#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोलाTattvadarshi Sant Rampal Ji
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गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं। कौन है वह काल?
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गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं। कौन है वह काल?
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#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोलाTattvadarshi Sant Rampal Ji#आदि राम कबीर#कबीर परमेश्वर#संत रामपाल जी महाराज#कबीर इस गॉड#कबीर बड़ा या कृष्ण
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काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त (मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा।
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गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा’
अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन्! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ आपके मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ।
श्री कृष्ण जी तो अर्जुन के साले थे। श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। क्या व्यक्ति अपने साले को भी नहीं जानता? इससे सिद्ध है कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा, काल ब्रह्म ने बोला था।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला
गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि "युद्ध से न भागना" आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोलाTattvadarshi Sant Rampal Ji#आदि राम कबीर#कबीर परमेश्वर#संत रामपाल जी महाराज#कबीर इस गॉड#कबीर बड़ा या कृष्ण#संतरामपालजी_का_संघर्षwatch sant rampal ji youtube
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