#चित्रकूट की सियासत
Explore tagged Tumblr posts
Text
शिरडी में बोले प्रधानमंत्री मोदी - किसानों के नाम पर नेताओं ने सिर्फ सियासत की, मोदी आज ढाई घंटे चित्रकूट में रहेंगे
सौरभ निगम -CIN ब्यूरो /शिरडी में बोले प्रधानमंत्री मोदी – किसानों के नाम पर नेताओं ने सिर्फ सियासत की, मोदी आज ढाई घंटे चित्रकूट में रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार पर निशाना चाहते हुए कहा कि महाराष्ट्र में कुछ लोगों को किसानों के नाम पर केवल राजनीतिक करने की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध…
View On WordPress
0 notes
Text
मधुवन गार्डन में संपन्न हुई आम आदमी पार्टी की सभा
जनता के सहयोग से हम मध्यप्रदेश में नया बदलाव लायेंगे – दीपक शर्मा सतना। आम आदमी पार्टी ने चुनावी सियासत को नजदीक आते हुए देख कर सतना में एक के बाद एक सभाएं कर सत्ता को अपने पक्ष में करने का फैसला कर लिया हैं। आम आदमी पार्टी की जनसभा मधुवन मैरिज गार्डन में आयोजित हुई जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब के प्रदेश सचिव व सतना,नागौद,रैंगांव व चित्रकूट विधानसभा के केंद्रीय प्रभारी दीपक शर्मा ने सभा को…
View On WordPress
0 notes
Text
চম্বল কি ঘাঁটি পর রাজ করার লোক দদুয়া কা বেটা নির্বাচনী মাঠে, চিত্রকুট সম্পূর্ণ শিয়াসি গণিত
চম্বল কি ঘাঁটি পর রাজ করার লোক দদুয়া কা বেটা নির্বাচনী মাঠে, চিত্রকুট সম্পূর্ণ শিয়াসি গণিত
উত্তর প্রদেশের শিয়াসি সমরে চার ধাপের জন্য হোটিং হয়, সেঁ পাঁচ পনের জন্য প্রচার হয়। ইউপি-এর শিয়াসত-এ ছবিকুট আহমেদ স্থান। উত্তর প্রদেশের ছবিকুট জিলে রেম भक्ती कुट-कूट कर भरी है। ছবিকুট যখনও জিক্র ছিল তখন দূয়ার নাম জুর এখন। এমনিতে আমাদের জানার চেষ্টা করা হচ্ছে কি কি চম্বলের ডকেত দূয়া কা তিলিস্ম আজও ঘাঁটিতে জিন্দা আছে, এই এখানের জনগণের এক ভাল ভবিষ্যতের স্বপ্নে ভরসা করা হচ্ছে। দুয়া যার এক ডকৈত…
View On WordPress
#2022 সালের নির্বাচন#चित्रकूट की सियासत#অখিলেশ यादव#ইউপি নির্বাচন#ইউপি বিধানসভা নির্বাচন 2022 জাতীয়#উত্তর প্রদেশ নির্বাচন 2022#উত্তরপ্রদেশের সর্বশেষ খবর#কেবিএম চুনাভ যাত্রা মনোগ্যা 2022#চিত্রকূট#নির্বাচন 2022#নির্বাচন আপ#বিজেপি#বীজেপি#মানিকপুর আসন#সমাজবাদী পার্টি
0 notes
Text
उप्र: 16 जिलों के पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा, सपा को मात्र इटावा में मिली सफलता Divya Sandesh
#Divyasandesh
उप्र: 16 जिलों के पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा, सपा को मात्र इटावा में मिली सफलता
लखनऊ। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जलवा बिखेर दिया है। यहां 16 जिलों में भाजपा उम्मीदवारों ने निर्विरोध नामांकन कर अपना कब्जा जमा लिया है। निर्विरोध नामांकन के बाद विजय सुनिश्चित मानी जा रही है। वहीं, सपा को मात्र इटावा में निर्विरोध ज���तने की सफलता मिली है।
बतादें कि जिन जिलों में एक से अधिक नामांकन हुए हैं, वहां 29 जून को नामांकन वापसी के बाद मामला साफ हो जाएगा। आज नामांकन की अंतिम तारीख के दिन भाजपा व अन्य विपक्षी दलों के बीच खूब घमासान हुआ। सपा ने जिला प्रशासन पर उम्मीदवारों की कीडनैपिंग का आरोप लगाया है।
यह खबर भी पढ़ें: बिना भूकंप के अचानक हिलने लगी 980 फीट ऊंची इमारत, देखे वायरल वीडियों में कैसे जान बचाने के लिए भाग रहे है लोग
आयोग द्वारा जारी सूची के अनुसार आगरा से मंजू भदौरिया, ग़ाज़ियाबाद से ममता त्यागी, मुरादाबाद से डॉ शेफाली, बुलंदशहर से डॉ अंतुल तेवतिया, ललितपुर से कैलाश निरंजन, मऊ से मनोज राय, चित्रकूट से अशोक जाटव, गौतमबुद्ध नगर से अमित चौधरी, श्रावस्ती से दद्दन मिश्र, गोरखपुर से साधना सिंह, बलरामपुर से आरती तिवारी, झांसी से पवन कुमार गौतम, गोंडा से घनश्याम मिश्र, मेरठ से गौरव चौधरी निर्विरोध नामांकन किए हैं। वहीं, भाजपा ने वाराणसी सीट पर भी निर्विरोध नामांकन किया है।
सियासत ने दोहराया इतिहास, वीर सिंह के बाद अशोक जाटव बने निर्विरोध चित्रकूट की सियासत ने फिर इतिहास दोहराया है। 2005 में दस्यु सम्राट ददुआ पुत्र वीर सिंह ने सपा से निर्विरोध ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी हथियाई थी और आज भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष उम्मीदवार अशोक जाटव ने निर्विरोध ज़िला पंचायत अध्यक्ष बन गए। चित्रकूट जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अन्य किसी दावेदार में नामांकन नहीं किया भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध अध्यक्ष बन गए हैं।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
Photo
जानें क्यों इस महिला ने डॉन अतीक को किया था नाकों चने चबाने पर मजबूर यूथ इण्डिया संवाददाता। जरायम की दुनिया से सूबे की सियासत में पैठ बनाने वाले बाहुबलियों का लंबी फेहरिस्त है। इलाहाबाद और आसपास के इलाकों में दबदबा रखने वाला अतीक अहमद उनमें से एक है। वह शायद इकलौता सांसद है जिसे भगोड़ा घोषित किया गया था। पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके अतीक का दबदबा और रुतबा तब घटने लगा जब एक महिला से चुनाव हार गए थे । 2005 में बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या हुई तो अतीक मुख्य आरोपी ��नाया गया। जानकारी के मुताबिक पूजा पाल एक अस्पताल में सफाई का काम करती थीं। अस्पताल में ही उनकी राजू पाल से पहली मुलाकात हुई थी। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और राजू पाल ने उनसे 2005 में शादी की। विधायक चुने जाने के चार महीने बाद ही राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या हो गई। पूजा से उनकी शादी को सिर्फ नौ महीने बीते थे। सत्ता बदली तो राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने उसको नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया। हालत यह हो गई कि अतीक को इलाहाबाद छोड़ कर भागना पड़ा और नए सियासी ठिकाने की तलाश करनी पड़ी। बालिग होने से पहले ही महज 17 साल में अतीक पर पहला मुकदमा हुआए वो भी हत्या का। इसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक समय ऐसा भी आया जब अतीक पर उसकी उम्र से ज्यादा मुकदमे थे। 1990 और 2000 के दशक में अतीक ने सरकारी ठेके हासिल करने, जबरन वसूली के लिए अपहरण और हत्या की घटनाओं को अंजाम देकर दहशत कायम कर दी। देखते ही देखते इलाहाबाद और आसपास के जिलों में अतीक का खौफ कायम हो चुका था। 1992 में इलाहाबाद पुलिस ने पहली बार अतीक अहमद का कच्चा चिट्ठा जारी किया, जिसमें बताया गया था कि अतीक अहमद के खिलाफ लखनऊ, कौशांबी, चित्रकूट, इलाहाबाद के साथ-साथ बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली मामले दर्ज हैं। सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद में दर्ज हुए। अतीक पर जिस रफ्तार से मुकदमे कायम हो रहे थे, उसी रफ्तार से जरायम की दुनिया में उसका कद बढ़ रहा था। कई ऐसे मौके आए जब अतीक को सत्ता की ताकत का एहसास हो चुका था। 1989 में अतीक ने सियासत का रुख किया और यहां भी धमाकेदार इंट्री की। निर्दल प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस उम्मीदवार को मात देकर सीधे विधानसभा जा पहुंचा। 1991 और 1993 में भी अतीक निर्दल चुनाव लड़ा और विधायक बना। 1993 में विधान सभा चुनाव में सपा-बसपा की सरकार बनी तो अतीक भी मुलायम के साथ आ गया। 2 जून 1995 को मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड में भी अतीक का नाम आया था। 1996 में समाजवादी पार्टी ने अतीक को टिकट दे दिया और वह लगातार चौथी बार विधायक बन गया। सपा का साथ ज्यादा दिन का नहीं रहा। 1999 में अतीक ने सोने लाल पटेल का साथ पकड़ लिया और अपना दल के टिकट पर संसद जाने का ख्वाब देखने लगा। चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2002 में अपना दल के टिकट पर चुनाव जीतकर लगातार पांचवी बार विधायक बना। 2003 में जब यूपी में सपा सरकार बनी तो अतीक ने फिर से मुलायम सिंह का हाथ पकड़ लिया। 2004 में अतीक का लोकसभा पहुंचने का ख्वाब भी पूरा हो गया। वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर फूलपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा पहुंच गया। खाली हुई विधानसभा सीट पर अतीक के भाई अशरफ चुनाव मैदान में उतरा लेकिन उसे बसपा के राजू पाल ने हरा दिया। विधायक बनने केकुछ ही दिनों बाद विधायक राजू पाल को 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद में दिनदहाड़े गोली से छलनी कर दिया गया। आरोप अतीक और उनके भाई अशरफ पर लगा। समय बदला और सूबे में सरकार बदली तो अतीक के हौसले पस्त होने लगे। मायावती के जेहन में गेस्ट हाउस कांड के जख्म हरे थे। अतीक के सारे मामले खुलने लगे और एक के बाद एक इलाहाबाद में कई मुकदमे दर्ज हो गए। इस दौरान अतीक वह भूमिगत हो गया। पार्टी की बदनामी होने लगी तो मुलायम ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। गिरफ्तारी के डर से सांसद अतीक फरार था। उसके घर, कार्यालय सहित पांच स्थानों की संपत्ति न्यायालय के आदेश पर कुर्क की जा चुकी थी। 2007 के आखिर तक अतीक अहमद की गिरफ्तारी पर पुलिस ने बीस हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया और पूरे देश में अलर्ट जारी किया गया था। अतीक अहमद ने दिल्ली पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया और मायावती से अपनी जान को खतरा बताया। अतीक के बुरे दिन शुरू हो चुके थे। पुलिस और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने अतीक अहमद की एक खास परियोजना अलीना सिटी को अवैध घोषित करते हुए उसका निर्माण ध्वस्त कर दिया था। ऑपरेशन अतीक के तहत ही 5 जुलाई, 2007 को राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल ने अतीक के खिलाफ धूमनगंज थाने में अपहरण और जबरन बयान दिलाने का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद चार अन्य गवाहों की ओर से भी उनके खिलाफ मामले दर्ज कराए गए थे। दो माह के भीतर ही अतीक अहमद के खिलाफ इलाहाबाद में 9, कौशांबी और चित्रकूट में एक-एक मुकदमा दर्ज किया गया था। 2012 में सपा की सरकार बनी तो अतीक के दिन फिर बहुरने लगे। कुछ ही दिन में जमानत मिल गई और वह बाहर आकर सपा में शामिल हो गए । 2014 में सपा ने उनके गृह जनपद श्रावस्ती से टिकट दिया जिसमें वह बुरी तरह से हार गए। इलाहाबाद में अतीक की तूती बोलती थी। लेकिन राजू पाल की हत्या के बाद जब बसपा सरकार आई तो पूजा पाल दोबारा विधायक बनीं। पूजा पाल ने अतीक की नाक में इतना दम किया कि जिस सीट पर पांच बार विधायक रह चुका था, उस सीट को ही नहीं इलाहाबाद जिले को भी छोड़कर भागना पड़ा। 2014 के चुनाव में अतीक को अपने गृह जनपद श्रावस्ती जाकर चुनाव लड़ना पड़ा। 2017 में अतीक एक बार फिर विधायक बनने के लिए अतीक सक्रिय हुआ। सपा में झगड़े से पहले शिवपाल यादव की लिस्ट में उसे कानपुर की कैंट सीट से प्रत्याशी बनाया। अखिलेश ने उसका टिकट काट दिया। इसी दौरान इलाहाबाद में शियाट्स में मारपीट के मामले में फिर उसका नाम सुर्खियों में आया। मामला अदालत में पहुंचा। कोर्ट के सख्त रुख के का��ण उसे सरेंडर करना पड़ा। सपा में झगड़े से पहले शिवपाल यादव की लिस्ट में उसे कानपुर की कैंट सीट से प्रत्याशी बनाया। अखिलेश ने उसका टिकट काट दिया। इसी दौरान इलाहाबाद में शियाट्स में मारपीट के मामले में फिर उसका नाम सुर्खियों में आया। मामला अदालत में पहुंचा। कोर्ट के सख्त रुख के कारण उसे सरेंडर करना पड़ा। अतीक अहमद पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, शांति व्यवस्था भंग करने, थानाध्यक्ष के साथ मारपीट करने, लाइसेंसी शस्त्र के दुरुपयोग, गुंडा एक्ट, होटल मालिक के साथ मारपीट, शस्त्र निरस्तीकरण के बाद भी जमा न करने, जमीन पर जबरन कब्जे का आरोप में गंभीर धाराओं में मुकदमे कायम हुए हैं।
0 notes