#ग्रह दोष
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कुंडली में मंगल को मजबूत करने का क्या उपाय है?
कुंडली में मंगल को मजबूत करने के लिए कुछ प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं:
मंगल मंत्र का जाप: नियमित रूप से "ॐ अंगारकाय नमः" या "ॐ भौमाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। मंगलवार के दिन यह मंत्र जाप विशेष रूप से लाभकारी होता है।
मंगल से संबंधित वस्त्र और रत्न: मंगलवार के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें और अगर संभव हो तो मूंगा (लाल प्रवाल) रत्न को धारण करें। मूंगा को चाँदी या ताँबे की अंगूठी में धारण करें और इसे सीधे मंगलवार के दिन शुभ मुहूर्त में पहनें।
हनुमान जी की पूजा: मंगल ग्रह के उपाय के रूप में हनुमान जी की आराधना बहुत प्रभावी मानी जाती है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
मंगल यंत्र की स्थापना: मंगल ग्रह के लिए मंगल यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। इससे मंगल ग्रह से जुड़े दोष दूर हो सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
लाल मसूर का दान: मंगलवार के दिन लाल मसूर, गुड़, और तांबे का दान करना मंगल को मजबूत करने के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसे गरीबों या ब्राह्मणों को दान करें।
कुंडली में मंगल के परिणाम जाना चाहते हो आपकी कुंडली के आधार पर तो आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको आपकी कुंडली के आधार पर बेहतर जानकारी दे सकता है। और आपकी कुंडली के आधार पर और भी बहुत सी जानकारी पा सकते है।
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एक जीवन में,
दो रोटी,
तीन बखत तोड़ने के लिए,
चार लोगो की गालियां खानी पड़ती है,
पांचों उंगलियों में सबसे छोटे हम हैं,
छः इंद्रियों को बेचकर पेट भरा हमने है,
और फिर
सात जन्मों का वचन भी देना था
और अब
आठों पहर उसकी चिंता में बीता रहे है ।
नव ग्रह में,
दस दोष बैठा है ।।
- अय्यारी
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क्या है गुरु चाण्डाल दोष पूजा और इसकी पूजा क्यों है महत्वपूर्ण ?
गुरु चाण्डाल दोष तब बनता है जब कुंडली में गुरु ग्रह के साथ राहु या केतु का योग होता है, जिससे जीवन में बाधाएं, असफलताएं, और मानसिक तनाव पैदा होते हैं। गुरु चाण्डाल दोष पूजा इसके निवारण का महत्वपूर्ण उपाय है, जिससे गुरु को शांत कर राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम किए जाते हैं। वैकुण्ठ के अनुभवी पंडित इस पूजा को सही विधि-विधान से कराते हैं, जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति, आर्थिक स्थिरता, और जीवन में सफलता मिलती है।
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Somvati Amavasya December 2024: साल का आखिरी सोमवती अमावस्या कब है? जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं!
Somvati Amavasya 2024 date: अमावस्या तिथि हर माह आती है. लेकिन सभी अमावस्या तिथि में से मौनी और सोमवती अमावस्या को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. सोमवार के दिन अमावस्या तिथि होने पर उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस दिन स्नान और दान के साथ पितृ पूजा भी की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा ग्रह दोष और पितृ दोष आदि से भी छुटकारा मिलता है. सोमवती…
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Marriage Muhurat विवाह मुहूर्त Auspisious Wedding Dates 2025
Marriage Muhurat विवाह मुहूर्त Auspisious Wedding Dates 2025एस्ट्रो गुरु दीपक जैन के अनुसार, विवाह जैसे पवित्र बंधन को केवल शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों और आत्माओं का मिलन होता है। इसलिए इसे सही समय और उचित तिथि पर करना अनिवार्य है।यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विवाह के शुभ मुहूर्त के साथ-साथ वर और वधू की कुंडली का सही तरीके से मिलान होना भी आवश्यक है। सही कुंडली मिलान से ही यह सुनिश्चित होता है कि दांपत्य जीवन सुखमय और समृद्ध रहेगा।https://youtu.be/vanj9VO5lksकुंडली मिलान का महत्व:वर और वधू के गुण, ग्रह, और नक्षत्रों की स्थिति का मिलान किया जाता है ताकि वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य, और स्थिरता बनी रहे। दोष, जैसे कि मंगली दोष, नाड़ी दोष आदि का निवारण किया जा सके। विवाह के बाद जीवन में आने वा��ी चुनौतियों और उनके समाधान का आकलन किया जा सके।परफेक्ट कुंडली मिलान के लिए एस्ट्रो गुरु दीपक जैन से संपर्क करें और सही समाधान प्राप्त करें। एस्ट्रो गुरु दीपक जैन अपनी ज्योतिषीय विशेषज्ञता से आपको न केवल शुभ विवाह मुहूर्त बताएंगे, बल्कि कुंडली मिलान में भी सहायता करेंगे ताकि आपका वैवाहिक जीवन शुभ और सफल हो। वर्ष 2025 के सभी महीनों के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त की विस्तृत सूची दी गई है:1जनवरी 2025 के विवाह मुहूर्त17 जनवरी (शुक्रवार): मघा नक्षत्र, चतुर्थी तिथि – सुबह 07:14 से दोपहर 12:44 तक। 18 जनवरी (शनिवार): उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, पंचमी तिथि – दोपहर 02:51 से रात 01:16 तक। 19 जनवरी (रविवार): हस्त नक्षत्र, षष्ठी तिथि – रात 01:57 से सुबह 07:14 तक। 21 जनवरी (मंगलवार): स्वाति नक्षत्र, अष्टमी तिथि – रात 11:36 से रात 03:49 तक। - 24 जनवरी (शुक्रवार): अनुराधा नक्षत्र, एकादशी तिथि – शाम 07:24 से रात 07:07 तक। 2फरवरी 2025 के विवाह मुहूर्त02 फरवरी (रविवार): उत्तराभाद्रपद/रेवती नक्षत्र, पंचमी तिथि – सुबह 09:13 से अगली सुबह 07:09 तक। 03 फरवरी (सोमवार): रेवती नक्षत्र, षष्ठी तिथि – सुबह 07:09 से शाम 05:40 तक। 12 फरवरी (बुधवार): माघ नक्षत्र, प्रतिपदा तिथि – रात 01:58 से सुबह 07:04 तक। 14 फरवरी (शुक्रवार): उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, तृतीया तिथि – रात 11:09 से सुबह 07:03 तक। 15 फरवरी (शनिवार): उत्तरा फाल्गुनी/हस्त नक्षत्र, चतुर्थी तिथि – रात 11:51 से सुबह 07:02 तक। 18 फरवरी (मंगलवार): स्वाति नक्षत्र, षष्ठी तिथि – सुबह 09:52 से अगली सुबह 07:00 तक। 23 फरवरी (रविवार): मूल नक्षत्र, एकादशी तिथि – दोपहर 01:55 से शाम 06:42 तक। - 25 फरवरी (मंगलवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, द्वादशी/त्रयोदशी तिथि – सुबह 08:15 से शाम 06:30 तक। 3मार्च 2025 के विवाह मुहूर्त01 मार्च (शनिवार): उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, द्वितीया/तृतीया तिथि – सुबह 11:22 से अगली सुबह 07:51 तक। 02 मार्च (रविवार): उत्तराभाद्रपद/रेवती नक्षत्र, तृतीया/चतुर्थी तिथि – सुबह 06:51 से रात 01:13 तक। 05 मार्च (बुधवार): रोहिणी नक्षत्र, सप्तमी तिथि – रात 01:08 से सुबह 06:47 तक। 06 मार्च (गुरुवार): रोहिणी/मृगशीर्ष नक्षत्र, सप्तमी/अष्टमी तिथि – सुबह 06:47 से अगली सुबह 06:46 तक। 07 मार्च (शुक्रवार): मृगशीर्ष नक्षत्र, अष्टमी/नवमी तिथि – सुबह 06:46 से रात 11:31 तक। - 12 मार्च (बुधवार): माघ नक्षत्र, चतुर्दशी तिथि – सुबह 08:42 से अगली सुबह 04:05 तक। 4अप्रैल 2025 के विवाह मुहूर्त14 अप्रैल (सोमवार): स्वाति नक्षत्र, द्वितीया तिथि – सुबह 06:10 से रात 12:13 तक। 16 अप्रैल (बुधवार): अनुराधा नक्षत्र, चतुर्थी तिथि – रात 12:18 से सुबह 05:54 तक। 18 अप्रैल (शुक्रवार): मूल नक्षत्र, षष्ठी तिथि – रात 01:03 से सुबह 06:06 तक। 19 अप्रैल (शनिवार): मूल नक्षत्र, षष्ठी तिथि – सुबह 06:06 से अगली सुबह 10:20 तक। 20 अप्रैल (रविवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सप्तमी/अष्टमी तिथि – सुबह 11:48 से अगली सुबह 06:04 तक। 21 अप्रैल (सोमवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, अष्टमी तिथि – सुबह 06:04 से दोपहर 12:36 तक। 29 अप्रैल (मंगलवार): रोहिणी नक्षत्र, तृतीया तिथि – शाम 06:46 से सुबह 05:58 तक। - 30 अप्रैल (बुधवार): रोहिणी नक्षत्र, तृतीया तिथि – सुबह 05:58 से दोपहर 12:01 तक। 5मई 2025 के विवाह मुहूर्त05 मई (सोमवार): माघ नक्षत्र, नवमी तिथि – रात 08:28 से अगली सुबह 05:54 तक। 06 मई (मंगलवार): माघ नक्षत्र, दशमी तिथि – सुबह 05:54 से दोपहर 03:51 तक। 08 मई (गुरुवार): उत्तरा फाल्गुनी/हस्त नक्षत्र, द्वादशी तिथि – दोपहर 12:28 से सुबह 05:52 तक। 09 मई (शुक्रवार): हस्त नक्षत्र, द्वादशी/त्रयोदशी तिथि – सुबह 05:52 से रात 12:08 तक। 14 मई (बुधवार): अनुराधा नक्षत्र, द्वितीया तिथि – सुबह 06:34 से सुबह 11:46 तक। 16 मई (शुक्रवार): मूल नक्षत्र, चतुर्थी तिथि – सुबह 05:49 से शाम 04:07 तक। 17 मई (शनिवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, पंचमी तिथि – शाम 05:43 से अगली सुबह 05:48 तक। 18 मई (रविवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, षष्ठी तिथि – शाम 05:48 से शाम 06:52 तक। 22 मई (गुरुवार): उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, एकादशी तिथि – रात 01:11 से सुबह 05:46 तक। 23 मई (शुक्रवार): उत्तराभाद्रपद/रेवती नक्षत्र, एकादशी/द्वादशी तिथि – सुबह 05:46 से अगली सुबह 05:46 तक। 27 मई (मंगलवार): रोहिणी/मृगशीर्ष नक्षत्र, प्रतिपदा तिथि – शाम 06:44 से अगली सुबह 05:45 तक। 28 मई (बुधवार): मृगशीर्ष नक्षत्र, द्वितीया तिथि – सुबह 05:45 से शाम 07:08 तक। 6जू��� 2025 के विवाह मुहूर्त02 जून (सोमवार): माघ नक्षत्र, सप्तमी तिथि – सुबह 08:20 से रात 08:34 तक। 03 जून (मंगलवार): उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, नवमी तिथि – रात 12:58 से सुबह 05:44 तक। - 04 जून (बुधवार): उत्तरा फाल्गुनी/हस्त नक्षत्र, नवमी/दशमी तिथि – सुबह 05:44 से अगली सुबह 05:44 तक। 7जुलाई, अगस्त, सितंबर, और अक्टूबर 2025इन महीनों में विवाह का कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। 8नवंबर 2025 के विवाह मुहूर्त02 नवंबर (रविवार): उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, द्वादशी/त्रयोदशी तिथि – रात 11:10 से सुबह 06:36 तक। 03 नवंबर (सोमवार): उत्तराभाद्रपद/रेवती नक्षत्र, त्रयोदशी/चतुर्दशी तिथि – सुबह 06:36 से अगली सुबह 06:37 तक। 08 नवंबर (शनिवार): मृगशीर्ष नक्षत्र, चतुर्थी तिथि – सुबह 07:31 से रात 10:01 तक। - 12 नवंबर (बुधवार): माघ नक्षत्र, नवमी तिथि – रात 12:50 से सुबह 06:43 तक। 9दिसंबर 2025 के विवाह मुहूर्त04 दिसंबर (गुरुवार): रोहिणी नक्षत्र, पूर्णिमा/प्रतिपदा तिथि – शाम 06:40 से अगली सुबह 07:03 तक। 05 दिसंबर (शुक्रवार): मृगशीर्ष नक्षत्र, प्रतिपदा/द्वितीया तिथि – सुबह 07:03 से अगली सुबह 07:04 तक। - 06 दिसंबर (शनिवार): मृगशीर्ष नक्षत्र, द्वितीया तिथि – सुबह 07:04 से अगली सुबह 08:48 तक। Read the full article
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करवा चौथ 2024: जानें आपकी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में ज्योतिषीय रहस्य
करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है, बल्कि इसका ज्योतिष शास्त्र से भी गहरा संबंध है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से आपकी कुंडली (birth chart) और विवाह का संबंध भी गहरा होता है? आइए इस करवा चौथ पर जानें कि ज्योतिष शास्त्र कैसे आपकी वैवाहिक ज़िंदगी और भविष्य के जीवनसाथी के बारे में जानकारी देता है।
कुंडली से जानें अपना जीवनसाथी (Know Your Future Partner by Birth Chart)
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में विवाह और जीवनसाथी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपी होती है। जन्म कुंडली (birth chart) का 7वां भाव विशेष रूप से आपके जीवनसाथी और शादी से जुड़ा होता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका भविष्य का जीवनसाथी कैसा होगा, तो आपकी कुंडली में शुक्र (Venus) और मंगल (Mars) की स्थिति का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। शुक्र प्रेम और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है, जबकि मंगल वैवाहिक जीवन की ऊर्जा और संघर्ष को दर्शाता है। इन ग्रहों की स्थिति यह बताती है कि आपका जीवनसाथी कैसे स्वभाव का होगा और आपकी शादीशुदा ज़िंदगी कैसी रहेगी।
विवाह के लिए शुभ समय (Marriage Astrology)
शादी के लिए सही समय जानना भी बहुत आवश्यक है, और इसके लिए आपकी कुंडली का विश्लेषण किया जाता है। विवाह ज्योतिष (marriage astrology) के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि कब विवाह के योग बन रहे हैं। कई बार लोग यह सवाल करते हैं कि विवाह में देरी क्यों हो रही है या शादीशुदा जीवन में समस्याएं क्यों आ रही हैं। इन सवालों का जवाब कुंडली के अध्ययन से मिल सकता है। कुंडली के 2nd, 7th और 11th भाव विवाह और परिवार से जुड़े होते हैं। यदि इन भावों में कोई ग्रह बाधा डाल रहा है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
दैनिक राशिफल से जानें वैवाहिक जीवन का हाल (Daily Horoscope)
ज्योतिष शास्त्र में दैनिक राशिफल (daily horoscope) के माध्यम से भी यह जाना जा सकता है कि आपके दिन का प्रभाव आपकी शादीशुदा ज़िंदगी पर कैसा रहेगा। करवा चौथ के दिन यदि आप जानना चाहते हैं कि पूजा का समय आपके लिए कितना शुभ रहेगा या इस दिन पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता कैसी रहेगी, तो आप दैनिक राशिफल का सहारा ले सकते हैं। राशिफल में चंद्रमा की स्थिति खास भूमिका निभाती है, क्योंकि चंद्रमा का सीधा संबंध हमारे मन और भावनाओं से होता है।
करवा चौथ और वैवाहिक जीवन में कुंडली का महत्व
करवा चौथ पर पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की जाती है, और इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है। यदि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में कोई समस्या आ रही है, तो करवा चौथ के दिन कुंडली के अनुसार सही उपाय करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। कुंडली में विवाह के लिए शुभ ग्रहों की स्थिति और चंद्रमा की स्थिति इस दिन के अनुष्ठान को और अधिक प्रभावी बना सकती है।
कैसे करें कुंडली से विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान?
अगर आपकी शादी में लगातार समस्याएं आ रही हैं या विवाह में देरी हो रही है, (Delay in marriage )तो कुंडली का विश्लेषण करवाकर ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें। जन्म कुंडली में ग्रह दोष होने पर विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि विशेष मंत्रों का जाप, ग्रहों की शांति के लिए अनुष्ठान ��र रत्न धारण करना। इसके अलावा, इस दिन की पूजा और व्रत से भी वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाई जा सकती है।
निष्कर्ष
करवा चौथ 2024 आपके जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, न केवल आप अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपनी कुंडली और राशिफल के माध्यम से अपनी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी पा सकती हैं। यदि आप अपने जीवनसाथी के स्वभाव और विवाह के शुभ समय के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो अपनी कुंडली का विश्लेषण करें और ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें।
Source URL - https://karmaastro.medium.com/karva-chauth-2024-0775e64bdd7b
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🍁50 साल बाद महाअष्टमी पर बनेगा बेहद दुर्लभ अनोखा संयोग: इन राशियों के लोग होंगे मालामाल बनेंगे रुके काम!🍁
🌳3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और समापन 12 अक्टूबर, दशहरा के दिन होगा. शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी इस बार 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन माता महागौरी की उपासना की जाती है.
🌳ज्योतिषिय के अनुसार, इस बार महाअष्टमी बहुत ही खास मानी जा रही है क्योंकि इसी दिन महानवमी का संयोग भी बन रहा है. साथ ही, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग, बुधादित्य योग का संयोग भी बन रहा है. आपको बता दें कि यह संयोग 50 साल बाद बनने जा रहा है.
👉मेष मेष वालों के लिए महाअष्टमी बहुत ही शुभ मानी जा रही है. इस शुभ संयोग से मेष राशि वालों को शुभ समाचार मिल सकता है. बिजनेस से जुड़े लोगों की तरक्की होगी.
👉कर्क कर्क वालों को अच्छी नौकरी प्राप्त हो सकती है. कार्यक्षेत्र में पद प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है. आर्थिक स्थिति बेहतर रहेगी. इन राजयोगों के कारण इनके पारिवारिक जीवन में शांति बनी रहेगी. सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होगा.
👉कन्या बिजनेस करने वालों को काम के सिलसिले में यात्रा पर जाना पड़ सकता है. यह यात्रा आपके बिजनेस के लिए शुभ फलदायी रहने वाली है. कुल मिलाकर बिजनेस करने वालों के लिए यह समय काफी बेहतर रहने वाला है. इन्हें निवेश के नए रास्ते मिलेंगे.
👉मीन मीन राशि के लोगों क�� इस दौरान समाज में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी. बिजनेस करने वालों के लिए भी समय अच्छा है धन लाभ होगा. नौकरी करने वाले लोगों के लिए यह राजयोग किसी वरदान से कम नहीं है. माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
🌞शारदीय नवरात्रि पंचमी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय🌞
👉अगर आपके भी जीवन में संतान सुख अभी तक नहीं बन पाया है तो नवरात्रि की पंचमी तिथि पर एक चुनरी में नारियल लपेट लें। इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। मंत्र का जाप करते हुए इस नारियल को चुनरी समेत माँ स्कंदमाता के चरणों में अर्पित कर दे। मंत्र है: “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी”। पूजा के बाद इस नारियल और चुनरी को अपने शयन कक्षा में अपने सिरहाने रखें। इस छोटे से अचूक उपाय को करने से जल्द ही भक्तों की झोली संतान की किलकारी से माता अवश्य भर देती हैं।
👉इसके अलावा अगर आपके विवाह में रुकावट आ रही है या आपके परिवार में किसी सदस्य के विवाह में रुकावट आ रही है तो नवरात्रि की 36 लॉन्ग और छह कपूर लेकर इसमें चावल और हल्दी मिलाकर इसे मां दुर्गा को आहुति दें। ऐसा करने से जल्द ही विवाह के संदर्भ में आ रही सभी रुकावटें दूर होने लगेगी। [विशेष पंचमी तिथि पर]
👉अगर आपका व्यवसाय या नौकरी ठीक से नहीं चल रही है, आपको मनचाही सफलता नहीं मिल रही है, कठिन परिश्रम के बाद भी आप नतीजे से खुश नहीं हैं तो लौंग और कपूर में अमलतास के फूल या कोई भी पीला फूल मिलाकर इससे मां दुर्गा को आहुति दें। ऐसा करने से जल्द ही आपको मनचाही तरक्की और सफलता मिलने लगेगी। [विशेष पंचमी तिथि पर]
👉अगर आपके जीवन में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां निरंतर रूप से बनी हुई है या आपके परिवार में कोई बार-बार बीमार पड़ रहा है तो इस दिन 52 लॉन्ग और 42 कपूर के टुकड़े ले लें। अब इस पर नारियल की गिरी, शहद और मिश्री मिला लें और इससे हवन करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधित सभी परेशानियां जल्द ही दूर होने लगेंगे।
👉इसके अलावा अगर आपके काम में किसी तरह की कोई रुकावट आ रही है, विघ्न आ रहा है या बनते बनते काम बिगड़ जा रहे हैं तो नवरात्रि पर पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी अपने घर में ले आयें। अब इस मिट्टी पर दूध, दही, घी, अक्षत, रोली, अर्पित करें और इसके आगे दिया जलाएं। अगले दिन मिट्टी को वापस पेड़ के नीचे डाल दें। ऐसा करने से जल्द ही आपके जीवन से सभी रुकावटें और बाधाएँ दूर होने लगेगी। [विशेष पंचमी तिथि पर]
👉स्कंद माता का संबंध या यूं कहिए नवरात्रि की पंचमी तिथि का संबंध बुध ग्रह से भी जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी बुध ग्रह से संबंधित दोष मौजूद है या बुध ग्रह पीड़ित अवस्था में है और आपको सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो इस दिन स्कंदमाता की पूजा अवश्य ��रें। ऐसा करने से करियर और व्यवसाय में आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी और आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होगी।
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What is Mangal Dosh
Mangal Doshज्योतिष के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है, तो उसे मांगलिक या मंगल दोष कहा जाता है. माना जाता है कि मंगल दोष से वैवाहिक जीवन में कई परेशानियां आ सकती हैं. मंगल दोष से जुड़ी कुछ बातें:
माना जाता है कि मंगल दोष को खतरनाक दोषों में से एक माना जाता है.
मंगल दोष के कुछ लक्षण:
संपत्ति को लेकर विवाद
रक्त से जुड़ी बीमारियां
मुकदमे में ��ंसना
आत्मविश्वास और साहस का कम होना
हिंसक स्वभाव
कर्ज़
वैवाहिक जीवन में कड़वाहट
भाई से हमेशा विवाद
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बुध के गोचर से मालामाल हो जाएंगे ये जातक, बस इन जातकों को रहना होगा बहुत सतर्क!
ज्योतिष में बुध का गोचर एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संचार, व्यापार, शिक्षा और लेखन के कारक हैं। जब बुध किसी राशि में विराजमान रहते हैं, तो इसका प्रभाव हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। गोचर के समय बुध की स्थिति और उसकी दिशा हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। बुध का गोचर एक राशि से दूसरी राशि में लगभग 14 से 30 दिनों के बीच होता है। इस अवधि के दौरान, यह विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, बुध का मेष राशि में गोचर लोगों को नई सोच और नए विचारों की प्रेरणा दे सकता है, जबकि ��ृषभ राशि में गोचर होने पर यह व्यापार में स्थिरता और समृद्धि लाने में सक्षम होता है।
बुध का सिंह राशि में गोचर: समय व तिथि
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध महाराज 04 सितंबर 2024 की सुबह 11 बजकर 31 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध का सिंह राशि में गोचर होने से राशि चक्र की सभी 12 राशियों पर असर देखने को मिलेगा।
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का बहुत अधिक महत्व है। इसे बुद्धि, तर्कशक्ति, संचार, व्यापार, और शिक्षा का कारक ग्रह माना जाता है। बुध ग्रह का नाम संस्कृत में ‘बुध’ है, जिसका अर्थ है “बुद्धिमान”। यह ग्रह व्यक्ति के मानसिक स्तर, ज्ञान, विवेक, और तर्कशक्ति को प्रभावित करता है। बुध व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और शिक्षा के स्तर को दर्शाता है। जिनकी कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में विराजमान होते हैं, वे लोग तेज दिमाग, तर्कशक्ति, और ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले होते हैं। इन्हें गणित, विज्ञान, और साहित्य में विशेष रुचि होती है।
बुध ग्रह का धार्मिक महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का धार्मिक महत्व भी गहरा है। बुध को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। भगवान विष्णु को संतुलन और धैर्य का देवता माना जाता है, और बुध भी व्यक्ति के जीवन में संतुलन, विवेक और समझदारी लाता है। बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति धार्मिकता की ओर ��कर्षित होता है और उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। धार्मिक रूप से, यह वेदों, शास्त्रों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुध का अनुकूल प्रभाव व्यक्ति को धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने और उनमें रुचि रखने की प्रेरणा देता है।
बुध ग्रह के अनुकूल प्रभाव के लिए आसान उपाय
बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और इसके शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप बुध के दुष्प्रभाव से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
बुध मंत्र का जाप
बुध के मंत्र का नियमित जाप करना बुध ग्रह के दोषों को कम करने में सहायक होता है। बुधवार के दिन सुबह स्नान करके हरे वस्त्र पहनकर इस मंत्र -ॐ बुं बुधाय नमः का कम से कम 108 बार जाप करें।
भगवान गणेश की पूजा
बुध ग्रह का संबंध भगवान गणेश से भी है। बुध के दोषों को शांत करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें। इसके अलावा, बुधवार के दिन गणेश जी की आराधना करने से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होता है।
हरा वस्त्र और हरे रंग का प्रयोग
बुध ग्रह का रंग हरा माना जाता है इसलिए बुध के शुभ प्रभाव के लिए बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनें और हरे रंग की वस्तुओं का दान करें। इसके अलावा, मूंग की दाल का दान करना भी लाभकारी होता है।
गाय को हरा चारा खिलाना
गाय को हरा चारा खिलाना बुध ग्रह के दोषों को कम करने का एक प्रभावी उपाय है। विशेष रूप से बुधवार के दिन इस उपाय को करने से बुध के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
आंवला और हरी सब्जियों का सेवन
आंवला और हरी सब्जियों का सेवन करना बुध ग्रह को मजबूत बनाता है। बुध को बलवान बनाने के लिए अपने आहार में हरी सब्जियों, विशेषकर आंवला को शामिल करें।
रुद्राक्ष धारण करना
पांच मुखी रुद्राक्ष को बुध के लिए शुभ माना गया है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुध के अशुभ प्रभावों में कमी आती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तुलसी की पूजा
तुलसी का पौधा बुध से संबंधित होता है। घर में तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी नियमित पूजा करें। तुलसी को जल अर्पित करें और उसके पास दीपक जलाएं। इससे बुध ग्रह के दोष कम होते हैं।
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कालसर्प योग क्या है अपनी कुंडली में कालसर्प योग कैसे देखें?
कालसर्प योग एक विशेष योग है, जो तब बनता है जब सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) **राहु** और **केतु** के बीच में आ जाते हैं। इसका मतलब है कि सभी ग्रह राहु और केतु के घेरे में होते हैं और उनकी धुरी के भीतर ��्थित होते हैं। इसे आमतौर पर चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में बाधाओं, असफलताओं, और संघर्षों का संकेत देता है।
अपनी कुंडली में कालसर्प योग कैसे देखें:
राहु-केतु की स्थिति: सबसे पहले, अपनी कुंडली में राहु और केतु के स्थान की जांच करें। यह देखना होगा कि दोनों ग्रह किस भाव में स्थित हैं।
सभी ग्रहों का राहु-केतु के बीच होना: अगर सभी ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) राहु-केतु के बीच में आते हैं, तो कालसर्प योग बनता है। उदाहरण के लिए, यदि राहु 1st भाव में और केतु 7th भाव में है, तो बाकी सभी ग्रह 1st से 7th भाव के बीच में होने चाहिए।
कालसर्प योग के प्रकार: कालसर्प योग के वि��िन्न प्रकार होते हैं, जो राहु-केतु की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होते हैं, जैसे अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, विषधर कालसर्प योग, आदि।
पूर्ण या आंशिक कालसर्प योग: अगर सभी ग्रह पूरी तरह से राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो इसे पूर्ण कालसर्प योग कहा जाता है। अगर कुछ ग्रह बाहर होते हैं, तो इसे आंशिक कालसर्प योग कहा जाता है।
उपाय और शांति: कालसर्प योग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जैसे:राहु और केतु के मंत्र का जप।नाग देवता की पूजा।कालसर्प दोष निवारण पूजा।शिवजी की पूजा और रुद्राभिषेक करना।
इस प्रकार, कुंडली में राहु और केतु की स्थिति को देख कर और बाकी ग्रहों के स्थान का विश्लेषण कर आप कालसर्प योग की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं।
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क्या आप जानते हैं कि कई बार जन्मकुंडली में दोष होते हैं जो वैवाहिक जीवन में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। कुंडली मिलान के दौरान इन दोषों की पहचान की जाती है और उन्हें दूर करने के उपाय सुझाए जाते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखा जा सकता है।?
हाँ, मैं जानता हूँ कि जन्मकुंडली में कुछ दोष होते हैं जो वैवाहिक जीवन में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। कुंडली मिलान के दौरान इन दोषों की पहचान की जाती है और इन्हें दूर करने के उपाय सुझाए जाते हैं ताकि वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखा जा सके। यदि आपकी कुंडली में विवाह के समय कोई समस्या हो रही है। तो आप Vivaha Sutram 2 software की मदद ले सकते है. जो आपकी कुंडली के आधार पर बेहतर जानकारी दे सकता है
यहाँ कुछ प्रमुख दोषों का उल्लेख है जो वैवाहिक जीवन में बाधा डाल सकते हैं:
मांगलिक दोष (मंगल दोष): यदि जन्मकुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित हो, तो इसे मांगलिक दोष कहा जाता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में संघर्ष, मतभेद, और कभी-कभी तलाक की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके निवारण के लिए विभिन्न उपाय जैसे कि मांगलिक व्यक्ति से ही विवाह, पूजा-पाठ, और विशेष रत्न धारण करने का सुझाव दिया जाता है।
शनि का प्रभाव: शनि का अत्यधिक प्रभाव भी वैवाहिक जीवन में देरी, कठिनाइयों और तनाव का कारण बन सकता है। यदि शनि सप्तम भाव (विवाह का भाव) पर दृष्टि डाल रहा हो, तो यह समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
निवारण के उपाय:
विशेष पूजा और यज्ञ: विभिन्न दोषों के निवारण के लिए विशेष पू���ा और यज्ञ का आयोजन किया जाता है। उदाहरण के लिए, मांगलिक दोष के निवारण के लिए मंगल पूजा और कुज दोष के निवारण के लिए हनुमान पूजा की जाती है।
रत्न धारण करना: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, दोषों को दूर करने के लिए उचित रत्न धारण करना फायदेमंद हो सकता है। जैसे कि मांगलिक दोष के लिए मूंगा (लाल प्रवाल) धारण किया जा सकता है।
मंत्र जाप: विभिन्न मंत्रों का जाप दोषों को कम करने में सहायक हो सकता है, जैसे कि "मंगल मंत्र" या "शनि मंत्र" का जाप।
गौदान और अनुष्ठान: कुछ दोषों के निवारण के लिए गौदान या अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं।
इन उपायों का उद्देश्य दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना है। हालांकि, यह सभी उपाय किसी Vivaha Sutram 2 Software सलाह |
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क्या है कुम्भ विवाह और इसके धार्मिक महत्व?
कुम्भ विवाह हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए होती है जिनके विवाह में ग्रह दोष या अन्य समस्याएँ आ रही होती हैं। इसे एक धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है, जो ग्रहदोषों को समाप्त करता है और वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है।अगर आप भी इस पवित्र संस्कार को सही विधि-विधान से संपन्न करना चाहते हैं, तो वैकुंठ से अनुभवी पंडितों की सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
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गृह गोचर यदि गैजेट बार-बार खराब हो जाते हैं तो समझ लें कि कुंडली में यह ग्रह अशुभ
यदि आपके घर में गैजेट या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ��ार-बार टूटते हैं, चिंता, अनिद्रा, डरावने सपने, सोते समय डर, कमजोरी या अत्यधिक आलस्य – ये सब राहु के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु को क्रूर ग्रह माना गया है। अगर कुंडली में राहु दोष हो तो जीवन में कई अशुभ घटनाएं घटने लगती हैं। जब राहु अशुभ फल दे रहा हो तो उसे शांत करने के उपाय करना जरूरी होता है। आइए जानते हैं राहु दोष से बचने के…
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