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detaildesk · 5 years ago
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प्रवासी श्रमिक चलता है, मुंबई से यूपी तक 1500 किलोमीटर से अधिक लंबी पैदल यात्रा, गृहनगर पहुंचने के बाद मर जाता है छवि स्रोत: पीटीआई प्रवासी श्रमिक चलता है, मुंबई से यूपी तक 1500 किलोमीटर से अधिक लंबी पैदल यात्रा, गृहनगर पहुंचने के बाद मर जाता है
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achhiduniyaa-blog · 8 years ago
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पी वी सिंधु का जीवन परिचय | P V Sindhu Biography In Hindi
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पी वी सिंधु का जीवन परिचय | P V Sindhu Biography In Hindi
  पी वी सिंधु का जीवन परिचय | P V Sindhu Biography
  पी वी सिंधु का जीवन परिचय | P V Sindhu Biography In Hindi
पी वी सिंधु का जीवन परिचय | P V Sindhu Biography In Hindi
Parents & Childhood
P V Sindhu का जन्म तेलुगू आधारित जाट परिवार में हुआ था। सिंधु के पिता पीवी रमन और माँ पी विजय दोनों वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके है। जबकि सिंधु बैडमिंटन खेलती है।
जब इस बारे में उनके पिता से पूछा गया तो वे कहते है,
वह भारत के पूर्व बैडमिंटन और वर्तमान कोच पुल्लेला गोपीचन्द के सक्सेस से काफी प्रभावित थी। एक दिन तमिलनाडू के निवर्तमान चीफ मिनिस्टर एन. चन्द्रबाबू के द्वारा पुल्लेला गोपीचन्द को सम्मानित किया गया। जिसे देखकर पीवी सिंधु काफी प्रभावित हुई और बैडमिंटन को चुनी
उस दिन यानि 2001 में पुल्लेला गोपीचन्द All England Open Badminton Champion थे। जिससे सिंधु खासा प्रभावित हुई और बैडमिंटन खिलाड़ी बनने की दृढ़ संकल्प की।
Badminton Life
इस तरह सिंधु ने सिंकंदराबाद में स्थित Indian Railway Institute of Signal Engineering and Telecommunications के बैडमिंटन कोर्ट में बैडमिंटन सीखाने वाले कोच महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बेसिक्स को सीखी।
इसके बाद वो Inspiring Man यानि पुल्लेला गोपीचन्द से बैडमिंटन की बारीकियाँ सीखने लगी।
सिंधु की डगर इतना आसान ना था। उनके घर और बैडमिंटन एकेडमी के बीच 56 किमी की लंबी दूरी थी, जिसके कारण उनके दिन के पाँच घंटे ट्रेवेलिंग में ही बीत जाता था।
सिंधु बचपन से ही जी-तोड़ मेहनत करने से पीछे नहीं हटती थी। सिंधु समय पर एकेडमी पहुँचने के लिए सुबह 4 बजे ही अपने घर से एकेडमी के लिए चलती थी। (क्योंकि दोपहर का सेशन वर्ल्ड स्टार साइना नेहवाल के लिए रिजर्व था। ) तब जाकर वह समय पर अपनी मंजिल तक पहुँचती थी।
एकेडमी में आने के बाद रोजाना पुल्लेला गोपीचन्द के मार्गदर्शन में खूब पसीना बहाती और अपने साथी खिलाड़ियों के साथ खूब प्रैक्टिस करती और देर शाम को अपने घर को लौट जाती।
12 साल की सिंधु की यहीं दिनचर्या थी, जो किसी भी आम व्यक्ति के दिनचर्या से 5 गुना कठिन है।
विजयी अभियान
खैर लगातार जी-तोड़ मेहनत और बैडमिंटन की टेक्निकस जल्दी सीखने के कारण वह मजबूत खिलाड़ी बन गई। जिसके कारण उस छोटी-��ी उम्र में ही विजयी मेडलों की ढेर लगा दी। जिसके फलस्वरूप सिंधु जल्द ही अपने क्षेत्र का इक्का साबित हुई।
सिंधु ने All India Ranking Championship के अंडर 10, 13, और 14 के Title को जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर अपने जीत का झण्डा गाड़ी।
इतने शानदार परफ़ोर्मेंस के बदौलत जल्द ही सिंधु को 2009 के Sub-Junior Asian Badminton Championships में अपना जौहर दिखाने को मौका मिला, जहां उन्होंने ब्रोंज मेडल जीतकर अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय जीत का स्वाद चखी।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जीत का स्वाद चखने की यह तो शुरुआत थी, जुलाई 2012 में Asia Youth Under 19 championship को जीती।
उसी साल चाइना मास्टर सुपर सीरीज टूर्नामेंट में 2012 के लंदन ओलिम्पिक चैम्पियन ली जुरई को हराकर पूरे बैडमिंटन वर्ल्ड में तहलका मचा दी।
इस चाइना ओपन में सिंधु को इंजरी हो गई, इसके बावजूद वो 77th Senior National Badminton Championships में भाग ली और फाइनल में भी पहुँच गई। पर उस उनका घांव उनके खेल पर ज्यादा भारी पड़ा, जिसके कारण सायली गोखले के हाथों 15-21, 21-15, 15-21 से फ़ाइनल मैच गंवा बैठी।
इस चैंपियनशिप के बाद सिंधु ने पहले अपने इंजरी का इलाज करने का निर्णय की, जिसके कारण उन्होंने जापान ओपन और कई नेशनल चैंपियनशिप को छोड़ दी।
बरहाल जब P V Sindhu फिट हुई तो दिसंबर 2012 में लखनऊ में आयोजित Syed Modi India Grand Prix Gold में पार्टीसीपेट की, जहां उन्हें दूसरे स्थान से संतुष्ट करना पड़ा, जबकि फ़ाइनल तक पहुँचने तक उन्होंने एक भी सेट नहीं गंवाया।
पर फ़ाइनल मैच में हारने के बावजूद उन्हें वर्ल्ड रैंकिंग में बड़ा फायदा हुआ। वो विश्व बैडमिंटन की 15 वीं रैकिंग पर काबिज हुई, जो उनके कैरियर बेस्ट रैंकिंग थी।
2013 का साल उनके लिए धमाकेदार रहा, जहां वो दुनियाँ के बेहतरीन से बेहतरीन खिलाड़ियों के विरुद्ध जीत हासिल की। इस साल सिंधु ने Malaysian Open Title जीती और दुनियाँ की नं. 2 चीनी खिलाड़ी वांग यीहान को क्वार्टर फ़ाइनल और 7 वीं रैंक की चीनी खिलाड़ी वांग शीइयान को फ़ाइनल में हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
इस साल उनकी जीत का सफर यहीं नहीं रुका। उन्होंने मकाउ ओपेन ग्रांड प्रीक्स गोल्ड में कनेडियन मिशेल ली को हराकर अपना पहला ग्रांड प्रीक्स गोल्ड जीती।
साल खत्म होते-होते सिंधु के जीत ने उन्हें बहुत बड़ा तौहफा दिया, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
2013 की तरह 2014 में भ�� P V Sindhu ने अपने स्पिरिट्स से बैडमिंटन वर्ल्ड में खूब धमाल मचाई, जहां वह Glasgow Commonwealth Games और डेन्मार्क में आयोजित वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल तक पहुंची, दुनियाँ की नं.2 शीइयान वांग और दुनियाँ की नं. 5 साउथ कोरिया की खिलाड़ी बा इओन जु को हराकर अपने जीत के सिलसिला को बरकरार रखी। जिसके कारण वर्ल्ड कप में लगातार मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई।
दुनियाँ के बड़े से बड़े खिलाड़ियों के खिलाफ जीत मिलने से P V Sindhu अपने खेल में अब और तेज और परिपक्व हो गई। जिसका सबूत 2015 में देखने को मिला, जब उन्होंने डेन्मार्क ओपन में टाई जु इंग, वांग इयान और कैरोलिना मारिन जैसे दुनियाँ के टॉप खिलाड़ियों को धूल चटाई। पर फाइनल में ली जुरई के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
2015 के नवंबर में मकाउ ओपन ग्रांड प्रिक्स गोल्ड जीतकर अपने ग्रांड प्रिक्स गोल्ड की जीत को बरकरार रखने में सफल रही।
Rio Olympics
लगातार जीत अब सिंधु की आदत बन चुकी थी, जिसे हम 2016 में देख सकते है, जहां उन्होंने इस साल के शुरुआत में मलेशिया मास्टर ग्रांड प्रिक्स गोल्ड में गोल्ड जीती और अब रियो ओलिम्पिक में  प्री-क्वार्टर फ़ाइनल में बैडमिंटन वर्ल्ड की नं. 8 पर काबिज ताई जु इंग, क्वार्टर फ़ाइनल में दुनिया की नं. 2 रैंक वाली चाइनीज वांग ईहान और सेमीफाइनल में छठी रैंक की जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा को हराकर रियो ओलिम्पिक के बैडमिंटन फाइनल में पहुँच इतिहास रच दी। जहां उनका मुक़ाबला दुनियाँ की नं. 1 स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलिना मारीन से है। दोनों के बीच 3-4 का रिकॉर्ड है यानि सिंधु ने कैरोलिना को 3 बार हरा चुकी है, जबकि कैरोलिना सिंधु को 4 बार हरा चुकी है।
पीवी सिंधु ऊंचाई वजन उम्र-PV Sindhu Biography: पीवी सिंधु ने 19 अगस्त 2016 को रियो, ओलंपिक में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
जीवनी वास्तविक नाम पुसरला वेंकट सिंधु उपनाम अज्ञात व्यवसाय भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी शारीरिक आँकड़े और अधिक कद सेंटीमीटर में – 179 सेमी मीटर में – 1.79 मीटर फिट में – 5′ 10 1/2″ वजन (किलोग्राम में) किलोग्राम में – 65 किलो पाउंड में – 150 एलबीएस शारीरिक संरचना 34-26-36 आँखों का रंग काला बालों का रंग काला अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत 2009 कोलंबो में सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप कोच/गुरु पुलेला गोपीचंद हॅंडेडनेस दायाँ हाथ मुख्य उपलब्धि •सिंधु ने कोलंबो में आयोजित 2009 सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। • स्टार खिलाड़ी 2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में महिला एकल में रजत जीता। • 7 जुलाई 2012, वह एशिया यूथ अंडर -19 चैम्पियनशिप जीत ली। • मलेशियाई ओपन 2013 में सिंधु के प्रदर्शन को उसके मायके ग्रां प्री गोल्ड खिताब जीतने के लिए बनाया है। • 2013 और 2014 में लगातार विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया। • 2016 गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों (महिला टीम) में एक स्वर्ण पदक कैरियर टर्निंग प्वाइंट 2011 में डगलस में राष्ट्रमंडल युवा खेलों एकल स्पर्धा में स्वर्ण सबसे ऊंची रैंकिंग 09 मार्च 2014 18 अगस्त 2016 व्यक्तिगत जीवन जन्मतिथि 5 जुलाई 1995 उम्र (2016 में) 21 वर्ष जन्म स्थान हैदराबाद, भारत राशि कैंसर राशि राष्ट्रीयता भारतीय गृहनगर हैदराबाद, भारत स्कूल अज्ञात कॉलेज St. Ann’s College for Women, Mehdipatnam शैक्षिक योग्यता एमबीए की छात्र परिवार परिवार पिता – पी वी रमण माँ- पी विजया बहन- ज्ञात नहीं धर्म हिंदू शौक फिल्म देखना पसंदीदा अभिनेता महेश बाबू और प्रभास (टॉलीवुड), रितिक रोशन (बॉलीवुड) पसंदीदा भोजन बिरयानी, चीनी और इतालवी ब्यञ्जन यौन अभिविन्यास अज्ञात वैवाहिक स्थिति अविवाहित अफेयर्स / बॉयफ़्रैंड्स अज्ञात
पी.वी. सिंधू के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य
पी.वी. सिंधू धूम्रपान करता है ?: नहीं
पी.वी. सिंधू शराब पीती हैं? : ज्ञात नहीं
सिंधु महबूब अली के मार्गदर्शन में सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे संस्थान में खेल की मूल बातें सीखा है। बाद में वह पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गयी और वर्तमान में वे ही पी वी सिंधु के कोच हैं एवं वे ही भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच है।
सिंधु एक बहुत ही कठिन परिश्रमी एथलीट है।वह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम का पालन करती हैं, वह हर सुबह 4.15 बजे बैडमिंटन का अभ्यास शुरू कर देती हैं।
सिंधु के माता-पिता पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं।
वर्ष 2000 में उनके  पिता पी वी रमण को  राष्ट्रीय वॉलीबॉल के प्रति उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन 2012 ली निंग चीन मास्टर्स सुपर सीरीज प्रतियोगिता में आया जब वह चीन के 2012 लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता ली Xuerui पराजित को किया।
उन्हें 30 मार्च 2015 को वह भारत के 4 सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्���ी से सम्मानित किया गया है।
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