#गीता का राज
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*🌾बन्दीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज जी की जय🌾*
09/01/24
3️⃣ *Team 3:- हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर*
*🧩All App सेवा🧩*
🔖 *मालिक की दया से ॐ तत सत के रहस्य से संबंधित All App पर शाम सेवा करेंगे जी।*
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#ॐ_तत_सत_का_Decode*🌾बन्दीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज जी की जय🌾*
09/01/24
3️⃣ *Team 3:- हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर*
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#ॐ_तत_सत_का_Decode
#SantRampalJiMaharaj
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🎺नकली धर्मगुरुओं ने हमें सिर्फ राधे राधे, ॐ मंत्र, जय श्री कृष्ण के जाप तक ही सीमित रखा।
जबकि गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में तीन मंत्र ॐ, तत, सत जो कि सांकेतिक हैं बताए गए हैं।
उनका भेद तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
🎺संत रामपाल जी महाराज ने सर्वप्रथम प्रमाण सहित बताया कि सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात पूर्ण परमात्मा को पाने का तीन मंत्र का जाप है।
जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 (ॐ, तत, सत), सामवेद मंत्र संख्या 822 और कुरान शरीफ सूरह शूरा 42 आयत 1 (ऐन् सीन् काफ जोकि सांकेतिक हैं) में है।
जिसे तत्वदर्शी संत/बाख़बर ही बता सकता है।
वह ��त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
🎺पूर्ण संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने पूर्ण भेद खोल दिया है कि सच्चिदानंद घन ब्रह्म की भक्ति का मन्त्र "ॐ तत् सत्" है
"ॐ" मन्त्र ब्रह्म का है
"तत्" यह सांकेतिक मंत्र है जो अक्षर पुरूष का है
"सत्" मंत्र भी सांकेतिक मन्त्र है जो परम अक्षर ब्रह्म का है। इन तीनों मंत्रों के जाप से पूर्ण मोक्ष मिलेगा।
🎺 गीता जी में मोक्ष के लिए ॐ तत् सत् का जाप करने का निर्देश है जिसमें ॐ(क्षर पुरूष) तत्(अक्षर पुरुष) व सत्(परम अक्षर ब्रह्म) का जाप है जिसमें तत् व सत् सांकेतिक हैं जिन्हें केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है। इन मन्त्रों का रहस्य केवल संत रामपाल जी महाराज जी ने ही उजागर किया है।
🎺 गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में पूर्ण परमात्मा प्राप्ति का मंत्र 'ॐ तत् सत्' बताया है। 'ॐ' ब्रह्म का जाप है, 'तत्' सांकेतिक है जो परब्रह्म का जाप है तथा 'सत्' भी सांकेतिक है जो पूर्णब्रह्म का जाप है।
इस मंत्र की जानकारी तत्वदर्शी संत ही बताते हैं जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज हैं।
🎺 गीता अध्याय 8 श्लोक 10 में बताया गया है कि भक्ति युक्त साधक तीन मंत्र (‘ओम तत् सत्’) के जाप की साधना की शक्ति से त्रिकुटी को प्राप्त होता है तथा सारनाम के अभ्यास से परमेश्वर के दिव्य स्वरूप को प्राप्त होता है।
🎺श्रीमद्भगवद्गीता में केवल "ॐ" और "ॐ तत् सत्" मंत्रों की बात की गई है। भगवद्गीता में कहीं भी 'राम', 'हरि ओम' 'हरे कृष्ण' आदि मनमाने नामों का उल्लेख नहीं है। ये अज्ञानी संतों और गुरुओं की स्वयं निर्मित रचनाएँ हैं। यहाँ "ॐ" एक सीधा मंत्र है लेकिन "तत्" और "सत्" सांकेतिक मंत्र हैं।
🎺 ऐन सीन काफ़
कुरान में वर्णित ये उन तीन नामों (मंत्रों) के सांकेतिक शब्द हैं जो मोक्षदायक कल्याणकारक मंत्र हैं। उनके प्रथम अक्षर हैं। पूर्ण संत जो इस रहस्य को जानता है, उससे दीक्षा लेकर इन तीनों मंत्रों का जाप करने से आत्म कल्याण होगा। और किसी साधना से जीव को मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता।
वर्तमान में वे बाखबर संत रामपाल जी महाराज हैं।
🎺कुरआन के अनुवादकर्ताओं ने सूरः अश् शूरा-42 की आयत नं. 1 (حم) के शब्दों हा. मीम. तथा आयत नं. 2 (عسق) के शब्द ऐन सीन काफ़ का अनुवाद नहीं किया है। टिप्पणी की है कि यह गूढ़ रहस्य है। इसको तो खुदा ही जानता है। ऐन सीन काफ़
ये उन तीन नामों (मंत्रों) के सांकेतिक शब्द हैं जो मोक्षदायक कल्याणकारक मंत्र हैं।
🎺कुरान में वर्णित ’’अैन‘‘ यह अरबी भाषा का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘अ’’ है तथा ‘‘सीन’’ यह अरबी भाषा की वर्णमाला का अक्षर है जो देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘स’’ है तथा ‘‘काफ’’ यह अरबी वर्णमाला का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘क’’ है।
जैसे ओम् (ॐ) मंत्र का पहला अक्षर वर्णमाला का ‘‘अ’’ है। इसलिए ’’अैन‘‘ अक्षर ’’ओम्‘‘ का सांकेतिक है। ‘‘तत्’’ यह सांकेतिक मंत्र है। इसका जो यथार्थ मंत्र है, उसका पहला अक्षर ‘‘स’’ है तथा तीसरा जो ‘‘सत्’’ सांकेतिक मंत्र है, इसका जो यथार्थ मंत्र है, उसका पहला मंत्र ‘‘क’’ है। इसलिए गुप्त यानि सांकेतिक ’’ऐन सीन काफ़‘‘ क���रआन में बताए।
वे गीता में बताए ’’ओम्, तत्, सत्‘‘ की तरह हैं। ये इन्हीं का संकेत है और इन्हीं से मोक्ष संभव है।
🎺संख्या न. 822 सामवेद उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. ४
मनीषिभिः पवते पूर्व्यः कविर्नभिर्यतः परि कोशां असिष्यदत् ।
त्रितस्य नाम जनयन्मधु क्षरन्निन्द्रस्य वायुं सख्याय वर्धयन् ।।8।
इस मन्त्र में स्पष्ट किया है कि पूर्ण परमात्मा कविर अर्थात् कबीर मानव शरीर में गुरु रूप में प्रकट होकर प्रभु प्रेमियों को तीन नाम का जाप देकर सत्य भक्ति कराता है तथा उस मित्र भक्त को पवित्र करके अपने आर्शीवाद से पूर्ण परमात्मा प्राप्ति करके पूर्ण सुख प्राप्त कराता है। साधक की आयु बढाता है। यही प्रमाण गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में है कि ओम्-तत्-सत् इति निर्देशः ब्रह्मणः त्रिविद्य स्मतः भावार्थ है कि पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने का ॐ (1) तत् (2) सत् (3) यह मन्त्र जाप स्मरण करने का निर्देश है। इस नाम को तत्वदर्शी संत से प्राप्त करो।
❌ *No Copy Paste* ❌
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जबकि गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में तीन मंत्र ॐ, तत, सत जो कि सांकेतिक हैं बताए गए हैं।
उनका भेद तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
🎺संत रामपाल जी महाराज ने सर्वप्रथम प्रमाण सहित बताया कि सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात पूर्ण परमात्मा को पाने का तीन मंत्र का जाप है।
जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 (ॐ, तत, सत), सामवेद मंत्र संख्या 822 और कुरान शरीफ सूरह शूरा 42 आयत 1 (ऐन् सीन् काफ जोकि सांकेतिक हैं) में है।
जिसे तत्वदर्शी संत/बाख़बर ही बता सकता है।
वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
🎺पूर्ण संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने पूर्ण भेद खोल दिया है कि सच्चिदानंद घन ब्रह्म की भक्ति का मन्त्र "ॐ तत् सत्" है
"ॐ" मन्त्र ब्रह्म का है
"तत्" यह सांकेतिक मंत्र है जो अक्षर पुरूष का है
"सत्" मंत्र भी सांकेतिक मन्त्र है जो परम अक्षर ब्रह्म का है। इन तीनों मंत्रों के जाप से पूर्ण मोक्ष मिलेगा।
🎺 गीता जी में मोक्ष के लिए ॐ तत् सत् का जाप करने का निर्देश है जिसमें ॐ(क्षर पुरूष) तत्(अक्षर पुरुष) व सत्(परम अक्षर ब्रह्म) का जाप है जिसमें तत् व सत् सांकेतिक हैं जिन्हें केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है। इन मन्त्रों का रहस्य केवल संत रामपाल जी महाराज जी ने ही उजागर किया है।
🎺 गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में पूर्ण परमात्मा प्राप्ति का मंत्र 'ॐ तत् सत्' बताया है। 'ॐ' ब्रह्म का जाप है, 'तत्' सांकेतिक है जो परब्रह्म का जाप है तथा 'सत्' भी सांकेतिक है जो पूर्णब्रह्म का जाप है।
इस मंत्र की जानकारी तत्वदर्शी संत ही बताते हैं जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज हैं।
🎺 गीता अध्याय 8 श्लोक 10 में बताया गया है कि भक्ति युक्त साधक तीन मंत्र (‘ओम तत् सत्’) के जाप की साधना की शक्ति से त्रिकुटी को प्राप्त होता है तथा सारनाम के अभ्यास से परमेश्वर के दिव्य स्वरूप को प्राप्त होता है।
🎺श्रीमद्भगवद्गीता में केवल "ॐ" और "ॐ तत् सत्" मंत्रों की बात की गई है। भगवद्गीता में कहीं भी 'राम', 'हरि ओम' 'हरे कृष्ण' आदि मनमाने नामों का उल्लेख नहीं है। ये अज्ञानी संतों और गुरुओं की स्वयं निर्मित रचनाएँ हैं। यहाँ "ॐ" एक सीधा मंत्र है लेकिन "तत्" और "सत्" सांकेतिक मंत्र हैं।
🎺 ऐन सीन काफ़
कुरान में वर्णित ये उन तीन नामों (मंत्रों) के सांकेतिक शब्द हैं जो मोक्षदायक कल्याणकारक मंत्र हैं। उनके प्रथम अक्षर हैं। पूर्ण संत जो इस रहस्य को जानता है, उससे दीक्षा लेकर इन तीनों मंत्रों का जाप करने से आत्म कल्याण होगा। और किसी साधना से जीव को मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता।
वर्तमान में वे बाखबर संत रामपाल जी महाराज हैं।
🎺कुरआन के अनुवादकर्ताओं ने सूरः अश् शूरा-42 की आयत नं. 1 (حم) के शब्दों हा. मीम. तथा आयत नं. 2 (عسق) के शब्द ऐन सीन काफ़ का अनुवाद नहीं किया है। टिप्पणी की है कि यह गूढ़ रहस्य है। इसको तो खुदा ही जानता है। ऐन सीन काफ़
ये उन तीन नामों (मंत्रों) के सांकेतिक शब्द हैं जो मोक्षदायक कल्याणकारक मंत्र हैं।
🎺कुरान में वर्णित ’’अैन‘‘ यह अरबी भाषा का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘अ’’ है तथा ‘‘सीन’’ यह अरबी भाषा की वर्णमाला का अक्षर है जो देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘स’’ है तथा ‘‘काफ’’ यह अरबी वर्णमाला का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘क’’ है।
जैसे ओम् (ॐ) मंत्र का पहला अक्षर वर्णमाला का ‘‘अ’’ है। इसलिए ’’अैन‘‘ अक्षर ’’ओम्‘‘ का सांकेतिक है। ‘‘तत्’’ यह सांकेतिक मंत्र है। इसका जो यथार्थ मंत्र है, उसका पहला अक्षर ‘‘स’’ है तथा तीसरा जो ‘‘सत्’’ सांकेतिक मंत्र है, इसका जो यथार्थ मंत्र है, उसका पहला मंत्र ‘‘क’’ है। इसलिए गुप्त यानि सांकेतिक ’’ऐन सीन काफ़‘‘ कुरआन में बताए।
वे गीता में बताए ’’ओम्, तत्, सत्‘‘ की तरह हैं। ये इन्हीं का संकेत है और इन्हीं से मोक्ष संभव है।
🎺संख्या न. 822 सामवेद उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. ४
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त्रितस्य नाम जनयन्मधु क्षरन्निन्द्रस्य वायुं सख्याय वर्धयन् ।।8।
जाने गीता का राज
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#खुल_गया_राज_गीता_का
गीता का ज्ञान किसने बोला?गीता आ,4श्लोक 9 में कहा गया है,है अर्जुन मेरे कर्म और जन्म दिव्य है, भावार्थ-काल ब्रम्ह अन्य शरीरमे प्रवेश करके कार्य करता है,जैसे श्रीकृष्ण जी ने प्रतिज्ञा की थी मैं महाभारतके युद्धमे किसी को मारने के लिए शस्र नही उठाउंगा,श्रीकृष के शरीर मे काल ब्रम्ह ने प्रवेश करके रथ का पहिया उठाकर अनेको सैनिकोंको मार डाला था,पाप भी कृष्ण के जिम्मे लगाया,और प्रतिज्ञा समाप्त करके कलंकित किया।
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#*खुल गया राज गीता का**कुरुक्षेत्र के मैदान से Live📽️*30 नवम्बर 2024 को दोपहर 12:00 बजेअवश्य देखिए *Factful Debates* YouTube#artists on tumblr#@yadavmohan#miraculous ladybug#stranger things#ryan reynolds#the sandman
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शास्त्र विरुद्ध क्रिया का कोई लाभ नहीं
गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार, शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए हमें शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए देखें Factful Debates YouTube Channel
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#गीता_वाला_काल_कौन_है
अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करने के लिए संपर्क सूत्र:+917496801825
#santrampaljiquotes#santrampalji is trueguru#santrampaljimaharaj#across the spiderverse#succession#satlokashram#supreme god kabir#खुल गया राज गीता का
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#खुल_गया_राज_गीता_का
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https://youtu.be/5TFGBbnKKE0?si=I6C_mLKEyS7bmERN
जानिए गीता का रहस्य!
🙏🌷🌷
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पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित पूर्ण परमात्मा के सांकेतिक मंत्र "ॐ, तत्, सत्" को पूर्ण संत से प्राप्त करके सतभक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति होगी और वर्तमान में इन मंत्रों को देने के एकमात्र अधिकारी पूर्ण संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं।
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पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित पूर्ण परमात्मा के सांकेतिक मंत्र "ॐ, तत्, सत्" को पूर्ण संत से प्राप्त करके सतभक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति होगी और वर्तमान में इन मंत्रों को देने के एकमात्र अधिकारी पूर्ण संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं।
https://youtu.be/IqnsYzY3PME?si=tB_gHmNGC7TdbWWs
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पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कहा?
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