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श्री कृष्ण जन्माष्टमी : कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है
यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भाद्रपद महीने के आठवें दिन पड़ता है। इसे गोकुल अष्टमी भी कहा जाता है।
ऐसा मानते हैं कि , भगवान कृष्ण का जन्म वर्तमान समय के मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका जन्म एक कालकोठरी में और कृष्ण पक्ष की अंधियारी आधी रात को हुआ था ।
मान्यताओं के अनुसार, कंस मथुरा का शासक था। उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव जी को कारागार में डालकर रखा था क्योंकि उसे यह श्राप मिला था कि देवकी की कोख से उत्पन्न होने वाली आठवीं सन्तान एक पुत्र रूप में होगी जो कंस का वध करेगी। अतः आठवें पुत्र के इंतजार में उसने जेल में ही उत्पन्न देवकी के सात सन्तानों की हत्या कर दी थी। दैवीय लीला से जब आठवें पुत्र श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो योगमाया ने वहां उपस्थित सभी पहरेदारों को गहन निद्रा में डाल दिया और वासुदेव जी को निर्देश दिया कि अभी ही वह कारागार से बाहर निकल कर पुत्र को यमुना जी के रास्ते से ले जाकर गोकुल पहुंचा दें।
वासुदेव व देवकी को सारी बात समझ में आ चुकी थी कि यही प्रभु अवतरण हैं जिनके हाथों कंस का वध होगा। वैसा ही सब कुछ हुआ। समय आने पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के हाथों कंस का अंत हुआ।
इसी कारण इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है और देश भर में इस दिवस को उत्सव की भांति मनाया जाता है।
मथुरा और वृन्दावन में कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी से 10 दिन पहले रासलीला, भजन, की���्तन और प्रवचन जैसे विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ शुरू होता है यह उत्सव । रासलीलाएं कृष्ण और राधा के जीवन और प्रेम कहानियों के साथ-साथ उनकी अन्य गोपियों की नाटकीय रूपांतर पेश किए जाते हैं। पेशेवर कलाकार और स्थानीय उपासक दोनों ही मथुरा और वृन्दावन में विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन करते हैं। भक्त जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण मंदिरों में आते हैं, विशेषकर वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में, जहां माना जाता है कि उनका जन्म हुआ था। मंदिरों को मनमोहक फूलों की सजावट और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
पंचांमृत अभिषेक
अभिषेक के नाम से जाना जाने वाला एक विशिष्ट अनुष्ठान आधी रात को होता है, जो कृष्ण के जन्म का सटीक क्षण माना जाता है। इस दौरान कृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के दौरान शंख बजाए जाते हैं, घंटियां बजाई जाती हैं और वैदिक मंत्रो का पाठ किया जाता है। इसके बाद भक्त श्रीकृष्ण को 56 अलग-अलग भोग (जिन्हें छप्पन भोग के नाम से जाना जाता है) अर्पित करते हैं। उनके लड्डू गोपाल स्वरूप को जन्म के बाद झूला झुलाते हैं और जन्म के गीत गाये जाते हैं।
नंदोत्सव
जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला नंदोत्सव एक खास कार्यक्रम है। कहते हैं कि जब कृष्ण के पालक पिता, नंद बाबा ने उनके जन्म की खुशी में गोकुल (कृष्ण का गाँव) में सभी को उपहार और मिठाइयां दीं। इस दिन, भक्त प्रार्थना करने और जरूरतमंदों को दान देने के लिए नंद बाबा के जन्मस्थान नंदगांव की यात्रा करते हैं। इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार के समारोहों और खेलों में भाग लेते हैं जो कृष्ण के चंचल स्वभाव का सम्मान में आयोजित किए जाते हैं।
दही हांडी पर्व का महत्व
दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है । महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग धूम देखने को मिलती है। इस दौरान गोविंदाओं की टोली ऊंचाई पर बंधी दही से भरी मटकी फोड़ने की को���िश करती है ।
जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है । भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्शाने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है।
दही हांडी कार्यक्रम
दही हांडी कार्यक्रम, जो कृष्ण की मां यशोदा द्वारा ऊंचे रखे गए मिट्टी के बर्तनों से मक्खन चुराने की बचपन की शरारत से प्रेरित एक कार्यक्रम है। मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी समारोह का एक और मुख्य आकर्षण है। इस कार्यक्रम में युवा, पुरुषों के समूह ऊंचाई से लटके हुए एक बर्तन तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जिसमें दही या मक्खन होता है। यह अवसर वफादारी, बहादुरी और टीम वर्क को दर्शाता है। इसमें बड़ी संख्या में दर्शक भी शामिल होते हैं, जो तालियां बजाते हैं और इस दृश्य का आनंद लेते हैं।
दरअसल, भगवान श्री कृष्ण बचपन में दही और मक्खन घर से चोरी करते थे और उसके साथ ही गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे । यही कारण है कि गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था लेकिन कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे । भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं का स्मरण करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी ।
प्रभु की लीला कभी व्यर्थ नहीं होती है। उसका कोई न कोई कारण अवश्य होता है।
ऐसा मानते हैं कि पैसों के लिए गोपियाँ अपने घर के सारे दूध , दही और माखन मथुरा में जाकर कंस की राजधानी में बेच आतीं थीं। वे सब बलवान हो जाते थे जबकि ग्वाल बाल सीमित रूप में इसे प्राप्त कर पाते थे। तब प्रभु की बाल लीला ने माखन चोरी करने का निर्णय किया था ताकि ये सभी हृष्ट पुष्ट रहें और मथुरा तक ये न पहुंच सके।
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जन्माष्टमी की छुट्टी के दौरान स्कूल में बना दी कब्र, अध्यापक और छात्र स्कूल हैरान; जानें पूरा मामला
Uttar Pradesh News: यूपी के कौशाम्बी के एक उच्च प्राथमिक विद्यालय के परिसर में जन्माष्टमी की छुट्टी के दौरान कुछ लोगों ने कब्र बनवा दी। छुट्टी के बाद स्कूल खुला, बच्चे और शिक्षक पहुंचे तो कब्र देख हैरान रह गए। प्रधानाध्यापक की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर दो लोगों को हिरासत में ले लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। कब हटा दी गई है। मामला कौशाम्बी के पश्चिमशरीरा के अषाढ़ा उच्च प्राथमिक…
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जानिए श्री कृष्ण जी के जीवन से जुड़ी अनसुनी सच्चाई | SA News Chhattisgarh
लोकनायक के रूप में प्रतिष्ठित श्री कृष्ण जिनकी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में खासी लोकप्रियता है उनके विषय मे आज वे जानकारियां लेकर आये हैं जो अब तक न आपने सुनी और न पढ़ी होंगी। जानें 16 कलाओं के स्वामी श्री कृष्ण की लीलाओं का विषय में अद्भुत जानकारियां।
श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ?
कृष्ण जी का जन्म द्व��पर युग में, मथुरा के कारागार में हुआ था। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व के आसपास आधी रात को हुआ था। उस रात चंद्रमा का आठवां चरण था, जिसे अष्टमी तिथि के रूप में जाना जाता है। जन्माष्टमी का आयोजन इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म के जश्न के रूप में भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) महीने के अंधेरे पखवाड़े की अष्टमी के दिन किया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
भगवान कृष्ण क��� जन्म कारावास में हुआ, देवता होने के कारण उनमें प्रबल शक्ति थी। राक्षस कंस को ये आकाशवाणी के माध्यम से ज्ञात हो चुका था कि देवकी की आठवीं सन्तान उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। इस कारण अनेको नवजात बच्चों की हत्या कंस ने कराई। किन्तु जिसका विनाश निश्चित है उसे नहीं रोका जा सकता। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और उसी रात उनके पिता वासुदेव ने उन्हें यशोदा के पास पहुंचाया। श्रीकृष्ण का लालन पालन माता यशोदा ने किया जबकि उनकी जन्मदात्री देवकी थीं। भक्तों के रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण का अवतार लिया। जगत की रीत है कोई ऐतिहासिक कार्य होता है तो वे प्रतिवर्ष उसे महोत्सव रूप में मनाने लगते हैं। कृष्णजन्माष्टमी का अर्थ है आज ही के दिन कृष्ण जी का जन्म हुआ किन्तु उसे दोबारा मनाने का कोई महत्व धर्मग्रन्थों में नहीं बताया गया है। आइए इस जन्माष्टमी जानें
संक्षेप में दृष्टिपात करने पर हम पाते हैं कि कृष्ण जी, देवकी-वासुदेव की आठवीं सन्तान थे। चूंकि उस समय देवकी और वासुदेव, राक्षस प्रवृत्ति के राजा कंस के कारावास में थे अतः कृष्ण जी को वासुदेव जी उसी रात यशोदा के पास छोड़कर आये। इस प्रकार कृष्ण जी का लालन-पालन यशोदा और नन्द जी की देखरेख में हुआ।
भगवान कृष्ण का अधिकांश जीवन राक्षसों से लड़ने और प्रजा की रक्षा करने में बीता। श्री कृष्ण आज जितने पूजनीय हैं उतने उस समय नहीं थे। उन्हें मारने की साज़िशों के तहत अनेको राक्षस उनके बाल्यकाल से ही भेजे जाने लगे थे। सुकून और सुख से इतर जीवन में अनियमितता थी। अंत मे श्री कृष्ण जी ने रहने के लिए द्वारका नगरी चुनी जहां एक ही द्वार था। दुर्वासा ऋषि के श्रापवश 56 करोड़ यादव आपस में लड़कर कटकर मर गए। और उसी श्रापवश त्रेतायुग की बाली वाली आत्मा जो द्वापरयुग में शिकारी थी उसके तीर मारने से श्री कृष्ण की मृत्यु हो गई। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जीवन में बचते और बचाते रहे किन्तु सुकून से नहीं रह पाए अंततः श्रापवश मृत्यु को प्राप्त हुए।
हिंदू धर्म में लोग मुख्यतः 3 पुरुषों/देवों की भक्ति करते है। जो हैं रजगुण प्रधान भगवान ब्रह्मा, सतगुण प्रधान भगवान विष्णु, तमगुण प्रधान भगवान शिव। भगवान श्री कृष्ण को भगवान श्री विष्णु जी का ही आठवां अवतार कहा जाता है। श्री कृष्ण जी भगवान का अवतार होने के वजह से जन्म से ही लीला करने लगे थे। भगवान श्री कृष्ण का जीवन चरित्र देखें विष्णु जी के अवतार होने के कारण चमत्कारी शक्तियों से युक्त थे। ��ीला और चमत्कार की वजह से लोग उन्हें जानने लगे और अपना ईष्ट समझकर उनकी पूजा करने लगे। गीता के अध्याय 7 के श्लोक 14 और 15 में त्रिगुण साधना व्यर्थ बताई गई और इसे करने वाले मनुष्य नीच, मूढ़ और दूषित कर्म करने वाले बताए गए हैं।
इस जन्माष्टमी आइए जानें कि भगवान कृष्ण की भक्ति कैसी करना चाहिए? पूर्ण परमात्मा कौन है? कृष्ण जी जो कि त्रिदेवों में से एक विष्णु जी के अवतार हैं, इनकी भक्ति करने से न तो पाप कटेंगे और न ही मुक्ति हो सकती है। स्वयं कृष्ण जी भी अपने कर्मो का फल भोगने के लिए बाध्य हैं। त्रेतायुग में विष्णु जी ने श्री राम के रूप में सुग्रीव के भाई बाली को पेड़ की ओट से मारा था। द्वापरयुग में वही बाली वाली आत्मा ने शिकारी रूप में कृष्ण जी को विषाक्त तीर मारा। कर्मफल तो ये देवता अपने भी नहीं समाप्त कर पाते तो हमारे कैसे करेंगे? यदि आप सर्व पापों से मुक्ति चाहते हैं तो वेदों में वर्णित साधना करनी होगी, पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेनी होगी। क्योंकि वेदों में वर्णित है कि पूर्ण परमात्मा साधक के सभी पापों को नष्ट करता है (यजुर्वेद, अध्याय 8, मन्त्र 13)।
कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पर जानिए वास्तविक में गीता ज्ञानदाता कौन?
हमें सदा से ही बताया जा रहा है कि गीता का ज्ञान देने वाला भगवान श्रीकृष्ण है परंतु वास्तव में गीता का ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने नहीं बल्कि उनके पिता ब्रह्म ने दिया है, इसे ही ज्योतिनिरंजन या क्षर पुरुष भी कहते हैं। अभी तक जिन्होंने गीता का अर्थ निकाला है उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को ही गीता का ज्ञान दाता कहा है परंतु गीता जी में ही गीता ज्ञान दाता ने अपना परिचय दिया और कहा है कि मैं काल ब्रह्म हूं।
इसका प्रमाण गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 और 47 में है। जब कृष्ण ने अपना विराट रूप दिखाया तब अर्जुन ने डर से कांपते हुए पूछा भगवान आप कौन हैं। तब कृष्ण जी ने गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में कहा कि “अर्जुन! मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।” गीता अध्याय 11 के श्लोक 46 में कहा है कि “हे हजार भुजाओं वाले आप अपने चतुर्भुज रूप में दर्शन दीजिए।” इस पर गीता अध्याय 11 के श्लोक 47 में कृष्ण रूप में कालब्रह्म ने कहा कि:
अर्जुन मैंने प्रसन्न होकर तेरी दिव्य दृष्टि खोलकर यह विराट रूप तुझे दिखाया है जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने भी नहीं देखा। अधिक जानकारी के लिए visit करें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube channel
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जानिए - कौन सा परमात्मा है महान, श्रीकृष्ण या कब...
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*🦋🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🙏🦋*
#Date 27/08/24 #Day #Tuesday #मंगलवार
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*🌼जन्माष्टमी स्पेशल!*
1_कौन है असली मुक्तिदाता?
क्या श्री कृष्ण जी जन्म-मरण से पीछा छुड़वा सकते हैं या नहीं?
2_क्या श्री कृष्ण जी अविनाशी हैं?
कबीर बड़ा या कृष्ण! किसकी भक्ति से होगी पूर्ण मुक्ति?
3_कौन है अविनाशी भगवान?
4_कबीर जी ने ऐसी क्या लीला की जो कृष्ण जी नहीं कर पाए?
5_श्रीकृष्ण या कबीर ��ी कौन है सर्व सृष्टि को बनाने वाले परमात्मा?
6_क्या गीता ज्ञान दाता से अन्य कोई परमेश्वर है?
7_क्या श्री कृष्ण जी पाप कर्म काट सकते हैं?
⏬⏬⏬
🙏अपने धर्म ग्रंथो से सत्य प्रमाण जानने के लिए अवश्य देखें Factful Debates YouTube Channel
पर अवश्य देखिये स्पेशल वीडियो "कबीर बड़ा या कृष्ण"
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जानिए - कौन सा परमात्मा है महान, श्रीकृष्ण या कब...
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कबीर बड़ा या कृष्ण! कौन है अविनाशी भगवान?
क्या श्री कृष्ण जी की भक्ति करने से मोक्ष मिल सकता है?
क्या कृष्ण जी अविनाशी हैं?
क्या श्री कृष्ण जी जन्म-मरण से पीछा छुड़वा सकते हैं या नहीं?
क्या श्री कृष्ण जी परम शांति प्रदान कर सकते हैं?
क्या कृष्ण जी सबसे शक्तिशाली परमात्मा हैं?
कौन है असली मुक्तिदाता?
कबीर या कृष्ण?
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Day☛1400✍️+91/CG10☛Bsp☛26/08/24 (Mon)☛ 23:03
आज कृष्ण जन्माष्टमी है
आज मुझे ब्लॉग करते हुए पूरे 1400 दिन पूरा हो गया, इसके लिए macro blogger site Tumblr को दिल से शुक्रिया
🙏🙏
समय कब गुजर रहा है, कैसे बीत रहा है, किस हाल में गुजर रहा है, मालुम ही नहीं चलता, बेलगाम घोड़ा की तरह समय चक्र भागती हुई जा रही है। वर्तमान स्थिति को देखने से आभास होता है कि इतने सारे दिन, इतने सारे रातें कब हाथ से निकल गया, मालुम ही नहीं हुआ। बल्कि पछतावा हो रही है कि जीवन के अनमोल समय यूं ही बीत गया।
आज कृष्ण जन्माष्टमी है, ऑफिस में जन्माष्टमी मनाया गया, अपने चाल में मनाया गया, पहले की तरह उमंग नही है, अब सिर्फ मनोरंजन का साधन बन गया है।
आज शेयर बाजार में करेंसी में ट्रेड लिया,84 CE पर.... बहुत ही कम मोमेंटम देखने को मिलता है USD/INR में.......
Okay good night 🌃
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Janmashtami 2024: 26 या 27 अगस्त? जानिए कब मनाई जाएगी जन्माष्टमीJanmashtami 2024: जन्माष्टमी 2024 की तारीख को लेकर लोगों के मन में कई प्रश्न हैं कि उनका जन्मदिन कब मनाया जाएगा। कुछ लोग 26 को तो कुछ 27 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मना रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि आपको जन्माष्टमी का पर्व कब मनाना चाहिए।
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krishna Janmashtami Date, 2024 में जन्माष्टमी कब है? जाने शुभ मुहूर्त
Krishna janmashtami date
जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने वाला एक हिंदू त्योहार है। भगवान कृष्ण का जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक���ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। “जन्मा” का अर्थ है जन्म और “अष्टमी” का अर्थ है आठ, इसीलिए इसे कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। krishna janmashtami date, इस वर्ष 2024 में, जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म श्रावण मास में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में, जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी(krishna janmashtami date)।
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कृष्णजन्माष्टमी कब और क्यों मनाया जाता है और उसका क्या महत्व है
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, कृष्ण भक्त भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें अपने जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की कामना करते हैं। भगवान कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं। उनका जन्म मथुरा में हुआ था, जो उस समय कंस के शासन में था। कंस एक…
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Janmashtami 2023: जन्माष्टमी कब मनाई जायेगी 6 या 7 सितंबर को , जानें मथुरा में कब जन्म लेंगे नंदलाला
Janmashtami 2023: जन्माष्टमी कब मनाई जायेगी 6 या 7 सितंबर को , जानें मथुरा में कब जन्म लेंगे नंदलाला
Krishna Janmashtami 2023 Date ? इस साल Krishna Janmashtami पर अष्टमी 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03.37 से 7 सितंबर को शाम 04.14 मिनट तक रहेगी. इसलिए ऐसे में Janmashtami का त्यौहार 6 और 7 सितंबर दोनों दिन मनाया जाएगा. Krishna Janmashtami का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, आगे तारीख के बारे म बताया गया है की 6 सितंबर को…
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श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ जाता है मनाया आईये जानें कब
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करते हैं।
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प्राक्तन आनुवांशिक जाँच की लागत विभिन्न होती है, और इसका खर्च आपके चयनित जांच प्रकार और आपकी स्थिति पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ आम जाँच प्रकार की अंग्रेजी नाम और उनकी अंग्रेजी में लागत दी गई है:
Amniocentesis - ₹ 10,000 - ₹ 25,000
Chorionic Villus Sampling - ₹ 15,000 - ₹ 30,000
Non-Invasive Prenatal Testing - ₹ 15,000 - ₹ 50,000
Foetal Ultrasound - ₹ 2,000 - ₹ 5,000
Prenatal Paternity Testing - ₹ 10,000 - ₹ 20,000
कुछ जांच प्रकार और अन्य उपलब्ध जांच प्रकार इस सूची से अलग हो सकते हैं। इसलिए, यदि आप इन जांचों में से किसी को करवाने की सोच रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछें और उनसे अधिक जानकारी प्राप्त करें।
प्राक्तन आनुवांशिक जाँच के विभिन्न प्रकार होते हैं। ये हैं:
अमनियोसेंटेसिस (Amniocentesis)
कोर्डोसेंटेसिस (Chorionic Villus Sampling)
नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (Non-Invasive Prenatal Testing)
फेटल उल्ट्रासाउंड (Fetal Ultrasound)
प्राक्तन जन्माष्टमी जांच (Prenatal Paternity Testing)
ये जांच प्रकार गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में अलग-अलग जांच के लिए किये जाते हैं।
प्रसव पूर्व परीक्षण की आवश्यकता कब होती है ?
प्रसव पूर्व परीक्षण - आपको बता दे प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट” एक तरह ऐसा शब्द है जो आपके चिकिस्तक द्वारा सुझाई गई विभिन्न प्रकार की जांचों को शामिल करते है या आप गर्भावस्था के दौरान करवाना चुन सकती हैं। कुछ प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट यह निर्धारित करने के लिए किए जाते हैं कि क्या बच्चे में डाउन सिंड्रोम जैसी विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियां या क्रोमोसोमल असामान्यताएं होने की संभावना है। संभावना है, आपके डॉक्टर ने आपकी पहली प्रसवपूर्व नियुक्ति में इन स्क्रीनिंग परीक्षणों के बारे में बताया है, क्योंकि अधिकांश पहली और दूसरी तिमाही के दौरान किए जाते हैं।
प्रसव पूर्व परीक्षण की आवश्यकता कब होती है - जैसा की आपको पता है परीक्षण ��मतौर पर गर्भावस्था के 15 से 20 सप्ताह में किया जाता है। यदि आप 35 वर्ष से अधिक उम्र की हैं, यदि आपके परिवार में आनुवांशिक स्थितियों का इतिहास है, या यदि आपकी पहली-तिमाही स्क्रीनिंग से पता चलता है कि आपका बच्चा जन्म दोषों के जोखिम में है, तो आपका प्रदाता आपको एमनियोसेंटेसिस करवाना चाहता है। ऐसे में प्रसव पूर्व परीक्षण की आवश्यकता होती है। कुछ महिलाये यह टेस्ट कुछ कारण से भी कर सकती है जैसे - आनुवंशिक स्थितियों का पारिवारिक या व्यक्तिगत इतिहास हो या 35 वर्ष से अधिक की गर्भावस्था या उनका गर्भपात या मृत जन्म का इतिहास हो ऐसे में टेस्ट चुन सकती
प्राक्तन जांच की आवश्यकता गर्भावस्था के दौरान जब किसी भी समस्या का संदेह होता है या जब बच्चे को कोई जन्मानुयायी रोग होने का खतरा होता है। इसके अलावा, निम्नलिखित स्थितियों में भी प्राक्तन जांच की जरूरत हो सकती है:
महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक होने पर।
पूर्वजन्म में जन्मानुयायी रोगों की विरासत होने पर।
पिछली गर्भावस्था में जन्मानुयायी रोग होने पर।
परिवार में कोई गंभीर रोग होने पर जो जन्मानुयायी हो सकता है।
गर्भधारण के पहले तीन महीनों में उल्ट्रासाउंड में असामान्यता का पता चलने पर।
इन सभी स्थितियों में, डॉक्टर प्राक्तन जांच की सलाह दे सकते हैं जो आपके बच्चे की सेहत के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करती है।
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Happy Krishna Janmashtami 2020: इस जन्माष्टमी घर में ले आएं ये एक चीज, बाधाएं होंगी दूर और आएगी समृद्धि
Happy Krishna Janmashtami 2020: इस जन्माष्टमी घर में ले आएं ये एक चीज, बाधाएं होंगी दूर और आएगी समृद्धि
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अनीता जैन, वास्तुविद, Updated Tue, 11 Aug 2020 12:23 PM IST
ज्योतिष और वास्तु में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है, ग्रहदोष भी शांत हो जाते हैं। मोरपंख में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। शास्त्रों में मोर को चिर-ब्रह्मचर्य युक्त जीव समझा जाता है। अतः प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में…
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जन्माष्टमी की रात कर ले ये उपाय | Janmashtami Upay
जन्माष्टमी की रात कर ले ये उपाय | Janmashtami Upay
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