#जंगली प्राणी का हमला
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हायवेवर चालवत होता अन् अचनाकबट्याने विरोध केला, काय वाईट, पाहा व्हायरल व्हिडिओ | व्हिडिओ बिबट्याने हायवेवर सायकलस्वारावर हल्ला केला त्यानंतर काय घडले व्हिडिओ prp 93 पहा
हायवेवर चालवत होता अन् अचनाकबट्याने विरोध केला, काय वाईट, पाहा व्हायरल व्हिडिओ | व्हिडिओ बिबट्याने हायवेवर सायकलस्वारावर हल्ला केला त्यानंतर काय घडले व्हिडिओ prp 93 पहा
बिबट्याच्या हल्ल्याचा व्हिडिओ: बिबट्या हा अत्यंत शिकारी ओळखला. तो गर्द झाडी मध्ये देखील शिकार करू शकतो. तो अत्यंत घटना घडणे प्रसिद्ध आहे. खूप वाघ, सिंह देखील बिबट्याच्या वाटेला जात नाहीत. अशाच एका धोकादायक बिबट्याचा आणखी एक व्हिडियो सध्या व्हायरल होत आहे. या व्हिडीओमध्ये बिबट्याने एका हायवरच्या बाजूला जात असलेल्या व्यक्तीवर हल्ला केला. हा थरकाप उडवणारा व्हिडीओ अनुभव अंगावर काटा न्यायाधीश. सोशल…
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#जंगली प्राणी का हमला#तेंदुए का हमला#नवीनतम ट्रेंडिंग व्हिडिओ#नवीनतम व्हायरल व्हिडिओ#बिबट्या#बिबट्या हल्ला#बिबट्याचा हल्ला#बिबट्याचा हल्ला जुना व्हिडिओ#बिबट्याने एका माणसावर हल्ला केला#बिबट्याने सायकलस्वारावर हल्ला केला#महामार्गावर बिबट्याचा हल्ला#वन्य प्राण्यांचा हल्ला#व्हायरल व्हिडिओ#व्हायरल व्हिडियो
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2015 से आगे की एक कविता
कार्तिक की अंधेरी रात
दो मोहल्लों के कुत्ते आपस में झगड़ते हैं
कभी लगता है हमला हुआ है एक दल का
तो कभी आवाज़ घटती सी जान पड़ती है
जैसे किसी गाड़ी की बैकलाइट के पीछे दौड़ गया हो एक झुण्ड
फिर अकेले में रोता है एक कुत्ता
पंचम स्वर में
ऊं ऊं ऊं
और रोते रोते लगता है भूंकने
जैसे तय न कर पा रहा हो
बचने की तरकीब ऐन हमले के क्षण में
इसी बीच लगता है जैसे हो गई है संधि
थोड़े अंतराल पर रह-रह कर आवाज आती है
घुर घुर घुर
फिर सब शांत
निस्तब्ध
एक महान व्यभिचार की जैसे आहट
जिसे छुपाया जा रहा हो
उनसे जिन्हें आदत है
देर रात जगने की
जैसे दिया जा रहा हो आभास
कि अब सब ठीक है
चलो, सो जाओ
सो जाओ
कि खत्म हो चुका है प्रश्नकाल
मत पूछो
दिसंबर के पहले पहर
पंखा क्यों चलता है
मत पूछो
बाहर दिख रही घनी धुंध में
बारूद क्यों महकता है
जैसे चलते-चलते किसी पहाड़ी रास्ते पर
अचानक रुक जाए बाइक
जले हुए ऊन की अचानक उठी गंध
बदल ��ाए एक जीते-जागते बाघ में
कभी किया है महसूस ऐसा कुछ?
अंधेरी रात में बाघ को कुत्ता समझ लेना
हो सकती है जिंदगी की आखिरी भूल
अंधेरे में न दिखता है
न सूझता है
हाथ को हाथ
बाहर जो शांति फैली है
इस वक्त
हो सकता है वह मिलीभगत हो
अनेक नस्लों की
शायद मेरी खिड़की के नीचे कोई बाघ ही हो
या कोई भेडि़या
कोई भालू
एक सियार
मेरे ठीक पीछे की दीवार पर रेंगती है
एक छिपकिली चुपचाप
कुछ लोग गुज़र रहे हैं नीचे से
सिर्फ इसलिए चुपचाप
कि वे मानते आए हैं बरसों से
रात में धीरे बोलना चाहिए
या कि चुप ही रहना चाहिए
अजीब बात है
रात भी है
अंधेरा भी है
धुंध भी है
और सब शांत भी है
रात को अंधेरे के वश में छोडकर
धुंध में सो जाना
किसने सिखाया सबको?
देर रात
चलते-चलते मुसाफि़र
कहीं गड्ढे में गिर गया तो?
कुत्ते फिर से मुखर हो गए हैं
मैंने कहां पूछा था तेज़?
मैं तो बस सोच रहा था मन ही मन
कि उन्होंने मेरा मन पढ़ लिया
या कि बुदबुदाते होठों पर पढ़ ली प्रार्थना
रात के भटके मुसाफि़र के लिए?
अब तो मैं
उसे चाहकर भी नहीं बचा पाऊंगा
घेर लिया जाऊंगा
कोशिश की आगे बढ़ने की
तो मारा भी जा सकता हूं
घुप्प सन्नाटे में
किसे पुकारूं
सब सो गए हैं
ऐन अंधेरी रात
जब ज़रूरत जगने की है
सो गए हैं सब
जब धुंध को चीरकर निकाली जानी है एक राह
मुकम्मल सी
सो रहे हैं सब
जगे हैं तो केवल जानवर
एक से एक खतरनाक
जंगली
पालतू
प्यारे
हर नस्ल के
जानवर
और महीना कार्तिक का है
शुरू होने वाला है एक महान व्यभिचार
इस रात के सन्नाटे में
रखी जाएगी नींव संकर नस्लों की
आने वाली पीढि़यों का डीएनए होगा इतना जटिल
कि चकरा जाएगा विज्ञान
बताने में
बाघों और कुत्तों से मिलकर कैसे हुए पैदा
रंगे सियार
कि चमगादड़ों ने कैसे दिया जन्म
भेडि़ए के बच्चों को
और उल्लुओं के बीच समलैंगिक व्यभिचार से
कैसे जने गए गधे
बारह का गजर खड़कने से ऐन पहले
जबकि नितब्धता बस अभी-अभी उतरी है
सड़कों पर
मैं बचा ले जाना चाहता हूं
��्रकृति के इस विराट कलंक से
उस मनुष्य को
जो गिर सकता है
कभी भी गड्ढे में
अंधेरी रात में बाघ को कुत्ता समझ लेना
या गड्ढे को सीढ़ी समझ लेना
हो सकती है जिंदगी की आखिरी भूल
अंधेरे में न दिखता है
न सूझता है
हाथ को हाथ
मैं नहीं सो सकता
जानता हूं
उसे चाहिए मेरा साथ
पशुओं के साम्राज्य में हो सकता है
वह आखिरी मनुष्य मेरे सिवा
वह चाहे जो हो
उसे बचाया जाना ज़रूरी है।
सब मुझे घूर रहे हैं
गौर से
दीवार से चिपकी छिपकिली भी
उसका जितना भी बड़ा मुंह है
वह उतने में ही मुस्कराती है
मच्छर मौज ले रहे हैं
जैसे लगा रहे हों ठहाका
मेरे कान के इर्द-गिर्द
न्यूनतम समवेत् स्वर में
कुत्ते भी सहसा करने लगे हैं गों गों
अचानक हंस गया है एक पक्षी मेरे ठीक पीछे
बेहद तीखी आवाज़ में
जैसी सुनी जाती है किसी अकाल के ठीक बीचोबीच
फटी हुई धरती से सौ फुट ऊपर
और यहां नीचे
पशुओं के साम्राज्य में
अठखेलियां चालू हो चुकी हैं
यह फोरप्ले नहीं है
इसे कामक्रियाओं का उद्दीपन
समझना भूल होगी
खट खट बजती चौकीदार की लाठी और
रह-रह कर बजती लंबी सीटी
बन गई है सूत्रधार
एक भव्य प्रहसन का
अभूतपूर्व
प्रहसन
जिसके तुरंत बाद शुरू होगा सिलसिला
व्यभिचारों का
मूर्ख नस्लों को जनने का
जिसकी हर अगली पीढ़ी होगी
पिछली से भी ज्यादा और तीक्ष्ण मूर्ख
पीढि़यों का यह बोझ सघन होकर
लील जाए इस धरती को
उससे पहले
मैं बचा ले जाना चाहता हूं
एक शख्स को
गड्ढे में गिरने से
और मेरे इस खयाल पर
हंस रहे हैं सभी प्राणी
इनकी चुप्पी में भी मिलीभगत थी
ये हंसते भी हैं एक साथ
बिना बात की सामूहिक हंसी पैदा करती है आतंक
मुझे डर लग रहा है
यह मेरा वहम भी हो सकता है
लेकिन इतिहास गवाह है
देर रात जगने वालों को सुबह उठते ही
मार डाला गया है
अचानक मुझे लगता है
कि सब कुछ ठीक नहीं है
रात के इस धुंधलके में
सब सो गए तो क्या हुआ
प्रश्न तो पूछे ही जाने होंगे
नहीं कर सकता मैं इंतज़ार
सदन के अगले सत्र का
मैं नहीं सो सकता
बेफि़क्र
जबकि एक शख्स गिर सकता है कभी भी
गड्ढे में
मन का सारा डर समेट कर
पूरे साहस के साथ
मैं चीखता हूं ''नहीं''!
''यह ठीक नहीं
यह जो हो रहा है ठीक नहीं है
मुझे डर लग रहा है''
मेरी इस चीख पर कोई हंस सकता है
यह मैंने पहली बार जाना
ऐसी बात पर सब हंस देंगे
यह भी पहली बार जाना
अपना डर बताने पर और डरा��ा जाएगा
यह भी मैंने पहली बार जाना
मनुष्यता के ��तिहास में 2015 से पहले
ऐसी प्रतिक्रिया
कब मिली होगी भला?
मुझे डर लग रहा है
आप मुझे डरपोक कह सकते हैं, बेशक
मैं कहता हूं कुछ तो गड़बड़ है
और आप मुझे असहमत कह सकते हैं
मैं सवाल पूछूं तो
आप मुझे बाग़ी कह सकते हैं
लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि
मैं चीखता रहूं
और आप हंसते जाएं
आतंकित करने की हद तक हंसें
बना दें मेरे सवाल को एक प्रहसन
और पलट कर बोलें
यह डर नकली है
यह विरोध नकली है
अगर अब है तो
पहले क्यों नहीं था
अगर पहले नहीं था तो
अब क्यों है
इसका मतलब साफ़ है
यह आदमी राजनीति कर रहा है
यह संदिग्ध है
इसका डर संदिग्ध है
इसका विरोध संदिग्ध है
यह आदमी संदिग्ध है
इसका होना संदिग्ध है
इसके पीछे बाहरी ताकतों का हाथ है
इसे बाहर भेजो
यहां भेजो
वहां भेजो
लेकिन यहां से चाहे जहां भेजो
हकाल दिया गया है मुझे सिनेमाहॉल से बीचोबीच
कि प्रहसन से ऐन पहले
नहीं खड़ा हुआ मैं राष्ट्र के अश्लील गान में
रंग दी गई है मेरे मुंह पर कालिख
लोकतंत्र, आधुनिकता और सद्भाव के मुहाने पर खड़ा
मैं
सदमे में हूं
सुलझाते हुए भाषा की गुत्थी
शब्दों की खोखल में
परिचित अर्थों को दोबारा भरने की
करता हूं कोशिश
चाहता हूं लिखना
एक अदद प्रामाणिक कविता
मुंह अंधेरे
इस बात से बेखबर
कि
मुझ पर हंसते-हंसते
उन्हें लग आई है बेजोड़ भूख
और वे समझते हैं
कि इस प्रहसन को बीच में रोकना
जरूरी है
बेहद ज़रूरी
उनकी क्षणिक हार की कीमत पर भी
ताकि थोड़ा सुस्त हो लें
कुछ और निशाचर
हो लें आश्वस्त
कि आतंक थम गया है
पाटलिपुत्र में हार गया है चाणक्य
यह अंधेरे का धोखा है
ढलती रात के साये में
धोखे से सिर्फ हत्या की जाती है
और कुछ नहीं
उनकी थम चुकी हंसी
और बाहर फैला मौन
संकेत है
किसी आसन्न अनिष्ट का
शास्त्र सम्मत नहीं होता खाली पेट किया गया व्यभिचार
सो
निकल पडे हैं वे
समस्त भालू/ बाघ/ सियार/ भेडि़ए/ बघीरे/ लकडबग्धे/ चमगादड़ और
कुत्ते झुटपुटे में
विश्वासघात के एक ऐतिहासिक क्षण में
करने को आखेट
कि अचानक गुरगुराता है मंदिर की छत पर
उत्तर दिशा में एक भूरा बंदर
खों खों खों
और चिहुंकने लगते हैं उसके सारे संगी
यही है यही है
गूंज उठता है जंगल
सही है सही है
भूखे पेट
रौंदते जमीनों को
जंगलों को
नदियों को
और चींटियों को
दौड़ पड़ते हैं
सहस्र चतुष्पद
भोर के माथे पर लहराता है एक चाकू
सनसनाती है एक शमशीर
मचल उठता है
दिशाओं को तीन हिस्से में काटता एक त्रिशूल
और खच्च्च्च्च की विलंबित भैरवी पर
क्षितिज से हौले-हौले उठता है सूरज
रामराज का
गाय जैसी रंभाती हुई सभ्यता को देख
स्वर्ग में मुस्कराता है गोडसे।
मुसाफिर मारा गया
मैं उसे नहीं बचा सका
और यह बात सिर्फ मैं जानता हूं
या वे
जो जागते हैं देर रात तक
देते हैं दखल उनकी काम-क्रीड़ा में
ताकि बचा रहे डीएनए
प्रश्नांकन का
संततियों में।
कल फिर चलेगी गोली
फिर मरेगा कोई
और हर हत्या के साथ
वे छीन लेंगे मुझसे कुछ शब्द
वे शब्द
जिन्होंने मनुष्यता को दिए हैं स्वर
जिनसे निकलती है कविता
कविता
जो बचाती है
अंत तक
साहस को
ईमान को
जबान को, रात के घुप्प अंधेरे में भी
अनियंत्रित भौंकते हुए कुत्तों के बीच
क्योंकि कविता
मनुष्यता की सबसे बड़ी आस्था है
मूर्खता के स्वर्णकाल में
वह विवेक का संदूक है
विरोध की लाठी है
भाषा का विज्ञान है
आधी रात की आशंकाओं में
किसी हत्या की आसन्नता के बीच
एक सच ऐसा है जिससे महरूम है
बर्बर पशुओं का यह साम्राज्य
वह सच कविता का है
वह इतिहास का वह सबक है
कि बीत ही जाता है हर मौसम
बरपाकर अपना कहर एक रोज़
पर
जब कटती है फसल
आती है बैसाखी
तक हरी कोपलों में छुप जाते हैं
मनुष्यों के
जत्थे के जत्थे
घेर लिए जाते हैं भुखमरे गांवों से शहर
वे चाहे कितने ही स्मार्ट हों
बिलकुल छापामार शैली में
तब भागते हैं भेडि़ए संसद की ओर
कुत्तों को नहीं मिलता कोई ठौर
अब तक लटकते थे मौज में जो उलटे
पहली बार लटकाए जाते हैं वे चमगादड़ जबरन
सीधी कर दी जाती है बंदरों की पूंछ
नहला-धुला कर चौराहों पर
खड़े कर दिए जाते हैं सियार
ठप कर दिए जाते हैं सब व्यभिचार
तब
देश का सबसे सहिष्णु कवि
सबसे संस्कारी फिल्मकार
सबसे मानवीय वैज्ञानिक
सबसे उदार इतिहासकार
सबसे साधारण बुद्धिजीवी
और सबसे देहाती नागरिक
अपने-अपने बचे-खुचे शब्दों की
जलाकर मशाल
गाता है पहली बार
असहिष्णुता का एक महान गी��
महानतम असहिष्णुताओं के खिलाफ��।
ऐसा हर बार होता है
लेकिन हर बार
यह पहली बार होता है
मनुष्यता ऐसे ही बचती है
पाशविकता ऐसे ही हारती है
बस
जिंदा रह जाता है यह सच
न भुलाए जाने को
मामूली कविताओं में
संक्षिप्त नारों में
बुझ चुकी मशालों में
घिस चुके पन्नों में
पेड़ों की छालों में
दब चुकी घासों में
बातों में, यादों में
और औरतों के गर्भ में
जिन्हें अभी असंख्य यातनाएं झेलनी हैं
जिन्हें अभी असंख्य स्पार्टकस जनने हैं।
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घोड़े - इतिहास के बाहुबली
इंसान ऐसा जीव है जो दूसरे जीवो को अपने पास रखकर उसका अपने लिए इस्तेमाल करता है । उसने कई प्राणियों को अपना पालतू बनाया है । कुत्ता , हाथी , बिल्ली , भैंस , मुर्गी , बकरी , गाय , कबूतर , गधा और घोड़े जैसे जीव उनमे शामिल है । ये सभी प्राणी मूलतः जंगली थे पर मनुष्य ने इनको पालतू बनाया है । अब ये सब मानव जीवन के अभिन्न अंग है । आज तक इनमे से कुछ प्राणियों ने तो मानव का जीवन तो बदला ही है साथ में कई बार तो मानव का पूरा इतिहास ही बदल के रख दिया है । आज हम उन प्राणियों की बात करेंगे जिन्होंने मानव के इतिहास कोही पलट दिया । जैसे की प्राचीन मिस्र ( आज का इजिप्त देश ) में लोग बिल्ली को देवी का स्थान देते थे । आज भी पिरामिड के साथ बिल्ली के बड़े बड़े शिल्प खड़े है । वे सब बिल्ली को देवी मानकर उसकी पूजा करते थे । लेकिन जब ईसा पूर्व ५२५ में पर्शियन लोगो ने मिस्र पर हमला किया तो उन्होंने बिल्ली को अपनी ढाल के आगे बांधकर लड़े । अब मिस्र के सैनिकों ने बिल्ली को जख़्म ना हो इसलिए उन्होंने अपनी तलवार और भाला अच्छी तरह चलाया ही नहीं ।पर्शियन लोगो ने मिस्र को जित लिया । यह एक ताज्जुब था कि मिस्र एक बिल्ली के कारण हारा । यह तो सिर्फ एक सेम्पल कथा है । इतिहास में इसके बढ़कर अनेक प्राणी को कारण हुई घटनाओं ने पूरे इतिहास को ही बदल दिया था । तो चलिए जानते है उन प्राणियों को और उनके ऐतिहासिक चमत्कारों को । ■ घोड़ा कब से इंसान घोड़े का इस्तेमाल कर रहा है और कैसे इसका कोई पूर्ण समय और दिनांक नही लेकिन कहा जाता है कि हजारों सालों से घोड़े को इंसान सवारी के लिए उपयोग में ले रहा है । लेकिन कुछ तथ्य है जो नृवंशशास्त्री डेविड एन्थनी और उसकी पत्नी ( संशोधक ) डोकर्स ब्राउन पश्चिम रशिया की मुलाकात करने गए थे । यूक्रेन का पुरातत्व शास्त्री दिमित्री टेलेगीन भी उनके साथ जुड़ जाता है । उत्खनन के दौरान उनघोड़े की कुछ अस्थियां मिलती है जिसमे दांतो वाला जबड़ा भी शामिल था । रेडियो कार्बन डेटिंग की तकनीक का इस्तेमाल की अस्थि लगभग ६००० साल पुरानी है । दूसरी बात यह थी इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से परीक्षण से पाया गया कि कुछ घोड़े के अग्र दाढ़ में खड्डा और कुछ घिसी हुई लकीरे मिलती है । जब की दूसरे घोड़े के दंतावाली में ऐसे कोई भी चिन्ह देखने को नहीं मिली । मतलब साफ था । उस प्रदेश के लोगो ने घोड़े को अपने लिए उपयोग किया था । इसलिए यह साबित हो गया कि ५६००० साल पहले भी इंसान ने घोड़े को वश में रखने के तरीके जनता था । शरु शरू में तो घोडा जब दौड़ता था तब थोड़ी मिनटों के लिए ही सवारी होती होगी जो जल्द दी थका देती होगी । क्योंकि सवार को अपने दोनों पैरों को घोड़े के साथ दोनों तरफ दबा के रखने पड़ते थे पर वह सवारी ज्यादा समय नही चल सकती । इसलिए जंगली अवस्था में रहे घोड़े को शरुआत में ज्यादा समय के लिए लंबे सफर के लिए इस्तेमाल नही कर सकते थे ।
बाद में बदलाव आता है । ईसा पूर्व दूसरी सदी में भारत में क्रन्तिकारी शोध होती है - रकाब की । यानि कुंडे की । शरुआत में भारत का रकाब में सिर्फ पैर का अंगूठा ही लगा सकते थे । बाद में पूरा पंजा रख सके ऐसा रकाब बनाया गया । थोड़े वर्षो बाद इस शोध को सम्राट अशोक के प्रचारक पहुचाते है । जो बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए गए थे । रकाब के आने से मानो क्रांति की शरुआत हुई ।
जैसे ही घोडा और रकाब चीन पहुचा वहा पर क्रांति की पहली चिनगारी सुलगी । बात यह थी की उस समय पश्चिम और मध्य एशिया में अट्टीला नाम की जाती के लोग रहते थे जिनको खेती करना भी नहीं आता था । वे सब कबीलो में रहते थे । हर क़बीला का एक सरदार था । पर उनका कोई एक सयुंक्त सरदार नही था । रकाब और लगाम आ गए तो उनको मुक्त रूप से तेजी से घुड़सवारी करना उन्होंने सिख लिया । और इसी के कारण ईसा ४३२ में रुगिला नाम के सरदार ने कुछ युद्ध करके कुछ कबीलों को जीत लिया । फिर उसने अश्व सवार सेना बनाई और आसपास के इलाके को जीतने लगा ।
रुगिला का अत्तिला नाम का भतीजा उस से भी ज्यादा बहादुर निकला । उसने दुनिया के सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले रोम के पूर्वीय साम्राज्य पर हमला करके उसे जीत लिया । वहा पर उसने सालाना ३१७ किलो सोने का लगान लगा दिया । ईसा ४४१ से ४४३ तक जिस साल में लगान नहीं मिला उस साल अत्तिला ने उस प्रदेश को उजाड़ दिया । गाँव और शहरो को आग लगा दी । हजारो सैनिको तथा सामान्य नागरिको की हत्या कर दी । रोमन साम्राज्य ने सुलह खत लिख दिया । जिसमें बाकि रह गए लगान के सोने को देने की लिए बाध्य हुआ । दूसरी तरफ अत्तिला ने वः लगान तीन गुना बढ़ा दिया । सालाना ९५१ किलो सोना । अत्तिला ने कैद पकड़े सैनिको से भी धन कमाया । बाद में ईसा ४५१ में उठाने गाउल ( फ्रांस ) पर आक्रमण कर दिया जो रोम का ही एक भाग था । लेकिन उसमें वह सफल नही हुआ । लेकिन उसने इतना नुक��ान किया कि लश्करी और आर्थिक घाव से ६४,७५,००० चोरस किलोमीटर में फैला पूरा रोमन साम्रज्य सिर्फ पच्चीस साल बाद ईसा ४७६ में हमेंशा के लिए ढ़ह गया । उसी दौरान ईसा ४६५ में अट्टीला जाती ने भारत पर भी आक्रमण किया । जिसने गुप्त साम्राज्य की जड़े हिला के रख दी । आखिर में जब अट्टीला का सेनापति मिहिरकुल कश्मीर में मर गया तब गुप्त साम्राज्य का अस्तित्व ही नही रहा था । भारत अनेक छोटे छोटे राज्य और हकूमतों में बट गया था । यही बंटवारा बाद में भारत की ग़ुलामी का कारण बना ।
अब जरा सोचो यदि रकाब और लगाम से मिले घोड़े ना होते तो अट्टीला जैसी जाती यूरोप से कास्पियन समुद्र तक अपना साम्राज्य बना सकते थे ? अगर वे नही होते तो रोमन साम्रज्य ज्यादा समय तक नही टिकता ?
मोंगोलिया में ईसा ११६७ में जन्मा चंगीज खान ने तो पूरे मध्यएशिया में अपना साम्राज्य फैलाया । उसमे बड़ी सहायता थी घोड़े की । वरना वर्षो तक मोंगोल लोग दो एक हजार चोरस किलोमीटर के विस्तार में रहते थे । उस के बाहर कोई अस्तित्व नही था । मोंगोलिया नाम का कोई देश ही नहीं था । वहा पर घास के मैदान में मोंगोल लोग अपना कबीले बनाकर रहते थे । चंगीज खान ने उनको एक बनाया और किर्गिज और मोंगोल दोनों को एकसाथ खड़ा कर दिया । अपनी सेना बनाइ जिसकी मदद से उसने किर्गिज और मोंगोल दोनों के प्रदेश जीत लिए । लेकिन उसकी महत्वाकांशा तो अपना राज्य महासागर तक फ़ैलाने की थी । दो छोटे राज्य जितने के वाद उसने चीन को अपना निशाँ बनाया । उसकी ताकत का अच्छा खासा आधार उसके मोंगोलियन घोड़े पर था । जो की बिना थके ७०-७२ किलोमीटर की रफ्तार से घण्टों तक दौड़ सकते थे । और तो और उनके लिए चारे का सामान भी साथ नही लेना पड़ता था । रास्ते के घास पत्ते खाकर पेट भर लेते थे ।
इस सरदार की सेना सन १२११ में चीन की ओर चल पड़ी । लाखों घोड़े की सेना मानो धरतीकंप हो रहा हो ऐसे धरती को हिलाते हुए आगे बढ़ते रहे । १२११ का साल पूरा हो इससे पहले चंगीज खान ने चीन के उत्तर हिस्से को जित लिया । चीन के पास थल सेना ही थी जो अश्व सेना का सामना नही कर सकी । मोंगोलो का तीर और भालो ने १२,००,०००चीनियों को मार डाला । चंगीज खान वहा पर रुका नही बल्कि सन १२१५ में बीजिंग भी जीत लिया । सन १३२१८ में चंगीज खान ने पूरा मध्य एशिया , कास्पियन समुद्र से लेकर पूर्व प्रशांत महासागर तक अपना साम्राज्य फैला दिया । जिसमें रशिया का प्रदेश भी शामिल था । इतिहास में लिखा हुआ ये सबसे बड़ा साम्राज्य चंगीज खान का था और उसे बनाने में सबसे ज्यादा मगरूर हिस्सा घोड़े का था - एक प्राणी का !!!!
भारत की बात करे तो यदि चंगीज खान की तीसरी पीढ़ी का तैमूर लंगड़ा ने घुड़सवारों की ९�� पलटनों के साथ १३९८ में दिल्ही , मेरठ और हरिद्वार में कत्लेआम मचा गया । बाद में तैमूर वंश के बाबर ने भी ३३१ साल तक चलनेवाली मोगल सल्तनत रच दी । जंगली घोड़े को रकाब और लगाम से काबू में लेने के बाद उसकी वजह से यह ऐतिहासिक बदलाव आ गए ।
ब्रिटन जैसे देशों में तो साडी समाजव्यवस्था ही बदल गई । तो साउथ अमरीका में तो गजब बदलाव आया । वहाँ की आइजेक और इंका सभ्यता का ही खात्मा हो गया । स्पेनिश सेनापति हेर्नांन कोर्टेस जब ६५० सैनिको की टुकड़ी लेकर गया तो उसे पिछेहठ करनी पड़ी । इस लिए उसने क्यूबा से ज्यादा सैनिक मंगवाए जो की अश्वरोही थे । जब घुड़सवार ए तो आजतेक लोग लड़ने की बदल दुम दबाकर भागे । वे घोड़े को दैत्य मान बैठे थे । स्पेनियार्डो ने उनको काट डाला । आज भी वहा पर स्पेनिश लोग ज्यादा है । सत्तावर भाषा भी स्पेनिश । सब मिलकर कुल १८ देश उन्होंने जित लिए । ब्राज़ील को छोड़कर सब जगह स्पेनिश लोगो का कब्जा है जो मिला था घोड़ो की वजह से ।
इतिहास और भूगोल दोनों को बदल देने वाले परिवर्तन में घोड़े ने अहम भूमिका निभाई । पर जिसका आरम्भ उसका अंत भी होता है । दूसरे विश्व युध्ध में जब स्प्टेम्बर १९३९ को नाजी बख्तर दल ने पोलेंड की ४० अश्वरोही रेजिमेंट को तबाह कर दिया । पोलेंड ने ६६००० सैनिको को गवा दिया । उनकी लाशो के बीच पड़े घोड़ो के छिन्नभिन्न अवशेष ने उनका इतिहास के रंगमंच से रुकसद दे दी ।
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भालू ने किया ग्रामीण पर हमला , खतरे में पहाड़ पर ग्रामीणों की जिंदगी
भालू ने किया ग्रामीण पर हमला , खतरे में पहाड़ पर ग्रामीणों की जिंदगी
जम्मू कश्मीर रिपोर्ट जेबी प्रीत पाल सिंह:- प्रतिदिन जंगली जानवरों के आवादी बहुल क्षेत्र में विचरण करने पर जम्मू कश्मीर के मंडी में लोगों का जीना मुहाल हो गया है ၊इन खतरनाक जंगली पशुओं से लोंगों की रक्षा करने के लिए उत्तरदायी बन्य प्राणी. विभाग की अकर्मयता का खामियाजा यहाँ के भोले भालें नागरिकों को होना पड़. रहा है ၊
इसी क्रम में नायक माजिद का पुत्र मो हुसैन जब अपने पालतू जानवरों के साथ गलिमा…
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