#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोलाTattvadarshi Sant Rampal Ji
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dilip775 · 2 months ago
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nagerkuldeep · 2 months ago
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1220ram · 2 months ago
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gauravkumar888 · 2 months ago
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गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं। कौन है वह काल?
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gauravkumar333 · 2 months ago
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गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं। कौन है वह काल?
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9343427536 · 2 months ago
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#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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pinkysharma · 2 months ago
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tanubhati · 2 months ago
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काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त (मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा।
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rahul-das-youtuber · 2 months ago
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गीता जी का ज्ञान किसने बोला?
गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा। श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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dilip775 · 2 months ago
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गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा’
अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन्! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ आपके मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ।
श्री कृष्ण जी तो अर्जुन के साले थे। श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। क्या व्यक्ति अपने साले को भी नहीं जानता? इससे सिद्ध है कि गीता ��ा ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा, काल ब्रह्म ने बोला था।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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nagerkuldeep · 2 months ago
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9343427536 · 2 months ago
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#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला
गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि "युद्ध से न भागना" आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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nagerkuldeep · 2 months ago
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nagerkuldeep · 2 months ago
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nagerkuldeep · 2 months ago
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nagerkuldeep · 2 months ago
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