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#घर में पितृ दोष के लक्षण और उपाय
blogalien · 2 years
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Pitru Paksha Shradh I क्या आप जानते हो ? किसने शुरू कि श्राद्ध परंपरा
Pitru Paksha Shradh I क्या आप जानते हो ? किसने शुरू कि श्राद्ध परंपरा
Pitru Paksha Shradh :- क्या आप जानते हो ? श्राद्ध पक्ष की परंपरा कैसे शुरू हुई !   बहुत से लोगो को नहीं पता हैं की सबसे पहले किसने शरू किया था श्राद्ध ?  तो आएये जानते हैं के हमारे सनातन धर्म में Pitru Paksha Shradh यानि श्राद्ध पक्ष की ये परंपरा कब और कैसे शुरू हुई ! और फिर कैसे ये धीरे-धीरे सनातन धर्म के मानने वाले लोगों तक पहुंची !  महाभारत में भी पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध…
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#क्या पितरों को भोजन पहुंचता है#क्या श्राद्ध में मंदिर जाना चाहिए#घर में पितरों का स्थान कहां होना चाहिए#घर में पितृ दोष के लक्षण#घर में पितृ दोष के लक्षण और उपाय#पिंड दान कब करना चाहिए 2022#पितर कितने प्रकार के होते हैं#पितरों की तस्वीर किस दिशा में लगानी चाहिए#पितरों की पूजा कब करनी चाहिए#पितरों के गीत राजस्थानी#पितरों के दर्शन कैसे होते हैं#पितरों के रातिजगा के गीत#पितरों को किस दिशा में जल देना चाहिए#पितरों को जल देने का तरीका#पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है#पितृ दोष क्यों होता है#पितृ दोष निवारण के सरल उपाय#पितृ दोष पूजा सामग्री#पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए#पितृ पक्ष में पूजा करना चाहिए या नहीं#वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए#शादी में पितरों के गीत#श्राद्ध का क्या महत्व हैं#श्राद्ध का महत्व#श्राद्ध कितने दिन के होते हैं#श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं
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।। पितृगण कौन हैं ? घर के पितृ नाराज होने के
लक्षण और उपाय क्या हैं ।।
आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृदोष शांति के सरल उपाय। पितृ या पितृगण कौन हैं? आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति।
पितृगण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है, क्योंकि उन्होंने कोई-न-कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है। मनुष्य लोक से ऊपर पितृलोक है, पितृलोक के ऊपर सूर्यलोक है एवं इससे भी ऊपर स्वर्गलोक है।
आत्मा जब अपने शरीर को त्यागकर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृलोक में जाती है, जहां हमारे पूर्वज मिलते हैं। अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं कि इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया। इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्यलोक की तरफ बढ़ती है।
वहां से आगे यदि और अधिक पुण्य हैं तो आत्मा सूर्यलोक को पार कर स्वर्गलोक की तरफ चली जाती है, लेकिन करोड़ों में एकआध आत्मा ही ऐसी होती है, जो परमात्मा में समाहित होती है जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता। मनुष्य लोक एवं पितृलोक में बहुत सारी आत्माएं पुन: अपनी इच्छा व मोहवश अपने कुल में जन्म लेती हैं।
पितृदोष क्या होता है?
हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं और महसूस करते हैं कि हम��रे परिवार के लोग न तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और न ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं, न ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दु:खी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं जिसे 'पितृदोष' कहा जाता है।
पितृदोष एक अदृश्य बाधा है। यह बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है। पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं, जैसे आपके आचरण से, किसी परिजन द्वारा की गई गलती से, श्राद्ध आदि कर्म न करने से, अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।
इसके अलावा मानसिक अवसाद, व्यापार में नुकसान, परिश्रम के अनुसार फल न मिलना, विवाह या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, करियर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पितृदोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति, गोचर, दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते और कितना भी पूजा-पाठ व देवी-देवताओं की अर्चना की जाए, उसका शुभ फल नहीं मिल पाता।
पितृदोष दो प्रकार से प्रभावित करता है : -
1. अधोगति वाले पितरों के कारण
2. उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण
अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किए गए गलत आचरण की अतृप्त इच्छाएं, जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर, विवाहादि में परिजनों द्वारा गलत निर्णय, परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं, परिवारजनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।
उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यत: पितृदोष उत्पन्न नहीं करते, परंतु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वे पितृदोष उत्पन्न करते हैं। इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है। फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों न किए जाएं, कितने भी पूजा-पाठ क्यों न किए जाएं, उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता। पितृदोष निवारण के लिए सबसे पहले यह जानना ज़रूरी होता है कि किस ग्रह के कारण और किस प्रकार का पितृदोष उत्पन्न हो रहा है?
जन्म पत्रिका और पितृदोष जन्म पत्रिका में लग्न, पंचम, अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृदोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य, चंद्रमा, गुरु, शनि और राहू केतु की स्थितियों से पितृदोष का विचार किया जाता है। इनमें से भी गुरु, शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृदोष में महत्वपूर्ण होती है। इनमें सूर्य से पिता या पितामह, चंद्रमा से माता या मातामह, मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।
अधिकांश लोगों की जन्म पत्रिका में मुख्य रूप से चूं‍कि गुरु, शनि और राहु से पीड़ित होने पर ही पितृदोष उत्पन्न होता है इसलिए विभिन्न उपायों को करने के साथ-साथ व्यक्ति यदि पंचमुखी, सातमुखी और आठमुखी रुद्राक्ष भी धारण कर ले तो पितृदोष का निवारण शीघ्र हो जाता है। पितृदोष निवारण के लिए इन रुद्राक्षों को धारण करने के अतिरिक्त इन ग्रहों के अन्य उपाय जैसे मंत्र जप और स्तोत्रों का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।
पितरों के नाराज होने के लक्षण : -
खाने में से बाल निकलना
बदबू या दुर्गंध : कुछ लोगों की समस्या रहती है कि उनके घर से दुर्गंध आती है।
पूर्वजों का स्वप्न में बार-बार आना
शुभ कार्य में अड़चन : शुभ अवसर पर कुछ अशुभ घटित होना पितरों की असंतुष्टि का संकेत है।
घर के किसी एक सदस्य का कुंआरा रह जाना
मकान या प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में दिक्कत आना
संतान न होना
पितृदोष की शांति के 10 उपाय : -
1. पिंडदान, सर्पपूजा, ब्राह्मण को गौदान, कन्यादान, कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना, मंदिर प्रांगण में पीपल, बड़ (बरगद) आदि देववृक्ष लगवाना एवं विष्णु मंत्रों का जाप आदि करना...
2. वेदों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र, स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों न हो, वह शांत हो जाती है। अगर नित्य पठन संभव न हो तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए।
वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृदोष है, उस पितृदोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना अच्छा होता है।
3. भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठकर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर निम्न मंत्र की 1 माला नित्य जाप करने से समस्त प्रकार के पितृदोष संकट बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है। मंत्र जाप प्रात: या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं।
मंत्र : 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।'
4. अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रतापूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल बूरा, घी एवं 1 रोटी गाय को खिलाने से पितृदोष शांत होता है।
5. अपने माता-पिता व बुजुर्गों का सम्मान, सभी स्त्री कुल का आदर-सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
6. पितृदोषजनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए 'हरिवंश पुराण' का श्रवण करें या स्वयं नियमित रूप से पाठ करें।
7. प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है।
8. सूर्य साक्षात पिता है अत: ताम्बे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, लाल चंदन का चूरा, रोली आदि डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देकर 11 बार 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करने से पितरों की प्रसन्नता एवं उनकी ऊर्ध्व गति होती है।
9. अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
10. पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें। अगर 108 परिक्रमा लगाई जाए तो पितृदोष अवश्य दूर होगा।
।। श्री स्नेहा माता जी ।।
SHIVSHAKTI VISHAV KA ADHAR
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chaitanyabharatnews · 4 years
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जानिए पितृ दोष के लक्षण, श्रीमदभागवत कथा सुनने से मिलती है इस दोष से मुक्ति
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चैतन्य भारत न्यूज कान्हा की नगरी मथुरा के विश्व प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर के ज्योतिषाचार्य अजय तैंलंग ने रविवार को समाचार एजेंसी यूनिवार्ता को बताया कि सामान्यतय: परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के बाद जब उसका अंतिम संस्कार भलीभांति नही किया जाता है अथवा जीवित अवस्था में उसकी कोई इच्छा अधूरी रह जाती है तो उसकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के बीच भटकती रहती है तथा मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है। पितृ दोष के लक्षण यह कष्ट व्यक्ति की जन्म कुंडली में भी झलकता है। यह कष्ट शारीरिक से ज्यादा मानसिक होता है। इन मानसिक कष्टों में विवाह में अड़चन, वैवाहिक जीवन में कलह, परिश्रम के बावजूद परीक्षा में असफलता, नौकरी का लगना और छूट जाना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मौत, मंद बुद्धि के बच्चे का जन्म होना, अत्याधिक क्रोध होना आदि प्रमुख हैं। इनमें से किसी के होने पर व्यक्ति के जीवन से आनन्द का लोप हो जाता है। पितृ दोष दूर करने के लिए हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि मृत्यु के बाद पुत्र द्वारा किया गया श्राद्ध कर्म मृतक की वैतरणी को पार कर देता है। गुरूवार की शाम को पीपल की जड़ में जल देकर उसकी सात परिक्रमा करने, सूर्य की आराधना या गाय को गुड़ और कुत्ते को भोजन खिलाने से भी पितृ दोष में कमी आती है। पितृ पक्ष में श्रीमदभागवत कथा सुनने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति उन्होंने बताया कि वास्तव में श्रीमदभागवत कथा का श्रवण विशेषकर पितृ पक्ष में श्रवण ही पितृ दोष से मुक्ति दिला सकता है इसलिए पितृ पक्ष में इसका श्रवण और पाठन पितरों को मोक्ष दिलाने का अटूट साधन है। संतों और वेदाचार्यों का मत है कि परिवार की सुख समृद्धि के लिए और पितृ दोष से मुक्ति पाने का सवोर्त्तम उपाय पितृ पक्ष में श्रीमदभागवत का श्रवण,पठन या पाठन माना गया है। Read the full article
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dharmikshakti · 5 years
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पितृ दोष के लक्षण, कारण एवं निवारण उपाय, पितृ गण में कौन है, who is pitri , worship by Pandit Pradeep Pandey #9871030464 https://youtu.be/lrrY0yt2DzY https://www.dharmikshakti.in/onlinepandit #पितृ #दोष के #लक्षण #कारण एवं #निवारण #उपाय #पितृ #गण में #कौन है? #पितृ #दोष की #शान्ति #पाठ जब #परिवार के किसी पूर्वज की #मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम #संस्कार संपन्न ना किया जाए, या #जीवित #अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उनकी #आत्मा अपने घर और आगामी #पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। मृत #पूर्वजों की अतृप्त #आत्मा ही परिवार के लोगों को #कष्ट देकर अपनी #इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट #पितृदोष के रूप में #जातक की #कुंडली में झलकता है। हमारे ये ही पूर्वज #सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने #परिवार को जब देखते हैं ,और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति #श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी #अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने #ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये #आत्माएं दुखी होकर अपने #वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे #पितृ- दोष कहा जाता है। हमारे ऊपर #मुख्य रूप से ५ ऋण होते हैं जिनका #कर्म न करने(ऋण न चुकाने पर ) हमें निश्चित रूप से #श्राप मिलता है ,ये ऋण हैं : #मातृ ऋण ,#पितृ ऋण ,#मनुष्य ऋण ,#देव ऋण और #ऋषि ऋण। पितृ #दोष के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ सकते हैं, जिनमें #विवाह ना हो पाने की समस्या, #विवाहित जीवन में #कलह रहना, परीक्षा में बार-बार असफल होना, #नशे का आदि हो जाना, नौकरी का ना लगना या छूट जाना, #गर्भपात या #गर्भधारण की समस्या, बच्चे की #अकाल #मृत्यु हो जाना या फिर #मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, #निर्णय ना ले पाना, अत्याधिक #क्रोधी होना। #Pitra #Dosh #Nivaran #Puja, What is Pitra Dosh #Shanti Puja, #पितृ दोष के लक्षण #कारण एवं #निवारण #उपाय, #पितृ #गण में #कौन है, #पितृदोष कारण #लक्षण एवं #निदान, #प्रेत योनि अथवा #पितृदोष, पितृदोष का #भयानक असर #जानिये लक्षण
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bksandayala-blog · 6 years
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आपके घर में भूत-प्रेत - पित्र-असंतुष्ट आत्माएं भी रहती हैं
आप अपनी जिन्दगी जी रहे और अपने घर में रह रहे होते हैं ,आपको कुछ दीखता तो नहीं पर आपके घर में अदृश्य शक्तियों का भी वास होता है |
इनमे भूत ,प्रेत ,ब्रह्म ,पितृ ,आदि होते हैं |
जब तक इनकी संख्या या ऊर्जा या शक्ति की मात्रा कम होती है
तब तक आपको कुछ भी महसूस नहीं होता क्योंकि
यह भौतिक शरीर में तो होते नहीं इसलिए दीखते नहीं |हर व्यक्ति मरने के तुरंत बाद जन्म नहीं लेता
|बहुत से लोग मरने के बाद भूत -प्रेत बनते हैं जो सैकड़ों -हजारों वर्षों तक उसी योनी में रहते हैं |
जिस स्थान से उनका लगाव होता है
वहां वह अधिक विचरण करते हैं |
आपने घर बनाया ,या किराए पर आये ,या फ़्लैट लिया और रहने लगे |
आपको क्या पता यहाँ या इस जमीन के नीचे क्या क्या है |आपके घर के किसी सदस्य की मृत्यु हुई तो उसका भौतिक शरीर तो ख़त्म हो गया पर उसका सूक्ष्म शरीर और आत्मा तो रहती ही है
वह आपके आस -पास ही घूमेगा या जहाँ उसकी मृत्यु हुई हो उस स्थान के आसपास घूमेगा
|यह आपको दिखेगा नहीं इसलिए अनुभव भी नहीं होगा |क्योंकि आपका स्वभाव है जो दीखता नहीं उसे मानेंगे कैसे ?
इनका अनुभव तब होता है जब इनकी शक्ति अधिक हो ,यह अधिक संख्या में हो जाएँ ,यह आपसे रुष्ट हों
और परेशानी उत्पन्न करें ,यह सीधे किसी को प्रभावित कर दें |इनसे उत्पन्न परेशानी पर भी यह आपको दिखेंगे नहीं |लक्षणों से ही इनके प्रभाव की पकड़ आएगी |जरुरी नहीं की सीधे किसी को प्रभावित ही करें ,��सा बहुत कम होता है
,पर इनका प्रभाव पूरे परिवार और घर पर पड़ता रहता है अप्रत्यक्ष रूप से |यह अडचन सब जगह उत्पन्न करते रहते हैं | क्या लक्षण हैं
इनके -आप घर में घुसते हैं और अनायास तनावग्रस्त हो जाते हैं ,सर भारी हो जाता है
जबकि आप बाहर बिलकुल ठीक थे |अनायास थकान भी महसूस होने लगी और शान्ति की भी चाह होने लगी |आपका दिमाग कहीं और जाकर अटक जा रहा |
खुद को परिवार में खुशहाली नहीं दिखती |खुद ही परायापन लगता है |दूर से देखने पर घर मनहूस सा लगता है अथवा उसमे रौनक नहीं लगती |बाहरी लोग के घर आने पर उलझन महसूस होता है |
जो बाहरी लोग भी आते हैं वह भी अधिक देर घर पर
नहीं रहना चाहते हैं |बाहरी लोगों अथवा रिश्तेदार -नातेदार के आने पर आर्थिक संतुलन बिगड़ जाता है और पर्याप्त आवभगत नहीं हो पाती |कभी कभी घर का खर्च निकालने के लिए कर्ज की स्थिति आ जाती है जबकि आपकी या परिवार की आय पर्याप्त है |कर्ज लेने पर कर्ज अदायगी मुश्किल हो जाती है | आप घर में रहते हुए हमेशा उद्विग्नता ,घबराहट महसूस करते हैं और दिमाग भटकता ही रहता है |एक न एक उलझन /विचार चलते ही रहते हैं |पूजा-पाठ में मन नहीं लगता ,पूजा पाठ से सदैव मन भागता है ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो जाता है ,लगता है जैसे कोई और भी आसपास है ,जम्हाई अधिक आती है ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जा रही हैं ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न हो रहा है |कुछ मंगल के काम करना चाहते हैं तो अनावश्यक रुकावट आ रही है |प्रगति रुकी लगती है अथवा अवनति होने लगती है|अपशकुन हो रहा है ,अनावश्यक आग आदि लग जाती है अथवा कपडे खराब हो जाते हैं | अपने ही घर में कभी कभी भय लगता है |
आपके घर में अशांति का वातावरण है ,कलह होताहै ,पति-पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो जाता है, जबकि कोईबड़ाकारणनहींसमझआता ,अचानक से आपसी समझदारी का संतुलन बिगड़ जाता है ,सब कुछ ठीक चलते चलतेअचानकझगड़ाहोजातहै ,
बीमारियाँ अधिक होती हैं ,आय-व्यय का संतुलन बिगड़ जाता है जबकि पर्याप्त आय हो रही है किन्तु बेवजह के खर्चे आ जा रहे हैं ,आकस्मिक दुर्घटनाएं हो जाती हैं ,रोग हो जाता है किन्तु कारण पता नहीं चलता ,दीर्घकालिक रोग हो जा रहे |सबकुछ ठीक होने पर भी स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता ,सदस्यों में मतभेद हो जाता है |संतान गलत रास्ते जा रही |संताने विरुद्ध जाने लगी हैं अथवा बहस करने लगी हैं,उनके भविष्य असुरक्षित होने लगे हैं ,संतान हीनता की स्थिति हो रही या संतान होकर भी योग्य नहीं बन पा रही ,अधिक त्वचा रोग आदि हो रहा है |योग्यता -क्षमता होने पर भी उन्नति नहीं हो रही ,नौकरी नहीं लग रही या बार बार दिक्कते कार्यक्षेत्र में आती हैं |आप अपना कर्तव्य ठीक से पूरा नहीं कर पा रहे |मन हमेशा भटकता रहता है |
कुछ लोगों के यहाँ कभी कभी इनसे भी अधिक गंभीर स्थिति होती है पर तब भी उन्हें अनुभव नहीं हो पाता की उनके घर में भूतों का डेरा है |कभी कभी कुछ लोगों को अहसास होता है कि उनके आस पास कोई और भी है ,पर नजरें घुमाने पर कोई दिखाई नहीं देता ।कभी अकेले कमरे या एकांत में महसूस होता है कि कमरे में आपके अलावा भी कोई है।जिन्हें बार बार ऐसा महसूस होता है उसे कोई न कोई कमी या समस्या भी परेशान करती है ,चाहे घर परिवार की हो ,कमाई धंधे की हो ,सन्तान की हो ,स्वास्थ्य की हो या किसी और प्रकार की ।एकाध बार की अनुभूति तो भ्रम से भी हो सकती है ,किंतु बार बार का महसूस होना भ्रम नहीं होता ।कभी कभी किसी किसी को महसूस होता है कि कोई उसे छू गया ,कभी किसी को महसूस होता है कि कोई आगे से चला गया ,कोई पीछे से चला गया ।कभी कभी पूजा करते समय भी ऐसा महसूस हो सकता है ।कभी किसी किसी को सोते समय अर्ध निद्रा में महसूस होता है कि कोई सीने पर आकर बैठ गया ,कभी किसी को लगता है कि कोई गला दबा रहा है ।कभी किसी को लगता है की कोई छाया सी आकर उस पर छा गयी या उसे दबा लिया । यह किसी अशरीरी के जुड़ाव या प्रभाव की ओर संकेत करता है ।
कभी कभी किसी किसी को सोते समय अपने बिस्तर पर किसी की उपस्थिति महसूस होती है ।कभी कभी किसी किसी को सीधे स्पर्श भी महसूस होता है ।किसी को अंग विशेष तो किसी को हाथ ,किसी किसी को पूरा शरीर का स्पर्श महसूस होता है ।कुछ मामलों में देखा गया है कि कोई अशरीरी जी दिखाई तो नहीं देता पर जिसका अनुभव होता है ,किसी के साथ शारीरिक सम्बन्ध भी बनाता है ।किसी को इससे अपार कष्ट तो किसी को बेहद सुखद अनुभूति होती है ।कभी किसी गिर कर चोट खाने वाले को लगता है कि किसी ने अनायास धक्का दे दिया ,जबकि वहां कोई ऐसा नहीं होता ।इस स्तर पर की स्थिति बेहद गम्भीर हो जाती है और इनका निराकरण बड़े बड़े स्वनाम धन्य तांत्रिक ,सिद्ध भी नहीं कर पाते ।
उपरोक्त अनुभव विभिन्न क्रम की शक्तियों द्वारा व्यक्ति विशेष को प्रभावित करने के कारण होते हैं ।यदि उपरोक्त प्रकार के कुछ या कोई लक्षण आपके साथ हैं तो मान लीजिये की सबकुछ सामान्य नहीं है |यह सब ग्रह दोष भी नहीं है |यह ग्रहीय स्थितियों से भिन्न नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव है ,जिनमे विभिन्न प्रकार की उर्जायें हो सकती हैं |स्थान दोष हो सकता है ,पित्र दोष हो सकता है ,क्षेत्रपाल या ग्रामदेवता प्रभावित कर रहे ऐसा भी सम्भव है |कोई नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश कर गयी हो ऐसा हो सकता है |किसी ने कुछ कर -करा दिया हो अथवा कोई टोना टोटका किया गया हो ऐसा भी सम्भव है |कोई नकारात्मक ऊर्जा या शक्ति उस स्थान के नीचे दबी हो सकती है |भूत -प्रेत का उपद्रव आपके घर में हो सकता है |इन सब में से कुछ या कई हो सकती हैं जिससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो रही और आपको तथा आपके परिवार को प्रभावित कर रही |
कैसे दूर करें उपरोक्त समस्या -
-उपरोक्त स्थितियों में ज्योतिषीय उपाय कारगर नहीं होते और व्यक्ति उपाय तलाशता ही रहता है अथवा कई उपाय करने पर भी लाभ नहीं होता |यहाँ जरूरत है एक अच्छे तांत्रिक से विश्लेषण करा किस प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा है यह पता लगाने की |आप छोटे -छोटे टोने -टोटके मत आजमाइए | इन स्थितियों में शतचंडी ,महामृत्युंजय अनुष्ठान कारगर होते हैं पर इनका खर्च काफी अधिक आता है |कहने को तो बहुत से उपाय ह्होते हैं और लोग अनेक उपाय करते भी हैं |सबसे अच्छा उपाय तो यह है की आप किसी काली अथवा बगलामुखी जैसी उग्र महाशक्तियों के वास्तविक साधक से अपनी समस्या का निराकरण कराएं |कोई वास्तविक श्मशान साधक मिल जाय तो और भी बेहतर है किन्तु वास्तविक श्मशान साधक मिलना बेहद कठिन है |कम से कम फेसबुक और इंटरनेट पर तो इनके मिलने की सम्भावना बहुत कम है |कम खर्च में काम करना हो और यदि आपको कोई योग्य सक्षम तांत्रिक नहीं मिल पा रहा ,,आप बहुत खर्च नहीं कर सकते और खुद अपनी समस्या का निराकरण करना चाहते हैं तो ,,आप हमारे बताये निम्न उपाय करें |आपकी समस्या हल हो जायेगी और घर के भूत -प्रेत -नकारात्मक ऊर्जा /शक्ति दूर हो जायेंगी |पित्र दोष आदि के प्रभाव दब जायेंगे |इसका एक फायदा यह भी होगा की आपकी समस्या केवल कुछ वर्ष नहीं कम होगी अपितु वर्षों वर्ष आप लाभान्वित होंगे |
आप अपने घर के पूजा घर में चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी रखें और प्रतिदिन उसकी सामान्य पूजा जरुर करें |इसके बाद आप महाविपरीत प्रत्यंगिरा पाठ की ११ पाठ रोज करें |यदि १०८ दिन तक लगातार न कर सकें तो ११ -११ दिन के संकल्प के साथ पाठ करें ११ बार |यदि घर में किसी बड़े शक्ति का प्रकोप लगता हो तब घर का कोई एक अन्य सदस्य भी बगला प्रत्यंगिरा के ११ पाठ इसी प्रकार करे |उपरोक्त पाठों में जरुरी नहीं की आप या पुरुष सदस्य ही पाठ करें |कोई महिला सदस्य भी पाठ कर सकती है |इन पाठों को बस एक बार समझने की जरूरत होती है ,उसके बाद पाठ किया जा सकता है |
दिव्य गुटिका का निर्माण इस प्रकार किया गया होता है की यह चामुंडा ,काली ,आदि शक्तियों की शक्ति से शक्तिकृत होता है ,जो उपरोक्त पाठों से और भी शक्ति संतृप्त होता जाता है तथा इन शक्तियों को वर्षों तक स्थायी रखता है जिससे किया गया पाठ वर्षों तक लाभ देता है |इसमें ऐसे अवयव होते हैं जो भिन्न भिन्न शक्तियों की ऊर्जा रखते हैं |इस पर की गयी उपरोक्त पाठ और क्रिया से भूत -प्रेत आदि वह स्थान छोड़ चले जाते हैं जहाँ यह गुटिका रखी हो |हानि करने वाले पितरों की शक्ति कम हो जाती है और दैवीय शक्तियाँ बढ़ जाती हैं |किसी द्वारा कोई अभिचार किया गया हो अथवा किसी ने कोई भूत -प्रेत भेजा हो तो वह उसी व्यक्ति पर दोगुनी शक्ति से वापस लौट जाता है और भेजने वाले का ही अहित करता है |पाठ के बाद कोई भी अभिचार उस घर पर काम नहीं करता जहाँ गुटिका हो |कोई बाहरी भूत -प्रेत वहां घुसने का सहस नहीं करता |घर की नकारात्मक ऊर्जा और शक्तियाँ हट जाती हैं |
इसपर किये गए पाठ से एक लाभ यह भी होता है की बाहरी तांत्रिक की क्रिया पर प्रतिक्रिया करने वाली शक्तियाँ वैसी प्रतिक्रिया नहीं करती क्योंकि घर से सदस्य द्वारा देवी पूजा की जाती है |इस पूजा और जप में एक बार मात्र दिव्य गुटिका पर खर्च आता है ,उसके बाद कोई खर्च नहीं आता ,जबकि लाभ वर्षों का या तब तक होता है जब तक दिव्य गुटिका की सामान्य पूजा होती रहे |इस तरह यह क्रिया अधिक लाभदायक भी और कम खर्च में भी हो जाती है |..[दिव्य गुटिका के बारे में अधिक जानने के लिए हमारे ब्लॉग पर " चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी " अंक का अवलोकन करें !
यदि आपके घर में भूत-प्रेत - पित्र-असंतुष्ट आत्माएं भी रहती हैं. पंडित बी.के.सांडिल्य जी से संपर्क करे और पाये 100% समाधान.
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