#चारे की महंगाई
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थोक चारा मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 27.31% हो गई
थोक चारा मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 27.31% हो गई
जैसे-जैसे चारे की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, वैसे-वैसे उन परिवारों के लिए कोई राहत नहीं दिख रही है जिनकी आजीविका पशुपालन पर निर्भर है। अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित चारा मुद्रास्फीति की वार्षिक दर अक्टूबर 2022 में बढ़कर 27.31 प्रतिशत हो गई है, जो जुलाई 2013 के बाद सबसे अधिक है जब यह आंकड़ा 27.29 प्रतिशत था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा जारी…
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हरे चारे के संकट से निपटने का अच्छा विकल्प हो सकता है अजोला, बढ़ जाता है दूध उत्पादन
हरे चारे के संकट से निपटने का अच्छा विकल्प हो सकता है अजोला, बढ़ जाता है दूध उत्पादन
महंगा हरा चारा खरीदकर पशुओं को खिला रहे पशुपालकों को एक बार अजोला का इस्तेमाल करके देखना चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह पशुपालन के लिए अमृत कहा जाता है. इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा है. अजोला कैसे तैयार करें. Image Credit source: File Photo देश के कई हिस्स���ं में पशुपालक चारे की कमी और उसकी महंगाई से जूझ रहे हैं. देर से हुई बारिश और फिर बाद में अतिवृष्टि से इस संकट को और गहरा दिया है.…
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Coronavirus: कोरोना वायरस के कहर चीन पर भारी, खाद्य वस्तुओं की महंगाई 20.6 फीसदी पर
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Coronavirus: कोरोना वायरस के कहर चीन पर भारी, खाद्य वस्तुओं की महंगाई 20.6 फीसदी पर
कोरोना वायरस के अटैक से चीन की हालत खराब
यह बीमारी चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रही है
जनवरी में चीन की खाद्य महंगाई 20 फीसदी के पार
कोरोना वायरस का अटैक चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहा है. खतरनाक कोरोना वायरस के प्रकोप और नए साल में भारी मांग की वजह से चीन में महंगाई दर 8 साल से अधिक के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई. यही नहीं, जनवरी में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 20.6 फीसदी पर पहुंच गई है.
सोमवार को जारी चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चीन में खुदरा महंगाई दर जनवरी में 5.4 फीसदी रही, जो दिसंबर 4.5 फीसदी थी. खुदरा महंगाई की यह दर अक्टूबर 2011 के बाद सबसे ज्यादा है, जब यह दर 5.5 फीसदी पर थी. इसके पहले ब्लूमबर्ग के सर्वे में महंगाई की दर 4.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन महंगाई इससे भी ज्यादा रही.
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क्यों बढ़ी महंगाई
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने कहा कि महंगाई दर चंद्र नव वर्ष के कारण ही नहीं, बल्कि कोरोना वायरस के कारण भी बढ़ी. विश्लेषकों के मुताबिक कोरोना वायरस की रोकथाम की कोशिशों के कारण महंगाई की दर इतनी बढ़ी है.
और बढ़ेगी महंगाई!
जानकारों का कहना है कि परिवहन व्यवस्था प्रभावित होने और बंदी के अन्य कदमों से कुछ खाद्य वस्तुएं बड़े शहरों में पहुंचने से पहले सड़ सकती हैं. ऐसी वस्तुओं में खास तौर से फल, सब्जी और पशुओं के चारे शामिल हैं. इस प्रकार की स्थिति में लोग खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी भी करने लगते हैं. इसके कारण भी महंगाई बढ़ती है.
इसे भी पढ़ें: ऑटो सेक्टर पर नए साल में भी मंदी का साया, जनवरी में बिक्री 14% गिरी
जानकारों का कहना है कि नव वर्ष की छुट्टी के बाद महंगाई आम तौर पर कम हो जाती है, लेकिन इस साल यह इसके बाद भी उच्च स्तर पर बनी रह सकती है, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला चरमरा गई है. जनवरी में पोर्क सालाना आधार पर 116 फीसदी महंगा हो गया. पोर्क और ताजी सब्जियों की कीमतों की ऊंची कीमतों की वजह से महंगाई दर बढ़ी है. इस दौरान फैक्ट्री रेट पर वस्तुओं की महंगाई दर जनवरी में 0.1 फीसदी तक बढ़ी है.
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देहरी, आंगन, धूप नदारद
ताल, तलैया, कूप नदारद
घूँघट वाला रूप नदारद
डलिया, चलनी सूप नदारद
आया दौर फ्लैट कल्चर का,
देहरी, आंगन, धूप नदारद।
हर छत पर पानी की टंकी,
ताल, तलैया, कूप नदारद।।
लाज-शरम चंपत आंखों से,
घूँघट वाला रूप नदारद।
पैकिंग वाले चावल, दालें,
डलिया,चलनी, सूप नदारद।।
🤨🤨
बढ़ीं गाड़ियां, जगह कम पड़ी,
सड़कों के फुटपाथ नदारद।
*लोग हुए मतलबपरस्त सब,*
*मदद करें वे हाथ नदारद।।*
मोबाइल पर चैटिंग चालू,
यार-दोस्त का साथ नदारद।
बाथरूम, शौचालय घर में,
कुआं, पोखरा ताल नदारद।।
🤨🤨
हरियाली का दर्शन दुर्लभ,
*कोयलिया की कूक नदारद।*
घर-घर जले गैस के चूल्हे,
चिमनी वाली फूंक नदारद।।
मिक्सी, लोहे की अलमारी,
*सिलबट्टा, संदूक नदारद।*
मोबाइल सबके हाथों में,
विरह, मिलन की हूक नदारद।।
🤨🤨
बाग-बगीचे खेत बन गए,
जामुन, बरगद, रेड़ नदारद।
सेब, संतरा, चीकू बिकते
गूलर, पाकड़ पेड़ नदारद।।
ट्रैक्टर से हो रही जुताई,
जोत-जात में मेड़ नदारद।
रेडीमेड बिक रहा ब्लैंकेट,
पालों के घर भेड़ नदारद।।
🤨🤨
लोग बढ़ गए, बढ़ा अतिक्रमण,
*जुगनू, जंगल, झाड़ नदारद।*
कमरे बिजली से रोशन हैं,
ताखा, दियना, टांड़ नदारद।।
चावल पकने लगा कुकर में,
*बटलोई का मांड़ नदारद।*
कौन चबाए चना-चबेना,
भड़भूजे का भाड़ नदारद।।
🤨🤨
पक्के ईंटों वाले घर हैं,
छप्पर और खपरैल नदारद।
ट्रैक्टर से हो रही जुताई,
*दरवाजे से बैल नदारद।।*
बिछे खड़ंजे गली-गली में,
*धूल धूसरित गैल नदारद।*
चारे में भी मिला केमिकल,
गोबर से गुबरैल नदारद।।
🤨🤨
शर्ट-पैंट का फैशन आया,
धोती और लंगोट नदारद।
खुले-खुले परिधान आ गए,
बंद गले का कोट नदारद।।
*आँच�� और दुपट्टे गायब,*
*घूंघट वाली ओट नदारद।*
महंगाई का वह आलम है,
एक-पांच के नोट नदारद।।
🤨🤨
लोकतंत्र अब भीड़तंत्र है,
जनता की पहचान नदारद।
कुर्सी पाना राजनीति है,
नेता से ईमान नदारद।।
गूगल विद्यादान कर रहा,
मास्टर का सम्मान नदारद।💐🌹🌹💐👏
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