१९७७ का विपक्षी गठ बंधन २०२४ का विपक्षी गठबंधन भाग - १
१९२० में कोंग्रेसमें जो गुट बाजी चलती थी उसका अंत हो गया और लोकमान्य टीळख और गोपालकृष्ण गोखलेके गुट मिल गये. १९२० से १९४६ तक के कोंग्रेसके इतिहासकी हम चर्चा नहीं करेंगे. अनेक विपक्षोंका जन्म हुआ और नष्ट भी हुए. अनेक आंदोलन भी हुए और बंद भी हो गये.
१९७७ का विपक्षी गठ बंधन २०२४ का विपक्षी गठबंधन भाग – १
१९७७का गठबंधन क्यों हुआ था?
विपक्षी गठबंधन के समय शासक पक्ष नहेरुवीयन इंदिरा कोंग्रेस पक्ष था जो कोंग्रेस (आई) यानी कि, कोंगी नामसे जाना जाता था.
प्रस्तावनाः
कोंग्रेसका पक्षका जन्म कब हुआ?
१९२०में कोंग्रेसने अपना ध्येय पूर्ण स्वराज्य का घोषित किया. तबसे कोंग्रेसका जन्म हुआ.
ऐसा क्यों?
पक्ष हमेशा अपने ध्येय से और उस ध्येयको कैसे प्राप्त करना…
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🎶 चित्त चोरा यशोदा के बाल नवनीता चोरा गोपाल गोपाल … गोपाल … गोपाल … गोपाल … गोवर्धन धरा गोपाल गोपाल … गोपाल … गोपाल … गोपाल … गोवर्धन धरा गोपाल चित्त चोरा यशोदा के बाल नवनीता चोरा गोपाल Source: @srisathyasaiofficial @sathyasaiorg Painter: @artistmahaveerswami PS: The exquisite #piecesofart "Gopāla" are finished with #naturalpigments and #puresilverink / #puregoldink on #handmadepaper. DM for query on #originalartworks and their high-quality #digitalprint on #archivalpaper. #gopala #गोपाल #krishna #कृष्ण #cowherd #lordkrishna #krishnakrishna #krishnacows #krishnalovecows #krishnafriend #divine #divinebond #divineconnection #divinerelationships #divinelove #mystic #hindu #mythology #traditionalart #bikanerart (at Mahaveer Swami Shilpshala) https://www.instagram.com/p/ClWj2b2SsgG/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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लखनऊ, 05.02.2024 | प्रभु श्री राम की असीम अनुकंपा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक, प्रभु श्री राम व श्री कृष्ण के अनुयायी भजन सम्राट पद्म श्री अनूप जलोटा जी का ट्रस्ट के इन्दिरा नगर, 25/2G, सेक्टर-25 स्थित कार्यालय म��ं आगमन हुआ | पद्म श्री अनूप जलोटा जी ने प्रभु के भजनो को गाकर सभी को अध्यात्म से जोड़ते हुए, जनहित में अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया | बताते चलें की पद्म श्री अनूप जलोटा जी हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की जनहितकारी गतिविधियों और कार्यों से अत्यधिक प्रभावित है | अनूप जलोटा जी निरंतर ही निर्धन और निराश्रितों की मदद करके समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु चिंतित रहते हैं तथा सभी को जनहित व समाज हित में निरंतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं |
कार्यक्रम में पद्म श्री अनूप जलोटा जी ने अपने भजनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया | उनका साथ डॉ शुचिता पांडे और डॉ प्रभा श्रीवास्तव ने दिया | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों तथा अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी अपने विचार श्री अनूप जलोटा जी के साथ साझा किए |
जैसा कि विदित है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट पिछले 11 वर्षों से अपने संरक्षक पद्म भूषण डॉ गोपाल दास नीरज, पद्म श्री अनवर जलालपुरी एवं पद्म श्री अनूप जलोटा के सानिध्य में लगातार राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नति में गतिशील है, जैसे कौशल विकास प्रशिक्षण के अंतर्गत लड़कियों और महिलाओं के लिए पाक कला, सिलाई और कढ़ाई प्रशिक्षण, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, बाल गोपाल शिक्षा योजना, सिया राम की रसोई, हेल्प यू ब्लड डोनर अभियान, निराश्रितों और असहायों की मदद के लिए वस्त्र वितरण, पुस्तक दान अभियान, पारिवारिक समस्याओं की समाधान हेल्पलाइन, महिला उत्पीड़न समाधान हेल्पलाइन, जनहित के जागरूकता अभियान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सम्मान समारोह और सामाजिक उत्थान एवं लाभार्थियों के हित में अन्य सामाजिक कल्याण कार्य | विश्वव्यापी कोरोना महामारी (Covid-19) के महासंकट में ट्रस्ट ने अपने संसाधनों और हेल्प यू कोरोना वारियर्स की मदद से निराश्रित और जरूरतमंद लोगों के लिए निरंतर भोजन, मास्क, सैनेटाइजर और अन्य बचाव सामग्री का वितरण आदि किया | यदि आप भी समाज सेवा में योगदान देना चाहते हैं, तो आपको हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ कर और ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करना चाहिए |
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल सहित गणमान्य अतिथियों के रूप में विंग कमांडर डॉ अनिल कुमार तिवारी, श्री एस के जग्गी, श्रीमती मुक्ता शर्मा, CA प्रियंका गर्ग, डॉ प्रभा श्रीवास्तव, डॉ सुचिता पांडे, श्री विनोद सिन्हा, श्री मनीष भदौरिया, श्री सौरभ जैसवाल, श्री एम.पी. सिंह तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य एडवोकेट श्री विनय त्रिपाठी, एडवोकेट श्री कुलदीप पांडे, श्रीमती श्रुति सिंह, प्रोफेसर राज कुमार सिंह, श्री राजीव टंडन, श्री महेंद्र प्रताप अवस्थी, श्री ए के जायसवाल, श्री पंकज अवस्थी, श्री सौरभ कुमार सिंह, डॉ सत्या सिंह, श्री के.पी.एस. चौहान, डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री कृष्णा नंद राय, श्री आशुतोष सोती, श्री संजय कुमार राणा की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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।। गोपाल कृष्ण ।।
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महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, विचारक तथा ‘सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी’ के संस्थापक एवं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, विचारक तथा ‘सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी’ के संस्थापक एवं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, विचारक तथा ‘सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी’ के संस्थापक एवं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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भगवान श्री कृष्ण की गौ-चारण लीला
भगवान् ने जब छठे वर्ष की आयु में प्रवेश किया तब एक दिन भगवान् माता यशोदा से बोले – मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं....
मैय्या यशोदा बोली – अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो तो बताओ अब क्या करें...
भगवान् ने कहा – अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे...
मैय्या ने कहा – ठीक है बाबा से पूछ लेना” मैय्या के इतना कहते ही झट से भगवान् नन्द बाबा से पूछने पहुंच गए...
बाबा ने कहा – लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चराओ.. . .
भगवान् ने कहा – बाबा अब मैं बछड़े नहीं गाय ही चराऊंगा ...
जब भगवान नहीं माने तब बाबा बोले- ठीक है लाल तुम पंडित जी को बुला लाओ- वह गौ चारण का मुहूर्त देख कर बता देंगे...
बाबा की बात सुनकर भगवान् झट से पंडित जी के पास पहुंचे और बोले –पंडित जी, आपको बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का मुहूर्त देखना है, आप आज ही का मुहूर्त बता देना मैं आपको बहुत सारा माखन दुंगा...
पंडित जी नन्द बाबा के पास पहुंचे और बार-बार पंचांग देख कर गणना करने लगे तब नन्द बाबा ने पूछा, पंडित जी क्या बात है ? आप बार-बार क्या गिन रहे हैं? पंडित जी बोले, क्या बताएं नन्दबाबा जी केवल आज का ही मुहूर्त निकल रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहूर्त नहीं है.. पंडित जी की बात सुन कर नंदबाबा ने भगवान् को गौ चारण की स्वीकृति दे दी।
भगवान जो समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहूर्त बन जाता है। उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरम्भ किया और वह शुभ तिथि थी कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष अष्टमी, भगवान के गौ-चारण आरम्भ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।
माता यशोदा ने अपने लल्ला के श्रृंगार किया और जैसे ही पैरो में जूतियां पहनाने लगी तो लल्ला ने मना कर दिया और बोले मैय्या यदि मेरी गौएं जूतियां नहीं पहनती तो में कैसे पहन सकता हूं। यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी जूतियां पहना दो... और भगवान जब तक वृन्दावन में रहे, भगवान ने कभी पैरों में जूतियां नहीं पहनी। आगे-आगे गाय और उनके पीछे बांसुरी बजाते भगवान उनके पीछे बलराम और श्री कृष्ण के यश का गान करते हुए ग्वाल-गोपाल इस प्रकार से विहार करते हुए भगवान् ने उस वन में प्रवेश किया तब से भगवान् की गौ-चारण लीला का आरम्भ हुआ।
जब भगवान् गौएं चराते हुए वृन्दावन जाते तब उनके चरणों से वृन्दावन की भूमि अत्यन्त पावन हो जाती, वह वन गौओं के लिए हरी-भरी घास से युक्त एवं रंग-बिरंगे पुष्पों की खान बन गया था
जय होविन्द🦚🙏जय गौमाता🚩🙏 आपको गोपाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं🚩🙏
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बेटे के प्रवेश मामले में घिरे प्रो. गोपाल कृष्ण पाल हटाए गए, प्रो. अजय सिंह बने एम्स गोरखपुर के ईडी
गोरखपुर, 27 सितंबर (हि.स.)। एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक (ईडी) व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को शुक्रवार काे हटा दिया गया है। दो अक्टूबर को उनका कार्यकाल पूरा होना था, लेकिन छह दिन पहले ही एम्स भोपाल के प्रो. अजय सिंह को एम्स गोरखपुर की भी जिम्मेदारी दे दी गई। `प्रो.अजय सिंह को कार्यवाहक ईडी बनाया` गया है। उनका `कार्यकाल तीन महीने निर्धारित` किया गया है।
गाैरतलब है कि…
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पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक फर्जीवाड़े में फंसे, जानें क्या है बेटे के ओबीसी प्रमाण पत्र से जुड़ा मामला
पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक फर्जीवाड़े में फंसे, जानें क्या है बेटे के ओबीसी प्रमाण पत्र से जुड़ा मामला
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Bihar News: बिहार सरकार ने पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक सह सीईओ डॉ गोपाल कृष्ण पाल के बेटे को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नॉन क्रीमी लेयर (एनसीएल) प्रमाण पत्र जारी करने में कथित अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी है। दरअसल कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) मंत्रालय के नियमों के मुताबिक केंद्रीय और राज्य सेवाओं के ग्रुप-1 अधिकारियों के बेटे-बेटियां क्रीमी लेयर के अंतर्गत आते हैं।
उन्हें बिहार और…
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गोरखपुर AIIMS निदेशक पर फर्जी OBC प्रमाण पत्र से बेटे-बेटी का दाखिला कराने का आरोप : मामला सामने आने पर आनन फानन में एडमिशन रद्द ,स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंचा मामला,FIR दर्ज करने की मांग
गोरखपुर और पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो हाल के दिनों में चर्चा का मुख्य केंद्र बन गए हैं। आरोप है कि उन्होंने फर्जी OBC (नॉन-क्रीमी लेयर) प्रमाण पत्र बनवाकर अपने बेटे और बेटी को गोरखपुर और पटना के AIIMS में प्रवेश दिलवाया। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग उठी। तो चलिए इसे सरल तरीके से…
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jamshedpur rural- घाटशिला में पंचायत समिति सदस्यों की हुई बैठक, 25 लाख बीमा समेत कई मांगों पर चर्चा
घाटशिला: घाटशिला के जेएन पैलेस में अपनी प्रमुख मांगों को लेकर पूर्वी सिंहभूम जिले के प्रमुख, उप प्रमुख एवं पंचायत समिति सदस्यों की एक बैठक उप प्रमुख गोपाल कृष्ण अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित की गई. बैठक में पंचायत समिति सदस्यों को प्रति माह पंद्रह हजार, लाभुक समिति को ढाई लाख से बढ़कर 15 लाख रुपए करने, पंचायत समिति सदस्य, प्रमुख और उप प्रमुख को पांच हजार प्रतिमाह पेंशन देने सांसद विधायक की तरह…
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धरोहर | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट | Dharohar | Help U Educational and Charitable Trust
लखनऊ, 28.04.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर "स्थापना दिवस कार्यक्रम" तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र NCZCC के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” का आयोजन सी एम एस ऑडिटोरियम, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने दीप प्रज्वलन करके किया l
सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्माभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्माश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा वर्तमान संरक्षक पद्माश्री अनूप जलोटा की रचनाओं, गीतों, शायरी तथा भजनों की प्रस्तुति प्रदीप अली, आकांक्षा सिंह, मल्लिका शुक्ला ने की तथा भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाव नृत्य राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, की प्रस्तुति उर्मिला पाण्डेय ग्रुप द्वारा की गयी |
उर्मिला पाण्डेय ग्रुप - भाव नृत्य राम भी रहीम भी
हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है । राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द्र को समर्पित भाव नृत्य शीर्षक राम भी रहीम भी प्रस्तुत किया ।
अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम
श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
महारास
राधा कृष्ण और गोपियों द्वारा किया जाने वाला आनंदमयी तथा सौंदर्यवर्धक नृत्य रास कहलाता है। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में छः महीने की रातों को एक कर ब्रजभूमि के कुंज में सर्वप्रथम यह नृत्य किया था । नृत्य की बंदिशों के साथ भाव भंगिमाओं तथा डांडिया नृत्य का उच्चतम प्रयोग रास के अंतर्गत देखने को मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है तथा यह राधा कृष्ण के प्रेम से परिपक्व नृत्य शैली मानी जाती है। आज की इस रासलीला में सर्वप्रथम बाल कृष्ण तत्पश्चात युवा कृष्ण एवम् राधा रानी का नृत्य प्रस्तुत किया ।
राजस्थानी लोक नृत्य घूमर
घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर नृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
"स्थापना दिवस कार्यक्रम" में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की विवरण पुस्तिका का विमोचन किया गया | विवरण पुस्तिका में ट्रस्ट के विगत 11 वर्षों के कार्यों का विवरण उपलब्ध है |
हेल्प यू एजु���ेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विगत 11 वर्षों में ट्रस्ट को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करने वाली 7 विभूतियों का हेल्प यू सम्मान तथा वैश्विक महामारी कोरोना काल में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु 119 कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया गया |
इस मौके पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि, "आज के मुख्य अतिथि आदरणीय श्री बृजेश पाठक जी प्रदेश में निकाय चुनाव में व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, वह आज इस समय वाराणसी में हैं | अपने पूज्य बाबा श्री राधेश्याम अग्रवाल जी व अपने पिताजी श्री राजीव अग्रवाल जी के जनहित के कार्यों से प्रभावित होकर 28 अप्रैल, 2012 को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की | तत्कालीन मेयर परम आदरणीय श्री दिनेश शर्मा जी ने ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया | हमें संरक्षक के रूप में महाकवि पदम भूषण डॉ श्री गोपाल दास नीरज जी, पदम श्री अनवर जलालपुरी तथा भजन सम्राट पदम श्री अनूप जलोटा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ | देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशो में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे हम सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जनहित के कार्यों में अपना योगदान दे सकें | वर्तमान समय में माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास का अनुसरण करते हुए समाज के हर क्षेत्र में लोगों की मदद कर रहे हैं |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल ने हेल्प यू सम्मान से नवाजे गए सभी विभूतियों तथा हेल्प यू कोरोना वॉरियर्स से सम्मानित महानुभावों को बहुत-बहुत बधाई | विगत 11 वर्षों में बहुत कुछ बदला और हमने सबसे कठिन दौर तब देखा जब वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को ज़कर लिया | उस समय लखनऊ शहर के अनेक संवेदनशील लोगों ने हमारा साथ दिया, जिससे हम सही समय पर असहाय व जरूरतमंद लोगों की मदद कर पाए | मैं बस यही कहना चाहूंगी कि आप भविष्य में भी इसी तरह हमारा साथ दीजिए जिससे हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अपनी मुहिम को पूरा कर सकें |
कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया I
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी : कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है
यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भाद्रपद महीने के आठवें दिन पड़ता है। इसे गोकुल अष्टमी भी कहा जाता है।
ऐसा मानते हैं कि , भगवान कृष्ण का जन्म वर्तमान समय के मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका जन्म एक कालकोठरी में और कृष्ण पक्ष की अंधियारी आधी रात को हुआ था ।
मान्यताओं के अनुसार, कंस मथुरा का शासक था। उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव जी को कारागार में डालकर रखा था क्योंकि उसे यह श्राप मिला था कि देवकी की कोख से उत्पन्न होने वाली आठवीं सन्तान एक पुत्र रूप में होगी जो कंस का वध करेगी। अतः आठवें पुत्र के इंतजार में उसने जेल में ही उत्पन्न देवकी के सात सन्तानों की हत्या कर दी थी। दैवीय लीला से जब आठवें पुत्र श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो योगमाया ने वहां उपस्थित सभी पहरेदारों को गहन निद्रा में डाल दिया और वासुदेव जी को निर्देश दिया कि अभी ही वह कारागार से बाहर निकल कर पुत्र को यमुना जी के रास्ते से ले जाकर ��ोकुल पहुंचा दें।
वासुदेव �� देवकी को सारी बात समझ में आ चुकी थी कि यही प्रभु अवतरण हैं जिनके हाथों कंस का वध होगा। वैसा ही सब कुछ हुआ। समय आने पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के हाथों कंस का अंत हुआ।
इसी कारण इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है और देश भर में इस दिवस को उत्सव की भांति मनाया जाता है।
मथुरा और वृन्दावन में कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी से 10 दिन पहले रासलीला, भजन, कीर्तन और प्रवचन जैसे विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ शुरू होता है यह उत्सव । रासलीलाएं कृष्ण और राधा के जीवन और प्रेम कहानियों के साथ-साथ उनकी अन्य गोपियों की नाटकीय रूपांतर पेश किए जाते हैं। पेशेवर कलाकार और स्थानीय उपासक दोनों ही मथुरा और वृन्दावन में विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन करते हैं। भक्त जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण मंदिरों में आते हैं, विशेषकर वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में, जहां माना जाता है कि उनका जन्म हुआ था। मंदिरों को मनमोहक फूलों की सजावट और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
पंचांमृत अभिषेक
अभिषेक के नाम से जाना जाने वाला एक विशिष्ट अनुष्ठान आधी रात को होता है, जो कृष्ण के जन्म का सटीक क्षण माना जाता है। इस दौरान कृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के दौरान शंख बजाए जाते हैं, घंटियां बजाई जाती हैं और वैदिक मंत्रो का पाठ किया जाता है। इसके बाद भक्त श्रीकृष्ण को 56 अलग-अलग भोग (जिन्हें छप्पन भोग के नाम से जाना जाता है) अर्पित करते हैं। उनके लड्डू गोपाल स्वरूप को जन्म के बाद झूला झुलाते हैं और जन्म के गीत गाये जाते हैं।
नंदोत्सव
जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला नंदोत्सव एक खास कार्यक्रम है। कहते हैं कि जब कृष्ण के पालक पिता, नंद बाबा ने उनके जन्म की खुशी में गोकुल (कृष्ण का गाँव) में सभी को उपहार और मिठाइयां दीं। इस दिन, भक्त प्रार्थना करने और जरूरतमंदों को दान देने के लिए नंद बाबा के जन्मस्थान नंदगांव की यात्रा करते हैं। इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार के समारोहों और खेलों में भाग लेते हैं जो कृष्ण के चंचल स्वभाव का सम्मान में आयोजित किए जाते हैं।
दही हांडी पर्व का महत्व
दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है । महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग धूम देखने को मिलती है। इस दौरान गोविंदाओं की टोली ऊंचाई पर बंधी दही से भरी मटकी फोड़ने की कोशिश करती है ।
जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है । भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्शाने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है।
दही हांडी कार्यक्रम
दही हांडी कार्यक्रम, जो कृष्ण की मां यशोदा द्वारा ऊंचे रखे गए मिट्टी के बर्तनों से मक्खन चुराने की बचपन की शरारत से प्रेरित एक कार्यक्रम है। मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी समारोह का एक और मुख्य आकर्षण है। इस कार्यक्रम में युवा, पुरुषों के समूह ऊंचाई से लटके हुए एक बर्तन तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जिसमें दही या मक्खन होता है। यह अवसर वफादारी, बहादुरी और टीम वर्क को दर्शाता है। इसमें बड़ी संख्या में दर्शक भी शामिल होते हैं, जो तालियां बजाते हैं और इस दृश्य का आनंद लेते हैं।
दरअसल, भगवान श्री कृष्ण बचपन में दही और मक्खन घर से चोरी करते थे और उसके साथ ही गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे । यही कारण है कि गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था लेकिन कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे । भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं का स्मरण करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी ।
प्रभु की लीला कभी व्यर्थ नहीं होती है। उसका कोई न कोई कारण अवश्य होता है।
ऐसा मानते हैं कि पैसों के लिए गोपियाँ अपने घर के सारे दूध , दही और माखन मथुरा में जाकर कंस की राजधानी में बेच आतीं थीं। वे सब बलवान हो जाते थे जबकि ग्वाल बाल सीमित रूप में इसे प्राप्त कर पाते थे। तब प्रभु की बाल लीला ने माखन चोरी करने का निर्णय किया था ताकि ये सभी हृष्ट पुष्ट रहें और मथुरा तक ये न पहुंच सके।
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