुनि अत्री का वह धाम । पतितपावन सीताराम ॥40॥ मुनि-स्थान आए रघुराई । शूर्पनखा की नाक कटाई ॥ खरदूषन को मारे राम । पतितपावन सीताराम ॥41॥ पंचवटी रघुनंदन आए । कनक मृग मारीच संग धाये ॥ लक्ष्मण तुम्हें बुलाते राम । पतितपावन सीताराम ॥42॥ रावण साधु वेष में आया । भूख ने मुझको बहुत सताया ॥ भिक्षा दो यह धर्म का काम । पतितपावन सीताराम ॥43॥ भिक्षा लेकर सीता आई । हाथ पकड़ रथ में बैठाई ॥ सूनी कुटिया देखी भाई । पतितपावन सीताराम ॥44॥ धरनी गिरे राम रघुराई । सीता के बिन व्याकुलताई ॥ हे प्रिय सीते, चीखे राम । पतितपावन सीताराम ॥45॥ लक्ष्मण, सीता छोड़ नहीं तुम आते । जनक दुलारी नहीं गंवाते ॥ बने बनाये बिगड़े काम । पतितपावन सीताराम ॥46 ॥ कोमल बदन सुहासिनि सीते । तुम बिन व्यर्थ रहेंगे जीते ॥ लगे चाँदनी-जैसे घाम । पतितपावन सीताराम ॥47॥ सुन री मैना, सुन रे तोता । मैं भी पंखो वाला होता ॥ वन वन लेता ढूंढ तमाम । पतितपावन सीताराम ॥48 ॥ श्यामा हिरनी, तू ही बता दे । जनक नन्दनी मुझे मिला दे ॥ तेरे जैसी आँखे श्याम । पतितपावन सीताराम ॥49॥ वन वन ढूंढ रहे रघुराई । जनक दुलारी कहीं न पाई ॥ गृद्धराज ने किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥50॥ चख चख कर फल शबरी लाई । प्रेम सहित खाये रघुराई ॥ ऎसे मीठे नहीं हैं आम । पतितपावन सीताराम ॥51॥ विप्र रुप धरि हनुमत आए । चरण कमल में शीश नवाये ॥ कन्धे पर बैठाये राम । पतितपावन सीताराम ॥52॥ सुग्रीव से करी मिताई । अपनी सारी कथा सुनाई ॥ बाली पहुंचाया निज धाम । पतितपावन सीताराम ॥53॥ सिंहासन सुग्रीव बिठाया । मन में वह अति हर्षाया ॥ वर्षा ऋतु आई हे राम । पतितपावन सीताराम ॥54॥ हे भाई लक्ष्मण तुम जाओ । वानरपति को यूं समझाओ ॥ सीता बिन व्याकुल हैं राम । पतितपावन सीताराम ॥55॥ देश देश वानर भिजवाए । सागर के सब तट पर आए ॥ सहते भूख प्यास और घाम । पतितपावन सीताराम ॥56॥ सम्पाती ने पता बताया । सीता को रावण ले आया ॥ सागर कूद गए हनुमान । पतितपावन सीताराम ॥57॥ कोने कोने पता लगाया । भगत विभीषण का घर पाया ॥ हनुमान को किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥58॥ अशोक वाटिका हनुमत आए । वृक्ष तले सीता को पाये ॥ आँसू बरसे आठो याम । पतितपावन सीताराम ॥59॥ रावण संग निशिचरी लाके । सीता को बोला समझा के ॥ मेरी ओर तुम देखो बाम । पतितपावन सीताराम ॥60॥ मन्दोदरी बना दूँ दासी । सब सेवा में लंका वासी ॥ करो भवन में चलकर विश्राम । पतितपावन सीताराम ॥61॥ चाहे मस्तक कटे हमारा । मैं नहीं देखूं बदन तुम्हारा ॥ मेरे तन मन धन है राम । पतितपावन सीताराम ॥62॥ ऊपर से मुद्रिका गिराई । सीता जी ने कंठ लगाई ॥ हनुमान ने किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥63॥ मुझको भेजा है रघुराया । सागर लांघ यहां मैं आया ॥ मैं हूं राम दास हनुमान । पतितपावन सीताराम ॥64॥ भूख लगी फल खाना चाहूँ । जो माता की आज्ञा पाऊँ ॥ सब के स्वामी हैं श्री राम । पतितपावन सीताराम ॥65॥ सावधान हो कर फल खाना । रखवालों को भूल ना जाना ॥ निशाचरों का है यह धाम । पतितपावन सीताराम ॥66॥ हनुमान ने वृक्ष उखाड़े । देख देख माली ललकारे ॥ मार-मार पहुंचाये धाम । पतितपावन सीताराम ॥67॥ अक्षय कुमार को स्वर्ग पहुंचाया । ��न्द्रजीत को फांसी ले आया ॥ ब्रह्मफांस से बंधे हनुमान । पतितपावन सीताराम ॥68॥ सीता को तुम लौटा दीजो । उन से क्षमा याचना कीजो ॥ तीन लोक के स्वामी राम । पतितपावन सीताराम ॥69॥ भगत बिभीषण ने समझाया । रावण ने उसको धमकाया ॥ सनमुख देख रहे रघुराई । पतितपावन सीताराम ॥70॥ रूई, तेल घृत वसन मंगाई । पूंछ बांध कर आग लगाई ॥ पूंछ घुमाई है हनुमान ॥ पतितपावन सीताराम ॥71॥ सब लंका में आग लगाई । सागर में जा पूंछ बुझाई ॥ ह्रदय कमल में राखे राम । पतितपावन सीताराम ॥72॥ सागर कूद लौट कर आये । समाचार रघुवर ने पाये ॥ दिव्य भक्ति का दिया इनाम । पतितपावन सीताराम ॥73॥ वानर रीछ संग में लाए । लक्ष्मण सहित सिंधु तट आए ॥ लगे सुखाने सागर राम । पतितपावन सीताराम ॥74॥ सेतू कपि नल नील बनावें । राम-राम लिख सिला तिरावें ॥ लंका पहुँचे राजा राम । पतितपावन सीताराम ॥75॥ अंगद चल लंका में आया । सभा बीच में पांव जमाया ॥ बाली पुत्र महा बलधाम । पतितपावन सीताराम ॥76॥ रावण पाँव हटाने आया । अंगद ने फिर पांव उठाया ॥ क्षमा करें तुझको श्री राम । पतितपावन सीताराम ॥77॥ निशाचरों की सेना आई । गरज तरज कर हुई लड़ाई ॥ वानर बोले जय सिया राम । पतितपावन सीताराम ॥78॥ इन्द्रजीत ने शक्ति चलाई । धरनी गिरे लखन मुरझाई ॥ चिन्ता करके रोये राम । पति���पावन सीताराम ॥79॥ जब मैं अवधपुरी से आया । हाय पिता ने प्राण गंवाया ॥ वन में गई चुराई बाम । पतितपावन सीताराम ॥80॥ भाई तुमने भी छिटकाया । जीवन में कुछ सुख नहीं पाया ॥ सेना में भारी कोहराम । पतितपावन सीताराम ॥81। जो संजीवनी बूटी को लाए । तो भाई जीवित हो जाये ॥ बूटी लायेगा हनुमान । पतितपावन सीताराम ॥82॥ जब बूटी का पता न पाया । पर्वत ही लेकर के आया ॥ काल नेम पहुंचाया धाम । पतितपावन सीताराम ॥83॥ भक्त भरत ने बाण चलाया । चोट लगी हनुमत लंगड़ाया ॥ मुख से बोले जय सिया राम । पतितपावन सीताराम ॥84॥ बोले भरत बहुत पछताकर । पर्वत सहित बाण बैठाकर ॥ तुम्हें मिला दूं राजा राम । पतितपावन सीताराम ॥85॥ बूटी लेकर हनुमत आया । लखन लाल उठ शीष नवाया ॥ हनुमत कंठ लगाये राम । पतितपावन सीताराम ॥86॥ कुंभकरन उठकर तब आया । एक बाण से उसे गिराया ॥ इन्द्रजीत पहुँचाया धाम । पतितपावन सीताराम ॥87॥ दुर्गापूजन रावण कीनो । नौ दिन तक आहार न लीनो ॥ आसन बैठ किया है ध्यान । पतितपावन सीताराम ॥88॥ रावण का व्रत खंडित कीना । परम धाम पहुँचा ही दीना ॥ वानर बोले जय श्री राम । पतितपावन सीताराम ॥89॥ सीता ने हरि दर्शन कीना । चिन्ता शोक सभी तज दीना ॥ हँस कर बोले राजा राम । पतितपावन सीताराम ॥90॥ पहले अग्नि परीक्षा पाओ । पीछे निकट हमारे आओ ॥ तुम हो पतिव्रता हे बाम । पतितपावन सीताराम ॥91॥ करी परीक्षा कंठ लगाई । सब वानर सेना हरषाई ॥ राज्य बिभीषन दीन्हा राम । पतितपावन सीताराम ॥92॥ फिर पुष्पक विमान मंगाया । सीता सहित बैठे रघुराया ॥ दण्डकवन में उतरे राम । पतितपावन सीताराम ॥93॥ ऋषिवर सुन दर्शन को आये । स्तुति कर मन में हर्षाये ॥ तब गंगा तट आये राम । पतितपावन सीताराम ॥94॥ नन्दी ग्राम पवनसुत आये । भाई भरत क�� वचन सुनाए ॥ लंका से आए ��ैं राम । पतितपावन सीताराम ॥95॥ कहो विप्र तुम कहां से आए । ऎसे मीठे वचन सुनाए ॥ मुझे मिला दो भैया राम । पतितपावन सीताराम ॥96॥ अवधपुरी रघुनन्दन आये । मंदिर-मंदिर मंगल छाये ॥ माताओं ने किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ॥97॥ भाई भरत को गले लगाया । सिंहासन बैठे रघुराया ॥ जग ने कहा, हैं राजा राम । पतितपावन सीताराम ॥98॥ सब भूमि विप्रो को दीनी । विप्रों ने वापस दे दीनी ॥ हम तो भजन करेंगे राम । पतितपावन सीताराम ॥99॥ धोबी ने धोबन धमकाई । रामचन्द्र ने यह सुन पाई ॥ वन में सीता भेजी राम । पतितपावन सीताराम ॥100॥ बाल्मीकि आश्रम में आई । लव व कुश हुए दो भाई ॥ धीर वीर ज्ञानी बलवान । पतितपावन सीताराम ॥101॥ अश्वमेघ यज्ञ किन्हा राम । सीता बिन सब सूने काम ॥ लव कुश वहां दीयो पहचान । पतितपावन सीताराम ॥102॥ सीता, राम बिना अकुलाई । भूमि से यह विनय सुनाई ॥ मुझको अब दीजो विश्राम । पतितपावन सीताराम ॥103॥ सीता भूमि में समाई । देखकर चिन्ता की रघुराई ॥ बार बार पछताये राम । पतितपावन सीताराम ॥104॥ राम राज्य में सब सुख पावें । प्रेम मग्न हो हरि गुन गावें ॥ दुख कलेश का रहा न नाम । पतितपावन सीताराम ॥105॥ ग्यारह हजार वर्ष परयन्ता । राज कीन्ह श्री लक्ष्मी कंता ॥ फिर बैकुण्ठ पधारे धाम । पतितपावन सीताराम ॥106॥ अवधपुरी बैकुण्ठ सिधाई । नर नारी सबने गति पाई ॥ शरनागत प्रतिपालक राम । पतितपावन सीताराम ॥107॥ श्याम सुंदर ने लीला गाई । मेरी विनय सुनो रघुराई ॥ भूलूँ नहीं तुम्हारा नाम । पतितपावन सीताराम ॥108॥ Read the full article
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मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी राम सिया राम, सिया राम, जय जय राम…🙏🛕
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।🙏🏹
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तन के तम्बूरे में दो सांसो की तार बोले लिरिक्स
तन तम्बूरा, तार मन,अद्भुत है ये साज । हरी के कर से बज रहा,हरी ही है आवाज । तन के तम्बूरे में दो,सांसो की तार बोले । जय सिया राम राम,जय राधे श्याम श्याम । तन के तम्बूरे में दो,सांसो की तार बोले । जय सिया राम राम,जय राधे श्याम श्याम । अब तो इस मन के मंदिर में,प्रभु का हुआ बसेरा । मगन हुआ मन मेरा,छूटा जनम जनम का फेरा । मन की मुरलिया में,सुर का सिंगार बोले । जय सिया राम राम,जय राधे श्याम श्याम । तन…
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DAY 5819
Jalsa, Mumbai Jan 22/23, 2024 Mon/Tue 2:20 AM
Jai Shri Ram .. 🙏🏻
🪔 ,
January 23 .. .. birthday greetings to Ef Dr. Jahanaara Khan from Canada 🇨🇦 .. and loving greetings to Ef Subash Vaid .. .. happiness ever and 🙏🏻🚩 .. 🧡🕉️
💍 .. Ef Prakash Tailor from Toronto 🇨🇦 .. 30th wedding anniversary on January 23 .. Pearl Jubilee 🦪 .. our greetings .. 💐🙏🏻🚩
💍 .. Ef Zafar (Keymaker) .. 23rd wedding anniversary .. on January 20 .. our greetings and wishes .. 💐🙏🏻🚩
.. ✨
A day filled with the relevance of divine spirit .. back from the Pran Pratishtha ceremony at Ayodhya .. the glory the celebration and the belief of faith .. immersed in the reckoning of the TEMPLE at shri Ram's birth ..
not much can be said beyond this .. for faith does not possess description ..
Can you .. ?
Love
जय श्री राम !
बोल सिया पति रामचंद्र की जय 🚩
Amitabh Bachchan
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करदो केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम,
मेरी राम जी से के देना..
।।जय सिया राम।।
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!! जय सिया राम !!
आप @NarendraModi @PMOIndia हमारे प्रधानमंत्री है, यह हम भारतीयों का सौभाग्य है |
परम आदरणीय माननीय नरेंद्र मोदी जी की महानतम प्रशासनिक क्षमता, परिश्रम एवं सेवा की जितनी सराहना की जाए कम है ।
आपने प्रधानमंत्री पद की गरिमा बढ़ाकर हमारे देश को एक नई दिशा दी है । आपके नेतृत्व में देश ने समृद्धि और प्रगति के नये आयाम हासिल किये हैं । आपके सामर्थ्य, स्वदेश भक्ति और निष्ठा ने हम सभी को प्रेरित किया है और हमें संघर्ष और विजय की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है ।
आपके नेतृत्व मे भारत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में अद्भुत प्रगति करते हुए गरीबों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, छोटे व्यापारियों और सामाजिक असहाय वर्ग की मदद के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं वह हमारे समाज को विकास की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने में सफल हैं ।
हम आपके संघर्ष, समर्पण और अथक परिश्रम की सराहना करते है । आपके प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी को लेकर आपके दृष्टिकोण और समय-समय पर आपके अभिभाषण ने हमें नए आदर्श प्रदान किए है ।
ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको स्वस्थ रखें और आप अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सदैव सशक्त रहें ।
धन्यवाद और आपको हमारा सादर नमन ।
We Love You, We Love India ||
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सतना मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर के हनुमान मंदिर में भी राम जी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम विधिवत पूजन , हवन के साथ किया गया तत्पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया
सतना शहर हुआ राममय /इसी कड़ी में सतना मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर के हनुमान मंदिर में भी राम जी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम विधिवत पूजन , हवन के साथ किया गया तत्पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमे हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद प्राप्त कर जय सिया राम के नारे से वातावरण को गुंजानमय कर दिया । कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए एसोसिशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने सभी पदाधिकारियों…
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Ram Lala First View 🙏🙏🙏 राम सिया राम सिया राम जय जय राम Ram Siyaram 🙏🙏
Thank you for reading my blog. Hope you enjoyed the video. Please view my other videos at Umakant’s Youtube or at Soubhagya’s Youtube channel. If you like my videos then please subscribe to the YouTube channel.
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